RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘यातयामा यामिनी’ अत्र यातयामा शब्दस्य अर्थोऽस्ति (यातयामा यामिनी यहाँ यातयामा का अर्थ है)
(अ) प्रहरैकं गतं सा रात्रिः
(ब) निशीथकालः
(स) उष:कालः
(द) सूर्योदयकालः
उत्तराणि:
(अ) प्रहरैकं गतं सा रात्रिः

प्रश्न 2.
कीदृशोऽयं रोगो यज्ज्वलयति अङ्गानि वाक्यमुक्तवान् (यह कैसा रोग है जो अंगों को जलाता है, यह वाक्य किसने कहा)
(अ) गोरसिंह
(ब) चिकित्सकः
(स) महाराष्ट्र-राजः
(द) माल्यश्रीकः।
उत्तराणि:
(ब) चिकित्सकः

प्रश्न 3.
शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्ता रोगः पाठः संकलितोऽस्ति (शिवाजी का परतन्त्रता रोग पाठ संकलित है)
(अ) पञ्चतन्त्रात्
(ब) शिवराजविजयात्
(स) दशकुमारचरितात्
(द) कथासरित्सागरात्
उत्तराणि:
(ब) शिवराजविजयात्

रिक्तस्थानानि पूरयत –

प्रश्न 1.
वैद्योऽहमिति ……………….. प्रविशति।
उत्तरम्:
वदन् सगर्वं

प्रश्न 2.
दिल्लीवल्लभपाणिपल्लवलालिताः परदत्तं ………… अपीहामहे।
उत्तरम्:
कारुकोशम्।

प्रश्न 3.
………. प्रवंचनामात्रं चेद् हालाहलं क्षणेन विनाशयति।
उत्तरम्प:
लायितुकामानां

प्रश्न 4.
यवनानां कश्चनोत्सवसमयः …………..प्रस्थानस्य इति।
उत्तरम्:
इत्यवसरोऽयं

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्ना

प्रश्न 1.
शिववीराय वैद्यागमनस्य सूचना केन दत्ता ? (शिवाजी को वैद्य आने की सूचना किसने दी)
उत्तरम्:
शिववीराय वैद्यागमनस्य सूचना एकेन महाराष्ट्र भृत्येन दत्ता। (शिवाजी को वैद्य के आने सूचना एक मराठी सेवक ने दी।)

प्रश्न 2.
वैद्येन सह तस्य श्याम-मञ्जूषां धारयन् कः प्रविष्टः ? (वैद्य के साथ उसकी काली पेटी लेकर कौन प्रविष्ट हुआ?)
उत्तरम्:
वैद्येन सह तस्य श्याम-मञ्जूषां धारयन एकः द्वाविंशति वर्ष कल्पौ यवन-युवकः प्रविष्टः। (वैद्य के साथ उसकी काली पेटी धारण किया एक लगभग 22 वर्ष का यवन युवक प्रविष्ट हुआ।)

प्रश्न 3.
चिकित्सकेन सह केषां वार्तालापः अभवत् ? (वैद्य के साथ किनका वार्तालाप हुआ?)
उत्तरम्:
चिकित्सकेन सह महाराष्ट्र राज्ञः वार्तालापः अभवत्। (चिकित्सक के साथ शिवाजी का वार्तालाप हुआ।)

प्रश्न 4.
वस्तुतः चिकित्सक को नाम आसीत् ? (वास्तव में वैद्य किस नाम का था ?)
उत्तरम्:
वस्तुतः चिकित्सकः मुरेश्वरः इति नाम आसीत्। (वास्तव में वैद्य मुरेश्वर नाम का था।)

प्रश्न 5.
धन्या वदान्यता तत्र भवतः इति केन उक्तम् ? (श्रीमान जी की उदारता धन्य है, ऐसा किसने कहा?)
उत्तरम्:
‘धन्या वदान्यता तत्र भवतः’ इति चिकित्सकेन उक्तम्। (‘श्रीमान् की उदारता धन्य है’ ऐसा चिकित्सक ने कहा।)

प्रश्न 6.
कः शिववीरस्य बाल्यमित्रम् आसीत् ? (शिवाजी को बचपन का मित्र कौन था ?)
उत्तरम्:
श्रीमान् मुरेश्वरः शिववीरस्य बाल-मित्रम् आसीत्। (श्रीमान् मुरेश्वर जी शिवाजी के बाल-मित्र थे।)

सप्रसङ्ग संस्कृत व्याख्या कार्या – (प्रसंग सहित संस्कृत व्याख्या कीजिए-)

1. यातयाता यामिनी …………… प्रभुचरणा एवं प्रमाणम्।
प्रसङ्गः – गद्यांशोऽयम् अस्माकं पाठ्य-पुस्तकस्य ‘शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः’ इति पाठात् उद्धृतः। पाठोऽयं पं. अम्बिकादत्त व्यास-विरचितात् ‘शिवराजविजयम्’ इति उपन्यासात् सङ्कलितोऽस्ति । गद्यांशेऽस्मिन् शिववीरस्य कारागार मुक्तेः योजना वर्णिता। (यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः’ पाठ से लिया गया है। यह पाठ पं. अम्बिकादत्त व्यास-रचित ‘शिवराज विजयम्’ उपन्यास से संकलित है। इस गद्यांश में शिवाजी की जेल से मुक्ति की योजना वर्णित है।)

संस्कृत – व्याख्याः – प्रहरमेकं निर्गता रात्रिः! एतस्मिन् कालेऽपि दिल्लीपुर्या वाद्ययन्त्राणां बहुघोष श्रूयते स्म। तदैव सहसैव एकेन महाराष्ट्र-सेवकेन क्षिप्रमेन पदैः अधिरोहिणी पद्धतिं सञ्चलन्नेव कारागृहे प्रवेशं कृत्वा करबद्ध निवेदितम्-राजन्! सम्भ्रान्त इव कोऽपि पञ्चाशत् अब्द कल्पः इस्लाम धर्मावलम्बी पाल्यकयाम् स्थितः छत्रपतिं उपचारयितुम् आगतः अस्ति। अहं चिकित्सकः अहम् इति कथयन् गर्वेण सह प्रवेशं करोति । तत् अस्मिन् विषये महाराजः स्वयमेवावलोक्य प्रमाणम् अस्ति। (एक पहर रात बीत गई।

इस समय भी दिल्लीपुरी में वाद्य यन्त्रों का बहुत अधिक घोष सुनाई दे रहा था। उसी समय एक मराठी सेवक शीघ्र ही पैरों से सीढ़ियों के मार्ग पर चलते हुए जेल में प्रवेश किया तथा हाथ जोड़कर निवेदन किया-”राजन् ! कोई प्रतिष्ठित-सा पचास वर्ष का मुसलमान पालकी में बैठा छत्रपति का उपचार करने के लिए आया हुआ है। मैं हकीम हूँ। ऐसा कहते हुए गर्व के साथ प्रवेश करता है। तो इस विषय में महाराज स्वयं ही देखकर प्रमाण दें।

2. ततो निश्चितं विषमिदम् इति ………………… गृहीता बलेन चकर्षः।
प्रसङ्गः – गद्यांशोऽयम् अस्माकं पाठ्य-पुस्तकस्य ‘शिववीरस्य पार त्र्यचिन्तारोगः’ इति पाठात् उद्धृतः। पाठोऽयं पं. अम्बिकादत्त व्यास-विरचितात् ‘शिवराजविजयम्’ इति उपन्यासात् सङ्कलितया। अत्र कारागार-मुक्ति-योजनान्तर्गतानिभायातः। यवन चिकित्सकः शिववीरं किंचित् औषधं पाययितुं प्रयतते। (यह गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः पाठ से लिया गया है। यह पाठ पं. अम्बिकादत्त व्यास- रचित ‘शिवराज विजयम्’ उपन्यास से संकलित है। यहाँ जेल से मुक्ति योजना के अन्तर्गत आया हुआ यवन हकीम शिवाजी को कोई औषध पिलाने का प्रयास करता है।)

संस्कृत – व्याख्याः – ततः सर्वे इदम् विचिन्तयत् निश्चितं इदं हालाहलमेव अस्ति अतः अन्योऽन्यम् अवलोकयन्ति। ततः एव असौ वैद्यः एकेन अङ्गुल्याः अग्रभागेन काचपात्रे जलम् आवर्तते, चूर्ण मेलयति समीपं चानयति महाराष्ट्र राजः तु तदा अतिक्रुद्धः आसीत् एव अतः यावत् असौ वैद्य तमौषधं मुखस्य समीपम् आनयति तावत् एव महाराजः तस्य चिकित्सकस्य पात्रेण सहितं करं तथा ताडयति यथा तत् काच पात्रं सम्यक् उच्छलितः प्राचीरेण आहत्य भिन्नं शतधा भवति। सः तस्य आश्चर्यचकितस्य वैद्यस्य मूर्धनि प्रकृष्ट हस्ताघातेन आहत्य तस्य कूर्च गृहीत्वा शक्तिपूर्वकेभ्य कर्षति स्म।

(तब सभी ने यह सोचकर कि निश्चित ही यह जहर है। अतः एक-दूसरे की ओर देखते हैं। तभी यह वैद्य अंगुली के अग्रभाग से पात्र के जल । को घुमाता है, चूर्ण मिलाता है और समीप लाता है। मराठाराज तब बहुत नाराज थे ही, अतः जैसे ही वह वैद्य उस औषधे को मुख के समीप लाता है वैसे ही महाराज उस वैद्य के पात्र सहित हाथ को ऐसे मारते हैं कि वह कांच का पात्र अच्छी तरह उछला हुआ दीवार से टकराकर सैकड़ों टुकड़े हो जाता है। वे उस आश्चर्यचकित वैद्य के सिर पर एक जोर से थप्पड़ मारकर उसकी दाढ़ी जोर से खींच ली।)

सप्रसंगं हिन्दी व्याख्या कार्या – (सप्रसंग हिन्दी व्याख्या करिये।)

1. ततो सर्वेऽपि ददृशु ……………. श्याममजूषः प्रविष्टः।
प्रसङ्गः – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘शिववीरस्य पारतन्त्र्य चिन्तारोगः’ पाठ से उद्धृत है। यह पाठ लं. अम्बिकादत्त व्यास-रचित ‘शिवराज-विजयम्’ उपन्यास से संकलित है। इस अंश में यवन चिकित्सक के आगमन का चित्रण है।
व्याख्याः – जैसे ही यवन हकीम आया उसकी ओर सभी ने देखा। उस हकीम के ऐनक लगी हुई थी, जिसमें चाँदी की शलाकाएँ अर्थात् चश्मा का फ्रेम चाँदी का बना हुआ था। उसने अपने सिर पर हरे रंग का रेशमी साफा बाँध रखा था।

हरा ही कुर्ता तथा गंगा-जमुनी (श्वेत-कृष्ण) दाढ़ी तो इतनी लम्बी थी कि नाभि तक लटक रही थी। वह दाढ़ी गहरी थी। कानों तक लम्बी-लम्बी मूंछे थीं। ऐसे उस हकीम ने अन्दर प्रवेश किया तथा पूछा-मराठाराज कहाँ हैं ? क्या रोग है ? उसके पीछे-पीछे लगा हुआ लगभग बाईस वर्ष की उम्र का एक मुसलमान जवान चला जा रहा था, जिसकी काँख में एक काली-सी पेटीं लगी हुई थी। उसने प्रवेश किया।

2. गोरसिंहः – किं निर्णीतं भवता ? …………….. क्षणेन विनाशयति।
प्रसङ्गः – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः’ पाठ से उद्धृत है। यह पाठ मूलतः पं. अम्बिकादत्त व्यास जी विरचित ‘शिवराज विजय’ नामक उपन्यास से संकलित है। इस गद्यांश में गोरसिंह महाराज और हकीम का संवाद बताया गया है –
व्याख्या – गोरसिंह ने पूछा तो आपने क्या निर्णय लिया है ? चिकित्सक बोला-जो भी निर्णय लिया गया है, मैं उसका विरोध करता हूँ। उसने तुरन्त आविद को बुलाकर कहा पेटी को खोलो। औषध मिलाकर मैं अभी महाराज को क्षणभर में ही रोगमुक्त कर दूंगा। महाराज शिवाजी ने पूछ-भाई यह कौन-सी औषध है ? हकीम ने कहा-यह पीयूष होलाहल (जहरमुर्रा) नाम की औषध है।

इसमें जो अमृत (पीयूष) है वह मानव के वात, पित्त और कफ इन तीनों से पैदा हुए विकारस्वरूप त्रिदोष के रोग क्षणभर में ही समाप्त करता है तथा इसमें जो विष (हालाहल) मिला है वह बचकर भागने वालों और मात्र छल-कपट का व्यवहार करने वालों को क्षणभर में ही विनष्ट कर देता है। यहाँ शिवाजी को यह भी संकेत कर दिया है कि मैं तुम्हारी सारी योजना जानता हूँ। आप छल-कपट के साथ पलायन करने वाले हैं। अतः तुम्हें नष्ट कर देगा। परन्तु अभी तक शिवाजी योजना को समझ नहीं पाये थे।

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 व्याकरणात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पदानां निर्दिष्टं विभक्ति वचनं लिख्यताम् – (निम्न पदों के निर्देशानुसार विभक्ति-वचन लिखिये-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः 1

प्रश्न 6.
निम्नलिखितान् उपसर्गान् आधारीकृत्य वाक्यनिर्माणं कुरुतः – (निम्न उससर्गों के आधार पर वाक्य बनाइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः 2

प्रश्न 7.
निम्नलिखितानां पदानां सन्धि-विच्छेदः करणीयः-(निम्न पदों का सन्धि विच्छेद कीजिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः 3

प्रश्न 8.
निम्नलिखितानां पदानां लिङ्ग परिवर्तनं करणीयम्-(निम्न पदों का लिंग परिवर्तन कीजिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 शिववीरस्य पारतन्त्र्यचिन्तारोगः 4

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 7 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

प्रश्न 1.
शिववीरः कारागारे कुत्र निरुद्धः? (शिवाजी कारागार में कहाँ डाला गया था ?)
उत्तरम्:
शिववीरः देहल्यां कारागारे निरुद्धः। (शिवाजी दिल्ली कारागृह में डाला गया था।)

प्रश्न 2.
शिववीरः केन शासकेन कारागारे निरुद्धः ? (शिवाजी किस शासक द्वारा जेल में डाला गया ?)
उत्तरम्:
शिववीरः अवरंगजेवेन कारागारे निरुद्धः। (शिवाजी को औरंगजेब द्वारा कारागार में डाला गया।)

प्रश्न 3.
कारागारे शिववीरस्यकृते कः रोगः जातः ? (कारागार में शिवाजी को क्या रोग हो गया?)
उत्तरम्:
कारागारे शिववीरस्यकृते पारतन्त्र्यचिन्तारोगः जातः। (कारागार में शिवाजी को परतन्त्रता की चिन्ता का रोग हो गया।)।

प्रश्न 4.
शिववीर रोगग्रस्तं ज्ञात्वा के मुमुदिरे ? (शिवाजी को रोगग्रस्त जानकर कौन प्रसन्न हुए ?)
उत्तरम्:
शिववीरं रोगग्रस्तं ज्ञात्वा द्विषः (शत्रवः) मुमुदिरे प्रसन्नाः अभवन्। (शिवाजी को रुग्ण देखकर शत्रु प्रसन्न हुए।)

प्रश्न 5.
भिक्षुकाः भोजनार्थं कुत्र आगच्छन्ति स्म ? (भिखारी भोजन के लिए कहाँ जाते थे ?)
उत्तरम्:
भिक्षुकाः भोजनार्थं यमुनातटे आगच्छन्ति स्म। (भिक्षुक भोजन के लिए यमुना किनारे आते थे।)

प्रश्न 6.
यमुनातटे भिक्षुकेभ्यः किं वितीर्यते स्म ? (यमुना किनारे भिक्षुकों को क्या बाँटा जाता था ?)
उत्तरम्:
यमुनातटे भिक्षुकेभ्यः शष्कुली अपूयपा: मोदकाः पेटा: इण्डरिकाश्च वितीर्यन्ते स्म। (यमुना किनारे भिक्षुकों के लिए पूड़ी, पुआ, लड्डू, पेड़ा, जलेबी आदि जैसे बाँटे जाते थे।)

प्रश्न 7.
चिकित्सकस्यागमने रात्रिः कियती व्यतीता ? (चिकित्सक के आगमन पर रात कितनी बीत गई ?)
उत्तरम्:
चिकित्सकस्य आगमने रात्रिः प्रहरेक व्यतीता। (वैद्य के आगमन पर रात एक प्रहर बीत गई थी।)

प्रश्न 8.
शिविकामारुह्य कः समायातः ? (पालकी में बैठकर कौन आया ?)
उत्तरम्:
शिविकामारुह्य चिकित्सकः आगच्छत्। (पालकी में चढ़कर चिकित्सक आया।)

प्रश्न 9.
महाराष्ट्रवसुधा धवः कः ? (महाराष्ट्र धरा के स्वामी कौन हैं ?)
उत्तरम्:
शिववीरः महाराष्ट्र वसुधा धवः। (शिवाजी महाराष्ट्र धरा के स्वामी हैं।)

प्रश्न 10.
महाराष्ट्र भृत्येन किं सूचितम् ? (महाराष्ट्र सेवक ने क्या सूचना दी ?)
उत्तरम्:
महाराज़ ! प्रतिष्ठित इव कश्चन पंचाशद्वर्षदेशीयो यवनः शिविकामारुह्य समायातोऽस्ति श्रीमन्तं चिकित्सितुम्। (महाराज ! प्रतिष्ठित की तरह कोई 50 वर्ष की उम्र का यवन पालकी में चढ़कर श्रीमान् जी की चिकित्सा करने आया है।)

प्रश्न 11.
चिकित्सकः किं वदन् कारागारं प्रविष्टः ? (वैद्य क्या कहता हुआ जेल में प्रवेश हुआ ?)
उत्तरम्:
चिकित्सकः वैद्योऽहम् इति वदन् कारागारं प्रविष्टवान्। (चिकित्सक ‘मैं वैद्य हूँ’ ऐसा कहते हुए जेल में घुसा।)

प्रश्न 12.
यवनचिकित्सकः कारागारं कथं प्रविष्टवान् ? (यवन हकीम जेल में कैसे प्रविष्ट हुआ ?)
उत्तरम्:
यवन चिकित्सकः अप्राप्तोत्तर एवं पादत्राण-पटपटाभिः सोपान-पङ्क्तीवनयन् प्रविवेश। (यवन हकीम बिना उत्तर प्राप्त किए ही जूतियों की पट-पट ध्वनि से सीढ़ियों में आवाज करता हुआ प्रवेश हुआ।)

प्रश्न 13.
यवनचिकित्सकस्य वेशः कीदृशः आसीत् ? (यवन हकीम का वेश कैसा था ?)
उत्तरम्:
यवनचिकित्सकः राजत शलाकाचमत्कृतोपनेत्रः हरितकौशेयोद्वष्णीषशिरस्कः, हरितकञ्चुक: आनाभिविलम्बमानसितकृष्णसान्द्रकूर्च कर्णान्तदीर्घश्मश्रुद्वयः च आसीत्। (यवन चिकित्सक चाँदी शलाका वाले चमकते हुए चश्मे वाला हरा रेशमी साफा वाला, हरे कुर्ते वाला, नाभि तक श्वेत कृष्ण सघन दाढ़ी वाला तथा कानों तक लम्बी मूंछों वाला था।)

प्रश्न 14.
यवनचिकित्सकः प्रविशन्नेव महाराजं किम् अपृच्छत् ? (यवन चिकित्सक ने प्रवेश करते ही क्या पूछा ?)
उत्तरम्:
यवन चिकित्सकः प्रविशन्नेव कुत्र महाराष्ट्रराजः ? को रोगः ? इति पृष्टवान्। (यवन चिकित्सक ने प्रवेश करते ही पूछा-महाराष्ट्रराज कहाँ हैं, क्या रोग है?)

प्रश्न 15.
यवन चिकित्सकस्य पृष्ठे कः लग्नः आसीत् ? (यवन हकीम के पीछे कौन लगा हुआ था ?)
उत्तरम्:
यवनचिकित्सकस्य पृष्ठे एकः द्वाविंशति वर्षकयो यवन युवकोऽपि कक्षस्थापितं श्याममंजूषः आसीत् (यवन वैद्य के पीछे एक 22 वर्ष का यवन युवक काँख में काली पेटी लिए हुए था।)

प्रश्न 16.
चिकित्सकस्य सहयोगिनः किं नाम आसीत् ? (वैद्य के सहयोगी का क्या नाम था ?)
उत्तरम्:
चिकित्सकस्य सहयोगिनः नाम आविदः आसीत्। (हकीम के सहयोगी का नाम आविद था।)

प्रश्न 17.
आविदस्य कक्षे किम् आसीत् ? (आविद की काँख में क्या था ?)
उत्तरम्:
आविदस्य कक्षे श्याम मञ्जूषा स्थापिता आसीत्। (आविद की काँख में काली पेटी थी।)

प्रश्न 18.
चिकित्सक शिववीरस्य समीपे कोऽनयत् ? (हकीम को शिवाजी के पास कौन ले गया?)
उत्तरम्:
चिकित्सक शिववीरस्य समीपे माल्यश्रीक गोरसिंहौ अनयताम्। (हकीम को शिवाजी के पास माल्यश्रीक और गोर सिंह ले गये।)

प्रश्न 19.
शिववीरस्य समीपं प्राप्य चिकित्सकः किम् अकरोत् ? (शिवाजी के पास जाकर हकीम ने क्या किया?)
उत्तरम्:
शिववीरस्य समीपं प्राप्य चिकित्सकः राज्ञोमस्तकं स्पृशन् पृष्टवान्–को रोगः। (शिवाजी के समीप पहुँचकर हकीम ने राजा के मस्तक पर स्पर्श करते हुए पूछा।)

प्रश्न 20.
माल्यश्रीक गोरसिंहौ यवन चिकित्सक कुत्र उपवेशयिताम् ? (माल्यश्रीक-गौरसिंह ने यवनचिकित्सक को कहाँ बैठाया ?)
उत्तरम्:
माल्यश्रीकगोरसिंहाभ्याम् यवनचिकित्सकः राज्ञः पल्यङ्ग-समीपे उपवेशितः। (माल्यश्रीक गोरसिंह ने यवन चिकित्सक को राजा के पलंग के समीप बैठाया।)

प्रश्न 21.
महाराष्ट्रराजः स्वरोगस्य विषये किमकथयत् ? (महाराष्ट्र राज ने अपने रोग के विषय में क्या बताया ?)
उत्तरम्:
महाराष्ट्रराजः स्वरोगस्य विषये अकथयत् यत् प्रत्यक्षतो न ज्ञायते को रोगः किन्तु क्षुधा ह्रसते, अङ्गानि च निर्बलानि भवन्ति। (महाराष्ट्रराज ने अपने रोग के विषय में कहा कि प्रत्यक्ष तो मालूम नहीं क्या रोग है, किन्तु भूख कम हो रही है और अंग निर्बल हो रहे हैं।)

प्रश्न 22.
चिकित्सकः नाडी परीक्ष्य शिववीरं किम् अवदत् ? (हकीम ने नाड़ी परीक्षण कर क्या कहा ?)
उत्तरम्:
चिकित्सकोऽवदत् यद् नाड्यः शुद्धा मन्ये स्वतन्त्रतामपहाय परवान् संवृत्त इति चिन्तारोगोऽयम्। (हकीम ने कहा कि नाड़ी तो ठीक चल रही है, मेरा मानना है कि स्वतन्त्रता दूरकर पराधीन हो गये हो; यह चिन्ता का रोग है।)

प्रश्न 23.
शिववीरः चिकित्सकाय किमर्पयति ? (शिवाजी हकीम को क्या सौंपते हैं?)
उत्तरम्:
शिववीरः चिकित्सकीय अंगुलीयकम् अर्पयति। (शिवाजी हकीम को अँगूठी अर्पित करते हैं।)

प्रश्न 24.
चिकित्सकः आविदाय किं आदिष्टवान् ? (हकीम ने आविद के लिए क्या आदेश दिया ?)
उत्तरम्:
चिकित्सकः आविदाय अकथयत्-‘आविद ! मञ्जूषामुद्घाटय। औषधं पाययित्वा क्षणेन नीरोग विधास्यामि महाराजम्। (चिकित्सक ने आविद से कहा-आविद पेटी खोल। औषध पिलाकर क्षणभर में स्वस्थ कर दूंगा महाराज को।)

प्रश्न 25.
शिववीरस्य कः रोगः आसीत्? (शिवाजी को क्या रोग था?)
उत्तरम्:
स्वतन्त्र्यतायपहाय परवान् संवृत्तः इति चिन्तारोगः आसीत्। (स्वतन्त्रता हटाकर परतन्त्र कर दिया है अतः चिन्ता रोग था।)

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