RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ

Rajasthan Board RBSE Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ

RBSE Class 12 Physics Chapter 6 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

RBSE Class 12 Physics Chapter 6 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किरखॉफ के प्रथम एवं द्वितीय नियम आधारित हैं
(अ) आवेश तथा ऊर्जा संरक्षण नियमों पर
(ब) धारा तथा ऊर्जा संरक्षण नियमों पर
(स) द्रव्यमान तथा आवेश संरक्षण नियमों पर
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) द्रव्यमान तथा आवेश संरक्षण नियमों पर
किरचॉफ का प्रथम नियम आवेश संरक्षण तथा द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण नियम पर आधारित है।

प्रश्न 2.
चित्र में दर्शाए परिपथ में a एवं b के मध्य विभवान्तर होगा
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 1
(अ) R1 – R2
(ब) R2 – R1
(स) \(\frac{R_{1} R_{2}}{R_{1}+R_{2}}\)
(द) शून्य
उत्तर:
(ब) R2 – R1
लेकिन I1 = I2 = 1 amp.
अत: a पर विभवान्तर Va = I1 × R1
= 1 x R1 = R1
b पर विभवान्तर Vb = I2R2 = 1 × R2
= R2
अत: Va – Vb = R1 – R2

प्रश्न 3.
दिए गए चित्र में 1 का मान होगा
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 2
(अ) 6A
(ब) 11A
(स) 7A
(द) 5A
उत्तर:
(स) 7A
किरचॉफ के प्रथम नियम से|
ΣI0 = 0
5 + 2 + 4 – 4 – I = 0
I = 7A

प्रश्न 4.
व्हीट स्टोन सेतु में बैटरी व धारामापी की स्थितियाँ परस्पर परिवर्तित कर दी जाये तो नयी सन्तुलन स्थिति
(अ) अपरिवर्तित रहेगी।
(ब) परिवर्तित होगी।
(स) कुछ नहीं कहा जा सकता
(द) बदल भी सकती है और नहीं भी, यह धारामापी व बैटरी के प्रतिरोधों पर निर्भर करेगा।
उत्तर:
(अ) अपरिवर्तित रहेगी।
कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा

प्रश्न 5.
दिए गए चित्र में बिन्दु A एवं B के मध्य विभवान्तर होगा
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 3
(अ) \(\frac{20}{7}\)V
(ब) \(\frac{40}{7}\)V
(स) \(\frac{10}{7}\)V
(द) शून्य
उत्तर:
(द) शून्य
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 4

प्रश्न 6.
दिए गए परिपथ में धारा का मान होगा
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 5
(अ) 2.5A
(ब) 0.75A
(स) 0.5A
(द) 0.25A
उत्तर:
(द) 0.25A
किरचॉफ के द्वितीय नियम से
ΣI = IR
2 – 4 = -2I – 5I – I
-2 = -8I
I = \(\frac{2}{8}=\frac{1}{4}\) = 0.25A

प्रश्न 7.
विभवमापी विभवान्तर मापने का ऐसा उपकरण है जिसका प्रभावी प्रतिरोध
(अ) शून्य होता है।
(ब) अनन्त होता है।
(स) अनिश्चित होता है।
(द) बाह्य प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(ब) अनन्त होता है।
विभवमापी का प्रभावी प्रतिरोध अनन्त होता है।

प्रश्न 8.
विभवमापी की सहायता से निम्न में से किस राशि को नहीं मापा जा सकता
(अ) सेल का वि.वा. बल
(ब) धारिता एवं स्वप्रेरकत्व
(स) प्रतिरोध
(द) विद्युत धारा
उत्तर:
(ब) धारिता एवं स्वप्रेरकत्व
धारिता व स्व प्रेरकत्व।

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए चित्र में गैल्वैनोमीटर में शून्य विक्षेप के साथ मीटर सेतु की प्रायोगिक व्यवस्था दर्शायी गई है
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 6
अज्ञात प्रतिरोध R का मान होगा
(अ) 220 Ω
(ब) 110 Ω
(स) 55 Ω
(द) 13.75 Ω
उत्तर:
(अ) 220 Ω
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प्रश्न 10.
विभवमापी के तार के पदार्थ का प्रतिरोध ताप गुणांक होना चाहिए
(अ) उच्च
(ब) कम।
(स) नगण्य
(द) अनन्त
उत्तर:
(अ) उच्च
नगण्य होना चाहिये।

प्रश्न 11.
किसी प्राथमिक सेल के आन्तरिक प्रतिरोध का संतुलित लम्बाई के रूप में सूत्र होता है यहाँ l1 व l2 क्रमशः सेल के लिए खुले एवं बंद परिपथ में संतुलन लम्बाइयाँ है
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उत्तर:
(अ)
r = \(\left(\frac{l_{1}-l_{2}}{l_{2}}\right)\) R

प्रश्न 12.
विभवमापी के प्रयोग में E वि.वा. बल का एक सेल L लम्बाई पर संतुलित होता है। दूसरा सेल जिसका वि.वा. बल भी है E है, प्रथम सेल के समान्तर क्रम में जोड़ा गया है तो नई संतुलन लम्बाई
का मान होगा
(अ) 2 L
(ब) L
(स) L / 2
(द) L / 4
उत्तर:
(ब) L
समान्तर क्रम में विभवान्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिये सन्तुलन लम्बाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 13.
एक विभवमापी में 1.1 v वि.वा. बल का मानक सेल 2.20 m पर संतुलित होता है। एक प्रतिरोध पर उत्पन्न विभवान्तर 95 cm पर संतुलित होता है तथा एकं वोल्टमीटर इस विभवान्तर का मान 0.5 V पढ़ता है, तो वोल्टमीटर पाठ्यांक में त्रुटि होगी
(अ) + 0.025 V
(ब) + 0.525 V
(स) – 0.025 V
(द) – 0.525 V
उत्तर:
(स) – 0.025 V
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RBSE Class 12 Physics Chapter 6 अति लघुजरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किरचॉफ के संधि नियम का गणितीय रूप लिखो।
उत्तर:
किरचॉफ के सन्धि नियम का गणितीय रूप
ΣI = 0

प्रश्न 2.
किरचॉफ को वोल्टता नियम किस संरक्षण नियम पर आधारित है ?
उत्तर:
किरचॉफ का द्वितीय वोल्टता नियम ऊर्जा संरक्षण पर आधारित है।

प्रश्न 3.
व्हीटस्टोन सेतु की संतुलित अवस्था के लिए प्रतिबन्ध लिखो।
उत्तर:
\(\frac{P}{Q}=\frac{R}{S}\)

प्रश्न 4.
मीटर सेतु किस सिद्धान्त पर आधारित है ?
उत्तर:
व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर आधारित है।

प्रश्न 5.
विभवमापी की विभव प्रवणता तार के ताप पर निर्भर क्यों करती है ?
उत्तर:
विभवमापी के तार का ताप बढ़ाने पर विभवमापी का प्रतिरोध बढ़ता है जिससे विभव प्रवणता पर प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 6.
यदि विभवमापी के प्राथमिक परिपथ में प्रयुक्त सेल का वि.वा. बल, द्वितीयक परिपथ में प्रयुक्त अज्ञात सेल से कम हो तो क्या होगा ?
उत्तर:
विभवमापी में सन्तुलन अवस्था प्राप्त नहीं होती है।

प्रश्न 7.
विभव प्रवणता की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
विभवमापी के तार में इकाई लम्बाई पर विभव पतन को विभव प्रवणता कहते हैं।

प्रश्न 8.
विभवमापी के तार पर अनुप्रस्थ काट तार की सम्पूर्ण लम्बाई पर एकसमान क्यों होना चाहिए ?
उत्तर:
क्योंकि सभी स्थानों पर विभव प्रवणता समान होनी चाहिये।

प्रश्न 9.
विभवमापी के मानकीकरण के लिए डेनियल सेल के अतिरिक्त कौन-सा सेल उपयोग में लेते हैं ?
उत्तर:
कैडमीयम या लैक्लांशी सेल

प्रश्न 10.
विभवमापी की सुग्राहिता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर:
विभव प्रवणता का सूत्र (k) = \(\frac{\mathrm{V}_{\mathrm{AB}}}{l_{\mathrm{AB}}}\)
अर्थात् विभवमापी के तार की लम्बाई बढ़ाकर या प्राथमिक परिपथ का विभव कम करके।

प्रश्न 11.
एक विभवमापी के तार की लम्बाई 10 m है। 1.1 v वि. वा. बल का मानक सेल तोर की 8.8 m लम्बाई पर संतुलित होता है। इस विभवमापी से अधिकतम विभवान्तर कितना माप सकते हैं ?
उत्तर:
विभव प्रवणता (k) = \(\frac{V}{L}=\frac{1 \cdot 1}{8 \cdot 8}=\frac{1}{8}\) volt/meter
अधिकतम विभव पतन = k × विभवमापी की लम्बाई
= \(\frac{1}{8}\) × 10
= 1.25V

प्रश्न 12.
विभवमापी में ताँबे के तार का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि ताँबे के तार का ताप गुणांक अधिक तथा विशिष्ट प्रतिरोध कम होता है।

प्रश्न 13.
एक विभवमापी के तार की विभव प्रवणता 0.3 V/m है। एक अमीटर के अंशशोधन प्रयोग में 1.0 Ω प्रतिरोध के सिरों के मध्य विभवान्तर 1.5 m की तार की लम्बाई पर संतुलित होता है। यदि परिपथ में प्रयुक्त अमीटर का पाठ्यांक 0.28 A है तो अमीटर के पाठ्यांक में त्रुटि ज्ञात करो।
उत्तर:
I2 = 0.3 × 1.5
= 0.45A
धारा मापन में त्रुटि = ΔI = I – I2
= 0.28 – 0.45
= -0.17A

RBSE Class 12 Physics Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किरचॉफ के संधि नियम तथा लूप नियम का कथन लिखिये।
उत्तर:
किरचॉफ का प्रथम नियम या संधि नियम
(Kirchhoff’s First Law or Junction Law)
प्रथम नियम- “किसी वैद्युत परिपथ में किसी संधि पर मिलने वाली समस्त धाराओं का बीजगणितीय योग (algebraic sum) शून्य होता है।” अर्थात्
Σi = 0 …………… (1)
किसी संधि की ओर आने वाली (incoining) धाराओं को धनात्मक एवं संधि से दूर जाने वाली (outgoing) धाराओं को ऋणात्मक मान लिया जाता है (चित्र 6.1) । संधि O पर मिलने वाली धाराओं के लिए,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 10
i1 – i2 – i3 + i4 – i5 = 0
या i1 + i4 = i2 + i3 + i5
या
संधि की ओर आने वाली धाराओं का योग = संधि से दूर जाने वाली धाराओं का योग
इस प्रकार किरचॉफ के प्रथम नियम को इस प्रकार भी कह सकते हैं, “किसी परिपथ में किसी संधि की ओर आने वाली धाराओं का योग संधि से दूर जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है।” किरचॉफ का प्रथम नियम आवेश संरक्षण (law of Conservation of Charge) के सिद्धान्त पर आधारित है।

किरचॉफ का द्वितीय नियम या लूप नियम (Kirchhoff’s Second Law or Loop Law)
द्वितीय नियम- “किसी बन्द परिपथ में परिपथ का परिणामी । विद्युत वाहक बल परिपथ के विभिन्न अवयवों (elements) के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तरों के योग के बराबर होता है।” किरचॉफ का यह नियम ऊर्जा संरक्षण (Law of Conservation of Energy) के सिद्धांत पर आधारित होता है अर्थात्
Σ E = ΣV = ΣiR …………….. (2)

प्रश्न 2.
मीटर सेतु द्वारा किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने की विधि लिखकर आवश्यक सूत्र की व्युत्पत्ति कीजिए। परिपथ चित्र बनाइये।
उत्तर:
मीटर सेतु (Meter Bridge)
व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर आधारित यह एक ऐसा उपकरण है। जिसकी सहायता से अज्ञात प्रतिरोध (unknown resistance) ज्ञात किया जा सकता है।

सिद्धान्त- मीटर सेतु ऐसा उपकरण है जो व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

रचना- मीटर सेतु की रचना चित्र 6.9 में दिखायी गई है। इसमें समान परिच्छेद (uniform cross-section) का 1 मीटर कॉन्स्टेन्टन या मैंगनिन का तार होता है जो एक लकड़ी के बोर्ड पर एक मीटर पैमाने के सहारे कसा रहता है। तार के सिरों A व C पर ताँबे की दो L के आकार की पत्तियाँ (L-shaped thick copper strips) जुड़ी रहती हैं जिनके ऊपर संयोजक पेंच लगे रहते हैं। इन पत्तियों के बीच एक और ताँबे की पत्ती चित्र के अनुसार लगी होती है जिस पर तीन संयोजक पेंच लगे होते हैं। चित्र में अंकित बिन्दु A, B, C व D क्रमश: व्हीटस्टोन सेतु से संगत (corresponding) चारों बिन्दुओं को व्यक्त (represent) करते हैं। इस पत्ती के मध्य में लगे पेंच D से एक सुग्राही (sensitive) धारामापी जुड़ा होता है जिसका दूसरा सिरा सप कुंजी (jockey) से जुड़ा होता है। सर्दी कुंजी तार AC के सहारे खिसक सकती है। सर्दी कुंजी की स्थिति (position) ही तार AC पर बिन्दु B को व्यक्त करती है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 11
प्रयोग विधि- परिपथ व्यवस्था चित्र 6.9 के अनुसार करते हैं। संयोजक पेंचों A व D के मध्य प्रतिरोध बॉक्स (resistance box) एवं D व C के मध्य अज्ञात प्रतिरोध S को जोड़ देते हैं। A व C के मध्य एक सेल वे एक धारा नियन्त्रक (rheostat) को कुंजी K के द्वारा जोड़ देते हैं। अनुपात भुजाएँ (ratio arms) P व Q तार AC के दो भागों से प्राप्त होती हैं जो जॉकी द्वारा निर्धारित बिन्दु से विभक्त (divide) होते हैं।

प्रतिरोध बॉक्स में कोई समुचित (suitable) प्रतिरोध (R) लगाकर कुंजी K को बन्द करते हैं और सर्दी कुंजी को तार AC पर दायें या बायें खिसकाकर (moved) बिन्दु B की वह स्थिति ज्ञात कर लेते हैं जब धारामापी में शून्य विक्षेप होता है। यह सेतु के सन्तुलन की स्थिति है (जब Vs = BD)। इस स्थिति में मीटर पैमाने पर बिन्दु B की स्थिति पढ़कर तार के दोनों भागों AB व BC की लम्बाइयाँ सेमी में ज्ञात कर लेते हैं। यदि AB की लम्बाई सेमी है तो BC की लम्बाई (100 – l) सेमी होगी।
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प्रश्न 3.
व्हीटस्टोन सेतु क्या है ? इसकी संतुलन अवस्था के लिए प्रतिबन्ध किरचॉफ के नियमों से ज्ञात करो।
उत्तर:
व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone’s Bridge)
इंग्लैण्ड के वैज्ञानिक प्रोफेसर सी. एफ. व्हीटस्टोन (C.F. Wheatstone) ने चार प्रतिरोधों, एक धारामापी एवं एक सेल को जोड़कर एक विशेष प्रकार का परिपथ तैयार किया जो व्हीटस्टोन सेतु के नाम से जाना गया। इसकी सहायता से हम अज्ञात (unknown ) प्रतिरोध का मान ज्ञात कर सकते हैं।

रचना- व्हीटस्टोन सेतु की सैद्धान्तिक रचना चित्र 6.5 में दिखाई गई है। चार प्रतिरोधों P, Q, R, S को जोड़कर एक चतुर्भुज ABCD बनाते हैं। बिन्दुओं A वC के मध्य एक सेल जोड़ देते हैं। बिन्दुओं B व D के मध्य एक धारामापी जोड़ दिया जाता है। K1 बैटरी कुंजी है और K2 धारामापी कुंजी है। यदि कुंजी K, को हम पहले बन्द (close) करें और फिर K, को, तब यदि धारामापी में कोई विक्षेप (deflection) न दें तब इस अवस्था में, होता है।
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व्हीटस्टोन सेतु की संतुलन अवस्था के लिये शर्त (Balance Condition of Wheat stone Bridge Using Kirchhoff’s law)
कुंजी K1 को दबाने पर परिपथ में मुख्य धारा बिन्दु A पर दो भागों में बँट जाती है। धारा i1 प्रतिरोध P से होकर और (i = i1) प्रतिरोध R से होकर गुजरती है। चित्र 6.7 में धाराओं की स्थिति यह मानकर दिखाई गई है कि VB > VD। धारा ig धारामापी वाली भुजा से गुजरती है और बिन्दु D पर R से होकर आने वाली धारा (i – i1) के साथ जुड़ जाती है और प्रतिरोध S में होकर निकलती है। बिन्दु C पर पुन: सभी धाराएँ मिल जाती हैं।

जब सेतु सन्तुलित होता है तो धारामाप वाली भुजा से कोई धारा नहीं। बहती है अर्थात् ।
ig = 0
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प्रश्न 4.
विभव प्रवणता किसे कहते है ? यह किन-किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
विभुवमापी (Potentiometer)
विभवमापी एक ऐसा उपकरण (instruments) है जिसकी सहायता से हम किसी परिपथ का विभवान्तर या विद्युत वाहक बल को शुद्धता से माप कर सकता है। यह यन्त्र परिपथ से कोई धारा न लेकर विभवान्तर को मापता है। परिपथ में बहने वाली धारा वास्तविक मान से कुछ कम होती है जिसके कारण वोल्टमीटर की तुलना में विभवमापी विभवान्तर को अधिक शुद्धता से मापती है।।

विभवमापी की संरचना (Construction of Potentiometer)
विभवमापी की रचना- विभवमापी में मुख्यतः उच्च विशिष्ट प्रतिरोध (high specific resistance) व निम्न प्रतिरोध ताप गुणांक (low temperature coefficient) की मिश्र धातु (alloys) (जैसे-कॉन्स्टेन्टन या मैगनिन आदि) का 4 से 12 मीटर लम्बा एक समान व्यास (diameter) का एक तार होता है जो चित्र 6.11 की भाँति एक-एक मीटर के फेरों (turns) के रूप में धातु की घिरनियों (pulleys) से होकर गुजरता है। अथवा एक-एक मीटर लम्बे टुकड़े ताँबे की पत्तियों द्वारा सिरों पर जुड़े होते हैं। प्रारंभिक एवं अंतिम सिरे A व B संयोजक पेंचों से जोड़ दिये जाते हैं। तारों की लम्बाई के समान्तर एक मीटर पैमाना लगा रहता है। जिसके द्वारा जॉकी की सहायता से पाठ्यांक (reading) लिया जाता है।
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प्रश्न 5.
विभवमापी का मानकीकरण किसे कहते हैं ? इसके लिए आवश्यक परिपथ चित्र बनाकर क्रियाविधि समझाइये।
उत्तर:
विश्वमापी का मानकीकरण (Standardisation of Potentiometer)
पिछले अनुच्छेद में हम विस्तृत रूप से पढ़ चुके हैं कि विभव प्रवणता प्राथमिक परिपथ में प्रयुक्त सेल के आन्तरिक प्रतिरोध, धारा नियंत्रक के प्रतिरोध एवं विभवमापी के तार के साथ संयोजित अन्य प्रतिरोधों पर निर्भर करती है। इन सभी प्रतिरोधों का मान सामान्यतः ज्ञात नहीं होता है। अत: अप्रत्यक्ष विधि से विभव प्रवणता का मान ज्ञात किया जाता है। विभवमापी के लिये विभव प्रवणता का यथार्थ मान ज्ञात करने की प्रक्रिया को ही विभवमापी का मानकीकरण कहते हैं।

विभवमापी का मानकीकरण करने के लिये एक ज्ञात विद्युत वाहक बल के मानक सेल को विभवमापी के द्वितीय परिपथ में चित्रानुसार 6.15 जोड़ दिया जाता है। मानक सेल वह सेल होता है। जो लम्बे समय तक अपना विद्युत वाहक बल नियत रखता है। मानक सेल के लिये डेनियल सेल, कैडमीयम सेल तथा लैक्लॉन्शी सेल का प्रयोग करते हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 17
माना मानक सेल से विभव प्रवणता ज्ञात करने के लिये विभवमापी के तार पर विसर्गी कुंजी J को खिसकाकर वह लम्बाई । ज्ञात कर लेते हैं, जहाँ विसप कुंजी को दबाने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं होता है। यदि मानक सेल का विद्युत वाहक बल Es है तो विभवमापी के सिद्धान्त से
Es = kl
या K = \(\frac{E_{s}}{l}\)
यहाँ यह तथ्य ध्यान रखने योग्य कि विभव प्रवणता मान ज्ञात करने के पश्चात् प्राथमिक परिपथ में कोई परिवर्तन नहीं करना चाहिये।

प्रश्न 6.
विभवमापी का सुग्राहिता किसे कहते हैं ? इसे कैसे बढ़ा सकते हैं ? बताइये।
उत्तर:
विशवमापी की सुग्रहिता (Sensitivity of Potentiometer)

  1. विभवमापी के प्रयोग में तार जॉकी को शून्य विक्षेप स्थिति में थोड़ा-सा ही खिसकाने पर यदि धारामापी में पर्याप्त विक्षेप (sufficient deflection) हो जाये तो विभवमापी सुग्राही (sensitive) होता है।
  2. विभवमापी की सुग्राहिता विभव प्रवणता पर निर्भर करती है। विभव प्रवणता जितनी कम होगी, विभवमापी (rheostat) उतना ही अधिक सुग्राही होता है।
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अत: तार की लम्बाई (L) जितनी अधिक होगी, विभव प्रवणता उतनी । ही कम होगी और विभवमापी अधिक सुग्राही होता है।
V व L के मध्य ग्राफ-चूँकि रेखा का ढाल (slope) = tanθ
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RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 20

प्रश्न 7.
विभवमापी की सहायता से दो प्राथमिक सेलों के वि. वा. बलों की तुलना करने के लिए परिपथ चित्र बनाइये तथा सूत्र प्राप्त करो।
उत्तर:
दो खेलों के विद्युत वाहक बलों की तुलना
(Comparision of Electromotive Forces of Two Cells)
जिन सेलों के विद्युत वाहक बलों E1 वे E2 की तुलना करनी है, उन्हें चित्र 6.19 के अनुसार द्विमार्गी कुंजी (two way key) एवं धारामापी के द्वारा विभवमापी से जोड़ देते हैं। प्राथमिक परिपथ में एक बैटरी, एक कुंजी एवं । परिवर्ती प्रतिरोध (Variable resistance) भी चित्र की भाँति जोड़ देते हैं।

एक प्रतिरोधक बक्से से एक उच्च प्रतिरोध R को लगाया जाता है। ताकि धारामापी से होकर उच्च धाराएँ न जाएँ।
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प्रयोग विधि-
(i) पहले कुंजी K को दबाकर विभवमापी तार AB के सिरों के मध्य विभवान्तर स्थापित कर लेते हैं। अब कुंजी K1 व K2 को बारी-बारी से लगाकर धारा नियन्त्रक (rheostat) को इस प्रकार व्यवस्थित (adjust) करते हैं कि जॉकी को तार के सिरों A व B के मध्य स्पर्श (touch) कराने पर धारामापी में विक्षेप दोनों ओर प्राप्त हो जाये। माना इस स्थिति में तार की विभव प्रवणता k है।
(ii) अब द्विमार्गी कुंजी की कुंजी K2 को खुला रखकर K1 को लगाकर सेल E1 को द्वितीयक परिपथ में जोड़ते हैं और धारामापी में अविक्षेप
स्थिति (no deflection position) ज्ञात करके तार की लम्बाई ! ज्ञात कर लेते हैं, अतः
E1 = kl1 ………………… (1)
(iii) अब K1 को खुला रखकर K2 को लगाकर E2 को द्वितीयक परिपथ में जोड़ते हैं और शून्य विक्षेप (zero deflection) की स्थिति में l2 ज्ञात कर लेते हैं, अतः
E2 = kl2
समी. (i) व (i) से,
\(\frac{\mathrm{E}_{1}}{\mathrm{E}_{2}}=\frac{l_{1}}{l_{2}}\) …………. (3)
यदि दोनों सेलों में कोई एक प्रामाणिक सेल (standard cell) है तो दूसरे सेल का विद्युत वाहक बल भी ज्ञात कर सकते हैं।

विभवमापी व वोल्टमीटर में अन्तर-
(1) वोल्टमीटर द्वारा विद्युत वाहक बल नापने के लिए वोल्टमीटर में विक्षेप पढ़ना पड़ता है। विक्षेप के पढ़ने में त्रुटि (error) रह जाती है, जबकि विभवमापी द्वारा विद्युत वाहक बल अविक्षेप (null) विधि से नापा जाता है, इसे तार पर शून्य विक्षेप स्थिति पढ़ना कहते हैं। अत: विभवमापी को आदर्श वोल्टमीटर (ideal voltmeter) भी कहते हैं।
(2) विभवमापी द्वारा सेल का विद्युत वाहक बल नापते (measurement) समय शून्य विक्षेप स्थिति में सेल के परिपथ में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती, है अर्थात् सेल खुले परिपथ (open circuit) पर होता है। अत: सेल के विद्युत वाहक बल का वास्तविक मान प्राप्त होता है। इस प्रकार विभवमापी अनन्त प्रतिरोध (infinite resistance) के आदर्श (ideal) वोल्टमीटर के समान कार्य करता है।

प्रश्न 8.
1.2 v वि. वा. बल का मानक सेल विभवमापी के 2.40 m तार की लम्बाई पर संतुलित होता है। 3.5 Ω के प्रतिरोध पर विभवान्तर के लिए संतुलन लम्बाई ज्ञात कीजिए जब उसमें 0.2 A धारा प्रवाहित होती हैं। विभव प्रवणता का मान भी ज्ञात करो। [x = 0.5 V/m, l = 1.40 m]
उत्तर:
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प्रश्न 9.
किसी सेल का वि. वा. बल या किसी प्रतिरोधक पर विभवान्तर का यथार्थ मान वोल्टमीटर से ज्ञात नहीं किया जा सकता क्यों ? विभवमापी से यथार्थ मापन कैसे सम्भव है।
उत्तर:
वोल्टमीटर से यथार्थ मान ज्ञात नहीं किया जा सकता क्योंकि विद्युत धारा वास्तविक मान से कम प्रवाहित होती है। जबकि विभवमापी परिपथ से बिना धारा लिये लम्बाई के अनुसार विभवान्तर का मापन करता है।

प्रश्न 10.
मीटर सेतु में सन्तुलन बिन्दु आमतौर पर मध्य भाग में क्यों प्राप्त करना चाहिए ? समझाइये।
उत्तर:
विभुवमापी (Potentiometer)
विभवमापी एक ऐसा उपकरण (instruments) है जिसकी सहायता से हम किसी परिपथ का विभवान्तर या विद्युत वाहक बल को शुद्धता से माप कर सकता है। यह यन्त्र परिपथ से कोई धारा न लेकर विभवान्तर को मापता है। परिपथ में बहने वाली धारा वास्तविक मान से कुछ कम होती है जिसके कारण वोल्टमीटर की तुलना में विभवमापी विभवान्तर को अधिक शुद्धता से मापती है।।

विभवमापी की संरचना (Construction of Potentiometer)
विभवमापी की रचना- विभवमापी में मुख्यतः उच्च विशिष्ट प्रतिरोध (high specific resistance) व निम्न प्रतिरोध ताप गुणांक (low temperature coefficient) की मिश्र धातु (alloys) (जैसे-कॉन्स्टेन्टन या मैगनिन आदि) का 4 से 12 मीटर लम्बा एक समान व्यास (diameter) का एक तार होता है जो चित्र 6.11 की भाँति एक-एक मीटर के फेरों (turns) के रूप में धातु की घिरनियों (pulleys) से होकर गुजरता है। अथवा एक-एक मीटर लम्बे टुकड़े ताँबे की पत्तियों द्वारा सिरों पर जुड़े होते हैं। प्रारंभिक एवं अंतिम सिरे A व B संयोजक पेंचों से जोड़ दिये जाते हैं। तारों की लम्बाई के समान्तर एक मीटर पैमाना लगा रहता है। जिसके द्वारा जॉकी की सहायता से पाठ्यांक (reading) लिया जाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 16

प्रश्न 11.
विभवमापी के तार में लम्बे समय तक विद्युत धारा क्यों नहीं प्रवाहित की जानी चाहिए ?
उत्तर:
क्योंकि अधिक समय तक धारा प्रवाहित करने पर जूल के तापन नियम के अनुसार ताप बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ जाता है जिससे विभव प्रवणता प्रभावित हो जाती है।

प्रश्न 12.
विभवमापी के प्राथमिक परिपथ में विद्युत धारा का मान स्थिर क्यों रखा जाता है ? समझाइये।
उत्तर:
क्योंकि धारा परिवर्तित करने पर विभव प्रवणता मान बदल जाता है जिससे मापन में त्रुटि आ जाती है।

प्रश्न 13.
विभवमापी के उपयोग में लेने के लिए कोई दो सावधानियाँ बताइये।
उत्तर:
विभवमापी के साथ सावधानियाँ (Precautions with Potentiometer)

  1. प्राथमिक परिपथ में लगाये गये सेल का विद्युत वाहक बल सदैव द्वितीयक परिपथ में लगाये गये विद्युत वाहक बल या विभवान्तर से अधिक होना चाहिये अन्यथा शून्य विक्षेप की स्थिति प्राप्त नहीं हो सकेगी।
  2. सभी सेलों के धनात्मक टर्मिनल एक ही बिन्दु पर लगे होने चाहिये।
  3. सन्तुलन की लम्बाई हमेशा धनात्मक टर्मिनल से जुड़े बिन्दु से नापी जाती है।
  4. विभवमापी के तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल सभी जगह एक समान रहना चाहिये क्योंकि विभव प्रवणता समान रहे।
  5. विभवमापी में विद्युत धारा अधिक समय तक प्रवाहित नहीं करना चाहिये क्योंकि धारा अधिक समय तक प्रवाहित होने पर जूल के ताप (H = I2Rt) नियमानुसार से तार ताप बढ़ जायेगा जिससे प्रतिरोध बढ़ जायेगा तथा विभव प्रवणता भी परिवर्तित हो जायेगा।

प्रश्न 14.
विभवमापी द्वारा वोल्टमीटर का अंशशोधन किसे कहते हैं ? आवश्यक परिपथ चित्र बनाइये।
उत्तर:
वोल्टमीटर का अंशशोधन (Calibration of Voltmeter)
किसी परिपथ में विभवान्तर को मापने के लिये वोल्टमीटर का प्रयोग किया जाता है तो वह यथार्थ मान से कुछ कम वोल्टता नापता है जिसके विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे-यान्त्रिक त्रुटियाँ, वोल्टमीटर के पैमाने पर अंकित चिह्नों के सही अंकन नहीं होने, वोल्टमीटर में प्रयुक्त स्प्रिंग नियतांक में असमरूपता आदि के कारण सही प्राप्त नहीं होते हैं। अत: वोल्टमीटर द्वारा प्राप्त त्रुटिपूर्ण प्रेक्षणों की जाँच विभवमापी द्वारा प्राप्त सही प्रेक्षणों से करना वोल्टमीटर का अंशशोधन कहलाता है।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 23
संरचना (Constructions) – परिपथ संरचना के चित्र 6.22 के अनुसार परिपथ को व्यवस्थित करते हैं। विभवमापी का प्राथमिक परिपथ विभवमापी के तार AB के श्रेणीक्रम में सेल, धारा नियंत्रक (Rh1) तथा कुंजी K1 को जोड़कर पूर्ण करते हैं।

द्वितीयक परिपथ में मानक सेल जिसका विद्युत वाहक बल Es है के धन सिरे को विभवमापी के तारे के उच्च विभव के सिरे A से संयोजित करते हैं। एक मानक सेल (Es) तथा धारा नियंत्रक Rh2 कुंजी K2 तथा प्रतिरोध बॉक्स (R.B) श्रेणीक्रम में जोड़ते हैं। R.B का उच्च विभव वाला सिरा विभवमापी के तार बिन्दु A से तथा निम्न विभव का सिरा द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल (3) से जोड़ते हैं। जिसे वोल्टमीटर का अंशशोधन करना है उसे प्रतिरोध बॉक्स के सिरों के मध्य जोड़ दिया जाता है। द्विमार्गी कुंजी का मध्य टर्मिनल 2 धारामापी से होकर विसर्षी कुंजी (J) से जोड़ दिया जाता है।

क्रियाविधि (Working)- सर्वप्रथम प्राथमिक परिपथ को पूर्ण करते हैं तथा द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल । एवं 2 के मध्य कुंजी लगाकर विसर्षी कुंजी J की सहायता से सन्तुलन बिन्दु की लम्बाई ज्ञात करते हैं। माना मानक सेल के विद्युत वाहक बल Es के लिये सन्तुलन लम्बाई (l1) होता
Es = kl1 ……………(1)
या k = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{s}}}{l_{1}}\) ………… (2)
जहाँ k = विभव प्रवणता है।
अब द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 तथा 2 को हटाकर टर्मिनले 2 तथा 3 के मध्य कुंजी लगाकर परिपथ चलाया जाता है। कुंजी K2 को बन्द करके प्रतिरोध बॉक्स से उपयुक्त प्रतिरोध निकालते हैं। धारा नियंत्रक (Rh2) की सहायता से प्रतिरोध में धारा A का इच्छित मान प्रवाहित करके वोल्टमीटर में विक्षेप प्राप्त करते हैं। वोल्टमीटर का यह पाठ्यांक V नोट कर लेते हैं। यह त्रुटिपूर्ण पाठ्यांक होता है। पाठ्यांक V के संगत विभवमापी द्वारा यथार्थ पाठ्यांक ज्ञात करने के लिये विभवमापी के तार पर सन्तुलन लम्बाई l2 प्राप्त करते हैं। इस प्रकार विभवमापी के सिद्धान्त से विभवान्तर का यथार्थ पाठ्यांक निम्नवत् होता है
V2 = kl2 ………(3)
समीकरण (2) से k का मान समीकरण (3) में रखने पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 24
परिपथ में प्रयुक्त प्रतिरोध बॉक्स तथा Rh2 की सहायता से वोल्टमीटर के भिन्न -2 पाठ्यांकों के लिये विभवमापी से प्राप्त विभवान्तर का सही पाठ्यांक ज्ञात करते हैं। वोल्टमीटर के पाठ्यांकों के संगत विभवमापी से प्राप्त विभवान्तर के अन्तर लेकर ΔV ज्ञात कर लेते हैं। त्रुटियों ΔV तथा वोल्टमीटर का मापित पाठ्यांक (V) के मध्य ग्राफ खींचते हैं जो चित्र 6.23 की भांति आता है।

प्रश्न 15.
विभवमापी द्वारा किसी अल्प प्रतिरोध के मापन के लिए आवश्यक परिपथ चित्र बनाइये।
उत्तर:
अल्प प्रतिरोध ज्ञात करना (Determination of Small Resistance)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 25
परिपथ संयोजन (Circuit Connection)-आवश्यक परिपथ चित्र 6.21 के अनुसार संयोजित किया जाता है। पूर्व अनुच्छेदों की तरह प्राथमिक परिपथ करते हैं। द्वितीयक परिपथ तैयार में दर्शाये चित्र के अनुसार अज्ञात अल्प प्रतिरोध (r) को एक ज्ञात प्रतिरोध (R) के श्रेणीक्रम में संयोजित करके इस संयोजन को धारा नियंत्रक (परिवर्ती प्रतिरोध), कुंजी (K2) तथा विद्युत वाहक बल E2 के सेल के श्रेणीक्रम में संयोजित कर देते हैं। ज्ञात प्रतिरोध (R) के तार के उच्च विभव के सिरे A से जोड़ते हैं। R एवं r के निम्न विभव वाले सिरों को एक द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनलों क्रमशः 1 व 3 से जोड़ दिया जाता है। द्विमार्गी कुंजी के मध्य टर्मिनल 2 को धारामापी से होकर विसर्षी कुंजी (J) से जोड़ देते हैं।

क्रियाविधि (Working)- सर्वप्रथम कुंजी (K1) को बन्द किया जाता है। द्वितीयक परिपथ में कुंजी K2 के प्लग को लगा देते हैं तथा द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 व 2 के मध्य प्लग लगा देते हैं। इस स्थिति में ज्ञात प्रतिरोध (R) के सिरों के मध्य विभवान्तर का मापन करते हैं। यदि द्वितीयक परिपथ में विद्युत धारा है तथा R के सिरों पर विभवान्तर माना V1 है तथा तार की लम्बाई l1 हो तो विभवमापी के सिद्धान्त से
V1 = kl1 ……………… (1)
परन्तु ओम के नियमानुसारअत: IR = kl2 …………….. (2)
अत: द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनलों में उन्हें 2 व 3 के साथ संयोजित कर देते हैं। इस स्थिति में ज्ञात प्रतिरोध R तथा अज्ञात प्रतिरोध (r) श्रेणीक्रम में व्यवस्थित हो जाते हैं। दोनों परिपथ में धारा का मान यथावत रखते हुए (R + P) प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर V2 के लिये विभवमापी में तार के सन्तुलन की लम्वाई (l2) हो तो
V2 = kl2 ………………… (3)
ओम के नियमानुसार
I(R + r) = kl2 …………………. (4)
अतः समीकरण (4) व (2) से
IR + lr = kl2
kl1 + Ir = kl2
Ir = k(l2 – l1)
r = k (l2 – l1)/I …………….. (5)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 26

RBSE Class 12 Physics Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किरखॉफ के संधि तथा लूप नियमों का कथन करो। इनकी सहायता से किसी व्हीटस्टोन सेतु के लिए संतुलन अवस्था के लिए प्रतिबन्ध ज्ञात करो। आवश्यक चित्र बनाइये।
उत्तर:
किरचॉफ का प्रथम नियम या संधि नियम
(Kirchhoff’s First Law or Junction Law)
प्रथम नियम–“किसी वैद्युत परिपथ में किसी संधि पर मिलने वाली समस्त धाराओं का बीजगणितीय योग (algebraic sum) शून्य होता है।” अर्थात् ।
Σi = 0 …………… (1)
किसी संधि की ओर आने वाली (incoining) धाराओं को धनात्मक एवं संधि से दूर जाने वाली (outgoing) धाराओं को ऋणात्मक मान लिया जाता है (चित्र 6.1) । संधि O पर मिलने वाली धाराओं के लिए,
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 10
i1 – i2 – i3 + i4 – i5 = 0
या i1 + i4 = i2 + i3 + i5
या संधि की ओर आने वाली धाराओं का योग
= संधि से दूर जाने वाली धाराओं का योग
इस प्रकार किरचॉफ के प्रथम नियम को इस प्रकार भी कह सकते हैं, “किसी परिपथ में किसी संधि की ओर आने वाली धाराओं का योग संधि से दूर जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है।” किरचॉफ का प्रथम नियम आवेश संरक्षण (law of Conservation of Charge) के सिद्धान्त पर आधारित है।

किरचॉफ का द्वितीय नियम या लूप नियम (Kirchhoff’s Second Law or Loop Law)
द्वितीय नियम-“किसी बन्द परिपथ में परिपथ का परिणामी । विद्युत वाहक बल परिपथ के विभिन्न अवयवों (elements) के सिरों | पर उत्पन्न विभवान्तरों के योग के बराबर होता है।” किरचॉफ का यह
नियम ऊर्जा संरक्षण (Law of Conservation of Energy) के सिद्धांत पर आधारित होता है अर्थात्
Σ E = ΣV = ΣiR …………….. (2)

व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone’s Bridge)
इंग्लैण्ड के वैज्ञानिक प्रोफेसर सी. एफ. व्हीटस्टोन (C.F. Wheatstone) ने चार प्रतिरोधों, एक धारामापी एवं एक सेल को जोड़कर एक विशेष प्रकार का परिपथ तैयार किया जो व्हीटस्टोन सेतु के नाम से जाना गया। इसकी सहायता से हम अज्ञात (unknown ) प्रतिरोध का मान ज्ञात कर सकते हैं।
रचना- व्हीटस्टोन सेतु की सैद्धान्तिक रचना चित्र 6.5 में दिखाई गई है। चार प्रतिरोधों P, Q, R, S को जोड़कर एक चतुर्भुज ABCD बनाते हैं। बिन्दुओं A वC के मध्य एक सेल जोड़ देते हैं। बिन्दुओं B व D के मध्य एक धारामापी जोड़ दिया जाता है। K1 बैटरी कुंजी है और K2 धारामापी कुंजी है। यदि कुंजी K, को हम पहले बन्द (close) करें और फिर K, को, तब यदि धारामापी में कोई विक्षेप (deflection) न दें तब इस अवस्था में, होता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 13

व्हीटस्टोन सेतु की संतुलन अवस्था के लिये शर्त (Balance Condition of Wheat stone Bridge Using Kirchhoff’s law)
कुंजी K1 को दबाने पर परिपथ में मुख्य धारा बिन्दु A पर दो भागों में बँट जाती है। धारा i1 प्रतिरोध P से होकर और (i = i1) प्रतिरोध R से होकर गुजरती है। चित्र 6.7 में धाराओं की स्थिति यह मानकर दिखाई गई है कि VB > VD। धारा ig धारामापी वाली भुजा से गुजरती है और बिन्दु D पर R से होकर आने वाली धारा (i – i1) के साथ जुड़ जाती है और प्रतिरोध S में होकर निकलती है। बिन्दु C पर पुन: सभी धाराएँ मिल जाती हैं।

जब सेतु सन्तुलित होता है तो धारामाप वाली भुजा से कोई धारा नहीं। बहती है अर्थात् ।
ig = 0
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 14
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 15

प्रश्न 2.
मीटर सेतु किसे कहते हैं ? यह किस सिद्धान्त पर कार्य करता है? मीटर सेतु की संरचना को समझाते हुए इसकी सहायता से किसी अज्ञात प्रतिरोध को ज्ञात करने का व्यंजक प्राप्त करो। आवश्यक चित्र बनाओ।
उत्तर:
प्राथमिक सेल का आतरिक प्रतिरोध ज्ञात करना
(Determination of Internal Resistance of a Primary Cell)
बैटरी, कुंजी K एवं धारा नियन्त्रक को संयोजक पेंचों A व B से जोड़कर प्राथमिक परिपथ तैयार कर लेते हैं। अब जिस सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करना है उसे और एक प्रतिरोध बॉक्स को चित्र 6.18 की तरह पेंच A व द्विमार्गी कुंजी (two way key) से जोड़ते हैं तथा द्विमार्गी कुंजी को धारामापी एवं जॉकी से जोड़कर द्वितीयक परिपथ (secondary circuit) तैयार करते हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 27
प्रयोग विधि-(i) कुंजी K को बन्द करके तार AB में विभवान्तर (potential difference) स्थापित कर लेते हैं। अब धारा नियन्त्रक को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि जॉकी को तार के सिसे A व B के बीच स्पर्श कराने पर धारामापी में विक्षेप दोनों ओर प्राप्त हो जाये। माना इस स्थिति में तार की विभव प्रवणता k है।
(ii) कुंजी K2 को खुला (open) रखकर K1 को बन्द करके सेल को द्वितीयक परिपथ में डालते हैं और जॉकी से शून्य विक्षेप की स्थिति में तार की लम्बाई l1 ज्ञात कर लेते हैं, अत:
E = kl1 …………… (1)
(iii) अब K1 को बन्द (close) रखते हुए K2 को बन्द करते हैं और प्रतिरोध बॉक्स में कोई समुचित प्रतिरोध (Proper resistance) R लगाकर पुनः अविक्षेप स्थिति में तार की लम्बाई l2 ज्ञात कर लेते हैं। यह सेल के टर्मिनल विभवान्तर के सन्तुलन के संगत है, अतः
V = kl2 ………………. (2)
माना सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r है। यदि सेल को R ओम के प्रतिरोध से शंट करने पर सेल में i धारा बहती है, तो ओम के नियम से
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 28

प्रश्न 3.
किसी सेल के आन्तरिक प्रतिरोध से आप क्या समझते हैं ? विभवमापी की सहायता से किसी सेल का आन्तरिक परिपथ चित्र बनाते हुए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक सेल का आतरिक प्रतिरोध ज्ञात करना
(Determination of Internal Resistance of a Primary Cell)
बैटरी, कुंजी K एवं धारा नियन्त्रक को संयोजक पेंचों A व B से जोड़कर प्राथमिक परिपथ तैयार कर लेते हैं। अब जिस सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करना है उसे और एक प्रतिरोध बॉक्स को चित्र 6.18 की तरह पेंच A व द्विमार्गी कुंजी (two way key) से जोड़ते हैं तथा द्विमार्गी कुंजी को धारामापी एवं जॉकी से जोड़कर द्वितीयक परिपथ (secondary circuit) तैयार करते हैं।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 29
प्रयोग विधि-(i) कुंजी K को बन्द करके तार AB में विभवान्तर (potential difference) स्थापित कर लेते हैं। अब धारा नियन्त्रक को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि जॉकी को तार के सिसे A व B के बीच स्पर्श कराने पर धारामापी में विक्षेप दोनों ओर प्राप्त हो जाये। माना इस स्थिति में तार की विभव प्रवणता k है।
(ii) कुंजी K2 को खुला (open) रखकर K1 को बन्द करके सेल को द्वितीयक परिपथ में डालते हैं और जॉकी से शून्य विक्षेप की स्थिति में तार की लम्बाई l1 ज्ञात कर लेते हैं, अत:
E = kl1 …………… (1)
(iii) अब K1 को बन्द (close) रखते हुए K2 को बन्द करते हैं और प्रतिरोध बॉक्स में कोई समुचित प्रतिरोध (Proper resistance) R लगाकर पुनः अविक्षेप स्थिति में तार की लम्बाई l2 ज्ञात कर लेते हैं। यह सेल के टर्मिनल विभवान्तर के सन्तुलन के संगत है, अतः
V = kl2 ………………. (2)
माना सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r है। यदि सेल को R ओम के प्रतिरोध से शंट करने पर सेल में i धारा बहती है, तो ओम के नियम से
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 30

प्रश्न 4.
वोल्टमीटर या अमीटर के अंशशोधन से क्या तात्पर्य है ? विभवमापी द्वारा वोल्टमीटर अमीटर के अंशशोधन की विधि को समझाइये। आवश्यक परिपथ चित्र बनाओ। अंशशोधन वक़ खींचिये।
उत्तर:
वोल्टमीटर का अंशशोधन (Calibration of Voltmeter)
किसी परिपथ में विभवान्तर को मापने के लिये वोल्टमीटर का प्रयोग किया जाता है तो वह यथार्थ मान से कुछ कम वोल्टता नापता है जिसके विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे-यान्त्रिक त्रुटियाँ, वोल्टमीटर के पैमाने पर अंकित चिह्नों के सही अंकन नहीं होने, वोल्टमीटर में प्रयुक्त स्प्रिंग नियतांक में असमरूपता आदि के कारण सही प्राप्त नहीं होते हैं। अत: वोल्टमीटर द्वारा प्राप्त त्रुटिपूर्ण प्रेक्षणों की जाँच विभवमापी द्वारा प्राप्त सही प्रेक्षणों से करना वोल्टमीटर का अंशशोधन कहलाता है।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 31
संरचना (Constructions) — परिपथ संरचना के चित्र 6.22 के अनुसार परिपथ को व्यवस्थित करते हैं। विभवमापी का प्राथमिक परिपथ विभवमापी के तार AB के श्रेणीक्रम में सेल, धारा नियंत्रक (Rh1) तथा कुंजी K1 को जोड़कर पूर्ण करते हैं।

द्वितीयक परिपथ में मानक सेल जिसका विद्युत वाहक बल Es है के धन सिरे को विभवमापी के तारे के उच्च विभव के सिरे A से संयोजित करते हैं। एक मानक सेल (Es) तथा धारा नियंत्रक Rh2 कुंजी K2 तथा प्रतिरोध बॉक्स (R.B) श्रेणीक्रम में जोड़ते हैं। R.B का उच्च विभव वाला सिरा विभवमापी के तार बिन्दु A से तथा निम्न विभव का सिरा द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल (3) से जोड़ते हैं। जिसे वोल्टमीटर का अंशशोधन करना है उसे प्रतिरोध बॉक्स के सिरों के मध्य जोड़ दिया जाता है। द्विमार्गी कुंजी का मध्य टर्मिनल 2 धारामापी से होकर विसर्षी कुंजी (J) से जोड़ दिया जाता है।

क्रियाविधि (Working)- सर्वप्रथम प्राथमिक परिपथ को पूर्ण करते हैं तथा द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल । एवं 2 के मध्य कुंजी लगाकर विसर्षी कुंजी J की सहायता से सन्तुलन बिन्दु की लम्बाई ज्ञात करते हैं। माना मानक सेल के विद्युत वाहक बल Es के लिये सन्तुलन लम्बाई (l1) होता
Es = kl1 ……………(1)
या k = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{s}}}{l_{1}}\) ………… (2)
जहाँ k = विभव प्रवणता है।
अब द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 तथा 2 को हटाकर टर्मिनले 2 तथा 3 के मध्य कुंजी लगाकर परिपथ चलाया जाता है। कुंजी K2 को बन्द करके प्रतिरोध बॉक्स से उपयुक्त प्रतिरोध निकालते हैं। धारा नियंत्रक (Rh2) की सहायता से प्रतिरोध में धारा A का इच्छित मान प्रवाहित करके वोल्टमीटर में विक्षेप प्राप्त करते हैं। वोल्टमीटर का यह पाठ्यांक V नोट कर लेते हैं। यह त्रुटिपूर्ण पाठ्यांक होता है। पाठ्यांक V के संगत विभवमापी द्वारा यथार्थ पाठ्यांक ज्ञात करने के लिये विभवमापी के तार पर सन्तुलन लम्बाई l2 प्राप्त करते हैं। इस प्रकार विभवमापी के सिद्धान्त से विभवान्तर का यथार्थ पाठ्यांक निम्नवत् होता है
V2 = kl2 ………(3)
समीकरण (2) से k का मान समीकरण (3) में रखने पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 32
परिपथ में प्रयुक्त प्रतिरोध बॉक्स तथा Rh2 की सहायता से वोल्टमीटर के भिन्न -2 पाठ्यांकों के लिये विभवमापी से प्राप्त विभवान्तर का सही पाठ्यांक ज्ञात करते हैं। वोल्टमीटर के पाठ्यांकों के संगत विभवमापी से | प्राप्त विभवान्तर के अन्तर लेकर ΔV ज्ञात कर लेते हैं। त्रुटियों ΔV तथा वोल्टमीटर का मापित पाठ्यांक (V) के मध्य ग्राफ खींचते हैं जो चित्र 6.23 की भांति आता है।

अमीटर का अंशशोधन (Calibration of Ammeter)
किसी विद्युत परिपथ में अमीटर से प्राप्त विद्युत धारा के पाठ्यांकों की विभवमापी से प्राप्त यथार्थ पाठ्यांकों से जाँच करने की प्रक्रिया को अमीटर का अंशशोधन कहते हैं।
परिपथ संरचना (Circuit Connection)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 33
अमीटर के अंशशोधन के लिये आवश्यक परिपथ चित्र में दर्शाये गये चित्र के अनुसार संयोजित करते हैं। यहाँ परिपथ में प्रतिरोध बॉक्स के स्थान पर 12 की कुण्डली लगायी जाती है तथा वोल्टमीटर के स्थान पर इस 1Ω कुण्डली के श्रेणीक्रम में अमीटर लिया गया है जिसका अंशशोधन करना है। अमीटर को द्वितीयक परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।

क्रियाविधि (Working)- प्राथमिक परिपथ की कुंजी K1 में डॉट लगाते हैं तथा द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 तथा 2 के मध्य डॉट लगाकर मानक सेल के विद्युत वाहक बल (Es) के लिये विभवमापी तार पर संतुलन लम्बाई ज्ञात कर लेते हैं। माना सन्तुलन विधि की लम्बाई l1 है तो
Es = k.l1
∴ k = \(\frac{E_{s}}{l_{1}}\) ………………. (1)
समीकरण की सहायता से विभव प्रवणता k ज्ञात कर लेते हैं। यह विभवमापी का मानकीकरण है। प्राथमिक परिपथ में परिवर्तन किये बिना अब द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 तथा 2 के मध्य से डॉट हटाकर टर्मिनल 2 तथा 3 के मध्य लगाते हैं एवं द्वितीयक परिपथ में कुंजी K2 में डॉट लगाकर धारा प्रवाहित करते हैं। धारा नियंत्रक Rh2 की सहायता से 1Ω की कुण्डली में इच्छित धारा (1) प्रवाहित करते हैं। इसे नोट कर लिया जाता है। यह धारा का त्रुटिपूर्ण मान है।

ओम के नियम से एक ओम की कुण्डली में बहने वाली धारा कुण्डली के सिरों पर विभवान्तर के तुल्य है। 1Ω के सिरों पर विभवान्तर V2 के लिये सन्तुलन की लम्बाई l2 है तो
V2 = kl2 ………… (2)
परन्तु ओम के नियम से
V2 =I2 × R लेकिन R = 1Ω
∴ V2 = I2 ………… (3)
∴ समीकरण (2) तथा (3) से
I2 = kl2
समीकरण (I) से k का मान रखने पर
I2 = \(\frac{E_{s}}{l_{1}}\) × l2
I2 धारा विभवमापी द्वारा नापी गयी धारा का यथार्थ मान है। इस प्रकार अमीटर के द्वारा मापे गये धारा के त्रुटिमान ΔI = I2 – I ज्ञात करते हैं। अब अमीटर के भिन्न-भिन्न पाठ्यांकों के लिये विभवमापी द्वारा सही मान ज्ञात करके अंमीटर के पाठ्यांकों के संगत त्रुटियाँ (ΔI) ज्ञात करते हैं। अब त्रुटियों (ΔI) तथा अमीटर के मापित पाठ्यांक के मध्य आरेख खींचते हैं। जिसे अमीटर का अंशशोधन वक्र कहते हैं। अंशशोधन वक्र एक निश्चित आकृति को प्राप्त न होकर अभियक्षित (Zig-Zig) आकृति का हो सकता
है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 34

प्रश्न 5.
विभवमापी क्या है ? इसका सिद्धान्त समझाइये। विभवमापी की सहायता से किसी अल्प प्रतिरोध का मापन करने की विधि का वर्णन करते हुए सूत्र प्राप्त कीजिए। आवश्यक परिपथ चित्र बनाइये।
उत्तर:
विभुवमापी (Potentiometer)
विभवमापी एक ऐसा उपकरण (instruments) है जिसकी सहायता से हम किसी परिपथ का विभवान्तर या विद्युत वाहक बल को शुद्धता से माप कर सकता है। यह यन्त्र परिपथ से कोई धारा न लेकर विभवान्तर को मापता है। परिपथ में बहने वाली धारा वास्तविक मान से कुछ कम होती है जिसके कारण वोल्टमीटर की तुलना में विभवमापी विभवान्तर को अधिक शुद्धता से मापती है।।

विभवमापी की संरचना (Construction of Potentiometer)
विभवमापी की रचना- विभवमापी में मुख्यतः उच्च विशिष्ट प्रतिरोध (high specific resistance) व निम्न प्रतिरोध ताप गुणांक (low temperature coefficient) की मिश्र धातु (alloys) (जैसे-कॉन्स्टेन्टन या मैगनिन आदि) का 4 से 12 मीटर लम्बा एक समान व्यास (diameter) का एक तार होता है जो चित्र 6.11 की भाँति एक-एक मीटर के फेरों (turns) के रूप में धातु की घिरनियों (pulleys) से होकर गुजरता है। अथवा एक-एक मीटर लम्बे टुकड़े ताँबे की पत्तियों द्वारा सिरों पर जुड़े होते हैं। प्रारंभिक एवं अंतिम सिरे A व B संयोजक पेंचों से जोड़ दिये जाते हैं। तारों की लम्बाई के समान्तर एक मीटर पैमाना लगा रहता है। जिसके द्वारा जॉकी की सहायता से पाठ्यांक (reading) लिया जाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 35

अल्प प्रतिरोध ज्ञात करना (Determination of Small Resistance)
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 36
परिपथ संयोजन (Circuit Connection)-आवश्यक परिपथ चित्र 6.21 के अनुसार संयोजित किया जाता है। पूर्व अनुच्छेदों की तरह प्राथमिक परिपथ करते हैं। द्वितीयक परिपथ तैयार में दर्शाये चित्र के अनुसार अज्ञात अल्प प्रतिरोध (r) को एक ज्ञात प्रतिरोध (R) के श्रेणीक्रम में संयोजित करके इस संयोजन को धारा नियंत्रक (परिवर्ती प्रतिरोध), कुंजी (K2) तथा विद्युत वाहक बल E2 के सेल के श्रेणीक्रम में संयोजित कर देते हैं। ज्ञात प्रतिरोध (R) के तार के उच्च विभव के सिरे A से जोड़ते हैं। R एवं r के निम्न विभव वाले सिरों को एक द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनलों क्रमशः 1 व 3 से जोड़ दिया जाता है। द्विमार्गी कुंजी के मध्य टर्मिनल 2 को धारामापी से होकर विसर्षी कुंजी (J) से जोड़ देते हैं।

क्रियाविधि (Working)- सर्वप्रथम कुंजी (K1) को बन्द किया जाता है। द्वितीयक परिपथ में कुंजी K2 के प्लग को लगा देते हैं तथा द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 व 2 के मध्य प्लग लगा देते हैं। इस स्थिति में ज्ञात प्रतिरोध (R) के सिरों के मध्य विभवान्तर का मापन करते हैं। यदि द्वितीयक परिपथ में विद्युत धारा । है तथा R के सिरों पर विभवान्तर माना V1 है तथा तार की लम्बाई l1 हो तो विभवमापी के सिद्धान्त से
V1 = kl1 ……………… (1)
परन्तु ओम के नियमानुसारअत: IR = kl2 …………….. (2)
अत: द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनलों में उन्हें 2 व 3 के साथ संयोजित कर देते हैं। इस स्थिति में ज्ञात प्रतिरोध R तथा अज्ञात प्रतिरोध (r) श्रेणीक्रम में व्यवस्थित हो जाते हैं। दोनों परिपथ में धारा का मान यथावत रखते हुए (R + r) प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर V2 के लिये विभवमापी में तार के सन्तुलन की लम्वाई (l2) हो तो
V2 = kl2 ………………… (3)
ओम के नियमानुसार
I(R + r) = kl2 …………………. (4)
अतः समीकरण (4) व (2) से
IR + lr = kl2
kl1 + Ir = kl2
Ir = k(l2 – l1)
r = k (l2 – l1)/I
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 37

RBSE Class 12 Physics Chapter 6 आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
चित्र में दर्शाये गए प्रतिरोधकों का बिन्दु a एवं b के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 38
हल:
चित्र को संयोजित करने पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 39
यह परिपथ व्हीटस्टोन सेतु की शर्त का पालन करता है इसलिये cd भुजा का प्रतिरोध काम नहीं करेगा। अत: उसे हटाना पड़ता है। अतः परिपथ चित्र
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 40
पथ acb के प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर
R1 = R + R = 2R
पथ adb के प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर
R2 = R + R = 2R
R1 तथा R2 को समान्तर क्रम में जोड़ने पर
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 41

प्रश्न 2.
चित्र में मीटर सेतु को संतुलित अवस्था में दर्शाया गया है। मीटर सेतु के तार का प्रतिरोध 1Ω/cm है। अज्ञात प्रतिरोध X तथा इसमें प्रवाहित विद्युत धारा का मान ज्ञात कीजिए।
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 42
हल:
मीटर सेतु की शर्त के अनुसार
RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 6 विद्युत परिपथ 43

प्रश्न 3.
व्हीटस्टोन सेतु की चार भुजाओं के चित्रानुसार प्रतिरोध निम्नवत् हैं
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AB = 100 Ω, BC = 10 Ω, CD = 5Ω तथा DA = 60 Ω
15 Ω के एक गैल्वेनोमीटर को BD के मध्य जोड़ा गया है। गैल्वेनोमीटर में प्रवाहित होने वाली धारा परिकलित कीजिए। A तथा C के मध्य 10 v विभवान्तर है।
हल:
बन्द पाश ABDA
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प्रश्न 4.
चित्र में दर्शाये गए परिपथ में प्रतिरोध R का मान क्या लिया जाए कि अमीटर (A) में प्रवाहित धारा शून्य हो।
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हल:
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अत: परिपथ व्हीटस्टोन ब्रिज को प्रदर्शित करता है। अंत: R वाली भुजा में कोई धारा प्रवाहित नहीं होगी।
∴ R में प्रवाहित धारा = 0

प्रश्न 5.
एक विभवमापी के तार की लम्बाई है तथा इसके प्राथमिक परिपथ में 2.5V की एक बैटरी एवं 10Ω के प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। प्रयोग में 1.0 V वि, बा, बल के लिए सन्तुलन लम्बाई l/2 प्राप्त होती है। यदि प्राथमिक सेल में लगे प्रतिरोध का मान दुगना कर दिया जाए तो नई संतुलन लम्बाई का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
तार की लम्बाई = L
विभव (V) = 2.5V
माना कि बैटरी के श्रेणीक्रम में R1 ओम का प्रतिरोध लगा है। परिपथ में प्रवाहित धारा i है तो
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प्रश्न 6.
व्हीटस्टोन सेतु की भुजाओं में प्रतिरोध चित्र में दर्शाए गए अनुसार लगे हुए हैं। चित्र में X का मान कितना होना चाहिए कि व्हीटस्टोन सेतु संतुलित अवस्था में हो जाए ?
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हल:
X तथा 100Ω का समान्तर क्रम में तुल्य प्रतिरोध
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प्रश्न 7.
एक 1.1 v वि. वा. बल का मानक सेल विभवमापी तार की 0.88 m की लम्बाई पर सन्तुलित होता है। एक ओम प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर विभवमापी के तार की 0.20 m लम्बाई पर संतुलित होता है। यदि परिपथ के श्रेणीक्रम में जुड़े अमीटर का पाठ्यांक 0.20 A प्राप्त हो तो अमीटर की त्रुटि ज्ञात कीजिए।
हल:
विभवमापी के सिद्धान्त से धारा (I2)
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प्रश्न 8.
विभवमापी के एक प्रयोग में 1.25 v वि. वा. बेल की एक सेल के लिए सन्तुलन लम्बाई 4.25 m प्राप्त होती है। एक अन्य सेल के लिए सन्तुलन लम्बाई 6.80 m प्राप्त होती है। दूसरी सेल का वि. वा. बल ज्ञात कीजिए। हल:
विभवमापी में सेलों की विद्युत वाहक बलों की तुलना से
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प्रश्न 9.
10 m लम्बे विभवमापी के तार का प्रतिरोध 1Ω/m है। इसके श्रेणीक्रम में 2.2 V व नगण्य आन्तरिक प्रतिरोध का संचायक सेल एवं एक उच्च प्रतिरोध जोड़े गए हैं। विभवमापी के तार पर 2.2 mV/m विभव प्रवणता प्राप्त करने के लिए उच्च प्रतिरोध का मान कितना लेना पड़ेगा ?
हल:
विभवमापी के तार की लम्बाई (I) = 10 m
तार के प्रतिरोध का घनत्व = 1Ω/m
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1000 = R+ 10
R = 990Ω

प्रश्न 10.
विभवमापी प्रयोग में E1 व E2 वि. वा. बल (E1 > E2) के दो सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर सन्तुलन लम्बाई 60 cm पर प्राप्त होती है। यदि कम वोल्टता के सेल के टर्मिनलों को उल्टा कर दिया जाए तो संयोजन की सन्तुलित लम्बाई 20 cm प्राप्त होती है। सेलों के वि. वा. बलों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
माना विभवमापी की प्रवणता (k) है।
E1 + E2 = k60 ………….(1)
कम वोल्टता के टर्मिनल को बदलने पर
E1 – E2 = k × 20 ……………… (2)
समी. (1) व (2) को जोड़ने पर
2E1 =k × 80
E1 = k40 …………………. (3)
समी. (1) में रखने पर–
k40 + E2 = k60
E2 = 20 k …………….. (4)
समी. (3)/(4)
\(\frac{E_{1}}{E_{2}}=\frac{k \times 40}{k 20}=\frac{2}{1}\)

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