RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 20 आपदाएँ एवं प्रबन्धन are part of RBSE Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 20 आपदाएँ एवं प्रबन्धन.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science |
Chapter | Chapter 20 |
Chapter Name | आपदाएँ एवं प्रबन्धन |
Number of Questions Solved | 79 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 20 आपदाएँ एवं प्रबन्धन
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत का जिस प्राकृतिक आपदा से सम्बन्ध नहीं है, वह है-
(अ) भूकम्प
(ब) बाढ़
(स) भूस्खलन
(द) ज्वालामुखी
उत्तर:
(द) ज्वालामुखी
प्रश्न 2.
भारत में भूकम्प जिस क्षेत्र में अधिक आते हैं, वह है-
(अ) दक्षिण के पठार
(ब) हिमालय
(स) मध्य भारत
(द) तटीय भारत
उत्तर:
(ब) हिमालय
प्रश्न 3.
भारत में निम्नलिखित में से जिस पर्वतीय क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएँ अधिक होती हैं, वह है-
(अ) अरावली
(ब) हिमालय
(स) सतपुड़ा
(द) विन्ध्याचल
उत्तर:
(ब) हिमालय
प्रश्न 4.
बंगाल का शोक जिस नदी को कहते हैं, वह है-
(अ) कोसी
(ब) दामोदर
(स) गंगा
(द) स्वर्ण रेखा
उत्तर:
(ब) दामोदर
प्रश्न 5.
भारत के जिस क्षेत्र में सूखा अधिक पड़ता है, वह है-
(अ) उत्तर का मैदान
(ब) पूर्वोत्तर क्षेत्र
(स) पश्चिमी क्षेत्र
(द्र) तटीय क्षेत्र
उत्तर:
(स) पश्चिमी क्षेत्र
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदाएं किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जिन प्राकृतिक परिवर्तनों का अत्यधिक दुष्प्रभाव मानव समाज पर पड़ता है उन्हें प्राकृतिक आपदाएं कहते हैं।
प्रश्न 2.
भूकम्प किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी के आन्तरिक भाग में होने वाली विवर्तनिकी घटना के कारण जब पृथ्वी के किसी भाग में कम्पने उत्पन्न होता है तो उसे भूकम्प कहते हैं।
प्रश्न 3.
भूस्खलन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मिट्टी तथा चट्टानों को ढलान पर ऊपर से नीचे की ओर खिसकने, लुढ़कने तथा गिरने की प्रक्रिया को भूस्खलन कहते हैं।
प्रश्न 4.
बाढ़ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब भारी अथवा निरन्तर वर्षा के कारण नदियों को जल अपने तटबन्धों को तोड़कर बहुत बड़े क्षेत्र में फैल जाता है तो उसे बाढ़ कहते हैं।
प्रश्न 5.
बिहार का शोक किस नदी को कहते हैं ?
उत्तर:
कोसी नदी को।
प्रश्न 6.
सूखे का प्रमुख कारण क्या है ?
उत्तर:
सूखे का प्रमुख कारण पर्याप्त वर्षा का न होना है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रबन्धन से क्या आशय है ?
उत्तर:
प्रबन्धन से आशय-प्रबन्धन से आशय उन कार्यों, निर्णयों व जिम्मेदारियों से है जो प्राकृतिक आपदाओं की विकरालती को कम करने में सहायक हों तथा विपत्ति आने पर सफलतापूर्वक उनका सामना कर सके। प्रबन्धन को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-
- आर्थिक स्थिति
- व्यक्ति की सकारात्मक सोच
- सहयोग की भावना
- सामाजिक ईमानदारी व निष्ठा
- भौगोलिक परिस्थितियाँ
- परिवहन व संचार के साधनों की स्थिति
- जनसंख्या का घनत्व आदि।
प्रश्न 2.
भारत के किस क्षेत्र में अधिक भूकम्प आते हैं व क्यों ?
उत्तर:
भारत में अब तक आए प्रमुख भूकम्पों के अध्ययन से पता चलता है कि उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र व उसकी तलहटी में सर्वाधिक भूकम्प आते हैं इसका प्रमुख कारण यहाँ नवीन मोड़दार पर्वतों का होना है। हिमालय भी मोड़दार पर्वत का हिस्सा है जो अभी भी उत्थान की अवस्था में है। हिमालय क्षेत्र में अभी भी सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है, अतः भारत के इसी क्षेत्र में भूकम्प सर्वाधिकं आते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र-भारत में बाढ़ों से होने वाली 90 प्रतिशत से अधिक क्षति उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में होती है। भारत के उत्तर-पश्चिम में बहने वाली नदियाँ सतलज, व्यास, रावी, चिनाब व झेलम से बाढ़ की भयंकरता कम होती है, जबकि पूर्व में बहने वाली गंगा, यमुना, गोमती, घाघरा व गंडक आदि नदियों से अपेक्षाकृत अधिक बाढ़ आती है। कोसी व दामोदर नदियों में तो बाढ़े महाविनाशकारी होती हैं इसीलिए कोसी नदी को बिहार का शोक’ व दामोदर नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता है। देश के उत्तरी-पूर्वी भाग में प्रवाहित ब्रह्मपुत्र नदी में भी प्रतिवर्ष बाढ़ आती है।
प्रश्न 4.
त्रिकाल को समझाइए।
उत्तर:
त्रिकाल से आशय-सूखे के कारण अकाल के तीन स्वरूप स्पष्ट होते हैं-प्रथम, वर्षा कम होने के कारण पर्याप्त अन्न का उत्पादन न हो पाना, अन्न का अकाल कहलाता है। द्वितीय, यदि वर्षा इतनी कम हुई हो कि न तो पर्याप्त अन्न पैदा हुआ हो और न ही पर्याप्त चारा पैदा किया जा सका हो तो वह अन्न व चारे दोनों का अकाल कहलाता है, इसे द्विकाल भी कहते हैं। तृतीय, यदि वर्षा इतनी कम हुई है कि अन्न व चारे के साथ पीने के लिए पर्याप्त जल भी उपलब्ध न हो तो इसे त्रिकाल कहते हैं।
प्रश्न 5.
सन् 1984 में भारत के किस शहर में रासायनिक गैस रिसाव से बड़ी दुर्घटना हुई थी ?
उत्तर:
रसायनों का असुरक्षित ढंग से स्वार्थपूर्ण उपयोग व उनका रिसाव पूरे समुदाय के लिए खतरा पैदा कर सकता है। भारत में सन् 1984 में भोपाल शहर में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक बनाने के कारखाने से जहरीली गैस के रिसाव से कुछ ही घण्टों में लगभग 3000 लोग मर गये थे जो बच गये वे आज भी उसके दुष्परिणामों को भुगत रहे हैं।
प्रश्न 6.
र्वप्रथम एन्टैक्स से मौतें किस देश में हुई थीं ?
उत्तर:
सर्वप्रथम एन्ट्रैक्स से मौतें संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी। सन् 2001 में वहाँ दो डाककर्मियों की अस्पष्ट कारणों से मृत्यु हो गई थी। जाँच में मृत्यु के कारणों में एन्धैक्स की आशंका प्रकट की गई। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि 100 ग्राम एन्ट्रैक्स से किसी नगर के 30 लाख लोगों की मृत्यु हो सकती है। इसीलिए जैविक आयुधों को गरीबों को नाभिकीय बम कहा जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदा भूकम्प को सामना किंस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर:
भूकम्प एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो कुछ क्षणों में विनाशकारी परिवर्तनों का ऐसा स्वरूप मानव समाज के सामने प्रस्तुत करती है कि हृदय दहल जाता है। भूकम्प से पृथ्वी की सतह पर दरारें पड़ जाती हैं, आवागमन के मार्ग टूट जाते हैं, भवन रेत के ढेर की तरह भरभरा कर गिर जाते हैं, नहरों, पुलों, बाँधों आदि को भारी नुकसान पहुँचता है। तथा बहुत बड़ी संख्या में लोग काल का ग्रास बन जाते हैं। भूकम्प से बचाव व प्रबन्धन भूकम्प का सामना करने के लिए उससे बचाव के प्रबन्धन का अध्ययन हम दो स्तरों पर कर सकते हैं-
1. सरकारी व सामाजिक स्तर पर – भूकम्प आने पर सरकार तत्काल राहत व सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास करती है। भारत में जनसंख्या घनत्व अधिक होने के कारण यहाँ जनहानि की सम्भावनाएँ अधिक रहती हैं। अत: यह आवश्यक है कि सरकार द्वारा पूरे देश में भूकम्प मापन यंत्रों का जाल बिछा दिया जाए, जिससे भूगर्भ की हलचलों का ज्ञान होता रहे तथा जैसे ही तीव्रगति के भूकम्प की सम्भावना हो लोगों को तुरन्त संचार एवं प्रचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा सजग कर दिया जाए तथा उन्हें बचाव के उपाय भी बताये जाएँ।
2. व्यक्तिगत स्तर पर – भूकम्प आने का अहसास होने पर व्यक्तिगत स्तर पर भी सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे-घरों से बाहर खुली जगह पर निकलना चाहिए, बिजली तथा गैस बन्द कर देनी चाहिए, पालतू जीवों को मुक्त कर देना चाहिए। तीव्र भूकम्प आने से पूर्व कुछ समय तक हल्के झटके लगते हैं उस समय में ये कार्य किये जा सकते हैं। भूकम्प जैसी संकट की घड़ी में व्यक्तियों को जाति, धर्म व सम्प्रदाय के बन्धनों को त्यागकर मानवीय संवेदना का परिचय देना चाहिए तथा तन-मन-धन से एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए। इससे मानवीय सम्बन्ध और प्रगाढ़ होंगे। भारत के लोगों ने ऐसी आपदाओं से निपटने में सदैव अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
प्रश्न 2.
भूस्खलन के प्रमुख कारकों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
भूस्खलन के प्रमुख कारक। भूस्खलन के लिए किसी एक कारक को उत्तरदायी नहीं माना जा सकता है अपितु भूस्खलन के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इन्हें अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से अग्र दो भागों में बाँटा जा सकता है-
1. प्राकृतिक कारक – प्राकृतिक कारकों में चट्टानों की संरचना, भूमि का ढाल, चट्टानों में वलन व भ्रंशन, वर्षा की मात्रा व वनस्पति का अनावरण आदि कारक प्रमुख हैं। नवीन मोड़दार पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलेने अधिक होते हैं। क्योंकि वहाँ उत्थान की सतत् प्रक्रिया के कारण चट्टानों के जोड़ कमजोर होते रहते हैं तथा उन स्थानों पर ढाल भी अधिक होता है। ऐसे में यदि तीव्र वर्षा हो जाए तो वह भूस्खलन में सहायक का कार्य करती है।
2. मानवीय कारक – मानव ने अनियंत्रित विकास के कारण भूस्खलन की समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है। वनों का विनाश होने से चट्टानों व मिट्टियों पर वृक्षों की जड़ें अपनी मजबूत पकड़ को छोड़ देती हैं जिसके परिणामस्वरूप मृदा अपरदन प्रारम्भ हो जाता है। यही मृदा अपरदन धीरेधीरे भूस्खलन का रूप धारण कर लेता है। इसके अतिरिक्त सड़कों, रेलमार्गों, सुरंगों के निर्माण तथा खनन के रूप में भी मानव भूस्खलन को बढ़ावा देता है।
प्रश्न 3.
भारत में बाढ़ अधिक आने के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में बाढ़ अधिक आने के कारण प्रत्येक वर्ष भारत के किसी न किसी क्षेत्र में बाढ़ आती है। भारत में लगभग 4 करोड़ हेक्टेअर क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। अपने विशाल आकार एवं मानसूनी जलवायु के कारण बाढ़ भारत को बड़ी मात्रा में प्रभावित करती है। भारत में बाढ़ आने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- भारत में भारी वर्षा के कारण जब नदियों में प्रवाहित जल को पर्याप्त प्रवाह मार्ग नहीं मिलता है तो वर्षा का अतिरिक्त जल चारों ओर फैलने लगता है जो बड़े क्षेत्र में बाढ़ का कारण बन जाता है।
- वर्षा ऋतु में पानी के साथ बहकर आए अवसाद नदी मार्ग को संकरा व उथला कर देते हैं जिसके कारण पानी नदी किनारों से बाहर फैलकर बाढ़ का रूप धारण कर लेता है।
- धरातल से वनों व चारागाहों का लगातार विनाश भी बाढ़ का एक प्रमुख कारण बन रहा है।
- नदी प्रवाह मार्गों पर आबादी की बसावट करना।
- अविवेकपूर्ण ढंग से आवागमन के मार्गों का निर्माण करना।
- परम्परागत जलग्रहण क्षेत्रों को नष्ट करना।
- प्राकृतिक रूप से जल प्रवाहे स्वरूप की उपेक्षा करके निर्माण कार्य करना।
प्रश्न 4.
अकाल के मुकाबले के लिए किस तरह के प्रबन्धन किए जाने चाहिए ?
उत्तर:
अकाल के मुकाबले के लिए किए जाने वाले प्रबन्धन को हम अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से निम्नलिखित दो भागों में बाँट सकते हैं-
1. सरकारी व सामाजिक स्तर पर प्रबन्धन – अकाल की स्थिति जल की कम उपलब्धता के कारण उत्पन्न होती है। क्षेत्र में जल की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित की जाए, यह समाज के सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करता है। इसके लिए आवश्यक है कि गाँव-गाँव में जल संग्रहण क्षेत्रों का संरक्षण व विकास किया जाए। गाँवों में भूमिगत जलस्तर में सुधार लाने के लिए ढाल के अनुसार छोटे-छोटे एनिकट बनवाए जाने चाहिए। लोगों में जल संचय के प्रति जागरूकता पैदा करके उन्हें जल संचय क्षेत्रों का निर्माण करने एवं उन्हें संरक्षित करने में सरकार का सहयोग करने की भावना का विकास करना चाहिए। दीर्घकालीन प्रबन्धन के रूप में नदियों को आपस में जोड़ने का कार्य करना चाहिए। इससे दो लाभ होंगे-एक तो जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा जल की उपलब्धता के कारण नदियों में आती है उसमें कमी आएगी। दूसरा लाभ यह होगा कि अतिरिक्त जल उन क्षेत्रों में उपलब्ध हो जाएगा जहाँ वर्षा कम होती है तथा भूमिगत जल की उपलब्धता कम है। भूपृष्ठीय जल के इस तरह उपयोग करने से धीरे-धीरे भूमिगत जलस्तर में भी वृद्धि होगी तथा इससे कालान्तर में हरियाली को विकसित करने में सहायता प्राप्त होगी।
2. व्यक्तिगत स्तर पर प्रबन्धन – व्यक्तिगत स्तर पर अकाल के प्रबन्धन के लिए यह आवश्यक है कि सभी व्यक्ति जल के महत्व को समझें तथा जल के संचयन के प्रयासों में रुचि लें। नागरिक अपने घरों में जल संग्रह के लिए टैंक (टांका) बनवाएँ। पक्के टैंक वर्षा जल का उपयोग वर्षभर करने में उपयोगी होते हैं, जबकि कच्चे टैंक भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को भू-जल स्तर में वृद्धि के लिए वर्षा जल को खेतों में मेंढ़बन्दी करके रोकना चाहिए। किसानों को ऐसी फसलों व बीजों का चयन करना चाहिए जिनसे कम जल व कम समय में अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके। अकाल के समय प्रत्येक नागरिक को जाति, सम्प्रदाय व धर्म की दीवारों को तोड़कर एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए, इस प्रकार की भावना का विकास अकाल को सुकाल में बदल सकता है।
प्रश्न 5.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की समस्याओं व उनके समाधान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की समस्या भारत में बाढ़ से प्रतिवर्ष लगभग 2,000 से अधिक जानें जाती हैं। 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है। 35 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फसलें नष्ट हो जाती हैं। 3 करोड़ हैक्टेयर क्षेत्र में जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। प्रतिवर्ष देश को लगभग 1,000 करोड़ रुपयों की हानि उठानी पड़ती। है। लगभग 12 लाख पशुधन की हानि होती है तथा लगभग इतने ही मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि बाढ़ की समस्या जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं तथा फसलें नष्ट हो जाती हैं। पानी के स्रोत दूषित व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। संचार के साधनों को बड़ी मात्रा में क्षति पहुँचती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गन्दगी बढ़ने से महामारी फैलने का खतरा बना रहता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान एवं प्रबन्धन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान हेतु किये जाने वाले प्रबन्धन को निम्नलिखित दो स्तरों में विभाजित किया जा सकता है-
1. सरकारी व सामाजिक स्तर पर – देश में बाढ़ की विकरालता को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सबसे पहले सन् 1954 में राष्ट्रीय बाढ़ नियंत्रण योजना शुरू की गई थी। इस योजना के अन्तर्गत नदी तटबन्धों का निर्माण व जल-प्रवाह नलिकाओं का निर्माण करने के निर्णय लिए गए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बहुउद्देशीय योजनाओं के अन्तर्गत विभिन्न नदियों पर बाँध बनाने का कार्य भी किया गया। इसके अन्तर्गत महानदी, दामोदर, सतलज, व्यास, चम्बल, नर्मदा नदियों पर बाँध बनाये गये हैं। नदियों में एकत्रित होने वाला अवसाद बाढ़ का एक प्रमुख कारण बनता है इसके लिए नदियों की सफाई कराई जानी चाहिए तथा नदियों के उद्गम क्षेत्रों एवं जलग्रहण क्षेत्रों में वन लगाए जाएँ तथा वनों के दोहन को रोका जाय। इसके अतिरिक्त यातायात मार्गों के निर्माण के समय जल के प्राकृतिक प्रवाह को अवरुद्ध न किया जाए। बाढ़ की समस्या से होने वाली हानि से बचने के लिए संन् । 1954 में बाढ़ पूर्वानुमान संगठन की स्थापना की गई थी। वर्तमान में सभी जिला मुख्यालयों पर बाढ़ नियन्त्रण कक्षों की स्थापना की गई है।
2. व्यक्तिगत स्तर पर – सभी व्यक्तियों को वर्षा ऋतु में विभिन्न माध्यमों से समाचार पढ़ते एवं सुनते रहना चाहिए। यदि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे हैं तो उन्हें सरकारी आदेशों व सलाहों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। बाढ़ आने पर बिजली उपकरणों को बन्द कर देना चाहिए। घर के कीमती सामान, कपड़े वे भोजन सामग्री को सुरक्षित स्थान पर ले जाएँ। वाहनों व पालतू पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाएँ। मकान में यदि जल खतरे के निशान से ऊपर जाने लगे तो स्वयं भी मकान खाली करके परिवार के सदस्यों के साथ सुरक्षित स्थान पर चले जाएँ।
प्रश्न 6.
मानव जनित आपदाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव जनित आपदाएँ।
1. आग लगना – मानव जनित आपदाओं में आग अत्यन्त विनाशकारी आपदा है जो प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जान ले लेती है। कुछ ही क्षण में जान-माल राख में बदल जाते हैं। आग से बचने के लिए विद्युत उपकरणों का सावधानीपूर्ण ढंग से प्रयोग करना चाहिए, बेकार वस्तुओं व कूड़ा-करकट को नियमित निस्तारण करना चाहिए, रसोई गैस का सावधानीपूर्ण तरीके से प्रयोग करना चाहिए। आतिशबाजी तथा अन्य विस्फोटक पदार्थों का सुरक्षित स्थान पर भण्डारण करना चाहिए।
2. सड़क दुर्घटनाएँ – भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.25 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर जाते हैं। सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में यातायात के नियमों का उल्लंघन, तेज गति से गाड़ी चलाना, शराब पीकर वाहन चलाना, वाहनों व सड़कों को उचित रखरखाव न होना आदि सम्मिलित हैं। सड़क दुर्घटनाओं से बचाव के लिए यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए। गति निर्धारित सीमा से अधिक न हो। शराब पीकर वाहन न चलाएँ तथा रात्रि एवं वर्षा के समय अतिरिक्त सावधानी बरतें।
3. हवाई दुर्घटनाएँ – वर्तमान में हवाई अड्डों की सुरक्षा, विमान अपहरण व आतंकवादी आक्रमणों ने मानव जीवन को जोखिम में डाल दिया है। वायुयान का पक्षियों से टकराना भी दुर्घटना का कारण बनता है। हवाई यात्रा में यात्रियों को सुरक्षा निर्देशों का पालन करना चाहिए। वायुयान चालक दल को भी सदैव सतर्क रहना चाहिए तथा प्रदत्त निर्देशों का पालन करना चाहिए।
4. रेल दुर्घटनाएँ – भारत में प्रतिवर्ष लगभग 15,000 से अधिक लोग रेल दुर्घटनाओं में अपनी जान गॅवा देते हैं। रेल दुर्घटनाओं के लिए तकनीकी खराबी, रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही, गलत शण्टिंग, आतंकी व तोड़-फोड़ की कार्यवाही आदि जिम्मेदार हैं। रेल दुर्घटनाओं से बचाव के लिए रेलवे क्रॉसिंग सावधानीपूर्वक पार करें, बन्द फाटक के नीचे से न निकलें, ज्वलनशील सामग्री के साथ यात्री न करें, चलती ट्रेन पर न चढ़े तथा न उतरें, रेलगाड़ी के दरवाजे पर खड़े होकर यात्रा न करें।
5. नाभिकीय दुर्घटनाएँ – मानव निर्मित आधुनिक आयुधों में नाभिकीय आयुध विस्फोटक सर्वाधिक विनाशकारी है। नाभिकीय आक्रमण से बचाव के लिए घर के खिड़की दरवाजे तुरन्त बन्द कर देने चाहिए तथा पानी एवं भोजन को ढक देना चाहिए जिससे कि रेडियोएक्टिवता का प्रभाव अन्दर प्रवेश न कर सके।
6. रासायनिक व औद्योगिक दुर्घटनाएँ – विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के रसायनों को प्रयोग भी तेजी से बढ़ रहा है। कुछ खतरनाक रसायन लगभग सभी घरों में पाये जाते हैं, जैसे-हेयर स्प्रे, डियोड्रेट, नेल पॉलिश, नेल व हेयर रिमूवर, टॉयलेट क्लीनर आदि। भारत में सन् 1984 में भोपाल शहर में यूनियन कार्बाइड कम्पनी से जहरीली गैस के रिसाव से लगभग 3000 लोग मारे गये थे। जो बच गये वे आज भी उसके दुष्परिणाम भुगत रहे हैं। ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए बीमा व सुरक्षा कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए, उद्योगों की स्थापना रिहायशी क्षेत्रों से दूर की जाए, लोगों को इस प्रकार के रसायनों के दुष्प्रभावों तथा सुरक्षा उपायों की जानकारी प्रदान की जाए।
7. जैविक आपदाएँ – विषैले जीवाणु व अन्य जहरीली गैस, छोटे वायुयान या फसलों पर दवाई छिड़कने वाले साधनों एवं यंत्रों से आसानी से छिड़की जा सकती है। इनसे प्लेग, चेचक, एन्थ्रेक्स आदि के रोगाणुओं को तेजी से फैलाया जा सकता है तथा लोगों एवं वनस्पतियों को हानि पहुँचाई जा सकती है। जैविक पदार्थ श्वास के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। त्वचा में खरोंच व भोजन से शरीर के भीतर पहुँच जाते हैं। इनसे बचाव के लिए स्वास्थ्यकर्मियों व प्रशासन को सजगता से कार्य करना चाहिए तथा लोगों के बीच इनसे बचाव तथा प्रभाव की जानकारी का प्रसार करना चाहिए।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के मानचित्र में भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों को दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
भारत के मानचित्र में भूस्खलन क्षेत्रों को अंकित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
भारत के मानचित्र में सूखे के क्षेत्रों को अंकित कीजिए।
उत्तर:
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
स्थलाकृतिक आपदा है|
(अ) चक्रवात
(ब) महामारियाँ
(स) भूकम्प
(द) अतिवृष्टि
उत्तर:
(स) भूकम्प
प्रश्न 2.
मौसमी आपदा का उदाहरण है|
(अ) सुनामी
(ब) भूस्खलन
(स) प्लेग
(द) मलेरिया
उत्तर:
(अ) सुनामी
प्रश्न 3.
ज्वालामुखी है
(अ) स्थलाकृतिक आपदा
(ब) मौसमी आपदा
(स) जीवों द्वारा उत्पन्न आपदा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) स्थलाकृतिक आपदा
प्रश्न 4.
भूकम्प की तरंगों की तीव्रता मापी जाती है|
(अ) थर्मामीटर पर
(ब) बैरोमीटर पर
(स) रिक्टर पैमाने पर
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) रिक्टर पैमाने पर
प्रश्न 5.
बिहार का शोक किस नदी को कहा जाता है|
(अ) दामोदर नदी को
(ब) रावी नदी को
(स) सतलज नदी को
(द) कोसी नदी को
उत्तर:
(द) कोसी नदी को
प्रश्न 6.
राष्ट्रीय बाढ़ नियंत्रण योजना शुरू की गयी थी|
(अ) सन् 1980 में
ब) सन् 1954 में
(स) सन् 1854 में
(द) सन् 1945 में
उत्तर:
ब) सन् 1954 में
प्रश्न 7.
बाढ़ पूर्वानुमान संगठन की स्थापना हुई
(अ) सन् 1954 में
(ब) सन् 1985 में
(स) सन् 1964 में
(द) सन् 1945 में
उत्तर:
(अ) सन् 1954 में
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उत्पत्ति के आधार पर आपदाओं के प्रकार बताइए।
उत्तर:
उत्पत्ति के आधार पर आपदाएं दो प्रकार की होती हैं-
- प्राकृतिक आपदाएँ एवं
- मानव जनित आपदाएँ।
प्रश्न 2.
प्रकृति का वरदान किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
प्रकृति में होने वाले ऐसे परिवर्तन जिनका प्रभाव मानव के हित में होता है उन्हें प्रकृति का वरदान कहा जाता है।
प्रश्न 3.
उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार बताइए।
उत्तर:
उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक आपदाएं निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं|
- स्थलाकृतिक आपदाएं
- मौसमी आपदाएं
- जीवों द्वारा उत्पन्न आपदाएं।
प्रश्न 4.
स्थलाकृतिक आपदाओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- भूकम्प
- भूस्खलन
प्रश्न 5.
मौसमी आपदाओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- चक्रवात
- अतिवृष्टि
प्रश्न 6.
जीवों द्वारा उत्पन्न आपदाओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- टिड्डी दल का आक्रमण
- मलेरिया
प्रश्न 7.
प्राकृतिक आपदाओं के प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई चार कारक बताइए।
उत्तर:
- आर्थिक स्थिति
- व्यक्ति की सकारात्मक सोच
- सहयोग की भावना
- भौगोलिक परिस्थितियाँ
प्रश्न 8.
भूकम्प की तीव्रता किस यन्त्र द्वारा मापी जाती है ?
उत्तर:
भूकम्प की तीव्रता सीस्मोग्राफ नामक यंत्र द्वारा मापी जाती हैं।
प्रश्न 9.
रिक्टर पैमाने को किसने विकसित किया था ?
उत्तर:
चार्ल्स रिक्टर ने
प्रश्न 10.
रिक्टर पैमाने पर भूकम्प की तीव्रता कितने रिक्टर तक मापी जा सकती है ?
उत्तर:
रिक्टर पैमाने पर भूकम्प की तीव्रता 1 से 12 रिक्टर तक मापी जा सकती है।
प्रश्न 11.
सामान्य भूकम्प किसे कहते हैं ?
उत्तर:
रिक्टर पैमाने पर भूकम्प की तरंगों की तीव्रता यदि 5 तक मापी जाए तो इसे सामान्य भूकम्प कहा जाता है।
प्रश्न 12.
भूकम्प पृथ्वी की किस प्रकार की गतियों का परिणाम है ?
उत्तर:
भूकम्प पृथ्वी की आन्तरिक विवर्तनिक गतियों का परिणाम है।
प्रश्न 13.
हिमालय क्षेत्र में भूकम्प सर्वाधिक आते हैं। क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि हिमालय क्षेत्र में अभी सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है तथा यह नवीन पर्वत है, इसलिए इस क्षेत्र में सर्वाधिक भूकम्प आते हैं।
प्रश्न 14.
भूकम्प आने से दो हानियाँ बताइए।
उत्तर:
- भूकम्प आने से भवन भरभरा कर गिर जाते हैं। जिससे जान-माल की क्षति होती है।
- भूकम्प से आवागमन के मार्ग टूट जाते हैं।
प्रश्न 15.
भूकम्प से सावधानी एवं बचाव के कोई दो उपाय बताइए।
उत्तर:
- भूकम्प का आभास होने पर तुरन्त बाहर निकल कर खुली जगह पर चले जाना चाहिए।
- भूकम्प आने पर तुरन्त बिजली तथा गैस बन्द कर देनी चाहिए।
प्रश्न 16.
भूस्खलन के प्रमुख प्राकृतिक कारण क्या हैं ?
उत्तर:
चट्टानों की संरचना, भूमि का ढाल, चट्टानों के वलन व भ्रंशन, वर्षा की मात्रा व वनस्पति का अनावरण आदि भूस्खलन के प्रमुख कारण हैं।
प्रश्न 17.
भूस्खलन के प्रमुख मानवीय कारण क्या हैं ?
उत्तर:
अनियन्त्रित विकास, वन विनाश, सड़कें, रेलमार्ग, सुरंगों के निर्माण तथा खनन भूस्खलन के प्रमुख मानवीय कारण हैं।
प्रश्न 18.
भारत में बाढ़ आने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
- वर्षा ऋतु में पानी के साथ बहकर आये अवसाद से नदी मार्ग का संकरा व उथला होना।
- नदी प्रवाह मार्गों पर आबादी की अविवेकपूर्ण बसावट होना।
प्रश्न 19.
भारत के उत्तर पश्चिम में बहने वाली चार नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
- सतलज नदी
- व्यास नदी
- रावी नदी
- चिनाब नदी
प्रश्न 20.
भारत के उत्तर-पूर्व में बहने वाली चार नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
- गंगा
- यमुना
- गोमती
- घाघरा
प्रश्न 21.
ब्रह्मपुत्र नदी घाटी भारत के किस भाग में है ?
उत्तर:
उत्तरी-पूर्वी भाग में।
प्रश्न 22.
‘बंगाल का शोक’ किस नदी को कहा जाता है ?
उत्तर:
दामोदर नदी को।
प्रश्न 23.
बहुउद्देशीय योजनाओं के अन्तर्गत कौन-कौनसी नदी पर बाँध बनाये गये हैं ?
उत्तर:
महानदी, दामोदर, सतलज, व्यास, चम्बल तथा नर्मदा नदियों पर बहुउद्देशीय योजनाओं के अन्तर्गत बाँध बनाये गये हैं।
प्रश्न 24.
बाढ़ पूर्वानुमान संगठन की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
सन् 1954 में।
प्रश्न 25.
भारत में किस क्षेत्र को शुष्क क्षेत्र माना जाता
उत्तर:
भारत सरकार के सिंचाई आयोग के अनुसार 10 सेमी. से कम वार्षिक वर्षा वाले भागों को शुष्क क्षेत्र माना जाता है।
प्रश्न 26.
बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले चक्रवात सामान्यतः किस समय पैदा होते हैं ?
उत्तर:
बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले चक्रवात सामान्यतः अक्टूबर से दिसम्बर तक पैदा होते हैं।
प्रश्न 27.
अरब सागर से उठने वाले समुद्री तूफान किस तट से भारत में प्रवेश करते हैं ?
उत्तर:
गुजरात तट से।
प्रश्न 28.
कोई चार मानव जनित आपदाएँ बताइए।
उत्तर:
- आग लगना
- सड़क दुर्घटनाएँ
- हवाई दुर्घटनाएँ
- रेल दुर्घटनाएँ।
प्रश्न 29.
नाभिकीय आयुध कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
नाभिकीय आयुध मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
- परमाणु बम
- हाइड्रोजन बम
प्रश्न 30.
परमाणु बम क्या है ?
उत्तर:
जिन नाभिकीय आयुधों की विस्फोटक ऊर्जा नाभिकीय विखंडन की प्रतिक्रिया से पैदा होती है उन्हें परमाणु बम कहते हैं।
प्रश्न 31.
हाइड्रोजन बम क्या है ?
उत्तर:
जो नाभिकीय आयुध संलयन प्रतिक्रिया के द्वारा भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा करते हैं वे हाइड्रोजन बम कहलाते हैं।
प्रश्न 32.
भोपाल में यूनियन कार्बाइड से गैस रिसाव की दुर्घटना कब हुई थी ?
उत्तर:
सन् 1984 में।
प्रश्न 33.
गरीबों का नाभिकीय बम किसे कहते हैं?
उत्तर:
जैविक आयुधों को गरीबों का नाभिकीय बम केही जाता है।
प्रश्न 34.
जीवाणुओं से पैदा होने वाली दो जैविक आपदाएँ बताइए।
उत्तर:
- प्लेग
- चेचक
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदाओं की उत्पत्ति के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाओं की उत्पत्ति के कारण-किसी भी प्राकृतिक आपदा के लिए कई कारण संयुक्त रूप से जिम्मेदार होते हैं। पृथ्वी की आन्तरिक एवं बाह्य शक्तियों का प्रभाव कुछ आपदाओं को सीधे प्रभावित करता है, जैसे- भूकम्प, ज्वालामुखी आदि। मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण विदोहन, अन्धाधुन्ध विकास तथा बढ़ती जनसंख्या ने भूमि के उपयोग को विकृत कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप वनों का विनाश, भूमि क्षरण, जल संकट, पर्यावरण संकट, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं जो प्राकृतिक आपदाओं को जन्म देती हैं।
प्रश्न 2.
प्राकृतिक आपदाओं को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं का वर्गीकरण निम्नलिखित है-
1. स्थलाकृतिक आपदाएं – जो आपदाएँ स्थलाकृतिक स्वरूप में अचानक परिवर्तन होने से उत्पन्न होती हैं उन्हें स्थलाकृतिक आपदाएं कहते हैं, जैसे- भूकम्प, भूस्खलन, हिमस्खलन, ज्वालामुखी आदि।
2. मौसमी आपदाएं – वे प्राकृतिक आपदाएँ जो मौसम परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती हैं उन्हें मौसमी आपदाएं कहते हैं, जैसे-चक्रवात, सुनामी, अतिवृष्टि, अनावृष्टि आदि।
3. जीवों द्वारा उत्पन्न आपदाएं – वे प्राकृतिक आपदाएं जो जीवों व जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होती हैं उन्हें इन आपदाओं के अन्तर्गत रखा जाता है, जैसे-टिड्डी दल का आक्रमण, प्लेग, मलेरिया आदि।
प्रश्न 3.
भूकम्प की उत्पत्ति के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
पृथ्वी की विवर्तनिक गतियों में भू-प्लेटों का प्रवाह ही भूकम्प का कारण बनता है अर्थात् भूकम्प पृथ्वी की विवर्तनिक गतियों का परिणाम है पृथ्वी पर सन्तुलन की प्रक्रिया के निरन्तर जारी रहने से भूकम्प की उत्पत्ति होती है। इस प्रक्रिया में भू-पटल पर भ्रंश व उत्थान होते रहते हैं। पृथ्वी से निरन्तर निकलने वाली ऊष्मा से उसमें संकुचन होता है जो भूकम्प की उत्पत्ति में सहायक होता है।
प्रश्न 4.
भारत के भूस्खलन प्रवृत क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
भूस्खलन प्रवृत क्षेत्र-भारत में सर्वाधिक भूस्खलन हिमालय क्षेत्र में होता है। इसके बाद पश्चिमी घाट क्षेत्र में होता है। इन क्षेत्रों में भी जहाँ नदियों के प्रवाहित क्षेत्र हैं वहाँ भूस्खलन अधिक होता है। पूर्वोत्तर भारत तथा जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में जहाँ नई सड़कों का निर्माण हुआ है, वहाँ समुद्री किनारों पर सागरीय लहरों से अपरदन के कारण भूस्खलन अधिक होता है।
प्रश्न 5.
भारत में सूखा के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत में सूखा के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- सूखे का प्रमुख कारण पर्याप्त वर्षा न होना है।
- वनों के अविवेकपूर्ण विनाश ने भी सूखे की स्थिति को बढ़ावा दिया है। वन विनाश के कारण भूमि में जल की मात्रा कम प्रवेश कर पाती है।
- वर्षा जल का अवरोध न होने के कारण वह बहकर नदियों में चला जाता है। यह भी सूखे का एक कारण बनता है।
- प्राकृतिक जल संचय स्रोतों को नष्ट करने से भी भूमिगत जल का स्तर कम होता है जो सूखे का कारण बनता है।
- स्थाई जल नीति के अभाव के कारण जल को उचित दोहन व उपयोग न होना भी सूखे का कारण है।
- लगातार बढ़ती जनसंख्या भी जल स्रोतों पर विपरीत प्रभाव डाल रही है। इससे जल संकट बढ़ रहा है।
प्रश्न 6.
भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए। उत्तर-भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्र- भारत के सिंचाई विभाग ने सूखा क्षेत्रों को दो भागों में बाँटा है-
- सामान्य से 25 प्रतिशत अधिक अनिश्चितता वाले भू-भाग-इसके अन्तर्गत पश्चिमी राजस्थान तथा पश्चिमी गुजरात को शामिल किया गया है।
- सामान्य से 25 प्रतिशत तक अनिश्चितता वाले भू-भाग-इसके अन्तर्गत पूर्वी गुजरात, पूर्वी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, पश्चिमीमध्य प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र, आन्तरिक कर्नाटक, दक्षिणी आन्ध्र प्रदेश, मधे यवर्ती कर्नाटक, उत्तरी-पश्चिमी बिहार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व उड़ीसा को सम्मिलित किया जाता है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र तथा लगभग 5 करोड़ लोग सूखे से प्रभावित होते हैं। भारत के लगभग 77 जिले सूखा प्रवृत माने गये हैं।
प्रश्न 7.
भारत में समुद्री तूफान से प्रभावित क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
समुद्री तूफानों से पश्चिमी व पूर्वी समुद्र तटीय व उनसे लगते आन्तरिक क्षेत्र प्रभावित होते हैं। अरब सागर से आने वाले समुद्री तूफानों का मार्ग सामान्यत: तट के समानान्तर होता है। अतः ये गुजरात तट से भारत में प्रवेश करते हैं। बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले चक्रवात आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल को सर्वाधिक प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 8.
सड़क दुर्घटनाओं से बचाव के उपाय बताइए।
उत्तर:
सड़क दुर्घटना से बचाव के उपाय निम्नलिखित-
- यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए।
- निर्धारित गति से तेज गाड़ी नहीं चलानी चाहिए।
- शराब पीकर वाहन नहीं चलाना चाहिए।
- वाहनों व मार्गों का समुचित रखरखाव करना चाहिए।
- सड़क पर निर्धारित लेन में ही चलना चाहिए तथा सडक चिह्नों का पालन करना चाहिए।
- रात्रि व वर्षा के समय में वाहन अतिरिक्त सावधानी से चलानी चाहिए।
- निर्धारित उम्र से कम उम्र के बच्चों को वाहन नहीं चलाने देना चाहिए।
- दोपहिया | वाहन के प्रयोग में हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 9.
रेल दुर्घटना से सुरक्षा के उपाय बताइए।
उत्तर:
रेल दुर्घटना से सुरक्षा के उपाय-रेल दुर्घटना से सुरक्षा के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-
- रेलवे में तकनीकी खराबी से बचने के लिए आधुनिक तकनीकी को प्रयोग करना चाहिए तथा समुचित देखरेख करनी चाहिए।
- रेल संचालन से जुड़े लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
- गलत शण्टिंग, आतंकवादी हमलों व तोड़फोड़ से बचने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त उपाय करने चाहिए।
- रेलवे फाटक पर ध्यान से क्रॉसिंग पार करें तथा फाटक लगे होने पर नीचे से न निकलें।
- रेल में ज्वलनशील सामग्री या विस्फोटक सामग्री लेकर न चलें।
- रेलगाड़ी के दरवाजे पर खड़े होकर यात्रा न करें।
- चलती ट्रेन में चढ़ने व उतरने से बचें।
- रेलगाड़ी में बीड़ी, सिगरेट न पीएँ।.
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भूस्खलन के संकट से निपटने हेतु प्रबन्धन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भूस्खलन कहीं नदियों के मार्ग अवरुद्ध कर देता है। तो कहीं आवागमन के मार्गों को अवरुद्ध कर देता है। जब भूस्खलन आबादी वाले क्षेत्रों में होता है तो इससे जन व धन दोनों की ही हानि होती है। लोग मकानों केमलबे के ढेर में दब जाते हैं। अतः यह सब प्रकार से हानि पहुँचाता है। भूस्खलन का प्रबन्धन भूस्खलन का प्रबन्धन दो स्तरों पर किया जाता है-
1. सरकारी व सामाजिक स्तर पर – भारत में 90 प्रतिशत से अधिक भूस्खलन वर्षा ऋतु में ही होते हैं। अत: पर्वतीय क्षेत्रों से निकलने वाले परिवहन के मार्गों के दोनों ओर वर्षा जल के निकास की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। मार्गों के निर्माण के दोनों ओर 45° के कोण तकं मलबे को मार्ग निर्माण के समय ही हटा देना चाहिए और यदि हटाना सम्भव न हो तो मजबूत दीवार बनाकर चट्टानों को सहारा दे देना चाहिए।
2. व्यक्तिगत स्तर पर – भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में स्वयं के वाहनों से गुजरते समय यदि वर्षा प्रारम्भ हो गई हो तो वाहन को एक किनारे रोककर वर्षा बन्द होने तक इन्तजार करना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में मकान बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वे मजबूत धरातल पर ही बनाये जाएँ। पर्वतीय क्षेत्रों में नदी तटों पर मकान न बनाये जाएँ। भूस्खलन के कारण मार्ग अवरुद्ध होने पर फंसे हुए व्यक्तियों की हर सम्भव सहायता करनी चाहिए।
प्रश्न 2.
नाभिकीय दुर्घटनाओं तथा जैविक आपदाओं से आप क्या समझते हैं ? इनसे बचाव के उपाय भी बताइए।
उत्तर:
नाभिकीय दुर्घटनाएँ
मानव द्वारा निर्मित आधुनिक आयुधों में नाभिकीय आयुध विस्फोट सर्वाधिक विनाशकारी हैं। एक छोटा-सा नाभिकीय आयुध भी बड़े पारम्परिक विस्फोटों से ज्यादा शक्तिशाली व विनाशकारी होता है। एक अकेला आयुध कई किलोमीटर क्षेत्र को पूरी तरह नष्ट कर देता है। नाभिकीय आयुध मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
- परमाणु बम
- हाइड्रोजन बम्
नाभिकीय दर्घटना से सुरक्षा के उपाय
नाभिकीय आक्रमण की स्थिति में धैर्य रखें, घबराएँ नहीं। नाभिकीय विस्फोट होने पर कुकुरमुत्ते जैसे बादल बन जाते हैं। लोगों को उबकाई, चक्कर व उल्टी आने लगती है। रेडियोधर्मिता के कारण आँखों की रोशनी चली जाती है। नाभिकीय आक्रमण का आभास होने पर तुरन्त खिड़की व दरवाजे बन्द कर लेने चाहिए क्योंकि रेडियोएक्टिवता ठोस संरचनाओं में प्रवेश नहीं कर पाती है। भोजन व पानी को ढंक देना चाहिए क्योंकि इनमें रेडियोएक्टिवता का प्रभाव सबसे पहले पड़ता है।
जैविक आपदाएं
जैविक आयुधों को गरीबों का नाभिकीय बम कहा जाता है। इनका निर्माण सरल होता है तथा इन्हें बिना किसी विशेष प्रणाली के ही लक्ष्य तक भेजा जा सकता है। इनकी मारक क्षमता अधिक व अचूक होती है। इनमें विषैले जीवाणु व अन्य जहरीली गैस, छोटे वायुयान या फसलों पर दवा छिड़कने वाले साधनों से आसानी से छिड़के जा सकते हैं। प्लेग व चेचक जैसी बीमारियों पर समय रहते नियंत्रण न किया जाए। तो ये महामारी का रूप ले लेती हैं। यहाँ तक कि इनसे डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी भी ग्रसित हो जाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि 100 ग्राम ऐन्थैक्स से किसी नगर के 30 लाख लोगों की मृत्यु हो सकती है।
जैविक आपदाओं से सुरक्षा के उपाय
जैविक आक्रमण की जानकारी होते ही सूचना तुरन्त स्वास्थ्यकर्मियों एवं प्रशासन को दी जानी चाहिए। जैविक पदार्थ जब हवा में छोड़ दिए जाते हैं तो वे श्वांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। खरोंच से त्वचा में व भोजन से शरीर के भीतर पहुँच जाते हैं। इससे बचाव के लिए संचार के माध्यमों द्वारा लोगों तक सही जानकारी पहुँचानी चाहिए तथा अफवाहों को फैलने से रोकना चाहिए।
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