RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 15 कानून एवं भारतीय न्यायपालिका are part of RBSE Solutions for Class 8 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 15 कानून एवं भारतीय न्यायपालिका.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 8 |
Subject | Social Science |
Chapter | Chapter 15 |
Chapter Name | कानून एवं भारतीय न्यायपालिका |
Number of Questions Solved | 64 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 15 कानून एवं भारतीय न्यायपालिका
पाठगत प्रश्न
(गतिविधि – पृष्ठ संख्या 109)
प्रश्न 1.
ऐसी पाँच परिस्थितियों के अनुभव को अपनी कक्षा के बच्चों से साझा करें जब आपने वाहन चालकों को यातायात के नियमों का उल्लंघन करते हुए देखा हो।
उत्तर:
[नोट – सड़क सुरक्षा शिक्षा सम्बन्धी प्रश्नों में प्रश्न संख्या 11 का उत्तर देखें।]
प्रश्न 2.
अपने शिक्षक से ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में चर्चा कीजिए।
अथवा
मानो आप 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं। अब आप ड्राइविंग लाइसेंस किस प्रकार प्राप्त करेंगे ?
उत्तर:
18 वर्ष की उम्र पूरी करने के पश्चात् वाहन चलाने के लिए हमें ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना पड़ता है। इस हेतु हम सर्वप्रथम यातायात विभाग के कार्यालय में एक प्रार्थना-पत्र देते हैं जो प्रायः छपा हुए एक फार्म होता है। जिसमें सभी आवश्यक जानकारियाँ अपने प्रमाणों की फोटोप्रति के साथ देते हैं। तत्पश्चात् एक निश्चित फीस लर्निग लाइसेंस हेतु जमा करानी पड़ती है। फिर हमें लर्निग ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है। कुछ समय पश्चात् हम स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस आवेदन के पश्चात् यातायात विभाग के द्वारा चालक की वाहन चलाने की योग्यता की पूरी जाँच की जाती है इस जाँच में उत्तीर्ण होने पर हमें स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है।
(गतिविधि – पृष्ठ संख्या 110)
प्रश्न 3.
अपने शिक्षक की सहायता से उन कानूनों पर चर्चा कीजिए जिनका स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान जनता द्वारा विरोध किया गया था।
उत्तर:
ऐसे कुछ प्रमुख कानून थे-
- रौलेट एक्ट
- नमक कानून
- साम्प्रदायिक पंचाट
(गतिविधि-पृष्ठ संख्या 112)
प्रश्न 4.
शिक्षक की सहायता से जानकारी करो कि किनकिन राज्यों में संयुक्त रूप से उच्च न्यायालय है?
उत्तर:
- पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय – (पंजाब- हरियाणा)
- मुम्बई उच्च न्यायालय – (महाराष्ट्र, गोवा, दादर एवं नगर हवेली, दमन एवं दीव)
- कलकत्ता उच्च न्यायालय – (पश्चिमी बंगाल, अण्डमान निकोबार द्वीप-समूह)
- गुवाहटी उच्च न्यायालय – (असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मिजोरम)
- केरल उच्च न्यायालय – (केरल, लक्षद्वीप)
- मद्रास उच्च न्यायालय – (तमिलनाडु, पांडिचेरी)
- हैदराबाद उच्च न्यायालय – (आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना)
(गतिविधि-पृष्ठ संख्या 114)
प्रश्न 5.
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से दीवानी व फौजदारी कानून से जुड़े हुए मुकदमों के उदाहरणों की सूची तैयार करें।
उत्तर:
फौजदारी-
- रमेश ने डकैती की।
- सड़क पर दो राहगीरों के बीच मारपीट से उत्पन्न मुकदमा।
दीवानी-
- मुकेश व उसकी पत्नी के बीच तलाक का मुकदमा।
- राम व श्याम के बीच जमीन को लेकर उत्पन्न विवाद।
- मकान मालिक व किरायेदार के बीच विवाद।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के सही विकल्प को चुनते हुए कोष्ठक में अंकित कीजिए-
(A) निम्नांकित में से कौनसा मामला फौजदारी कानून से सम्बन्धित है
(अ) डकैती
(ब) सम्पत्ति को बँटवारा
(स) किराया
(द) विवाह पंजीकरण
उत्तर:
(अ) डकैती
(B) विधिक साक्षरता शिविरों का उद्देश्य है, जनता को
(अ) कानूनी जानकारी देना
(ब) अक्षर ज्ञान देना
(स) प्रौढ़ शिक्षा देना
(द) वकील बनाना
उत्तर:
(अ) कानूनी जानकारी देना
प्रश्न 2.
निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध जब कोई पक्ष ऊपरी अदालत में जाता है, तो उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर:
इसे अपील करना’ कहते हैं।
प्रश्न 3.
राजस्थान उच्च न्यायालय तथा इसकी पीठ कहाँ स्थित है?
उत्तर:
राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में तथा इसकी पीठ जयपुर में स्थित है।
प्रश्न 4.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएँ लिखिये।
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएँ ये हैं-
- वह भारत का नागरिक हो।
- उच्च न्यायालय में लगातार 5 वर्ष तक न्यायाधीश का कार्य कर चुका हो
अथवा
उच्च न्यायालय में 10 वर्ष तक वकालत कर चुका हो। - राष्ट्रपति की राय में वह प्रसिद्ध कानूनविज्ञ हो।
प्रश्न 5.
लोक अदालत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लोक अदालत – नियमित अदालतों से अलग वे अदालतें जो विवादों को निपटारा आपसी समझाइश तथा राजीनामे से करती हैं, लोक अदालतें कहलाती हैं। लोक अदालतें जिला स्तर पर होती हैं। लोक अदालतों के फैसले सभी पक्षों को मान्य होते हैं। ऐसे फैसलों के विरुद्ध कोई भी पक्ष किसी भी न्यायालय में अपील नहीं कर सकता
प्रश्न 6.
जनहित याचिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे लोग जो किसी प्रतिकूल परिस्थिति, जैसेअशिक्षा, अज्ञानता या गरीबी के कारण न्याय प्राप्ति के लिए स्वयं न्यायालय में नहीं जा सकते, उनके अधिकारों की रक्षा के लिए किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा न्यायालय में जो मुकदमा दायर किया जाता है, उसे जनहित याचिका कहते हैं।
प्रश्न 7.
न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
न्यायिक पुनरावलोकन – सरकार द्वारा बनाया गया कोई भी ऐसा कानून जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत हो तो सर्वोच्च न्यायालय उसे अवैध घोषित कर सकता है, इसे ‘न्यायिक पुनरावलोकन’ कहते हैं।
प्रश्न 8.
सरकार किन-किन बातों को ध्यान में रखकर कानूनों का निर्माण करती है?
उत्तर:
सरकार कानून बनाते समय समानता और न्याय को ध्यान में रखती है। कानून बनाते समय न्याय की अवधारणा को ध्यान में रखा जाता है क्योंकि इससे ही लोकतन्त्र में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय प्राप्त होगा। साथ ही सरकार ऐसे कानूनों का निर्माण करती है जो सब नागरिकों पर समान रूप से लागू किये जा सकें तथा जीवन को सहज एवं सरल बनायें।
प्रश्न 9.
सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार अग्रानुसार है
1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार-
- नागरिकों के मूल अधिकार सम्बन्धी विवाद,
- केन्द्र एवं राज्य सरकार एवं
- राज्य सरकारों के मध्य विवाद आदि प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत आते हैं।
2. अपीलीय क्षेत्राधिकार – उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है। ऐसे निम्नलिखित तीन प्रकार के विवाद हो सकते हैं
- संवैधानिक मामले-ऐसे विवाद जिसमें संविधान की। व्याख्या सम्बन्धी कोई प्रश्न विचारणीय हो।
- दीवानी मामले-जमीन-जायदाद, चीजों को खरीदने, विवाह, तलाक, किराया, संविदा आदि सम्बन्धी विवाद।
- फौजदारी मामले-ऐसे विवाद जो चोरी, अपराधी, हत्या, डकैती, मारपीट आदि से सम्बन्धित हों।
3. संविधान एवं मौलिक अधिकारों का रक्षक-
- सरकार द्वारा बनाया गया कोई भी ऐसा कानून जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत हो तो सर्वोच्च न्यायालय उसे अवैध घोषित कर सकता है।
- नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन होने पर सर्वोच्च न्यायालय उनकी रक्षा करता है।
- यह अभिलेखीय न्यायालय भी है। इसके सभी निर्णय प्रकाशित किये जाते हैं। इन निर्णयों को अन्य मुकदमों में कानून की तरह काम में लिया जाता है।
प्रश्न 10.
यातायात कानूनों का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
यातायात कानूनों का उद्देश्य सड़क पर सही एवं सुरक्षित यातायात को सुनिश्चित करना है। यातायात कानूनों का पालन कर सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
प्रश्न 11.
हमारे देश के वर्तमान यातायात नियमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हमारे देश के वर्तमान यातायात के नियम-
- हमारे देश में वाहन चलाने के लिए 18 वर्ष की आयु निर्धारित की गई है।
- 18 वर्ष की आयु हो जाने के पश्चात् हमें वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना होता है। ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के पश्चात् ही हम वाहन चला सकते हैं।
- हमें वाहन चलाते समय ड्राइविंग लाइसेंस अपने पास रखना चाहिए, अन्यथा जुर्माना हो सकता है।
- दुपहिया वाहन चलाते समय हमें हेलमेट पहनना चाहिए तथा इस पर अधिकतम दो व्यक्ति हो सकते हैं।
- कार, जीप इत्यादि मोटर वाहन चलाते समय हमें सीट बेल्ट जरूर पहननी चाहिए।
- शराब पीकर वाहन नहीं चलाना चाहिए।
- वाहन सड़क के बायीं ओर चलाना चाहिए।
प्रश्न 12.
अनेक दुर्घटनाएँ ड्राइवर के शराब के नशे में होने के कारण होती है। शराब पीकर वाहन क्यों नहीं चलाना चाहिए?
उत्तर:
शराब के अनेक दुष्प्रभाव हैं, जो निम्न प्रकार हैं-
- सड़क दुर्घटना में शराब का सेवन एक महत्त्वपूर्ण कारक है जो वाहनों की भिड़न्त एवं गम्भीर चोट का खतरा बढ़ाती है जिससे मृत्यु तक हो सकती है।
- शराब कार्य करने की निष्पादन क्षमता को घटाती है।
- शराब शारीरिक गतिशीलता एवं दिमाग द्वारा नियन्त्रण की क्षमता को प्रभावित करती है।
- यह गति एवं दूरी को समझने की क्षमता को भी | बाधित करती है।
- शराब का प्रभाव गुस्से को बढ़ाता है, अतः लड़ाई| झगड़े की सम्भावना बढ़ जाती है। अतः शराब पीकर वाहन नहीं चलाना चाहिए।
प्रश्न 13.
“यदि मैं एक यातायात पुलिस का सिपाही होता।” इस विषय पर अपनी नोटबुक में एक पृष्ठ लिखिये।
अथवा
यदि आप एक यातायात सिपाही होते तो सुगम यातायात व्यवस्था के लिए क्या करते ? लिखिए।
उत्तर:
यदि मैं यातायात पुलिस का सिपाही होता तो
- मैं यातायात के नियमों का सख्ती से पालन करवाता ताकि यातायात व्यवस्था सुचारु रूप से चलती रहे और दुर्घटनाएँ न हों।
- मैं यह देखता कि सभी वाहन चालक ड्राइविंग लाइसेंस अपने साथ रखते हैं या नहीं। वे हेलमेट या सीट-बेल्ट पहनते हैं या नहीं।
- यदि कोई अवयस्क वाहन चला रहा है तो मैं उसे पकड़ता और उस पर एवं वाहन मालिक पर जुर्माना लगाता ताकि अवयस्क व्यक्ति आगे वाहन न चलाये तथा वाहन मालिक यह ध्यान रखे कि किसी अवयस्क को अपना वाहन न दे।
- मैं यह देखता कि सभी चौपहिया वाहन के ड्राइवर अपनी सीट बेल्ट पहन कर ही वाहन चलायें। यदि कोई इसका उल्लंघन करता पाया जाता तो उस पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 138
- सी.एम.वी.आर 177 के तहत सीट बेल्ट नहीं पहनने वाले वाहन चालक से जुर्माना लेता।
- मैं यह देखता कि लाल बत्ती होने पर सभी वाहन स्टॉपलाइन से पहले रुकें तथा हरी बत्ती होने पर ही चलें
- मैं यह देखता कि जब पैदल यात्री जेब्रा क्रॉसिंग से सड़क पार कर रहे हों तो वाहन धीरे करें और उनको सड़क पार करने दें।
- शराब पीकर वाहन चलाने वालों की धर-पकड़ करता।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
बहुविकल्पात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान का उच्च न्यायालय कहाँ है?
(अ) जयपुर
(ब) अजमेर
(स) जोधपुर
(द) बाड़मेर
उत्तर:
(स) जोधपुर
प्रश्न 2.
सम्प्रभु राष्ट्रों के आपसी सम्बन्धों को संचालित करने वाले कानून कहलाते हैं
(अ) राष्ट्रीय कानून
(ब) अन्तर्राष्ट्रीय कानून
(स) सामाजिक कानून
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) अन्तर्राष्ट्रीय कानून
प्रश्न 3.
राजीव वाहन चलाने के योग्य होने पर किस लाइसेन्स के लिए आवेदन करेगा?
(अ) ड्राइविंग लाइसेंस
(ब) मेडिकल लाइसेंस
(स) दुकान लाइसेंस
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) ड्राइविंग लाइसेंस
प्रश्न 4.
राजू को स्कूटर चलाते हुए यातायात पुलिस ने रोक कर चालान बनाया। उसका कारण हो सकता है-
(अ) हेलमेट नहीं पहनना
(ब) ड्राइविंग लाइसेन्स नहीं होना
(स) स्कूटर का बीमा नहीं होना
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5.
सोहन ने ट्रैफिक नियम का उल्लंघन किया। उसका चालान करेगी-
(अ) सामान्य पुलिस
(ब) सेना
(स) सी.बी.आई.
(द) ट्रैफिक पुलिस
उत्तर:
(द) ट्रैफिक पुलिस
प्रश्न 6.
सरकारी तन्त्र के भ्रष्टाचार को रोकने से सम्बन्धित अधिनियम है-
(अ) सूचना का अधिकार अधिनियम
(ब) नागरिक उपभोक्ता अधिनियम
(स) घरेलू महिला हिंसा सुरक्षा अधिनियम
(द) रौलेट एक्ट
उत्तर:
(अ) सूचना का अधिकार अधिनियम
प्रश्न 7.
भारत की सर्वोच्च अदालत है
(अ) उपखण्ड न्यायालय
(ब) जिला न्यायालय
(स) उच्च न्यायालय
(द) उच्चतम न्यायालय
उत्तर:
(द) उच्चतम न्यायालय
प्रश्न 8.
कानून को वैधानिक आधार प्रदान करती है
(अ) राज्य की सत्ता
(ब) ईश्वरीय सत्ता
(स) न्याय की अवधारणा
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) राज्य की सत्ता
प्रश्न 9.
निम्न में से कौनसा कानून स्त्रियों के संरक्षण व उनकी सामाजिक सुरक्षा से सम्बन्धित नहीं है
(अ) घरेलू हिंसा से सुरक्षा
(ब) पैतृक सम्पत्ति में पुत्री का हिस्सा
(स) कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबन्ध
(द) सूचना का अधिकार अधिनियम
उत्तर:
(द) सूचना का अधिकार अधिनियम
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
1. बस/रेल में बिना टिकिट यात्रा करना ……….. है। (कानूनी अपराध/सामाजिक अपराध/धार्मिक अपराध)
2. सरकारों के मध्य परस्पर मतभेद होने पर वे …………. की शरण लेती हैं। (व्यवस्थापिका/कार्यपालिका/न्यायपालिका)
3. शराब कार्य करने की निष्पादन क्षमता को::…..है। (बढ़ाती/घटाती/बनाये रखती)
4. राज्य की सत्ता कानूनों को ………….. आधार प्रदान करती ( धार्मिक/सामाजिक/वैधानिक)
5. …………. कानून सम्प्रभु राष्ट्रों के आपसी सम्बन्धों को संचालित करते हैं। (अन्तर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय/सामाजिक)
6. संघवाद में केन्द्र एवं राज्यों के मध्य विवाद का समाधान …………….. करता है। (सर्वोच्च न्यायालय/उच्च न्यायालय/राष्ट्रपति)
7. न्यायपालिका उचित-अनुचित का निर्धारण ……………के अनुसार करती है। (कानून/धर्म/जनमत)
8. ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए …………… वर्ष की आयु निर्धारित की गई है। (14/18/21)
9. आधुनिक राज्यों में कानूनों का निर्माण …………. द्वारा किया जाता है। (विधायिका/कार्यपालिका/न्यायपालिका)
10. राज्य (प्रान्त) में सबसे बड़ा न्यायालय ………….. होता है। (जिला न्यायालय/उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय)
उत्तर:
1. कानूनी अपराध
2. न्यायपालिका
3. घटाती
4. वैधानिक
5. अन्तर्राष्ट्रीय
6. सर्वोच्च न्यायालय
7. कानून
8. 18
9. विधायिका
10. उच्च न्यायालय
निम्न में से सत्य/असत्य कथनों को छाँटिए :
1. सर्वोच्च न्यायालय अभिलेखीय न्यायालय भी है।
2. राजस्थान का उच्च न्यायालय अजमेर में है।
3. लोक अदालत के फैसले के विरुद्ध कोई भी पक्ष किसी भी न्यायालय में अपील नहीं कर सकता है।
4. वाहन चलाने के लिए 25 वर्ष की आयु निर्धारित की गई है।
5. कानून सभी के ऊपर समान रूप से लागू होते हैं।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. सत्य
4. असत्य
5. सत्य
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित करें-
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
(i) लोक अदालत | निःशुल्क वकील उपलब्ध करवाना |
(ii) फास्ट ट्रेक अदालत | समझाइश और राजीनामा |
(iii) जनहित याचिका | मुकदमों की शीघ्र कार्यवाही |
(iv) विधिक सहायता सेवा | तीसरे पक्ष द्वारा सार्वजनिक हित में दायर मुकदमा |
उत्तर:
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
(i) लोक अदालत | समझाइश और राजीनामा |
(ii) फास्ट ट्रेक अदालत | मुकदमों की शीघ्र कार्यवाही |
(iii) जनहित याचिका | तीसरे पक्ष द्वारा सार्वजनिक हित में दायर मुकदमा |
(iv) विधिक सहायता सेवा | निःशुल्क वकील उपलब्ध करवाना |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कानून हमारे जीवन को कैसा बनाते हैं?
उत्तर:
कानून हमारे जीवन को सरल और सहज बनाते हैं।
प्रश्न 2.
कानून के दो पहलू कौनसे होते हैं?
उत्तर:
कानून के दो पहलू होते हैं-
- दमनात्मक और
- सहयोगात्मक
प्रश्न 3.
लोकतन्त्र में कानून किस पर आधारित होते हैं?
उत्तर:
लोकतन्त्र में कानून प्रायः जन-इच्छा पर आधारित होते हैं।
प्रश्न 4.
कानून से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कानून से अभिप्राय सरकार द्वारा निर्मित बाध्यकारी नियमों से है, जो समाज में व्यक्ति के व्यवहारों एवं कार्यों को संचालित करते हैं।
प्रश्न 5.
‘सामाजिक कानून’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वर्तमान समय में भी कुछ कानून परम्पराओं, रीतिरिवाजों तथा धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होते हैं। ये सामाजिक कानून कहलाते हैं।
प्रश्न 6.
हमारे स्वतन्त्रता आन्दोलन में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गये कई कानूनों का विरोध क्यों किया गया था?
उत्तर:
क्योंकि वे कानून समानता और न्याय का उल्लंघन कर रहे थे।
प्रश्न 7.
हमारे देश में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना क्यों की गई है?
उत्तर:
हमारे देश में कानूनों की व्याख्या एवं संविधान के अनुसार न्याय प्रदान करने के लिए स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की गई है।
प्रश्न 8.
हमारे देश में संवैधानिक कानूनों की व्याख्या कौनसा न्यायालय करता है?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय।
प्रश्न 9.
संवैधानिक मुकदमे कौनसे होते हैं?
उत्तर:
ऐसे विवाद जो संविधान से सम्बन्धित हों।
प्रश्न 10.
दीवानी मुकदमे कौनसे होते हैं?
उत्तर:
जमीन की बिक्री, चीजों की खरीददारी, विवाह, तलाक, किराया तथा सम्पत्ति से सम्बन्धित मुकदमे
प्रश्न 11.
अपील से क्या आशय है?
उत्तर:
निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध पुनः विचार के लिए जब कोई पक्ष ऊपरी अदालत में जाता है तो यह अपील करना कहलाता है।
प्रश्न 12.
न्यायपालिका की स्वतन्त्रता क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
न्यायपालिका निष्पक्ष होकर न्याय कार्य कर सके, इसलिए इसकी स्वतन्त्रता आवश्यक है।
प्रश्न 13.
फौजदारी मुकदमे कौनसे होते हैं?
उत्तर:
चोरी, अपराध, हत्या, डकैती, मारपीट आदि से सम्बन्धित मुकदमे फौजदारी मुकदमे कहलाते हैं।
प्रश्न 14.
लोक अदालत किस प्रकार दूसरी अदालतों से बेहतर है?
उत्तर:
लोक अदालतों में आपसी समझौते द्वारा विवादों का निपटारा किया जाता है। इससे लोगों के धन एवं समय का अपव्यय रुकता है। अतः ये दूसरी अदालतों से बेहतर हैं
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कानून क्या होते है?
उत्तर:
कानून का मतलब सरकार द्वारा निर्मित ऐसे बाध्यकारी नियमों से है जो समाज में व्यक्ति के व्यवहार एवं कार्यों को संचालित करते हैं तथा हमारे जीवन को। सहज और सरल बनाते हैं। इनके उल्लंघन करने पर दंड मिलता है।
प्रश्न 2.
कानूनों को बनाना क्यों आवश्यक है?
अथवा
कानून के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- कानून समाज में व्यक्ति के व्यवहार एवं कार्यों को संचालित करते हैं।
- ये हमारे जीवन को सहज व सरल बनाते हैं।
- कानून का उल्लंघन करने पर दण्ड मिलता है।
- नियन्त्रण के साथ-साथ कानून हमें अधिकार और सुविधाएँ भी प्रदान करता है।
प्रश्न 3.
हमें कानून की जानकारी क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्रथमतः कानून के उल्लंघन से बचने के लिए हमें कानून की जानकारी आवश्यक है। दूसरे, कानून हमें अधिकार व सुविधाएँ भी प्रदान करता है। इन अधिकारों व सुविधाओं ,का लाभ लेने के लिए भी हमें कानून की जानकारी का होना आवश्यक है।
प्रश्न 4.
कानून के प्रकार बताइये।
उत्तर:
कानून के प्रकार – मोटे रूप से कानून के तीन प्रकार बताये जा सकते हैं-
- सामाजिक कानून
- राष्ट्रीय कानून
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून यथा
1. सामाजिक कानून – परम्पराओं, रीति-रिवाजों तथा धार्मिक मान्यताओं पर आधारित कानून ‘सामाजिक कानून कहलाते हैं।
2. राष्ट्रीय कानून – राष्ट्रीय कानून एक देश के भीतर रहने वाले नागरिकों और संस्थाओं पर लागू होते हैं। इन्हें देश की विधायिका द्वारा बनाया जाता है।
3. अन्तर्राष्ट्रीय कानून – अन्तर्राष्ट्रीय कानून सम्प्रभु राज्यों के आपसी सम्बन्धों को संचालित करते हैं।
प्रश्न 5.
क्या कानूनों की अवज्ञा हो सकती है?
उत्तर:
हाँ, जन – विरोधी एवं अलोकप्रिय कानूनों की अवज्ञा हो सकती है। उदाहरण के लिए, भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हमारे स्वतन्त्रता सेनानियों ने ऐसे जन-विरोधी कानूनों का विरोध किया, जैसे-रौलेट एक्ट, नमक कानून, साम्प्रदायिक पंचाट आदि। ये कानून समानता और न्याय का उल्लंघन कर रहे थे।
प्रश्न 6.
भारत में न्यायपालिका की संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
न्यायपालिका की संरचना – भारत में एकीकृत न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है जिसमें सबसे नीचे के स्तर पर स्थानीय एवं जिला अदालतें होती हैं। फिर प्रत्येक राज्य में या कुछ राज्यों में संयुक्त रूप से उच्च न्यायालय है। सबसे ऊपर एक सर्वोच्च न्यायालय है।
प्रश्न 7.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए क्या अर्हताएँ हैं?
उत्तर:
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए अर्हताएँउच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए निम्नलिखित आवश्यक योग्यताएँ होनी चाहिए
- वह भारत का नागरिक हो।
- वह भारत के किसी राज्य में कम से कम 10 वर्ष तक किसी न्यायिक पद पर रहा हो।
अथवा
उसने उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक वकालत की हो।
प्रश्न 8.
न्यायपालिका की स्वतन्त्रता क्यों आवश्यक है? भारत में न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु क्या प्रावधान किये गये हैं?
उत्तर:
न्यायपालिका की स्वतन्त्रता की आवश्यकता- न्याय करने का कार्य बिना किसी दबाव एवं हस्तक्षेप से, निष्पक्ष रूप से तभी हो सकता है, जब न्यायपालिका स्वतन्त्र रूप से कार्य करे।
भारत में न्यायपालिका की स्वतन्त्रता के लिए किए गए प्रावधान-
- संविधान में न्यायपालिका को व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका से अलग रखा है।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया, कार्यकाल की सुरक्षा, न्यायाधीशों की सेवा-शर्ते आदि में व्यवस्थापिका का कोई हस्तक्षेप नहीं है।
- न्यायपालिका को वित्तीय रूप से स्वतन्त्रता प्रदान की गई है।
- न्यायाधीशों के कार्य, आचरण और निर्णयों को व्यक्तिगत आलोचना से मुक्त रखा गया है।
प्रश्न 9.
फास्ट ट्रेक अदालतें क्या हैं?
उत्तर:
फास्ट ट्रेक अदालतें – न्यायालयों में मुकदमों की बढ़ती हुई संख्या के कारण कई वर्षों तक मुकदमों का निर्णय नहीं हो पाता है। अतः लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से त्वरित न्यायालयों (फास्ट ट्रैक कोर्ट) की स्थापना की गई है। इन न्यायालयों में गम्भीर किस्म के कुछ विशेष प्रकरणों की दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर त्वरित निर्णय किए जाते हैं।
प्रश्न 10.
विधिक सहायता सेवा क्या है? यह सेवा किन्हें उपलब्ध करवायी जाती है?
उत्तर:
विधिक सहायता सेवा – समाज के कमजोर वर्गों को सरकार की ओर से विधिक सहायता सेवा का प्रावधान किया गया है। इस सेवा के अन्तर्गत मुकदमे की पैरवी करने हेतु वकील की नि:शुल्क सेवा उपलब्ध कराई जाती है। ऐसे नागरिक जिनकी वार्षिक आय 1,25,000 रुपये तक हो या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्य हों, उन्हें यह सेवा प्रदान की जाती है। महिला, बालक, निराश्रित, बंदी एवं आपदाग्रस्त व्यक्तियों को भी यह सुविधा उपलब्ध करायी जाती है।
प्रश्न 11.
विधिक साक्षरता क्या है?
उत्तर:
विधिक साक्षरता – कानूनों की जानकारी के अभाव में किसी कानून का उल्लंघन हो जाने की स्थिति, उस उल्लंघन के अपराध के दण्ड से विमुक्ति का आधार नहीं हो सकती। अतः सभी लोगों को कानूनों की जानकारी होना आवश्यक है। विधिक साक्षरता के अन्तर्गत नागरिकों को अपने मूल अधिकारों की रक्षा करने व अन्य आवश्यक कानूनों की सामान्य जानकारी दी जाती है। कानून की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी, वकील व कानून विशेषज्ञ समय-समय पर शिविर, मेले, जनसभाएँ इत्यादि के द्वारा लोगों को यह जानकारी देते हैं।
प्रश्न 12.
विधिक साक्षरता के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
विधिक साक्षरता के लाभ – विधिक साक्षरता के निम्नलिखित लाभ हैं
- विधिक साक्षरता से समाज में भाईचारे को बढ़ावा मिलता
- इससे अपराधों में कमी आती है।
- इससे नागरिकों में उत्तरदायित्व का बोध विकसित होता है।
प्रश्न 13.
राजस्थान में ग्राम न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
ग्राम न्यायालय – ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर शीघ्र और सुलभ न्याय दिलाने हेतु ग्राम न्यायालय एक्ट 2008 के तहत राजस्थान में ग्राम न्यायालयों की स्थापना की गई है। राजस्थान में पहला ग्राम न्यायालय बस्सी, जिलाजयपुर में खोला गया। इन ग्राम न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति उच्च न्यायालय के परामर्श से की जाती है।
प्रश्न 14.
‘हमारे देश में एकीकृत न्यायपालिका है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हमारे देश में एकीकृत न्यायपालिका है क्योंकि यहाँ सबसे नीचे के स्तर पर स्थानीय और जिला अदालतें हैं। राज्य स्तर पर उच्च न्यायालय या कुछ राज्यों में संयुक्त रूप से उच्च न्यायालय हैं। सबसे ऊपर राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वोच्च न्यायालय है। स्थानीय और जिला अदालतों के निर्णयों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है और उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय अन्तिम अपीलीय न्यायालय है। इससे स्पष्ट होता है कि हमारे देश में एकीकृत न्यायपालिका है।
प्रश्न 15.
मानवीय जीवन पर नशीले पदार्थ के दुष्प्रभावों को लिखिए।
उत्तर:
मानवीय जीवन पर नशीले पदार्थ के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं|
- नशीले पदार्थ का सेवन करने से व्यक्ति की कार्य करने की निष्पादन क्षमता घट जाती है और शारीरिक गतिशीलता एवं दिमाग द्वारा नियंत्रण की क्षमता प्रभावित होती है।
- नशीले पदार्थ का सेवन गति एवं दूरी को समझने की क्षमता को बाधित करता है।
- नशीले पदार्थ के सेवन का प्रभाव व्यक्ति के गुस्से को बढ़ाता है। अतः झगड़े की सम्भावना बढ़ जाती है।
- नशीले पदार्थ का सेवन कर वाहन चलाने से दूसरे वाहन से भिड़न्त हो सकती है, जिससे व्यक्ति को चोट लग सकती है अथवा मृत्यु तक हो सकती है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कानून के स्रोतों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कानून के स्रोत – कानून के प्रमुख स्रोत निम्न प्रकार हैं-
1. सरकार – राज्य में शान्ति एवं व्यवस्था बनाये रखने हेतु सरकार स्वयं आगे बढ़ कर कानून बनाती है। जैसे किसी ने कोई अपराध किया तो उसके लिए दण्ड की प्रक्रिया निर्धारण के लिए भारतीय दण्ड संहिता को बनाया गया।
2. जन – संगठनों की माँग एवं जन-आन्दोलन-कई बार समाज के विभिन्न वर्गों एवं जन-संगठनों से किसी खास कानून को बनाने के लिए माँग की जाती है। इन माँगों के प्रति संवेदनशील रहते हुए सरकार कानून बनाती है। इसी आधार पर सरकार ने महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने के लिए घरेलू हिंसा विरोधी कानून बनाया। राजस्थान के राजसमंद |जिले की भीम तहसील के गाँव देव डूंगरी में मजदूरों एवं किसानों ने अपनी मजदूरी से सम्बन्धित सरकारी रिकॉर्ड, जैसे-हाजरी और भुगतान रजिस्टर की प्रतियाँ माँगने के लिए संघर्ष किया। धीरे-धीरे उनका यह संघर्ष आन्दोलन के रूप में परिवर्तित होकर राष्ट्रव्यापी हो गया। सरकार ने अन्त में जनता की इस भावना को स्वीकार कर एक क्रान्तिकारी एवं महत्त्वपूर्ण कानून ‘सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 बनाया, जो कि सरकारी स्तर पर जन-भागीदारी एवं पारदर्शिता को बढ़ाने का शक्तिशाली कदम साबित हुआ है।
3. तात्कालिक परिस्थितियाँ – कभी-कभी देश में ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हो जाती हैं, जिनमें कानून बनाना जरूरी हो जाती है। आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार ने तुरन्त कानून बनाया था।
प्रश्न 2.
उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार :
उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-
- प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार – कुछ मामले सीधे ही उच्च न्यायालयों में प्रारम्भ किये जा सकते हैं, जैसे-मौलिक अधिकार सम्बन्धी याचिकाएँ या मामले।
- अपीलीय क्षेत्राधिकार – उच्च न्यायालय में राज्य के अधीनस्थ जिला एवं सत्र न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध अपील की जा सकती है।
- पर्यवेक्षणीय अधिकार – उच्च न्यायालय को राज्य के समस्त न्यायालयों का निरीक्षण करने, सूचना प्राप्त करने, उनकी कार्यप्रणाली एवं कार्यवाहियों के संचालन सम्बन्धी नियम बनाने का अधिकार है। उच्च न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालयों के प्रकरणों की कानूनी व्याख्या करने के लिए उन्हें अपने पास मँगवाने का भी अधिकार है।
प्रश्न 3.
कानून का पालन करना क्यों आवश्यक है?
अथवा
यदि आप कानून का उल्लंघन करेंगे तो उसके क्या परिणाम होंगे?
उत्तर:
हमें कानून को अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए क्योंकि कानून हमारी भलाई के लिए होते हैं। ये हमारे जीवन को सहज और सरल बनाते हैं। कानून का उल्लंघन करने पर दण्ड मिलता है।
1. गलत कार्यों पर नियंत्रण के लिए कानून का पालन आवश्यक – यदि हम कानून का उल्लंघन करेंगे तो हमारा जीवन कठिन हो जायेगा क्योंकि समाज में होने वाले गलत कार्यों पर नियंत्रण नहीं रहेगा। कानून का पालन करने से गलत कार्यों पर नियंत्रण बना रहता है।
2. समानता की स्थापना – कानून सामाजिक समानता की स्थापना करता है क्योंकि कानून सभी के ऊपर समान रूप से लागू होते हैं। यह धर्म, जाति या लिंग के आधार पर लोगों के बीच भेदभाव नहीं करता। यदि हम कानून का उल्लंघन करेंगे तो इससे सामाजिक भेदभाव को भी बढ़ावा मिलेगा।
3. सामाजिक न्याय की स्थापना – लोकतंत्र में कानून बनाते समय सामाजिक न्याय की अवधारणा को महत्त्व दिया जाता है। सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय की स्थापना से ही लोकतंत्र का विकास होता है। यदि हम कानून का उल्लंघन करेंगे तो इससे न्याय की स्थापना अवरुद्ध हो जायेगी और न्याय के अवरुद्ध होते ही लोकतंत्र का विकास रुक जाएगा। लोकतंत्र के अवरुद्ध होने पर व्यक्ति का विकास रुक जायेगा।
प्रश्न 4.
हमारे देश में वंचित लोगों को न्याय उपलब्ध कराने के कौन-कौनसे नवीन प्रयास किये जा रहे हैं?
उत्तर:
वंचित लोगों को न्याय उपलब्ध कराने के नवीन प्रयास :
हमारे देश में वंचित लोगों को न्याय उपलब्ध कराने के लिए वर्तमान में अनेक नवीन प्रयास किये जा रहे हैं, इनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं
1. जनहित याचिका – ऐसे लोग जो किसी प्रतिकूल परिस्थिति, जैसे-अशिक्षा, अज्ञानता या गरीबी के कारण न्याय प्राप्ति के लिए स्वयं न्यायालय में नहीं जा सकते, उनके अधिकारों की रक्षा के लिए किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा मुकदमा दायर किया जा सकता है। इसे जनहित याचिका कहते हैं। जनहित याचिका के माध्यम से वंचित व्यक्तियों या समूहों को न्याय सुलभ हुआ है। इन याचिकाओं से कार्यपालिका की जवाबदेही तथा व्यवस्थापिका की सजगता में वृद्धि हुई है।
2. विधिक सहायता सेवा – समाज के कमजोर वर्गों को सरकार की ओर से विधिक सहायता सेवा का प्रावधान किया गया है। इसके अन्तर्गत मुकदमे की पैरवी करने हेतु सरकार द्वारा वकील की नि:शुल्क सेवा उपलब्ध कराई जाती है। ऐसे नागरिक जिनकी वार्षिक आय 125000 रुपये तक हो, या वे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्य हों, या महिला, बालक, निराश्रित, बंदी या आपदाग्रस्त हों, तो उन्हें यह सेवा प्रदान की जाती है।
3. विधिक साक्षरतो – विधिक साक्षरता के तहत नागरिकों को अपने मूल अधिकारों की रक्षा करके व अन्य आवश्यक कानूनों की सामान्य जानकारी प्रदान की जाती है। कानून के विद्यार्थी, वकील या कानून विशेषज्ञ समय-समय पर विधिक साक्षरता शिविर, मेले, जनसभाएँ आदि के द्वारा लोगों को कानूनों की जानकारी देते हैं। इस प्रकार हमारे देश में वंचित लोगों को न्याय प्रदान के लिए अनेक नवीन प्रयास किये जा रहे हैं।
प्रश्न 5.
न्याय तक सबकी पहुँच हो, न्याय शीघ्र सुलभ और सस्ता हो इसके लिए हमारे देश में कौन-कौनसे उपाय किये गये हैं?
उत्तर:
न्याय तक सबकी पहुँच हो और न्याय शीघ्र, सुलभ व सस्ता हो इसके लिए हमारे देश में अनेक महत्त्वपूर्ण उपाय किये गये हैं। इनमें कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं-
1. लोक अदालत – वर्तमान में लोक अदालतें गाँवों में पहुँचकर आपसी समझौते के द्वारा विवादों का निपटारा कर लोगों के धन और समय के अपव्यय को रोक रही हैं। इनके फैसले सभी पक्षों को अनिवार्य रूप से मान्य होते हैं तथा इनके फैसले के विरुद्ध कोई भी पक्ष किसी भी न्यायालय में अपील नहीं कर सकता। ये नियमित अदालतों से अलग हैं।
2. त्वरित न्यायालय – न्यायालय में मुकंदमों की बढ़ती संख्या के कारण उनके निर्णयों में देरी हो रही है। गंभीर किस्म के कुछ विशेष प्रकरणों में लोगों को शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से त्वरित न्यायालयों की स्थापना की गई है। इन न्यायालयों में मुकदमों की दिन-प्रतिदिन सुनवाई करे त्वरित निर्णय किये जाते हैं।
3. ग्राम न्यायालय – ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर शीघ्र एवं सुलभ न्याय दिलवाने हेतु ग्राम न्यायालयों की स्थापना की गई है।
प्रश्न 6.
सरकार कानून क्यों बनाती है? समझाइये।
उत्तर:
सरकार निम्नलिखित कारणों से कानून बनाती है
- शांति – व्यवस्था बनाए रखना – राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखना सरकार का मुख्य कर्तव्य है। इसी कर्तव्य को पूरा करने के लिए सरकार स्वयं आगे बढ़कर आवश्यकतानुसार कानून बनाती है।
- जनता की माँगों को पूरा करने के लिए – कई बार समाज के विभिन्न वर्गों एवं जन संगठनों से किसी खास कानून को बनाने के लिए माँग उठाई जाती है। इन माँगों के प्रति संवेदनशील रहते हुए सरकार कानून बनाती है। जैसे-सूचना का अधिकार अधिनियम 2005।
- विशिष्ट परिस्थिति से निपटने हेतु – कभी-कभी देश में ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हो जाती हैं, जिसमें कानून बनाना जरूरी हो जाता है। जैसे- आतंकवाद को रोकने के लिए सरकार ने तुरन्त कानून बनाया था।
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