RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

पाठ्यपुस्तक के प्रजोत्तर
अभ्यास :1

प्रश्न
अधोलिखितेषु पदेषु समास-विग्रहं कृत्वा नामोल्लेखं कुरुत (निम्नलिखित पदों में समास-विग्रह करके समास का नाम बताइए।)।
(i) नखभिन्नः, (ii) घनश्याम, (iii) त्रिभुवनम्, (iv) अनश्वः, (v) चिगुः, (vi) विषकण्ठः, (vii) इन्द्राग्नी, (xiii) दम्पती, (ix) उपकृष्णम्, (x) यथाशक्ति, (xi) अतिहिमम्, (xii) निर्जनम्।
उत्तर:
(i) नखैः भिन्नः (तृतीया तत्पुरुषः) (ii) घन इव श्यामः (कर्मधारय) (iii) त्रयाणां भुवनानां समाहारः (द्विगु), (iv) ने अश्वः (नञ् तत्पुरुष) (v) चित्राः गावः यस्य सः (बहुव्रीहि) (vi) विषं कण्ठे यस्य सः (शिवः) (बहुव्रीहि) (vii) इन्द्रश्च अग्निश्च (द्वन्द्व) (viii) पतिश्च जाया च (द्वन्द्व) (ix) कृष्णस्य समीपम् (अव्ययीभाव) (x) शक्तिम् अनतिक्रम्य (अव्ययीभाव) (xi) हिमस्य अत्ययः (अव्ययीभाव) (xii) जनानाम् अभावः (अव्ययीभाव)।

अभ्यास : 2
प्रश्न:
अधोलिखितेषु पदेषु सामासिक-पदं कृत्वा नामोल्लेखं कुरुत
(i) कार्ये कुशलः, (ii) नीलम् कमलम्, (iii) पंचानां गवां समाहारः, (iv) न हिंसा इति, (v) प्राप्तम् उदकम् यं सः, (vi) गज इव आननं यस्य सः, (vii) रथिकाश्च अश्वारोहाश्च, (xiii) ब्राह्मणश्च ब्राह्मणी च, (ix) विष्णोः पश्चात्, (x) अर्थम्। अर्थम् प्रति, (xi) निद्रा सम्प्रति न युज्यते, (xii) हरिशब्दस्य प्रकाशः, (xiii) कपस्य योग्यम्।।
उत्तर:
(i) कार्यकुशलः (सप्तमी तत्पुरुषः) (ii) नीलकमलम्: (कर्मधारय) (iii) पंचगवम् (द्विगु) (iv) अहिंसा (नञ् तत्पुरुष) (v) प्राप्तोदकः (बहुव्रीहि) (vi) गजाननः (बहुव्रीहि) (vii) रथिका श्वारोहम् (द्वन्द्व) (viii) ब्राह्मणौ (द्वन्द्व) (ix) अनुविष्णु (अव्ययीभाव) (x) यथाथम् (अव्ययीभाव) (xi) अतिनिद्रम् (अव्ययीभाव) (xii) इतिहरि: (षष्ठी तत्पुरुष) (xiii) अनुरूपम् (अव्ययीभावः)।।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
अभ्यास : 3

प्रश्न:
अधोलिखितपदेषु समास-विग्रहं कुरुत- (निम्नलिखित पदों में समास विग्रह कीजिए-)
(i) जरामरणम् (ii) मृगमीनसज्जनानाम् (iii) सुकृतिन: (iv) तृणजलसन्तोषविहितवृत्तीनाम् (v) यशःसुखकरी (vi) चन्द्रोज्ज्वला (vii) पर्वतदुर्गेषु (viii) मानोन्नतिम् (ix) उपगंगम् (x) निर्विघ्नम् (xi) निर्जनम् (xii) प्रतिदिनम् (xiii) यथाविधिम् (xiv) प्रत्येकम् (xv) लब्धप्रतिष्ठः (xvi) चौरभयम् (xvii) यथाशक्तिम् (xviii) ग्राममतः (xix) भीमार्जुनौ (xx) जनजागरणाय।।
उत्तर:
समास-विग्रहम्। (i) जरा च मरणं च। (ii) मृगाणां, मीनानां सज्जनानां च (iii) शोभनानि कृत्यानि येषां ते। (iv) तृणैः, जलेन सन्तोषेन च विहिता: वृत्तिः येषां ते (v) यशः च सुखं च या करोति सा। (vi) चन्द्र इव उज्ज्वला या सा. (vii) पर्वतानां दुर्गेषु। (viii) मानं च उन्नतिं च।। (ix) गंगायाः समीपम्। (x) विघ्नानाम् अभावः। (xi) जनानाम् अभावः (xii) दिनं दिने प्रति (xiii) विधिम् अनतिक्रम्य (xiv) एकम् एकं प्रति (xv) लब्धा प्रतिष्ठा येन सः (xvi) चौराद् भयम्। (xvii) शक्तिम् अनतिक्रम्य (xviii)ग्रामं गतः (xix) भीमश्च अर्जुनश्च (xx) जनानां जागरणाय

अभ्यास 4
प्रश्न:
अधोलिखित पदेषु सामासिक-पदं कृत्वा समासनामोल्लेखं कुरुत- (निम्नलिखित पदों में समास करके समास का नाम लिखिए)
(i) शान्तिः प्रिया यस्य सः (ii) निर्गतं धनं यस्मात् सः (iii) यशः एव धनं यस्य सः (iv) मन्दा मतिः यस्य सः (v) निर्गता लज्जा यस्मात् सः (vi) भ्राता च स्वसा च (vii) अर्थश्च धर्मश्च (viii) धर्मश्च अधर्मश्च (ix) सुख च दुःखं च (x) हरिश्च हरश्च (xi) चतुर्णाम् युगानां समाहारः (xii) पञ्चानां गंगानां समाहारः (xiii) कृष्णाश्चासौ सर्पः (xiv) महांश्चासौ ऋषिः (xv) महती चासौ दैवी। (xvi) वाचः पतिः (xvii) न उचितम् (xviii) कविषु श्रेष्ठः (xix) देशस्य भक्तः (xv) पित्रा सदृशः।
उत्तर:
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पठितपाठ्यांशेषु समस्त सरल पदानां विग्रहाः

प्रश्न:
अधोलिखितसामासिकपदानां समास-विग्रहं कृत्वा समासस्य नाम लिखत-(निम्न समस्त पदों का समास-विग्रह करके नाम लिखिए-)
उत्तर:
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‘समसनं समासः’ संक्षेप करना समास है। अनेक पदों को संक्षेप के द्वारा एकपद किया जाना समास कहा जाता है। समास में पदों का अथवा शब्दों का मेल होता है। समास को पृथक्करण (अलग करना) सामासिक विग्रह कहा जाता है। समास में पहले सुना जाने वाला पद पूर्वपद तथा बाद में सुना जाने वाला शब्द उत्तर पद माना जाता है। समास चार प्रकार के हैं-

  1. तत्पुरुष,
  2. बहुव्रीहि,
  3. द्वन्द्व और
  4. अव्ययीभाव।

1. तत्पुरुष-तत्पुष समास प्रायः उत्तरपद-प्रधान होता है। तत्पुरुष के भी निम्नलिखित चार भेद हैं
(1) सामान्य तत्पुरुष-दोनों पदों की विभक्तियों के लोप के अनुसार सामान्य तत्पुरुष के द्वितीया विभक्ति से लेकर सप्तमी विभक्ति पर्यन्त निम्नलिखित छः भेद हैं

उदाहरण-
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अन्य उदाहरण
(i) द्वितीया तत्पुरुष-जिसमें प्रथम पद द्वितीया विभक्ति का एवं द्वितीय पद प्रथमा विभक्ति का हो। जैसे-
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(ii) तृतीया तत्पुरुष-जिसमें प्रथम पद तृतीया विभक्ति का एवं द्वितीय पद प्रथमा विभक्ति का हो। जैसे-
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(iii) चतुर्थी तत्पुरुष-जिसमें प्रथम पद चतुर्थी विभक्ति का तथा द्वितीय पद प्रथमा विभक्ति का हो। जैसे-
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(iv) पञ्चमी तत्पुरुष-जिसमें प्रथम पद पञ्चमी विभक्ति का तथा द्वितीय पद प्रथमा विभक्ति का हो। जैसे-
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(v) षष्ठी तत्पुरुष-जिसमें प्रथम पद षष्ठी विभक्ति का एवं द्वितीय पद प्रथमा विभक्ति का हो। जैसे-
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(vi) सप्तमी तत्पुरुष-जिसमें प्रथम पद सप्तमी विभक्ति का एवं द्वितीय पद प्रथमा विभक्ति का हो। जैसे-
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(ii) कर्मधारय-तत्पुरुष समानाधिकरण कर्मधारय-जहाँ पूर्व पद और उत्तर पद दोनों को विशेषण-विशेष्य यो उपमान-उपमेय सम्बन्ध होता है, वहाँ कर्मधारय समास होता है।
उदाहरण-
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अन्य उदाहरण-
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(iii) द्विगु-संख्यापूर्वो द्विगु-जहाँ पूर्वपद संख्यावाची शब्द होता है वहाँ, द्विगु समास होता है। इस समास से समाहार , अर्थात् समूह का बोध होता है और समस्त पद नपुंसकलिंग एकवचन होता है।
उदाहरण-
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अन्य उदाहरण-
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(iv) नञ् तत्पुरुष-नञ् तत्पुरुष समास निषेधात्मक अर्थ में प्रयुक्त होता है। नञ् के स्थान पर ‘अ’ अथवा ‘अन्’ होता है।
उदाहरण-
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अन्य उदाहरण-
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(2) बहुव्रीहि-अन्यपदार्थ-प्रधानः बहुव्रीहिः। जहाँ प्रस्तुत दोनों पद मिलकर अन्य पदार्थ का बोध कराते हैं, वहाँ बहुव्रीहि समास होता है। बहुव्रीहि समास के समानाधिकरण और व्यधिकरण दो भेद हैं। यथा-
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अन्य उदाहरण-
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(3) द्वन्द्व समास-उभयपदार्थ-प्रधानः द्वन्द्वः। जहाँ पूर्व पदार्थ और उत्तर पदार्थ दोनों पदार्थों की प्रधानता होती है वहाँ द्वन्द्व समास होता है। द्वन्द्व समास तीन प्रकार का होता है-

  1. इतरेतर द्वन्द्व,
  2. समाहार द्वन्द्व और
  3. एकशेष द्वन्द्व।

उदाहरण-
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अन्य उदाहरण-
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(4) अव्ययीभाव-पूर्वपदार्थ-प्रधान: अव्ययीभावः-जहाँ प्रायः पूर्वपदार्थ की प्रधानता होती है, वहाँ अव्ययीभाव समास होता है। अव्ययीभाव समास समीप, अभाव, योग्यता, चीप्सा, समृद्धि, वृद्धि, अर्थाभाव और अत्यय (अधिकता) आदि अर्थों में प्रयुक्त होता है।
उदाहरण-
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अन्य उदाहरण-
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सामूहिक समास-शब्दावली
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