Step into high-class excitement at hell spin casino, where glittering reels, lavish bonuses, and thrilling jackpots create nonstop luxury. Each spin delivers pulse-raising suspense, elegance, and the electrifying chance of big Australian online casino wins.

Indulge in elite thrills at joefortune-casino.net, offering dazzling gameplay, sparkling rewards, and adrenaline-pumping jackpots. Every moment immerses players in glamour, high-stakes excitement, and the intoxicating pursuit of substantial casino victories.

Discover top-tier sophistication at neospin casino, with vibrant reels, generous bonuses, and luxurious jackpots. Each spin captivates with elegance, thrill, and the electrifying potential for extraordinary wins in the premium Australian casino environment.

Enter a world of luxury at rickycasino-aus.com, where high-class slots, sparkling bonuses, and pulse-racing jackpots create unforgettable moments. Every wager delivers excitement, sophistication, and the premium thrill of chasing massive casino wins.

RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्राथमिक व्यवसाय कक्षा 12 प्रश्न 1.
निम्न में से कौनसी जनजाति उत्तरी साईबेरिया में नहीं रहती है?
(अ) सेमोयड
(ब) तुंग
(स) याकूत
(द) एस्किमो

Prathmik Vyavsay प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा कार्य प्राथमिक व्यवसाय नहीं है?
(अ) आखेट
(ब) संग्रहण
(स) मछली पकड़ना
(द) विनिर्माण

RBSE Solutions For Class 12 Geography Chapter 8 प्रश्न 3.
निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
(अ) कॉफी
(ब) गेहूँ
(स) गन्ना
(द) चाय

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सी कृषि प्रकार का विकास यूरोप औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया था?
(अ) टूक फार्मिंग
(ब) मिश्रित कृषि
(स) रोपण कृषि
(द) निर्वाहन कृषि

प्रश्न 5.
निम्न प्रदेशों में से किसमें वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की जाती ?
(अ) प्रेयरीज क्षेत्र
(ब) सवाना क्षेत्र
(स) पम्पाज क्षेत्र
(द) डाउन्स क्षेत्र

प्रश्न 6.
व्यापारिक स्तर पर लकड़ी काटने का व्यवसाय कौन से क्षेत्र में किया जाता है?
(अ) कोणधारी वन क्षेत्र
(ब) भूमध्य सागरीय वन
(स) उष्ण कटिबंधीय वन क्षेत्र
(द) इनमें से कोई नहीं

उत्तरमाला:
1. (द), 2. (द), 3. (ब), 4. (स), 5. (ब), 6. (अ)

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 7.
विश्व में पाए जाने वाले दो शीतोष्ण घास के मैदानों के नाम बताइए।
उत्तर:
यूरेशिया के स्टेपीज व उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज़।

प्रश्न 8.
ब्राजील में कहवा के बागानों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
फेजेंडा।

प्रश्न 9.
मछलियों की लगभग कितनी किस्में व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
1,000 किस्में।

प्रश्न 10.
गहन निर्वाहन कृषि के मुख्य प्रकार बताइए।
उत्तर:
गहन निर्वाहन कृषि के दो मुख्य प्रकार हैं –

  1. चावल प्रधान निर्वाहन कृषि
  2. चावल विहीन निर्वाहन कृषि (गेहूँ प्रधान निर्वाहन कृषि)

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
प्राथमिक व्यवसायों के कोई चार उदाहरण बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक व्यवसायों के चार कार्य निम्नानुसार हैं –

  1. आखेट-यह विश्व का सबसे प्राचीन उद्यम है। इसमें जीवनयापन न्यूनतम आधार पर संभव है।
  2. संग्रहण-इस व्यवसाय में लोग जंगलों से फल, कंद-मूल, बैरी, जड़े व पत्तों का संग्रहण करते हैं।
  3. मछली पकड़ना-इस व्यवसाय में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध मछलियों को पकड़ा जाता है।
  4. पशुचारण-इस व्यवसाय में पशुओं से भोज्य पदार्थ, चमड़ा व ऊन प्राप्त करने के लिए पशुपालन किया जाता है।

प्रश्न 12.
व्यापारिक पशुपालन के क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
व्यापारिक पशुपालन मुख्यत: शीतोष्ण घास के मैदानों में किया जाता है। किन्तु पशुपालन के उद्देश्य अलग-अलग होते हैं। डेनमार्क व न्यूजीलैण्ड में दूध के लिए, आस्ट्रेलिया में दूध व ऊन के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में माँस व दूध उत्पादन हेतु पशुपालन होता है। अर्जेन्टाइना, युरुग्वे, स्वीडन व हालैण्ड में व्यापारिक पशुपालन किया जाता है।

प्रश्न 13.
टूक कृषि का क्या अर्थ है? इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
टूक कृषि का अर्थ-यह एक विशिष्ट प्रकार की कृषि है जिसमें साग-सब्जियों की कृषि की जाती है। इन वस्तुओं को प्रतिदिन ट्रकों में भरकर निकटवर्ती नगरीय बाजारों में ले जाकर बेचा जाता है। बाजार से कृषि क्षेत्र की दूरी इस बात पर निर्भर करती है कि टूक द्वारा रात भर में कितनी दूरी तय होती है। इसलिए इस कृषि को टूक कृषि के नाम से जाना जाता है। ट्रक कृषि की विशेषताएँ –

  1. इस कृषि का नगरीकरण से गहरा सम्बन्ध है।
  2. इसमें केवल साग-सब्जियों की कृषि को प्रधानता दी जाती है।
  3. शाकाहारी ज़नसंख्या इस प्रकार की कृषि को बढ़ावा देती है।

प्रश्न 14.
बागाती कृषि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
बागाती कृषि की निम्न विशेषताएँ हैं –

  1. इनमें भारी पूँजी निवेश, उच्च प्रबंध, तकनीकी आधार एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  2. इसमें बहुत बड़ी संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
  3. यह एक फसली कृषि है।
  4. इनसे उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।
  5. इलायची, काली मिर्च, गन्ना, रबर, चाय, कहवा, नारियल, केली प्रमुख बागाती फसलें हैं।
  6. इस प्रकार की कृषि इण्डोनेशिया, मलेशिया, दक्षिणी व पूर्वी भारत, दक्षिणी चीन, म्यांमार, कम्बोडिया, फिलीपाईन्स, श्रीलंका, मध्य अफ्रीका, ब्राजील, फिजी, क्यूबा व हवाई द्वीपों पर की जाती है।

प्रश्न 15.
खनिज कार्य को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
खनिज कार्य का सम्बन्ध केवल खनन से ही नहीं अपितु प्राकृतिक व मानवीय दशाओं से भी होता है। खनिजों के खनन को अनेक क्रियाएँ प्रभावित करती हैं। खनन प्रक्रिया के आधार पर खनिज कार्य को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-

  1. प्राकृतिक कारक: इनमें खनिज भंडारों की स्थिति, खनिज की कोटि, मात्रा, खनिज के प्रकार के बाजार क्षेत्र की समीपता को शामिल किया जाता है।
  2. मानवीय दशायें (कारक): मानवीय दशाओं में खनिज की मांग, यातायात की सुविधा, पूँजी, श्रम, तकनीकी विकास का स्तर व सरकारी नीतियाँ प्रमुख हैं।

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
विश्व के मुख्य कृषि प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कृषि का प्राथमिक स्तर की आर्थिक क्रियाओं में महत्वपूर्ण स्थान है। यह सबसे अधिक प्रचलित व्यवसाय है। विश्व में मिलने वाली विभिन्न भौतिक, सामाजिक व आर्थिक दशाओं के आधार पर कृषि के प्रकार भी अलग-अलग मिलते हैं। विश्व में मुख्यतः निम्न कृषि प्रकार देखने को मिलते हैं –

  1. स्थानान्तरित कृषि
  2. आदिम स्थायी कृषि
  3. जीवन-निर्वाहन कृषि
  4. विस्तृत वाणिज्यिक अनाज कृषि
  5. बागाती कृषि
  6. मिश्रित कृषि
  7. दुग्ध कृषि
  8. ट्रक कृषि
  9. फलोद्यान कृषि।

1. स्थानान्तरित कृषि: यह कृषि का सबसे प्राचीन रूप है। यह कृषि उष्ण कटिबन्धीय वन क्षेत्रों में की जाती है। यहाँ वनों को जला दिया जाता है। भूमि को साफ किया जाता है और उस भूमि पर कृषि की जाती है। यह कृषि आदिम जनजाति के लोगों द्वारा की जाती है। इसे विश्व के अलग-अलग भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

2. आदिम स्थायी कृषि-धीरे-धीरे स्थानान्तरणशील कृषि ने स्थायी रूप ग्रहण कर लिया तो ऐसी कृषि आदिम स्थायी कृषि कहलायी।।

3. जीवन-निर्वाहन कृषि-यद्यपि कृषि की शुरुआत जीवनयापन के रूप में हुई थी। लेकिन यह कृषक के लिए रोजगार का प्रमुख साधन बन गई। उसकी भोजन की आवश्यकताओं के साथ-साथ अन्य आश्यकताओं की पूर्ति करने लगी, तो कृषि का यह प्रकार जीवन-निर्वाहन कृषि कहलाने लगा। विगत 100 वर्षों में इस प्रकार की कृषि का तेजी से विस्तार हुआ। इस प्रकार की कृषि को दो भागों में बाँटा गया है –

  • चावल प्रधान निर्वाहन कृषि
  • चावल विहीन निर्वाहन कृषि।

चावल प्रधान गहन जीवन निर्वाहन कृषि: इस कृषि में चावल प्रमुख फसल होती है। इस कृषि में प्रति इकाई उत्पादन अधिक होता है परन्तु प्रति कृषक उत्पादन कम होता है। अधिक जनसंख्या घनत्व के कारण खेतों को आकार छोटा होता है। जिसमें कृषक को सम्पूर्ण परिवार कृषि कार्य में लगा रहता है।

चावल रहित गहन जीवन निर्वाहन कृषि: मानसूनी एशिया के अनेक भागों में भौगोलिक कारकों की प्रतिकूलता के कारण चावल के स्थान पर गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा आदि बोया जाता है।

4. वाणिज्यिक अनाज कृषि:
वास्तव में जब जीवन निर्वाहन कृषि ने विस्तृत निर्वाहन को रूप ले लिया तो कृषि उत्पादन व्यापारिक दृष्टि से किया जाने लगा। इस प्रकार की कृषि विकसित देशों जहाँ भूमि अधिक व जनसंख्या कम है, में की जाती है। इस प्रकार की कृषि विश्व के मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों के आंतरिक शुष्क प्रदेशों में वृहद् आकार के कृषि फार्मों पर आधुनिक यन्त्रों के माध्यम से की जाती है। इस कृषि की मुख्य फसल गेहूँ है। इस कृषि में खेतों को आकार बहुत बड़ा होता है। एवं खेत जोतने से लेकर फसल काटने तक सभी कार्य यन्त्रों द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं। इसमें प्रति एकड़ उत्पादन कम परन्तु प्रति व्यक्ति उत्पादन अधिक होता है।

5. बागाती कृषि:
इस प्रकार की वाणिज्यिक कृषि का विकास उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में उपनिवेश काल में यूरोपीय लोगों के द्वारा किया गया था। इनका मुख्य उद्देश्य यूरोपीय देशों को वे जरूरी उपजें उपलब्ध कराना था जो उष्ण कटिबंधीय जलवायु में ही पैदा हो सकती है। ब्रिटेनवासियों ने भारत व श्रीलंका में चाय के बागान, मलेशिया में रबड़ के बागान एवं पश्चिमी द्वीप समूह में गन्ना एवं केलों के बागान विकसित किए।

6. मिश्रित कृषि:
विश्व के अत्यधिक विकसित भागों में मध्यम आकार के खेतों में कृषि फसलों की आधुनिक पद्धति से की जाने वाली कृषि जिसमें पशुपालन का कार्य साथ-साथ किया जाता है। इस प्रकार की कृषि उत्तर-पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग, यूरेशिया के कुछ भाग, दक्षिणी द्वीपों के अधिकांश भागों में की जाती है। इस प्रकार की कृषि में खेतों को आकार मध्यम होता है। इसमें बोयी जाने वाली प्रमुख फसलों में गेहूँ, जौ, राई, जई, मक्का, धान की फसलें व कंदमूल आदि है। इस कृषि में फसल उत्पादन व पशुपालन साथ-साथ किया जाता है। फसलों के साथ पशुओं में मवेशी, भेड़, सूअर व कुक्कुट आय के प्रमुख स्रोत होते हैं।

7. डेरी कृषि:
पर्याप्त पूँजी, आधुनिक यन्त्र, गहन कृषि तथा आधुनिक पशु स्वास्थ्य सेवाओं की सहायता से दुधारू पशुओं से व्यावसायिक स्तर पर दुग्ध उत्पादन करने का कार्य डेरी कृषि के अन्तर्गत किया जाता है। इस कृषि में पूँजी की अत्यधिक आवश्यकता होती है। इस कृषि में पशुओं के स्वास्थ्य, प्रजनन एवं पशु चिकित्सा पर भी ध्यान दिया जाता है। पशुओं को चराने, दूध निकालने आदि कार्यों के लिए पूरे वर्ष श्रमे की आवश्यकता होती है। इस कृषि का कार्य नगरीय क्षेत्रों के पास किया जाता है।

8. टूक कृषि:
यह भी विशिष्ट प्रकार की कृषि है। जिसमें साग-सब्जियों की कृषि की जाती है। इन वस्तुओं को प्रतिदिन ट्रकों में भरकर निकटवर्ती नगरीय बाजारों में ले जाकर बेचा जाता है। बाजार से कृषि क्षेत्र की दूरी इस बात पर निर्भर करती है कि ट्रक द्वारा रात भर चलने में कितनी दूरी तय होती है। इसलिए इस कृषि का नाम ट्रक कृषि रखा गया है।

9. फलोद्यान कृषि:
यह भी कृषि का एक विशिष्ट प्रकार है। जिसमें टूक फार्मिंग की तरह साग-सब्जियों की जगह फल एवं फूलों की कृषि की जाती है। फलों व फूलों की माँग नगरों में अधिक होती है। विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार के फल उगाए जाते हैं। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में केला, आम, नारियल, शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सेब, नाशपाती तथा भूमध्य सागरीय क्षेत्रों में नीबू, नारंगी, संतरा आदि मुख्य फल हैं।

प्रश्न 17.
पशुचारण व्यवसाय पर एक लेख लिखिए ।
उत्तर:
1. पशुचारण का विकास:
आखेट व संग्रहण पर निर्भर रहने वाले मानव समूह ने जब यह महसूस किया कि इनमें ढंग से जीवनयापन नहीं हो सकता है, तब मानव ने पशुपालन व्यवसाय को अपनाया। विभिन्न प्राकृतिक दशाओं में रहने वाले लोगों ने उन क्षेत्रों में पाए जाने वाले पशुओं का चयन करके पालतू बनाया। पशुओं से भोज्य पदार्थ, चमड़ा व ऊन प्राप्त करते हैं। यह व्यवसाय मुख्यतः उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ जलवायु उष्ण व शुष्क अथवा शीतोष्ण व शुष्क होती है तथा धरातल ऊबड़-खाबड़ व पर्वतीय होता है।

2. पशुचारण के क्षेत्र:
पशुचारण के मुख्यत चार क्षेत्र हैं जो निम्नानुसार हैं –

  • उष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान: ये 5° से 30° अक्षांशों के बीच में फैले हैं। जहाँ वर्षा का औसत 100 सेमी से कम मिलता है। इनमें सवाना, लानोस, कम्पास व पार्कलैण्ड क्षेत्र प्रमुख हैं।
  • शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान: ये 30° से 45° अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में फैले हैं। जहाँ वर्षा का औसत 50 सेमी है। इन घास के मैदानों को रूस में स्टेपीज, संयुक्त राज्य अमेरिका में पम्पाज, आस्ट्रेलिया में डाउन्स के नाम से जाना जाता है।
  • मरुस्थलीय क्षेत्र: थार मरुस्थल, कालाहारी, अरब मरुस्थल।
  • पर्वतीय क्षेत्र: विश्व के सभी पर्वतीय स्थल। यह व्यवसाय आदिम ढंग का भी हो सकता है और अति विकसित एवं वैज्ञानिक ढंग से व्यापारिक स्तर पर भी हो सकती है।

3. पशुचारण के प्रकार:
पशुचारण की प्रक्रिया वैश्विक स्तर पर अत्यधिक विविधताओं से युक्त है। इसी कारण पशुचारण में भी जो भिन्नताएँ मिलती हैं उसके आधार पर पशुचारण की प्रक्रिया को मुख्यतः दो भागों-चलवासी पशुचारण व . व्यापारिक पशुचारण में बाँटा गया है। इन दोनों प्रारूपों को संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है –

(क) चलवासी पशुचारण:
लोगों के जीवन के ढंग जिसमें उन्हें अपने पशुओं, उनकी अर्थव्यवस्था के आधार के लिए चारागाहों की तलाश में बार-बार एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपने निवास को स्थानान्तरित करना पड़ता है। चलवासी पशुचारण कहा जाता है तथा चलवासी पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार एवं यातायात के लिए पशुओं पर निर्भर रहते हैं तथा ये पशुओं के साथ पानी एवं चारागाहों की उपलब्धता की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते हैं एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। चलवासी पशुचारण के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं –

  • उत्तरी अफ्रीका के अटलांटिक तट से अरब प्रायद्वीप होता हुआ मंगोलिया व मध्य चीन तक
  • यूरोप व एशिया के टुण्डा क्षेत्र
  • दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीका व मेडागास्कर द्वीप।

(ख) वाणिज्यिक पशुचारण:
ज्ञान व विज्ञान की प्रगति तथा मानव की आवश्यकताओं में हुई वृद्धि ने पशुपालन व्यवसाय के रूप में भारी परिवर्तन कर दिया है। आज अनेक नए-नए व बड़े-बड़े क्षेत्रों में पशुपालन व्यापारिक स्तर पर व्यवस्थित ढंग से किया जाता है। वाणिज्यिक पशुपालन का मुख्य उद्देश्य दूध प्राप्ति, माँस प्राप्ति, ऊन प्राप्ति व चमड़ा प्राप्ति होता है। ताकि अधिक से अधिक लाभ अर्जित किया जा सके।

प्रश्न 18.
मानव के प्रमुख आदिम व्यवसायों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
मानव प्राचीन काल से ही अपनी आवश्यकताओं एवं विकास के साथ व्यवसायों में परिवर्तन करता रहा है किन्तु मानव के प्रमुख आदिम व्यवसाय इसकी आधारशिला रहे हैं। मानव के इन आदिम व्यवसायों का वर्णन निम्नानुसार है –

1. आखेट:
यह व्यवसाय विश्व का सबसे प्राचीन व्यवसाय माना जाता है। इसमें सबसे कम व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। लेकिन अन्य किसी आर्थिक क्रिया की अपेक्षा अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होती है। इस व्यवसाय में जीवनयापन न्यूनतम आधार पर संभव है। आखेट की प्रक्रिया अपनाते हुए व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर भोजन, वस्त्र एवं निवास के लिए साधन जुटाते हैं।

अतिशीत व अत्यधिक गर्म प्रदेशों में रहने वाले लोग आखेट द्वारा जीवनयापन करते हैं। यह कार्य कठोर जलवायु दशाओं में घुमक्कड़ जीवन जीते हुए किया जाता है। इस कार्य के लिए बहुत कम पूँजी एवं निम्न स्तरीय तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसमें भोजन शेष नहीं रहता है। लोग आखेट के लिए नुकीले औजार, विषाक्त बाणों व फंदे आदि काम में लेते हैं।

2. संग्रहण:
खाद्य संग्रहण भी मनुष्य को सबसे पुराना व आर्थिक दृष्टि से निम्न क्रम का व्यवसाय है। सामाजिक व प्रौद्योगिक विकास के साथ इस व्यवसाय का महत्त्व कम होता जा रहा है। अब कुछ हजार लोग ही इस व्यवसाय में संलग्न हैं। मानव अपनी रोटी, कपड़ा और मकान तथा अन्य आवश्यकताओं के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का संग्रह करता आया है। इस व्यवसाय में संलग्न लोग जंगलों से फल, कंद-मूल, नट, बैरी, जड़ों, पत्तों आदि का संग्रहण करते हैं। ये लोग कृषि नहीं करते तथा पशुओं को भी पालतू नहीं बनाते। ये पर्यावरण से छेड़छाड़ नहीं करते और न्यूनतम परिश्रम से प्राप्त होने वाली वस्तुओं का सेवन करते हैं।

3. मछली पकड़ना:
यह व्यवसाय भी प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। इसमें मानव को प्राकृतिक अवरोधों से निरन्तर संघर्ष करना पड़ता है। मछलियाँ तालाबों, पोखरों, नदियों, नालों, झीलों तथा तटवर्ती सागरों से पकड़ी जाती हैं। इस व्यवसाय में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध मछलियों को पकड़ते हैं तथा अपना जीवन निर्वाह करते हैं।

4. पशुचारण:
पशुचारण की प्रक्रिया भी मानव का एक आदिम क्रियाकलाप हैं। मानव ने जब से पशुओं को पालतू बनाया तब से ही उसकी पशुचारण की
प्रवृत्ति बढ़ने लगी थी। पशुओं से प्राप्त होने वाले लाभों के कारण धीरे-धीरे मानव इनको आर्थिक दृष्टि से पालने लगा। मानव की यह क्रिया ही ‘पशुचारण का आधार बनी।

5. कृषि:
प्राथमिक स्तर की आर्थिक क्रियाओं में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है। यह सबसे अधिक प्रचलित व्यवसाय है। कृषि ने मनुष्य को स्थायी आवास की सुविधा दी। विश्व में भोजन के मुख्य स्रोत कृषि द्वारा भोजन की लगभग 71 प्रतिशत आवश्यकताएँ पूरी होती हैं। विकासशील देशों में कृषि प्रमुख व्यवसाय है।

6. लकड़ी काटना:
यह भी मानव का एक प्रमुख प्राथमिक व्यवसाय है। इसमें वनों से लकड़ी काटना, उसके लट्ठे बनाना तथा उन्हें आरा मशीनों तक भेजना शामिल है। इस व्यवसाय में भी अन्य व्यवसायों की भाँति महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है। पहले लकड़ी को केवल ईंधन के लिए काटा जाता था लेकिन आज इसका प्रयोग कई उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व के मानचित्र में प्राथमिक व्यवसाय के क्षेत्रों को दर्शाइए।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-1

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व का सबसे प्राचीनतम उद्यम किसे माना जाता है?
(अ) आखेट
(ब) पशुपालन
(स) लकड़ी काटना
(द) खनन

प्रश्न 2.
बुशमैन जनजाति का निवास स्थान है –
(अ) टुण्डा प्रदेश
(ब) टैगा प्रदेश
(स) कालाहारी मरुस्थल
(द) काँगो बेसिन

प्रश्न 3.
बोरो जनजाति का निवास स्थान है –
(अ) मलाया प्रायद्वीप
(ब) अमेजन बेसिन
(स) अरब का मरुस्थल
(द) टैगा क्षेत्र

प्रश्न 4.
विश्व का सबसे प्रमुख मछली उत्पादक सागरीय क्षेत्र है?
(अ) उत्तरी अटलांटिक
(ब) दक्षिणी अटलांटिक
(स) उत्तरी हिन्द सागरीय
(द) दक्षिणी प्रशान्त

प्रश्न 5.
घास के मैदानों (उष्ण कटिबंधीय) को सूडान में क्या कहा जाता है?
(अ) लानोस
(ब) कम्पास
(स) पार्कलैंड
(द) सवाना

प्रश्न 6.
डाउन्स घास के मैदान कहाँ पाए जाते हैं?
(अ) रूस
(ब) ब्राजील
(स) आस्ट्रेलिया
(द) कैंटनबरी

प्रश्न 7.
कृषि का सबसे प्राचीन रूप कौन-सा है?
(अ) ट्रक कृषि
(ब) स्थानान्तरित कृषि
(स) निर्वाहन कृषि
(द) दुग्ध कृषि

प्रश्न 8.
चावल प्रधान निर्वाहन कृषि कितनी वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है?
(अ) 50 सेमी से कम
(ब) 50 – 100 सेमी
(स) 100 सेमी से कम
(द) 100 सेमी से अधिक

प्रश्न 9.
स्थानान्तरित कृषि को मैक्सिको में क्या कहा जाता है?
(अ) झूमग
(ब) मिल्पी
(स) लदांग
(द) रे

प्रश्न 10.
ट्रक कृषि का शुभारम्भ कहाँ हुआ था?
(अ) एशिया में
(ब) डेनमार्क में
(स) संयुक्त राज्य अमेरिका में
(द) नाइजीरिया में

उत्तरमाला:
1. (अ), 2. (स), 3. (ब), 4. (अ), 5. (द), 6. (स), 7. (ब), 8. (द), 9. (ब), 10. (स)

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए –
(क)

स्तम्भ (अ)
(जनजाति)
स्तम्भ (ब)
(निवास क्षेत्र)
(i) एस्किमो(अ) कांगो बेसिन
(ii) याकूत(ब) मलाया प्रायद्वीप
(iii) पिग्मी(स) न्यूगिनी
(iv) पापुऑन(द) कालाहारी मरुस्थल
(v) यागुआ व जिवारो(य) उत्तरी साइबेरिया
(vi) सकाई व सेमांग(र) अमेज़न बेसिन
(vii) बुशमैन(ल) अतिशीत क्षेत्र (टुण्ड्रा व टैगा)

उत्तरमाला:
(i) ल (ii) य(iii) अ (iv) स (v) र (vi) ब (vii)

(ख)

स्तम्भ अ
(क्षेत्र)
स्तम्भ ब
(स्थानान्तरित कृषि का नाम)
(i) भारत(अ) मिल्पा
(ii) मैक्सिको(ब) रे।
(iii) मलेशिया(स) चेना
(iv) वियतनाम(द) झूमिंग
(v) श्रीलंका(य) लदांग

उत्तरमाला:
(i) द (ii) अ (iii) य (iv) ब (v) से

(ग)

स्तम्भ अ
(कृषि प्रकार)
स्तम्भ ब
(विशेषता)
(i) जीवन निर्वाहन(अ) न्यूनतम मानवीय श्रम।
(ii) विस्तृत वाणिज्यिक अनाज कृषि(ब) रोपण फसलों की प्रधानता
(iii) स्थानान्तरित(स) कृषि व पशुपालन साथ-साथ
(iv) बागाती कृषि(द) वनों को जलाकर कृषि भूमि तैयार करना।
(v) मिश्रित कृषि(य) अत्यधिक मानवीय श्रम।

उत्तरमाला:
(i) य (ii) अ (iii) द (iv) ब (v) स

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक व्यवसाय किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मानवे की ऐसी क्रियाएँ जिनका प्रत्यक्ष सम्बन्ध प्रकृति प्रदत्त संसाधनों के उपयोग से जुड़ा होता है जिसमें भूमि, जल, वनस्पति वे खनिजों का उपयोग मानव अपनी आवश्यकता पूर्ति हेतु करता है ऐसे व्यवसाय प्राथमिक व्यवसाय कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
प्राथमिक व्यवसाय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आखेट, संग्रहण, मछली पकड़ना, पशुचारण, कृषि, लकड़ी काटना व खनन आदि प्राथमिक व्यवसाय हैं।

प्रश्न 3.
आखेट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर;
मानव का एक ऐसा व्यवसाय जिसमें जीवन-यापन हेतु पशु-पक्षियों व जीव-जन्तुओं का शिकार करके अपनी आवश्यकताओं की आपूर्ति की जाती है। शिकार की यह प्रक्रिया आखेट कहलाती है।

प्रश्न 4.
भारत में शिकार पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है?
उत्तर:
क्योंकि भारत में अवैध शिकार के कारण जंगली जीवों की अनेक प्रजातियाँ या तो लुप्त हो गई हैं या फिर लुप्त होने के कगार पर हैं। इसी कारण इन प्रजातियों को बचाने हेतु शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया है।

प्रश्न 5.
संग्रहण से क्या तात्पर्य है?
उतर:
मानव की एक ऐसी आर्थिक क्रिया जिसमें मानव जंगलों से फल, कंद-मूल, बेर, जड़ों व पत्तियों का एकत्रण करता है। यह प्रक्रिया संग्रहण कहलाती है।

प्रश्न 6.
मत्स्य व्यवसाय में आधुनिकीकरण क्यों हुआ है?
उत्तर:
कनीकी विकास व बढ़ती जनसंख्या की उदरपूर्ति की मांग के कारण मत्स्य : व्यवसाय में आधुनिकीकरण हुआ है।

प्रश्न 7.
विश्व में मत्स्य पालन के प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
विश्व में मछली पकड़ने के प्रमुख क्षेत्रों में उत्तरी प्रशांत महासागर का तटवर्ती क्षेत्र, उत्तरी अटलांटिक तटीय अमेरिकन क्षेत्र, उत्तरी-पश्चिमी यूरोपियन क्षेत्र व जापाने सागर क्षेत्र प्रमुख हैं।

प्रश्न 8.
पशुचारण क्या हैं?
उत्तर:
पशुओं को चारागाहों पर चराने की क्रिया अथवा चारागाह जहाँ पर उगी हुई घासों व अन्य वनस्पतियों को, चराकर पशुपालन किया जाता है उसे ही पशुचारण कहते हैं।

प्रश्न 9.
पशुपालन के मुख्य क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
पशुपालन के मुख्य क्षेत्रों में उष्ण कटिबंधीय घास के मैदान, शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान, मरुस्थलीय क्षेत्र व पर्वतीय क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 10.
उष्ण कटिबंधीय घास के मैदान कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय घास के मैदान 5° – 30° अक्षांशों के मध्य पाए जाते हैं।

प्रश्न 11
लानोस कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
लानोस घास के मैदान दक्षिणी अमेरिका के वेनेजुएला नामक देश में मिलते हैं।

प्रश्न 12.
कम्पाज कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
कम्पाज घास के मैदान दक्षिणी अमेरिका के ब्राजील नामक देश में मिलते हैं।

प्रश्न 13.
पार्कलैंड किसे कहा जाता है?
उत्तर:
दक्षिणी अफ्रीका में मिलने वाले उष्ण कटिबंधीय घास के मैदानों को पार्कलैण्ड के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 14.
शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान 30° – 45° अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में फैले हुए हैं।

प्रश्न 15.
स्टेपीज कहाँ पाए जाते हैं ?
उत्तर:
यूरोप व एशिया में मिलने वाले शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदानों को स्टेपीज कहा जाता है।

प्रश्न 16.
पम्पाज कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
पम्पाज घास के मैदाने दक्षिणी अमेरिका के अर्जेन्टाइना नामक राष्ट्र में मिलते हैं।

प्रश्न 17.
चलवासी पशुचारण से क्या आशय है?
उत्तर:
पशुपालन करने वाले लोगों के द्वारा अपने पशुओं को मौसमी दशाओं, जल व चारागाह उपलब्धता के अनुसार विभिन्न स्थानों पर चरण हेतु लाने व ले जाने की प्रक्रिया चलवासी पशुचारण कहलाती है।

प्रश्न 18.
ऋतुं प्रवास से क्या आशय है?
उत्तर:
ग्रीष्मकाल में मैदानी भागों से पर्वतीय चारागाहों की ओर तथा शीतकाल में पर्वतीय, भागों से मैदानी चारागाहों की ओर पशुचारकों का होने वाला प्रवास ऋतु प्रवास कहलाता है।

प्रश्न 19.
भारत में हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में – कौन से जाति समूह ऋतु प्रवास करते हैं?
उत्तर:
भारत में हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में गुज्जर, बकरवाल गद्दी एवं भूटिया लोगों के समूह ऋतु प्रवास करते हैं।

प्रश्न 20.
वर्तमान में चलवासी पशुचारकों की संख्या घटने के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  1. राजनीतिक सीमाओं का अधिरोपण।
  2. कई देशों द्वारा नई बस्तियों की योजना बनाना।

प्रश्न 21.
वाणिज्यिक पशुपालन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पशुओं को व्यापार के दृष्टिकोण से पालने की प्रक्रिया वाणिज्यिक पशुचारण कहलाती है। इसमें पशुओं से दूध, माँस, ऊन व चमड़े की प्राप्ति हेतु पशुओं को पाला जाता है। इस प्रकार का पशुपालन व्यवस्थित व उन्नत किस्मों से युक्त होता है।

प्रश्न 22.
विश्व में वाणिज्य पशुधन पालन किन देशों में किया जाता है?
उत्तर:
न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया, अर्जेन्टाइना, युरुग्वे तथा संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व में वाणिज्य पशुधन पालन करने वाले प्रमुख देश हैं।

प्रश्न 23.
विश्व में विभिन्न प्रकार की कृषि प्रणालियाँ क्यों पायी जाती हैं ?
उत्तर:
विश्व में पायी जाने वाली विभिन्न भौतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दशाएँ कृषि कार्य को प्रभावित करती हैं। इसी प्रभाव के कारण विश्व में विभिन्न प्रकार की कृषि प्रणालियाँ पायी जाती हैं।

प्रश्न 24.
कृषि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मृदा को जोतने, फसलें उगाने, पशुओं के पालन-पोषण व बागवानी करने के विज्ञान एवं कला को कृषि कहते हैं।

प्रश्न 25.
स्थानान्तरित कृषि से क्या आशय है?
असंवा
कर्तन व दहन कृषि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
खेती की ऐसी विधि जिसमें कुछ वर्षों की अवधि तक एक भू-खंड पर खेती की जाती है तथा जब तक मिट्टी की उर्वरता आंशिक रूप से समाप्त नहीं हो जाती अथवा उस पर खरपतवार नहीं उग जाते। इसके पश्चात् भूमि को प्राकृतिक वनस्पति के लिए छोड़ दिया जाता है, जबकि कृषि कहीं और की जाती है। समय के अंतराल पर जब प्राकृतिक वनस्पति उर्वरता की पुनस्र्थापना कर देती है तो मूल भू-खंड पर पुनः कृषि की जाती है। पेड़ों को काटने के कारण इस कृषि को कर्तन एवं जलाने के कारण दहन कृषि कहा जाता है।

प्रश्न 26.
स्थानान्तरणशील कृषि को विश्व में किन-किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
स्थानान्तरणशील कृषि को भारत के पूर्वी राज्यों में शूमिंग, राजस्थान के दक्षिणी भाग में वालरा, मध्य अमेरिका व मैक्सिकों में मिल्पा, मलेशिया व इण्डोनेशिया में लेदांग, वियतनाम में रे व श्रीलंका में चेना के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 27.
आदिम स्थायी कृषि से क्या आशय है?
उत्तर:
स्थानान्तरणशील कृषि का प्रारम्भिक स्थायी रूप ही आदिम स्थायी कृषि के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 28.
जीवन-निर्वाहन कृषि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव द्वारा की जाने वाली ऐसी कृषि जिसमें कृषि का मुख्य उद्देश्य भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। जीवन निर्वाहन करने के कारण ही ऐसी कृषि जीवन निर्वाहन कृषि कहलाती है।

प्रश्न 29.
चावल प्रधान निर्वाहन कृषि कहाँ की जाती है?
उत्तर:
चावल प्रधान निर्वाहन कृषि भारत, बांग्लादेश म्यांमार, इंडोनेशिया, कम्बोडिया, थाईलैण्ड, दक्षिणी व मध्य चीन में की जाती है।

प्रश्न 30.
विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विस्तृत वाणिज्य कृषि की मुख्य फसल गेहूँ है। इसके अतिरिक्त मक्का, जौ, राई व जई भी बोयी जाती है। इस कृषि में खेतों का आकार बहुत विशाल होता है तथा यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की कृषि में प्रति एकड़ उत्पादन कम होता है लेकिन प्रति व्यक्ति औसत उत्पादन अधिक होता है। इस प्रकार की कृषि यूरेशिया के स्टेपीज, उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज, अर्जेन्टाइना के पंपाज, दक्षिणी अफ्रीका के वेल्डस, ऑस्ट्रेलिया के डाउंस एवं न्यूजीलैण्ड के केंटरबरी के घासे प्रदेशीय मैदानों में की जाती है।

प्रश्न 31.
बागाती कृषि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसी कृषि पद्धति जिसमें कृषि मुख्यत: बागानों के रूप में की जाती है उसे बागाती कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में चाय, रबड़, कॉफी व कोकोआ तथा नारियल के बागान मुख्यतः विकसित किए जाते हैं।

प्रश्न 32.
मिश्रित कृषि किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ऐसी. कृषि पद्धति जिसमें फसलें उगाने तथा पशुओं को पालने का कार्य एक साथ किया जाता है। उसे मिश्रित कृषि कहते हैं। यह कृषि अत्यधिक विकसित भागों में की जाती है।

प्रश्न 33.
दुग्ध कृषि से क्या तात्पर्य है?
अथवा
डेरी कृषि क्या है?
उत्तर:
यह कृषि का एक विशिष्ट तरीका है। इसमें दूध देने वाले पशुओं के प्रजनन, पशुचारण व नस्ल सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाता है अतः एक ऐसी कृषि जिसमें पर्याप्त पूँजी व पशु स्वास्थ्य सेवाओं की सहायता से दुधारू पशुओं से व्यावसायिक स्तर पर दुग्ध उत्पादन करने का कार्य किया जाता है उसे डेरी कृषि कहते हैं।

प्रश्न 34.
ट्रक कृषि से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऐसी कृषि जिसमें साग-सब्जियों की कृषि की जाती है तथा इन वस्तुओं को प्रतिदिन ट्रकों में भरकर निकटवर्ती नगरीय बाजारों में ले जाकर बेचा जाता है। इसलिए ऐसी कृषि को ट्रक कृषि कहा जाता है।

प्रश्न 35.
फलोद्यान कृषि क्या है?
उत्तर:
यह एक विशिष्ट प्रकार की कृषि होती है। जिसमें फल व फूलों की कृषि की जाती है। इस प्रकार की कृषि में नगरों की प्रमुख भूमिका होती है।

प्रश्न 36.
खनन क्या है?
उत्तर:
धरातलीय सतह के नीचे मिलने वाले विविध प्रकार के मानव उपयोगी खनिजों को मशीनों या मानव द्वारा बाहर निकालने की प्रक्रिया खनन कहलाती है।।

प्रश्न 37.
खाने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन स्थानों से खनिज निकाले जाते हैं, उसे खान कहते हैं।

प्रश्न 38.
खनन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
खनन कार्य को प्रभावित करने वाले कारकों में प्राकृतिक व मानवीय कारक मुख्य होते हैं। प्राकृतिक कारकों में खनिज निक्षेपों के आकार श्रेणी व उपलब्धता की अवस्था व मानवीय दशाओं में खनिज की मांग, वर्तमान तकनीकी ज्ञान का स्तर व उसका उपयोग, आधारभूत अवसंरचना, उपलब्ध पूँजी, परिवहन व मानवीय श्रम को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 39.
खनिजों का सम्बन्ध किन चट्टानों से है?
उत्तर:
खनिजों का सम्बन्ध-आग्नेय, कायान्तरित व अवसादी चट्टानों से है।

प्रश्न 40.
आग्नेय चट्टानों में कौन-से खनिज मिलते
उत्तर:
आग्नेय चट्टानों में सोना, चाँदी, ताँबा, जस्ता, सीसा, मैंगनीज, अभ्रक व गंधक आदि खनिज मिलते हैं।

प्रश्न 41.
अवसादी चट्टानों में कौन-से खनिज मिलते हैं?
उत्तर:
अबसादी चट्टानों में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, रॉक-फास्फेट, पोटाश व नमक के रूप में खनिज पाए जाते हैं।

प्रश्न 42.
विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशं वर्तमान में खनन कार्य से पीछे क्यों हट रहे हैं?
अथवा
खनन प्रसंस्करण व शोधन कार्य की दृष्टि से विकसित राष्ट्रों के पीछे हटने का मुख्य कारण क्या है?
अथवा
विकासशील राष्ट्र खनन अथवा प्रसंस्करण व शोधन, कार्यों को अधिक महत्व प्रदान कर रहे हैं, क्यों ?
उत्तर:
विकसित राष्ट्रों के खनन, प्रसंस्करण वे शोधन कार्य से पीछे हटने का मुख्य कारण इन राष्ट्रों में श्रम लागत का अधिक आना है जबकि विकासशील देश अपनी विशाल श्रम शक्ति के बल पर अपने देशवासियों के जीवन-स्तर को उच्च बनाने के लिए खनन कार्य को महत्व प्रदान कर रहे हैं। इसी कारण विकसित व विकासशील राष्ट्रों में यह भिन्नता देखने को मिल रही है।

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)

प्रश्न 1.
प्राथमिक क्रियाएँ कौन-कौन सी हैं? ये पर्यावरण पर क्यों निर्भर होती हैं?
उत्तर:
आखेट, भोजन संग्रह, पशुचारण, मछली पकड़ना, वनों से लकड़ी काटना, कृषि कार्य करना एवं खनन कार्य आदि * प्राथमिक क्रियाएँ हैं। प्राथमिक क्रियाएँ प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर होती हैं क्योंकि ये पृथ्वी के संसाधनों; जैसे- भूमि, जल, वनस्पति, भवन निर्माण सामग्री, खनिजों एवं जीवों के उपयोग से सम्बन्धित होती हैं।

प्रश्न 2.
आदिमकालीन मानव अपना जीवन निर्वाह किस प्रकार करता था?
उत्तर:
मानव सभ्यता के आरम्भिक युग में आदिमकालीन मानव अपने जीवन निर्वाह के लिए अपने समीपवर्ती वातावरण पर निर्भर रहता था। उसका जीवन निर्वाह दो कार्यों द्वारा होता था –

  1. पशुओं का आखेट करके।
  2. अपने समीपवर्ती जंगलों से खाने योग्य कंद-मूल एवं जंगली पौधे आदि एकत्रित करके। अतिशीत एवं अत्यधिक गर्म प्रदेशों में रहने वाले लोग आखेट द्वारा जीवन यापन करते थे।

प्रश्न 3.
विश्व में आखेट कहाँ-कहाँ व किन लोगों के द्वारा सम्पन्न मिलता है?
अथवा
वर्तमान में आखेट की प्रक्रिया विश्व के किन भागों में मुख्य रूप से की जाती है?
उत्तर:
विश्व के निम्न क्षेत्रों में वर्तमान में आखेट की क्रिया की जाती है –

  1. कनाडा के टुण्ड्रा और टैगा प्रदेशों में एस्किमो जनजाति द्वारा।
  2. उत्तरी साइबेरिया में बसने वाले सेमोयड, तुंग, याकूत, माइत, चकची, कोरयाक आदि जनजातियों द्वारा।
  3. कालाहारी मरुस्थल में बुशमैन जनजाति द्वारा।
  4. काँगो बेसिन में पिग्मी जनजाति द्वारा।
  5. मलाया में सेमांग व सकाई जनजाति द्वारा।
  6. बोर्नियो में पुनान द्वारा।
  7. न्यूगिनी में पापुऑन द्वारा
  8. अमेजन बेसिन में जिवारो व यागुआ जनजाति द्वारा।

प्रश्न 4.
“आदिमकालीन मानव समाज पूर्णतः जंगली पशुओं पर निर्भर था।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आदिमकालीन मानव समाज पूर्णत: पशुओं पर निर्भर इसलिए था क्योंकि इस काल में मानवीय विकास एवं प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यधिक निम्न था। अपनी न्यून ज्ञान क्षमता के कारण कृषि प्रक्रिया का विकास नहीं होने से मानव का भोजन मुख्यत: जंगली पशुओं एवं कंद-मूल-फलों से जुड़ी थी साथ ही मानव ने अपनी सुरक्षा हेतु भी कुछ पशुओं को पालतू बनाया था, उसके आवागमन में भी पशुओं की प्रधानता मिलती थी एवं मानव अपने विविध प्रकार के औजारों की निर्माण भी पशुओं की हड्डियों से करता था।

प्रश्न 5.
संग्रहण कार्य कहाँ-कहाँ व किन लोगों द्वारा किया जाता है?
अथवा
संग्रहण व्यवसाय के मुख्य क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
संग्रहण व्यवसाय के मुख्य क्षेत्र निम्न हैं –

  1. मलाया प्रायद्वीप में सेमांग व सकाई जनजाति के लोगों के द्वारा।
  2. अमेजन बेसिन में बोरो जनजाति द्वारा।
  3. कालाहारी मरुस्थलीय क्षेत्र में बुशमैन जनजाति द्वारा।
  4. पर्वतीय क्षेत्रों के निवासियों द्वारा।
  5. दक्षिणी-पूर्वी एशिया के आन्तरिक भागों के निवासियों द्वारा।

प्रश्न 6.
वर्तमान समय में विश्व स्तर पर भोजन संग्रहण का अधिक महत्व नहीं रह गया है। क्यों ?
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व स्तर पर भोजन संग्रहण का अधिक महत्व नहीं रह गया है क्योंकि इन क्रियाओं के द्वारा प्राप्त उत्पाद विश्व बाजार से प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं। आज बाजार में अनेक प्रकार की उत्तम किस्म एवं कम कीमत वाली कृत्रिम वस्तुएँ उपलब्ध हैं जिन्होंने उष्ण कटिबन्धीय वन क्षेत्रों के भोजन संग्रह करने वाले समूहों के उत्पादों का स्थान ले लिया है।

प्रश्न 7.
संग्रहण की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संग्रहण की मुख्य रूप से निम्न विशेषताएँ हैं –

  1. यह कार्य शुष्क एवं ध्रुवीय क्षेत्रों में किया जाता है।
  2. यह मानव की प्राचीनतम ज्ञात आर्थिक क्रिया है।
  3. इस कार्य को आदिम समाज के लोगों द्वारा किया जाता है।
  4. संग्रहण का कार्य मुख्यतः भोजन आपूर्ति एवं निर्वहन के दृष्टिकोण से किया जाता है।

प्रश्न 8.
पशुचारण के उष्ण कटिबंधीय व शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पशुचारण के उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का फैलाव 5° – 30° अक्षांशों के मध्य मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में मुख्यत: सवाना (सूडान), लानोस (वेनेजुएला), कम्पाज (ब्राजील) व पार्कलैण्ड (दक्षिणी अफ्रीका) प्रमुख हैं। पशुचारण के शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का विस्तार 30°-45° अक्षांशों के मध्य फैला मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में स्टेपीज़ (रूस), पम्पाज (संयुक्त राज्य अमेरिका) व डाउन्स (आस्ट्रेलिया) प्रमुख हैं।

प्रश्न 9.
पशुचारण व्यवसाय का विकास किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
विश्व के विभिन्न भागों में आखेट पर निर्भर रहने वाले मानव समूहों ने जब यह महसूस किया कि केवल आखेट द्वारा ही जीवनयापन करना सम्भव नहीं है तब मानव ने पशुचारण व्यवसाय के सम्बन्ध में अपना ध्यान केन्द्रित किया। विश्व की विभिन्न जलवायुविक दशाओं में रहने वाले लोगों ने उन क्षेत्रों में पाये जाने वाले पशुओं का चयन करके उनको पालतू बनाया। भौगोलिक कारकों एवं तकनीकी विकास के आधार पर वर्तमान समय में पशुचारण व्यवसाय को दो रूपों में अपनाया गया-चलवासी पशुचारण एवं वाणिज्य पशुधन पालन। इस प्रकार पशुचारण व्यवसाय का विकास हुआ।

प्रश्न 10.
चलवासी पशुचारण से क्या आशय है? इससे मूल आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे की जाती है?
उत्तर:
चलवासी पशुचारण का आशय-लोगों के जीवन के ढंग जिसमें उन्हें अपने पशुओं उनकी अर्थव्यवस्था के आधार के लिए चारागाहों की तलाश में बार-बार एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपने निवास को स्थानान्तरित करना पड़ता है। चलवासी पशुचारण कहा जाता है। चलवासी पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार एवं यातायात के लिए पशुओं पर निर्भर रहते हैं। वे अपने पालतू पशुओं के साथ पानी एवं चारागाहों की उपलब्धता की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते हैं तथा इनसे ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

प्रश्न 11.
चलवासी पशुचारण व व्यापारिक पशुचारण में क्या अन्तर है?
अथवा
चलवासी पशुचारण, व्यापारिक पशुचारण से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चलवासी पशुचारण व व्यापारिक पशुचारण में अग्रलिखित अंतर पाए जाते हैं –

अन्तर का आधारचलवासी पशुचारणव्यापारिक पशुचारण
1. स्थान1. ये चारे व पानी की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते हैं।1. इस प्रकार का पशुपालन एक निश्चित स्थान पर बाड़ों में किया जाता है।
2. पशुपालन का तरीका2. पशु प्राकृतिक रूप से पाले जाते हैं और उनकी विशेष देखभाल नहीं की जाती है।2. पशुओं को वैज्ञानिक रीति से पाला जाता है। और उनकी विशेष देखभाल की जाती है।
3. उद्देश्य3. चलवासी पशुपालक जीवन निर्वाह की एक आर्थिक क्रिया ही है।3. यह व्यापार पर आधारित आर्थिक क्रिया है।
4. विस्तार4. यह पुरानी दुनिया तक सीमित है।4. यह मुख्यत: नई दुनिया के देशों में प्रचलित है।
5. पशु सुरक्षा5. पशुओं के प्रजनन, किस्म सुधार, बीमारियों पर नियन्त्रण तथा स्वास्थ्य पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता।5. पशुओं के प्रजनन, किस्म सुधार, बीमारियों पर नियन्त्रण तथा स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
6. क्षेत्र6. यह व्यवसाय सहारा मरुस्थल, पश्चिमी एशिया के मरुस्थल, मंगोलिया, मध्य चीन, तिब्बत व एंडीज के पर्वतीय भागों, यूरेशिया के टुण्ड्रा प्रदेश तथा दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीका के मेडागास्कर द्वीप पर प्रमुख रूप से किया जाता है।6. यह व्यवसाय न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया, अर्जेन्टाइना, युरुग्वे एवं संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में प्रमुख रूप से किया जाता है।

प्रश्न 12.
कृषि क्या है? इसके प्रकार बताइए।
उत्तर:
कृषि-मृदा को जोतने, फसलें उगाने एवं पशुओं के पालन-पोषण के विज्ञान एवं कला को कृषि कहा जाता है। कृषि के प्रकार-कृषि के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं –

  1. निर्वाह कृषि:
    • आदिकालीन निर्वाह कृषि
    • गहन निर्वाह कृषि
  2. रोपण कृषि।
  3. विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि।
  4. मिश्रित कृषि।
  5. डेरी कृषि।
  6. भूमध्य सागरीय कृषि।
  7. बाजार के लिए सब्ज़ी खेती एवं उद्यान कृषि।
  8. स्थानान्तरित कृषि।
  9. आदिम स्थाई कृषि।

प्रश्न 13.
आदिकालीन निर्वाह कृषि क्या है?
उत्तर:
आदिकालीन निर्वाह कृषि-इसे स्थानांतरणशील कृषि या कर्तन या दहन कृषि भी कहते हैं। कृषि की इस पद्धति में वन भूमि के एक हिस्से में से पेड़ और झाड़ियों को काटकर उसे साफ कर दिया जाता है। इस प्रकार से कटी हुई वनस्पति को जला दिया जाता है और उससे प्राप्त हुई राख को मिट्टी में मिला दिया जाता है। यह राख मिट्टी में खाद का काम करती है। इसे साफ किए भू-भाग पर तब तक फसलें उगायी जाती हैं जब तक उसमें उर्वरा शक्ति बनी रहती है। मृदा की उर्वरा शक्ति समाप्त होने पर कृषक नए क्षेत्र में वनों को जलाकर उस पर कृषि कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया सतत् रूप से चलती रहती है।

प्रश्न 14.
वह कौन-सी कृषि पद्धति है जिसे क्षेत्रानुसार भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है?
उत्तर:
आदिकालीन निर्वाह कृषि अथवा स्थानांतरणशील कृषि को भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। इस कृषि पद्धति को भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों में शूमिंग, मध्य अमेरिका एवं मैक्सिको में मिल्पा, मलेशिया व इंडोनेशिया में लादांग, श्रीलंका में चेन्ना तथा सूडान में न्गासू के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 15.
चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि में चावल प्रमुख फसल होती है।
  2. इस प्रकार की कृषि में भूमि का गहन उपयोग किया जाता है।
  3. इस प्रकार की कृषि में यंत्रों की तुलना में मानव श्रम का अधिक महत्व है।
  4. इस प्रकार की कृषि में प्रति इकाई उत्पादन अधिक होता है लेकिन प्रति कृषक उत्पादन कम होता है।
  5. इस प्रकार की कृषि में कृषक का पूरा परिवार कृषि कार्य में लगा रहता है।
  6. इस कृषि में भूमि की उत्पादकता एवं उपजाऊपन को बनाये रखने के लिए पशुओं के गोबर की खाद व हरी खाद का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 16.
विस्तृत वाणिज्य कृषि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विस्तृत वाणिज्य कृषि की मुख्य फसल गेहूँ है। इसके अतिरिक्त मक्का, जौ, राई व जई भी बोयी जाती है। इस कृषि में खेतों का आकार बहुत विशाल होता है तथा यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार की कृषि में प्रति एकड़ उत्पादन कम होता है लेकिन प्रति व्यक्ति औसत उत्पादन अधिक होता है। इस प्रकार की कृषि यूरेशिया के स्टेपीज, उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज, अर्जेन्टाइना के पंपाजे, दक्षिणी अफ्रीका के वेल्डस, ऑस्ट्रेलिया के डाउंस एवं न्यूजीलैण्ड के केंटरबरी के घास प्रदेशीय मैदानों में की जाती है।

प्रश्न 17.
लकड़ी काटने का कार्य किन क्षेत्रों में व किन उद्देश्यों से किया जाता है?
उत्तर:
लकड़ी काटने का कार्य उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में मुख्य रूप से किया जाता है। इन क्षेत्रों में साल, सागौन, महोगनी, चंदन, रोजवुड आदि वृक्षों को इमारती लकड़ी व फर्नीचर बनाने हेतु काटा जाता है। शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों मे लकड़ी काटने का कार्य कोणधारी वनों के क्षेत्रों में होता है। यहाँ लकड़ी व्यापारिक दृष्टि से काटी जाती है। इस लकड़ी से लुग्दी, कागज पैकिंग का सामान आदि बनाए जाते हैं। कनाडा, नावें, फिनलैंड व संयुक्त राज्य अमेरिका में लकड़ी काटने का कार्य बाजारी मांग के कारण व्यापक रूप में किया जाता है।

प्रश्न 18.
वर्तमान युग में खनिजों के आर्थिक महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान युग सभ्यता एवं आर्थिक युग के रूप में जाना जाता है। आज किसी भी देश की सभ्यता व आर्थिक जीवन का निर्धारण खनिजों के उपयोग की मात्रा के बिना करना सम्भव नहीं है। खनिज उद्योगों एवं व्यापार जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी कारण इन्हें उद्योग व व्यापार जगत की धुरी कहा जाता है। ये किसी राष्ट्र की प्राकृतिक सम्पदा होते हैं। कोयला व पेट्रोलियम तो शक्ति को आधार स्तम्भ बन गए हैं। अनेक प्रकार के धात्विक व अधात्विक खनिज भी किसी राष्ट्र के औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

प्रश्न 19.
खनिजों की आधारभूत विशेषताएँ बताइए।
अथवा
खनिज किन-किन विशेषताओं से युक्त होते हैं? उत्तर-खनिजों की निम्न आधारभूत विशेषताएँ मिलती हैं –

  1. पृथ्वी पर इनका वितरण असमान मिलता है।
  2. अधिकांश खनिज निश्चित व अनंव्यकरणीय होते हैं।
  3. अधिकांश खनिज भूगर्भ में छिपे रहते हैं जिनके सर्वेक्षण एवं उत्खनन के लिए बड़ी मात्रा में पूँजी, श्रम और विकसित विधि व तकनीक की आवश्यकता पड़ती है।
  4. निरन्तर खनन द्वारा खाने, दिन-प्रतिदिन खर्चीली वे कम लाभदायक होती जाती है।
  5. कोई भी देश खनिजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है।
  6. खनिजों का उत्खनन, उपयोग, बाजार तथा माँग पर आधारित होता है।

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)

प्रश्न 1.
भोजन संग्रह व आखेट नामक आर्थिक क्रियाओं की विशेषताओं का उल्लेख तथा इसके प्रमुख क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भोजन संग्रह व आखेट व्यवसाय की प्रमुख विशेषताएँ –

  1. भोजन संग्रह व आखेट नामक आर्थिक क्रियाकलापों को आदिमकालीन मानव द्वारा कंठोर जलवायु दशाएँ रखने वाले क्षेत्रों में किया जाता है।
  2. यह कार्य विश्व के विभिन्न भागों में विभिन्न स्तरों व विभिन्न रूपों में किया जाता है।
  3. यह व्यवसाय भोजन, वस्त्र, शरण जैसी अत्यन्त महत्वपूर्ण प्राथमिक आवश्यकताओं की आपूर्ति के उद्देश्य से किया जाता है।
  4. इस व्यवसाय में बहुत कम पूँजी, निम्नस्तरीय तकनीक तथा अधिक मानवीय श्रम की आवश्यकता होती है।
  5. प्रति व्यक्ति उत्पादकता कम होती है।

भोजन संग्रह व आखेट व्यवसाय के प्रमुख क्षेत्र: उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में स्थित उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशियों एवं दक्षिणी चिली तथा निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों में स्थित अमेजन बेसिन, कांगो बेसिन, दक्षिणी-पूर्वी एशिया के आन्तरिक भागों में तथा न्यूगिनी में यह व्यवसाय किया जाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-2

प्रश्न 2.
आधुनिक समय में भोजन संग्रह के कार्य का कुछ भागों में व्यापारीकरण होने से क्या परिवर्तन आया है।
उत्तर:
उच्च अक्षांशीय तथा निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों के कुछ भागों में अधिक पूँजी तथा उच्च तकनीक के माध्यम से भोजन संग्रह व्यवसाय का व्यापारीकरण कर दिया गया है। इसके अन्तर्गत स्थानीय लोगों की सहायता से कीमती वृक्षों की पत्तियाँ, छाले एवं औषधीय पौधों का संग्रह कराया जाता है तथा इन्हें संशोधित कर अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में विक्रय कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित संग्रहीत वनोत्पादों का आधुनिक मशीनों की सहायता से शोधन कर विभिन्न उपयोगी उत्पादन प्राप्त किए जाते हैं –

संग्रहीत वस्तुयें।शोधित उत्पाद
पौधों की छालकुनैन तथा कार्क
पौधों की पत्तियाँपेय पदार्थ, दवाइयाँ तथा कान्तिवर्द्धक वस्तुएँ।
पौधों के रेशेवस्त्रों का धागा
पौधों के दृढ़फलभोजन व तेल
पौधों का तनारबड़, बलाटा, गोंद, रोल व फर्नीचर।

प्रश्न 3.
चलवासी पशुचारण की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करते हुए इस व्यवसाय के प्रमुख क्षेत्रों को मानचित्र पर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
चलवासी पशुचारण की प्रमुख विशेषताएँ –

  1. यह एक प्राचीन जीवन-निर्वाह व्यवसाय है जिसमें पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार तथा आवागमन के लिए पालित पशुओं पर पूर्णतया निर्भर रहता है। इसमें पशुओं को प्राकृतिक वनस्पति पर चराया जाता है।
  2. पशुचारक अपने परिवार तथा पालित पशुओं के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर पानी व चारागाहों की तलाश में ऋतु के अनुसार स्थानांतरित होता रहता है। इसमें भूमि का विस्तृत उपयोग होता है।
  3. प्रत्येक पशुचारक समुदाय के अपने-अपने निश्चित चारागाह होते हैं तथा इनकी सम्पत्ति इनके पशु होते हैं।
  4. अधिकांश चलवासी चरवाहे कबीलों में रहते हैं।
  5. पशुचारण की विधि प्राचीन ढंग की होती है।
    RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-3

प्रश्न 4.
वाणिज्यिक पशुचारण की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए इस व्यवसाय के प्रमुख क्षेत्रों को मानचित्र पर दर्शाइए।
उत्तर:
वाणिज्यिक पशुधन पालन की प्रमुख विशेषताएँ –

  1. यह एक व्यवस्थित तथा पूँजी प्रधान व्यवसाय है जो पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित है।
  2. इसमें पशु चारागाह फार्म स्थायी तथा एक विशाल क्षेत्र में फैले हुए मिलते हैं।
  3. पशुओं की चराई को नियन्त्रित करने के लिये इन विशाल चारागाह फार्मों में बाड़ लगाकर उसे अनेक भागों में बाँट दिया जाता है।
  4. इस व्यवसाय में पशुओं की संख्या चारागीह की वहन क्षमता के अनुसार रखी जाती है।
  5. इसमें केवल एक ही प्रकार के पशु पाले जाते हैं। भेड़, बकरी, गाय-बैल तथा घोड़े इस व्यवसाय के प्रमुख पालित पशु हैं।
  6. पशुओं का पालन वैज्ञानिक ढंग व उच्च तकनीक के माध्यम से किया जाता है।
  7. पशु उत्पादों का अधिकांश भाग वैज्ञानिक ढंग से संसाधित कर अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में निर्यात कर दिया जाता है।
  8. व्यापारिक पशुपालन मुख्यतः शीतोष्ण घास के मैदानों में किया जाता है।
  9. डेनमार्क व न्यूजीलैण्ड दूध के लिए, आस्ट्रेलिया दूध व ऊन के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका माँस व दूध उत्पादन के लिए विशेष पहचान रखते हैं।
  10. विश्व में न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया, अर्जेन्टाइना, युरुग्वे, संयुक्त राज्य अमेरिका, डेनमार्क, स्वीडन तथा हालैण्ड में वाणिज्यिक पशुपालन किया जाता है।
    RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-4

प्रश्न 5.
स्थानान्तरित कृषि की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आदिकालीन निर्वाह कृषि (झुमिंग) की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. इस कृषि में बोए गए खेतों का आकार बहुत ही छोटा होता है।
  2. यह कृषि पुराने औजारों; जैसे-लकड़ी, कुदाली, फावड़े आदि से की जाती है।
  3. इस कृषि में दो-तीन वर्षों में भूमि में उर्वरता समाप्त होने पर दूसरी जगह नए सिरे से खेत तैयार कर खेती की जाती है।
  4. इस प्रकार की कृषि को भारत के पूर्वी राज्यों से झूमिंग, मध्य अमेरिका एवं मैक्सिको में मिल्पा, मलेशिया व इण्डोनेशिया में लदांग तथा वियतनाम में ‘रे’ कहा जाता है।
  5. यह कृषि अमेजन नदी बेसिन, काँगो बेसिन व पूर्वी द्वीप समूह में भी की जाती है।
  6. वर्तमान में इसमें धान, स्थानीय मोटे अनाज मक्का, ज्वार, बाज़रा, दालें, तिलहन आदि फसलें पैदा की जाती हैं।

प्रश्न 6.
आदिम स्थायी कृषि की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आदिम स्थायी कृषि की निम्न विशेषताएँ हैं –

  1. इस कृषि में भूमि को साफ करके मिट्टी की जुताई ढंग से की जाती है।
  2. इस कृषि में उपलब्ध जल का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
  3. इस कृषि में उत्पादन में वृद्धि होने के कारण अन्य व्यवसाय भी पनप जाते हैं।
  4. इस कृषि के साथ पशुपालन भी किया जाता है।
  5. पशुओं का प्रयोग खेतों की जुताई व परिवहन में किया जाता है।
  6. इस कृषि का विस्तार उत्तरी-पूर्वी भारत, मलेशिया, इण्डोनेशिया, मध्य इण्डीज के देशों में मिलता है।

प्रश्न 7.
जीवन-निर्वाहन कृषि की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवन-निर्वाहन कृषि की निम्न विशेषताएँ हैं –

  1. यह कृषि का स्थायी रूप है तथा अनुकूल प्राकृतिक दशाओं वाले क्षेत्रों में की जाती है।
  2. इस कृषि में भूमि पर जनसंख्या के दबाव के कारण भूमि का गहनतम उपयोग होता है।
  3. इस कृषि की गहनता इतनी है कि वर्ष में दो या तीन, फसलें ली जाती हैं।
  4. इस कृषि में भू-जोत छोटे आकार के व छितरे हुए होते हैं।
  5. इस कृषि में मानवीय श्रम के भरपूर उपयोग के साथ-साथ कृषि यंत्रों का प्रयोग भी किया जाता है।
  6. इस कृषि में उन्नत बीजों, रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशक दवाओं के प्रयोग द्वारा उत्पादकता बढ़ी है।
  7. इस कृषि में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ है तथा फसल-चक्र का अनुसरण किया जाता है।
  8. इस कृषि में सघन जनसंख्या के कारण मुख्यत: खाद्यान्नों का उत्पादन किया जाता है।
  9. इस प्रकार की कृषि मानसून एशिया के घने बसे क्षेत्रों में की जाती है।

प्रश्न 8.
विस्तृत वाणिज्यिक अनाज कृषि की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विस्तृत वाणिज्यिक अनाज कृषि की निम्न विशेषताएँ हैं –

  1. इस प्रकार की कृषि विस्तृत भू-जोतों पर की जाती है। इनका क्षेत्रफल प्राय: 240 से 1600 हैक्टेयर तक होता है।
  2. इस कृषि में खेत तैयार करने से फसल काटने तक का समस्त कार्य मशीनों के द्वारा किया जाता है। ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, श्रेसर, कम्बाईन, विनोअर आदि मुख्य यंत्र हैं।
  3. इस प्रकार की कृषि की मुख्य फसल गेहूं है। जौ, जई, राई, तिलहन आदि फसलें भी बोई जाती है।
  4. खाद्यान्नों को सुरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े माल गोदाम बनाए जाते हैं।
  5. इस कृषि में मानवीय श्रम का उपयोग न्यूनतम होता है।
  6. इस कृषि में प्रति हैक्टेयर उपज कम तथा प्रति व्यक्ति उपज अधिक होती है।
  7. शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों में इस प्रकार की कृषि की जाती है। यूरेशिया के स्टेपीज, उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज, अर्जेन्टाइना के पम्पास, दक्षिणी अफ्रीका के वेल्डस, आस्ट्रेलिया के डाउन्स तथा न्यूजीलैंड के कैंटरबरी के मैदानों में इस प्रकार की कृषि की जाती है।
  8. इस कृषि के क्षेत्रों में निरन्तर जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र निरन्तर घटता जा रहा है।
  9. इस प्रकार की कृषि करने वाले सभी देश विकसित हैं।
  10. यह कृषि यंत्रीकृत व उच्च तकनीक पर आधारित कृषि है।

प्रश्न 9.
मिश्रित कृषि की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मिश्रित कृषि किन-किन विशेषताओं से युक्त है?
उत्तर:
मिश्रित कृषि में निम्न विशेषताएँ मिलती हैं –

  1. फसल उत्पादन एवं पशुपालन दोनों को इस कृषि में समान महत्त्व दिया जाता है।
  2. इस कृषि में खेतों का आकार मध्यम होता है।
  3. इस कृषि में गेहूं, जौ, राई, जई, मक्का, सोयाबीन एवं चारे की फसल आदि प्रमुख रूप से बोई जाने वाली फसलें हैं।
  4. फसलों के साथ पशुओं; जैसे–भेड़-बकरी, सुअर, मवेशी, मुर्गी आदि को पाला जाता है।
  5. शस्यावर्तन एवं अंतः फसली कृषि मृदा की उर्वरता को बनाए रखती है।
  6. इस प्रकार की कृषि में भारी पूँजी निवेश होता है।
  7. कुशल व योग्य कृषक इस प्रकार की खेती को करते हैं।
  8. यह कृषि महानगरों के समीप की जाती है।
  9. उत्तम कृषि विधियाँ, उत्तम परिवहन व विश्वसनीय वर्षा से इस कृषि को बड़ी सहायता मिलती है।

प्रश्न 10.
दुग्ध कृषि की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
डेरी कृषि की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विश्व में डेरी कृषि की प्रमुख विशेषताएँ– विश्व में किए जाने वाले डेरी कृषि व्यवसाय की निम्नलिखित विशेषताएँ सर्वप्रमुख हैं –

  1. इस व्यवसाय में सर्वाधिक उन्नत एवं दक्ष तकनीक की सहायता से दुधारू पशुओं का वाणिज्यिक स्तर पर पालन किया जाता है।
  2. इस व्यवसाय में गहन मानवीय श्रम तथा पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता होती है।
  3. पालित पशुओं के आवास, चारा भण्डारण तथा दुग्ध उत्पादन में प्रयुक्त यन्त्रों पर पर्याप्त पूँजी व्यय की जाती है।
  4. पालित पशुओं के पालन व दुग्ध उत्पादन के लिए वर्षपर्यन्त मानवीय श्रम की आवश्यकता पड़ती है।
  5. पशुओं के स्वास्थ्य, प्रजनन एवं पशु चिकित्सा पर पर्याप्त ध्यान दिया जाता है।
  6. डेरी कृषि का व्यवसाय नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों के समीपवर्ती भागों में किया जाता है तथा डेरी कृषि से प्राप्त ताजा दूध तथा अन्य डेरी उत्पादों की खपत इन्हीं नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों में हो जाती है।
  7. इस व्यवसाय में विकसित यातायात के साधन, प्रशीतकों का उपयोग एवं पाश्चुरीकरण की सुविधा उपलब्ध रहती है, इसी कारण इसे व्यवसाय से प्राप्त विभिन्न डेरी उत्पादों को दीर्घ समय तक संरक्षित रखा जा सकता है।

प्रश्न 11.
ट्रक कृषि की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सब्जी कृषि की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सब्जी की खेती या टूक कृषि की विशेषताएँ-सब्जी की खेती एवं ट्रक कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. इस कृषि के अन्तर्गत उन अधिक आर्थिक लाभ प्रदायक कृषि फसलों (साग-सब्जियों) की खेती की जाती है जिनकी माँग समीपवर्ती नगरीय क्षेत्रों में होती है।
  2. इस कृषि में अधिक पूँजी तथा गहन श्रम की आवश्यकता होती है।
  3. इस कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है तथा इन खेतों का सीधा सम्पर्क उत्तम यातायात साधनों द्वारा उन समीपवर्ती नगरों से होता है जिनमें इस कृषि के उत्पादों की खपत होती है।
  4. इस कृषि व्यवसाय में पर्याप्त सिंचाई, उर्वरक, उत्तम किस्म के बीज एवं कीटनाशी रसायनों का उपयोग किया जाता है। कुछ कम तापक्रम वाले क्षेत्रों में हरित गृह एवं कृत्रिम ताप का प्रयोग भी इस कृषि में किया जाता है।
  5. जिन क्षेत्रों में कृषक केवल सब्जियों का उत्पादन करता है उसे कृषक के खेत को ट्रक फार्म कहा जाता है। ट्रक फार्म से बाजार तक की दूरी, ट्रक द्वारा अधिकतम एक रात में तय की जाती है, इसलिये इस प्रकार की जाने वाली कृषि ट्रक कृषि कहलाती है।

प्रश्न 12.
फलोद्यान कृषि की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फलोद्यान कृषि की निम्न विशेषताएँ हैं –

  1. यह एक विशिष्ट प्रकार की कृषि है।
  2. इस कृषि में फलों व फूलों की कृषि की जाती है।
  3. इस कृषि को नगरों की माँग के कारण किया जाता है।
  4. इस कृषि में मुख्यत: केला, आम, सेब, नाशपाती, नीबू, नारंगी, संतरा आदि फलों की खेती की जाती है।
  5. इस कृषि से किसानों को अधिक लाभ की प्राप्ति होती है।
  6. इस कृषि में गुलाब, गेंदे, ट्युलिप व अन्य फूलों की कृषि मुख्यतः की जाती है।
  7. इस कृषि में फलोत्पादन व फूलोत्पादन क्षेत्रों से नगरों/बाजार तक सामग्री मुख्यतः रात्रि के समय उन्नत तकनीक युक्त साधनों से पहुँचायी जाती है।

प्रश्न 13.
खनिजों के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्व में मिलने वाले खनिजों को उनकी उत्पत्ति, उनकी संरचना के आधार पर मुख्यतः निम्न भागों में बाँटा गया है –RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-5

RBSE Class 12 Geography Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्वाह कृषि के प्रमुख प्रकार बताइए। स्थानान्तरणशील कृषि क्षेत्रों का वितरण एवं विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
निर्वाह कृषि-इस प्रकार के कृषि क्षेत्र में रहने वाले लोग स्थानीय उत्पादों के सम्पूर्ण अथवा अधिकांश भाग का स्वयं उपभोग करते हैं। निर्वाह कृषि को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

1. आदिकालीन निर्वाह कृषि:
आदिकालीन निर्वाह कृषि को स्थानान्तरणशील कृषि भी कहते हैं। यह कृषि कार्य उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में किया जाता है। इस कृषि में उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों की वनस्पति को जला दिया जाता है एवं जली हुई राख की परत उर्वरक का कार्य करती है। वर्षा ऋतु के उपरान्त उसमें फसल बोयी जाती है। 5 वर्ष के उपरान्त जब मिट्टी का उपजाऊपन समाप्त हो जाता है तो किसान नवीन क्षेत्रों के वनों को जलाकर कृषि के लिए भूमि तैयार करते हैं।

वर्तमान में इस प्रकार की कृषि के क्षेत्रों का विस्तार कम होता जा रहा है। इसे कर्तन एवं दहन कृषि भी कहा जाता है। उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में स्थानान्तरणशील कृषि को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तरी-पूर्वी भारत में इसे झूमिंग, मध्य अमेरिका व मैक्सिको में मिल्पा, मलेशिया वे इंडोनेशिया में लादांग आदि नामों से जाना जाता है।

2. गहन निर्वाह कृषि:
इस प्रकार की कृषि मानसून एशिया के घने बसे देशों में की जाती है। यह कृषि दो प्रकार की होती है –

(अ) चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि:
इस प्रकार की कृषि में चावल मुख्य फसल होती है। अधिक जनसंख्या घनत्व के कारण खेती का आकार छोटा होता है एवं कृषि कार्य में सम्पूर्ण परिवार लगा रहता है। भूमि का गहन उपयोग होता है। उर्वरता बनाये रखने के लिए पशुओं के गोबर की खाद का उपयोग होता है। इस कृषि में प्रति एकड़ औसत उत्पादन अधिक होता है लेकिन प्रति कृषक उत्पादन कम होता है।

(ब) चावल रहित गहन निर्वाह कृषि:
मानसून एशिया के कई भागों में प्राकृतिक परिस्थितियों की प्रतिकूलता के कारण चावल उगाना सम्भव नहीं होता है। ऐसे क्षेत्रों में अन्य फसलें बोयी जाती हैं; जैसे-उत्तरी चीन, मंचूरिया, उत्तरी कोरिया व उत्तरी जापान में गेहूँ, सोयाबीन, जौ व सोरगम बोया जाता है। भारत में सिन्धु गंगा के मैदानों में गेहूं बोया जाता है।

स्थानान्तरणशील कृषि क्षेत्र: स्थानान्तरणशील कृषि कार्य वर्तमान में आदिमजाति के लोगों द्वारा विश्व के उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में किया जाता है जिनमें अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, मध्य अमेरिका तथा दक्षिणी-पूर्वी एशियाई भाग सम्मिलित हैं। इन कृषि क्षेत्रों को आगे दिए गये मानचित्र में प्रदर्शित किया गया है। स्थानान्तरण कृषि की प्रमुख विशेषताएँ –

  1. इस कृषि पद्धति में वनों को काटकर तथा आग लगाकर कृषि भूमि प्राप्त की जाती है जिसमें जली हुई राख की परत उर्वरक का कार्य करती है। इसी कारण इस कृषि को कर्तन-दहन कृषि भी कहा जाता है।
  2. इस कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है तथा इनमें कृषि कार्य पुराने औजारों (जैसेलकड़ी, कुदाली तथा फावड़ों) से किया जाता है।
  3. इस कृषि पद्धति में 3 से 5 वर्ष तक कृषि भूमि में खेती की जाती है तथा इसके बाद भूमि की उर्वरकता समाप्त होने पर नये क्षेत्रों में वनों को जलाकर कृषि भूमि प्राप्त की जाती है।
  4. कुछ वर्ष बाद कृषक पुनः पहले वाले कृषि क्षेत्र पर (उर्वरकता में वृद्धि हो जाने के कारण) वापस कृषि कार्य करने आ जाता है। इस प्रकार झूम का यह चक्र (आग लगाकर कृषि भूमि तैयार करना) चलता रहता है।RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-6

प्रश्न 2.
मिश्रित कृषि की विशेषताओं का वर्णन करते हुए विश्व में मिश्रित कृषि के प्रमुख क्षेत्रों का सचित्र विवरण दीजिए।
उत्तर:
मिश्रित कृषि:
जब फसलों की कृषि के साथ-साथ पशुपालन आदि सहायक कार्य भी किये जाते हैं तो उसे मिश्रित कृषि के नाम से जाना जाता है। मिश्रित कृषि में खाद्यान्न व चारा फसलों के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है। पशुओं में मवेशी, भेड़, सूअर व कुक्कुट आदि पाले जाते हैं, जिनके लिए चारा फसलें उगायी जाती हैं। इस कृषि में गेहूँ, जौ, राई, मक्का, जई, कंद-मूल व चारे की फसलें उगायी जाती हैं। इस कृषि में फसल उत्पादन व पशुपालन को समान महत्व दिया जाता है। मिश्रित कृषि की विशेषताएँ-मिश्रित कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. इस प्रकार की कृषि में फसल उत्पादन तथा पशुपालन साथ-साथ किया जाता है।
  2. इस प्रकार की कृषि में खेतों का आकार मध्यम होता है जिस पर बोई जाने वाली फसलों में गेहूँ, जौ, राई, मक्का, चारे की फसल तथा कंद-मूल प्रमुख हैं। वस्तुत: चारे की फसलें मिश्रित कृषि में अनिवार्य रूप से उगायी जाती हैं।
  3. एक ओर जहाँ कृषक कृषि फसलों के उत्पादन से आय प्राप्त करते हैं, वहीं दूसरी ओर पशुपालन व्यवसाय के अन्तर्गत पालित गाय-बैल, सूअर तथा मुर्गीपालन से भी आय प्राप्त होती है।
  4. इस कृषि के अन्तर्गत खेतों की मिट्टी के उपजाऊपन को बनाये रखने के लिए विभिन्न फसलों के एक क्रमिक अनुक्रमण का स्वरूप अपनाया जाता है।
  5. इस कृषि के अन्तर्गत आधुनिक कृषि यन्त्रों एवं रासायनिक तथा वनस्पति खाद के गहन उपयोग पर अधिक पूँजी व्यय की जाती है।
  6. इस कृषि में कृषक कृषि कार्यों में अति निपुणता रखते हैं।
  7. इस प्रकार की कृषि में कृषि के वैज्ञानिक स्वरूप का प्रयोग किया जाता है।

विश्व में मिश्रित कृषि के प्रमुख क्षेत्र: विश्व में मिश्रित कृषि के क्षेत्रों को नीचे दिए गए मानचित्र में प्रदर्शित किया गया हैयह कृषि विश्व के निम्नलिखित समशीतोष्ण जलवायु वाले अत्यधिक विकसित क्षेत्रों में की जाती है –

  1. उत्तरीपश्चिमी यूरोप।
  2. उत्तरी अमेरिका का पूर्वी भाग।
  3. यूरेशिया में पूर्वी यूरोप, दक्षिणी यूरोप तथा साइबेरिया के दक्षिणी भाग।
  4. दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका के कुछ दक्षिणी तटीय क्षेत्र।RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-7

प्रश्न 3.
विश्व में दुग्ध कृषि एवं सब्जी की खेती व फलोद्यान कृषि को विस्तार से बताइए।
उत्तर:
दुग्ध कृषि: दूध एवं दूध से बने पदार्थ; जैसे-मक्खन, पनीर, पाउडर, दूध, दही आदि के लिए दुधारू पशुओं व अन्य पशुओं को पालने के व्यवसाय को डेरी या दुग्ध कृषि के नाम से जाना जाता है।
विश्व में दुग्ध कृषि की प्रमुख विशेषताएँ: विश्व में किए जाने वाली दुग्ध कृषि व्यवसाय की निम्नलिखित विशेषताएँ प्रमुख हैं –

  1. इस व्यवसाय में सर्वाधिक उन्नत एवं दक्ष तकनीक की सहायता से दुधारू पशुओं का वाणिज्यिक स्तर पर पालन किया जाता है।
  2. इस व्यवसाये में गहन मानवीय श्रम तथा पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता होती है।
  3. पालित पशुओं के आवास, चारा-भण्डारण तथा दुग्ध उत्पादन में प्रयुक्त यन्त्रों पर पर्याप्त-पूँजी व्यय की जाती है।
  4. पालित पशुओं के पालन व दुग्ध उत्पादन के लिए वर्षपर्यन्त मानवीय श्रम की आवश्यकता पड़ती है।
  5. पशुओं के स्वास्थ्य, प्रजनन एवं पशु चिकित्सा पर पर्याप्त ध्यान दिया जाता है।
  6. डेरी कृषि का व्यवसाय नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों के समीपवर्ती भागों में किया जाता है तथा डेरी कृषि से प्राप्त ताजा दूध तथा अन्य डेरी उत्पाद की खपत इन्हीं नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों में हो जाती है।
  7. इस व्यवसाय में विकसित यातायात के साधनों, प्रशीतकों का उपयोग तथा पाश्चुरीकरण की सुविधा उपलब्ध रहती है। इसी कारण इस व्यवसाय से प्राप्त विभिन्न डेरी उत्पादों को दीर्घ समय तक संरक्षित रखा जा सकता है।

विश्व में दुग्ध (डेरी) कृषि के प्रमुख क्षेत्र:
विश्व में डेरी कृषि के प्रमुख क्षेत्रों को नीचे दिए गए विश्व मानचित्र पर प्रदर्शित किया गया है। मानचित्र से स्पष्ट है कि विश्व में वाणिज्य स्तर के डेरी कृषि के निम्नलिखित क्षेत्र हैं –

  1. उत्तरी-पश्चिमी यूरोप।
  2. कनाडा का दक्षिणी-पूर्वी भाग।
  3. दक्षिणी-पूर्वी आस्ट्रेलिया, तस्मानिया तथा न्यूजीलैण्ड।

सब्जी की खेती व फलोद्यान कृषि: इस प्रकार की कृषि उत्तरी पश्चिमी यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी राज्य व भूमध्य सागरीय प्रदेश में अधिक विकसित है।

सब्जी की खेती एवं फलोद्यान कृषि की विशेषताएँ: बाजार के लिए सब्जी की खेती एवं उद्यान कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. इस कृषि के अन्तर्गत अधिक आर्थिक लाभ प्रदान करने वाली कृषि फसलों जैसे सब्जियों, फलों एवं पुष्पों की खेती की जाती है जिनकी माँग समीपवर्ती नगरीय क्षेत्रों में अधिक होती है।
  2. इस कृषि में अधिक पूँजी तथा गहन श्रम की आवश्यकता होती है।
  3. इस कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है तथा इन खेतों का सीधा सम्पर्क उत्तम यातायात के साधनों द्वारा उनके समीपवर्ती नगरों से होता है जिनमें इस कृषि के उत्पादों की खपत होती है।
  4. इस कृषि व्यवसाय में पर्याप्त सिंचाई, उर्वरक, उत्तम किस्म के बीज एवं कीटनाशी रसायनों का उपयोग किया जाता है। कुछ कम तापमान वाले क्षेत्रों में हरित गृह एवं कृत्रिम ताप का प्रयोग भी इस प्रकार की कृषि में किया जाता है।
  5. जिन क्षेत्रों में कृषक केवल सब्जियों का उत्पादन करते हैं, उन कृषकों के खेत को टुक फार्म कहा जाता है। ट्रक फार्म से बाजार तक की दूरी, टूक द्वारा अधिकतम एक रात में तय की जाती है इसलियें इस प्रकार की जाने वाली कृषि ट्रक कृषि कहलाती है।

विश्व में सब्जी खेती व फलोद्यान कृषि के प्रमुख क्षेत्र: यह कृषि विश्व के निम्नलिखित क्षेत्रों में विकसित अवस्था में मिलती है –

  1. उत्तरी-पश्चिमी यूरोप
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका का उत्तरी-पूर्वी भाग
  3. विश्व के भूमध्य सागरीय जलवायु वाले क्षेत्र।
    RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-8

प्रश्न 4.
खनन को परिभाषित करते हुए इसको प्रभावित करने वाली दशाओं को स्पष्ट करते हुए खनिजों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
खनन-पृथ्वी के आन्तरिक भाग में मिलने वाले विविध प्रकार के धात्विक, अधात्विक व ईंधने खनिजों को यंत्रीकरण या मानव द्वारा खोदकर निकालने की प्रक्रिया खनन कहलाती है। खनन को प्रभावित करने वाली दशाएँ-खनन की प्रक्रिया मुख्यत: प्राकृतिक एवं मानवीय दशाओं के द्वारा प्रभावित होती है। ये दशाएँ निम्नलिखित हैं।

  1. प्राकृतिक दशायें: प्राकृतिक दशाओं के अन्तर्गत खनिज भंडारों की स्थिति, खनिज की कोटि, मात्रा, प्रकार, सम्पन्नता एवं बाजार क्षेत्र की समीपता आदि सम्मिलित हैं।
  2. मानवीय दशायें: मानवीय दशाओं के अन्तर्गत खनिज की माँग, यातायात की सुविधा, पूँजी, श्रम, तकनीकी विकास का स्तर, सरकारी नीतियाँ आदि सम्मिलित हैं।

खनिजों का वितरण: खनिजों का सम्बन्ध चट्टानों से होता है। चट्टानें मुख्यत तीन प्रकार की होती हैं –

  1. आग्नेय चट्टानें
  2. कायान्तरित चट्टानें तथा
  3. अवसादी चट्टानें।

आग्नेय चट्टानों में सोना, चाँदी, ताँबा, जस्ता, सीसा, मैंगनीज, अभ्रक, गंधक आदि खनिज पाए जाते हैं। कायान्तरित चट्टानों में ग्रेफाइट, हीरा, संगमरमर आदि पाए जाते हैं। कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, रॉक-फॉस्फेट, पोटाश, नमक आदि खनिज अवसादी चट्टानों में प्रमुखता से मिलते हैं। विश्व में मिलने वाले खनिजों को उनकी प्रकृति, उत्पत्ति के संरचना के आधार पर निम्न भागों में बाँटा गया है–
RBSE Solutions for Class 12 Geography Chapter 8 प्राथमिक व्यवसाय img-9
विश्व के प्रमुख देशों में खनिज उत्पादन का वितरण

देश का नामखनिजों का उत्पादन (विश्व के कुल उत्पादन का प्रतिशत)
संयुक्त राज्य अमेरिका34.10
रूस10.50
इंग्लैंड10.50
जर्मनी5.22
वेनेजुएला5.00
कनाडा2.93
फ्रांस2.61
कुवैत2.31
सऊदी अरब2.27
पोलैंड2.06
भारत1.03
अन्य22.43
कुल100.00

RBSE Solutions for Class 12 Geography

Step into high-class excitement at hell spin casino, where glittering reels, lavish bonuses, and thrilling jackpots create nonstop luxury. Each spin delivers pulse-raising suspense, elegance, and the electrifying chance of big Australian online casino wins.

Indulge in elite thrills at joefortune-casino.net, offering dazzling gameplay, sparkling rewards, and adrenaline-pumping jackpots. Every moment immerses players in glamour, high-stakes excitement, and the intoxicating pursuit of substantial casino victories.

Discover top-tier sophistication at neospin casino, with vibrant reels, generous bonuses, and luxurious jackpots. Each spin captivates with elegance, thrill, and the electrifying potential for extraordinary wins in the premium Australian casino environment.

Enter a world of luxury at rickycasino-aus.com, where high-class slots, sparkling bonuses, and pulse-racing jackpots create unforgettable moments. Every wager delivers excitement, sophistication, and the premium thrill of chasing massive casino wins.