RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 14 वयस्कावस्था में पोषण

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 वयस्कावस्था में पोषण

RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) युवावस्था प्रायः होती है –
(अ) 18-19 से 40 वर्ष तक की
(ब) 19-20 से 40 वर्ष तक की
(स) 18-20 से 40 वर्ष तक की
(द) 20-21 से 40 वर्ष तक की।
उत्तर:
(द) 20-21 से 40 वर्ष तक की। 3

(ii) आर्थिक व सामाजिक स्थिरता की अवस्था होती है –
(अ) युवावस्था
(ब) प्रौढ़ावस्था
(स) बाल्यावस्था
(द) वृद्धावस्था।
उत्तर:
(ब) प्रौढ़ावस्था

(iii) ऑफिस में बैठकर काम करने वाले युवक-युवती होते हैं –
(अ) अधिक क्रियाशील
(ब) मध्यम क्रियाशील
(स) कम क्रियाशील
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) कम क्रियाशील

(iv) भारी-भरकम शारीरिक श्रम करने वाले स्त्री-पुरुषों के वेतन का प्रतिशत भाग भोजन पर खर्च होता है –
(अ) 40 – 50
(ब) 60 – 70
(स) 70 – 80
(द) 80 – 90.
उत्तर:
(ब) 60 – 70

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(v) मोटापे का शिकार अधिक होते हैं –
(अ) लकड़हारा व रिक्शाचालक
(ब) मछुआरा व कुम्हार
(स) साहूकार व राजपत्रित अधिकारी
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) साहूकार व राजपत्रित अधिकारी

(vi) संतुलित आहार में कम क्रियाशील वयस्क पुरुष के लिए अनाज की प्रस्तावित मात्रा है –
(अ) 480
(ब) 375
(स) 360
(द) 690.
उत्तर:
(ब) 375

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पर्ति कीजिए –
1. ………वह समय होता है, जबकि किशोर अपनी संपूर्ण शारीरिक वृद्धि व विकास को प्राप्त कर मानसिक रूप से – स्थिर एक परिपक्व युवा बन जाता है।
2. युवा एवं प्रौढ़ को सामूहिक रूप से ………कहते हैं।
3. ……..व्यक्ति की मासिक आय बहुत अधिक होती है तथा शारीरिक श्रम कम करना पड़ता है।
4. वयस्क महिला व पुरुष को प्रतिदिन अपने आहार में क्रमश: ………और ………मिग्रा. लौह तत्व लेना चाहिए।
5. ऊर्जा की सर्वाधिक आवश्यकता ………श्रम करने वाले पुरुष को होती है।

उत्तर:
1. युवावस्था
2. वयस्क
3. कम क्रियाशील
4. 30, 28
5. अधिक।

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प्रश्न 3.
स्त्री-पुरुष की पोषण संबंधी आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं। समझाइए।
उत्तर:
स्त्री-पुरुष की पोषण संबंधी आवश्यकताओं में भिन्नता:
इस कथन में कोई दो राय है कि स्त्री तथा पुरुषों की पोषण संबंधी आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं। इसके प्रमुख कारणों की विवेचना हम निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर कर सकते हैं –

1. लिंग के आधार पर (On the basis of sex):
लिंग – भेद के कारण स्त्री-पुरुषों की पौषणिक आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं। दोनों की शारीरिक संरचना तथा आंतरिक शारीरिक परिवर्तनों में भिन्नता पाई जाती है। स्त्रियों को जहाँ ऐसे भोज्य पदार्थों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है जो लौह तत्व से भरपूर हों जिससे प्रतिमाह मासिक स्राव द्वारा होने वाली रक्त की कमी को पूरा किया जा सके तथा ऐसे पौष्टिक तत्व जो उन्हें प्रजनन इत्यादि के समय पूर्ण पोषण प्रदान कर सकें, वहीं दूसरी ओर पुरुषों को ऐसे भोज्य पदार्थों की अधिक आवश्यकता होती है जो उन्हें अतिरिक्त ऊर्जा तथा शक्ति प्रदान कर सकें। स्त्रियों के भोजन में लौह तत्व तथा प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है, वहीं दूसरी ओर पुरुषों को ऊर्जा तथा कार्बोहाइड्रेट एवं वसायुक्त भोजन की आवश्यकता अधिक होती है।

2. श्रम के आधार पर (On the basis of work):
स्त्रियों की तुलना में पुरुष श्रम अधिक करते हैं। अत: उसी के अनुसार उनकी पौषणिक आवश्यकताएँ होती हैं। एक गृहिणी जो घरेलू महिला है, वह मानसिक की तुलना में शारीरिक श्रम अधिक करती है। अत: उसकी पौषणिक आवश्यकता भी उसी के अनुरूप होती है। स्त्री तथा पुरुषों में पोषण की आवश्यकता की भिन्नता को हम निम्नलिखित तालिका के आधार पर समझ सकते हैंवयस्कावस्था के लिए संतुलित आहार (भोज्य इकाइयाँ) में स्त्री-पुरुषों
की आवश्यकता भिन्नता तालिका
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प्रश्न 4.
वयस्कों का आहार-आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगे?
उत्तर:
वयस्कों का आहार-आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
(Points to be kept in Mind During Meal Planning for Adults):

1. आहार – आयोजन इस प्रकार का हो, जो उनकी दैनिक पौषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम हो।

2. वयस्कों का आहार – आयोजन करते समय आयु, जलवायु, लिंग तथा श्रम को ध्यान में रखना चाहिए।

3. वयस्कों की आहार-आयोजना का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बिन्दु है – आय। अत: आय को ध्यान में रखते हुए वयस्कों के लिए आहार-आयोजन करना चाहिए।

4. मध्यम आय वाले अपनी पौषणिक आवश्यकताओं के अनुसार मासिक अथवा वार्षिक रूप से सूखा राशन; जैसे-अनाज, दालें, तिलहन की खरीददारी थोक में कर सकते हैं।

5. मध्यम आय वर्ग के वयस्कों को भोज्य पदार्थों की किस्म तथा दामों को दो – तीन दुकानों से मोल-भाव करके ही खरीदना चाहिए।

6. उच्च आय वर्ग के वयस्क अपने भोजन में महँगे प्रोटीन खाद्य पदार्थों को सम्मिलित कर सकते हैं; जैसे—दूध, दही, मछली, अंडा, पनीर, खोआ आदि।

वयस्कों के लिए दैनिक संतुलित आहार तालिका
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[नोट – माँसाहारी. व्यक्तियों द्वारा 30 ग्राम दाल के स्थान पर 50 ग्राम अंडा / माँस / मछली इत्यादि का सेवन कर सकते हैं।]

7. मध्यम आय वर्ग के वयस्क भी अपने भोजन में प्रोटीन के लिए दूध, अंडे तथा दालों का उपयुक्त मात्रा में सेवन कर सकते हैं।

8. निम्न आय वर्ग के वयस्कों के लिए छाछ प्रोटीन का सस्ता तथा पौष्टिक स्रोत है। यह समूह प्रोटीन प्राप्ति के लिए सस्ते मांसाहार का प्रयोग भी कर सकता है।

9. निम्न आय वर्ग के वयस्क अंकुरण, खमीरीकरण द्वारा भोजन में विविधता एवं पौष्टिकता ला सकते हैं।

10. उच्च आय वर्ग के वयस्कों के भोजन में वसा तथा शर्करा की मात्रा अधिक होती है। ये अधिक तले-भुने भोजन के स्थान पर अधिक मात्रा में सब्जियाँ तथा कम चिकनाई युक्त भोजन का सेवन कर सकते हैं। पूड़ी, पराठे, पकौड़ों के स्थान पर ये ताजे फल तथा सब्जियों के उपयोग को बढ़ा सकते हैं।

11. मौसमी फलों का उपयोग प्रत्येक आय-वर्ग के वयस्कों को करना चाहिए। अपनी आय के अनुरूप ये सस्ते तथा महंगे मौसमी फल खरीद सकते हैं।

12. निम्न आय वर्ग के वयस्कों के भोजन में ताजे हरे मटर के छिलके, मूली के पत्ते, तोरई, केले व आम के छिलकों की सब्जी अदि पौष्टिक खाद्य पदार्थों को सम्मिलित कर सकते हैं।

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प्रश्न 5.
कम मूल्य में उचित पोषक भोजन हेतु कुछ सुझाव प्रस्तावित करें।
उत्तर:
कम मूल्य में उचित पोषक भोजन हेतु निम्न सुझाव प्रस्तावित किये जा सकते हैं –

  1. भोजन सामग्री जहाँ तक संभव हो राशन की दुकान से खरीदनी चाहिये, क्योंकि वहाँ पर भोजन सामग्री बाजार मूल्य से कम मूल्य में प्राप्त हो जाती है।
  2.  भोजन में ज्वार, बाजरा, रागी आदि का प्रयोग करना चाहिए। ये अनाजों से सस्ती होती हैं तथा आवश्यक पोषक तत्व भी मिल जाते हैं।
  3. ऐसे अनाज जिनका मूल्य दूसरे भोज्य पदार्थों से कम होता है, अधिक लेना चाहिए।
  4. बड़ी व मोटी रोटी बनानी चाहिए जिससे अनाज अधिक मात्रा में प्राप्त हो सके।
  5. किचन गार्डन में मिलने वाली हरी पत्तेदार सब्जियाँ जिनके दाम कम होते हैं, ही खरीदने चाहिए जैसे-पालक, चौलाई, मेथी, मीठा नीम आदि।
  6. खमीरीकरण, माल्टिंग, अंकुरण आदि विधियाँ भोजन निर्माण में अपनानी चाहिए। इससे पोषक तत्व भी मिलते रहते हैं और ये महँगे भी होते हैं।
  7. फूलगोभी, गाजर, चुकन्दर, मूली, प्याज आदि सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इनमें पोषक तत्व व खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
  8. जहाँ तक संभव हो घर का बना खाना ही खाना चाहिए, क्योंकि यह कम खर्चीला होता है। बाजार के खाने में पोषक
    तत्वों की मात्रा व प्रयुक्त वसा तेल स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होते हैं। अत: बाहर भी जाना हो तो टिफिन में घर
    का खाना ही ले जाना चाहिए, घर के भोजन में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं।
  9. भोजन को भाप द्वारा पकाना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार के भोजन में पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं तथा पकाने
    पर नष्ट नहीं हो पाते जबकि वसा या तेल में पके खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं तथा शारीरिक रूप से
    भी हानि पहुँचाते हैं।
  10.  ऊर्जा प्राप्त करने के लिये चीनी के स्थान पर गुड़ का उपयोग करना चाहिए।
  11. सस्ते व मौसमी फल एवं सब्जियाँ जैसे-पपीता, अमरूद आदि को भोजन में सम्मिलित करना चाहिए।
  12. प्राकृतिक भोजन संरक्षित भोजन से सस्ते होते हैं अत: इनका प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए।

RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मध्यम क्रियाशील व्यक्ति है –
(अ) मजदूर
(ब) गृहणियाँ
(स) चिकित्सा
(द) किसान
उत्तर:
(ब) गृहणियाँ

प्रश्न 2.
वयस्कावस्था में महिला को कितने किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है?
(अ) 2300
(ब) 2000
(स) 1900
(द) 1800
उत्तर:
(स) 1900

प्रश्न 3.
वयस्कावस्था में आहार में कैल्शियम और फॉस्फोरस का अनुपात कितना होना चाहिए?
(अ) 1 : 2
(ब) 2 : 1
(स) 3 : 2
(द) 1 : 1
उत्तर:
(द) 1 : 1

प्रश्न 4.
वयस्कों में अतिपोषण से होने वाली बीमारी है –
(अ) मोटापा
(ब) उच्च रक्तचाप
(स) मधुमेह
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5.
पूरे दिन के भोजन को कितने भागों में बाँटना चाहिए?
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 5
उत्तर:
(ब) 3

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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. किशोरावस्था के समाप्त होते – होते ……… प्रारम्भ होती है।
2. वयस्कावस्था में लिया गया ……… भोजन ही प्रौढ़ावस्था में स्वस्थ बनाये रखता है।
3. अधिक क्रिया-शील व्यक्ति बहुत अधिक ……… श्रम करते हैं।
4. वयस्कावस्था में ……… उनके व्यवसाय, श्रम, आय एवं दिनचर्या से प्रभावित होता है।
5. रेशेदार भोजन के मुख्य स्रोत होते हैं, कच्चे फल व ………।
6. वसा व तेल की मात्रा उच्चवर्गीय लोगों के भोजन में ……… होती हैं।

उत्तर:
1. युवावस्था
2. सुपोषित
3. शारीरिक
4. पोषण
5. सब्जियाँ
6. अधिक

RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन में सर्वाधिक लम्बे अन्तराल के लिए चलने वाली अवस्थाएँ कौन-कौनसी हैं ?
उत्तर:
युवावस्था एवं प्रौढ़ावस्था सर्वाधिक लम्बे अन्तराल के लिए चलने वाली अवस्थाएँ हैं।

प्रश्न 2.
वयस्कावस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था की समाप्ति से वृद्धावस्था के प्रारम्भ होने से पूर्व के काल को वयस्कावस्था कहते हैं।

प्रश्न 3.
वयस्कावस्था कितने साल तक की अवधि होती है?
उत्तर:
वयस्कावस्था 20 – 21 वर्ष से लेकर 40 वर्ष तक की अवधि होती है।

प्रश्न 4.
शारीरिक श्रम के आधार पर व्यक्तियों को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
शारीरिक श्रम के आधार पर व्यक्तियों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है – अधिक क्रियाशील, मध्यम क्रियाशील तथा कम क्रियाशील।

प्रश्न 5.
अधिक क्रियाशील व्यक्तियों के चार उदाहरण लिखिए।
उत्तर:

  • कुली
  •  रिक्शा चालक
  • लकड़हारा
  • लोहार।

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प्रश्न 6.
कौन से भोज्य पदार्थों का अधिक मात्रा में लेना अति पोषण कहलाता है?
उत्तर:
तली हुई सामग्री, समोसा, पैटीज, केक, सॉफ्ट ड्रिंक्स, कॉफी आदि।

प्रश्न 7.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् द्वारा कम, अधिक तथा साधारण क्रियाशील स्त्री-पुरुषों के लिए प्रोटीन की समान मात्रा प्रस्तावित की गई है। ऐसा क्यों?
उत्तर:
वयस्कावस्था में शारीरिक वृद्धि व विकास नहीं के बराबर होता है। अत: प्रोटीन की आवश्यकता तो केवल नित्य-प्रतिदिन होने वाली तन्तुओं की टूट – फूट की मरम्मत के लिए होती है।

प्रश्न 8.
अधिक क्रियाशील पुरुष के लिए प्रतिदिन दूध की कितनी मात्रा आवश्यक होती है?
उत्तर:
अधिक क्रियाशील पुरुष के लिए प्रतिदिन 300 मिली दूध की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 9.
उच्च आय वर्ग वाले कम क्रियाशील स्त्री-पुरुष भी पोषण संबंधी समस्याओं का शिकार क्यों होते हैं?
उत्तर:
उच्च आय वर्ग के लोग व्यावसायिक व्यस्तता के बीच समय से भोजन नहीं ले पाते। समारोहों और सभाओं आदि में व्यस्त रहते हुए नमकीन, समोसे आदि तली हुई चीजें, मिठाई, केक, पेस्ट्री, सॉफ्ट ड्रिंक आदि लेने के कारण पोषण सम्बन्धी समस्याओं का शिकार होते हैं।

प्रश्न 10.
महिलाएँ पोषण संबंधी समस्याओं का शिकार क्यों होती हैं?
उत्तर:
अधिकतर महिलाएँ दुबली तथा छरहरी दिखने की लालसा में कम भोजन ग्रहण करती हैं तथा पोषण सम्बन्धी समस्याओं का शिकार होती हैं।

प्रश्न 11.
खाद्य पदार्थों में प्रोटीन की उपस्थिति क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
शरीर के विभिन्न प्रकार के तन्तुओं की टूट-फूट की मरम्मत एवं निर्वहन के लिए प्रोटीन की उपस्थिति अनिवार्य है।

प्रश्न 12.
खाद्य पदार्थों में विटामिन एवं खनिज लवणों की उपस्थिति क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
विभिन्न जैविक क्रियाओं को सुचारु रूप से सम्पन्न करने के लिए विटामिन एवं खनिज लवणों की उपस्थिति अनिवार्य है।

प्रश्न 13.
निम्न आय वर्ग के सदस्य व्यंजनों की पौष्टिकता में कैसे वृद्धि कर सकते हैं?
उत्तर:
निम्न आय वर्ग के सदस्य अनाज व दालों को अंकुरित करके, खमीरीकृत करके व्यंजनों की पौष्टिकता में वृद्धि कर सकते हैं।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 लघूत्तरीय प्रश्न (SA-I)

प्रश्न 1.
युवावस्था / वयस्कावस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
युवावस्था जीवन का वह पड़ाव है जब किशोर अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके होते हैं। उनका कैरियर लगभग निश्चित हो चुका होता है। उनका सामना यथार्थ से होता है। इस अवस्था में आकर उन्हें जीविकोपार्जन एवं जीवनयापन के लिए प्रयास करने होते हैं। यह वह समय होता है जब युवक-युवतियों को गृहस्थी बसानी होती है। किशोरावस्था की चंचलता समाप्त हो जाती है। शारीरिक व मानसिक श्रम करते हुए थकान, तनाव आदि को झेलते हुए सामंजस्य बिठाना होता है। यह अवस्था आर्थिक उत्पादन की अवस्था है।

प्रश्न 2.
प्रौढ़ावस्था में व्यक्ति का व्यवहार कैसा होता है?
उत्तर:
प्रौढ़ावस्था में आर्थिक व सामाजिक स्थिरता की अवस्था है। इस समय प्रौढ़ अपनी आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति के चरमोत्कर्ष पर होते हैं। अब वे संवेगात्मक रूप से स्थिर, शान्त, सौम्य एवं अनुभवी प्रौढ़ हैं तथा समाज के विविध आयु वर्ग के लोगों को दिशा-निर्देश देते हैं।

प्रश्न 3.
निम्न आय वाले भारी – भरकम शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी समस्या क्या होती है?
उत्तर:
भारी-भरकम शारीरिक श्रम करने वाले निम्न आय वर्ग के स्त्री – पुरुषों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ तो बढ़ जाती हैं, किन्तु उनकी मासिक आय बहुत कम होती है। ऐसे व्यक्तियों को पेट भरने लायक पर्याप्त भोजन भी उपलब्ध नहीं होता है। अत: ऐसे व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 लघूत्तरीय प्रश्न (SA-II)

प्रश्न 1.
मध्यम वर्ग के वयस्कों को पोषण सम्बन्धी समस्याएँ क्यों होती हैं?
उत्तर:
मध्यम वर्ग के वयस्क भी पोषण सम्बन्धी समस्याओं से अछूते नहीं हैं। इनकी आय भी मध्यम होती है। यद्यपि ये भोजन पर पर्याप्त खर्च कर सकते हैं, किन्तु कुछ व्यावसायिक व्यस्तताओं, पोषण सम्बन्धी अज्ञानता एवं उपेक्षा (Negligence) के चलते ये सन्तुलित आहार नहीं ले पाते हैं तथा इनका पोषण स्तर उपयुक्त नहीं रहता है।

इस वर्ग में वयस्क प्राय: 9 -10 बजे कार्यालय जाने से पहले प्रायः हल्का नाश्ता जैसे ब्रेड, मक्खन / पोहा / उपमा / पराठा आदि लेते हैं तथा दोपहर के भोजन के लिए टिफिन ले जाते हैं। कुछ वयस्क कार्यालय जाने से पूर्व नाश्ते की जगह सीधे ही खाना खा लेते हैं तथा दोपहर के भोजन के समय चाय / कॉफी व कचौरी / समोसा आदि से काम चला लेते हैं। इस प्रकार इनके भोजन में पौष्टिकता की कमी रह जाती है। इस प्रकार की दिनचर्या पौष्टिकता की दृष्टि से उपयुक्त नहीं है।

प्रश्न 2.
युवा वर्ग की महिलाओं की पोषण सम्बन्धी समस्याएँ समझाइए।
उत्तर:
युवा वर्ग की कई महिलाएँ दिनभर में खाये जाने वाले भोजन की मात्रा कम करने तथा दुबली-पतली छरहरी रहने के उद्देश्य से सुबह का नाश्ता ग्रहण ही नहीं करती हैं। ये महिलाएँ घर का सारा काम-काज निबटाकर 12 – 1 बजे तक तथा कामकाजी हों तो कार्यालय में दोपहर के भोजन अवकाश के समय पर ही भोजन ग्रहण करती हैं, जबकि दिन की अच्छी शुरुआत, दिनभर ऊर्जावान बने रहने तथा अच्छे पोषण स्तर के लिए सुबह का नाश्ता बहुत आवश्यक होता है।

ऐसे युवा जो सुबह नाश्ता नहीं करते। वे दिनभर में जलपान या दोपहर व रात्रि के भोजन में भोज्य पदार्थों की अधिक मात्रा का सेवन करते हैं। इस प्रकार वयस्क युवक-युवतियों का प्रायः दो समय का भोजन, सुबह का नाश्ता एवं दोपहर का भोजन पूर्ण सन्तुलित एवं पौष्टिक नहीं रहता है तथा पौषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति का अधिक भार रात्रि के भोजन पर ही निर्भर होता है। रात का भोजन पूरे दिन की पौष्टिकता की भरपाई नहीं कर पाता है। अतः ये व्यक्ति पौष्टिकता से वंचित ही रह जाते हैं।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शारीरिक श्रम अथवा क्रियाशीलता के आधार पर वयस्कों का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
शारीरिक श्रम के आधार पर व्यक्तियों को विभिन्न वर्गों में बाँटा गया है। समझाइए।
उत्तर:
किसी भी व्यक्ति की क्रियाशीलता उसके व्यवसाय के रूप तथा आर्थिक स्थिति पर आधारित होती है। सामान्यतः आय तथा क्रियाशीलता के मध्य विपरीत संबंध होता है। निम्न आय वर्ग के वयस्कों में अधिक आय वर्ग के वयस्कों की तुलना में अधिक क्रियाशीलता दृष्टिगत होती है। क्रियाशीलता के आधार पर वयस्कों का वर्गीकरण निम्नलिखित समूहों में किया जा सकता है –

1. कम क्रियाशील (Sedentary worker उच्च आय वर्ग):
इस समूह के अन्तर्गत वे वयस्क स्त्री-पुरुष आते हैं जो शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम अधिक करते हैं। इस वर्ग के वयस्कों में ऊर्जा की माँग की मात्रा अन्य वर्गों की तुलना में सबसे कम होती है। इस समूह में वे व्यक्ति आते हैं जिनका कार्य एक ही स्थान पर बैठकर विभिन्न कार्य-योजनाओं का निर्माण करना होता है। इन योजनाओं का क्रियान्वयन उनके अधीन दूसरे कार्यकर्ता करते हैं। इस समूह में मुख्य रूप से गृहिणियाँ, राजपत्रित अधिकारी, नाई, मोची, दर्जी, अध्यापक, साधु-संत, पादरी आदि आते हैं।

2. मध्यम क्रियाशील (Moderate worker मध्यम आय वर्ग):
इस समूह के अन्तर्गत वे वयस्क स्त्री-पुरुष आते हैं, जिन्हें शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूपों में श्रम करना होता है। इन सदस्यों में ऊर्जा की माँग भी मध्यम होती है। इस समूह में मुख्य रूप से कामकाजी महिलाएँ, किसान, ड्राइवर, इलैक्ट्रीशियन, जुलाहे, खाती, कुम्हार, मछुआरे, सुनार आदि आते हैं।

3. अधिक क्रियाशील (Heavy worker निम्न आय वर्ग):
इस समूह के अन्तर्गत वे वयस्क स्त्री-पुरुष आते हैं जो कठिन शारीरिक श्रम करते हैं। इस समूह की ऊर्जा की माँग सर्वाधिक होती है। इस समूह में मुख्य रूप से खान श्रमिक, खेतिहर, मजदूर, कुली, लकड़हारे तथा रिक्शाचालक आते हैं।

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प्रश्न 2.
वयस्कों की पोषण संबंधी प्रमुख समस्याओं का संक्षेप में वर्णन करिए।
उत्तर:
वयस्कों की पौषणिक आवश्यकताएँ उनके कार्य:
प्रारूप तथा आय पर निर्भर करती हैं। वयस्कावस्था वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति पर सर्वाधिक जिम्मेदारियाँ होती हैं तथा उसके अनुरूप उसकी भोज्य आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है। उनकी पोषण संबंधी समस्याओं की विवेचना हम निम्नलिखित बिन्दुओं में कर सकते हैं –

1. अधिक क्रियाशील वयस्कों की पौषणिक समस्याएँ (Nutritive problems of heavy workers):
इस समूह के वयस्कों को कठिन श्रम करना होता है जिसके अनुसार उनकी पौषणिक आवश्यकताओं में वृद्धि हो जाती है। किन्तु इनकी आय कम होने के कारण आय का 60-70 प्रतिशत तक भोजन पर व्यय करने के पश्चात् भी आवश्यकता के अनुपात में इनकी पौषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है। जहाँ इनको पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता ही एक समस्या है, वहाँ इनके लिए संतुलित आहार के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता है।

2. मध्यम क्रियाशील वयस्कों की पौषणिक समस्याएँ (Nutritive problems of moderate workers):
इस समूह की आय मध्यम होते हुए भी ये भोजन पर पर्याप्त व्यय करने की स्थिति में होते हैं, किन्तु अत्यधिक व्यस्तता तथा पोषण संबंधी अज्ञानता व उपेक्षा (Ignorance and negligence) के कारण ये भी कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इस वर्ग की युवतियाँ तो जान-बूझकर छरहरी काया के लालच में सामान्य से कम मात्रा में भोजन करती हैं, जिससे वे पोषण संबंधी समस्याओं से ग्रसित हो जाती हैं। इस समूह के वयस्क अज्ञानतावश एक समय का भोजन पर्याप्त रूप से नहीं कर पाते जिसके कारण भी समस्या उत्पन्न होती है।

3. कम क्रियाशील वयस्कों की पौषणिक समस्याएँ (Nutritive problems of low workers):
इस समूह के वयस्कों की मासिक आय बहुत अधिक होती है तथा इनके भोजन में वसा तथा शर्करा की मात्रा बहुत अधिक होने से ये अति-पोषण (Over-nutrition) के शिकार हो जाते हैं। ये अति पोषण के कारण मोटापे के साथ-साथ तनाव, हृदय रोग, मधुमेह जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 14 प्रयोगात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
श्रम व लिंग के आधार पर वयस्कावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
लिंग व श्रम के आधार पर वयस्कावस्था की सन्तुलित आहार तालिका-सूची इस प्रकार है –
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प्रश्न 2.
विभिन्न आय वर्ग एवं श्रम करने वाले पुरुषों की आहार-योजना तैयार कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
कम श्रम वाले उच्च आय वर्गीय पुरुष के लिए एक दिन की आहार तालिका तैयार कीजिए व इकाइयाँ भी लिखिए।
उत्तर:
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तालिका – दिनभर के भोजन में भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं कुल योग
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प्रश्न 4.
मध्यम श्रेणी का श्रम करने वाले मध्यम आय वर्गीय पुरुष के लिए एक दिन का आहार आयोजन तालिका तैयार कीजिए।
उत्तर:
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तालिका : दिनभर के भोजन में भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं कुल योग
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प्रश्न 5.
अधिक श्रम करने वाले निम्न आय वर्गीय पुरुष के लिए एक दिन की आहार आयोजन की तालिका बनाइये।
उत्तर:
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नोट : मसाले, हरी मिर्च, हरा धनिया, अदरक, लहसुन आदि का प्रयोग कम मात्रा में किया जाता है। अत: उपरोक्त तालिकाओं में इनका उल्लेख नहीं किया गया है।

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तालिका : दिनभर के भोजन में भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं कुल योग
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उपरोक्त तीनों ही आहार तालिकाओं में भोज्य पदार्थों की इकाइयों का लगभग निर्धारित मात्रा में समावेश किया गया है। प्रस्तावित इकाइयों की संख्या में थोड़ी कमी या अधिकता दिन-प्रतिदिन के आहार में चयन किये गये व्यंजन के प्रकार के कारण है, ऐसे आहारों को हम सन्तुलित ही कहेंगे।

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प्रश्न 6.
वयस्कावस्था के लिए पौष्टिक तत्वों की दैनिक प्रस्तावित आहारिक मात्राओं की तालिका बनाइये।
उत्तर:
वयस्कावस्था के लिए पौष्टिक तत्त्वों की दैनिक प्रस्तावित आहारिक मात्राएँ –
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