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RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 18 व्यवसाय एवं वाणिज्यिक क्रियाएँ

RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 18 व्यवसाय एवं वाणिज्यिक क्रियाएँ are part of RBSE Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 18 व्यवसाय एवं वाणिज्यिक क्रियाएँ.

BoardRBSE
TextbookSIERT, Rajasthan
ClassClass 9
SubjectSocial Science
ChapterChapter 18
Chapter Nameव्यवसाय एवं वाणिज्यिक क्रियाएँ
Number of Questions Solved102
CategoryRBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 18 व्यवसाय एवं वाणिज्यिक क्रियाएँ

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी व्यवसाय का उद्देश्य होना चाहिए
(अ) अधिकतम लाभ कमाना
(ब) केवल सेवा करना।
स) संस्था के कर्मचारियों का कल्याण करना
(द) ग्राहक संतुष्टि द्वारा समाज सेवा करते हुए लाभ कमाना
उत्तर:
(द) ग्राहक संतुष्टि द्वारा समाज सेवा करते हुए लाभ कमाना

प्रश्न 2.
व्यापार का आशय है
(अ) वस्तुओं का निर्माण
(ब) वस्तुओं का क्रय-विक्रय
(स) वस्तुओं का विज्ञापन
(द) कोई भी आर्थिक क्रिया
उत्तर:
(ब) वस्तुओं का क्रय-विक्रय

प्रश्न 3.
व्यवसाय में सम्मिलित किया जाता है
(अ) वस्तुओं का उत्पादन
(ब) सेवाओं का वितरण
(स) वस्तुओं का वितरण
(द) वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन एवं वितरण
उत्तर:
(द) वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन एवं वितरण

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से सही नहीं है
(अ) व्यापार का सम्बन्ध वस्तुओं के क्रय-विक्रय से है।
(ब) वाणिज्य व्यवसाय का अंग है।
(स) व्यवसाय उद्योग का अंग है।
(द) व्यापार को सुगम बनाने वाली क्रियाओं को व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहते हैं।
उत्तर:
(स) व्यवसाय उद्योग का अंग है।

प्रश्न 5.
प्राचीन काल में भारत में मन्दिर स्वर्ण जड़ित बनाये जाते थे क्योंकि-
(अ) उस समय यह परम्परा प्रचलित थी।
(ब) भारत के व्यापारी विदेशों में माल बेचकर स्वर्ण व स्वर्ण मुद्राएँ लेकर आते थे
(स) भक्तों को स्वर्ण मन्दिर प्रिय थे
(द) स्वर्ण मन्दिर दिखने में सुन्दर लगते थे।
उत्तर:
(ब) भारत के व्यापारी विदेशों में माल बेचकर स्वर्ण व स्वर्ण मुद्राएँ लेकर आते थे

प्रश्न 6.
बैंक के प्रमुख कार्य हैं
(अ) ऋण देना
(ब) जमा स्वीकार करना
(स) जमाएँ स्वीकार करना व ऋण देना
(द) व्यापार करना
उत्तर:
(स) जमाएँ स्वीकार करना व ऋण देना

प्रश्न 7.
षतिपूर्ति का सिद्धान्त लागू नहीं होता है
(अ) समुद्री बीमा में
(ब) वाहन बीमा में
(स) जीवन बीमा में
(द) अग्नि बीमा में
उत्तर:
(स) जीवन बीमा में

प्रश्न 8.
विनियोग तत्व होता है
(अ) समुद्री बीमा में
(ब) जीवन बीमा में
स) अग्नि बीमा में
(द) फसल बीमा में
उत्तर:
(ब) जीवन बीमा में

प्रश्न 9.
बीमा अनुबन्ध में परम सविश्वास से आशय है
(अ) बीमा पत्र की शर्तों में विश्वास
(ब) बीमित का बीमा कम्पनी में विश्वास
(स) बीमित एवं बीमाकर्ता में परस्पर विश्वास
(द) बीमित का बीमित वस्तु के महत्वपूर्ण तथ्यों का प्रकटीकरण
उत्तर:
(स) बीमित एवं बीमाकर्ता में परस्पर विश्वास

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सा साधन मुद्रित एवं चित्रित संदेश को उसी रूप में भेजने का श्रेष्ठ साधन है
(अ) टेलीफोन
(ब) तार
(स) टैलेक्स
(द) फैक्स
उत्तर:
(द) फैक्स

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यवसाय से क्या आशय है ?
उत्तर:
व्यवसाय से आशय किसी भी ऐसे वैध धन्धे से है। जिसमें धन के बदले वस्तुओं अथवा सेवाओं का उत्पादन, विक्रय और विनिमय लाभ कमाने के उद्देश्य से नियमित रूप से किया जाता है।

प्रश्न 2.
वृत्ति या पेशा का अर्थ बताइए।
उत्तर:
अपने विशिष्ट अध्ययन से प्राप्त योग्यता के आधार पर अपनी व्यक्तिगत सेवाएँ उपलब्ध करवाना तथा अपने द्वारा प्रदान की गयी सेवाओं के बदले शुल्क प्राप्त करना वृत्ति या पेशा कहलाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित क्रियाओं का उद्योग के किस वर्ग से सम्बन्ध है
क्रिया                                                 उद्योग
समुद्र से मछली पकड़ना                        ………….
कपड़ा बुनना।                                      …………
पशु-पालन                                          ………….
बांध का निर्माण                                   ………….
उत्तर:
क्रिया                                                 उद्योग
समुद्र से मछली पकड़ना                       निष्कर्षण
कपड़ा बुनना                                       निर्माणी
पशु-पालन                                          जननिक
बाँध का निर्माण                                   रचनात्मक

प्रश्न 4.
दूरी सम्बन्धी बाधा किस सहयोगी क्रिया से दूर की जा सकती है?
उत्तर:
परिवहन से।

प्रश्न 5.
जोखिम सम्बन्धी बाधा को दूर करने के लिए। किस सहायक क्रिया का सहयोग लिया जाता है ?
उत्तर:
बीमा का।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यवसाय की कोई चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
व्यवसाय की विशेषताएँ

  1. व्यवसाय में मनुष्य द्वारा केवल वैध तरीके से धन कमाने के उद्देश्य से की गई सभी आर्थिक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है।
  2. व्यवसाय में निरन्तरता होनी चाहिए अर्थात् वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार प्रतिदिन नियमित रूप से किया जाए।
  3. वस्तु एवं सेवाओं का क्रय – विक्रय लाभार्जन के उद्देश्य से किया जाए, तभी वह व्यवसाय कहा जायेगा अन्यथा नहीं।
  4. क्रय-विक्रय वैध होना चाहिए अर्थात् किसी अवैध कार्य से धन कमाना व्यवसाय नहीं कहा जाएगा।

प्रश्न 2.
वाणिज्य में कौन-सी गतिविधियाँ सम्मिलित हैं ?
उत्तर:
उद्योगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को उचित स्थान व समय पर उचित ढंग से, उचित मात्रा में, उचित मूल्य पर उपभोक्ताओं एवं ग्राहकों तक पहुँचाने का कार्य वाणिज्य द्वारा ही किया जाता है। अर्थात् वाणिज्य में व्यापार के साथ-साथ व्यापार की सहायक गतिविधियों, जैसे-परिवहन, भण्डारण, बीमा, बैंकिंग, संचार, विज्ञापन आदि को भी सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 3.
व्यापार, वाणिज्य से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:
व्यापार तथा वाणिज्य में भिन्नता – लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय-विक्रय को व्यापार कहा जाता है। जबकि वाणिज्य में व्यापार के साथ-साथ व्यापार की सहायक क्रियाओं को भी सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यापार का क्षेत्र सीमित होता है तथा यह उद्योग द्वारा उत्पादित वस्तुओं के क्रय-विक्रय पर आधारित होता है। वाणिज्य का क्षेत्र व्यापार से विस्तृत होता हैं क्योंकि वाणिज्य में व्यापार के साथ-साथ व्यापार की सहायक क्रियाओं को भी सम्मिलित किया जाता है तथा यह व्यापार पर ही आधारित होता है। अतः व्यापार, वाणिज्य को ही एक अंग है।

प्रश्न 4.
कार्य की प्रकृति के आधार पर उद्योगों के प्रकार बताइए।
उत्तर:
कार्य की प्रकृति के आधार पर उद्योगों के प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • जननिक उद्योग
  • निष्कर्षण उद्योग
  • निर्माणी उद्योग
  • रचनात्मक उद्योग
  • संयोजन उद्योग

प्रश्न 5.
व्यवसाय के उद्देश्य की कोई चार क्रियाएँ बताइए।
उत्तर:
व्यवसाय के उद्देश्य की चार क्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. ग्राहकों को आवश्यकतानुसार वस्तुएँ प्रदान करना।
  2. उचित मूल्य पर उत्तम किस्म की वस्तुएँ उपलब्ध कराना।
  3. मुनाफाखोरी व अनुचित व्यापारिक व्यवहार न करना।
  4. विक्रय के बाद उचित सेवाएँ प्रदान करना।

प्रश्न 6.
मानवीय उददेश्य की कोई चार क्रियाएँ बताइए।
उत्तर:
मानवीय उद्देश्य की चार क्रियाएँ निम्नलिखित हैं

  1. राष्ट्रीय हितों व प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना।
  2. कर्मचारियों को पर्याप्त वेतन व अच्छी कार्य दशा उपलब्ध कराना।
  3. श्रम कल्याण एवं सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करना।
  4. कर्मचारियों को पदोन्नति तथा विकास के अवसर प्रदान करना।

प्रश्न 7.
परिवहन कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर:
वस्तुओं को उत्पादन के स्थान से उपभोग या विक्रय के स्थान तक पहुँचाने से सम्बन्धित कार्य को परिवहन कहा जाता है। परिवहन को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है-

1. भू-परिवहन – भू- परिवहन को पुन: दो भागों में बाँटा जा सकता है
(क) सड़क परिवहन
(ख) रेल परिवहन
2. वायु परिवहन – वायु परिवहन में हवाई जहाज तथा हैलीकॉप्टर आदि को सम्मिलित किया जाता है।
3. जल परिवहन – जल परिवहन को पुनः दो भागों में बाँटा जाता है
(क) जहाजरानी परिवहन
(ख) आन्तरिक जल परिवहन

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यवसाय का अर्थ समझाइए और उसकी प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय का अर्थ
व्यवसाय के अन्तर्गत वे सभी वैध मानवीय आर्थिक क्रियाएँ शामिल की जाती हैं जो वस्तुओं एवं सेवाओं के नियमित उत्पादन एवं वितरण के लिए की जाती हैं तथा जिनका उद्देश्य पारस्परिक हित एवं सामाजिक संतुष्टि है। इन क्रियाओं के परिणामस्वरूप समाज के जीवन स्तर में वृद्धि होती है।

व्यवसाय की विशेषताएँ
1. मानवीय एवं आर्थिक क्रिया – व्यवसाय में केवल मानव द्वारा धन कमाने के उद्देश्य से की गई वैध क्रियाओं को ही सम्मिलित किया जाता है अर्थात् इसमें मानव की गैर-आर्थिक क्रियाओं तथा पशु-पक्षियों की क्रियाओं को शामिल नहीं किया जाता है।
2. वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन – व्यवसाय के अन्तर्गत उत्पादक इकाइयों द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। इसके बाद इन्हें व्यापारियों द्वारा खरीदकर उपभोक्ताओं को बेच दिया जाता है।
3. नियमित विनिमय – व्यवसाय में वस्तुओं एवं सेवाओं का नियमित विनिमय एवं वितरण होता रहना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति विशेष अपनी किसी वस्तु को बाजार में बेचता है लेकिन वह नियमित रूप से ऐसा नहीं करता तो उसे व्यापार नहीं कहा जाएगा।
4. व्यवसाय की निरन्तरता – व्यवसाय के लिए यह आवश्यक है कि उसमें वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार प्रतिदिन नियमित रूप से चलता रहे। कोई व्यक्ति यदि कभी किसी वस्तु अथवा सेवा का उत्पादन एवं वितरण करता है तो इसे व्यापार नहीं कहा जाएगा।
5. लाभार्जन करने का उद्देश्य – बिना लाभ के उद्देश्य के व्यवसाय की कल्पना नहीं की जा सकती है। अतः यह आवश्यक है कि वस्तु एवं सेवा के उत्पादन अथवा क्रय-विक्रय का उद्देश्य लाभ कमाना होना चाहिए।
6. प्रतिफल की अनिश्चितता – प्रत्येक व्यवसाय में व्यवसायी लाभ कमाने के उद्देश्य से धन का विनियोजन करता है लेकिन यह निश्चित नहीं होता कि लाभ प्राप्त होगा ही अर्थात् हानि भी हो सकती है। यदि लाभ होगा तो कितना होगा यह भी अनिश्चित होता है।
7. वैधानिकता – अवैध गतिविधियों के माध्यम से धन कमाना व्यवसाय नहीं कहा जा सकता है। व्यवसाय के लिए यह आवश्यक है कि गतिविधि वैध होनी चाहिए, जैसे–चोरी, सट्टा, तस्करी आदि अवैध कार्य हैं इन्हें व्यवसाये नहीं माना जायेगा।
8. जोखिम की विद्यमानता – व्यवसाय में हानि होने की सम्भावना बनी रहती है जिसे जोखिम कहा जाता है। व्यवसायी लाभ प्राप्त करने के लिए व्यवसाय करता है लेकिन उसमें जोखिम की सम्भावना बनी रहती है। अतः जोखिम को व्यवसाय से अलग नहीं किया जा सकता है।
9. सामाजिक परिवर्तन का साधन – व्यवसाय की सहायता से लोगों के जीवन स्तर को उन्नत किया जा सकता है तथा उनके विचारों को समाज की आवश्यकता के अनुरूप परिवर्तित किया जा सकता है।
10. उपयोगिता का सृजन – व्यावसायिक क्रियाओं के माध्यम से जनता के मध्य वस्तुओं की उपयोगिता का सृजन किया जाता है, जैसे—संचार का कार्य तो पहले भी होता था लेकिन मोबाइल फोन के आविष्कार से जनता के बीच उसकी उपयोगिता का सृजन हो गया तथा मोबाइल अब संचार का महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

प्रश्न 2.
व्यवसाय के उद्देश्य से आप क्या समझते हैं ? व्यवसाय के उद्देश्यों को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
व्यवसाय का उद्देश्य
सामान्यतया व्यवसाय का उद्देश्य लाभ कमाना होता है। लाभ लागत पर गम का आधिक्य होता है। लेकिन यह एकमात्र उद्देश्य नहीं होता क्योंकि लाभ कमाने के एकमात्र उद्देश्य को लेकर लम्बे समय तक व्यवसाय का संचालन नहीं किया जा सकता है। आज के समय में व्यावसायिक इकाइयों को भी समाज के अंग के रूप में स्वीकार किया जाता है इसलिए उनके कुछ उद्देश्य सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने वाले भी होने चाहिए, जिससे कि वह जनता का विश्वास अर्जित कर लम्बे समय तक चल सकें तथा प्रगति कर सकें। अतः व्यवसाय के उद्देश्यों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया गया है

1. लाभ उद्देश्य – लागत से आगम का आधिक्य लाभ कहलाता है। लाभ प्राप्त करना प्रत्येक व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित है।

  • लाभ व्यवसायी के लिए आय का स्रोत है।
  • यह व्यावसायिक विस्तार के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत होता है।
  • यह व्यवसाय की कुशलता का परिचायक होता है।
  • इसे व्यवसाय को समाज के लिए उपयोगी होने की स्वीकृति भी माना जा सकता है।
  • इससे व्यावसायिक इकाई की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

2. सेवा उददेश्य – व्यवसाय का एक अन्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को पूर्ण सन्तुष्टि के साथ सेवाएँ उपलब्ध कराना भी होता है। इस हेतु व्यवसायी लाभ के स्थान पर सेवा उद्देश्य को अधिक महत्व प्रदान करने लगे हैं। इसकी पूर्ति के लिए की जाने वाली प्रमुख क्रियाएँ निम्नलिखित हैं

  • ग्राहकों को आवश्यकतानुसार वस्तुएँ प्रदान करना।
  • उचित मूल्य पर उत्तम किस्म की वस्तुएँ उपलब्ध कराना।
  • मुनाफाखोरी व अनुचित व्यापारिक व्यवहार न करना।
  • विक्रय के बाद उचित सेवाएँ प्रदान करना।
  • मिथ्या व भ्रमित करने वाले विज्ञापन नहीं देना।
  • नव प्रवर्तन अथवा नवाचार करना।

3. मानवीय उद्देश्य – व्यवसाय के दौरान विभिन्न मानवीय समूहों के प्रति उचित व्यवहार रखते हुए उनके हितों की रक्षा करना तथा उनमें उचित सामंजस्य स्थापित करना ही मानवीय उद्देश्य है। इनकी पूर्ति के लिए की जाने वाली महत्वपूर्ण क्रियाएँ निम्नलिखित हैं

  1. राष्ट्रीय हितों व प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना।
  2. पर्याप्त वेतन देना तथा अच्छी कार्यदशा प्रदान करना।
  3. श्रमिक कल्याण एवं सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करना।
  4. श्रमिकों की समस्या का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर करना।
  5. कर्मचारियों को पदोन्नति तथा विकास के अवसर उपलब्ध कराना।
  6. निवेशकों के लिए उचित लाभ की व्यवस्था करना।
  7. विनियोजित धन की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  8. आपूर्तिकर्ताओं का सहयोग करना एवं उनके उत्पाद का उचित मूल्य देना।
  9. अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना।
  10. श्रमिकों एवं कर्मचारियों के प्रति मानवीय व्यवहार करना।

प्रश्न 3.
व्यवसाय के क्षेत्र पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
व्यवसाय का क्षेत्र
व्यवसाय का क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसके अन्तर्गत वे सभी क्रियाएँ सम्मिलित की जाती हैं जो वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन एवं वितरण से सम्बन्ध रखती हैं। अतः व्यावसायिक क्रियाओं को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-

व्यावसायिक क्रियाओं का वर्गीकरण
RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 18 व्यवसाय एवं वाणिज्यिक क्रियाएँ 1

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि व्यावसायिक क्रियाओं को दो भागों में बांटा जा सकता है-उद्योग तथा वाणिज्य औद्योगिक क्रियाओं को पुनः उनकी प्रकृति के अनुसार विभाजित किया जा सकता है तथा वाणिज्य को भी दो भागों- व्यापार तथा व्यापार की सहायक क्रियाओं के रूप में विभाजित किया जा सकता है। संक्षेप में, व्यावसायिक क्रियाओं की व्याख्या निम्न प्रकार है

1. उद्योग – उद्योग से अभिप्राय उन व्यावसायिक क्रियाओं से है जिनके द्वारा भौतिक संसाधनों के प्रयोग से आवश्यकता की पूर्ति करने वाली वस्तुओं का उत्पादन होता है। उद्योगों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करते हुए उनके रूप में परिवर्तन कर उन्हें उपभोग के योग्य बनाया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, उद्योग उपयोगिता का सृजन करने का कार्य करते हैं। कार्य की प्रकृति के आधार पर उद्योग के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं

  • जननिक उद्योग
  • निष्कर्षण उद्योग
  • निर्माणी उद्योग
  • रचनात्मक उद्योग
  • संयोजन उद्योग

2. वाणिज्य – उद्योग का सम्बन्ध वस्तुओं के उत्पादन से है। जबकि वाणिज्य इन वस्तुओं को उन्हें उपलब्ध कराता है, जिन्हें इनकी आवश्यकता है। अन्य शब्दों में, वाणिज्य का सम्बन्ध मुख्यतः माल के वितरण से है। इसके अन्तर्गत वे सभी कार्य सम्मिलित होते हैं जो माल के स्वतंत्र तथा निर्बाधित प्रवाह को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। इसलिए वाणिज्य के अन्तर्गत व्यापार तथा व्यापार की सहायक क्रियाएँ’ भी सम्मिलित हैं।
(क) व्यापार – व्यापार का आशय वस्तुओं के ऐसे क्रय-विक्रय से है जो क्रेता एवं विक्रेता दोनों के पारस्परिक हितों के लिए किया जाता है। व्यापार द्वारा स्वामित्व या अधिकार उपयोगिता का सृजन होता है। व्यापार में संलग्न व्यक्ति को व्यापारी के नाम से जाना जाता है।
(ख) व्यापार की सहायक क्रियाएँ – माल के उत्पादन का तब तक कोई महत्व नहीं होता, जब तक कि माल को बेच न दिया जाए। इस सम्पूर्ण क्रिया में पहले माल को उत्पादक के कारखाने या गोदाम से हटाकर किसी सुरक्षित भण्डारगृह में संग्रह करना होता है। फिर विज्ञापन के विभिन्न साधनों के माध्यम से लोगों को इसकी जानकारी कराई जाती है। इसके बाद माल के लिए आदेश प्राप्त होने पर यातायात के किसी साधन द्वारा माल को भेजा जाता है। इस प्रकार भण्डारण, विज्ञापन, यातायात, बीमा, बैंकिंग, संचार आदि क्रियाओं को व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहते हैं। अर्थात् उत्पादन केन्द्रों से उपभोग केन्द्रों तक माल के प्रवाह को सम्भव बनाने वाली सभी क्रियाएँ व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहलाती हैं। अतः हम कह सकते हैं कि व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग से सम्बन्धित समस्त क्रियाएँ व्यवसाय के क्षेत्र के अन्तर्गत सम्मिलित होती हैं।

प्रश्न 4.
व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग में अन्तर

अन्तर का आधारव्यापारवाणिज्यउद्योग
1. अर्थवस्तुओं एवं सेवाओं का प्रतिफल के बदले में क्रय-विक्रय करना व्यापार कहलाता है।वाणिज्य के अन्तर्गत व्यापार के साथ-साथ व्यापार की सहायके क्रियाओं को भी सम्मिलित किया जाता है।वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्माण अथवा उत्पादन को उद्योग कहा जाता है।
2. उद्देश्यव्यापार का उद्देश्य वस्तुओं और | सेवाओं का क्रय-विक्रय करना होता है।इसका उद्देश्य वस्तुओं एवं सेवाओं के विक्रय में आने वाली बाधाओं को दूर करना होता है।इसका उद्देश्य वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करना होता है।
3. क्षेत्रव्यापार का क्षेत्र सीमित होता है। क्योंकि इसमें केवल वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय-विक्रय को ही सम्मिलित किया जाता है।वाणिज्य का क्षेत्र व्यापार की अपेक्षा व्यापक होता है। क्योंकि इसमें व्यापार के साथ व्यापार की सहायक क्रियाओं को भी सम्मिलित किया जाता है।उद्योग के अन्तर्गत सभी प्रकार की उत्पादन सम्बन्धी गतिविधियोंको सम्मिलित किया जाता है।
4. उपयोगिता का सृजनइससे अधिकार उपयोगिता का सृजन होता है।इससे समय, स्थान एवं अधिकार उपयोगिताओं का सृजन होता है।इससे रूप उपयोगिता का सृजन होता है।
5. परस्पर निर्भरताव्यापार का आधार उद्योग होता है। क कि व्यापार के अन्तर्गत उद्योग द्वारा उत्पादित वस्तुओं का ही। क्रय-विक्रय होता है।वाणिज्य का आधार व्यापार होता है। क्योंकि यदि व्यापारी द्वारा वस्तुओं की माँग ही न की जाएगी तो अन्य क्रियाओं की भी आवश्यकता नहीं रहेगी।उद्योग का आधार वाणिज्य होता है। क्योंकि वाणिज्य द्वारा जिन वस्तुओं की मांग की जाती है। उद्योग द्वारा उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 5.
उद्योग से क्या आशय है ? उद्योगों के विभिन्न प्रकार बताइए।
उत्तर:
उद्योग से आशय उद्योग का आशय उन व्यावसायिक क्रियाओं से है जिनके द्वारा भौतिक संसाधनों के प्रयोग से आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली वस्तुओं का उत्पादन होता है। उद्योग प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करते हुए उनके रूप में परिवर्तन कर उन्हें उपभोग योग्य बनाते हैं। अतः उद्योग उपयोगिता का सृजन करते हैं। उद्योग के विभिन्न प्रकार उद्योग के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं-

1. जननिक उद्योग – बिक्री के उद्देश्य से निश्चित प्रजाति के पौधों एवं जन्तुओं के प्रजनन तथा वृद्धि में संलग्न उद्योग, जननिक उद्योग कहलाते हैं, जैसे–पौधों की नर्सरी, पशु-पालन, मुर्गी-पालन, कृषि, मत्स्य-पालन, वन संवर्धन आदि।
2. निष्कर्षण उद्योग – भूमि, वायु अथवा जल से वस्तुओं को निकालना निष्कर्षण उद्योग कहलाता है। निष्कर्षण उद्योग के उत्पाद सामान्यत: कच्चे रूप में आते हैं तथा निर्माणी एवं रचनात्मक उद्योग इसका उपयोग नए उत्पाद बनाने हेतु करते हैं, जैसे-खनन द्वारा भूमि से कोयला, खनिज, तेल आदि निकालना, वनों से लकड़ी का निष्कर्षण, समुद्र से मछली पकड़ना आदि।
3. निर्माणी उद्योग – निर्माण उद्योग मशीनों तथा मानव शक्ति की सहायता से कच्चे माल को तैयार माल में रूपान्तरित करने में संलग्न हैं। तैयार माल या तो उपभोक्ता वस्तु हो। सकता है या उत्पादक वस्तु, जैसे कपड़ा उद्योग, रसायन उद्योग, चीनी उद्योग, कागज उद्योग आदि।
4. रचनात्मक उद्योग – यह उद्योग अन्य सभी प्रकार के उद्योगों से भिन्न है क्योंकि अन्य उद्योगों में माल एक स्थान पर बनाया जाता है तथा किसी अन्य स्थान पर बेचा जाता है। परन्तु रचनात्मक उद्योग में माल जहाँ बनाया जाता है उसी स्थान पर स्थित रहता है अर्थात् वहीं बेचा जाता है, जैसे- भवनों, पुलों, सड़कों, बाँधों, नहरों आदि के निर्माण।
5. संयोजन उद्योग – इसके अन्तर्गत वे उद्योग आते हैं जिनमें कुछ छोटे-बड़े कलपुर्जा को जोड़कर उपभोग योग्य उत्पाद का निर्माण किया जाता है, जैसे-कम्प्यूटर, कारे, घड़ी आदि से सम्बन्धित उद्योग।

प्रश्न 6.
बैंकों के प्रकार पर संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
बैंकों के प्रकार कार्य की प्रकृति के आधार पर बैंकों के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं

1. केन्द्रीय बैंक – सभी देशों में बैंकिंग की सर्वोच्च संस्था के रूप में एक केन्द्रीय बैंक होता है। भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम ‘रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया’ है। यह बैंक पूरे देश में साख का नियमन एवं नियंत्रण, बैंकिंग व्यवस्था का नियंत्रण, नोट निर्गमन तथा सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
2. व्यापारिक बैंक – सामान्य बैंकिंग का कार्य करने वाले बैंक व्यापारिक बैंक कहलाते हैं। भारत में सार्वजनिक क्षेत्र में कुल 27 व्यापारिक बैंक कार्यरत हैं। ये बैंक धन जमा करने, ऋण देने, धन का प्रेषण करने, चैक, बिल आदि का संग्रहण व भुगतान करने, साख पत्र जारी करने सम्बन्धी अनेक कार्य करते हैं।
3. सहकारी बैंक – भारत में ये बैंक विशेष रूप से कृषि साख की आवश्यकता को पूरा करने का कार्य करते हैं। भारत में सहकारी बैंकों का ढांचा त्रिस्तरीय है। राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक, जिला स्तर पर केन्द्रीय सहकारी बैंक तथा ग्राम स्तर पर प्राथमिक सहकारी कृषि साख समितियाँ कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त दीर्घकालीन कृषि साख उपलब्ध कराने के लिए राज्य स्तर पर केन्द्रीय भूमि विकास बैंक तथा जिला स्तर पर प्राथमिक भूमि विकास बैंक स्थापित किये गये हैं ये सभी बैंक सहकारिता के सिद्धान्त पर कार्य करते हैं।
4. औद्योगिक विकास – बैंक ये बैंक उद्योगों को आसान शर्तों पर दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध करवाते हैं। इसके अतिरिक्त ये बैंक उद्योगों को प्रबन्धकीय, तकनीकी, विपणन आदि के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं।
5. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक – प्रथम क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना 2 अक्टूबर, 1975 को हुई थी। वर्तमान में भारत में 196 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की 14,000 से अधिक शाखाएँ हैं। इनकी स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में साख की आपूर्ति के लिए की गयी है।
6. निर्यात – आयात बैंक-इसकी स्थापना विदेशी व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। यह निर्यातकों एवं आयातकों को साख सुविधाएँ प्रदान करता है। भारत में निर्यात-आयात बैंक जनवरी 1982 से कार्यरत हैं।
7. विनियोग बैंक – इन बैंकों का कार्य देश में बिखरी हुई छोटी-छोटी बचतों को एकत्रित करके उसकी लाभप्रद विनियोजन करना है। भारत में जीवन बीमा निगम, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया, म्यूचुअल फण्ड आदि विनियोग बैंक के उदाहरण हैं।
8. बचत बैंक – छोटी-छोटी बचतों को एकत्रित करने के लिए पश्चिमी देशों में इस प्रकार के बैंकों की स्थापना की गयी है। भारत में इस प्रकार के बैंक नहीं हैं। अतः इनका कार्य व्यापारिक बैंकों द्वारा ही किया जाता है।
9. अन्तर्राष्ट्रीय बैंक – द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व स्तर पर तीव्र आर्थिक विकास के लिए सन् 1944 में अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की स्थापना की गई इसे विश्व बैंक भी कहा जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ तथा अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम ये दोनों इस बैंक की सहायक संस्थाएँ हैं।
10. देशी यो अनौपचारिक बैंकर्स – ये भारत के सभी भागों में पाये जाते हैं तथा कृषि व व्यापार के लिए वित्त उपलब्ध कराते हैं। इन्हें महाजन, साहूकार, सर्राफ आदि नामों से जाना जाता है।

प्रश्न 7.
चैक किसे कहते हैं तथा चैक के आवश्यक तत्व बताइए।
उत्तर:
चैक से आशय चैक ग्राहक द्वारा अपने बैंक को दिया गया शर्त-रहित एवं लिखित आदेश होता है जिसमें लिखी एक निश्चित धनराशि आदेशित व्यक्ति अथवा विलेख के वाहक को माँग पर देय होती है। भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 की धारा 6 के अनुसार चैक की परिभाषा चैक एक ऐसा विनिमय पत्र है जो किसी विशेष बैंक पर लिखा जाता है। और जिसका भुगतान स्पष्ट रूप से माँग किये जाने के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार से नहीं हो सकता है।” चैक के आवश्यक तत्व चैक के आवश्यक तत्व अग्रलिखित हैं

  1. चैक एक लिखित आदेश पत्र होता है। अत: यह मौखिक आदेश के रूप में नहीं दिया जा सकता है।
  2. चैक ग्राहक द्वारा स्वयं के बैंक को ही लिखा जाता है।
  3. चैक शर्तरहित होता है अर्थात् उसके भुगतान पर कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती है।
  4. चैक द्वारा उसमें लिखी गयी निश्चित धनराशि का भुगतान किया जाता है।
  5. चैक को भुगतान उस निश्चित व्यक्ति या संस्था को ही किया जाता है जिसका नाम चैक पर लिखा होता है या उसका आदेशित होता है। वाहक चैक की स्थिति में इसका भुगतान वाहक को भी किया जा सकता है।
  6. चैक का भुगतान इसके प्राप्तकर्ता के माँगने पर ही किया जाता है। इसके भुगतान की तिथि ग्राहक द्वारा निर्धारित की जाती है।
  7. चैक पर ग्राहक के हस्ताक्षर होने चाहिए तथा ये बैंक में नमूने के लिए दिए गए हस्ताक्षरों से भिन्न नहीं होने चाहिए।
  8. चैक पर खाता संख्या तथा दिनांक का होना भी आवश्यक है।
  9. बैंक द्वारा निर्धारित प्रारूप में छपे हुए चैक ही प्रयोग में लाए जाते हैं। इन्हें ग्राहक द्वारा अपने आप तैयार नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
संचार के साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संचार के साधन संचार के साधनों को दो वर्गों में बाँटा गया है-

  • डाकघर सेवाएँ
  • शीघ्र संचार के साधन

1. डाकघर सेवाएँ – डाकघर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(क) समाचार प्रेषण-डाकघर संदेश भेजने के लिए निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान करता है।

  • पोस्टकार्ड,
  • मुद्रित पोस्ट कार्ड
  • अन्तर्देशीय पत्र
  • लिफाफा

(ख) वस्तु प्रेषण – डाकघर वस्तु प्रेषण के लिए बुक पोस्ट, पार्सल, वी. पी. पी. (मूल्य देय डाक) आदि की सेवाएँ प्रदान करता है।
(ग) धन प्रेषण – डाकघर द्वारा धन प्रेषण के लिए मनीऑर्डर, पोस्टल ऑर्डर तथा बीमा पत्र की सुविधा प्रदान की जाती है।

2. शीघ्र संचार के साधन – शीघ्र संचार के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं

(क) टेलीग्राम या तार – कुछ समय पहले तक संदेश को लिखित माध्यम में एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने का यह प्रमुख साधन था। इसमें एक तार के माध्यम से संदेश दूसरी जगह भेजा जाता था। नई तकनीकों के आ जाने से अब इसे पूर्णरूप से बन्द कर दिया गया है।
(ख) टेलीफोन – टेलीफोन द्वारा घर बैठे ही देश या विदेश में कितनी ही दूरी पर बैठे व्यक्ति के साथ ऐसे ही बातें की जा सकती हैं जैसे वह आमने-सामने बैठा हो। अब मोबाइल के माध्यम से तारविहीन फोन द्वारा चलते-फिरते कहीं भी बात की जा सकती है। टेलीफोन या मोबाइल फोन पर बात करने के लिए हमें संचार कम्पनी को शुल्क अदा करना होता है।
(ग) फैक्स – फैक्स टेलीफोन लाइन से जुड़ा एक छोटा सा यंत्र होता है जो किसी पत्र पर लिखित, मुद्रित एवं चित्रित संदेश को बिना किसी परिवर्तन के दूसरे स्थान पर रखी फैक्स मशीन तक पहुँचा देता है जो उसे उसी रूप में मुद्रित एवं चित्रित कर देती है।
(घ) इन्टरनेट – इन्टरनेट एक ऐसा नेटवर्क है जो दुनियाभर के कम्प्यूटरों को एक मॉडम के द्वारा एक-दूसरे से जोड़ता है। आज इन्टरनेट हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। आज इसके माध्यम से कुछ भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उत्पादों का क्रय-विक्रय किया जा सकता है। किसी परिचित या अन्य व्यक्ति से बात की जा सकती है। अतः इन्टरनेट का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
(ङ) ई-मेल-ई – मेल अब काफी लोकप्रिय हो गया है। इसके माध्यम से किसी संदेश या पत्र को क्षण भर में ही दुनिया के किसी भी भाग में भेजा एवं प्राप्त किया जा सकता है। ई-मेल भेजने या प्राप्त करने के लिए विभिन्न वेबसाइटों जैसे—Yahoo, Google, India आदि का प्रयोग किया जाता है।
(च) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कम्प्यूटर द्वारा काफी दूरी पर बैठे लोगों के मध्य ऑनलाइन बातचीत वैसे ही की जा सकती है जैसे आमने-सामने बैठे हों। इसमें टी. वी. या मॉनीटर पर जुड़कर आमने-सामने बात होती है। इसके अतिरिक्त कुछ वेबसाइटें ऑनलाइन विचारों एवं संदेशों के आदान-प्रदान की सुविधा भी प्रदान करती हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से आर्थिक क्रिया है
(अ) पूजा करना
(ब) व्यायाम करना
(स) अपने बच्चे को पढ़ाना
(द) अस्पताल में नर्स के रूप में कार्य करना
उत्तर:
(द) अस्पताल में नर्स के रूप में कार्य करना

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से अनार्थिक (गैर-आर्थिक क्रिया) है
(अ) किसान द्वारा खेत जोतना
(ब) पूजा करना
(स) व्यापार करना
(द) नौकरी करना
उत्तर:
(ब) पूजा करना

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन-सी गैर-आर्थिक क्रिया है}
(अ) ग्राहक को ब्रेड बेचना
(ब) पड़ोसी को पुराना टेलीविजन बेचना
(स) मित्र को एक कलम भेंट करना
(द) पुनः विक्रय हेतु पुस्तकें क्रय करना
उत्तर:
(स) मित्र को एक कलम भेंट करना

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा आजीविका का माध्यम नहीं है
(अ) व्यवसाय
(ब) पेशा
(स) नौकरी
(द) प्रातः सैर पर जाना
उत्तर:
(द) प्रातः सैर पर जाना

प्रश्न 5.
व्यावसायिक क्रिया के उत्पादन पक्ष को कहते हैं
(अ) उत्पादन
(ब) वाणिज्य
(स) उद्योग
(द) व्यापार
उत्तर:
(स) उद्योग

प्रश्न 6.
भारत में नोट निर्गमन का कार्य करता है
(अ) भारतीय रिजर्व बैंक
(ब) भारतीय स्टेट बैंक
(स) सहकारी बैंक
(द) विनियोग बैंक
उत्तर:
(अ) भारतीय रिजर्व बैंक

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मानवीय क्रियाओं को कौन-कौन से दो वर्गों में बाँटा जाता है?
उत्तर:

  • आर्थिक क्रियाएँ
  • गैर-आर्थिक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
आर्थिक क्रियाओं को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
आर्थिक क्रियाओं को तीन वर्गों में बाँटा गया है

  • वृत्ति एवं पेशा
  • नौकरी अथवा रोजगार
  • व्यवसाय

प्रश्न 3.
गैर-आर्थिक क्रिया के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • एक गृहिणी द्वारा अपने परिवार के लिए भोजन बनाना
  • अपने बच्चों को पढ़ाना

प्रश्न 4.
आर्थिक क्रिया के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • नौकरी करना
  • दुकान चलाना

प्रश्न 5.
व्यवसाय की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • व्यवसाय एक मानवीय आर्थिक क्रिया है।
  • व्यवसाय में वस्तुओं एवं सेवाओं का नियमित रूप से विनिमय होता है।

प्रश्न 6.
व्यावसायिक क्रियाओं को कौन-कौन से दो वर्गों में बाँटा जाता है?
उत्तर:

  • उद्योग
  • वाणिज्य

प्रश्न 7.
जननिक उद्योगों के अन्तर्गत किस प्रकार के उद्योग आते हैं?
उत्तर:
उत्पत्ति से सम्बन्धित उद्योगों को जननिक उद्योगों के अन्तर्गत रखा जाता है।

प्रश्न 8.
निर्माणी उद्योग में क्या किया जाता है?
उत्तर:
कच्चे माल एवं अर्द्ध निर्मित माल को पक्के माल में रूपान्तरित करके उपभोग योग्य बनाया जाता है।

प्रश्न 9.
उद्योग के उस प्रकार का नाम बताइए, जिसमें एक निश्चित स्थान पर ही निर्माण यो संरचना की जाती है?
उत्तर:
रचनात्मक उद्योग।

प्रश्न 10.
संयोजन उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
इसके अन्तर्गत वे उद्योग आते हैं, जिनमें छोटे-बड़े विभिन्न कलपुर्जा को जोड़कर उपभोग योग्य नया उत्पाद तैयार किया जाता है, जैसे-कम्प्यूटर, कार, घड़ी आदि।

प्रश्न 11.
बैंक में खोले जाने वाले किन्हीं चार खातों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • सावधि जमा खाता
  • बचत बैंक खाता
  • चालू खाता
  • आवर्ती जमा खाता

प्रश्न 12.
भारत के केन्द्रीय बैंक का क्या नाम है?
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक।

प्रश्न 13.
केन्द्रीय बैंक के दो कार्य बताइए।
अथवा
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के दो कार्य बताइए।
उत्तर:

  • देश में साख का नियमन एवं नियंत्रण करना।
  • नोट निर्गमन करना।

प्रश्न 14.
व्यापारिक बैंकों से क्या आशय है?
उत्तर:
जो बैंक सामान्य बैंकिंग का कार्य करते हैं, उन्हें व्यापारिक बैंक कहा जाता है।

प्रश्न 15.
भारत में सहकारी बैंक किस सिद्धान्त पर कार्य करते हैं?
उत्तर:
भारत में सहकारी बैंक सहकारिता के सिद्धान्त पर कार्य करते हैं।

प्रश्न 16.
भारतीय औद्योगिक वित्त निगम की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1948 में

प्रश्न 17.
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1964 में

प्रश्न 18.
भारत में निर्यात-आयात बैंक की स्थापना कब
उत्तर:
जनवरी, 1982 में

प्रश्न 19.
अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की स्थापना कब हुई?
अथवा
विश्व बैंक की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1944 में

प्रश्न 20.
अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) की दो सहायक संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:

  • अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ एवं
  • अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम

प्रश्न 21.
बैंकिंग व्यवहारों में प्रयोग किये जाने वाले किन्हीं तीन प्रलेखों के नाम लिखिए।

उत्तर:

  • चैक
  • बैंक ड्राफ्ट तथा
  • पे-ऑर्डर (बैंकर्स चैक)

प्रश्न 22.
भारत में विनियोग बैंक के रूप में कार्य करने वाली दो संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:

  • भारतीय जीवन बीमा निगम
  • यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया

प्रश्न 23.
बीमा संविदा किस सिद्धान्त पर आधारित है?
उत्तर:
परम सविश्वास के सिद्धान्त पर।

प्रश्न 24.
बीमा अनुबन्ध में कितने पक्षकार होते हैं?
उत्तर:
बीमा के अनुबन्ध में दो पक्षकार होते हैं-

  • बीमाकर्ता तथा
  • बीमित

प्रश्न 25.
प्रीमियम क्या है?
उत्तर:
बीमित द्वारा बीमाकर्ता को दी जाने वाली वह राशि, जिसके बदले उसे हानि से सुरक्षा का वचन प्राप्त होता है, उसे प्रीमियम या अंशदान कहते हैं।

प्रश्न 26.
संचार क्या है?
उत्तर:
अपने भावों, विचारों, संदेशों एवं सूचनाओं को दूसरे तक प्रेषित करना संचार कहलाता है।

प्रश्न 27.
डाकघर संदेश प्रेषण के लिए कौन-कौन-सी सुविधा प्रदान करता है?
उत्तर:
डाकघर संदेश प्रेषण के लिए निम्न सुविधाएँ प्रदान करता है

  • पोस्टकार्ड
  • मुद्रित पोस्टकार्ड
  • अन्तर्देशीय पत्र
  • लिफाफो

प्रश्न 28.
डाक विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले लिफाफे का वर्तमान मूल्य क्या है?
उत्तर:
5 रुपया।

प्रश्न 29.
शीघ्र डाक पहुँचाने के लिए डाकघर कौन-सी सुविधा प्रदान करता है?
उत्तर:
स्पीड पोस्ट

प्रश्न 30.
अधिकतम कितने किलोग्राम तक की वस्तुएँ डाक द्वारा भेजी जा सकती हैं?
उत्तर:
20 किलोग्राम तक

प्रश्न 31.
डाकघर द्वारा धन प्रेषण के लिए कौन-कौनसी सेवाएँ प्रदान की जाती हैं?
उत्तर:

  • मनीऑर्डर
  • पोस्टल ऑर्डर तथा
  • बीमा-पत्र

प्रश्न 32.
शीघ्र संचार के विभिन्न साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
शीघ्र संचार के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं

  • टेलीग्राम या तार
  • टेलीफोन/मोबाइल
  • फैक्स
  • इन्टरनेट
  • ई-मेल
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

प्रश्न 33.
बहुमाध्यम के कोई चार आधुनिक साधन बताइए।
उत्तर:

  • टेलीविजन
  • सेटेलाइट
  • टेपरिकॉर्डर
  • वी. सी. डी.

प्रश्न 34.
सेवा क्षेत्र को कितने क्षेत्रों में विभाजित किया गया है? उनके नाम भी लिखिए।
उत्तर:
सेवा क्षेत्र को निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में विभाजित

प्रश्न 35.
व्यक्तिगत सेवाओं के कोई दो उदाहरण बताइए।

  1. व्यावसायिक सेवाएँ
  2. सामाजिक सेवाएँ
  3. व्यक्तिगत सेवाएँ। किया गया है

उत्तर:

  • पर्यटन सेवाएँ तथा
  • मनोरंजन सेवाएँ।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्थिक क्रियाओं एवं गैर-आर्थिक क्रियाओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक क्रियाओं तथा गैर-आर्थिक क्रियाओं में अंतर

आधार

आर्थिक क्रियाएँ

गैर-आर्थिक क्रियाएँ

1. उद्देश्यये आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाती हैं।ये सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाती हैं।
2. लाभइनसे धन और संपत्ति में वृद्धि होती है।इनसे संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्त होती है।
3. अपेक्षालोग इनसे लाभ या धन की आशा करते हैं।लोग इनसे लाभ या धन की आशा नहीं करते।
4. प्रतिफलये विवेकशील सोच द्वारा निर्देशित होती हैं, क्योंकि इनमें आर्थिक संसाधन; जैसे-भूमि, श्रम, पूँजी आदि संलग्न होते हैं।ये भावात्मक कारणों से अभिप्रेरित होती हैं। कोई आर्थिक प्रतिफल संलग्न नहीं होता।

प्रश्न 2.
आप कैसे कह सकते हैं कि व्यवसाय सामाजिक परिवर्तन का साधन है?
उत्तर:
व्यवसाय सामाजिक परिवर्तन का साधन-व्यवसाय की सहायता से लोगों के जीवन-निर्वाह के साधनों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करके उनके जीवन-स्तर को उन्नत किया जा सकता है तथा उनके विचारों में समाज की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन लाया जा सकता है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् पश्चिमी देशों में हुई औद्योगिक क्रान्ति से अनेक सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन देखने को मिले हैं।

प्रश्न 3.
व्यवसाय द्वारा उपयोगिता सृजन कैसे होता है?
उत्तर:
व्यावसायिक क्रियाओं के माध्यम से जनता के बीच वस्तुओं की उपयोगिता का सृजन किया जाता है अर्थात् जब कोई नया उत्पाद तैयार होता है, तो उसके बारे में प्रचार-प्रसार करके लोगों को उसके उपयोग की जानकारी दी जाती है। धीरे-धीरे वह लोगों की आवश्यकता बन जाता है। उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन के आविष्कार से पहले भी लोगों में संदेश भेजने व संचार का कार्य होता था, लेकिन मोबाइल फोन के आविष्कार से जनता के बीच उसकी उपयोगिता का सृजन हुआ और आज उसका प्रयोग करने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है।

प्रश्न 4.
उद्योग का आशय स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आप कैसे कह सकते हैं कि उद्योग, उपयोगिता का सृजन करते हैं ?
उत्तर:
उद्योग का आशय – उद्योग से आशय उन व्यावसायिक क्रियाओं से है, जिनके द्वारा भौतिक संसाधनों के प्रयोग से आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली वस्तुओं का उत्पादन होता है। उद्योग प्राकृतिक संसाधनों को प्रयोग करके उनका रूप परिवर्तन कर उपभोग के योग्य बनाते हैं। औद्योगिक क्रियाओं का उद्देश्य वस्तुओं के स्वरूप में परिवर्तन कर उन्हें इस रूप में उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी उपयोगिता में वृद्धि हो सके तथा वे ग्राहकों के मनोनुकूल तैयार हो सकें। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उद्योग, उपयोगिता का सृजन करते हैं।

प्रश्न 5.
वाणिज्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वाणिज्य का अर्थ – व्यापार, वाणिज्य का अंग है। वाणिज्य का अर्थ व्यापार से अधिक व्यापक है। वाणिज्य में व्यापार के अतिरिक्त व्यापार के सहायक तत्व, जैसे-विज्ञापन, बीमा, परिवहन आदि को भी सम्मिलित किया जाता है। अन्य शब्दों में, वाणिज्य = व्यापार + वितरण सेवाएँ। वाणिज्य में वस्तुओं के क्रय-विक्रय के साथ-साथ वे सम्पूर्ण क्रियाएँ भी सम्मिलित की जाती हैं जिनके द्वारा वस्तुओं को उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है। इस प्रकार, वाणिज्य उन समस्त क्रियाओं का सामूहिक रूप है, जो मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के मार्ग में आने वाली बाधाओं के निवारण के लिए की जाती हैं। जेम्स स्टीफेन्स के अनुसार-“औद्योगिक जगत के सदस्यों के बीच वस्तुओं के विनिमय की संगठित व्यवस्था ही वाणिज्य है।”

प्रश्न 6.
वाणिज्य की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वाणिज्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. वाणिज्य उत्पादों के उपभोक्ता तक पहुँचाने का कार्य करता है।
  2. वाणिज्य वितरण सम्बन्धी बाधाओं को दूर करके वस्तुओं के विनिमय को सरल बनाता है।
  3. वाणिज्य द्वारा समय, स्थान एवं अधिकार उपयोगिताओं का सृजन होता है।
  4. वाणिज्य में व्यापार एवं व्यापार की सहायक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है।
  5. वाणिज्य व्यवसाय का ही एक अंग है।

प्रश्न 7.
व्यापार से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यापार का आशय – लाभ कमाने के उद्देश्य से वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय-विक्रय को व्यापार कहा जाता है, किन्तु वर्तमान प्रतियोगिता के युग में ऐसे क्रय-विक्रय का उद्देश्य पारस्परिक हित होना चाहिए। अर्थात् व्यापार से आशय वस्तुओं के ऐसे क्रय-विक्रय से है, जो क्रेता एवं विक्रेता दोनों के पारस्परिक हितों के लिए किया जाता है। व्यापार द्वारा स्वामित्व या अधिकार उपयोगिता का सृजन होता है तथा व्यापार में संलग्न व्यक्ति को व्यापारी कहा जाता है।

प्रश्न 8.
व्यापार की सहायक क्रियाओं से क्या आशय है?
उत्तर:
व्यापार की सहायक क्रियाएँ – वे सभी क्रियाएँ, जो वस्तुओं एवं सेवाओं को उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में सहायक होती हैं उन्हें व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहा जाता है; जैसे-परिवहन, भण्डारण, बीमा, बैंकिंग, संचार, विज्ञापन आदि। इन सभी क्रियाओं द्वारा व्यवसाय में स्थाने व समय उपयोगिता का सृजन होता है तथा ये व्यापार के विस्तार तथा विकास में सहायक होती हैं।

प्रश्न 9.
बैंक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
बैंक की परिभाषा – बैंक वह संस्था है, जो मुद्रा में लेन-देन करती है, जहाँ द्रव्य का जमा, संरक्षण एवं निर्गमन होता है तथा ऋण देने एवं कटौती की सुविधाएँ दी जाती हैं। और एक स्थान से दूसरे स्थान पर धनराशि भेजने की व्यवस्था की जाती है। भारतीय बैंकिंग अधिनियम, 1949 के अनुसार, “बैंकिंग कम्पनी वह है, जो बैंकिंग का व्यवसाय करे।” बैंकिंग से आशय ऋण देने या निवेश के लिए जनता से माँग पर देय, जमा स्वीकार करने से है, जो चैक, ड्राफ्ट या किसी अन्य प्रकार से निकाला जा सकता है।

प्रश्न 10.
बैंकिंग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
बैंकिंग का अर्थ – बैंक द्वारा किये जाने वाले कार्यों की प्रक्रिया को बैंकिंग कहते हैं। बैंकिंग कार्यों में जमा स्वीकार करना, ऋण देना अथवी द्रव्य का विनियोजन शामिल है। बैंकिंग, व्यवसाय की एक सहायक सेवा है, यह न केव) माल के उत्पादन तथा सेवाओं को धन प्रदान करता है, बल्कि क्रेताओं और विक्रेताओं के बीच इसके विनिमय को भी सुविधाजनक बनाता है।

प्रश्न 11.
ए. टी. एम. क्या है?
उत्तर:
ए. टी. एम. (A. T. M.) – ए. टी. एम. किसी बैंक शाखा अथवा अन्य जगह पर लगाई गई मशीन है, जिससे ग्राहक मूल बैंकिंग क्रियाकलाप (खाते का शेष जानना, रुपया निकालना अथवा अन्तरित करना) कर सकते हैं चाहे बैंक बन्द ही क्यों न हो। इसे स्वचालित टैलर मशीन (ए. टी. एम.) कहते हैं। इसके माध्यम से 24 घंटे नकद लेन-देन हो सकते हैं।

प्रश्न 12.
डेबिट कार्ड एवं क्रेडिट कार्ड पर संक्षिप्त टिप्पणी . लिखिए।
उत्तर:
1. डेबिट कार्ड – यह कार्ड ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से तुरन्त उनके खाते तक पहुँच उपलब्ध कराता है। लोग डेबिट कार्ड के माध्यम से वस्तुओं व सेवाओं को क्रय कर सकते हैं। डेबिट कार्ड द्वारा चुकाई जाने वाली राशि उनके खाते से डेबिट कर दी जाती है।

2. क्रेडिट कार्ड – क्रेडिट कार्ड, धारकों को विक्रय स्थान पर उधार की सुविधा प्रदान करता है। ग्राहक को अपने साथ नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं होती है। इससे नकदी के चोरी होने खोने व लुटने की संभावना कम हो जाती है। क्रेडिट कार्ड सामान्यतया वस्तु एवं सेवाएँ क्रय करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं।

प्रश्न 13.
अधिविकर्ष से क्या आशय है?
उत्तर:
अधिविकर्ष – अधिविकर्ष बैंक द्वारा प्रदान की जाने वाली साख सुविधा है। इसमें एक ग्राहक को, जिसका बैंक में चालू खाता होता है, खाते में जमा राशि से अधिक राशि निकालने का अधिकार मिल जाता है। बैंक ग्राहकों को एक निश्चित राशि तक अपने खाते में जमा के अतिरिक्त निकालने की अनुमति दे देता है। यह अतिरिक्त राशि ही अधिविकर्ष कहलाती है। अधिविकर्ष की सुविधा में एक निर्धारित राशि-सीमा तय कर दी जाती है, जो व्यक्तिगत जमानत, संपत्ति की जमानत अथवा दोनों पर ही प्रदान की जाती है। अधिविकर्ष के सम्बन्ध में स्मरणीय बात यह है कि अधिविकर्ष देते समय बैंक ग्राहक की साख का ध्यान रखता है और पर्याप्त जमानत रखकर ही अधिविकर्ष की स्वीकृति देता

प्रश्न 14.
चैक के कितने पक्षकार होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चैक के निम्नलिखित तीन पक्षकार होते हैं
1. आहर्ता या लेखक – बैंक में खाता रखने वाले ग्राहक को ही चैक लिखने व हस्ताक्षर करने का अधिकार होता है, अतः वही आहर्ता या लेखक कहलाता है।
2. आहर्ती या देनदार – आहर्ती वह बैंक होता है, जिस पर ग्राहक द्वारा चैक लिखा जाता है।
3. आदाता या प्रापक – जो पक्षकार चैक का भुगतान बैंक से प्राप्त करने के लिए अधिकृत होता है, वह आदाता या प्रापक कहलाता है। आदाता चैक का लेखक स्वयं या चैक का वाहक या कोई अन्य पक्ष हो सकता है।

प्रश्न 15.
पे-ऑर्डर अथवा बैंकर्स चैक पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
पे-ऑर्डर अथवा बैंकर्स चैक – पे-ऑर्डर बैंक की ओर से स्थानीय ग्राहकों को भुगतान करने के लिए जारी किया जाता है। इसे क्रेता द्वारा पे-ऑर्डर की राशि व कमीशन बैंक में निर्धारित प्रपत्र के साथ जमा करने पर बैंक द्वारा जारी किया जाता है, जिसका भुगतान उसी बैंक द्वारा पे-ऑर्डर को प्रस्तुत करने पर प्रापक को कर दिया जाता है। इसको बनवाने का शुल्क बैंक ड्राफ्ट की तुलना में कम होता है, लेकिन शेष सभी नियम इस पर बैंक ड्राफ्ट के ही लागू होते हैं।

प्रश्न 16.
बीमा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
बीमा की परिभाषाएँ। सर विलियम बेवरीज के अनुसार, “बीमा जोखिमों के सामूहिक वहन को कहते हैं।” न्यायमूर्ति टिण्डल के अनुसार, “बीमा एक अनुबन्ध है, जिसके अन्तर्गत बीमित बीमाकर्ता को एक निश्चित अंशदान एक निश्चित घटना के घटित होने की जोखिम उठाने के प्रतिफल के रूप में देता है।” बीमा की उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि बीमा एक अनुबन्ध है, जिसमें बीमाकर्ता एक निश्चित प्रतिफल के बदले बीमित को किन्हीं पूर्व निर्धारित कारणों से हानि होने पर एक निश्चित धनराशि देने का वचन देता है।

प्रश्न 17.
बीमा के कितने पक्षकार होते हैं? स्पष्ट रूप से समझाइए।
उत्तर:
बीमा अनुबन्ध के निम्नलिखित दो पक्षकार होते हैं-

1. बीमाकर्ता – वह व्यक्ति या संस्था जो बीमित से अंशदान (प्रीमियम) स्वीकार करके जोखिमों से होने वाली क्षति की पूर्ति करने का वचन देती है, उसे बीमाकर्ता कहते हैं।
2. बीमित – वह व्यक्ति, जो बीमाकर्ता को अंशदान का भुगतान करके बीमा की विषय-वस्तु की क्षति होने पर क्षतिपूर्ति का वचन प्राप्त करता है तथा क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार रखता है, उसे बीमित कहा जाता है।

प्रश्न 18.
बीमा के परम सविश्वास के सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर:
बीमा का ‘परम सविश्वास सिद्धान्त’ – बीमा पारस्परिक विश्वास एवं सद्भावना का अनुबन्ध है। इस अनुबन्ध में दोनों पक्षों अर्थात् बीमा करने वाले (बीमाकर्ता) तथा बीमा कराने वाले (बीमित) को सभी आवश्यक सूचनाएँ एक-दूसरे को प्रदान करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति द्वारा जीवन बीमा कराते समय बीमा करने वाले को बता देना चाहिए कि वह ऐसी बीमारी से ग्रस्त है जो उसका जीवन ले सकती है, जैसे-कैंसर। यदि वह व्यक्ति ऐसा नहीं करता और उसकी मृत्यु हो जाती है तथा बाद में पता चलता है कि बीमा कराने वाला ऐसी बीमारी से पीड़ित था, जो उसकी मृत्यु का कारण बनी, तो ऐसी स्थिति में बीमा करने वाला (बीमा कम्पनी) दवा भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं होगा।

प्रश्न 19.
बीमा की आवश्यकता बताइए।
उत्तर:
बीमा की आवश्यकता – मानव जीवन विविध प्रकार की जोखिमों से घिरा हुआ है। अधिकांश आपदाएँ ऐसी होती हैं, जिनके विस्तार, घटनाक्रम या भविष्य के बारे में जानकारी नहीं होती, अतः इनमें जोखिम रहता है। कोई नहीं जानता कि मानव के जीवन के प्रति या सम्पत्ति के प्रति भविष्य में कब, कौन-सी, कैसी और कहाँ घटना घटित होगी। जोखिमों से आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करने के लिए ही बीमा की आवश्यकता होती है। सुरक्षा की इस आवश्यकता ने ही बीमा प्रणाली का आविष्कार किया है। भयंकर और असाधारण जोखिमों से आर्थिक सुरक्षा पाने के लिए ही विभिन्न बीमा प्रणालियों का विकास हुआ है। बीमा ने अनिश्चितताओं को समाप्त करके मनुष्य को सुरक्षा और निर्भयता प्रदान की है।

प्रश्न 20.
सामाजिक तथा राष्ट्रीय दृष्टि से बीमा की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
सामाजिक दृष्टि से बीमा की उपयोगिता-

  • पारिवारिक जीवन में स्थिरता एवं खुशहाली लाना
  • जोखिम का विभाजन
  • रोजगार के अवसरों में वृद्धि
  • शिक्षा को बढ़ावा
  • करों में छूट
  • आधारभूत सुविधाओं के विस्तार में योगदान

राष्ट्रीय दृष्टि से बीमा की उपयोगिता-

  • राष्ट्रीय बचत में वृद्धि
  • विदेशी व्यापार में सहायक
  • कर्मचारी कल्याण में वृद्ध,
  • मुद्रास्फीति पर नियंत्रण
  • राष्ट्रीय आय में वृद्धि
  • पूँजी का अनुकूलतम उपयोग

प्रश्न 21.
परिवहन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन का अर्थ – परिवहन का अर्थ उन गतिविधियों से है, जिनके अन्तर्गत सामान और व्यक्तियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले-जाने में सहायता मिलती है। व्यवसाय में इसको एक सहायक क्रिया के रूप में जाना जाता है, जो कच्चे माल को उत्पादन के स्थान तक और तैयार माल को उपभोग/बिक्री के लिए उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में व्यापार और उद्योग की सहायता करती है। परिवहन का अध्ययन सुविधानुसार निम्न वर्गों में बाँट कर किया जा सकता है

  1. भू-परिवहन-सड़क परिवहन, रेल परिवहन।
  2. वायु परिवहन-हवाई जहाज।
  3. जल परिवहन- जहाजरानी परिवहन, आन्तरिक जल परिवहन।

प्रश्न 22.
शीघ्र संचार के एक साधन के रूप में टेलीफोन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
टेलीफोन – टेलीफोन मौखिक संवाद का बहुत ही लोकप्रिय साधन है। संगठन के भीतर और संगठन से बाहर संवाद के लिए टेलीफोन का काफी प्रयोग किया जाता है। देश के भीतर लम्बी दूरी का संवाद एस. टी. डी. (सब्सक्राइबर ट्रंक डाइलिंग) द्वारा होता है, जबकि विदेशों में किसी से बातचीत के लिए आई.एस. डी. (इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डाइलिंग) सुविधा का प्रयोग किया जाता है। टेलीफोन सुविधाएँ सरकारी और निजी दोनों तरह की कम्पनियाँ उपलब्ध कराती हैं। टेलीफोन से तुरन्त संवाद स्थापित हो जाता है, इसलिए इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 23.
फैक्स क्या है? स्पष्ट रूप से समझाइए।
उत्तर:
फैक्स – फैक्स या फैक्सीमाइल एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसके द्वारा हाथ से लिखे हुए या छपे हुए शब्द, रेखाचित्र, ग्राफ, स्केच आदि को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकता है। फैक्स मशीन टेलीफोन लाइनों के माध्यम से किसी दस्तावेज को दूसरी जगह जैसा का तैसा भेजती हैं। दस्तावेज को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए मशीन में डालना पड़ता है और जिस मशीन पर उसे भेजना है उसका नंबर डायल किया जाता है। इसके बाद दूसरी फैक्स मशीन उसकी नकल तुरन्त निकाल देती है। यह लिखित व्यावसायिक सन्देश को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का एक अच्छा साधन है।

प्रश्न 24.
वेबसाइट क्या है?
उत्तर:
वेबसाइट – इन्टरनेट सूचनाओं को भण्डार है। आप इस भण्डार से किसी भी प्रकार की सूचना सीधी प्राप्त कर सकते हैं। वेबसाइट आवश्यक सूचना तक पहुँचने के माध्यम के रूप में कार्य करती है। कम्प्यूटर पर सूचना प्राप्त करने के लिए सूचना से सम्बन्धित साइट का नाम अंकित करना पड़ता है, जैसे-यदि आपको पर्यावरण के क्षेत्र में देखना हो, तो आप http://www.envi.com टाईप करें, इस साइट के खुलते ही मॉनीटर पर पर्यावरण से सम्बन्धित सूचना उपलब्ध हो जायेगी।

प्रश्न 25.
सूचना प्रौद्योगिकी के रूप में कम्प्यूटर के प्रयोग पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
सूचना प्रौद्योगिकी के रूप में कम्प्यूटर – आज वैज्ञानिकों ने सूचना तकनीकी व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इतना विकास कर लिया है कि हवाई जहाज, उपग्रह, मौसम की जानकारी यहाँ तक कि डॉक्टरों को बीमारियों के बारे में जानकारी कम्प्यूटरों द्वारा प्राप्त होती है। वस्तुओं के क्रय-विक्रय का कार्य भी ई-कॉमर्स के माध्यम से होने लगी है। ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय में व्यक्ति को व्यक्ति के पास आने की जरूरत ही नहीं होगी, क्योंकि उसका समस्त काम कम्प्यूटर के माध्यम से घर बैठे ही हो जायेगा। अत: कम्प्यूटर से जुड़ी सूचना प्रणाली संचार का अनूठा माध्यम है।

प्रश्न 26.
सी. डी. रोम क्या है? समझाइए।
उत्तर:
सी. डी. रोम – इसमें कम्प्यूटर की सहायता से सी. डी. में दी गयी सूचना को पढ़ा जा सकता है, लेकिन उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। एक छोटी सी डिस्क में हजारों पृष्ठों की जानकारी को संग्रहित किया जा सकता है। आजकल अनेकों पुस्तकों, शब्दकोषों व पत्रिकाओं की सी. डी. उपलब्ध हैं, जिन्हें कम्प्यूटर पर पढ़ा जा सकता है तथा उनके प्रिन्ट निकाले जा सकते हैं।

प्रश्न 27.
बहुमाध्यम को स्पष्ट रूप से समझाइए।
उत्तर:
बहुमाध्यम शब्द यह बोध कराता है कि इसके द्वारा कई तरीकों से सूचनाओं को देखा, भेजा व प्राप्त किया जा सकता है। इसके आधुनिक साधनों में टेलीविजन, सेटेलाइट, टेपरिकॉर्डर, वीसीडी, सीडी व डिस्क शामिल हैं। बहुमाध्यम को वास्तव में संयुक्त रूप से पाठ्य-सामग्री, चित्र, दृश्य, श्रव्य, ऐनीमेशन, सिमूलेशन या आपसी सम्पर्क या इंटर ऐक्टिविटी कम्प्यूटर के माध्यम से लिये जाने वाले उपयोग के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 28.
सेवा क्षेत्र को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है? उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सेवा क्षेत्र को मुख्यत: निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया गया है

1. व्यावसायिक सेवाएँ – इसके अन्तर्गत बैंकिंग, बीमा, परिवहन, संचार, विज्ञापन आदि सेवाएँ आती हैं।
2. सामाजिक सेवाएँ – ये सेवाएँ कुछ सामाजिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए स्वेच्छा से प्रदान की जाती हैं, जैसे-कमजोर वर्ग के लोगों के बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना, सरकारी स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि से सम्बन्धित सेवाएँ आदि।
3. व्यक्तिगत सेवाएँ – ये वे सेवाएँ हैं, जिनका अनुभव विभिन्न ग्राहकों द्वारा अलग-अलग तरीके से होता है। इनमें एकरूपता का अभाव पाया जाता है। ये सेवा प्रदाता के अनुसार अलग-अलग होती हैं तथा ग्राहकों की पसन्द एवं आवश्यकता पर निर्भर करती हैं, जैसे-पर्यटन, जलपान-गृह एवं मनोरंजन सेवाएँ आदि।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बैंक के प्राथमिक कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बैंक के प्राथमिक कार्य

1. जमाएँ स्वीकार करना – जनता से निक्षेप या जमाएँ। स्वीकार करना आधुनिक बैंकों का एक प्रमुख कार्य है। बैंक छोटी-छोटी बचत के रूप में जनता से प्राप्त धन का देशहित में विनियोग करते हैं तथा जनता के जमा पर ब्याज भी देते हैं। व्यापारिक बैंक निम्नलिखित खाते खोलकर जमा स्वीकार करते हैं
(A) सावधि जमा खाता – यह खाता बैंक द्वारा ग्राहक की इच्छानुसार निश्चित अवधि, जैसे-1, 2, 5 या 10 वर्ष के लिए खोला जाता है इसमें एक बार जो धन जमा कर दिया जाता है उसे निश्चित समय बाद ही निकाला जा सकता है। बैंक इस खाते पर सबसे अधिक दर से ब्याज प्रदान करते हैं। बैंक इस खाते में जमा धनराशि की जमानत पर ऋण भी प्रदान करते हैं।
(B) बचत बैंक खाता – यह खाती अल्प एवं मध्य आय वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी होता है। इससे जनता में बचत की भावना को प्रोत्साहन मिलता है। खाता धारक इस खाते में कभी भी धन जमा कर सकता है तथा निकाल भी सकता है। इस खाते में जमा पर ब्याज कम मिलता है।
(C) चालू खाता – यह खाता सामान्यतया व्यापारी वर्ग के लिए उपयोगी होता है। इसमें से खाताधारक एक दिन में ही कई बार धने निकाल सकता है तथा जमा भी कर सकता है। इस खाते पर बैंक ब्याज नहीं देता है।
(D) आवर्ती जमा खाता – यह खाता उनके लिए उपयोगी है जो अपनी छोटी बचतों को एकत्र करके एक निश्चित समय में एक मुश्त राशि प्राप्त करना चाहते हैं। इसमें एक निश्चित रकम निश्चित अन्तराल पर नियमित रूप से जमा करवानी पड़ती है। इस खाते की अवधि एक से दस वर्ष तक की हो सकती है।
(E) अन्य बचत खाते – व्यापारिक बैंक द्वारा विभिन्न उद्देश्यों के अनुरूप अन्य खाते भी खोले जाते हैं, जैसे-गृह बचत खाता, प्रतिदिन बचत जमा योजना, मासिक ब्याज आय जमा योजना, अवयस्क बचत योजना, कृषि जमा योजना आदि।

2. ऋण देना – बैंकों को दूसरा प्रमुख कार्य ऋण देना है। बैंक जमा धन को व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा अन्य लोगों को ब्याज पर उधार देता है। इसके लिए बैंक द्वारा निम्नलिखित ऋण सुविधाएँ प्रदान की जाती है
(A) नकद साख – इस पद्धति में बैंक प्रार्थी के लिए ऋण लेने की एक सीमा निर्धारित कर देता है। बैंक ऋण की सीमा जमानत के आधार पर तय करते हैं। ऋण लेने वाला जितनी राशि बैंक से प्राप्त करता है बैंक उसी राशि पर ब्याज वसूल करता है।
(B) अधिविकर्ष – बैंक चालू खाता धारकों को उनकी जमा से अधिक धनराशि निकालने की सुविधा प्रदान करता है। इसी अधिक धनराशि को अधिविकर्ष कहा जाता है। इसकी राशि व्यापारी की साख पर निर्भर करती है। यह सुविधा अल्पकाल के लिए एवं आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए होती है।
(C) ऋण एवं अग्रिम – बैंक द्वारा ऋण देने का सामान्य तरीका है। इसमें प्रार्थी की जमानत के आधार पर ऋण की राशि तय की जाती है। ब्याज की दर व भुगतान की शर्ते बैंक एवं प्रार्थी के बीच तय की जाती हैं। ऋण को भुगतान न होने पर बैंक जमानत की रखी सम्पत्ति को बेचकर अपना ऋण वसूल कर लेता है।
(D) विनिमय विपत्रों की कटौती – इस विधि में बैंक सावधि विनिमय विपत्रों को बिल की तिथि से पूर्व ही भुनाने की सुविधा प्रदान करते हैं तथा इस कार्य के बदले उस अवधि के बराबर ब्याज बट्टा (छूट) के रूप में लेते हैं। इस प्रकार अधिकारियों को समय पूर्व ही धन प्राप्त हो जाता

प्रश्न 2.
बैंक द्वारा ग्राहकों के लिए किये जाने वाले सामान्य उपयोगी कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बैंक द्वारा ग्राहक के लिए किए जाने वाले सामान्य उपयोगी कार्य बैंक अपने ग्राहकों के लिए सामान्य उपयोगी कार्यों के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य करते हैं।

1. आर्थिक स्थिति की जानकारी देना – व्यापारी अपने नये ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी उनकी बैंक से प्राप्त कर सकते हैं तथा बैंक भी अपने ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी अन्य व्यापारियों को उपलब्ध कराते हैं।
2. लॉकर्स की सुविधा प्राप्त करना – बैंक ग्राहकों को अपनी बहुमूल्य वस्तुएँ, जैसे-आभूषण, महत्वपूर्ण दस्तावेज, प्रतिभूतियाँ आदि सुरक्षित रखने के लिए लॉकर की सुविधा कुछ शुल्क लेकर प्रदान करते हैं।
3. यात्री चैक की व्यवस्था – बैंक अपने ग्राहकों के लिए यात्री चैक जारी करते हैं जिससे ग्राहकों को अपने साथ नकद धन ले जाने का जोखिम नहीं लेना पड़ता है।
4. अभिगोपन कार्य – बैंक कमीशन लेकर कम्पनियों के अंश एवं ऋणपत्रों के अभिगोपन का कार्य भी करते हैं।

5. वित्तीय सलाह प्रदान करना – बैंक अपने ग्राहकों को समय-समय पर वित्तीय एवं आर्थिक विषयों पर परामर्श भी देती है जिससे व्यापारियों को निर्णय लेने में सुविधा होती है।
6. समाशोधन गृहों की व्यवस्था – बैंक पारस्परिक भुगतानों के निपटारे के लिए समाशोधन गृहों का प्रबन्ध एवं संचालन भी करते हैं।
7. सार्वजनिक ऋणों की व्यवस्था करना – व्यापारिक बैंक सरकार द्वारा जारी ऋणपत्रों की बिक्री की व्यवस्था भी करते हैं।
8. विदेशी विनिमय की व्यवस्था – बैंक विदेशी विनिमय की व्यवस्था करते हैं तथा विदेशी व्यापार के लिए साख भी उपलब्ध करवाते हैं।
9. आर्थिक सूचनाओं को इकट्ठा करना तथा उन्हें प्रकाशित करना – बैंक देश की आर्थिक एवं व्यापारिक सूचनाओं को एकत्रित करके उनका देशहित में प्रकाशन भी करते हैं।
10. साख सृजन – बैंक जमाओं, व्युत्पन्न जमाओं तथा विनिमय बिलों की कटौती पर साख का सृजन करते हैं।
11. अन्य सहायक कार्य – उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त बैंक कुछ अन्य सहायक कार्य भी करते हैं, जैसे-गारण्टी देना, साख प्रमाणपत्र देना, उपहार चैक जारी करना आदि।

प्रश्न 3.
बीमा की विशेषताओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बीमा की विशेषताएँ

1. बीमा एक अनुबन्ध है – बीमा एक ऐसा अनुबन्ध है। जिसमें बीमाकर्ता एक निश्चित प्रतिफल के बदले बीमित को किन्हीं पूर्व निर्धारित कारणों से हानि होने पर क्षतिपूर्ति करने या एक निश्चित धनराशि का भुगतान करने का वचन देता है। इसमें बीमाकर्ता एवं बीमित ये दो पक्षकार होते हैं।
2. क्षतिपूर्ति का साधन – बीमा संकट से होने वाली आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करने का एक श्रेष्ठ उपाय है।
3. निश्चित सिद्धान्तों पर आधारित – बीमा अनुबन्ध में परम सविश्वास का सिद्धान्त, बीमा योग्य हित का सिद्धान्त, सहकारिता का सिद्धान्त, आश्वासन सिद्धान्त एवं अंशदान सिद्धान्त आदि का पालन किया जाता है।
4. शुद्ध जोखिमों के लिए बीमा – बीमा शुद्ध जोखिमों का ही कराया जाता है। अर्थात् जिन जोखिमों में लाभ की भी सम्भावना होती है उनका बीमा नहीं होता है।
5. सहकारिता की भावना – बीमा में ‘सब एक के लिए और एक सबके लिए’ की भावना का समावेश होता है। अर्थात् यह दोनों पक्षों के पारस्परिक सहयोग एवं विश्वास पर आधारित होता है।
6. विज्ञान एवं कला – बीमा में सम्भावितता सिद्धान्त के आधार पर अनेक गणितीय विधियों एवं सांख्यिकीय सूत्रों की सहायता से प्रीमियम का निर्धारण किया जाता है अतः यह एक विज्ञान है। लोगों को बीमा कराने के लिए प्रेरित करने तथा सम्भावित हानि को अपनी चतुराई से कम करने के कारण यह एक कला है।
7. बीमा जुआ वे दान से पृथक् है – बीमा एक क्षतिपूर्ति की व्यवस्था है, इसमें लाभ की सम्भावना नहीं होती है अतः यह जुआ नहीं है। इसी प्रकार बीमा का प्रीमियम कोई दान नहीं है क्योंकि वह भावी जोखिम उठाने के बदले में दिया, जाता है।
8. घटना के घटित होने पर भुगतान – बीमा में सामान्यतया एक निश्चित अवधि की समाप्ति या घटना के घटित होने के पश्चात् बीमित व्यक्ति या उसके उत्तराधिकारियों या नामित व्यक्ति को एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है।
9. बीमा एक प्रक्रिया है – बीमा अनिश्चितताओं के स्थान पर निश्चितता स्थापित करने की एक प्रक्रिया है।
10. बेचत की भावना – बीमा करवाने पर व्यक्ति को समयानुसार प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है जिससे व्यक्तियों में बचत करने की भावना का विकास होता है।
11. विभिन्न तत्वों का समावेश – बीमा में विभिन्न तत्व जैसे – बीमाकर्ता, बीमित, बीमा पॉलिसी या शर्ते, प्रीमियम आदि निहित होते हैं।
12. विस्तृत क्षेत्र – बीमा का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। इसमें मुख्य रूप से जीवन बीमा, अग्नि बीमा, दुर्घटना बीमा, सामुदायिक बीमा, कृषि बीमा, चिकित्सा बीमा, पशु बीमा, चोरी बीमा आदि को सम्मिलित किया जाता है।

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