RBSE Solutions for Class 10 Social Science Chapter 20 स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन are part of RBSE Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Solutions Chapter 20 स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 10 |
Subject | Social Science |
Chapter | Chapter 20 |
Chapter Name | स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन |
Number of Questions Solved | 39 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Solutions Chapter 20 स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न [Textbook Questions Solved]
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
मानव के लिए स्वच्छता की क्यों आवश्यकता है?
उत्तर:
स्वच्छ रहना, मानव जीवन मूल्यों में एक है। आत्मा, शरीर, मन, बुद्धि तथा पर्यावरण शुद्ध रखना, महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2.
स्वच्छ रहने की शिक्षा कब शुरू की जाती थी?
उत्तर:
प्राचीन शिक्षा पद्धति में यज्ञोपवीत संस्कार के बाद शिष्य को स्वच्छ रहने की शिक्षा दी जाती थी। |
प्रश्न 3.
घनी आबादी क्षेत्र किस समस्या से अधिक पीड़ित है?
उत्तर:
गंदगी का बढ़ना, घनी आबादी क्षेत्रों के लिए कष्टदायी होती जा रही है।
प्रश्न 4.
गंदगी को हमारे तक पहुँचाने वाला कीट कौन-सा है?
उत्तर:
मक्खियाँ एवं अन्य कीट गंदगी को हम तक पहुँचाते हैं।
प्रश्न 5.
ठोस कचरा प्रबंधन कहाँ तक सीमित है?
उत्तर:
ठोस कचरा प्रबंधन शहरों तक सीमित है।
प्रश्न 6.
घरेलू कचरा क्या होता है?
उत्तर:
घरेलू कचरा, जो घरों से निस्तारित किया जाता है-सब्जी, फलों के छिलके, अंडों के खोल, बचा हुआ खाना, कागज आदि है।
प्रश्न 7.
खतरनाक कचरे कौन से हैं?
उत्तर:
खतरनाक कचरों में विषैले पदार्थ, ज्वलनशील पदार्थ, विस्फोटक पदार्थ, रेडियोधर्मी तत्व आदि शामिल हैं।
प्रश्न 8.
वनस्पतिक खाद्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
जैविक कचरे से तैयार किया गया खाद ही वनस्पतिक खाद है।
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
मानव जीवन में स्वच्छता का महत्व क्यों है?
उत्तर:
मानव जीवन में स्वच्छता का महत्व, उसके मूल्यों से आरंभ होता है। स्वच्छता भारत की मूल संस्कृति है
- भारतीय दर्शन शरीर, आत्मा, मन, बुद्धि तथा पर्यावरण का शुद्ध रखना जीवन का महत्वपूर्ण कार्य बताता है।
- भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति द्वारा यज्ञोपवीत संस्कार के बाद शिष्य को स्वच्छ रहने की शिक्षा दी जाती थी।
- स्वच्छता का साधारणतः आशय सुविधाओं और सेवाओं से है जो मानव से मल-मूत्र और अन्य कपड़े का सुरक्षित निस्तारण से है।
- गंदगी में पारिवारिक व कारखानों का दूषित जल, मानव व पशुओं का ठोस कचरा तथा कृषि संबंधी कचरे शामिल | हैं। सभी कचरे का निस्तारण कार्य स्वच्छता है।
- बिमारी मुक्त, स्वस्थ्य जीवन हेतु स्वच्छता मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वच्छता का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा स्वच्छता
(1) विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वच्छता का आशय अनेक प्रकार से व्यक्त किया है। ऐसे प्रावधान, सुविधाएँ तथा सेवाएँ जो मानव से मल-मूत्र और कचरे आदि को सुरक्षित निस्तारण करते हैं।
(ii) लोग स्वच्छता के लिए शौचालयों व दूषित पानी को स्वयं स्वच्छ रखने के साधनों व उपाय करने की आवश्यकता
(ii) ठोस कणों का पुन: प्रयोग तथा चक्रण प्रबंधन होना चाहिए। घरेलू दूषित जल की निकासी तथा निस्तारण व पुनः प्रयोग के उपाय अपनाने होंगे। वर्षा जल की निकासी, भंडारण की सुचारु व्यवस्था हो।।
(iv) औद्योगिक कचरे का आधुनिक तकनीक द्वारा संग्रहण तथा विस्तारण प्रबंधन किया जाए। खतरनाक कचरे का संक्रमण व निस्तारण दूरगामी परिणामों को सोचते हुए करना होगा।
(v) इस प्रकार लोगों को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वच्छता की सकंल्पना के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करना होगा। लोगों को इसे एक जीवन के एक अंग के रूप में स्वीकार करना होगा।
प्रश्न 3.
स्वच्छता को कितने प्रकारों में बाँटा गया है?
उत्तर:
स्वच्छता को मुख्य रूप से सात प्रकारों में बाँटा गया है
(i) सामुदायिक स्वच्छताः इसका संबंध ग्रामीण लोगों की सहज और लापरवाही पूर्ण तरीके से खुले में मल त्याग प्रक्रिया से है। इसके माध्यम से ग्रामीण लोगों को खुले में मल त्यागने से रोकने के लिए अनुदानित सुविधाओं से परिचित कराना है।
(ii) शुष्क स्वच्छताः इसका तात्पर्य शुष्क शौचालय, पैशाबघर आदि प्रयोगों से है केवल हाथ धोना ही इसका उद्देश्य नहीं है।
(iii) पारिस्थितिक स्वच्छताः इसका आशय सामान्यतः सुरक्षित कृषि उपायों तथा स्वच्छता के लिए संसाधनों के सुरक्षित | पुन:चक्रण से है। जिसमें किसी भी प्रकार से पारिस्थितिक तंत्र से खिलवाड़ न होना है। पौष्टिक आहार और जैविक फसलों की पैदावार में अनवीनकरणीय संसाधनों के प्रयोग में कमी लाना है।
(iv) पर्यावरणीय स्वच्छताः अनेक बिमारियों से संबंधित पर्यावरण के कारकों का नियंत्रण पर्यावरणीय स्वच्छता की परिधि में आता है। इसमें ठोस कचरा प्रबंधन, पानी और शक्ति जल का उपचार, औद्योगिक कचरा उपचार तथा ध्वनि प्रदूषण इसके मुख्य अंग हैं।
(v) सुथरी व बिना सुथरी स्वच्छताः हजारों वर्ष पुरानी गृह स्तर पर मानव के मल-मूत्र त्याग नियंत्रण से है। इसमें स्वच्छता और पानी की आपूर्ति की व्यवस्था की जाती है।
(vi) स्वच्छता का अभावः इसका संबंध सामान्य रूप से शौचालय के अभाव से है। व्यक्ति स्वेच्छा से इनका प्रयोग करता है। इसका अभाव खुले में मल-मूत्र त्याग और जनस्वास्थ्य के संबंध में गहन संबंध रखता है।
(vii) पुष्टिकारक स्वच्छताः यह संपूर्ण स्वच्छता की मुख्य धारा से है। उपभोक्ता के अनुभव पर विष्ठा, मल-मूत्र और दूषित जल के परिवहन, उपचार, पुनः उपयोग या निस्तारण के तरीके शामिल हैं। इनसे पर्यावरणीय तथा प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा होती है।
प्रश्न 4.
ठोस कचरा प्रबंधन कार्यक्रम के उद्देश्य कौन से हैं?
उत्तर:
ठोस कचरा प्रबंधन कार्यक्रम के उद्धेश्य
- वातावरण एवं जनस्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ठोस कचरा का उपचार, निस्तारण, पुन: प्रयोग, व प्रकरण तथा ऊर्जा में परिवर्तन करने की प्रक्रियाओं का संचालन का प्रबंधन करना।
- शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय निकायों को ठोस कचरे के प्रबंधन का प्रशिक्षण, सुझाव एवं संसाधन उपलब्ध कराए।
- ठोस कचरा प्रबंधन पर नए-नए शोध कार्य विकास कार्य तथा उपयोग की सुविधाएँ भी उपलब्ध कराना है।
- शहरी जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कचरा उत्पादने में भी वृद्धि हो रही है। अनुमानित सुविधाओं की व्यवस्था कर उन्हें क्रियान्वित करना।।
- संग्रहण केंद्रों से उचित परिवहन साधनों की व्यवस्था, श्रेणियों में कचरा विभाजन तथा आवश्यकतानुसार कार्यक्रम । लागू करना।
प्रश्न 5.
ठोस कचरा प्रबंधन के लिए कौन से उपाय किए गए हैं?
उत्तर:
ठोस कचरा प्रबंधन के उपाय
(i) कचरा न्यूनीकरण एवं पुनः प्रयोग-दोनों कचरा निवारण के उपाय हैं। न्यूनीकरण में उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं दोनों को कचरा कम उत्पादित करने के विषय में बताया जाता है। पैकिंग कम करना कपड़े आदि के थैले बनाना तथा पुन: प्रयोग हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। कपड़े नैपकिन, प्लास्टिक सामान आदि।
(ii) कचरे को पुन:चक्रणः कचरे को अन्यत्र करने माल के रूप में उपयोग करना तथा इसकी मात्रा को कम करना इकट्ठे किए गए कचरे की छंटनी करना तथा माँग अनुसार उससे दूसरा कच्चा माल तैयार कर नए सामान का उत्पादन करना।
(iii) कचरा संग्रहणः निकायों (शहरों तथा स्थानीय) के कर्मचारियों द्वारा गंदगी वाले कचरे का संग्रह नियमित करना चाहिए विशेषकर जो मक्खियों के प्रजनन व आश्रय स्थल हो या बदबू फैलाने वाले, खुले में फैले कचरे को जल्दी से उठवाया जाए।
(iv) उपचार व निस्तारणः कचरा-उपचार तकनीकी द्वारा प्रबंधन रूप बदलकर कचरे की मात्रा कम करनी होगी ताकि कचरा निस्तारण सरल बन जाए। कचरा निस्तारण की विधियाँ कचरे की मात्रा एवं प्रकार के आधार पर प्रयोग में लाई जाती है। उपचार व निस्तारण में एक विकल्प चुना जाता है। प्रबंधक तकनीकी कम कम करना, पुनः चक्रण
करना, आदि काम में लाई जाती है।।
(v) भष्मीकरणः यह एक थर्मल (तापीय) प्रक्रिया है। कचरे का दहन ऑक्सीजन की उपस्थिति में किया जाता है। भष्मीकरण के बाद कचरा कार्बन डाइऑक्साइड, पानी की भाप तथा राख में बदल जाता है। इस तरीके से ऊर्जा की भरपायी की जा सकती है। बिजली बनाने के लिए उष्मा देने के लिए इसे प्रयोग किया जाता है।
(vi) गैसीकरण और प्यरोलीसिसः दोनों समान तापीय प्रक्रिया है। इससे कचरे के अवयवों को उच्च ताप पर | विखण्डित किया जाता है। गैसीकरण में कचरा दहन कम ऑक्सीजन के क्षेत्रों में किया जाता है तथा प्यरोलीसिस में कचरे का दहन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में किया जाता है। इसमें वायु प्रदूषण के बिना ऊर्जा का पुनः भरण किया जाता है।
प्रश्न 6.
ठोस कचरा प्रबंधन से कौन-से लाभ होते हैं?
उत्तर:
ठोस कचरा प्रबंधन के लाभ
(i) इससे जनस्वास्थ्य, पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ होता है। इसमें सनभागिता का बहुत महत्व है। आज तकनीकी दक्षता तथा आर्थिक क्षमता उपलब्ध है, जिससे समस्या का निराकरण किया जा सकता है।
(ii) आग की दुर्घटना, चूहे फैलना, संक्रामक रोगों के कीटों व रोगाणुओं को फैलने पर नियत्रंण तथा आवारा जानवरों पर नियंत्रण।
(iii) अनेक रोग नियंत्रित होंगे, जन स्वास्थ्य में सुधार, श्रम क्षमता में वृद्धि, अस्पतालों में रोगियों की संख्या कम होगी। | जहरीले पदार्थों की निकासी कम होने से जल प्रदूषण नहीं हो सकेगा।
(iv) सस्ता तथा अच्छा वनस्पति खाद सुलभ होगा, जिससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी संभव होगी। ऊर्जा (बिजली) उत्पादन में बढ़ोतरी कम खर्चे पर संभव।
(v) पुन: चक्रणीय पदार्थों से वस्तुओं का निर्माण होगा जिससे वह सस्ती मिलेगी। कीमती धातुओं की उपलब्धता बढ़ेगी। कार्य में वृद्धि रोजगार के अधिक अवसर जुटाने में सहायक होगी।
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (MORE QUESTIONS SOLVED)
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1.
W.H.O. से क्या आशय है?
(अ) विश्व गृहसंगठन
(ब) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(स) विश्व व्यापार संगठन
(द) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 2.
T.S.C से क्या अभिप्राय है?
(अ) पूर्ण स्कूल अभियान
(ब) पूर्ण राज्य अभियान
(स) पूर्ण स्वच्छता अभियान
(द) पूर्ण सामुदायिक अभियान
प्रश्न 3.
‘नया नाम’ स्वच्छ भारत मिशन कब दिया गया?
(अ) 2 अक्टूबर 2014
(ब) 26 जनवरी 1914
(स) 15 अगस्त 2014
(द) 14 नवम्बर 2014
प्रश्न 4.
खुले में शौच मुक्त भारत कब तक बनाना है?
(अ) 15 अगस्त 2020
(ब) 2 अक्टूबर 2019
(स) 26 जनवरी 2020
(द ) 31 मार्च 2020
प्रश्न 5.
शौचालय के लिए प्रोत्साहन राशि कितनी की गई है?
(अ) 12000
(ब) 15000
(स) 10000
(द) 25000
प्रश्न 6.
कचरा उत्पादन कर्ता माना गया है
(अ) केवल मानव
(ब) केवल पशु
(स) केवल उद्योग व कारखाने
(द) सभी
प्रश्न 7.
भारतीय संस्कृति में महत्व दिया गया है
(अ) भोजन को
(ब) विश्राम को
(स) दूर जाने को
(द) स्वच्छता को
प्रश्न 8.
ठोस कचरा प्रबंधन सिद्धांत आधारित है
(अ) 2 R पर
(ब) 3 R पर
(स) 4 R पर
(द) कोई नहीं
प्रश्न 9.
भारत स्वच्छता मिशन SBMG संबंध रखता है
(अ) नगरों से
(ब) कस्बों से
(स) गांवों से
(द) किसी से नहीं
प्रश्न 10.
ठोस कचरा प्रबंधन कार्यक्रम अभी सीमित है
(अ) शहरों तक
(ब) गाँवों तक
(स) पिछड़े क्षेत्रों तक
(द) किसी तक नहीं
प्रश्न 11.
शहरी निकायों ने ठोस कचरा प्रबंध कार्य सौंप रखा है
(अ) जन प्रतिनिधियों को
(ब) मंडल अधिकारियों को
(स) तहसीलदार को
(द) सफाई निरीक्षकों को
प्रश्न 12.
खुले में शौच जाने से दुष्प्रभाव पड़ता है
(अ) कीटों पर
(ब) कपड़ों पर
(स) घरों पर
(द) स्वास्थ्य पर
प्रश्न 13.
ग्रीन हाउस गैस है
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड
(ब) नाइट्रोजन
(स) ऑक्सीजन
(द) मीथेन
उत्तर:
1. (ब) विश्व स्वास्थ्य संगठन
2. (स) पूर्ण स्वच्छता अभियान
3. (अ) 2 अक्टूबर 2014
4. (ब) 2 अक्टूबर 2019
5. (अ) 12000
6. (द) सभी
7. (द) स्वच्छता को
8. (ब) 3 R पर
9. (स) गाँवों से
10. (अ) शहरों तक
11. (द) सफाई निरीक्षकों को
12. (द) स्वास्थ्य पर
13. (द) मीथेन नाइट्रोजन
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन अति लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
विशेष रूप से, किस वर्ग के लोग बिमारियों से दुख पा रहे हैं?
उत्तर:
कमजोर समूहों के बच्चे, जवान और वृद्ध बिमारियों से दुख पा रहे हैं।
प्रश्न 2.
मानव जब अपनी गंदगी नष्ट करता है तब क्या होता है?
उत्तर:
स्वच्छता और स्वास्थ्य में प्रगति होती है।
प्रश्न 3.
केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम कब लागू किया गया?
उत्तर:
केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम 1986 में लागू किया गया।
प्रश्न 4.
निर्मल भारत अभियान का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
सामुदायिक संतुष्टि दृष्टिकोण, अपनाकर ग्रामीण भारत को निर्मल भारत में परिवर्तित करना और 2022 तक सभी ग्रमीण परिवारों को 100 प्रतिशत स्वच्छ करना था।
प्रश्न 5.
पाँच लाख से अधिक आबादी में कूड़ा उत्पादन प्रति व्यक्ति कितना होता है?
उत्तर:
इन शहरों में प्रति दिन 500 ग्रा० कूड़ा प्रति व्यक्ति दर से उत्पादन होता है।
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
दूषित जल तथा कचरा पर्यावरण मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर:
- पीने के पानी का दूषित होना जिससे खाद्य श्रृंखला भी दूषित हो जाती है-सब्जी, मछली आदि।
- नहाने व मनोरंजन से जल का दूषित होना तथा मक्ख्यिों एवं अन्य कीटों द्वारा बीमारियों का फैलाव।
प्रश्न 2.
कचरा संग्रहण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
शहरों में स्थानीय निकायों द्वारा नियुक्त कर्मचारियों द्वारा विशेष गंदगी, नाले कचरे तथा पुनः चक्रीय कचरे को हफ्ते में दो बार संग्रह करवाना चाहिए। विशेषकर ऐसा कचरा जहाँ मक्खियों के प्रजनन व आश्रय स्थल हों तथा अधिक बदबू फैलाने वाले, खुले में फैले कचरे को शीघ्रता से उठवाया जाए।
स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
स्वच्छता प्रबंधन के प्रमुख मापदंडों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) प्रतिष्ठान प्रबंधक को प्रदूषण के स्रोतों से दूरी बनाकर रखनी होगी तथा प्रदूषण स्रोतों में घरेलू जानवर, दूषित पानी, रासायनिक पदार्थ और अन्य प्रदूषक पदार्थ शामिल हैं।
(ii) बदबू, हानिकारक गैसों, तेज गंध युक्त धुआँ और भाप की निकासी के लिए अच्छे रोशनदान यंत्र लगाने होंगे। कार्य-स्थल को गंदगी से अच्छी तरह दूर रखा जाए। कच्चे माल का प्रोसेसिंग रूम, उत्पादन प्रक्रिया कक्ष आदि अलग-अलग हों।
(iii) गंदे पानी को शुद्ध करने व अन्य गंदगी को रोकने के संयत्र लगाने चाहिए। फर्श, दीवार, छत को वाटर प्रूफ पदार्थों से साफ करना चाहिए। सभी जगह चूहों, धूल व हानिकारक जीवाणु को रोकने के उपकरण लगाने चाहिए।
(iv) खाद्य पदार्थों को बनाते समय, पैकिंग करते समय स्वच्छ रोगाणु रहित तथा कीटाणु रहित स्टील के उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए। पदार्थों को ठंडा करने व पुनः अधिक ठंडा एवं गर्म करने के स्थानों पर थर्मामीटर लगे होने चाहिए।
(v) आराम कक्ष से फ्लश टॉयलेट तथा गंदगी रोकने के उपकरण लगे हों, वाटर प्रूफ सेफिटक टैंक होना चाहिए। आराम कक्ष में हाथ धोने व पोंछने के लिए वांशिग स्टैंड हो।
(vi) भोजन संबंधी भंडार कक्ष, उत्पादन कक्ष तथा पैकिंग कक्ष स्वच्छता पूर्ण तरीके से प्रबंधित किए जाने चाहिए।
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