RBSE Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य विचार

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi व्याकरण वाक्य विचार

वाक्य-विचार वाक्य की परिभाषा विशेष क्रम से संयोजित सार्थक शब्दों के समूह को वाक्य कहते हैं। वास्तव में बोलने या लिखने वाले का पूरा अभिप्राय जिस शब्दसमूह से प्रकट होता है, वह वाक्य कहलाता है। जैसे

  1. रमेश प्रतिदिन विद्यालय जाता है।
  2. वर्तमान में अणु आयुधों का आतंक छाया हुआ है।

वाक्य-रचना के तत्त्व-किसी भी वाक्य में सार्थक शब्दों का विन्यास रहता। है। इसके लिए उन पदों या शब्दों में

  • आकांक्षा,
  • योग्यता और
  • आसंत्ति की आवश्यकता होती है।

हिन्दी वाक्य-रचना में तीन तत्त्व और माने जाते हैं। वे हैं—

  • सार्थकता,
  • अन्वय और
  • पदक्रम।

इस प्रकार ये सभी छः तत्त्व वाक्यरचना के परिचायक होते हैं।
1. आकांक्षा-किसी वाक्य के पूर्ण भाव को समझने के लिए किसी पद को सुनकर दूसरे पद को सुनने की इच्छा आकांक्षा’ कहलाती है। जहाँ वाक्य में आकांक्षा की पूर्ति हो, वहाँ वाक्य-रचना ठीक समझनी चाहिए। जैसे

  • रमेश, महेश, लता, कविता थी।
  • सो रहा था।

इन दोनों वाक्यों में अर्थ की पूर्ति नहीं हो रही है, क्योंकि इन वाक्यों में अन्य पदों को सुनने की आकांक्षा पूरी नहीं हो रही है। इसलिए ये दोनों वाक्य दोषपूर्ण हैं। प्रथम वाक्य में पढ़ रही थी’ या ‘सो रही थी’ आदि शब्दों की योजना करने पर अर्थ की आकांक्षा पूर्ण हो जाती है। द्वितीय वाक्य में संज्ञा ‘बालक’ या सर्वनाम ‘वह’ शब्द का प्रयोग करने से वाक्य के भाव की पूर्ति हो जाती है।

2. योग्यतावाक्य के अर्थ से किसी प्रकार की अयोग्यता अथवा असम्भव बात प्रकट न हो। योग्यता का तात्पर्य शक्ति अथवा सामर्थ्य से है। वाक्य में प्रयुक्त सभी शब्दों में अन्वय एवं परस्पर अर्थगत सम्बन्ध का सुसंगत विन्यास ही योग्यता है। यदि वाक्य के व्यक्त अर्थ में असंगति रहती है, तो वाक्य अपूर्ण ही कहा जाता है। जैसे

  • आग से सींचता है।
  • बालक पानी खाता है।

यहाँ प्रथम वाक्य में ‘आग से सींचने का कार्य नहीं हो सकता और इनको अन्वय भी नहीं बैठ रहा है। इसलिए यह वाक्य-रचना अनुचित है। जल से सींचता है-यह वाक्य-रचना इसके स्थान पर उचित है। इसी प्रकार ‘पानी खाता है’ की अपेक्षा ‘पानी पीता है’ वाक्य-रचना संगत लगती है। इस तरह वाक्य में पदों का प्रयोग अर्थ की संगति के अनुरूप होना ही योग्यता तत्त्व माना जाता है।

3. आसत्ति-वाक्य के शब्दों को बोलने अथवा लिखते समय पदों में आसत्ति (निकटता) आवश्यक है। यदि एक शब्द प्रात:काल कहा ज़ाये और उससे सम्बन्धित अन्य, शब्द एक-दो दिन बाद कहे जायें, तो उन शब्दों में निकटता नहीं रहने से वाक्य-रचना संगत नहीं हो सकती है। इसी प्रकार पुस्तक के एक पृष्ठ पर ‘महात्मा गाँधी भारत के’ लिखकर फिर पचास पृष्ठों के बाद राष्ट्रपिता थे’ यह लिखा जाये तो निकटता के अभाव में इन पदों को सार्थक होते हुए भी वाक्य नहीं माना जायेगा। इस प्रकार पढ़ने या सुनने में पद-बन्धों के निरन्तर प्रयोग से उनके मध्य बुद्धि का विच्छेद नहीं होने पर ही वे वाक्य हो सकते हैं।

4. सार्थकता–वाक्य में हमेशा सार्थक शब्दों का ही महत्त्व रहता है। निरर्थक शब्दों की वाक्य-रचना में कोई उपयोगिता नहीं मानी जाती है। ऐसे शब्दों से अर्थ की अभिव्यक्ति नहीं हो पाती है। जैसे

  • मानव इस समस्त सृष्टि का श्रेष्ठ प्राणी है।
  • भारत का अतीत गौरवमय था।

5. अन्वय-हिन्दी में वाक्य-रचना के अन्तर्गत कर्ता, कर्म, सम्बन्ध, क्रिया आदि का क्रमानुसार प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार लिंग, वचन, पुरुष के अनुसार कारक और क्रिया का प्रयोग होता है। इस तरह वाक्य में पदों को उचित क्रम से रखने को अन्वय कहते हैं। जैसे

  • राम प्रतिदिन प्रातः नौ बजे अपने काम पर जाता है।
  • वह निरन्तर परिश्रम करता रहता है।

इन दोनों वाक्यों में पदों का क्रम अन्वय के अनुरूप है। इस कारण अर्थ की प्रतीति में भ्रम नहीं हो रहा है। उचित अन्वय न होने से वाक्य अशुद्ध या दोषपूर्ण हो जाता है।

6. पदक्रम-शब्दों को उनके अर्थ और कारक आदि के सम्बन्ध को ध्यान में रखकर यथास्थान प्रयुक्त करने से वाक्य-रचना शुद्ध हो जाती है। इस तरह की रचमा को पद-क्रम से युक्त, कहते हैं। उचित पद-क्रम न रहने से वाक्यार्थ अस्पष्ट रहता है। जैसे

  • नेताजी को एक फूल की माला पहनाई।
  • वह जाता है जयपुर शहर को।

इन दोनों वाक्यों में पदक्रम सही नहीं है। प्रथम वाक्य में ‘एक’ शब्द का प्रयोग ‘माला’ के साथ होना चाहिए। द्वितीय वाक्य में जाता है’ क्रिया का प्रयोग अन्त में होना चाहिए।

वाक्य-विन्यास
प्रत्येक वाक्य की रचना में पदों या शब्दों को उचित क्रम से रखने पर ध्यान दिया जाता है। पदों का क्रम किस तरह हो, इसके लिए हिन्दी में वाक्य के दोनों अंगों का ज्ञान आवश्यक है। वे दोनों अंग हैं-

  • उद्देश्य और
  • विधेय।

1. उद्देश्य-वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के सम्बन्ध में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे—विद्यार्थी को अनुशासनप्रिय होना चाहिए। इस वाक्य में ‘विद्यार्थी को कहा गया है कि ‘अनुशासनप्रिय होना चाहिए। अतः ‘विद्यार्थी को उद्देश्य है। सामान्यतः उद्देश्य कोई संज्ञा या संज्ञा की तरह प्रयुक्त शब्द या उसका पूरक होता है। दूसरे शब्दों में, वाक्य-रचना में क्रिया का कर्ता ही उसका उद्देश्य होता है।

2. विधेय-उद्देश्य (कर्ता) के सम्बन्ध में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं। अर्थात् वाक्य में प्रयुक्त क्रिया या क्रिया का पूरक पद ‘विधेय’ होता है। वाक्य में विधेय अंश को ही मुख्य माना जाता है। जैसे-ऊपर के वाक्य में

‘अनुशासनप्रिय होना चाहिए’ वाक्यांश विधेय है, क्योंकि यह बात उद्देश्य ‘विद्यार्थी को’ के सम्बन्ध में कही गई है।
विधेय का विस्तार–क्रिया के साथ उसकी विशेषता बताने वाले पदों को विधेय का ‘पूरक’ या ‘विस्तार’ कहते हैं। विधेय अर्थात् क्रिया-पद के ‘पूरक’ ये शब्द हो सकते हैं

  1. क्रियाविशेषण।
  2. क्रियाविशेषण की भाँति प्रयुक्त विशेषण।
  3. संज्ञा या सर्वनाम के सहित सम्बन्ध सूचक अव्यय।
  4. अधिकरण, करण और अपादान कारक के चिह्न।।
  5. पूर्वकालिक आदि कृदन्त पद।

वाक्य के भेद
क्रिया, अर्थ और रचना की दृष्टि से वाक्यों के भिन्न-भिन्न भेद और उपभेद माने जाते हैं। यहाँ इन तीनों का संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है।

क्रिया की दृष्टि से वाक्य के भेद क्रिया के अनुसार वाच्य तीन प्रकार के होते हैं-कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य। जैसे

  • कर्तृवाच्य-रमेश पुस्तक पढ़ता है।
  • कर्मवाच्य-रमेश से पुस्तक पढ़ी जाती है।
  • भाववाच्य-मोहन से सोया जाता है।

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद-जैसा पूर्व में बताया गया है कि आकांक्षा, योग्यता, आसत्ति, अन्वय, पदक्रम आदि के द्वारा ही वाक्य का अर्थ पूर्णतया स्पष्ट होता है। इस दृष्टि से वाक्य आठ प्रकार के होते हैं

  1. विधानार्थक या विधि वाक्य-जिसमें किसी बात का होना पाया जाता है, उसे, विधि वाक्य कहते हैं। यथा-मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
  2. निषेधार्थक वाक्य–जिस वाक्य द्वारा किसी का अभाव या निषेध सूचित होता हो, वह निषेधार्थक वाक्य कहलाता है। यथा–मैं पुस्तक नहीं पढ़ता
  3. आज्ञार्थक वाक्य-जिस वाक्य से आज्ञा, विनती या उपदेश सूचित होता हो, वह आज्ञार्थक वाक्य होता है। यथा- तुम अपनी पुस्तक पढ़ो।
  4. प्रश्नार्थक वाक्य प्रश्न का बोध कराने वाला वाक्य प्रश्नार्थक वाक्य होता है। जैसे- तुम घर कब जा रहे हो?
  5. विस्मयादिबोधक-जिससे आश्चर्य, विस्मय, सन्देह आदि भाव प्रकट होते हैं, वह विस्मयादिबोधक वाक्य होता है। यथा- हाय! ओलों की मार से फसल बरबाद हो गई।
  6. इच्छाबोधक-जिस वाक्य से इच्छा या आशीर्वाद सूचित हो, वह इच्छाबोधक वाक्य कहलाता है। यथा- तुम्हारा भला हो। सब लोग सुखी रहें।
  7. सन्देहसूचक- जिस वाक्य से सन्देह या सम्भावना प्रकट हो वह सन्देहसूचक वाक्य होता है। यथा- सम्भवतः आज आँधी आयेगी।
  8. संकेतार्थक- जिस वाक्य में संकेत यो शर्त हो वह संकेतार्थक वाक्य होता है। यथा- यदि तुम आते तो मैं भी तुम्हारे साथ चलता।

साधारण, संयुक्त और मिश्र वाक्य
रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद होते हैं

  • साधारण वाक्य,
  • संयुक्त वाक्य और
  • मिश्र वाक्य।।

वाक्य के तीनों भेदों तथा इनसे सम्बन्धित उपवाक्यों का परिचयात्मक विवेचन यहाँ दिया जा रहा है1. साधारण वाक्य
जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उसे साधारण वाक्य कहते हैं। जैसे

  • अमिताभ सोता है।
  • राधा पुस्तक पढ़ती है।

इन वाक्यों में अमिताभ’ और ‘राधा’ उद्देश्य हैं तथा ‘सोता है’ और ‘पढ़ती है’ विधेय अंश हैं।

2. संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में एक से अधिक साधारण या मिश्र वाक्य हों और वे किसी संयोजक अव्यय (किन्तु, परन्तु, बल्कि, और, अथवा, तथा आदि) द्वारा जुड़े हों, तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं। जैसे

  • राम पढ़ रहा था परन्तु रमेश सो रहा था।
  • शीला खेलने गई और रीता नहीं गई।

इन दोनों वाक्यों में ‘परन्तु’ व ‘और’ अव्यय पदों के द्वारा दोनों साधारण वाक्यों को जोड़ा गया है।

संयुक्त वाक्य के भेद-संयुक्त वाक्य के दो भेद माने जाते हैं—

  • संयोजक संयुक्त वाक्य और
  • विभाजक संयुक्त वाक्य।
  1. संयोजक संयुक्त वाक्य में किन्तु, परन्तु, और, तथा आदि संयोजक अव्ययों का प्रयोग करके उपवाक्यों को संयुक्त किया जाता है। जैसे—राम पढ़ रहा था और सीता सो रही थी।
  2. विभाजक संयुक्त वाक्य में या अथवा, न, वरना आदि अव्ययों का प्रयोग होता है। जैसे—पुस्तक पढ़ो या निबन्ध लिखो।

3. मिश्र वाक्य
जिस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य और उस मुख्य उपवाक्य के आश्रित एक अथवा एक से अधिक उपवाक्य होते हैं, वह मिश्र वाक्य कहलाता है। जैसे रेखा उमाकान्त की बड़ी बहिन है, जो विवेक विहार में रहती है।

इस वाक्य में ‘रेखा उमाकान्त की बड़ी बहन है’–प्रधान उपवाक्य है। जो विवेक विहार में रहती है’–आश्रित उपवाक्य है।

उपवाक्य-एक वाक्य में पूर्ण विचार या अर्थ को व्यक्त करने के लिए तीन तरह के उपवाक्य प्रयुक्त होते हैं। वे इस प्रकार हैं

  1. स्वतन्त्र उपवाक्य-किसी वाक्य में जो उपवाक्य किसी अन्य वाक्य के आश्रित नहीं होता है और अन्य उपवाक्य के समान अधिकार रखता है, उसे स्वतन्त्र उपवाक्य कहते हैं।
  2. प्रधान उपवाक्य-मिश्र वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य होते हैं। इनमें जो उपवाक्य मुख्य उद्देश्य और विधेय से बना होता है, उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं।
  3. आश्रित उपवाक्य-जिस उपवाक्य का अर्थ प्रधान उपवाक्य पर आश्रित रहता है, उसे आश्रित उपवाक्य कहते हैं।

आश्रित उपवाक्य के भेद-आश्रित उपवाक्य चार प्रकार का होता है–
1. संज्ञा उपवाक्य-जो अपने प्रधान उपवाक्य की क्रिया का (1) कर्म या (2) पूरक या (3) कर्ता, कर्म या पूरक का समानाधिकरण होता है, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। प्रायः संज्ञा उपवाक्य समुच्चयबोधक अव्यय ‘कि’ से जुड़ा रहता है। जैसे—मेरा विश्वास था कि वह अवश्य उत्तीर्ण होगा।

2. विशेषण उपवाक्य-जो अपने प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है, उसे विशेषण उपवाक्य कहते हैं। विशेषण उपवाक्य में ‘जो’ सर्वनाम या उससे बने ‘जहाँ’ और ‘जब’ क्रिया के विशेषण प्रयुक्त होते हैं, विशेषण उपवाक्य कभी प्रधान उपवाक्य के पहले आता है और कभी पीछे। जैसे-जो बात सुनो उसको समझो।

3. क्रियाविशेषण उपवाक्य-जो अपने प्रधान उपवाक्य के क्रिया शब्द की विशेषता बताता है या उस क्रिया शब्द की विशेषता बताने वाले किसी क्रियाविशेषण शब्द का समानाधिकरण रहता है, उसे क्रियाविशेषण उपवाक्य कहते हैं। क्रियाविशेषण उपवाक्य कभी प्रधान वाक्य के पूर्व आता है और कभी पीछे। जैसे—उसको सफलता मिलेगी, क्योंकि वह परिश्रमी है।

4. समानाधिकरण उपवाक्य-जो उपवाक्य प्रधान उपवाक्ये या आश्रित उपवाक्य के समान अधिकरण वाला हो, अर्थात् एक पूर्ण वाक्य में दो उपवाक्य हों और दोनों ही प्रधान हों, उसे समानाधिकरण उपवाक्य कहते हैं। समानाधिकरण उपवाक्य में संयोजन अव्यय शब्दों का प्रयोग होता है।

जैसे—

  • मोहन निर्धन है किन्तु है ईमानदार।
  • बुरी संगत मत करो वरना तुम पछताओगे।।

वाक्य-विश्लेषण
किसी वाक्य में प्रयुक्त शब्दों या वाक्यांशों को अलग-अलग करके उनके पारस्परिक सम्बन्ध बताने को ‘वाक्य-विश्लेषण’ कहते हैं। इसे ही ‘वाक्य-विच्छेद या ‘वाक्य-विग्रह’ भी कहते हैं।

वाक्य-विश्लेषण दो प्रकार से होता है

  • संक्षिप्त वाक्य-विश्लेषण
  • विस्तृत वाक्य-विश्लेषण।।

1. संक्षिप्त वाक्य-विश्लेषण मिश्र तथा संयुक्त वाक्यों का विग्रह संक्षिप्त वाक्य-विग्रह की रीति से भी किया जाता है। इसमें सर्वप्रथम वाक्य के अन्तर्गत होने वाले समस्त उपवाक्यों को अलग-अलग कर दिया जाता है। फिर उनका सम्बन्ध स्थापित किया जाता है कि वे एक-दूसरे के आश्रित हैं अथवा स्वतन्त्र। आश्रित वाक्यों के भेद-प्रभेद का नामकरण भी किया जाता है।
2. विस्तृत वाक्य-विश्लेषण इस विधि से वाक्य-विश्लेषण करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

  1. कर्ता
  2. कर्ता का विस्तार
  3. कर्म
  4. कर्म का विस्तार
  5. पूरक
  6. पूरक का विस्तार
  7. क्रिया
  8. क्रिया का विस्तार
  9. संयोजक पद।

विस्तृत वाक्य-विश्लेषण करते समय वाक्य के उद्देश्य तथा विधेय को अलगअलग करने के उपरान्त उपर्युक्त कोष्ठकों से सम्बन्धित शब्दों को उन कोष्ठकों के अन्दरं लिखना चाहिए।

अभ्यास
प्रश्न वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो, उसे कहते हैं
(क) संयुक्त वाक्ये।
(ख) संज्ञा उपवाक्य।
(ग) मिश्र वाक्य
(घ) साधारण वाक्य।
उत्तर:
(ख) संज्ञा उपवाक्य।

प्रश्न 2.
जिस वाक्य में किसी बात का होना पाया जाता है, उसे कहते हैं
(क) विधानार्थक वाक्य
(ख) निषेधात्मक वाक्य
(ग) आज्ञार्थक वाक्य
(घ) संकेतार्थक वाक्य।।
उत्तर:
(ग) आज्ञार्थक वाक्य

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में से मिश्र वाक्य है
(क) वह आया और चला गया।
(ख) तुम्हारे विचार मेरे विचारों से भिन्न हैं।
(ग) ठण्ड के कारण वह रात भर ठिठुरता रहा।
(घ) कल मुझे एक पुस्तक मिली जो मेरे बहुत काम की थी।
उत्तर:
(ख) तुम्हारे विचार मेरे विचारों से भिन्न हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों में कौनसा वाक्य मिश्रित वाक्य है–
(क) आगरा जो जमुना के किनारे बसा है, ऐतिहासिक नगर है।
(ख) विद्यार्थी पुस्तक पढ़ता है।
(ग) गाँधीजी का जीवन आदर्श था।
(घ) निर्धन मनुष्य कष्ट से जीवन व्यतीत करते हैं।
उत्तर:
(क) आगरा जो जमुना के किनारे बसा है, ऐतिहासिक नगर है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से कौनसा वाक्य मिश्रित वाक्य है–
(क) विदुषी नारी घर की शोभा होती है।
(ख) यदि मेरा परिवार छोटा होता तो आज मेरी यह दुर्दशा नहीं होती।
(ग) हम रेलवे स्टेशन पहुँचे लेकिन गाड़ी जा चुकी थी।
(घ) अभिनव पुस्तक पढ़ता है।
उत्तर:
(घ) अभिनव पुस्तक पढ़ता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य में कौनसा वाक्य संयुक्त वाक्य है?
(क) जो लड़के मेधावी होते हैं, वे परिश्रमी होते हैं।
(ख) महेन्द्र और भूपेन्द्र एक ही घर में रहते हैं।
(ग) हेमराज ऑफिस जायेगा किन्तु धर्मेन्द्र घर पर ही रहेगा।
(घ) उसे कैसे विश्वास दिलाऊँ कि मैंने गलती नहीं की।
उत्तर:
(क) जो लड़के मेधावी होते हैं, वे परिश्रमी होते हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों में कौनसा वाक्य साधारण वाक्य है?
(क) गाँधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो।।
(ख) तुम्हारी पूजनीय गाय आज मर गई।
(ग) आलोक आया किन्तु भूपेन्द्र चला गया।
(घ) जया ने कहा कि सन्तोष अच्छा गाती है।
उत्तर:
(घ) जया ने कहा कि सन्तोष अच्छा गाती है।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जो परिश्रम करते हैं, वे सफल होते हैं। उपर्युक्त वाक्य-रचना के आधार पर किस प्रकार का वाक्य है? उसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यह मिश्र वाक्य है। परिभाषा-जिस वाक्य में एक मुख्य वाक्य तथा उससे एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 2.
वह लड़की मिल गयी, जो मेले में खो गई थी। उपर्युक्त वाक्य, रचना के आधार पर किस प्रकार का वाक्य है? उसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यह मिश्र वाक्य है।
परिभाषा-जिस वाक्य में एक मुख्य वाक्य तथा उससे एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 3.
“बादल खूब गरजे परन्तु वर्षा नहीं हुई।” उपर्युक्त वाक्य रचना के आधार पर किस प्रकार का वाक्य है? उसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यह संयुक्त वाक्य है।
परिभाषा-जिस वाक्य में एक से अधिक साधारण या मिश्र वाक्य किसी संयोजक अव्यय से जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 4.
कमला रमेश की बड़ी बहिन है, जो वसन्त विहार में रहती है। उपर्युक्त वाक्य रचना के आधार पर किस प्रकार का वाक्य है? उसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यह मिश्र वाक्य है।
परिभाषा-जिस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य और उससे आश्रित एक या एक से अधिक उपवाक्य होते हैं, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 5.
‘हमारी भलाई इसी में है कि हम किसी की बुराई न करें।” रचना के आधार पर यह किस प्रकार का वाक्य है? परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यह संयुक्त वाक्य है।
परिभाषा-जिस वाक्य में एक से अधिक साधारण या मिश्र वाक्य हों और वे किसी संयोजक अव्यय से जुड़े हों, तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 6.
मिश्र वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य और उस मुख्य उपवाक्य के आश्रित एक या एक से अधिक उपवाक्य रहते हैं, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 7.
वाक्य की परिभाषा तथा उसके मुख्य प्रकार लिखिए।
उत्तर:
वाक्य की परिभाष–उचित क्रम से संयोजित सार्थक शब्दों के समूह को वाक्य कहते हैं।
रचना की दृष्टि से वाक्य के मुख्य तीन प्रकार होते हैं

  • साधारण वाक्य,
  • संयुक्त वाक्य और
  • मिश्र वाक्य।

प्रश्न 8.
हमें नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। उपर्युक्त वाक्य में प्रयुक्त निम्नलिखित बातें बताइए

  1. कर्ता
  2. क्रिया
  3. क्रिया को विस्तारक।

उत्तर:

  1. कर्ता-हमें।
  2. क्रिया करना चाहिए।
  3. क्रिया का विस्तारक–नियमित।

प्रश्न 9.
गुलाबी नगरी जयपुर राजस्थान की राजधानी है। उपर्युक्त वाक्य में से निम्न बातें बताइए

  1. कर्ता
  2. कर्ता का विस्तारक
  3. पूरक।

उत्तर:

  1. कर्ता-जयपुर।
  2. कर्ता का विस्तारक-नगरी।
  3. पूरकगुलाबी, राजधानी।

प्रश्न 10.
मेरा भाई प्रशान्त अच्छी पुस्तकें कम पढ़ता है। उपर्युक्त वाक्य में प्रयुक्त निम्न बातें बतलाइए

  1. कर्ता का विस्तारक
  2. कर्म
  3. क्रिया का विस्तारक।

उत्तर:

  1. कर्ता का विस्तारक मेरा भाई।
  2. कर्म-पुस्तकें।।
  3. क्रिया का विस्तारक-कम।।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित वाक्यों को साधारण वाक्य-विश्लेषण कीजिए

  1. हमारा देश समृद्धिशाली है।
  2. हमें नियमित रूप से विद्यालय जाना चाहिए।

उत्तर:

  1. देश-कर्ता, हमारा-कर्ता का विस्तार, है क्रिया, समृद्धिशाली–पूरक पद। इसमें हमारा देश’ उद्देश्य अंश है और समृद्धिशाली है। विधेय अंश है।
  2. हमें—कर्ता, जाना चाहिए—क्रिया, विद्यालय-पूरक पद, नियमित रूप से क्रिया का विस्तारक। इसमें हमें उद्देश्य अंश है तथा शेष वाक्यांश विधेय

प्रश्न 12.
निम्नलिखित मिश्र वाक्यों का विश्लेषण कीजिए

  1. यह वही स्थान है, जहाँ बापू की हत्या हुई थी।
  2. जो इंसान जैसा होता है, वह दूसरों को भी वैसा ही समझता है।

उत्तर:

  1. यह वही स्थान है—उपवाक्य, प्रधान उपवाक्य एवं दूसरे वाक्य से मिश्रित।
    जहाँ बापू की हत्या हुई थी-विशेषण आश्रित उपवाक्य, प्रधान उपवाक्य के स्थान शब्द की विशेषता बतलाता है। जहाँ–यह संयोजक शब्द है।
  2. जो इंसान जैसा होता है–विशेषण आश्रित उपवाक्य।
    वह दूसरों को भी वैसा ही समझता है-प्रधान उपवाक्य, अन्य वाक्य से मिश्रित।।
    जो इंसान जैसा होता है—इसमें ‘जो’ संयोजक शब्द है। यह वाक्य प्रधान उपवाक्य के ‘वह’ सर्वनाम की विशेषता बतला रहा है।

प्रश्न 13.
निम्न संयुक्त वाक्यों का विश्लेषण कीजिए।

  1. आँधी आ रही थी इसलिए कल मैं तुम्हारे घर नहीं आ सका।
  2. हम कोई काम करना चाहते हैं, परन्तु उसको जानते नहीं हैं।

उत्तर:

  1. आँधी आ रही थी–प्रधान उपवाक्य। यह अन्य वाक्य से संयुक्त है। इसलिए मैं कल तुम्हारे घर नहीं आ सका परिणामबोधक उपवाक्य।
    प्रधान उपवाक्य का दूसरा वाक्य समानाधिकरण है। इन दोनों में इसलिए संयोजक शब्द है।
  2. हम कोई काम करना चाहते हैं–प्रधान उपवाक्य। अन्य वाक्य से संयुक्त। परन्तु उसको जानते नहीं हैं—विधिसूचक उपवाक्य।।
    प्रधान उपवाक्य द्वितीय उपवाक्य का समानाधिकरण है। इन दोनों के मध्य में ‘परन्तु’ संयोजक शब्द है।

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