RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष में शामिल है –
(अ) जनसंख्या कारक
(ब) विदेशी निवेश
(स) व्यापार का परिमाण
(द) परिवहन

प्रश्न 2.
गैट व्यापारिक समझौता लागू हुआ था –
(अ) 1948
(ब) 1995
(स) 1960
(द) 1945

प्रश्न 3.
विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय स्थित है –
(अ) जापान
(ब) फ्रांस
(स) संयुक्त राज्य अमेरिका
(द) जिनेवा

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 4.
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई थी –
(अ) 1948
(ब) 1947
(स) 1994
(द) 1996

प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय तेल उत्पादक राष्ट्रों का समूह है –
(अ) आसियान
(ब) ओपेक
(स) साफ्टा
(द) ई.यू.

प्रश्न 6.
आसियान का मुख्यालय है –
(अ) जकार्ता
(ब) सिंगापुर
(स) मलेशिया
(द) वियतनाम

उत्तरमाला:
1. (स), 2. (अ), 3. (द), 4. (स), 5. (ब), 6. (अ)

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
विभिन्न राष्ट्रों के मध्य राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है।

प्रश्न 2.
‘गैट’ क्या है?
उत्तर:
‘गैट’ विश्व की प्रथम तथा विशाल व्यापारिक समझौता था जिसने अनुबन्ध करने वाले विश्व के विभिन्न देशों को अपनी व्यापारिक समस्याओं पर बातचीत करने तथा उनका समाधान ढूंढने के लिए एक मंच प्रदान किया।

प्रश्न 3.
विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
15 अप्रैल 1994 को।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 4.
विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
स्विट्जरलैण्ड देश के जेनेवा नगर में।

प्रश्न 5.
आसियान के कोई दो सदस्य देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
इण्डोनेशिया तथा मलेशिया।

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्राचीन समय में परिवहन साधनों के अभाव के कारण व्यापार केवल स्थानीय बाजारों तक सीमित था। लेकिन कुछ धनी व सम्पन्न लोगों द्वारा आभूषणों व महँगे परिधानों के खरीदे जाने के परिणामस्वरूप इन वस्तुओं का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार प्रारम्भ हुआ। रोम को चीन से जोड़ने वाले लगभग 6 हजार किमी लम्बे प्राचीन रेशम मार्ग के माध्यम से व्यापारी चीन, भारत, ईरान तथा मध्य एशियाई देशों के मध्य रेशम, बहुमूल्य धातुओं, मसालों तथा अन्य महँगे उत्पादों का व्यापार करते थे। 12 वीं व 13 वीं शताब्दी में रोमन साम्राज्य के विखण्डन के बाद समुद्रगामी युद्धपोतों के विकास ने यूरोप तथा एशिया के मध्य व्यापार को बढ़ावा प्रदान किया।

15 वीं शताब्दी में यूरोपियन उपनिवेशवाद के प्रारम्भ होने के साथ विदेशी वस्तुओं का व्यापार शुरू हुआ। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विश्व का अधिकाश अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विश्व के औद्योगिक राष्ट्रों के मध्य होने लगा। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व स्तर पर व्यापारिक शुल्क घटाने के उद्देश्य से गैट (व्यापार व शुल्क हेतु सामान्य समझौता) नामक समझौता 1 जनवरी 1948 से लागू हो गया।

प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार “गैट” या डब्लु. टी. ओ. किसी एक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गैट (GATT) या व्यापार व शुल्क हेतु सामान्य समझौता–गेट विश्व का सर्वप्रथम तथा सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किया गया एक व्यापारिक समझौता था जिस पर 30 अक्टूबर, 1947 को विश्व के 96 देशों ने हस्ताक्षर किए। यह व्यापारिक समझौता 1 जनवरी, 1948 को लागू हो गया। विश्व के कुल व्यापार में लगभग 80 प्रतिशत की साझेदारी रखने वाला यह समझौता एक बहुपक्षीय अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि थी।

गैट अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की एक ऐसी आचार संहिता युक्त संस्था थी जिसने समय-समय पर विश्व के विभिन्न देशों को एकत्रित होकर अपनी व्यापारिक समस्याओं पर बातचीत करने तथा उनका समाधान ढूंढने के लिए एक मंच प्रदान किया। गैट का मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में था। 1 जनवरी, 1995 को गैट समझौता समाप्त हो गया तथा उसके स्थान पर विश्व व्यापार संगठन का गठन किया गया।

अथवा

विश्व व्यापार संगठन:
1 जनवरी, 1995 को गैट समाप्त हो गया तथा उसके स्थान पर विश्व व्यापार संगठन नामक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ने कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। विश्व व्यापार संगठन उदारीकरण, वैश्वीकरण तथा निजीकरण की एक अन्तर्राष्ट्रीय कार्य योजना है जिसके सभी सदस्य देशों को निर्धारित व्यापार सम्बन्धी नियमों का अनुपालन करना होता है। 19 दिसम्बर सन् 2015 में विश्व व्यापार संगठन के लगभग 164 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत भी सम्मिलित है। इस संगठन के सदस्य देशों में विकसित एवं विकासशील दोनों वर्गों के देश सम्मिलित हैं। विश्व के कुल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अधिकांश भाग उन्हीं देशों के मध्य सम्पन्न होता है।

प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से अनेक आर्थिक तथा सामाजिक-सांस्कृतिक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें निम्नलिखित लाभ सर्वप्रमुख हैं –

  1. उत्पादन में वृद्धि: विश्व का प्रत्येक देश उन वस्तुओं का विदेशों को निर्यात करता है, जिन्हें वह अन्य देशों की तुलना में कम लागत पर तैयार कर लेता है। निर्यातक देश निर्यात में वृद्धि कर उस वस्तु के उत्पादन में विशिष्टीकरण प्राप्त करे अपना उत्पादन बढ़ाने में सफल हो जाते हैं।
  2. राष्ट्रीय आय में वृद्धि: निर्यातों से प्राप्त आय से सम्बन्धित देशों की राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो जाती है।
  3. अतिरेक का निर्गम: किसी देश की आन्तरिक आवश्यकता से अधिक उत्पादित वस्तुओं का विदेशों को निर्यात कर विदेशी पूँजी प्राप्त की जाती है।
  4. संसाधनों का कुशल प्रबन्धन: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा तुलनात्मक लाभ की दृष्टि से संसाधनों का कुशल उपयोग कर लिया जाता है।

अन्य लाभ:

  1. श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण के लाभ।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का विस्तार।
  3. वृहत स्तर पर उत्पादन।
  4. वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता।
  5. वस्तुओं के मूल्यों में समता।
  6. विभिन्न देशों की संस्कृति, भाषा, धर्म, परम्पराओं तथा रीति-रिवाजों से परिचय।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 4.
विदेशी व्यापार क्या है? समझाइए।
उत्तर:
विदेशी व्यापार या अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वह व्यापार है जो दो या दो से अधिक देशों के मध्य सम्पन्न होता है। अथवा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न राष्ट्रों के मध्य राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को कहते हैं। किसी राष्ट्र को व्यापार करने की आवश्यकता प्रमुख रूप से उन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए पड़ती है जिन्हें या तो वे राष्ट्र स्वयं उत्पादित नहीं कर सकते या जिन्हें वे अन्य देशों से अपेक्षाकृत कम मूल्य पर प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
प्रादेशिक व्यापार समूह को समझाते हुए किसी एक व्यापार समूह पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूह:
व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता और पूरकता के साथ देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने के उद्देश्य से गठित समूहों को प्रादेशिक व्यापार समूह कहा गया। इन व्यापारिक समूहों को विकास प्रादेशिक स्तर पर व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से हुआ है। यूरोपीय संघ-इस संगठन को संक्षेप में ई. यू. कहा जाता है। यूरोपियन संघ का गठन मूल रूप से मार्च 1957 में यूरोप में छः देशों इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्जेमबर्ग को मिलाकर ई.ई.सी. के रूप में किया गया।

बाद में इस व्यापारिक समूह में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैण्ड, आयरलैण्ड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन तथा ब्रिटेन नामक यूरोपियन राष्ट्र भी 1992 में सम्मिलित हो गये तथा इसका नाम ई.यू.पड़ा। इस व्यापारिक समूह का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स नगर में है। कृषि उत्पाद, खनिज, रसायन, लकड़ी, कागज, परिवहन की गाड़ियाँ, आप्टिकल उपकरण, घड़ियाँ, कलाकृतियाँ तथा पुरावस्तु इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक वस्तुयें हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ के देशों में एकल मुद्रा के साथ एकल बाजार भी मिलता है।

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को समझाते हुए लाभ तथा हानियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से आशय:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वह व्यापार है जो दो या दो से अधिक देशों के मध्ये सम्पन्न होता है। राष्ट्रों को व्यापार करने की आवश्यकता उन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए होती है जिन्हें या तो वे देश स्वयं उत्पादित नहीं कर पाते या जिन्हें वे अन्य देश से कम मूल्य पर खरीद सकते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभ: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं –

  1. उत्पादन में वृद्धि: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से जुड़े देश, उत्पादन में विशिष्टीकरण के माध्यम से अपने यहाँ जब तुलनात्मक रूप से कम मूल्य पर किसी वस्तु को तैयार कर लेते हैं तो उस वस्तु का निर्यात दूसरे देशों को करने लगते हैं। इससे तैयार वस्तु के उत्पादन में वृद्धि होने लगती है।
  2. राष्ट्रीय आय में वृद्धि: किसी वस्तु के विदेशों को होने वाले निर्यातों से विदेशी पूँजी प्राप्त होती है जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
  3. अतिरेक का निर्गम: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी होने पर व्यर्थ पड़े संसाधनों (जैसे– भूमि तथा श्रम आदि) का उपयोग बढ़ जाता है। साथ ही देश की आन्तरिक माँग से उत्पादित अधिक मात्रा का निर्यात कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
  4. संसाधनों का कुशल प्रयोग: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी होने पर तुलनात्मक लाभ की दृष्टि से संसाधनों का कुशल प्रयोग होने लगता है।
  5. श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के लाभ: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में संलग्न देशों को क्षेत्रीय श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के सभी लाभ प्राप्त होने लगते हैं।
  6. बाजार का विस्तार: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार की सीमा का विस्तार होने लगता है।
  7. बड़े पैमाने पर उत्पादन: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से वस्तुओं की माँग में वृद्धि होती है जिसकी आपूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर उस वस्तु का उत्पादन होने लगता है।
  8. वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ने पर उन वस्तुओं तथा सेवाओं की उपलब्धता होने लगती है जो देश में उपलब्ध नहीं होती।
  9. मूल्यों में समता: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं के मूल्यों में समता होने की प्रवृत्ति आने लगती है।
  10. सांस्कृतिक लाभ: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संभ्यता एवं संस्कृति का सर्वोत्तम प्रचारक होता है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न देशों की संस्कृति, भाषा, धर्म, परम्पराओं तथा रीति-रिवाजों को एक-दूसरे से परिचय होता है।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की हानियाँ: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं –

  1. प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक विदोहन: अधिकाधिक विदेशी मुद्रा कमाने के उद्देश्य से विश्व के विकासशील राष्ट्र अपने यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का अधिकाधिक विदोहन करने लगते हैं जिससे विशेष रूप से खनिज संसाधनों के संचित भण्डार तेजी से समाप्त होने लगते हैं।
  2. देश का एकांगी विकास: विदेश व्यापार के अन्तर्गत प्रत्येक देश अपने यहाँ विशेष रूप से उन वस्तुओं के उत्पादन पर बल देने लगता है जिसे वह अन्य देशों की तुलना में न्यूनतम लागत पर तैयार कर सकता है। इससे देश में संतुलित विकास न होकर केवल कुछ ही उद्योगों का विकास हो पाता है। इस प्रकार के एकांगी विकास से देश के अनेक संसाधनों का उपयोग ही नहीं हो पाता।
  3. विदेशी निर्भरता: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों की एक-दूसरे पर निर्भरता बढ़ जाती है तथा किसी आपातकाल में आयात-निर्यात के बाधित होने पर देश में भारी आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है।
  4. विदेशी प्रतिस्पर्धा का प्रतिकूल प्रभाव: अपेक्षाकृत सस्ती वस्तुओं के विदेशों से आयात होने पर देश के अनेक उद्योग बन्द होने के कगार पर आ जाते हैं।
  5. राजनीतिक क्षमता: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से अनेक सम्पन्न विदेशी पूँजीपति तथा शासक कमजोर देशों के प्राकृतिक संसाधनों पर आधिपत्य करने लगते हैं जिससे देश की स्वतन्त्रता खतरे में पड़ जाती है। वर्तमान में विश्व के अनेक भागों में वैश्वीकरण के द्वारा नव-उपनिवेशवाद का विस्तार देखने को मिल रहा है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 2.
विश्व व्यापार संगठन के क्रियाशील होने से भारत के विदेशी व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन 1 जनवरी 1995 से प्रभावी हो गया। विश्व व्यापार संगठन के क्रियाशील होने से भारत के विदेशी व्यापार पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं। भारत के वाणिज्य व उद्योग मन्त्रालय द्वारा 18 जनवरी 2016 को निर्गत आँकड़ों के अनुसार –

  1. भारत का विदेशी व्यापार भारी मंदी का शिकार बना हुआ है।
  2. अप्रैल-दिसम्बर 2015 के दौरान वैश्विक माँग में गिरावट की स्थिति बने रहने के कारण भारत के निर्यातों तथा आयातों दोनों में ऋणात्मक वृद्धि अनुभव की गई।
  3. डॉलर मूल्य के साथ-साथ रुपए में भी ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
  4. तेल तथा गैर-तेल दोनों आयातों में कमी दर्ज हुई। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में खनिज तेल की कीमतों में हुई गिरावट के कारण देश के तेल आयात बिल में 2015-15 के 9 महीनों की अवधि में 41.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
  5. 2015-16 के उक्त नौ महीने (अप्रैल-दिसम्बर) की अवधि में देश के व्यापार घाटे में भी कमी आई है।
  6. उक्त अवधि में गैर तेल आयात 235 अरब डॉलर से घटकर 227 अरब डॉलर रह गया।

सारणी-भारत के विदेशी व्यापार के आंकड़ें एक दृष्टि में –

अप्रैल-दिसम्बर डालर मूल्य में (अरब डालर में)
2014-15 2015-16
निर्यात                                        239.93 196.60 (- 18.06)
आयात                                        351.61 295.81 (- 15.87)
व्यापार शेष                                  111.68 99.21
रुपए मूल्य में (करोड़ रुपए में)
निर्यात                                         14,58,094 12,73,323 (-12.67)
आयात                                         21,36,855 19,15,849 (-10.34)
व्यापार शेष                                   6,78,761 6,42,526
नोट: कोष्ठक में दिए गए आंकड़े पूर्व वर्ष की तुलना में प्रतिशत कमी दर्शाते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्व को बतलाते हुए महत्वपूर्ण पक्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यदि विभिन्न देश वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाते हैं तो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभ प्रदान करता है। इस प्रकार का विशिष्टीकरण व्यापार को जन्म दे सकता है। इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है।

सिद्धांतत: यह व्यापारिक भागीदारी समान रूप से लाभदायक होनी चाहिए। वर्तमान समय में व्यापार विश्व के आर्थिक संगठनों का आधार बन गया है तथा यह राष्ट्रों की विदेश नीति से सम्बन्धित हो गया है। आज सुविकसित परिवहन एवं संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में हिस्सेदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के चार महत्त्वपूर्ण अवयव (पक्ष) निम्नलिखित हैं –

  1. व्यापार की मात्रा (परिमाण)।
  2. व्यापार का संयोजन।
  3. व्यापार की दिशा।
  4. व्यापार संतुलन।

1. व्यापार की मात्रा:
व्यापार की गई वस्तुओं का वास्तविक भार व्यापार की मात्रा या परिमाण कहलाता है किन्तु वस्तुओं की मात्रा कभी वस्तुओं का मूल्य या सूचक नहीं हो सकती। यही नहीं, व्यापारिक सेवाओं को तौल में नहीं मापा जा सकता। यही कारण है। कि व्यापार की गयी वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्रा को उनके मूल्य के रूप में मापा जाता है।

2. व्यापार की संरचना (संयोजन):
बीसवीं शताब्दी में विश्व के विभिन्न देशों द्वारा आयातित तथा निर्यातित वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रकार में उल्लेखनीय परिवर्तन अनुभव किये गये हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में प्राथमिक उत्पाद सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थे। बाद में यह स्थान विनिर्मित वस्तुओं ने ले लिया। वर्तमान समय में विश्व व्यापार में सर्वाधिक योगदान विनिर्माण क्षेत्र का है जबकि कुल विश्व व्यापार में सेवा क्षेत्र का प्रतिशत सतत् रूप से बढ़ता जा रहा है।

3. व्यापार की दिशा:
18वीं शताब्दी तक विनिर्मित व मूल्यवान वस्तुओं को विश्व के वर्तमान विकासशील राष्ट्र यूरोपियन देशों को निर्यात करते थे। 19वीं शताब्दी में यूरोपियन देशों ने अपने उपनिवेशों से खाद्य पदार्थों तथा कच्चे माल का आयात किया तथा बदले में यूरोपियन देशों ने विनिर्मित वस्तुओं को अपने उपनिवेशों में निर्यात किया। यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान विश्व के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के रूप में सामने आये। बीसवीं शताब्दी में यूरोप के उपनिवेश समाप्त हो गये तथा भारत, चीन और अन्य विकासशील राष्ट्रों की अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में साझेदारी बढ़ी तथा इन राष्ट्रों की विश्व के विकसित राष्ट्रों से प्रतिस्पर्धा होने लगी।

4. व्यापार संतुलन: व्यापार संतुलन के अन्तर्गत किसी देश के द्वारा अन्य देशों को की गई वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात् मात्रा तथा अन्य देशों से किए गए आयात की मात्रा का प्रलेखन किया जाता है। यदि किसी देश का आयात मूल्य, उसके निर्यात मूल्य की तुलना में अधिक है तो उस देश का विदेशी व्यापार संतुलन ऋणात्मक अथवा प्रतिकूल कहा जाता है जबकि निर्यात मूल्य जब आयात मूल्य की तुलना में अधिक होता है तो उसे धनात्मक या अनुकूल व्यापार संतुलन कहा जाता है। किसी देश की अर्थव्यवस्था में व्यापार संतुलन तथा भुगतान संतुलन अति महत्वपूर्ण मुद्दे होते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 4.
प्रादेशिक व्यापार समूह संगठनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व के प्रादेशिक व्यापार समूहों में से निम्नलिखित सात प्रादेशिक व्यापार समूह सर्वप्रमुख हैं –

1. आसियान (Association of South-East Asian Nations-ASEAN):
अगस्त 1967 में अस्तित्व में आये आसियान व्यापार समूह में सात दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देश-ब्रुनई, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैण्ड, वियतनाम तथा म्यांमार सम्मिलित हैं। इसका मुख्यालय इण्डोनेशिया के जकार्ता नगर में है। परस्पर व्यापार के अलावा आर्थिक वृद्धि को त्वरित करना, सांस्कृतिक विकास, शान्ति तथा प्रादेशिक स्थायित्व इस समूह के प्रमुख उद्देश्य हैं। व्यापार की वस्तुएँ-कृषि उत्पाद, रबड़, पाम ऑयल, चावल, नारियल, कॉफी तथा सॉफ्टवेयर उत्पाद।

  • खनिज: ताँबा, निकिल तथा टंगस्टन।
  • ऊर्जा संसाधन: कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस ।

2. सी.आई.एस, (Commonwealth of Independent States-C.I.S.):
इस व्यापारिक समूह में पूर्व सोवियत संघ के विघटित 12 राष्ट्रों-आरमीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, जॉर्जिया, कजाखस्तान, खिरगिस्तान, मॉल्डोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन तथा उज्बेकिस्तान को सम्मिलित किया गया है। इस व्यापारिक समूह का मुख्यालय बेलारूस देश के मिन्स्क नगर में है। परस्पर व्यापार के अलावा अर्थव्यवस्था, प्रतिरक्षा तथा विदेश नीति के मामलों में समन्वय तथा सहयोग इस व्यापारिक समूह का प्रमुख उद्देश्य है।
अशोधित तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, कपास, रेशे तथा एल्यूमिनियम इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ हैं।

3. यूरोपीय संघ (European Union–E.U.):
यूरोपियन संघ का गठन मूल रूप से मार्च 1957 में यूरोप में छह देशों- इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, होलैण्ड तथा लक्जेमबर्ग द्वारा किया गया। बाद में इस व्यापारिक समूह में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, फिनलैण्ड, आयरलैण्ड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन तथा ब्रिटेन नामक यूरोपियन राष्ट्र भी सम्मिलित हो गये। इस व्यापारिक समूह का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स नगर में है। कृषि उत्पाद, खनिज, रसायन, लकड़ी, कागज, परिवहन की गाड़ियाँ, आप्टिकल उपकरण, घड़ियाँ, कलाकृतियाँ तथा पुरावस्तु इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक वस्तुयें हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ के देशों में एकल मुद्रा के साथ एकल बाजार भी मिलता है।

4. लेटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसियेशन (Latin American Integration Association-LAIA):
सन् 1960 में स्थापित इस व्यापारिक समूह में 10 लेटिन अमेरिकी राष्ट्रों — अर्जेन्टाइना, बोलीविया, ब्राजील, कोलंबिया, इक्वाडोर, मैक्सिको, पराग्वे, पेरू, उरूग्वे तथा वेनेजुएला को शामिल किया जाता है। इस व्यापारिक समूह का मुख्यालय उरूग्वे देश के मॉण्टेविडियो नगर में है। इस प्रादेशिक व्यापारिक समूह का मुख्य उद्देश्य दक्षिण अमेरिकी देशों के मध्य परस्पर व्यापार को बढ़ावा देना है।

5. नाफ्टा या नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एसोसियेशन (North American Free Trade Association-NAFTA):
इस व्यापारिक संघ का गठन सन् 1988 में विश्व के दो बड़े व्यापारिक सहयोगियों संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा के मध्य व्यापारिक प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए किया गया। सन् 1994 में इस व्यापार समूह का विस्तार किया गया तथा मैक्सिको को भी इसका सदस्य बनाया गया। अब इस संघ में लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। कृषि उत्पाद, मोटर गाड़ियाँ, स्वचालित पुर्जे, कम्प्यूटर तथा वस्त्र इस व्यापारिक संघ की महत्त्वपूर्ण व्यापारिक वस्तुएँ हैं।

6. ओपेक या तेल निर्यातक राष्ट्रों का संगठन (Organisation of Petroleum Exporting Countries-OPEC):
सन् 1949 में स्थापित तेल निर्यातक राष्ट्रों के संगठन में सदस्य देश – अल्जीरिया, इंडोनेशिया, इरान, ईराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा वेनेजुएला हैं। यह संगठन खनिज तेल की नीतियों के समन्वय तथा एकीकरण के उद्देश्य से निर्मित किया गया था। अशोधित खनिज तेल इस संगठन का एकमात्र निर्यात किए जाने वाला उत्पाद है।

7. साफ्टा या साउथ एशियन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (South Asian Free Trade Agreement-SAFTA):
दक्षिणी एशिया के बांग्लादेश, मालदीव, भूटान, नेपाल, भारत, पाकिस्तान तथा श्रीलंका नामक देशों के इस व्यापारिक संगठन की स्थापना, जनवरी 2006 में की गयी थी। इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य अंतर-प्रादेशिक व्यापार के करों को कम करना है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीन समय में रेशम व्यापारिक मार्ग जोड़ता था।
(अ) रोम को चीन से
(ब) तेहरान को भारत से
(स) बर्लिन को भारत से
(द) काबुल को चीन से

प्रश्न 2.
17 वीं व 18वीं शताब्दी में किन लोगों के द्वारा दास व्यापार किया गया?
(अ) पुर्तगालियों के द्वारा
(ब) डचों तथा स्पेनिशों के द्वारा
(स) अंग्रेजों के द्वारा
(द) उक्त सभी के द्वारा

प्रश्न 3.
गैट (GATT) को किस वर्ष में विश्व व्यापार संगठन (WTO) में रूपान्तरित किया गया?
(अ) सन् 1995 में
(ब) सन् 1997 में
(स) सन् 1999 में
(द) सन् 2001 में

प्रश्न 4.
आसियानं व्यापार समूह में निम्न में से कौन-सा राष्ट्र सम्मिलित नहीं है?
(अ) इण्डोनेशिया
(ब) रूस
(स) सिंगापुर
(द) मलेशिया

प्रश्न 5.
सी.आई.एस. का मुख्यालय है –
(अ) मिन्सक में
(ब) वियना में
(स) ब्रुसेल्स में
(द) जकार्ता में

प्रश्न 6.
यूरोपियन यूनियन का गठन कब किया गया?
(अ) 1990 में
(ब) 1992 में
(स) 1994 में
(द) 1996 में

प्रश्न 7.
निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?
(अ) एशिया
(ब) यूरोप
(स) उत्तरी अमेरिका
(द) अफ्रीका

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 8.
दक्षिण अमेरिकी राष्ट्रों में से कौन-सा एक ओपेक का सदस्य है?
(अ) ब्राजील
(ब) वेनेजुएला
(स) चिली
(द) पेरू

प्रश्न 9.
निम्नलिखित व्यापार समूहों में से भारत किसका एक सह-सदस्य है?
(अ) साफ्टा (SAFTA)
(ब) आसियान (ASEAN)
(स) ओइसीडी (OECD)
(द) ओपेक (OPEC)

प्रश्न 10.
ओपेक नामक संगठन का मुख्यालय है –
(अ) रियाद में
(ब) तेहरान में
(स) वियना में
(द) जकार्ता में

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से पश्चिमी एशिया का कौन-सा एक देश ओपेक का सदस्य नहीं है?
(अ) ईराक
(ब) इरान
(स) सऊदी अरब
(द) ओमान

प्रश्न 12.
एकल मुद्रा के साथ एकल बाजार निम्नलिखित में से किस प्रादेशिक समूह का एक उद्देश्य है?
(अ) आसियान
(ब) साफ्टा
(स) यूरोपियन यूनियन
(द) नाफ्टा
उत्तरमाला:
।1. (अ), 2. (द), 3. (अ), 4. (ब), 5. (अ), 6. (ब), 7. (ब), 8. (ब), 9. (अ), 10. (स), 11. (द), 12. (स)

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए –

स्तम्भ (अ)
(व्यापार समूह)
स्तम्भ (ब)
(मुख्यालय)
(i) विश्व व्यापार संगठन (अ) ब्रुसेल्स
(ii) आसियान (ब) वियना
(iii) सी. आई. एस. (स) जेनेवा
(iv) ई. यू. (यूरोपीय संघ) (द) जकार्ता
(v) ओपेक (य) मिन्स्क

उत्तर:
(i) स, (ii) द, (iii) य, (iv) अ, (v) बे

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यापार कौन-सा आर्थिक क्रियाकलाप है?
उत्तर:
व्यापार तृतीयक आर्थिक क्रियाओं में शामिल क्रियाकलाप है।

प्रश्न 2.
व्यापार के स्तर कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
व्यापार के दो स्तर हैं जो निम्नलिखित हैं –

  1. राष्ट्रीय व्यापार।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब एक ही राष्ट्र की सीमाओं के भीतर ही वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता हो तो उसे राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 4.
रेशम मार्ग क्या है?
उत्तर:
प्राचीन समय में रोम से चीन तक 6 हजार किमी लम्बाई के व्यापारिक मार्ग को रेशम मार्ग कहा जाता था जिससे भारत, ईरान तथा मध्य एशिया, चीन तथा इटली के मध्य रेशम, ऊन तथा अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था।

प्रश्न 5.
एशिया व यूरोप के बीच व्यापार कैसे बढ़ा है?
उत्तर:
समुद्रगामी युद्धपोतों के विकास के साथ यूरोप व एशिया के बीच व्यापार बढ़ा।

प्रश्न 6.
15वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक दास व्यापार में कौन-से देश प्रमुख रूप से संलग्न रहे?
उत्तर:
हॉलैण्ड, स्पेन, डेनमार्क, ग्रेट ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका आदि।

प्रश्न 7.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसका परिणाम है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है।

प्रश्न 8.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता।
  2. जनसंख्या कारक।
  3. आर्थिक विकास की प्रावस्था।
  4. विदेशी निवेश की सीमा।
  5. परिवहन आदि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार।

प्रश्न 9.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्वपूर्ण पक्ष कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के चार महत्वपूर्ण पक्ष हैं –

  1. व्यापार का परिमाण।
  2. व्यापार संयोजन।
  3. व्यापार की दिशा।
  4. व्यापार संतुलन।

प्रश्न 10.
व्यापार का परिमाण क्या होता है?
उत्तर:
व्यापार की गई वस्तुओं का वास्तविक भार व्यापार का परिमाण कहलाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 11.
व्यापार सन्तुलन क्या है?
उत्तर:
किसी देश के निर्यात और आयात के कुल मूल्यों के बीच के सम अन्तर को व्यापार सन्तुलन कहते हैं।

प्रश्न 12.
व्यापार सन्तुलन किसका प्रलेखन करता है?
उत्तर:
व्यापार सन्तुलन एक देश के द्वारा अन्य देशों को किये गये आयात एवं इसी प्रकार निर्यात की गई वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा का प्रलेखन करता है।

प्रश्न 13.
किसी देश का व्यापार सन्तुलन ऋणात्मक कब होता है?
अथवा
प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन से क्या आशय है?
उत्तर:
यदि किसी देश के आयात को मूल्य, उस देश के निर्यात मूल्य से अधिक हो जाता है तो उसे ऋणात्मक अथवा प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं।

प्रश्न 14.
ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
उत्तर:
यदि आयात का मूल्य देश के निर्यात मूल्य की अपेक्षा अधिक होता है तो देश ऋणात्मक भुगतान संतुलन की स्थिति रखता है। किसी देश का ऋणात्मक भुगतान सन्तुलन उस देश में अन्तिम रूप में वित्तीय संचय की समाप्ति को अभिप्रेरित करता है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 15.
धनात्मक व्यापार सन्तुलन से क्या आशय है।
अथवा
किसी देश का अनुकूल व्यापार सन्तुलन कब होता है?
उत्तर:
यदि किसी देश के निर्यात का मूल्य उस देश के आयात के मूल्य की तुलना में अधिक हो जाता है तो उसे धनात्मक अथवा अनुकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं।

प्रश्न 16.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को दो भागों में बाँटा गया है–द्विपाश्विक व्यापार एवं बहुपाश्विक व्यापार।

प्रश्न 17.
द्विपाश्विक व्यापार किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब दो देशों के द्वारा एक-दूसरे के साथ व्यापार किया जाता है तो उसे द्विपार्श्विक व्यापार कहा जाता है।

प्रश्न 18.
बहुपाश्र्विक व्यापार किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब अनेक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार किया जाता है तो उसे बहुपार्श्विक व्यापार कहा जाता है।

प्रश्न 19.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभों को लिखिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख लाभों में उत्पादन में वृद्धि, राष्ट्रीय आय में वृद्धि, अतिरेक का निर्गम, संसाधनों का कुशल प्रयोग, श्रम विभाजन, बाजार विस्तार, बड़े पैमाने पर उत्पादन, वस्तुओं व सेवाओं की उपलब्धता, मूल्यों की समता व सांस्कृतिक लाभ शामिल हैं।

प्रश्न 20.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की हानियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की हानियों में प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक विदोहन, देश का एकांगी विकास, विदेशी निर्भरता, विदेशी प्रतियोगिता का प्रतिकूल प्रभाव व राजनीतिक दासता प्रमुख हैं।

प्रश्न 21.
मुक्त व्यापार क्या है?
अथवा
व्यापार उदारीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने का कार्य मुक्त व्यापार या व्यापार उदारीकरण कहा जाता है। यह कार्य व्यापारिक अवरोधों (जैसे सीमा शुल्क) को कम करके किया जाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 22.
गैट (GATT) का पूरा नाम बताइए।
उत्तर:
प्रशुल्क एवं व्यापार का सामान्य समझौता (General Agreement on Trade and Tariff, GATT)।

प्रश्न 23.
गैट का गठन कब व क्यों किया गया ?
उत्तर:
सन् 1948 में विश्व को उच्च सीमा शुल्क एवं विभिन्न प्रकार की अन्य बाधाओं से मुक्त कराने हेतु कुछ देशों के द्वारा गैट का गठन किया गया।

प्रश्न 24.
विश्व व्यापार संगठन क्या है?
उत्तर:
विभिन्न देशों के मध्य वैश्विक व्यापार तंत्र के नियमों का निर्धारण करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को विश्व व्यापार संगठन कहा जाता है।

प्रश्न 25.
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना कब व कहाँ हुई ?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना जनवरी 1995 में जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में हुई।

प्रश्न 26.
विश्व व्यापार संगठन के गठन का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन के गठन का उद्देश्य विभिन्न सदस्य देशों के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को निर्बाध रूप से विकसित करना है।

प्रश्न 27.
विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौन-से हैं ?
उत्तर:

  1. विश्व व्यापार संगठन विश्वव्यापी व्यापार तन्त्र के लिए नियमों का निर्धारण करता है।
  2. यह सदस्य देशों के मध्य व्यापार सम्बन्धी विवादों का निपटारा करता है।
  3. यह संगठन दूरसंचार तथा बैंकिंग जैसी सेवाओं तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार के व्यापार को भी अपने कार्यों में सम्मिलित करता है।

प्रश्न 28.
विश्व व्यापार संगठन के किसी एक संस्थापक देश का नाम बताइए।
उत्तर:
भारत।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 29.
किन्हीं चार प्रादेशिक व्यापार समूहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
1. आसियान
2. सी.आई.एस.
3. ओपेक
4. साफ्टा।

प्रश्न 30.
आसियान (ASEAN) के किन्हीं दो सदस्य देशों का नाम बताइए।
उत्तर:
1. थाईलैण्ड
2. सिंगापुर।

प्रश्न 31.
ओपेक की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
ओपेक की स्थापना सन् 1949 में की गयी।

प्रश्न 32.
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं ?
उत्तर:
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता तथा पूरकता प्राप्त होती है। इनके द्वारा विभिन्न देशों के मध्य व्यापार बढ़ाने तथा व्यापार पर प्रतिबन्ध हटाने में सहायता मिलती है।

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)

प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए कि किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों में भिन्नता से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि होती है?
अथवा
राष्ट्रीय संसाधनों में विषमता से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होता है। कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों (राष्ट्रीय संसाधनों) में भिन्नता-इस संदर्भ में निम्नलिखित तीन राष्ट्रीय संसाधनों की भिन्नता उल्लेखनीय है –

  1. भौगोलिक संरचना-भौगोलिक संरचना खनिज संसाधन आधार को निर्धारित करती है और धरातलीय विभिन्नताएँ फसलों एवं पशुओं की विविधता को सुनिश्चित करती हैं। पर्वतीय भाग पर्यटकों को आकर्षित कर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देते हैं।
  2. खनिज संसाधन-विश्व में मिलने वाले खनिज संसाधनों के असमान वितरण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है।
  3. जलवायु-किसी देश की दशाएँ उस देश में उत्पादित उत्पादों की विविधता को सुनिश्चित करती हैं, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बल मिलता है।

प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में जनसंख्या कारक आधार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्यां कारक-विश्व के विभिन्न देशों में जनसंख्या का आकार, वितरण तथा उसकी विविधता अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की वस्तुओं के प्रकार तथा मात्रा को प्रभावित करती है –

1. सांस्कृतिक कारक:
विभिन्न देशों में मिलने वाली अलग-अलग संस्कृतियों में कला तथा हस्तशिल्प के विभिन्न रूप मिलते हैं। विभिन्न देशों के उत्तम कोटि के हस्तशिल्पों के उत्पादों की विश्व में पर्याप्त माँग रहती है। उदाहरण के रूप में चीन द्वारा उत्पादित चीनी मिट्टी के बर्तन, ईरान के कालीन, उत्तरी अफ्रीका का चमड़े का कार्य एवं इंडोनेशिया के बटिक वस्त्र आदि बहुमूल्य हस्तशिल्प हैं।

2. जनसंख्या का आकार:
सघन जनसंख्या घनत्व रखने वाले देशों में आंतरिक व्यापार अधिक तथा बाह्य व्यापार कम होता है। उत्तम जीवन-स्तर की गुणवत्ता रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग अधिक होती है जबकि निम्न जीवन-स्तर रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग कम रहती है।

प्रश्न 3.
सांस्कृतिक कारक किस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार है?
उत्तर:
कला व संस्कृति किसी भी देश की पहचान का आधार होती है। विशिष्ट संस्कृतियों में कला तथा हस्तशिल्प के विभिन्न रूप विकसित होते हैं। इनको विश्व भर में सराहा जाता है। इन हस्तशिल्पों । कलात्मक वस्तुओं की विदेशों में माँग बनी रहती है। यथा-चीन के चीनी मिट्टी के बर्तन, ईरान की कालीन, अफ्रीका की चमड़े की सामग्री, इण्डोनेशिया के बटिक वस्त्र आदि। ये सभी व्यापार को बढ़ावा देते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 4.
व्यापार का परिमाण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्वपूर्ण पक्ष क्यों है?
उत्तर:
व्यापार की गई वस्तुओं का वास्तविक भार व्यापार का परिमाण या मात्रा कहलाता है। किन्तु वस्तुओं की मात्रा कभी वस्तुओं का मूल्य या सूचक नहीं हो सकती। यही नहीं, व्यापारिक सेवाओं को तौल में नहीं मापा जा सकता। यही कारण है कि व्यापार की गयी वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्रा को उनके मूल्य के रूप में मापा जाता है। इसे परिमाण की प्रक्रिया से ही व्यापार की स्थिति का पता चलता है। इसी कारण परिमाण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष है।

प्रश्न 5.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संयोजन को बताइए।
उत्तर:
व्यापार का संयोजन- बीसवीं शताब्दी में विश्व के विभिन्न देशों द्वारा आयातित तथा निर्यातित वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रकार में उल्लेखनीय परिवर्तन अनुभव किये गये हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में प्राथमिक उत्पाद सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थे। बाद में यह स्थान विनिर्मित वस्तुओं ने ले लिया। वर्तमान समय में विश्व व्यापार में सर्वाधिक योगदान विनिर्माण क्षेत्र का है जबकि कुल विश्व व्यापार में सेवा क्षेत्र का प्रतिशत सतत् रूप से बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 6.
व्यापार संतुलन क्या होता है? इसके प्रकारों को संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
व्यापार संतुलन-किसी देश के आयात व निर्यात के मध्य मूल्यों में सम स्वरूप को उस देश का व्यापार संतुलन कहा जाता है। व्यापार संतुलन के प्रकार-व्यापार संतुलन के निम्न दो प्रकार हैं –

  1. अनुकूल व्यापार संतुलन-यदि किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है तो इसे उस देश के पक्ष में अनुकूल या धनात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।
  2. प्रतिकूल व्यापार संतुलन-यदि किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक है तो उसे असंतुलित या प्रतिकूल या ऋणात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।

प्रश्न 7.
विदेशी निवेश की सीमा एवं परिवहन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार कैसे है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विदेशी निवेश की सीमा-ऐसे विकासशील देश जिनके पास खनन, भारी अभियांत्रिकी तथा बागवानी कृषि के विकास के लिए आवश्यक पूँजी का अभाव होता है, विदेशी निवेश इन देशों में व्यापार को बढ़ावा दे सकता है। विकासशील देशों में ऐसे पूँजी प्रधान उद्योगों के विकास द्वारा औद्योगिक राष्ट्र खाद्य पदार्थों तथा खनिजों का आयात सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा अपने उद्योगों में निर्मित उत्पादों के लिए देश व विदेश में बाजार निर्मित करते हैं।

यह सम्पूर्ण चक्र देशों के बीच में व्यापार के परिमाण को आगे बढ़ाता है। परिवहन-प्राचीनकाल में परिवहन के पर्याप्त एवं समुचित साधनों का अभाव स्थानीय क्षेत्रों में व्यापार को प्रतिबंधित करता था। केवल ऊँची कीमतों वाली वस्तुएँ; जैसे-रत्न, रेशम एवं मसालों आदि का लम्बी दूरियों तक व्यापार किया जाता था। वर्तमान में रेल, समुद्री व वायु परिवहन के विकास के विस्तार तथा प्रशीतन व परिरक्षण की बेहतर सुविधाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा प्रदान किया है।

प्रश्न 8.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रकारों की विवेचना कीजिए।
अथवा
द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय व्यापार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के निम्नलिखित दो वर्ग हैं –

  1. द्विपाश्विक व्यापार:
    दो देशों के द्वारा एक-दूसरे के साथ किया जाने वाला व्यापार द्विपाश्विक व्यापार कहलाता है। इस व्यापार के अन्तर्गत एक देश कुछ कच्चे पदार्थों के व्यापार के लिए इस समझौते के साथ सहमत हो सकता है कि दूसरा देश कुछ अन्य निर्दिष्ट सामग्री खरीदेगा अथवा स्थिति इसके विपरीत भी हो सकती है।
  2. बहु पाश्विक व्यापार:
    बहु पाश्विक व्यापार बहुत-से व्यापारिक देशों के साथ किया जाता है। एक देश कुछ व्यापारिक साझेदारों को सर्वाधिक पंसदीदा राष्ट्र’ की स्थिति प्रदान कर सकता है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 9.
“सामान्यतः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्बन्धित देशों के लिए लाभकारी होता है? लेकिन यह बहुत ही हानिकारक भी हो सकता है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्बन्धित देशों के लिए लाभकारी होता है क्योंकि इससे उन्हें विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है और जीवन-स्तर में सुधार आता है। परन्तु यदि यह अन्य देशों पर निर्भरता, विकास के असमान स्तर, शोषण एवं युद्ध का कारण बनने वाली प्रतिद्वन्द्विता की ओर उन्मुख होता है तो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत ही हानिकारक सिद्ध हो सकता है। विश्व कल्याणकारी व्यापार जीवन के अनेक पक्षों को प्रभावित करता है।

यह समस्त विश्व में पर्यावरण से लेकर लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण आदि सभी को प्रभावित कर सकता है। जैसे-जैसे विभिन्न देशों का व्यापार बढ़ता है, व्यापार बढ़ने से उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे वन, खनिज, जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अतिशोषण होता है तथा पर्यावरण का प्रदूषण होता है। ऐसी स्थिति में सतत पोषणीय विकास में बाधा आती है तथा भविष्य के लिए कई समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं।

प्रश्न 10.
प्रादेशिक व्यापार समूहों का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूह सदस्य राष्ट्रों में व्यापार शुल्क को हटा देते हैं तथा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देते हैं। यह समूह व्यापार की मदों में भौगोलिक निकटता, समरूपता तथा पूरकता के साथ सदस्य देशों के मध्य व्यापार बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने के उद्देश्य से अस्तित्व में आए हैं।

प्रश्न 11.
आसियान के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
आसियान (Association of South-East Asian Nations-ASEAN):
इस संगठन को संक्षेप में आसियान कहते हैं। अगस्त 1967 में अस्तित्व में आये आसियान व्यापार समूह में सात दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देश-ब्रूनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैण्ड, वियतनाम तथा म्यांमार सम्मिलित हैं। इसका मुख्यालय इण्डोनेशिया के जकार्ता नगर में है। परस्पर व्यापार के अलावा आर्थिक वृद्धि को त्वरित करना, सांस्कृतिक विकास, शान्ति तथा प्रादेशिक स्थायित्व इस समूह के प्रमुख उद्देश्य हैं। इस व्यापारिक समूह द्वारा प्रमुख रूप से कृषि उत्पाद जैसे रबड़, ताड़ का तेल, चावल, नारियल, कहवा, खनिज संसाधन; जैसे-ताँबा, कोयला, निकिल, टंगस्टन, पेट्रोलियम व प्राकतिक गैस तथा सॉफ्टवेयर उत्पादों का विदेशी व्यापार होता है।

प्रश्न 12.
सी. आई.एस. प्रादेशिक व्यापार समूह के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सी.आई.एस. (Commonwealth of Independent States-C.I.S.):
इस संगठन को संक्षेप में सी. आई. एस. कहा जाता है। इस व्यापारिक समूह में पूर्व सोवियत संघ के विघटित 12 राष्ट्र–आरमीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, जॉर्जिया, कजाखस्तान, खिरगिस्तान, मॉल्डोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन तथा उज्बेकिस्तान सम्मिलित हैं। इस व्यापारिक समूह का मुख्यालय बेलारूस देश के मिन्स्क नगर में है। परस्पर व्यापार के अलावा अर्थव्यवस्था, प्रतिरक्षा तथा विदेश नीति के मामलों में समन्वय तथा सहयोग इस व्यापारिक समूह का प्रमुख उद्देश्य है। अशोधित तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, कपास, रेशे तथा एल्यूमिनियम इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 13.
यूरोपियन संघ नामक प्रादेशिक व्यापार समूह का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यूरोपियन संघ का गठन मूल रूप से फरवरी 1957 में यूरोप में छः देशों इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्जेमबर्ग को मिलाकर ई.ई.सी. के रूप में किया गया। बाद में इस व्यापारिक समूह में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैण्ड, आयरलैण्ड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन तथा ब्रिटेन नामक यूरोपियन राष्ट्र भी 1992 में सम्मिलित हो गये तथा इसका नाम ई.यू.पड़ा। इस व्यापारिक समूह का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स नगर में है। कृषि उत्पाद, खनिज, रसायन, लकड़ी, कागज, परिवहन की गाड़ियाँ, आप्टिकल उपकरण, घड़ियाँ, कलाकृतियाँ तथा पुरावस्तु इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक वस्तुयें हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ के देशों में एकल मुद्रा के साथ एकले बाजार भी मिलता है।

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अस्तित्व में क्यों है ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यदि विभिन्न देश वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाते हैं तो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभ प्रदान करता है। इस प्रकार का विशिष्टीकरण व्यापार को जन्म दे सकता है। इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है।

सिद्धांतत: यह व्यापारिक भागीदारी समान रूप से लाभदायक होनी चाहिए। वर्तमान समय में व्यापार विश्व के आर्थिक संगठनों का आधार बन गया है तथा यह राष्ट्रों की विदेश नीति से सम्बन्धित हो गया है। आज सुविकसित परिवहन एवं संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में हिस्सेदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है।

प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दिशा को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दिशा:
18वीं शताब्दी तक विनिर्मित व मूल्यवान वस्तुओं को विश्व के वर्तमान विकासशील राष्ट्र यूरोपियन देशों को निर्यात करते थे। 19वीं शताब्दी में यूरोपियन देशों ने अपने उपनिवेशों से खाद्य पदार्थों तथा कच्चे माल का आयात किया तथा बदले में यूरोपियन देशों ने विनिर्माण वस्तुओं को अपने उपनिवेशों में निर्यात किया। यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान विश्व के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के रूप में सामने आये। बीसवीं शताब्दी में यूरोप के उपनिवेश समाप्त हो गये तथा भारत, चीन और अन्य विकासशील राष्ट्रों की अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में साझेदारी बढ़ी तथा इन राष्ट्रों की विश्व के विकसित राष्ट्रों से प्रतिस्पर्धा होने लगी।

प्रश्न 3.
आयात-निर्यात में क्या अन्तर है? इसका व्यापार सन्तुलन से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
आयात-एक देश में किसी अन्य देश से लाई गई वस्तुएँ आयात कहलाती हैं। निर्यात-एक देश से दूसरे देश को प्रेषित वस्तुएँ निर्यात कहलाती हैं। आयात-निर्यात का व्यापार संतुलन से सम्बन्ध- किसी देश के आयात व निर्यात के मध्य मूल्यों के सम स्वरूप को उस देश का व्यापार संतुलन कहा जाता है। व्यापार संतुलन के प्रकार–व्यापार संतुलन के निम्न दो प्रकार हैं –

  1. अनुकूल व्यापार संतुलन: यदि किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है तो इसे उस देश के पक्ष में अनुकूल या धनात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।
  2. प्रतिकूल व्यापार संतुलन: यदि किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक है तो उसे असंतुलित या प्रतिकूल या ऋणात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।

प्रश्न 4.
भारत में बदलते विदेशी व्यापार के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत के वाणिज्यिक मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसम्बर 2015 में देश के वस्तुगत निर्यात (डालर मूल्य 196.60) अरब डॉलर व आयात 295.81 अरब डॉलर के रहे हैं। जबकि पूर्व वर्ष की समान अवधि (अप्रैल–दिसम्बर 2014) में यह क्रमश: 239.93 अरब डॉलर व 351.61 अरब डॉलर के रहे थे। इस प्रकार डॉलर मूल्यों में निर्यातों में 18.06 प्रतिशत तथा आयातों में 15.87 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही व्यापार घाटा भी अप्रैल-दिसम्बर 2015 के दौरान 99.21 अरब डॉलर का रहा है।

पिछले वर्ष समान अवधिं (अप्रैल-दिसम्बर 2014) में व्यापार घाटा 111.68 अरब डॉलर था। इन आँकड़ों के अनुसार 2015-16 के पहले नौ महीनों में भारत के निर्यात के 12,73,323 करोड़ व आयात र 19,15,849 करोड़ के रहे हैं। पूर्व वित्तीय वर्ष के समान अवधि में रुपए मूल्य में भारत के निर्यात व आयात क्रमश: 14,58,094 करोड़ व 21,36,855 करोड़ के थे। इस प्रकार रुपए मूल्य में निर्यातों में 12.67 प्रतिशत व आयातों में 10.34 प्रतिशत की गिरावट अप्रैल-दिसम्बर 2015 के दौरान दर्ज की गई है।

अप्रैल-दिसम्बर 2015 की अवधि में देश के कुल आयातों में डॉलर मूल्य में जहाँ 15.87 प्रतिशत की गिरावट अन्तिम आँकड़ों में दर्ज की गई है। तेल आयातों का कुल मूल्य में 41.60 प्रतिशत घटा है, जबकि गैर-तेल आयातों में गिरावट 3.11 प्रतिशत रही है। अप्रैल-दिसम्बर 2014 में देश के तेल आयात जहाँ 116.56 अरब डॉलर थे, वहीं अप्रैल-दिसम्बर 2015 में यह आयात 68.07 अरब डॉलर के रहे हैं। इसी अवधि के गैर तेल आयात 235.05 अरब डॉलर से घटकर 227.24 अरब डॉलर के रहे हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 11 विश्व: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

RBSE Class 12 Geography Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधारों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के पाँच प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं –
1. राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता-इस संदर्भ में निम्नलिखित तीन राष्ट्रीय संसाधनों की भिन्नता उल्लेखनीय है –

  • भौगोलिक संरचना: भौगोलिक संरचना द्वारा धरातल, कृषि संसाधन तथा पशु संसाधन में मिलने वाली भिन्नताएँ निर्धारित होती हैं। निम्न भूमियों में कृषि उत्पादन सम्भावनाएँ अधिक होती हैं। पर्वतीय भाग पर्यटकों को आकर्षित कर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देते हैं।
  • खनिज संसाधन: विश्व में मिलने वाले खनिज संसाधनों के असमान वितरण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है। साथ ही खनिज संसाधनों की उपलब्धता औद्योगिक विकास को भी आधार प्रदान करती है।
  • जलवायु: किसी देश की जलवायु दशायें उस देश में उत्पादित उत्पादों की विविधता को सुनिश्चित करती हैं। जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बल मिलता है।

2. जनसंख्या कारक: विश्व के विभिन्न देशों में जनसंख्या का आकार, वितरण तथा उसकी विविधता अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की वस्तुओं के प्रकार तथा मात्रा को प्रभावित करते हैं –

  • सांस्कृतिक कारक: विभिन्न देशों में मिलने वाली अलग-अलग संस्कृतियों में कला तथा हस्तशिल्प के विभिन्न रूप मिलते हैं। विभिन्न देशों के उत्तम कोटि के हस्तशिल्पों के उत्पादों की विश्व में पर्याप्त माँग रहती है।
  • जनसंख्या का आकार: सघन जनसंख्या घनत्व रखने वाले देशों में आंतरिक व्यापार अधिक तथा बाह्य व्यापार कम होता है। उत्तम जीवन स्तर रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग अधिक होती है जबकि निम्न जीवन स्तर रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग कम रहती है।

3. आर्थिक विकास की प्रावस्था:
किसी देश की आर्थिक विकास की अवस्था से उस देश के व्यापार की वस्तुओं का प्रकार निर्धारित होता है। कृषि प्रधान देशों में विनिर्माण वस्तुओं के लिए कृषि उत्पादों का विनिमय किया जाता हैं जबकि विश्व के औद्योगिक दृष्टि से सम्पन्न राष्ट्र मशीनरी व निर्मित माल का निर्यात करते हैं तथा कच्चे माल तथा खाद्यान्नों का आयात करते हैं।

4. विदेशी निवेश की सीमा:
ऐसे विकासशील देश जिनके पास खनन, भारी अभियांत्रिकी तथा बागवानी कृषि आदि के विकास के लिए पूँजी का अभाव है, उन देशों में विदेशी निवेश अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है। विश्व के औद्योगिक राष्ट्र विकासशील राष्ट्रों में पूँजी प्रधान उद्योगों की स्थापना करते हैं तथा इसके बदले में वे अपने देश के लिए खाद्य पदार्थों तथा खनिजों का आयात सुनिश्चित करते हैं इसके अलावा अपने उद्योगों में निर्मित उत्पादों के लिए देश व विदेश में बाजार निर्मित करते हैं।

5. परिवहन: वर्तमान में रेल, समुद्री व वायु परिवहन के विकास व विस्तार तथा प्रशीतन व परिरक्षण की बेहतर सुविधाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा प्रदान किया है।

RBSE Solutions for Class 12 Geography

Leave a Comment

Step into high-class excitement at hell spin casino, where glittering reels, lavish bonuses, and thrilling jackpots create nonstop luxury. Each spin delivers pulse-raising suspense, elegance, and the electrifying chance of big Australian online casino wins.

Indulge in elite thrills at joefortune-casino.net, offering dazzling gameplay, sparkling rewards, and adrenaline-pumping jackpots. Every moment immerses players in glamour, high-stakes excitement, and the intoxicating pursuit of substantial casino victories.

Discover top-tier sophistication at neospin casino, with vibrant reels, generous bonuses, and luxurious jackpots. Each spin captivates with elegance, thrill, and the electrifying potential for extraordinary wins in the premium Australian casino environment.

Enter a world of luxury at rickycasino-aus.com, where high-class slots, sparkling bonuses, and pulse-racing jackpots create unforgettable moments. Every wager delivers excitement, sophistication, and the premium thrill of chasing massive casino wins.