RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 13 हमारे मौलिक अधिकार एवं कर्त्तव्य are part of RBSE Solutions for Class 8 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 13 हमारे मौलिक अधिकार एवं कर्त्तव्य.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 8 |
Subject | Social Science |
Chapter | Chapter 13 |
Chapter Name | हमारे मौलिक अधिकार एवं कर्त्तव्य |
Number of Questions Solved | 35 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 13 हमारे मौलिक अधिकार एवं कर्त्तव्य
पाठगत प्रश्न
(गतिविधि (पृष्ठ संख्या 98))
प्रश्न 1.
विद्यालय एवं परिवार के प्रति आपके कर्तव्यों की पहचान करके उनकी अलग-अलग सूची बनाइये।
उत्तर:
(अ) परिवार के प्रति हमारे कर्तव्यपरिवार के प्रति हमारे कर्तव्य हैं-
- माता-पिता की आज्ञा का पालन करना
- अपने से बड़े सदस्यों का आदर करना
- अपने से छोटों को स्नेह करना।
- घर के छोटे-मोटे कार्यों में घर के सदस्यों या मातापिता की सहायता करना
- आपस में मेल-जोल से रहना, परस्पर नहीं झगड़ना।
(ब) विद्यालय के प्रति हमारे कर्तव्य – विद्यालय के प्रति हमारे कर्तव्य हैं
- समय पर स्कूल पहुँचना।
- अपने अध्यापकों का सम्मान करना, उनकी सलाह मानना
- स्कूल की इमारतों व स्कूल प्रांगण को स्वच्छ रखना।
- सहपाठियों के साथ अच्छा बर्ताव रखना।
- स्कूल कार्य व गृहकार्य को समय पर करना
- समय पर विद्यालय की फीस देना।
- विद्यालय में हो रहे अन्य सांस्कृतिक व खेल-कूद सम्बन्धी कार्यक्रमों में भाग लेना
- स्कूल की सम्पत्ति को सुरक्षित रखना तथा हिंसा से दूर रहना
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनिए
(A) मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर न्यायालय में शरण लेने का अधिकार है-
(अ) समानता का अधिकार
(ब) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(स) स्वतन्त्रता का अधिकार
(द) संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
उत्तर:
(द) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(B) 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से खतरनाक कार्य नहीं कराया जा सकता है, इसका सम्बन्ध है
(अ) स्वतन्त्रता के अधिकार से
(ब) शोषण के विरुद्ध अधिकार से
(स) संवैधानिक उपचारों के अधिकार से
(द) समानता के अधिकार से।
उत्तर:
(ब) शोषण के विरुद्ध अधिकार से
प्रश्न 2.
निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा कौनसे मौलिक अधिकार से सम्बन्धित है?
उत्तर:
नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार से सम्बन्धित है।
प्रश्न 3.
कौनसे मौलिक अधिकार के अन्तर्गत बाल – श्रम और बेगारी पर रोक लगाई गई है?
उत्तर:
शोषण के विरुद्ध अधिकार के अन्तर्गत बाल – श्रम और बेगारी पर रोक लगाई गई है।
प्रश्न 4.
अधिकारों और कर्तव्यों में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
अधिकार और कर्तव्य एक – दूसरे के पूरक हैं, दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। जब हम अधिकारों की माँग करते हैं तो हमें अपने कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। कर्तव्यों के बिना हमारे अधिकार खोखले हैं। उदाहरण के लिए यदि हमारे बच्चों का मूल अधिकार है कि उन्हें शिक्षा मिले तो उनके अभिभावकों का भी कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें।
प्रश्न 5.
‘समानता का अधिकार’ का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समानता का अधिकार भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान किया गया है। यथा
- देश के प्रत्येक नागरिक को संविधान में कानून के समक्ष समान माना गया है तथा सभी को कानून का समान संरक्षण मिलेगा।
- राज्य अर्थात् सरकार किसी भी व्यक्ति से धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगी।
- समाज में छुआछूत को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है।
- इस अधिकार द्वारा सामाजिक उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है। केवल शिक्षा व सेना के क्षेत्र में व्यक्ति द्वारा स्वयं की योग्यता से अर्जित उपाधियाँ दी जाती रहेंगी।
प्रश्न 6.
संविधान में वर्णित किन्हीं पाँच मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
हमारे संविधान में नागरिकों के अनेक मौलिक कर्तव्य बताये गये हैं। किन्हीं चार मौलिक कर्तव्यों को चार्ट द्वारा प्रदर्शित कीजिये।
उत्तर:
संविधान में वर्णित पाँच प्रमुख मौलिक कर्त्तव्य :
- संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं और राष्ट्रगान का आदर करें।
- भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें।
- देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
- हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
- सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
प्रश्न 7.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संवैधानिक उपचारों का अधिकार संवैधानिक उपचारों का अधिकार मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाने का एक साधन है। इस अधिकार की रक्षा का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों को दिया गया है। जब नागरिकों के अपने मौलिक अधिकारों का हनन होता है या फिर उनके उपयोग में बाधा आती है। तो वे इस अधिकार के अन्तर्गत न्यायालय की शरण ले सकते हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सामाजिक उपाधियों का निषेध किस मूल अधिकार से सम्बन्धित है|
(अ) समानता
(ब) स्वतन्त्रता
(स) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(द) सांस्कृतिक एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार
उत्तर:
(अ) समानता
प्रश्न 2.
किस मूल अधिकार को भारतीय संविधान की आत्मा कहा गया है
(अ) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ब) समानता का अधिकार
(स) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(द) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
उत्तर:
(द) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
प्रश्न 3.
हमारे संविधान में नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं
(अ) 4
(ब) 6
(स) 11
(द) 20
उत्तर:
(ब) 6
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान में वर्तमान में कितने मूल कर्त्तव्यों का उल्लेख है–
(अ) 6
(ब) 10
(स) 11
(द) 9
उत्तर:
(स) 11
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
1. ………….वें संवैधानिक संशोधन द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित करके 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया। (86/87)
2. …………….से कम आयु के बालकों को जोखिम भरे कार्यों में लगाना दण्डनीय अपराध है। (18 वर्ष/14 वर्ष)
3. …….के अधिकार को अम्बेडकर ने ‘संविधान की आत्मा और हृदय’ कहा है। (स्वतन्त्रता/संवैधानिक उपचारों)
4. अधिकार एवं कर्त्तव्य एक-दूसरे के……..हैं। (विरोधी/पूरक)
उत्तर:
1. 86
2. 14 वर्ष
3. संवैधानिक उपचारों
4. पूरक
निम्न कथनों में से सत्य/असत्य कथन छाँटिए :
1. नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्य हैं।
2. संविधान द्वारा छुआछूत वर्जित है।
3. स्वतन्त्रता का अधिकार हमारा मूल अधिकार है।
4. मूल अधिकारों पर आपातकाल में प्रतिबन्ध लगाए जा सकते हैं।
5. स्वतन्त्रता से पूर्व हमें अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता तथा जीवन की सुरक्षा का अधिकार प्राप्त था।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य
3. सत्य
4. सत्य
5. असत्य
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित करें:
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
(i) निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा | समानता का अधिका |
(ii) अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा | स्वतन्त्रता का अधिकार |
(iii) कानून का शासन | शोषण के विरुद्ध अधिकार |
(iv) बालश्रम और बेगारी पर रोक | संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार |
उत्तर:
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
(i) निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा | स्वतन्त्रता का अधिकार |
(ii) अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा | संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार |
(iii) कानून का शासन | समानता का अधिकार |
(iv) बालश्रम और बेगारी पर रोक | शोषण के विरुद्ध अधिकार |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हमारे संविधान में नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए गए हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए माननीय न्यायालय की शरण ली जा सकती है। इन मौलिक अधिकारों को चार्ट द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार
प्रश्न 2.
शोषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
दूसरे के लाभ हेतु जबरदस्ती करवाया गया काम शोषण कहलाता है।
प्रश्न 3.
भारत में किस मूल अधिकार को संविधान की आत्मा कहा गया है?
उत्तर:
संवैधानिक उपचारों के अधिकार को ।
प्रश्न 4.
मूल अधिकारों को कब सीमित या निलम्बित किया जा सकता है?
उत्तर:
मौलिक अधिकारों को विशेष परिस्थितियों (आपातकाल) में सीमित या निलम्बित किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
मूल अधिकार व्यक्ति के लिए क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर:
मूल अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास तथा जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
प्रश्न 6.
व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के हनन होने पर वह कहाँ सीधे शिकायत कर सकता है?
उत्तर:
उच्च न्यायालयों या उच्चतम न्यायालय में
प्रश्न 7.
भारतीय नागरिकों को कितने मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं?
उत्तर:
छ: मौलिक अधिकार।
प्रश्न 8.
संविधान में नागरिकों के कितने कर्तव्य निर्धारित किये गये हैं?
उत्तर:
संविधान में नागरिकों के 11 कर्तव्य निर्धारित किये गये हैं।
प्रश्न 9.
मूल अधिकार क्या हैं?
उत्तर:
मूल अधिकार संविधान प्रदत्त नागरिकों को प्राप्त होने वाली वे परिस्थितियाँ और अवसर हैं जिससे वे अपना सर्वांगीण विकास कर सकें।
प्रश्न 10.
मौलिक अधिकारों एवं मौलिक कर्तव्यों में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
- मौलिक अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास तथा जीवन की सुरक्षा प्रदान करते हैं जबकि मौलिक कर्त्तव्य व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं।
- मौलिक अधिकार न्यायालय में वाद योग्य हैं, जबकि मौलिक कर्तव्य नहीं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में मौलिक अधिकारों की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
- स्वतन्त्रता से पूर्व लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के साथ ही जीवन की सुरक्षा का भी अधिकार प्राप्त नहीं थी।
- जनता को ब्रिटिश सरकार के जन – विरोधी कार्यों एवं कानूनों का विरोध करने का भी अधिकार नहीं था।
- हमारे स्वतन्त्रता सेनानियों को आजादी की लड़ाई में इन मौलिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए कई बार जेल भी जाना पड़ा था और हजारों को अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ी थी।
- सन् 1928 में ‘नेहरू रिपोर्ट में भी मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया था।
प्रश्न 2.
स्वतंत्रता से पूर्व हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को किनकिन अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना पड़ा?
उत्तर:
स्वतंत्रता से पूर्व हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को-
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार
- जीवन की सुरक्षा के अधिकार तथा
- सरकार के जन – विरोधी कार्यों एवं कानूनों का विरोध करने के अधिकारों की प्राप्ति के लिए सतत संघर्ष करना पड़ा। इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा तथा हजारों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी।
प्रश्न 3.
स्वतन्त्रता के अधिकार के तहत भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदान की गई स्वतन्त्रताओं का चार्ट बनाइये।
अथवा
स्वतन्त्रता के अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को कौनकौनसी स्वतन्त्रताएँ दी गई हैं ?
उत्तर:
स्वतन्त्रता के अधिकार के तहत भारतीय नागरिकों को प्रदान की गई स्वतन्त्रताएँ :
- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता
- शान्तिपूर्ण सम्मेलन की स्वतन्त्रता
- समुदाय और संघ निर्माण की स्वतन्त्रता
- देश में अबाध भ्रमण और निवास की स्वतन्त्रता
- व्यापार, व्यवसाय तथा रोजगार करने की स्वतन्त्रता
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीवन रक्षा तथा बचाव की कानूनी स्वतन्त्रता
प्रश्न 4.
शोषण के विरुद्ध अधिकार क्या है?
उत्तर:
शोषण के विरुद्ध अधिकार – संविधान में सामाजिक असमानती, दासता एवं बेगारी से मुक्ति के लिए। सभी नागरिकों को यह अधिकार दिया गया है। इसके अन्तर्गत मानव व्यापार; जबरदस्ती किसी से काम लेना या बेगार लेना एवं 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को जोखिम भरे कार्यों में लगाना दण्डनीय अपराध है।
प्रश्न 5.
धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार से क्या आशय है?
उत्तर
धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार-
- प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने, उस पर आचरण करने और शान्तिपूर्वक ढंग से उसका प्रचार करने का समान अधिकार है।
- सभी धर्म एवं सम्प्रदायों को अपनी संस्थाओं की स्थापना एवं उनका प्रबन्ध करने की स्वतन्त्रता है।
- किसी भी व्यक्ति को किसी विशिष्ट धर्म या सम्प्रदाय के विकास के लिए ‘कर’ देने हेतु बाध्य नहीं किया जा सकता
- राजकीय शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।
- धार्मिक शिक्षा में उपस्थित होने के लिए किसी भी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा सकता।
- राज्य को अपना कोई धर्म या पंथ नहीं है और वह सभी धर्मों या पंथों को बराबर का सम्मान देता है।
प्रश्न 6.
यदि हमारे संविधान में मूल-अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई होती तो उसके क्या दुष्प्रभाव होते ?
उत्तर:
यदि हमारे संविधान में मूल – अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई होती तो-
- व्यक्ति का भौतिक, बौद्धिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास रुक जाता क्योंकि मौलिक अधिकार सरकार के कठोर और जन विरोधी कार्यों एवं नियमों के विरुद्ध नागरिकों की स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- राज्य में व्यक्ति के महत्त्व और गरिमा को स्वीकार नहीं किया जाता।
- व्यक्ति का विकास रुकने से देश का विकास भी रुक जाता।
प्रश्न 7.
भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए ‘मौलिक कर्तव्यों की व्यवस्था क्यों की गई है?
उत्तर:
हमारे संविधान में नागरिकों के चहुंमुखी विकास के लिए मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है। अधिकार और कर्त्तव्य एक-दूसरे के पूरक हैं हम अपने कर्तव्यों का पालन करके ही अधिकारों का स्वतंत्रतापूर्वक उपभोग कर सकते हैं। कर्तव्यों के बिना अधिकार खोखले हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों की व्यवस्था की गई है ताकि वे उनका पालन करके एक जिम्मेदार नागरिक बन कर अपने मूल अधिकारों का सही ढंग से उपभोग कर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान में नागरिकों को प्रदत्त मूल अधिकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को कौन-कौनसे मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं तथा किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर:
भारतीय संविधान में मूल अधिकार भारतीय संविधान में नागरिकों को प्रदत्त मूल अधिकार निम्नलिखित हैं-
1. समानता का अधिकार – भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान करता है। इसके अनुसार कानून की नजर में सब लोग एकसमान हैं तथा सबको कानून का समान संरक्षण प्राप्त है। सामाजिक वर्गों पर आधारित भेदभाव एवं छुआछूत को वर्जित किया गया है। सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के सम्बन्ध में सबको अवसर की समानता भी प्रदान की गई है तथा भेदभावपरक उपाधियों का निषेध कर दिया गया है।
2. स्वतन्त्रता का अधिकार – संविधान के द्वारा नागरिकों को ये स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गई हैं–
- भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता,
- शांतिपूर्ण सम्मेलन या सभा करने की स्वतन्त्रता,
- राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक संगठन या संघ निर्माण की स्वतन्त्रता,
- देश में अबाध भ्रमण एवं देश में कहीं भी निवास की स्वतन्त्रता
- कारोबार की स्वतन्त्रता,
- प्रत्येक व्यक्ति को जीवन रक्षा और व्यक्तिगत बचाव करने की कानूनी स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। 86वें संवैधानिक संशोधन द्वारा सन् 2002 में 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार – बेगार लेना, बंधुआ मजदूरी, बालश्रम आदि शोषण के रूप हैं। संविधान शोषण के सभी रूपों पर रोक लगाता है।
4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार – हमारे देश में सभी धर्मावलम्बियों को अपना धर्म मानने, उस पर आचरण करने तथा शांतिपूर्ण ढंग से प्रचार करने का समान अधिकार प्राप्त है। राज्य के लिए सभी धर्मावलम्बी समान हैं। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और वह सभी धर्मों को बराबर का सम्मान देता है।
5. सांस्कृतिक एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार – इस अधिकार में भाषायी एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा और संस्कृति को बनाए रखने के साथ-साथ उसके संवर्धन के लिए शिक्षण संस्थाएँ स्थापित करने एवं उनकी देखभाल करने का अधिकार दिया गया है।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार – नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों का उल्लंघन होने पर इनकी रक्षा करने का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों को दिया गया है। हर नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपने मूल अधिकारों का उल्लंघन होने पर उच्च/उच्चतम न्यायालय में शिकायत कर सके।
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों के कौन-कौनसे मौलिक कर्तव्य निर्धारित किये गये हैं?
अथवा
कर्तव्यों के बिना हमारे अधिकार खोखले हैं। भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों के कौन-कौनसे मौलिक कर्तव्य निर्धारित किये हैं ? समझाइये।
उत्तर:
भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह-
- संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
- स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे।
- भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण बनाए रखे।
- देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो पंथ, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभावों से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हों।
- हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझे और उसका परिरक्षण करे।
- प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, की रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखे।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे।
- सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे, जिससे राष्ट्र निरन्तर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की ऊँचाइयों को छु सके।
- 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को उनके अभिभावक अथवा संरक्षक या प्रतिपालक जैसी भी स्थिति हो, शिक्षा के अवसर प्रदान करें।
प्रश्न 3.
भारतीय नागरिकों को कौन-कौनसे मौलिक अधिकार दिए गए हैं? आप स्वतंत्रता के अधिकार का दैनिक जीवन में किस प्रकार उपयोग करते हैं?
उत्तर:
भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को निम्नलिखित मौलिक अधिकार दिए गए हैं-
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार तथा
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार
स्वतंत्रता का अधिकार
संवधिान के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक को विविध प्रकार की स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई हैं। इनमें प्रमुख हैं-
- भाषण की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- शान्तिपूर्वक तरीके से सम्मेलन या सभा करने की स्वतंत्रता
- राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता
- भारत में अबाध्य भ्रमण और निवास की स्वतंत्रता
- व्यापार, व्यवसाय तथा रोजगार |करने की स्वतंत्रता और
- व्यक्ति को अपनी जीवन रक्षा तथा बचाव करने की कानूनी स्वतंत्रता
86वें संवैधानिक संशोधन द्वारा 2002 में शिक्षा को कानूनी अधिकार घोषित करके 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया हैं। भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त इन स्वतंत्रताओं को हम दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं। यदि हमारी इन स्वतंत्रताओं का हनन होता है या फिर इनके उपयोग में बाधा आती है तो हम न्यायालय की शरण ले सकते हैं।
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