RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 2 विश्व की प्रमुख जनजातियाँ

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Chapter 2 विश्व की प्रमुख जनजातियाँ

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 बहुचयनात्मक प्रश्न

विश्व की प्रमुख जनजातियां प्रश्न 1.
टुण्ड्रा प्रदेशों में निवास करने वाली कौन-सी जनजाति है?
(अ) भील
(ब) बुशमैन
(स) एस्किमो
(द) गौंड

विश्व की प्रमुख जनजातियां भूगोल कक्षा 12 प्रश्न 2.
दुर्गम पहाड़ी व पठारी क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजाति कौन-सी है?
(अ) भील
(ब) बुशमैन
(स) पिग्मी
(द) बद्दू

Vishwa Ki Pramukh Janjatiya Class 12 प्रश्न 3.
कयाक’ निम्नलिखित में से क्या है?
(अ) मछली
(ब) एस्किमो की नाव
(स) बुशमैन का घर
(द) भीलों का हथियार

विश्व की प्रमुख जनजातियां के प्रश्न उत्तर प्रश्न 4.
एस्किमो का क्या अर्थ होता है?
(अ) वन में रहने वाला आदमी
(ब) कच्चा मांस खाने वाला आदमी
(स) नग्न रहने वाला आदमी
(द) इनमें से कोई नहीं

विश्व की प्रमुख जनजाति प्रश्न 5.
शुतुरमुर्ग के अण्डों के खोल को बर्तन व आभूषण के लिए कौन-सी जनजाति प्रयोग करती है?
(अ) एस्किमो
(ब) बुशमैन
(स) पिग्मी
(द) भील

विश्व की प्रमुख जनजातियाँ प्रश्न 6.
बुशमैन जनजाति का सम्बन्ध कौन-सी प्रजाति से है?
(अ) निग्रीटो
(ब) मंगोलायड्स
(स) काकेशस
(द) आस्टेलाइड्स

Vishwa Ki Pramukh Janjatiya प्रश्न 7.
‘गोल गाधेड़ों प्रथा किस जनजाति में पाई जाती है?
(अ) गौंड
(ब) भील
(स) सैमांग
(द) सकाई

RBSE Solutions For Class 12 Geography प्रश्न 8.
कोदू व कुटकी किस जनजाति के मुख्य खाद्यान्न हैं?
(अ) गौंड
(ब) भील
(स) पिग्मी
(द) बुशमैन

Vishwa Ki Pramukh Janjati प्रश्न 9.
गौंडों से शासित साम्राज्य नहीं है।
(अ) देवगढ़
(ब) माण्डला
(द) राजगढ़

Geography 12th Class RBSE प्रश्न 10.
दीप्पा तथा पैण्डा कृषि निम्नलिखित में से किस जनजाति द्वारा की जाती है?
(अ) भील
(ब) संथाल
(स) गौंड
(द) बुशमैन

उत्तरमाला:
1. (स), 2. (अ), 3. (ब), 4. (ब), 5. (ब), 6. (अ), 7. (ब), 8. (अ), 9. (द), 10. (स)

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

विश्व की जनजाति प्रश्न 11.
स्लेज क्या है?
उत्तर:
स्लेज बर्फ पर चलने वाली पहिये विहीन गाड़ी है, जिसे कुत्ते व रेण्डियर खींचते हैं। इस गाड़ी का प्रयोग एस्किमो लोग करते हैं।

Geography Class 12 प्रश्न 12.
एस्किमो द्वारा बोली जाने वाली भाषा का नाम बताइए।
उत्तर:
एस्किमो लोग एल्यूट भाषा बोलते हैं।

RBSE Class 12 Geography Book Pdf प्रश्न 13.
बेचुआनालैंड कहाँ स्थित है?
उत्तर:
बेचुआनालैंड अफ्रीका महाद्वीप के 18° दक्षिणी अक्षांश से 24° दक्षिणी अक्षांश के मध्य स्थित है।

12th Geography Book RBSE प्रश्न 14.
क्रोस क्या है?
उत्तर:
बुशमैन जनजाति के अन्तर्गत स्त्रियों के वस्त्रों है में सर्वाधिक महत्वपूर्ण वस्त्र चोंगा होता है, जिसे स्थानीय भाषा में क्रोस’ कहा जाता है।

RBSE Solutions For Class 12 Geography Notes प्रश्न 15.
शबरी का सम्बन्ध किस जनजाति से है?
उत्तर:
शबरी का सम्बन्ध भील जनजाति से है।

RBSE Solutions For Class 12 Geography Chapter 2 प्रश्न 16.
भीलों द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में की जाने वाली झूमिंग कृषि को क्या कहते हैं?
उत्तर:
भीलों द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में की जाने वाली झूमिंग कृषि को चिमाता कहते हैं।

Prayogik Bhugol Class 12 प्रश्न 17.
गौंड जनजाति में पुजारी को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
गौंड जनजाति में पुजारी को देबारी कहा जाता है।

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

RBSE 12th Geography Book Pdf प्रश्न 18.
एस्किमो के निवास क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति का निवास मुख्यत: आर्कटिक व टुण्ड्रा प्रदेशों में मिलता है। यह जनजाति ग्रीनलैण्ड से लेकर अलास्का और बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर साइबेरिया के उत्तर-पूर्वी भागों में मिलती है। इस जनजाति के कुछ समूह एल्यूशियन द्वीप व स्कैण्डिनेविया में भी रहते हैं।

12 वीं भूगोल पुस्तक Pdf 2021 RBSE प्रश्न 19.
बुशमैन जनजाति की सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषता बताइए।
उत्तर:
ब्रुशमैन जनजाति में सामाजिक समुदाय एक छोटा दल होता है। बुशमैन की धार्मिक परम्पराओं, संस्कारों वे कलाओं में प्राणियों व प्रकृति का मुख्य स्थान है। ये लोग अंधविश्वासी होने के कारण जादू-टोने तथा भूत-प्रेतों में विश्वास करते हैं। इनके द्वारा दो भगवान माने गए हैं – एक जो पूर्व में रहता है, जबकि दूसरे को पश्चिम में माना गया है। बीमारियों व प्रेतात्माओं से बचाने में ओझा मुख्य भूमिका निभाता है। इनके द्वारा चट्टानों पर की गई पेंटिंग जग जाहिर है। इनके द्वारा अण्डों के खोल के आभूषण, तीर-कमान, स्कर्ट आदि क्राफ्ट की वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

RBSE 12 Class Geography Syllabus In Hindi प्रश्न 20.
भीलों के आवास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भीलों के घर प्रकीर्ण प्रकार के होते हैं। झोंपड़ियाँ खेत के छोटे टुकड़ों के मध्य टीलों पर बनाई जाती हैं। प्रत्येक झोंपड़ी अपने आप में पूर्ण होती है, जिसमें आवास के साथ अन्न भण्डारण वे पशुओं को रखने की भी व्यवस्था होती है। घर की दीवारें मिट्टी-पत्थर व बॉस से तथा छत खपरैल से बनी होती है। झोंपड़ियों के सामने की दीवार गोबर, खड़िया व लाल गैरू से लीप-पोतकर सजायी जाता है। वर्तमान में पक्के मकानों का चलन भी बढ़ा है। अब कुछ भील सघन बस्तियों में भी रहने लगे हैं। छोटे गाँवों के समूह को फला व बड़े गाँव को पाल कहते हैं।

12th Class Geography Book In Hindi RBSE प्रश्न 21.
गौंड जनजाति के आर्थिक क्रियाकलापों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गौंड जनजाति के प्रमुख आर्थिक क्रियाकलाप आखेट व झूमिंग कृषि है। ये लोग आत्मनिर्भर होते हैं। इनके द्वारा वनों से प्राप्त उपजों का एकत्रण भी किया जाता है। पशुपालन व मछली पकड़ने का कार्य भी इन लोगों के द्वारा किया जाता है। इनके द्वारा दीप्पा कृषि की जाती है। इस प्रकार की कृषि में पेड़ों व झाड़ियों को जलाकर तथा भूमि को साफ कर खेत तैयार करते हैं। इसमें फावड़े या हल से कुरेदकर बीजों को छिटककर बोया जाता है। पैंडा नामक कृषि मध्यप्रदेश के बस्तर में तीव्र पहाड़ी ढालों पर सीढ़ीदार खेतों पर की जाती है। कुरूख, केवट व धीवर वर्ग के द्वारा मछली पकड़ने का कार्य किया जाता है। रावत वर्ग मुख्य रूप से पशुपालने का कार्य करता है। ये जानवरों का शिकार करते हैं।

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न

12 Class Geography Book प्रश्न 22.
एस्किमो जनजाति पर एक भौगोलिक लेख लिखिए।
उत्तर:

  1. एस्किमो का अर्थ: एस्किमो का शाब्दिक अर्थ कच्चा मांस खाने वाला तथा बर्फीले प्रदेश में रहने वालों से है।
  2. शारीरिक संगठन: एस्किमो जनजाति का सम्बन्ध मंगोल प्रजाति से है। इनका चेहरा सपाट व चौड़ा, त्वचा का रंग पीलापन लिए भूरा, बाल भद्दे व काले, कद मध्यम, नाक चपटी, आँखें गहरी, कत्थई व तिरछी होती हैं। इनका शरीर हृष्ट पुष्ट व मांसल होता हैं।
  3. स्वभाव: इन लोगों का स्वभाव सरल होता है तथा ये हँसमुख प्रकृति के होते हैं। ये अपनी स्थिरता, गम्भीरता व विवेक को अडिग बनाए रखते हैं।
  4. निवास क्षेत्र: एस्किमो जनजाति के लोग आर्कटिक व टुण्ड्रा प्रदेशों में रहते हैं। ये अलास्का से लेकर बेरिंग जलडमरूमध्य तक फैले मिलते हैं। अलास्का, कनाडा व उत्तरी साइबेरिया इनके प्रमुख निवास क्षेत्र हैं। ये कठोर जलवायु क्षेत्रों के निवासी हैं।

सामाजिक दशा:

  1. प्रादेशिक नाम: एस्किमो लोगों को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कनाडा व ग्रीनलैण्ड में इन्हें एस्किमो, स्कैण्डिनेविया में लैप्स तथा उत्तरी साइबेरिया में सैमोयड्स, याकूत, चकची व तुंग के नाम से जाना जाता है।
  2. खान-पान: इन लोगों द्वारा कच्चे मांस का प्रयोग किया जाता है। इनके भोजन में सील, ह्वेल, सी लॉयन, छोटी मछलियाँ, ध्रुवीय भालू, खरगोश, लोमड़ी व’वालरस नामक जीवों के मांस का उपयोग किया जाता है।
  3. पहनावा/वस्त्र: ये लोग मुख्यतः कैरिबो की खाल से बने वस्त्र पहनते हैं। ध्रुवीय भालू के समूर से भी वस्त्र बनाए जाते हैं। स्त्री-पुरुष दोनों के वस्त्रं एक समान होते हैं। वस्त्र स्त्रियों द्वारा बनाए जाते हैं। इनके द्वारा जर्सीनुमा बाँहदार वस्त्र पहना जाता है जिसे तिमियाक कहते हैं। तिमियाक के ऊपर पहने जाने वाले कपड़े को अनोहाक व इनके जूतों को कार्मिक या मुक्लूक्स कहते हैं।
  4. मकान/घर: इनके द्वारा बर्फ से बनाए जाने वाले गुम्बदाकार मकान को इग्लू कहा जाता है। हड्डियों के ढाँचे से बने मकान को कर्मक कहते हैं।
  5. सामाजिक व सांस्कृतिक स्वरूप-ये लोग छोटे-छोटे समूहों में रहते हैं। इनका जीवन घुमक्कड़ है। इनका समाज पितृवंशीय है तथा इनके द्वारा बहुपत्नी प्रथा को प्रधानता दी जाती है। ये एल्यूट भाषा बोलते हैं व अंधविश्वासी होते हैं।

आर्थिक क्रियाकलाप:
(i) आखेट:
इन लोगों का मुख्य आर्थिक क्रियाकलाप आखेट है। ये शीतकाल व ग्रीष्मकाल में भिन्न-भिन्न विधियों से शिकार करते हैं। इनके द्वारा शीतकाल में माउपाक वे इतुरपाक विधि द्वारा शिकार किया जाता है। ये सील मछली का शिकार मुख्य रूप से करते हैं। बसन्तकालीन आखेट को उतोक कहा जाता है। इसमें कुत्तों की मदद से मछलियों का शिकार किया जाता है। ग्रीष्मकाल में धनुष-बाण द्वारा खरगोश, बत्तख, चिड़ियों वे लोमड़ी का शिकार किया जाता है।

(ii) यंत्र-उपकरण:
एस्किमो लोगों द्वारा अनेक प्रकार के यंत्र के उपकरण प्रयुक्त किए जाते हैं। इनके द्वारा प्रयुक्त भाले को हारफून, चमड़े से बनी नाव को कयाक, बड़ी नावे को उमियाक व शिकार करने के काम आने वाली बिना पहिये की गाड़ी को स्लेज कहा जाता है।

वर्तमान परिदृश्य में एस्किमो की स्थिति:
इस जनजाति का 1980 के पश्चात् बाहरी लोगों से सम्पर्क बढ़ा है। ये लोग अब शिकार के लिए आग्नेय अस्त्रों व बन्दूक का प्रयोग करने लगे हैं। कयाक के स्थान पर मोटर चालित नाव व स्लेज के स्थान पर स्नो स्कूटर का प्रयोग करने लगे हैं। इनके द्वारा फर, समूर व मछलियों का व्यापार भी किया जाने लगा है। अमेरिकी सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाओं के कारण इनके भरण-पोषण के स्तर में परिवर्तन आ रहा है, जिससे कनाडा व अलास्का में इनकी जनसंख्या बढ़ रही है।
विश्व की प्रमुख जनजातियां RBSE

विश्व की जनजातियाँ प्रश्न 23.
भील जनजाति के निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था व सामाजिक रीति-रिवाजों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) निवास क्षेत्र:
भील दुर्गम व निर्जन पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करते हैं। ये लोग अरावली, विन्ध्याचल व सतपुड़ा की पहाड़ियों और वन क्षेत्रों में रहते हैं। भारत में भील चार राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र में मिलते हैं। भीलों का मुख्य केन्द्रीकरण राजस्थान के बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर व चित्तौड़गढ़, मध्यप्रदेश के धार, झाबुआ व रतलाम, गुजरात के पंचमहल व बड़ोदरा में तथा महाराष्ट्र के औरंगाबाद, अहमदनगर, जलगाँव, नासिक व धुले जिलों में है।

(ii) अर्थव्यवस्था:
वनों व पहाड़ी प्रदेशों के एकांत प्रदेशों में निवास करने के कारण भीलों की आजीविका का मुख्य आधार खाद्य संग्रहण, आखेट, आदिम कृषि व पशुपालन है। ये लोग वनों से विशेषकर स्त्रियाँ कंद-मूल, फूल-फल एवं पत्तियाँ एकत्रित करती हैं। ये जंगली पशुओं व पक्षियों का शिकार करते हैं। कृषि में खाद्यान्न, साग-सब्जियाँ व चारे की फसलें पैदा करते हैं। भेड़-बकरी, गाय-भैंस व कुक्कुट पालन भी करते हैं।

(अ) आखेट:
जंगलों में तीर-कमान से ये लोग जंगली पशुओं को शिकार करते हैं। पुरुष तालाबों से मछली पकड़ने का कार्य भी करते हैं। पूर्व में ये महान शिकारी थे, लेकिन अब ये लोग कृषि भी करने लगे हैं। लगभग 80% भील कृषि कार्य करने लगे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों की शूमिंग कृषि को चिमाता तथा मैदानी भाग में की जाने वाली कृषि को दजिया कहते हैं।

(ब) भोजन:
वर्ष पर्यन्त भीलों का मुख्य भोजन मक्का है। उत्सवों व प्रीतिभोज के अवसरों पर चावल (चोखा) व लापसी बनती है। छाछ व आटे को उबालकर लगभग हर घर में राबड़ी बनाई जाती है। गेहूँ, चना, उड़द, मूग व सब्जियाँ भी अब इनके भोजन में शामिल हो गए हैं। रीति-रिवाजों व परम्पराओं के अनुसार भील मांसाहारी होते हैं। भीले लोग महुआ से निर्मित शराब का अधिक सेवन करते हैं।

(स) वस्त्र:
देश की आजादी से पूर्व भीलों के वस्त्र बहुत कम होते थे। पुरुष छाल से बनाकर नेकर तथा स्त्रियाँ पेटीकोट पहनती थीं। वर्तमान में पुरुष कमीज, धोती, साफा या पैंट-शर्ट पहनने लगे हैं। स्त्रियाँ घाघरा, काँचली व लूगड़ी पहनती हैं। लड़के लंगोट पहनते हैं तथा लड़कियाँ घाघरी व ओढ़नी पहनती हैं। भील चाँदी, पीतल, जस्ता व निकिल से बने आभूषण पहनते हैं। भील स्त्रियाँ अपने आपको लाख व काँच की चूड़ियों से सजाती व सँवारती हैं।

(द) आवास:
भीलों के घर बिखरे हुए मिलते हैं। इनके घरों को कू कहा जाता है। ये प्रायः झोंपड़ियों में रहते हैं। इनके घरों का निर्माण घास-फूस वे खपरैल से किया जाता है। इनके छोटे गाँवों के समूह को फला व बड़े गाँव को पाल कहा जाता है।

(य) औजार व बर्तन:
धनुष-बाण, तलवार व खंजर इनके प्रमुख अस्त्र-शस्त्र हैं। बाण दो प्रकार के होते हैं-एक हरियो व दूसरा रोबदो। पक्षियों को पकड़ने के लिए एक प्रकार का फंदा जिसे फटकिया कहा जाता है, काम में लिया जाता है। सम्पन्न भील बन्दूकों का भी उपयोग करने लगे हैं। भीलों के घरों में मिट्टी से बने बर्तन, मक्का पीसने की चक्की तथा बाँस से बना पालना जरूर पाया जाता है।

(iii) समाज व संस्कृति-भील अनेक पितृसत्तात्मक समूहों व कुलों में संगटित हैं। प्रत्येक कुल के लोग अलग-अलग गाँवों में रहते हैं। प्रत्येक कुल का अपना-अपना गण चिह्न होता है। भील युवा हो या वृद्ध उसकी पत्नी जरूर होती है। चाहे वह सामान्य विवाह से या भगाकर लायी गई हो। इनमें बहु-पत्नी प्रथा भी पायी जाती है। सामान्यतया विवाह का प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से आता है। इसमें कन्या का मूल्य देना पड़ता है, जिसे दापा प्रथा कहा जाता है, जो लड़के के पिता को देना होता है।

गोल गाधेड़ों प्रथा के द्वारा कोई भी युवक शूरवीरता व साहस का कार्य दिखलाते हुए शादी हेतु युवती को चुनने का अधिकार पाता है। ये प्रकृति पूजक हैं। ये कृषि यंत्रों व उपकरणों की भी पूजा करते हैं, क्योंकि अधिकांश भील कृषक हैं। भीलों में बहुत से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। कुछ लोग नागदेव को पूजते हैं। ये अंधविश्वासी होते हैं तथा भूत-प्रेतों में विश्वास करते हैं। ये मृतकों का दाह-संस्कार करते हैं।

आंकिक प्रश्न

Class 12 RBSE Geography Book प्रश्न 24.
विश्व के मानचित्र में एस्किमो व बुशमैन जनजाति के निवास क्षेत्र को दर्शाइए।
उत्तर:
विश्व की प्रमुख जनजातियां भूगोल कक्षा 12 RBSE

एस्किमो जनजाति के आर्थिक क्रियाकलाप प्रश्न 25.
भारत के मानचित्र में भील व गौंड जनजाति के निवास क्षेत्रों को दर्शाइए।
उत्तर:
Vishwa Ki Pramukh Janjatiya Class 12 RBSE

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

RBSE 12th Arts Geography Book प्रश्न 1.
समशीतोष्ण कटिबंधीय घास क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजाति कौन-सी है?
(अ) किरगीज
(ब) एस्किमो
(स) पिग्मी
(द) नागा

Poem On Vegetables In Hindi प्रश्न 2.
स्कैण्डिनेविया में रहने वाले एस्किमो को कहा जाता है –
(अ) याकूत
(ब) तुंग
(स) चकची
(द) लैप्स

प्रश्न 3.
दो छिद्रों से एस्किमो द्वारा शिकार करने की विधि कहलाती है –
(अ) हारफून
(ब) माउपाक
(स) इतुरपाक
(द) उमियाक

प्रश्न 4.
एस्किमो द्वारा किये जाने वाले बसन्तकालीन आखेट को क्या कहते हैं?
(अ) कयाक
(ब) उतोक
(स) तिमियाक
(द) इग्लू

प्रश्न 5.
बुशमैन मुख्यतः किस महाद्वीप के निवासी हैं?
(अ) एशिया
(ब) यूरोप
(स) अफ्रीका
(द) ऑस्ट्रेलिया

प्रश्न 6.
भील शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से मानी गई है?
(अ) हिन्दी
(ब) संथाली
(स) मलयालम
(द) द्राविड़ियन

प्रश्न 7.
भीलों के बड़े गाँव को क्या कहा जाता है?
(अ) कू
(ब) फला
(स) पाल
(द) बस्ती

प्रश्न 8.
भीलों में पाल के मुखिया को क्या कहते हैं?
(अ) पटेल
(ब) गमेती
(स) बोलावा
(द) भांजगडिया

प्रश्न 9.
विश्व का सबसे बड़ा जनजातीय समूह कौन-सा है?
(अ) भील
(ब) एस्किमो
(स) गौंड
(द) नागा

प्रश्न 10.
पैंडा कृषि कहाँ की जाती है?
(अ) राजस्थान में
(ब) गुजरात में
(स) मध्यप्रदेश में
(द) उड़ीसा में

उत्तरमाला:
1. (अ), 2. (द), 3. (स), 4. (ब), 5. (स), 6. (द), 7. (स), 8. (ब), 9. (स), 10. (स)

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित में स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए –
(क)

स्तम्भ (अ)
(जनजाति)
स्तम्भ (ब)
(मुख्य निवास क्षेत्र)
(i) सैमोयड्स (अ) कालाहारी मरुस्थल
(ii) सेमांग (ब) नागालैण्ड
(iii) बुशमैन (स) समशीतोष्ण कटिबंधीय घास क्षेत्र
(iv) मसाई (द) मध्यवर्ती भारत
(v) किरगीज (य) मलेशिया
(vi) भील (र) केन्या
(vii) नागा (ल) उत्तरी साइबेरिया

उत्तर:
(i) ल (ii) य (iii) अ (iv) र (v) स (vi) द (vii) ब।

(ख)

स्तम्भ (अ)
(स्थान का नाम)
स्तम्भ (ब)
(सम्बन्धित क्षेत्र
(i) डगारिया (अ) उदयपुर
(ii) बासिया (ब) डूंगरपुर
(iii) कोटिया (स) बाँसवाडा
(iv) देआवा (द) कोटा

उत्तर:
(i) ब (ii) स (iii) द (iv) अ।

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातियाँ क्या होती हैं?
उत्तर:
जनजातियाँ जैविक समूह की नहीं, अपितु सामाजिक व सांस्कृतिक समूह का प्रतिनिधित्व करती हैं। जनजाति लोगों का वह समूह है, जो सामाजिक रीति-रिवाजों व सांस्कृतिक परम्पराओं द्वारा एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 2.
जनजातियाँ मुख्यतः कहाँ निवास करती हैं?
उत्तर:
जनजातियाँ मुख्यतः शीत प्रदेशों, घने जंगलों, उष्ण व शुष्क मरुस्थलों, घास के मैदानों, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों व अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में निवास करती हैं।

प्रश्न 3.
जनजातियों की अर्थव्यवस्था का आधार क्या है?
उत्तर:
जनजातियों की अर्थव्यवस्था का आधार खाद्य संग्रहण, आखेट व शिकार, घुमक्कड़ जीवन-यापन, पशुचारण व आदिम ढंग की निर्वाहन कृषि है।

प्रश्न 4.
एस्किमो जनजाति की जीविका का आधार क्या है?
उत्तर:
आखेट/शिकार करना, मछली पकड़ना व वस्तु संग्रहण एस्किमो जनजाति की जीविका का आधार है।

प्रश्न 5.
एस्किमो किस प्रजाति से सम्बन्धित है?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति मंगोल प्रजाति से सम्बन्धित है।

प्रश्न 6.
एस्किमो का स्वभाव कैसा होता है?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति के लोग मानसिक रूप से अत्यधिक मजबूत होते हैं। ये अत्यधिक संकट की स्थिति में भी अपनी स्थिरता, गम्भीरता तथा विवेक को अडिग बनाए रखते हैं। ये स्वभाव से सरल व हँसमुख प्रवृत्ति के होते हैं।

प्रश्न 7.
एस्किमो को प्रादेशिक आधार पर किन-किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
एस्किमो के प्रादेशिक आधार पर अनेक नाम हैं; यथा-टुण्ड्रा प्रदेश के निवासियों को इन्यूत, साइबेरिया में रहने वाले एस्किमो समूह को युइत, तुंग, चकची, युकाघीर व याकूत के नाम से, स्कैण्डिनेविया में रहने वाले एस्किमो को लैप्स के नाम से व स्कैण्डिनेविया के समीपवर्ती क्षेत्र में इन्हें सामी के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 8.
एस्किमो मुख्यतः किन-किन जीवों का शिकार करते हैं?
उत्तर:
एस्किमो के द्वारा मुख्यतः ध्रुवीय भालू, लैमिंग, खरगोश, कस्तूरी मृग, कैरीबो, लोमड़ी, भेड़िये, कुत्ते, सील, ह्वेल, वालरस व लॉयन रूपी मछली का शिकार किया जाता है।

प्रश्न 9.
हारफून क्या है?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति द्वारा शिकार करने के लिए जिस भाले का प्रयोग किया जाता है, उसे हारफून कहते हैं।

प्रश्न 10.
माउपाक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
माउपाक एस्किमो के शिकार करने की एक विधि है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है-प्रतीक्षा करना। इसमें शिकारी को शिकार करने के लिए इन्तजार करना पड़ता है।

प्रश्न 11.
इतुरपाक से क्या आशय है?
उत्तर:
यह एस्किमो के शीतकालीन आखेट की एक विधि है। इसके अन्तर्गत शिकारियों द्वारा दो छिद्र बनाए जाते हैं। एक छिद्र में एक व्यक्ति सील को चारा डालकर बुलाता है तथा दूसरे छिद्र में दूसरा व्यक्ति संकेत मिलते ही हारफून से शिकार कर लेता है।

प्रश्न 12.
कयाक क्या है?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति द्वारा बसन्तकालीन आखेट हेतु चमड़े से बनी जिस नाव का प्रयोग किया जाता है, उसे कयाक कहते हैं। यह 5 मीटर लम्बी व 1.45 मीटर चौड़ी होती है।

प्रश्न 13.
तिमियाक व अनोहाक क्या हैं?
उत्तर:
एस्किमो द्वारा जर्सीनुमा बाँहदार जो वस्त्र पहना जाता है, उसे तिमियाक, जबकि तिमियाक के ऊपर पहने जाने वाले कपड़े को अनोहाक कहते हैं।

प्रश्न 14.
कार्मिक या मुक्लूक्स क्या है?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति द्वारा सील की खाल से बनाए गए जूतों को कार्मिक या मुक्लूक्स कहते हैं।

प्रश्न 15.
इग्लू क्या है?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति द्वारा शीतकाल में बर्फ से बनाए जाने वाले गुम्बदाकार मकान को इग्लू कहा जाता है।

प्रश्न 16.
कर्मक क्या है?
उत्तर:
एस्किमो जनजाति द्वारा 5 – 6 फीट भूमि के अन्दर व 2 – 3 फीट ऊपर उठे, लकड़ी व ह्वेल की हड्डियों के ढाँचे से जो मकान बनाया जाता है, उसे कर्मक कहते हैं।

प्रश्न 17.
उमियाक क्या है?
उत्तर:
उमियाक एक बड़ी नाव है जो एस्किमो जनजाति द्वारा ह्वेल मछली के शिकार के दौरान काम में ली जाती है।

प्रश्न 18.
कालाहारी के मरुस्थल की जनजाति को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
कालाहारी के मरुस्थल की जनजाति को बुशमैन, सॉन, रत्वी व बसारवा के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 19.
बुशमैन का शारीरिक स्वरूप कैसा मिलता है?
उत्तर:
बुशमैन नाटे कद के लोग होते हैं। इनके जबड़े तथा मोटे होंठ बाहर निकले हुए नहीं होते हैं। इनके नितम्ब (कुल्हे) बहुत भारी होते हैं। इनकी आँखें भी चौड़ी नहीं होती हैं।

प्रश्न 20.
बुशमैन जनजाति कहाँ रहती है?
उत्तर:
बुशमैन जनजाति अफ्रीका महाद्वीप में 18° दक्षिणी अक्षांश से 24° दक्षिणी अक्षांश के मध्य बेचुआनोलैण्डे में स्थित कालाहारी के मरुस्थल में निवास करती है।

प्रश्न 21.
बुशमैन का प्रिय भोजन क्या है?
उत्तर:
दीमक, चींटी व अण्डे बुशमैन के प्रिय भोज्य पदार्थ हैं।

प्रश्न 22.
बुशमैन के प्रमुख औजारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
तीर-कमान, नुकीला डण्डा, भाला, बर्ला व अग्निदण्ड इनके प्रमुख औजार हैं।

प्रश्न 23.
भील शब्द की उत्पत्ति व भावार्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भील शब्द की उत्पत्ति द्राविड़ियन भाषा के बीलू से हुई है, जिसका अर्थ तीरंदाज होता है।

प्रश्न 24.
दजिया एवं चिमाता क्या हैं?
उत्तर:
भील जनजाति के द्वारा मैदानी भाग में की जाने वाली कृषि को दजिया एवं पहाड़ी क्षेत्रों में की जाने वाली झूमिंग कृषि को चिमाता कहा जाता है।

प्रश्न 25.
फला व पाल में क्या अन्तर है?
उत्तर:
भील जनजाति के छोटे गाँवों के समूह को फला व बड़े गाँव को पाल कहा जाता है।

प्रश्न 26.
फटकिया किसे कहते हैं।
उत्तर:
भील जनजाति द्वारा पक्षियों को पकड़ने के लिए एक फंदे का प्रयोग किया जाता है इस फंदे को ही फटकिया कहते हैं।

प्रश्न 27.
दापी प्रथा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भील जनजाति में विवाह के दौरान वर पक्ष के द्वारा वधू पक्ष को कन्या का मूल्य चुकाना पड़ता है। कन्या के इस मूल्य चुकाने की प्रक्रिया को दापा प्रथा कहते हैं।

प्रश्न 28.
गोल गाधेड़ों प्रथा क्या है?
उत्तर:
भील जनजाति में जब कोई युवक शूरवीरता व साहस का कार्य दिखलाते हुए शादी हेतु युवती को चुनने का अधिकार प्राप्त कर लेता है, तो ऐसी प्रक्रिया गोल गाधेड़ों, प्रथा कहलाती है।

प्रश्न 29.
भीलों का प्रमुख मेला कौन-सा है?
उत्तर:
भीलों को प्रमुख मेला बेणेश्वरधाम मेला है, जो राजस्थान में सोम, जाखम व माही नदी के त्रिवेणी संगम पर लगता है।

प्रश्न 30.
भीलों का रणघोष कौन-सा है?
उत्तर:
फाइ-फाइरे भीलों का रणघोष है।

प्रश्न 31.
गमेती व बोलावा में क्या अन्तर है?
उत्तर:
भील जनजाति में पाल के मुखिया को गमेती कहा जाता है, जो एक प्रकार से इनका शासक है, जबकि मार्गदर्शक का कार्य करने वाला बोलावा कहलाता है।

प्रश्न 32.
गौंड शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई है?”
उत्तर:
गौंड शब्द की उत्पत्ति खोण्डा से हुई है, जिसका अर्थ है – पहाड़ी। अतः पहाड़ियों में रहने वाले लोगों को प्रायः गौंड कहा जाता है।

प्रश्न 33.
गौंड अपने आपको क्या कहते हैं?
उत्तर:
गौंड अपने आपको कोइटुर या कोल भी कहते है।

प्रश्न 34.
गौंड जनजाति कहाँ निवास करती है?
उत्तर:
गौंड जनजाति प्रायद्वीपीय भारत में सतपुड़ा, मैकाल पहाड़ियों, सोन-देवगढ़ उच्च भूमि क्षेत्र तथा बस्तर के पठार एवं गढ़जात पहाड़ियों में मुख्य रूप से निवास करती है।

प्रश्न 35.
झूमिंग कृषि से क्या तात्पर्य है?
अथवा
स्थानान्तरणशील कृषि क्या है?
उत्तर:
झूमिंग कृषि एक ऐसी कृषि है, जिसमें भूमि पर मिलने वाले पेड़-पौधों व झाड़ियों को जलाकर भूमि तैयार की जाती है। इस तैयार साफ भूमि पर दो-तीन साल तक खेती करने के पश्चात् उसे परती छोड़ दिया जाता है।

प्रश्न 36.
गौंड जनजाति मिट्टी की आर्द्रता बनाए रखने के लिए क्या करती है?
उत्तर:
गौंड जनजाति में मिट्टी की आर्द्रता को बनाए रखने के लिए निचले भागों में लकड़ी के लट्ठे रख दिये जाते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव भी नहीं होता और आर्द्रता बनी रहती है।

प्रश्न 37.
पटेल अथवा मुखादम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
गौंड जनजाति में गाँव के मुखिया को पटेल अथवा मुखादम के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 38.
कोतवार व देबारी क्या होते हैं?
उत्तर:
गौंड जनजाति में गाँव के चौकीदार को कोतवार तथा गाँव के पुजारी व पुरोहित को देबारी कहा जाता

प्रश्न 39.
गौंड कौन-सी भाषा बोलते हैं?
उत्तर:
गौंड जनजाति के द्वारा मुख्यतः गौंडी, तमिल, कन्नड़, हिन्दी, मराठी व तेलुगु भाषा बोली जाती है।

प्रश्न 40.
सगा क्या है?
उत्तर:
गौंड जनजाति में मान्यता के अनुसार गौंडों के नायक पाहेन्डी कपार लिंगम ने जब गौंडों को आजाद कराया था तो ये गौंड लोग चार समूहों में गुफा से बाहर आए थे, तभी से गौंडों के इन चार मुख्य वर्गों को गौंडी भाषा में सगा कहा जाता है।

प्रश्न 41.
कबाड़ी प्रथा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
गौंड जनजाति की इस प्रथा में छोटे से कर्ज को चुकाने के लिए ऋणी की कई पीढ़ियों को साहूकारों के गुलामों की भाँति कार्य करना पड़ता था।

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)

प्रश्न 1.
विश्व की प्रमुख जनजातियों का उनके निवास क्षेत्र के आधार पर विवरण दीजिए।
अथवा
विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में मिलने वाली जनजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व की प्रमुख जनजातियाँ व उनके निवास क्षेत्र निम्नानुसार हैं –

  1. ध्रुवीय व ठण्डे प्रदेशों के निवासी-एस्किमो, सैमोयड्स जनजाति।
  2. विषुवतरेखीय सघन वनों के निवासी-पिग्मी, सेमांग, सकाई जनजाति।
  3. उष्ण व शुष्क कालाहारी मरुस्थल के निवासी–बुशमैन जनजाति।
  4. उष्ण कटिबन्धीय घासे क्षेत्रों के निवासी-मसाई व बद्दू जनजाति।
  5. समशीतोष्ण कटिबन्धीय घास क्षेत्रों के निवासी-किरगीज जनजाति।
  6. दुर्गम पहाड़ी व पठारी क्षेत्रों के निवासी-भील, गौंड, संथाल, मीणा, नागा व अन्य जनजातियाँ।

प्रश्न 2.
एस्किमो जनजाति के शारीरिक स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एस्किमो जनजाति की शारीरिक दशाएँ मंगोल प्रजाति से सम्बन्ध रखती हैं। इन लोगों का चेहरा सपाट व चौड़ा, त्वचा का रंग पीलापन, लिए भूरा, बाल भद्दे व काले, कद मझला, नाक चपटी, आँखें गहरी, कत्थई व तिरछी होती हैं। इन लोगों का जबड़ा भारी, मुँह चौड़ा तथा दाँत सफेद व मजबूत होते हैं। इनका शरीर हृष्ट-पुष्ट व पुढे मांसल होते हैं। ये लोग मानसिक रूप से दृढ़ स्वभाव वाले होते हैं।

प्रश्न 3.
एस्किमो जनजाति के निवास क्षेत्र की जलवायु दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एस्किमो जनजाति अत्यधिक प्रतिकूल जलवायु दशाओं वाले क्षेत्रों में रहती है। इनके निवास में मिलने वाली कठोर जलवायु का स्वरूप निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है–

  1. एस्किमो के निवास क्षेत्रों में जाड़े की ऋतु बहुत लम्बी व ग्रीष्म ऋतु बहुत छोटी होती है।
  2. इनके निवास क्षेत्र में वर्षा हिम के रूप में होती है।
  3. कठोर जलवायु के कारण वनस्पति का अभाव मिलता है। केवल ग्रीष्मकाल में शैवाल, काई, लाइकेन व फूलों वाली वनस्पति ही उत्पन्न होती है।
  4. इनके निवास क्षेत्रों में वार्षिक तापमान 0° सेल्सियस से नीचे रहता है।
  5. निम्न तापमान, बर्फीली आँधियाँ व कम रोशनी इनके निवास क्षेत्र की प्रमुख प्रतिकूल दशाएँ हैं।

प्रश्न 4.
एस्किमो के जीवन में सील के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सील मछली की उपयोगिता का एस्किमो के सन्दर्भ में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एस्किमो के जीवन में सील की उपयोगिता व महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है –

  1. सील मछली एस्किमो को भोजन प्रदान करती है।
  2. सील मछली की चर्बी ईंधन के रूप में प्रयुक्त की जाती है।
  3. सील मछली की चर्बी अधिक ऊष्मा प्रदान करती है। इसी कारण यह न्यून तापमान की स्थिति में उपयोगी रहती है।
  4. सील मछली की खाल से एस्किमो वस्त्र बनाते हैं, जो इनको शीत दशा से बचाते हैं।
  5. सील मछली की हड्डियों से स्लेज बनाने के लिए ढाँचा तैयार किया जाता है।
  6. इसकी खाल से धागे के रूप में ताँत प्राप्त होती है।

प्रश्न 5.
एस्किमो लोगों के वातावरण समायोजन की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
एस्किमो किस प्रकार कठोर परिस्थितियों के आदी हो गए हैं? समझाइए।
उत्तर:
एस्किमो लोगों द्वारा की गई वातावरण समायोजन की प्रक्रिया अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है। इन लोगों ने इतनी विपरीत परिस्थितियों में पर्यावरण के साथ जो तालमेल बिठाया है, वह अनूठा है। एस्किमो द्वारा वनस्पति एवं भवन निर्माण सामग्री के अभाव में बर्फ से घर बनाना इनकी कार्यकुशलता का प्रतीक है।

वालरस व सील की हड्डियों से स्लेज बनाना, बिना पहिये के रेण्डियरों से उसको चलाना इनकी वातावरण समायोजन की प्रक्रिया को दर्शाता है। हिम झंझाओं व हिम पर सूर्य की किरणों के पड़ने से उत्पन्न होने वाली चमक से आँखों को बचाने के लिए आँख के कवच का उपयोग करना इनकी वातावरणीय विशिष्टता को दर्शाता है।

प्रश्न 6.
बुशमैन लोगों के निवास क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बुशमैन जनजाति अफ्रीका महाद्वीप में 18° दक्षिणी अक्षांश से 24° दक्षिणी अक्षांशों के मध्य बेचुआनालैण्ड में निवासित मिलती है। वर्तमान में मुख्यत: यह जनजाति कालाहारी के मरुस्थल व दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के उपोष्ण घास के मैदानी भागों में फैली मिलती है। ये दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, नामीबिया व अंगोला आदि देशों में मिलते हैं। इनका निवास क्षेत्र (कालाहारी मरुस्थल) ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र के रूप में मिलता है।

प्रश्न 7.
बुशमैन जनजाति के औजार व बर्तनों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बुशमैन जनजाति के द्वारा तीर-कमान, नुकीला डण्डा, भाला, बछ, अग्निदण्ड आदि औजार प्रयुक्त किए जाते हैं। ये शिकार करने के लिए विष बुझे तीरों का प्रयोग करते हैं। ये शुतुरमुर्ग और जिराफ के पैर की हड्डियों को घिसकर तथा नुकीला बनाकर तीर के अग्रभाग पर लगाते हैं। इनके द्वारा पेड़ों की छालों से रस्से बनाए जाते हैं। यह जनजाति शुतुरमुर्ग के अण्डों का उपयोग जल रखने व आभूषण बनाने में करती है। हिरण की खाल से थैली व लकड़ी से प्याले भी बनाए जाते हैं।

प्रश्न 8.
आधुनिक संस्कृति के सम्पर्क में आने से बुशमैन जनजाति पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
वर्तमान में बुशमैन जनजाति के लोगों की जीवन शैली पर बाह्य संस्कृति का प्रभाव पड़ रहा है। आजकल ये आखेट के साथ-साथ जल स्रोतों के निकट आदिम निर्वाह कृषि करने लगे हैं। ये लोग स्थानीय व्यापारियों के साथ वस्तुओं का विनिमय भी करते हैं। इनके पहनावे में भी भारी बदलाव आया है। बाँटू, हॉटेण्टॉट व यूरोपीय लोगों के आक्रमणों से बुशमैन लोगों की संख्या निरन्तर घटती जा रही है तथा इनके आवास क्षेत्र संचित होते जा रहे हैं।

प्रश्न 9.
भील जनजाति की परम्पराओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भील जनजाति में अनेक सामाजिक परम्पराएँ देखने को मिलती हैं। ये लोग प्रकृति की पूजा करते हैं। इनके द्वारा कृषि में काम आने वाले यंत्रों के उपकरणों की भी पूजा की जाती है। इनके द्वारा अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। ये नागदेव की पूजा करते हैं। इनके अंधविश्वासी होने के कारण ये भूत-प्रेतों पर विश्वास करते हैं। इनके द्वारा मृत लोगों का दाह-संस्कार किया जाता है। ये होली व दीपावली का त्यौहार मनाते हैं। घूमर व गैर इनके प्रमुख नृत्य हैं। बेणेश्वर धाम मेला इनका प्रमुख मेला है। ये भगवान शंकर की आराधना करते हैं। इन लोगों के द्वारा आग के चारों ओर नृत्य भी किया जाता है।

प्रश्न 10.
भीलों के जीवन व जीवनयापन की दशाओं में किस प्रकार परिवर्तन आ रहा है?
उत्तर:
भील जनजाति के लोगों के जीवन में आधुनिकता के कारण निरन्तर परिवर्तन आ रहा है। ये लोग शहरी संस्कृति के सम्पर्क में आने के कारण अब चतुर व चालाक हो गए हैं। ये लोग अब बाजार आधारित अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहे हैं। युवा वर्ग के लोग आखेट व शिकार जैसी क्रियाओं को छोड़कर मेहनत-मजदूरी करने लगे हैं। बाहरी संस्कृति के सम्पर्क से इनके पहनावे, बोलचाल व रहन-सहन की दशाओं में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। पुरुष शहरों में रिक्शाचालन करने लगे हैं। सरकारी योजनाएँ इनके जीवन परिवर्तन में सहायक सिद्ध हो रही हैं।

प्रश्न 11.
सरकारों द्वारा भीलों के उत्थान हेतु किए जा रहे प्रयासों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में मिलने वाले भीलों के सामाजिक व आर्थिक उन्नयन के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सरकार द्वारा प्रादेशिक विकास हेतु विद्यालय, चिकित्सालय तथा परिवहन, संचार, बैंकिंग की सुविधाएँ उपलब्ध करवायी जा रही हैं। सरकार कुटीर उद्योगों तथा वन व कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। वर्तमान में आधुनिक संस्कृति से बढ़ते सम्पर्क के साथ इनके जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन आ रहा है। सरकार इनकी आवास, शिक्षा व भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न योजनाएँ चला रही है।

प्रश्न 12.
गौंड जनजाति के वस्त्र व आभूषणों के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गौंड जनजाति के लोगों द्वारा प्रायः सूती वस्त्र पहने जाते हैं। पुरुष धोती एवं स्त्रियाँ साड़ी व चोली पहनती हैं। पुरुष व स्त्रियों दोनों के द्वारा चाँदी व एल्युमीनियम के गहने पहने जाते हैं। स्त्रियाँ काँच की रंग-बिरंगी चूड़ियाँ व गले में काले मनकों व कोड़ियों से बना हार पहनती हैं। स्त्रियों के द्वारा शरीर पर गोदना गुदवाया जाता है। लड़कियों द्वारा अपने बालों के जूड़े में सफेद बॉस से बने आधे दर्जन तक कंघे रखे जाते हैं।

प्रश्न 13.
गौंडों के आवासीय स्वरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गौंड जनजाति के लोग नंगले. अर्थात् पल्ली और छोटे-छोटे गाँवों में रहते हैं। ये जिस स्थान पर मकान बनाना चाहते हैं। उसका शगुन निकलवाकर उस स्थान पर उत्सव मनाते हैं। उस स्थान पर बत्तख या मुर्गे की बलि दी जाती है। इनके द्वारा मकान बनाने के लिए घास-फूस व मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। इनके मकान में अलग-अलग भाग होते हैं। इसमें रहने का कमरा, रसोई, बरामदा वे पूजाघर जरूर बनाया जाता है। ये मकान में पहली बार प्रवेश करते समय मिलकर उत्सव मनाते हैं।

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-1)

प्रश्न 1.
एस्किमो जनजाति के शीतकालीन आखेट एवं इसकी विधियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एस्किमो द्वारा शीतकालीन आखेट-इस ऋतु में एस्किमो समुद्री तट के किनारे सील मछली का शिकार करते हैं। इस ऋतु में एस्किमो द्वारा दो विधियों से शिकार किया जाता है-माउपाक व इतुरपाक। जब मछली बर्फ में बने छिद्रों में श्वास लेने आती है, तब एस्किमो द्वारा रखी हड्डी की छड़ हिल जाती है। एस्किमो अपने हथियार हारफून से सील मछली का शिकार करते हैं। इसे माउंपाक कहते हैं। माउपाक का शाब्दिक अर्थ “प्रतीक्षा करना है।”

शिकार की दूसरी विधि इतुरपाक है, जिसके अन्तर्गत शिकारियों द्वारा दो छिद्र बनाए जाते हैं। एक छिद्र में एक व्यक्ति सील को चीरा डालकर बुलाता है तथा दूसरे छिद्र में दूसरा व्यक्ति संकेत मिलते ही हारफून से शिकार कर लेता है। सील मछली न केवल भोजन प्रदान करती है वरन् जलाने के लिए ईंधन भी देती है। सील की चर्बी अन्य जीवों की चर्बी की तुलना में तुरन्त व अधिक देर तक जलती है।

प्रश्न 2.
एस्किमो द्वारा किये जाने वाले बसन्तकालीन आखेट को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एस्किमो द्वारा बसन्तकालीन आखेट-मार्च में सील मछलियाँ श्वास लेने हेतु बाहर आकर धूप सेंकने लगती हैं, तब उनका शिकार किया जाता है। बसन्तकालीन आखेट को उतोक कहते हैं। ये शिकारी कुत्तों की मदद से सील मछलियों का शिकार करते हैं। इस ऋतु में चमड़े से बनी नाव को परिवहन के लिए काम में लेते हैं, जिसे कयाक कहते हैं।

ग्रीष्मकाल में एस्किमो लोग कैरिबो (बारहसिंगा) का धनुष-बाण से शिकार करते हैं। खरगोश, बत्तख व चिड़ियों का शिकार हल्के भाले से फेंककर करते हैं। रेण्डियर सम्पत्ति व सामाजिक स्तर को मापदण्ड भी है। एस्किमो लोगों के जीवन में सील मछली का अत्यधिक महत्त्व है।

प्रश्न 3.
यूरोपियन व अमेरिकी लोगों के सम्पर्क से एस्किमो में क्या परिवर्तन आए हैं?
अथवा
आधुनिक संस्कृति के सम्पर्क का एस्किमो पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
एकाकी ध्रुवीय प्रदेशों में निवास करने वाली एस्किमो जनजाति की 1960 के पश्चात् यूरोपियन व अमेरिकी लोगों से सम्पर्क बढ़ा है। अब ये लोग आग्नेय अस्त्रों बन्दूक आदि का प्रयोग करने लगे हैं। कयाक के स्थान पर मोटर चालित नाव व स्लेज के स्थान पर स्नो स्कूटर का प्रयोग बढ़ा है। पारम्परिक वातावरण को बदलाव तीव्र गति से होने लगा है।

फर, समूर आदि के व्यापार से मुद्रा मिलने से इनके पहनावे व रहन-सहने की विधियों में भी बदलाव आयी है। अमेरिकी सरकार द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य सुविधाओं के बढ़ने व भरण-पोषण सरल होने से एस्किमो लोगों की जनसंख्या कनाडा व अलास्का में निरन्तर बढ़ रही है। इनकी संख्या वृद्धि से टुण्डी के तटीय क्षेत्र के पर्यावरण पर इसको प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

प्रश्न 4.
बुर्शमैन के समाज व संस्कृति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक समुदाय के अन्तर्गत बुशमैन लोगों का एक छोटा-सा दल है। इनकी समाज रक्त या, विवाह से सम्बन्धित होता है। इस जनजाति की धार्मिक परम्पराओं, संस्कारों व कलाओं में प्राणियों में प्रकृति का केन्द्रीय स्थान होता है। ये अंधविश्वासी होने के कारण जादू-टोने व भूत-प्रेतों में विश्वास करते हैं। इन लोगों के द्वारा दो भगवान माने गए हैं।

इनके अनुसार एक भगवान पूर्व में रहता है, जबकि दूसरी भगवान पश्चिम में रहती है। इनके समुदायों में ओझा बीमारियों व प्रेतात्माओं से इन्हें बचाता है। ये लोग चट्टानों पर कलाकृति भी बनाते हैं। इनके द्वारा चट्टानों पर की जाने वाली कलाकारी सर्व प्रसिद्ध है। वर्तमान में इनके द्वारा अण्डों के खोल से आभूषण भी बनाए जाते हैं। ये लोग तीर-कमान, स्कर्ट आदि क्राफ्ट वस्तुएँ बनाते हैं।

प्रश्न 5.
गौंड जनजाति की आर्थिक क्रियाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मौंड जनजाति के लोगों की मुख्य आर्थिक क्रिया कृषि व आखेट है। कुछ गौंड लोगों द्वारा वनों से प्राप्त उपजों के संग्रहण, पशुपालन व मछली पकड़ने का कार्य भी किया जाता है। इन लोगों के द्वारा दीप्पा नामक कृषि की जाती है। यह शूमिंग कृषि का एक प्रकार है जिसमें भूमि पर दो-तीन वर्ष खेती करने के बाद उसे परती छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार की कृषि में पेड़ों व झाड़ियों को जलाकर व भूमि को साफ कर खेत तैयार करते हैं।

उसमें फावड़े वे हल से कुरेदकर बीजों को छिटककर बोया जाता है। बीज बोने के बाद देवी माती को और जंगल के अन्य देवताओं को पशु की बलि दी जाती है। ये लोग मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए निचले भागों में लकड़ी के लट्ठे रखते हैं, जिससे मिट्टी की कटाई भी नहीं होता और नमी भी बनी रहती है। इन लोगों की कुछ उपजातियों; यथा–कुरूख, केवट वे धीवर समुदाय द्वारा मछलीपालन का कार्य भी किया जाता है। रावत नामक वर्ग पशुचारण का कार्य करता है। ये लोग शिकार करके भोजन की आपूर्ति करते हैं।

प्रश्न 6.
गौंड जनजाति का स्वरूप कैसे परिवर्तित हो रहा है?
अथवा
आधुनिक संस्कृति का सम्पर्क किस प्रकार गौडों की दशा एवं दिशा बदल रहा है?
उत्तर:
गौंड लोगों के निवास क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के कारण विगत 30 वर्षों में श्रमिक-कार्य करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। बड़ी संख्या में लोग खदानों व विनिर्माण उद्योगों में श्रमिकों के रूप में कार्य करने लगे हैं। खनन व निर्माण केन्द्रों के समीप इनकी नई व स्थाई बस्तियाँ बस गई हैं। इन बस्तियों में अस्पतालों, विद्यालयों, बाजारों, बैंकों व पंचायतों की स्थापना हुई है। सड़क व रेलमार्गों के जाल से इनका सम्पर्क शहर से बढ़ा है। जीवन-शैली में तेजी से बदलाव आ रही है। पुराने रीति-रिवाज वे परम्पराओं की पकड़ कम होती जा रही है। सरकार ने दासता का प्रतीक कबाड़ी प्रथा को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। इस प्रथा के अनुसार छोटे से कर्ज को चुकाने के लिए ऋणी की कई पीढ़ियों को साहूकारों के गुलामों की भाँति कार्य करना पड़ता था।

RBSE Class 12 Geography Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बुशमैन जनजाति पर एक भौगोलिक लेख लिखिए।
अथवा
बुशमैन जनजाति के निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था व सामाजिक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बुशमैन अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल में रहने वाले लोग हैं, जो सॉन, रवी व बसारवा के नाम से भी जाने जाते हैं। यह निग्रीटो प्रजाति से सम्बन्धित जनजाति है। इस जनजाति से सम्बन्धित विभिन्न दशाएँ निम्नानुसार हैं –

(i) निवास क्षेत्रबुशमैन लोगों का निवास क्षेत्र अफ्रीका महाद्वीप में 18° दक्षिणी अक्षांश से 24° दक्षिणी अक्षांश के मध्य बेचुआनालैण्ड में स्थित है। पशुजनित भोजन की आपूर्ति में यह प्रदेश अधिक धनी है। आज बुशमैन मुख्यत: कालाहारी मरुस्थल और दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के उपोष्ण घास के मैदानी भागों में फैले हैं। ये दक्षिणी अफ्रीका, बोत्सवाना, नामीबिया व अंगोला देशों में निवास करते हैं।

(ii) आर्थिक स्वरूप:

(क) आखेट:
बुशमैन जनजाति के लोगों का मुख्य आर्थिक कार्य आखेट है। ये लोग तीर-कमान व भाले से शिकार करते हैं। इस जनजाति द्वारा शिकार करने की प्रक्रिया हेतु अनेक विधियाँ अपनायी जाती हैं। ये लोग शिकार को कीचड़ में फंसाकर, फंदों में फँसाकर, गड्ढों में गिराकर व जहरीला जल पिलाकर मारते हैं। ये जन्तुओं की नकल करने में माहिर होते हैं।
विश्व की प्रमुख जनजातियां के प्रश्न उत्तर RBSE
(ख) औजारे व बर्तन:
इन लोगों द्वारा तीर-कमान, नुकीला डण्डा, भाला, बछ, अग्निदण्ड आदि प्रयुक्त किए जाते हैं। ये विष बुझे तीरों का प्रयोग करते हैं। शुतुरमुर्ग और जिराफ के पैर की हड्डियों को घिसकर तथा नुकीला बनाकर तीर के अग्र भाग पर लगाते हैं। तीर-कमान से लगभग 60 मीटर की दूरी पर स्थित शिकार को भी मार सकते हैं। पेड़ों की छालों से रस्से बनाते हैं।
विश्व की प्रमुख जनजाति RBSE
(iii) सामाजिक स्वरूप:
(क) भोजन:
बुशमैन सर्वभक्षी होते हैं। वे खाते भी ज्यादा हैं। एक बुशमैन आधी भेड़ तक एक बार में खा जाता है। शिकार, मछली, पौधों की जड़े, बेर तथा शहद इनके भोजन के मुख्य अंग हैं। दीमक, चीटियाँ और उनके अण्डे इनके प्रिय भोज्य पदार्थ हैं। ये लोग इस बात की परवाह नहीं करते कि इनका भोज़न ताजा है या बासी।
विश्व की प्रमुख जनजातियाँ RBSE
(ख) वस्त्र:
बुशमैन के वस्त्र बहुत कम होते हैं। पुरुष एक तिकोनी लंगोट पहनता है, जिसकी नोक टाँगों के बीच होकर पीछे की ओर जाती है। स्त्रियाँ सामने व पीछे की ओर कमर से बाँधकर चमड़े की चौकोर एप्रन लटकाकर पहनती हैं। स्त्रियों के वस्त्रों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वस्त्र चोंगा होता है, जिसे स्थानीय भाषा में क्रोस कहा जाता है। यह वस्त्र व बिस्तर बंद दोनों ही होता है।

(ग) आवास/घर: ये चट्टानी गुफाओं में शरण लेते हैं। खुले में कड़ी टहनियों, घास व जानवरों की खालों से गुम्बदाकार झोंपड़ी बनाते हैं। बुशमैन लोगों के अल्पकालीन गाँव वेर्फ में लगभग 8 से 10 झोंपड़ियाँ होती हैं।

(iv) वातावरण समायोजन:
इनमें जीवित रहने की शक्तिशाली चेतना पायी जाती है। थोड़ा सामान, कम बच्चे तथा अपने सामान के बँटवारे के कारण ये लोग घूमते रहने की अबाधित स्वतंत्रता का उपयोग करते हैं। अकाल के समय बुशमैन स्त्रियाँ गर्भधारण करना बंद कर देती हैं। शिकार करते समय शिकार किये जाने वाले पशुओं की जातियों की मादा व अल्प वयस्कों को हानि न पहुँचाने का ध्यान रखते हैं। ये लोग अग्नि जलाने के लिए कम से कम ईंधन का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 2.
गौंड जनजाति के निवास क्षेत्र व सामाजिक-सांस्कृतिक स्वरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) निवास क्षेत्र-गौंड विश्व का सबसे बड़ा ज़नजातीय समूह है। यह जनजाति भारतीय प्रायद्वीप में निवास करती है। गौंड जनजाति का निवास स्थान मुख्यतः सतपुड़ा पहाड़ियों, मैकाल श्रेणी, सोन-देवगढ़ उच्च भूमि, बस्तर के पठार व गढ़जात पहाड़ियों में मिलता है। इन क्षेत्रों में पहाड़ियों की ऊँचाई प्रायः 600-900 मीटर के बीच मिलती है।

(ii) सामाजिक स्वरूप
(क) खान-पान:
गौंड जनजाति के द्वारा कोदू व कुटकी जैसे स्थानीय अनाजों का प्रयोग किया जाता है। ये लोग सब्जियाँ घरों में उगाते हैं तथा जंगलों से भी प्राप्त करते हैं। इन लोगों के द्वारा उत्सवों व त्यौहारों पर चावल बनाये जाते हैं। ये लोग शिकार से प्राप्त तथा बलि दिये गए जानवरों का मांस भी खाते हैं। इन लोगों के द्वारा महुआ से बनी शराब का भी प्रयोग किया जाता है।

(ख) वस्त्र व आभूषण:
गौंड प्रायः सूती वस्त्र पहनते हैं। पुरुष धोती तथा स्त्रियाँ साड़ी वे चोली पहनती हैं। पुरुष व स्त्रियाँ दोनों चाँदी व एल्युमीनियम के गहने पहनते हैं। स्त्रियाँ काँच की रंग-बिरंगी चूड़ियाँ व गले में काले मनकों व कोड़ियों से बना हार पहनती हैं। स्त्रियाँ अक्सर शरीर पर गोदना गुदवाती हैं। लड़कियाँ अपने बालों के जूड़े में सफेद बॉस से बने आधे दर्जन तक कंधे रखती हैं।

(ग) मकान/आवास:
गौंड नंगले अर्थात् पल्ली और छोटे-छोटे गाँवों में रहते हैं। जिस स्थान पर आवास बनाना होता है। उसका शगुन निकलवाकर उस स्थान पर उत्सव मनाते हैं। वहाँ बत्तख या मुर्गे की बलि दी जाती है। इनके मकाने घास-फूस व मिट्टी के बने होते हैं, जिसमें रहने का कमरा, रसोई, बरामदा व पूजाघर जरूर होता है।

(iii) समाज व संस्कृति-गौंड पितृसत्तात्मक समाज की रचना में रहते हैं। पिता की मृत्यु के उपरान्त उसकी सम्पूर्ण अचल सम्पत्ति उसके पुत्रों में बाँट दी जाती है। सबसे बुजुर्ग पुरुष परिवार का मुखिया होता है। गौंड लोगों में सेवा विवाह, विनिमय विवाह, हरण विवाह तथा विधवा विवाह का प्रचलन है। इन लोगों में विवाह समारोह किसी प्राकृतिक स्थान; जैसे-जल स्रोत के निकट अथवा आम के वृक्ष के नीचे किया जाता है। इस अवसर पर अनिष्ट से बचने के लिए रामधुनी का आयोजन किया जाता है। गाँव के मुखिया को पटेल अथवा मुखादम तथा गाँव के चौकीदार को कोतवार के नाम से जाना जाता है। आपसी विवादों का निपटारा गाँव की पंचायत करती है। गाँव के पुजारी व पुरोहित को देबारी कहा जाता है।

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