RBSE Solutions for Class 10 Social Science Chapter 16 भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 10
Subject Social Science
Chapter Chapter 16
Chapter Name भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ
Number of Questions Solved 42
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Solutions Chapter 16 भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न [Textbook Questions Solved]

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ अति लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष उत्पन्न चुनौतियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने उत्पन्न अनेक चुनौतियाँ हैं जिनमें मूल्य वृद्धि, गरीबी तथा बेरोजगारी की समस्याएँ सबसे गंभीर हैं।

प्रश्न 2.
मुद्रास्फीति की गणना हेतु कौन-से सूचकांक उपयोग में लाए जाते हैं?
उत्तर:
मुद्रास्फीति की गणना हेतु थोक मूल्य, सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तथा राष्ट्रीय आय अवस्फीति कारक है।

प्रश्न 3.
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक उपाय किसके द्वारा लागू किए जाते हैं?
उत्तर:
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक उपाय भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लागू किए जाते हैं।

प्रश्न 4.
भारत में गरीबी के सबसे नए अनुमान किसके द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं?
उत्तर:
भारत में गरीबी के सबसे नए अनुमान सुरेश तेंदुलकर तथा सी० रंगराजन द्वारा किए गए।

प्रश्न 5.
निरपेक्ष गरीबी की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निरपेक्ष गरीबी वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाता।

प्रश्न 6.
स्वतंत्रता के पश्चात गरीबी का अध्ययन करने वाले विद्वानों का नाम लिखिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता के पश्चात गरीबी का अध्ययन वी०एम० दांडेकर तथा नीलकंठ रथ ने किया था। इसके बाद वाई०के० अलघ कमेटी रिपोर्ट भी आई।

प्रश्न 7.
भारत में गरीबी को मापने का प्रथम प्रयास किसने तथा कब किया?
उत्तर:
भारत में गरीबी को मापने का प्रथम प्रयास दादा भाई नौरोजी ने 1868 ई० में किया था।

प्रश्न 8.
श्रम शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
श्रम शक्ति का आशय उस जनसंख्या से है जो वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन हेतु चालू आर्थिक क्रियाओं के लिए श्रम की आपूर्ति करती है।

प्रश्न 9.
छिपी हुई बेरोजगारी किसे कहा जाता है?
उत्तर:
जब अतिरिक्त श्रम को उस कार्य से हटा भी लिया जाए तो कुल उत्पादन की मात्रा में कमी नहीं होती तब इसे छिपी बेरोजगारी कहा जाता है।

प्रश्न 10.
कृषि क्षेत्र में कौन-सी बेरोजगारी अधिक पायी जाती है?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में मौसमी बेरोजगारी पायी जाती है।

प्रश्न 11.
विकसित अर्थव्यवस्थाओं में किस प्रकार की बेरोजगारी अधिक पायी जाती है?
उत्तर:
विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सामान्यता चक्रीय तथा घर्षणात्मक बेरोजगारी अधिक पायी जाती है।

प्रश्न 12.
भारत में विश्वसनीय समंकों का संकलन करने वाली संस्था कौन-सी है?
उत्तर:
भारत में विश्वसनीय समंकों का संकलन राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन द्वारा किया जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मुद्रास्फीति किसे कहते हैं?
उत्तर:
पारिभाषिक तौर पर सामान्य कीमत स्तर में सतत् वृद्धि की स्थिति मुद्रास्फीति कहलाती है। इसका संबंध अनेक वस्तुओं की कीमतों के औसत स्तर में वृद्धि से है न कि किसी एक वस्तु की कीमत में वृद्धि मात्र से।

प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के पश्चात भारत में मुद्रास्फीति की प्रवृत्तियों को समझाइये।
उत्तर:
स्वतंत्रता के पश्चात से भारत में उच्च मुद्रास्फीति की दर एक गंभीर समस्या रही है। 1950 के दशक में मुद्रास्फीति की औसत दर 1.7% थी तथा 1960 के दशक में 6.4% हुई। 1970 के दशक में 9% से ऊपर पहुँच गई थी। यह स्थिति 1995 तक चली। 2000-01 से 2011-12 के मध्य 4.7% बनी रही।।

प्रश्न 3.
मुद्रास्फीति नियंत्रण के राजकोषीय उपायों को समझाइए।
उत्तर:
मुद्रास्फीति नियंत्रण के राजकोषीय उपायों में सरकार करारोपण, सार्वजनिक व्यय एवं सार्वजनिक कर्षों में परिवर्तन करके समग्र माँग को नियंत्रित करने तथा समग्र पूर्ति को बढ़ाने का प्रयत्न करती है। प्रत्यक्ष कर बढ़ाकर, सार्वजनिक व्यय में कमी करके तथा सार्वजनिक ऋण लेकर समग्र माँग को नियंत्रित करके मुद्रास्फीति को कम कर सकती है।

प्रश्न 4.
मुद्रास्फीति नियंत्रण के मौद्रिक उपाय क्या होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुद्रास्फीति के नियंत्रण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक उपाय अपनाए जाते हैं। बैंक मुद्रा की मात्रा, साख की उपलब्धता तथा ब्याज दरों को प्रभावित करके समग्र माँग को कम करने तथा समग्र पूर्ति को बढ़ाने का प्रयत्न करती है। जब मुद्रा की मात्रा या साख की उपलब्धता में कमी आती है तो समग्र माँग भी कम हो जाती है; मुद्रास्फीति कम
हो जाती है। |

प्रश्न 5.
निरपेक्ष तथा सापेक्ष गरीबी के मध्य अंतर बताइए।
उत्तर:
निरपेक्ष गरीबी में व्यक्ति अपने जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाता यह विचार अविकसित राष्ट्रों में अधिक उपयोगी है। जबकि सापेक्ष गरीबी समाज या राष्ट्र के विभिन्न वर्ग के बीच आय या धन या उपभोग व्यय के वितरण में सापेक्षिक असमानताओं का माप है।

प्रश्न 6.
विभिन्न राष्ट्रों में गरीबी रेखाएँ अलग-अलग क्यों होती है?
उत्तर:
मूलभूत आवश्यकताओं का मानक स्तर सभी राष्ट्रों में अलग-अलग होता है। मानक स्तर-राष्ट्र के विकास की स्थिति, । लोगों के जीवन स्तर, अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति आदि पर निर्भर करता है। इसलिए ये कारक सभी राष्ट्रों में अलग-अलग हैं। इसी कारण गरीबी रेखाएँ भी भिन्न-भिन्न होती है।

प्रश्न 7.
भारत में गरीबी के आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत की अधिकांश जनसंख्या आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार रही है। जिस कारण लोग शिक्षा तथा स्वास्थ्य में निवेश नहीं कर पाते है, गुणवत्ता निम्न बनी रहती है। कम आय प्राप्त करते हैं, तथा गरीबी के दुष्चक्र में बने रहते हैं। आजादी के पहले से कृषि निर्भरता के कारण संसाधन आधार कमजोर था। आर्थिक पिछड़ापन अवसरों की उपलब्धता कम कर देता है। गरीबी बनी रहती है।

प्रश्न 8.
सुरेश तेंदुलकर द्वारा प्रस्तुत गरीबी के अनुमानों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सुरेश तेंदुलकर ने अपने अनुमानों में पाया कि 2011-12 में शहरी क्षेत्रों में 1000 १ से कम प्रतिव्यक्ति मासिक उपभोग व्यय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 816 १ से कम प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग करने वाला गरीब है। उनके अनुसार भारत में 21.92% लोग गरीब हैं। लगभग 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।

प्रश्न 9.
वर्ष 2011-12 के लिए श्रम शक्ति, कार्य शक्ति तथा बेरोजगारी दर के अनुमान क्या हैं?
उत्तर:
भारत में बेरोजगारी का अनुमान लगाने के लिए भारतीय प्रति दर्श सर्वेक्षण संगठन ने 2011-12 में 68वाँ दौर चलाया था। इसके अनुसार सामान्य स्थिति के आधार पर प्रति हजार जनसंख्या पर श्रम शक्ति 395 तथा कार्य शक्ति 386 रही तथा बेरोजगारी दर 2.3% रही थी।

प्रश्न 10.
बेरोजगारी से एक व्यक्ति को क्या-क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर:
बेरोजगारी से एक व्यक्ति को धन व कुशलता की हानि, मानसिक अवसाद का सामना, अकुशल तथा असामाजिक बना देती है। यह स्थिति व्यक्ति के संपूर्ण जीवन के पथ को अंधकारमय बना देती है। धैर्यहीन, विवेकहीन जैसी भावनाएँ उसके मन में घर कर जाती है। इस प्रकार की स्थिति दीर्घकालीन राष्ट्र के लिए अनेक प्रकार की हानियों का कारण
बनती हैं।

प्रश्न 11.
घर्षणात्मक बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
घर्षणात्मक बेरोजगारी को भिन्नात्मक बेरोजगारी भी कहा जाता है। दो रोजगार समय अवधियों के मध्य उत्पन्न बेरोजगारी को घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते हैं। यह कार्य बदलने, हड़ताल, तालाबंदी आदि के कारण उत्पन्न होती है। यह अस्थायी प्रकृति की बेरोजगारी होती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में मुद्रास्फीति के कारणों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मुद्रास्फीति का कोई एक सुस्पष्ट तथा निश्चित कारण नहीं है। यह अनेक कारणों का संयुक्त परिणाम होती है।

(i) मुद्रा की पूर्ति में तेज वृद्धि- वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन की तुलना में मुद्रा की पूर्ति तेजी से बढ़ती तो अत्यधिक मुद्रा अपेक्षाकृत कम वस्तुओं के पीछे दौड़ती है। दी गई कीमत स्तर पर समग्र माँग का स्तर समग्र पूर्ति से अधिक हो जाता है तथा कीमतों में वृद्धि की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है।

(ii) औद्योगिक तथा कृषिगत उत्पादन में धीमी वृद्धि- औद्योगिक उत्पादों की माँग में अनेक कारणों से वृद्धि होती रही। लेकिन उद्योग माँग संतुष्ट करने में असफल रहे। औद्योगिक क्षेत्र में माँग के आधिक्य ने कीमतों को तेजी से बढ़ाया। कृषिगत उत्पादन में माँग को संतुष्ट करने में असफल रहा जिस कारण कृषि उत्पादों की उच्च माँग इनकी कीमतों को लगातार तेजी से बढ़ा रही है।

(iii) सार्वजनिक व्यय का उच्च स्तर- विकास के साथ-साथ बढ़ते दायित्वों के कारण सरकारी व्ययों में लगातार वृद्धि हुई है। यह वृद्धि समाज के लिए पूर्णत: लाभदायक नहीं है। अनुत्पादक व्यय समग्र पूर्ति को नहीं बढाता, लेकिन जनता को क्रय शक्ति प्रदान करके समग्र माँग को बढ़ा देता है। जिस कारण मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

(iv) अन्य कारण- बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत में वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए माँग का स्तर सदैव ऊँचा बना रहता है। जिस कारण कीमतें तेजी से बढ़ती है। अनेक वस्तुओं का मूल्य सरकार द्वारा तय किया जाता है। जब सरकार अपने घाटे को कम करने के लिए इन वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाती है तो अर्थव्यवस्था में मूल्यवृद्धि की समस्या देखने को मिलती है। मँहगे आयात, कृषिगत उत्पादों की ऊँची न्यूनतम समर्थन कीमत तय करना, आय का बढ़ता स्तर, अप्रत्यक्ष करों का ऊँचा स्तर, मजदूरी दरों में वृद्धि आदि कारणों से भी मुद्रास्फीति बढ़ती

प्रश्न 2.
मुद्रास्फीति से उत्पन्न होने वाली हानियों पर विस्तृत लेख लिखिए।
उत्तर:
मुद्रास्फीति से होने वाली हानियाँ|

(i) मूल्यवृद्धि व्यक्ति एवं राष्ट्र दोनों के लिए हानि की एक श्रृंखला का निर्माण करती है। इससे मुद्रा के मूल्य में कमी आती है। मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा की एक निश्चित मात्रा से पूर्व के वर्षों की तुलना में कम मात्रा में | वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदी जा सकती हैं।

(ii) लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति मुद्रा के मूल्य को तेजी से गिराती है।

(iii) मुद्रा के मूल्य का तात्पर्य मुद्रा की क्रय शक्ति से है जो कि मुद्रा द्वारा वस्तुओं और सेवाओं को क्रय करने की क्षमता को बताता है।

(iv) मुद्रास्फीति के कारण निश्चित वेतन तथा मजदूरी प्राप्त करने वाले वर्ग को भी हानि होती है। इस वर्ग को उनके समान कार्यों एवं सेवाओं के लिए प्राप्त समान राशि की मुद्रा की कीमत कम हो जाती है।

(v) मुद्रास्फीति अन्यायपूर्ण है, इससे बचतकर्ता की बचत का मूल्य गिरता है तथा ऋणी को मुद्रास्फीति से लाभ होता है। इसका मुख्य कारण उसे कम मूल्यवाली मुद्रा वापस चुकानी पड़ती है।

(vi) इसका प्रभाव आर्थिक विकास की दर, गरीबी, बेरोजगारी, आर्य एवं धन के वितरण आदि पर भी पड़ता है। यह विकास के लाभों को समाप्त कर देती है।

प्रश्न 3. विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा गरीबी के अनुमान लगाने हेतु किये गये प्रयासों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गरीबी के अनुमान लगाने हेतु किए गए प्रयास

(i) डी०टी० लकड़ावाला, सुरेश तेंदुलकर तथा सी० रंगराजन की अध्यक्षता में भी योजना आयोग द्वारा गरीबी के अनुमान लगाने हेतु कार्यदलों का गठन किया गया।
(ii) लकड़ावाला फार्मूला द्वारा 1993-94 तथा 2004-05 के लिए गरीबी के अनुमान लगाए गए थे।
(iii) सुरेश तेंदुलकर तथा सी० रंगराजन के द्वारा गरीबी निर्धारण का आधार उपभोग व्यय माना गया है। रेखा मापन | हेतु खाद्यान्न तथा गैर खाद्यान्न वस्तुओं की न्यूनतम मात्राओं का समूह तैयार किया।
(iv) अनुमान लगाया कि बाजार कीमतों के आधार पर वस्तुओं की इस न्यूनतम मात्राओं के समूह क्रय करने हेतु कितने उपभोग व्यय की आवश्यकता है।
(v) अनुमानों के अनुसार 2011-12 में शहरी क्षेत्रों में 1000 में से कम प्रति व्यक्ति मासिके उपभोग व्यय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 816 से कम प्रति मासिक उपभोग व्यय करने वाला व्यक्ति गरीब है।

प्रश्न 4.
गरीबी निवारण हेतु अपनाये जा सकने वाले उपायों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गरीबी निवारण हेतु अपनाये जा सकने वाले उपाय|

(i) शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं को प्रसार- गरीबी की समस्या के उन्मूलन हेतु सभी वर्गों में शिक्षा का प्रसार किए जाने की आवश्यकता है। शिक्षा प्राप्ति के फलस्वरूप श्रम की कुशलता तथा उत्पादकता में वृद्धि होती है। स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार द्वारा भी गरीबों की कुशलता एवं योग्यता को बढ़ाकर उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। गरीब वर्गों में शिक्षा का प्रसार एवं स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना चाहिए।

(ii) रोजगार के अवसरों में वृद्धि- बेरोजगारी तथा गरीबी परस्पर संबंधित है। रोजगार के अवसरों में वृद्धि करके गरीबी की समस्या का उन्मूलन किया जा सकता है। समाज के जिन लोगों के पास योग्यता है उन्हें स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करके तथा संसाधन उपलब्ध करवाकर गरीबी के जाल से बाहर निकाला जा सकता है। इसलिए शिक्षा को अधिक रोजगारपरक बनाकर रोजगार के अवसरों का विस्तार करना आवश्यक है।

(ii) सामाजिक कुप्रथाओं पर नियंत्रण की आवश्यकता- अनेक सामाजिक कुप्रथाओं ने समाज के विभिन्न वर्गों एवं व्यक्तियों के लिए अवसरों को सीमित रखा तथा उन्हें गरीब ही बनाए हुए है। शादी, मृत्यु के समय किया जाने वाला अधिक खर्चा करना अनुत्पादक व्यय है। जिससे गरीब व्यक्ति ऋण के जाल में फँस जाता है। गरीबी से निकलना लगभग असंभव बन जाता है। समाज व संस्कृति में व्याप्त कुप्रथाओं को दूर कर गरीबी का निवारण कर सकते हैं।

(iv) जनसंख्या पर नियंत्रण- मृत्यु दर में तेजी से कमी, लेकिन जन्म दर में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। जन्मदर तथा मृत्युदर के मध्य अंतर बढ़ने के कारण भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। जिस कारण गरीबों के संसाधन, संपदा में विभाजन हुआ है। गरीब और गरीब, बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण, शिक्षा तथा स्वास्थ्य में निवेश नहीं कर पाता। गरीबी निवारण हेतु जनसंख्या वृद्धि दर पर नियंत्रण लगाया जाना आवश्यक

(v) लक्षित व्यक्ति या समूह तक लाभों को पहुँचाना- गरीबी निवारण हेतु अनेक योजनाएँ तथा कार्यक्रम चलाए गए। लेकिन इनमें रिसाव थे। जिस कारण आशातीत परिणाम नहीं मिले। जिस कारण गरीबों हेतु आबंटित संसाधनों का बड़ा हिस्सा गैर-गरीबों को आबंटित हो जाता है। सभी योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुँचाना होगा।

प्रश्न 5.
बेरोजगारी कम करने हेतु क्या उपाय अपनाए गए हैं तथा कौन-से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
उत्तर:
बेरोजगारी कम करने हेतु किए गए उपाय

(i) मजदूरी रोजगार एवं स्वरोजगार कार्यक्रम चलाकर इनके सहअस्तित्व को समाप्त करने का प्रयत्न किया गया। इनमें और अधिक समन्वय हो तथा न्यूनतम रिसाव हो।

(ii) शिक्षा का रोजगारपरक होना चाहिए। युवाओं को प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के माध्यम से स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित किया जाए।

(iii) विकास के साथ-साथ कृषि से मुक्त होने वाले आधिक्य श्रम को खपाने के लिए उद्योगों की वृद्धि दर को तेज किया जाना चाहिए। ‘मेक इन इण्डिया’ तथा निवेश प्रोत्साहन उपाय उद्योगों की वृद्धि दर तेज करनी होगी। जिससे बेरोजगारी में कमी लाई जा सकती है।

(iv) कुशल नियोजन की आवश्यकता-देश में हर वर्ष लाखों नए युवा श्रम शक्ति में सम्मिलित होते हैं। यह एक | अच्छा अवसर है जो चुनौतियों से भरा है। सकारात्मक नीति बनाकर इन युवाओं के लिए रोजगार सृजन की जरूरत है। वर्तमान बेरोगारी के साथ श्रम शक्ति में नव प्रवेश करने वालों को भी ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

(More Questions Solved)

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
1950 ई० के दशक में मुद्रास्फीति की औसत दर कितने प्रतिशत थी?
(अ) 2.7
(ब) 3.7
(स) 5.7
(द) 1.7

प्रश्न 2.
लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति तेजी से क्या गिराती है?
(अ) जीवन शैली को
(ब) मुद्रा के मूल्य को
(स) वस्तुओं के मूल्य को
(द) सेवाओं के मूल्य को

प्रश्न 3.
भारत में गरीबी के मापन का प्रथम प्रयास कब किया गया था?
(अ) 1968
(ब) 1958
(स) 1868
(द) 1858

प्रश्न 4.
ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी कैलोरी प्रतिदिन मिलनी चाहिए?
(अ) 2700
(ब) 2900।
(स) 2100
(द) 2400

प्रश्न 5.
भारत में कितने करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं?
(अ) 37 करोड़
(ब) 27 करोड़
(स) 47 करोड़
(द) 17 करोड़

उत्तर:
1. (द)
2. (ब)
3. (स)
4. (द)
5. (ब)

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मुद्रा के मूल्य से क्या आशय है?
उत्तर:
मुद्रा के मूल्य का तात्पर्य मुद्रा की क्रय शक्ति से है जो कि मुद्रा द्वारा वस्तुओं और सेवाओं को क्रय करने की क्षमता को बढ़ाता है।

प्रश्न 2.
भारत में मुद्रास्फीति की दर को कैसे मापा जाता है?
उत्तर:
भारत में मुद्रास्फीति की दर को सामान्यत: थोक मूल्य सूचकांक से मापा जाता है।

प्रश्न 3.
मुद्रास्फीति से निश्चित वेतन तथा मजदूरी प्राप्त वर्ग को किस प्रकार की हानि होती है?
उत्तर:
इस वर्ग को उनके समान कार्यों एवं सेवाओं के लिए प्राप्त समान राशि की मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है।

प्रश्न 4.
जब मुद्रा की मात्रा की उपलब्धता में कमी आती है तो परिणामस्वरूप क्या होता है?
उत्तर:
मुद्रा की मात्रा या साख की उपलब्धता में कमी आती है तो समग्र माँग भी कम हो जाती है जिससे मुद्रास्फीति भी कम हो पाती है।

प्रश्न 5.
गरीबी आँकलन एवं अनुमान के लिए समंकों के संकलन में कौन-से रिकॉल उपयोग किए जाते हैं?
उत्तर:
इसके लिए समान रिकॉल तथा मिश्रित रिकॉल अवधि।

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
गरीबी रेखा के संबंध में सी० रंगराजन के आंकलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सी० रंगराजन ने वर्ष 2011-12 के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 972 के प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय तथा शहरी क्षेत्रों में 1407 र प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय को गरीबी रेखा माना जाता है। भारत में 29.5% गरीबी है।।

प्रश्न 2.
सामाजिक परंपराएँ गरीबी के लिए किस प्रकार जिम्मेदार हैं?
उत्तर:
जन्म, विवाह एवं मृत्यु संबंधित परंपराएँ व्यक्ति को कर्जदार बना देती हैं। जीवन भर कर्ज के बोझ से बाहर नहीं आ | पाता। इस प्रकार ये परंपराएँ गरीबी के लिए जिम्मेदार हैं।

प्रश्न 3.
लघु कृषकों तथा कृषि श्रमिकों की आय जीवन-निर्वाह के न्यूनतम स्तर पर क्यों बनी हुई है?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में निवेश के कारण कृषिगत उत्पादकता में बनी हुई निम्नता कृषकों तथा कृषि श्रमिकों को होने वाली आय आज भी जीवनयापन के न्यूनतम स्तर पर बनी हुई है। इसी कारण गरीबी का दुष्चक्र बना रहता है।

प्रश्न 4.
शिक्षा रोजगार के अवसरों को बढ़ाती है या नहीं। राजेश के प्रसंग में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निश्चित रूप से शिक्षा रोजगारपरक या व्यावसायिक हो, नित नए अवसरों व उपलब्धता कराने में सहयोगी होती है। राजेश अशिक्षित था इसी कारण उसे कम मजदूरी मिलती थी। जिस कारण उसके जीवन में प्राय: संघर्ष था।

प्रश्न 5.
चक्रीय बेरोजगारी का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में होने वाली नियमित प्रकृति के उतार-चढ़ावों को व्यापार चक्र कहा जाता है। इन चक्रों में जब मंदी की स्थिति होती है तो समग्र भाग का स्तर बहुत कम हो जाता है। जिस कारण उत्पादन एवं रोजगार में भी गिरावट | हो जाती है। इसके कारण चक्रीय बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘बेरोजगारी’ की विस्तृत विवेचना कीजिए।
उत्तर:
(i) जब व्यक्ति किसी कार्य के योग्य तथा इच्छुक हो लेकिन रोजगार प्राप्त करने में असफल हो तो इस स्थिति को बेरोजगारी कहा जाता है।

(ii) व्यक्ति जब किसी उत्पादकीय क्रिया में लाभकारी तौर पर कार्यरत नहीं है वह बेरोजगार है। भारत जैसे युवा देश में तभी लाभ होगा। जब युवा शक्ति को उचित रोजगार में नियोजित किया जाए। गाँव या शहर में बहुत से लोग कृषि कार्य में लगे हैं तो अनेक लोग व्यवसाय में कार्यरत है। जबकि कुछ लोग सेवा क्षेत्र-शिक्षा,
स्वास्थ्य बैंकिंग, बीमा आदि सेवाओं में कार्यरत है।

(iii) रोजगार पर व्यक्ति स्वयं धन अर्जित करता है तथा राष्ट्र उत्पादन में योगदान करता है। साथ ही वह कार्यानुभव प्राप्त करता है। जिस कारण उसकी कार्य कुशलता में वृद्धि होती है।

(iv) बेरोजगार व्यक्ति को धन, कुशलता तथा मानसिक हानियों का सामना करना पड़ता है। यह असामाजिक, अकुशल बना देती है। इस प्रकार की स्थिति व्यक्ति; समाज एवं एक देश के लिए असीमित हानियाँ उत्पन्न करती हैं।

(v) श्रम- शक्ति, कार्यशक्ति तथा बेरोजगारी की दर को समझने के साथ उचित उपचारात्मक कदम निदान करने होंगे। श्रम-शक्ति चाल आर्थिक क्रियाओं के लिए श्रम की आपूर्ति करती है। इसमें रोजगारशुदा तथा बेरोजगार दोनों शामिल हैं। बेरोजगारी दर अनुमान अलग-अलग दृष्टिकोण, सामान्य स्थिति, साप्ताहिक, चालू स्थिति तथा चालू दैनिक स्थिति पर लगाए जाते हैं।

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