RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 31 क्षेत्रीय संगठन-आसियान एवं सार्क

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 क्षेत्रीय संगठन-आसियान एवं सार्क

RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 बहुंचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्क की स्थापना कब हुई?
(अ) 1985
(ब) 1995
(स) 2004
(द) 1947

प्रश्न 2.
सार्क का मुख्यालय किस शहर में है?
(अ) ढाका
(ब) कोलम्बो
(स) काठमांडू
(द) मुंबई

प्रश्न 3.
साफ्टा क्या है?
(अ) दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र
(ब) दक्षिण एशिया मुक्त टेनिस एसोशियेसन
(स) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक एजेंसी
(द) इनमें से कोई नहीं

उतर:
1. (अ), 2. (स), 3. (अ)

RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
SAARCE का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
South Asian Association for Regional Co-operation.

प्रश्न 2.
SAFTA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
South Asian Free Trade Area.

प्रश्न 3.
ASEAN का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
Association of South East-Asian Nations.

प्रश्न 4.
आसियान की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
आसियान की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को हुई।

RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 31 क्षेत्रीय संगठन-आसियान एवं सार्क

RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 लघूउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आसियान के संगठन के बारे में बताइए।
उत्तर:
आसियान का संगठन – आसियान के संगठन को निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं

  1.  आसियान की स्थापना 8 अगस्त, 1967 में 5 देशों ने क्षेत्रीय सहयोग के उद्देश्य से असैनिक संगठन के रूप
    में की।
  2. इसके प्रारम्भिक सदस्यों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर तथा थाईलैंड शामिल थे। 1984 में ब्रूनेई भी आसियान का सदस्य बन गया।
  3. 24 जुलाई, 1996 में भारत को पूर्ण संवाद सहभागी’ बना दिया गया है। चीन तथा रूस को भी भारत के समान पूर्ण संवाद सहभागी बना दिया गया।
  4. आसियान का सचिवालय जकार्ता में है और उसका अध्यक्ष महासचिव होता है।
  5. अब तक आसियान की सहयोगी संस्था एशियाई क्षेत्रीय फोरम के संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान तथा उत्तरी कोरिया सहित कुल 23 सदस्य हैं।

प्रश्न 2.
आसियान के कार्य एवं भूमिका को समझाइए। उत्तर-आसियान के कार्य एवं भूमिका

  1. आसियान का कार्यक्षेत्र निरंतर बढ़ रहा है, यह राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी तथा प्रशासनिक आदि सभी क्षेत्रों में सक्रिय है।
  2. आसियान के सदस्य देश अपनी वैयक्तिक कार्य प्रणालियों को क्षेत्रीय आधार पर सुलझाने का प्रयास करते हैं।
  3. सन् 1969 में संचार व्यवस्था एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए आसियान के सदस्यों ने एक अनुबन्ध किया, जिसके अंतर्गत सभी देशों में रेडियो एवं दूरदर्शन के विभिन्न कार्यक्रमों का आदान-प्रदान किया जाना तय किया गया।
  4. पर्यटन के क्षेत्र में ‘आसियण्टा’ नामक सामूहिक संगठन की स्थापना की गई, जो इन देशों में बिना किसी वीजा के परस्पर पर्यटन पर बल देता है।
  5. किसानों को आधुनिक तकनीकी शिक्षा देने के ठोस कदम उठाए हैं।

प्रश्न 3.
सार्क की स्थापना क्यों की गई ?
उत्तर:
सार्क की स्थापना निम्नलिखित कारणों से की गई है–

  1. जनता के कल्याण के लिए – सार्क का सर्वप्रथम उद्देश्य आम जनता के कल्याण पर ध्यान देना है, जिसके लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया।
  2. जीवन – स्तर में सुधार-सार्क की स्थापना लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए भी की गयी थी, जिससे समाज के समस्त नागरिकों का अधिकतम विकास हो सके तथा उचित प्रकार से अपने जीवन का निर्वाह कर सकें।
  3. समस्याओं के समाधान के लिए – सार्क की स्थापना के पीछे एक कारण यह भी था, कि समाज में व्याप्त अनेक समस्याएँ जैसे आतंकवाद व अन्य जटिल समस्याओं का समाधान किया जाए, जिससे समाज में शान्ति का वातावरण उत्पन्न हो सके।

प्रश्न 4.
साफ्टा क्या है ?
उत्तर:
साफ्टा को पूर्ण नाम ‘South Asian Free Trade Area (SAFTA) है। दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र इसका हिन्दी रूपान्तर है। SAFTA की स्थापना पर सर्वप्रथम सन् 1995 में दक्षेस मंत्री परिषद् की बैठक में सहमति बनी। सन् 1998 में दक्षेस के 10वें शिखर सम्मेलन में एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय हुआ, जिसका कार्य साफ्टा की पृष्ठभूमि बनाना था। अंततः सन् 2004 में 12 वें शिखर सम्मेलन में इस्लामाबाद में साफ्टा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और यह समझौता जनवरी 2006 से लागू हो गया था।

इस समझौते के अन्तर्गत दक्षेस के सदस्य राष्ट्रों से यह अपेक्षा थी, कि वे सन् 2009 तक अपने करों में 20 प्रतिशत तक की कमी करें, परन्तु ऐसा पाकिस्तान की नीतियों के कारण सम्भव नहीं हो सका। दक्षेस राष्ट्रों के मध्य आपस का कुल व्यापार उन देशों के सकल घरेलू उत्पाद के मात्र 1 प्रतिशत के आसपास ही है। जबकि आसियान के राष्ट्रों के बीच यही 10 प्रतिशत तक है।

प्रश्न 5.
सार्क सदस्य राष्ट्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सन् 1985 में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की स्थापना की गई। इसकी स्थापना ढाका में हुई तथा इसका सचिवालय काठमांडू में स्थापित है। मूलरूप से सार्क के प्रारम्भ में सात सदस्य देश हैं – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान तथा मालदीव। 3 अप्रैल 2007 में अफगानिस्तान दक्षेस का 8वाँ सदस्य देश बना। इस प्रकार सार्क के 8 सदस्य देश हैं। दक्षेस की हिस्सेदारी विश्व जनसंख्या में 21 प्रतिशत, क्षेत्रफल 3 प्रतिशत तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में 9.12 प्रतिशत है। दक्षेस स्वयं भी संयुक्त राष्ट्र संघ में एक पर्यवेक्षक है।

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RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आसियान संगठन पर लेख लिखिए।
उत्तर:
आसियान का संगठन एवं ढाँचा – आसियान संगठन का पूरा नाम क्षिण – पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ (Association of South-East Asian Nations) है। इस संगठन की स्थापना 8 अगस्त 1967 को 5 देशों ने क्षेत्रीय सहयोग के उद्देश्य से असैनिक संगठन के रूप में की। इसके 5 प्रारंभिक देश थे – इण्डोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर एवं थाईलैण्ड। आसियान का संगठन-आसियान के सदस्य राष्ट्रों में म्यांमार, ब्रूनेई, थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, लाओस, मलेशिया, सिंगापुर, कम्पूचिया, भारत, वियतनाम, फिलीपीन्स सम्मिलित हैं।

प्रारम्भ में भारत को भी आसियान का आंशिक सहयोगी बनाया गया। 24 जुलाई, 1996 में भारत को पूर्ण संवाद सहभागी’ बना दिया गया है। चीन और रूस को भी भारत के समान पूर्ण संवाद सहभागी बना दिया गया है। आसियान की मुख्यालय जकार्ता (इण्डोनेशिया) में है और उसका अध्यक्ष महासचिव होता है। महासचिव दो वर्ष के लिए चुना जाता है। अब तक आसियान की सहयोगी संस्था एशियाई क्षेत्रीय फोरम के अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया सहित कुल 23 सदस्य हैं।

आसियान की प्रकृति एवं उद्देश्य – आसियान के सदस्य राष्ट्रों की कुछ चुनौतियां एक जैसी हैं। एवं इन चुनौतियों का सामूहिक मुकाबला करने के लिए ही यह संगठन अस्तित्व में आया। इन देशों के समक्ष बढ़ती हुई जनसंख्या, गरीबी,

  1. अनुच्छेद 1-इसमें सार्क के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है जो निम्नलिखित है-
    • दक्षिण एशिया क्षेत्र की जनता के कल्याण तथा उनके जीवन-स्तर में सुधार करना।
    • दक्षिण एशिया के देशों की सामूहिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि करना।
    • क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना।
    • आपसी विश्वास, सूझ-बूझ एवं एक-दूसरे की समस्याओं का मूल्यांकन करना।
    • आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षेत्र में सक्रिय सहयोग एवं पारस्परिक सहायता में वृद्धि करना।
    • अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग में वृद्धि करना एवं
    • सामान्य हित के मामलों पर अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग मजबूत करना।
  2. अनुच्छेद 2 – इसमें सार्क के मुख्य सिद्धांतों का वर्णन है। इसके अन्तर्गत सहयोग, समानता, क्षेत्रीय अखंडता, परस्पर आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप आदि सम्मिलित है।
  3. अनुच्छेद 3 – इसमें दक्षेस के राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन का प्रावधान है।
  4. अनुच्छेद 4-इसमें सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के परिषद का प्रावधान है जिसकी वर्ष में दो बैठक आवश्यक
  5. अनुच्छेद 5-इसमें एक स्थायी समिति का प्रावधान है जिसमें सदस्य देशों के विदेश सचिव सम्मिलित होते हैं। इसकी वर्ष में एक बैठक
  6. अनिवार्य है। यह सहयोग के क्षेत्रों की पहचान एवं उसकी प्रगति की देखरेख का कार्य करती है।
  7. अनुच्छेद 6 – इसमें तकनीकी समितियों का प्रावधान है जो क्षेत्रीय सहयोग के नवीन विषयों एवं समन्वय का कार्य करते हैं।
  8. अनुच्छेद 7 – इसमें कार्यकारी समिति का प्रावधान है।
  9. अनुच्छेद 8 – इसमें दक्षेस सचिवालय का प्रावधान है जिसकी स्थापना 1987 में की गई। इसका मुख्यालय काठमांडू में है। इसका एक महासचिव होता है जिसका कार्यकाल 2 वर्ष का होता है। सचिवालय के अतिरिक्त सहयोग के लिए 12 क्षेत्रीय केन्द्र विभिन्न सदस्य देशों में बनाए गए हैं, इसके अतिरिक्त अन्य सामाजिक, आर्थिक और साहित्यिक सहयोग की दृष्टि से 6 अन्य उच्च स्तरीय संस्थाएं एवं 17 मान्य संस्थाएं भी स्थापित की गई हैं।
  10. अनुच्छेद 9 व 10 – यह दोनों दक्षेस के वित्तीय संस्थानों एवं अंशदानों का प्रावधान करते हैं।

 RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 बहुंचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्यूबेक सम्मेलन किस वर्ष हुआ?
(अ) 1953
(ब) 1954
(स) 1955
(द) 1956

प्रश्न 2.
रबर उत्पादन में किस देश का नाम अग्रणी है?
(अ) चीन
(ब) मलेशिया
(स) भारत
(द) ब्रुनेई

प्रश्न 3.
साम्यवादी विचारधारा किस देश में सर्वाधिक पायी जाती है
(अ) म्यांमार
(ब) वियतनाम
(स) चीन
(द) लाओस

प्रश्न 4.
ब्रुनेई किस वर्ष आसियान का सदस्य बना?
(अ) 1981
(ब) 1982
(स) 1983
(द) 1984

प्रश्न 5.
कम्बोडिया को ASEAN को पूर्णकालिक सदस्य कब बनाया गया?
(अ) 1999
(ब) 1989
(स) 1979
(द) 1969

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प्रश्न 6.
ASEAN का अध्यक्ष कहलाता है?
(अ) सचिव
(ब) महासचिव
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं

प्रश्न 7.
आसियान का पहला शिखर सम्मेलन कहाँ आयोजित किया गया था?
(अ) रूस
(ब) चीन
(स) बाली
(द) जापान

प्रश्न 8.
आसियान के कितने सदस्य राष्ट्र हैं?
(अ) 4
(ब) 6
(स) 8
(द) 10

प्रश्न 9.
दुनिया के कितने देश ‘Asian Regional Forum’ के सदस्य हैं?
(अ) 23
(ब) 24
(स) 25
(द) 26

प्रश्न 10.
दक्षेस का 8वाँ सदस्य देश कौन-सा है?
(अ) पाकिस्तान
(ब) अफगानिस्तान
(स) तजाकिस्तान
(द) कजाकिस्तान

प्रश्न 11.
दक्षेस के घोषणा – पत्र पर सहमति किस वर्ष बनी?
(अ) 1983
(ब) 1984
(स) 1985
(द) 1986

प्रश्न 12.
दक्षेस के घोषणा-पत्र के किस अनुच्छेद में राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन का प्रावधान है?
(अ) अनुच्छेद 1
(ब) अनुच्छेद 5
(स) अनुच्छेद 4
(द)अनुच्छेद 3

प्रश्न 13.
दक्षेस के महासचिव का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
(अ) 2 वर्ष
(ब) 3 वर्ष
(स) 5 वर्ष
(द) 1 वर्ष

प्रश्न 14.
साफ्टा की स्थापना पर सर्वप्रथम किस वर्ष सहमति बनी?
(अ) 1994 ई.
(ब) 1995 ई.
(स) 2004 ई.
(द) 2016 ई.

प्रश्न 15.
निम्न में से किस वर्ष इस्लामाबाद में साफ्टा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए?
(अ) 2000 ई.
(ब) 2001 ई.
(स) 2016 ई.
(द) 2004 ई.

प्रश्न 16.
नई दिल्ली में दक्षेस का शिखर सम्मेलन किस वर्ष हुआ?
(अ) 1988
(ब) 1989
(स) 1990
(द) 1991

प्रश्न 17.
दक्षेस का मुख्यालय कहाँ है?
(अ) रूस
(ब) जापान
(स) चीन
(द) काठमांडू

उतर:
1. (अ), 2. (ब), 3. (स), 4. (द), 5. (अ), 6. (ब), 7. (स), 8. (द), 9. (अ), 10. (ब),
11. (स), 12. (द), 13. (अ), 14. (ब), 15. (स), 16. (अ), 17. (द)।

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RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘दक्षिण पूर्वी एशिया’ शब्द की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर:
विश्व राजनीति में ‘दक्षिण पूर्वी एशिया’ शब्द की उत्पत्ति द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् हुई है।

प्रश्न 2.
दक्षिण पूर्वी एशिया क्यों अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर:
दक्षिण पूर्वी एशिया सामरिक व भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर को प्रशान्त महासागर से मिलाने वाले समुद्री मार्ग पर स्थित है और एशिया व आस्ट्रेलिया को प्राकृतिक पुल के द्वारा आपस में जोड़ता है।

प्रश्न 3.
किस क्षेत्र को ‘एशिया का चावल का कटोरा’ कहा जाता है।
उत्तर:
दक्षिण पूर्वी एशिया’ के क्षेत्र को ‘एशिया का चावल का कटोरा’ कहा जाता है।

प्रश्न 4.
चीन में किस वर्ष साम्यवादी शासन की स्थापना हुई ?
उत्तर:
1949 ई. में चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई।

प्रश्न 5.
आसियान के प्रारंभिक सदस्य देशों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. इण्डोनेशिया
  2. मलेशिया
  3. फिलीपीन्स
  4. सिंगापुर
  5. थाईलैण्ड।

प्रश्न 6.
भारत आसियान का पूर्ण संवाद सहभागी सदस्य कब बना।
उत्तर:
जुलाई 1996 में।।

प्रश्न 7.
आसियान का संचिवालय कहाँ स्थित है?
उत्तर:
जकार्ता (इण्डोनेशिया) में।

प्रश्न 8.
आसियान के अध्यक्ष को कितने वर्षों के लिए चुना जाता है ?
उत्तर:
आसियान के अध्यक्ष (महासचिव) को दो वर्षों के लिए चुना जाता है।

प्रश्न 9.
आसियान के निर्माण का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
आसियान के निर्माण का मुख्य उद्देश्य दक्षिण पूर्वी एशिया में आर्थिक प्रगति को गति प्रदान करना और सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को स्थायित्व प्रदान करना है।

प्रश्न 10.
आसियान का प्रथम शिखर सम्मेलन कब व कहाँ आयोजित हुआ?
उत्तर:
1976 ई. में बाली (इण्डोनेशिया) में।

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प्रश्न 11.
आसियान के सदस्य राष्ट्रों के समक्ष उपस्थित कोई दो समस्याओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. तीव्रगति से बढ़ती जनसंख्या,
  2. निर्धनता।

प्रश्न 12.
‘आसियण्टा’ किस क्षेत्र से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
आसियण्टा’ एक सामूहिक संगठन है जो पर्यटन के क्षेत्र से सम्बन्धित है।

प्रश्न 13.
आसियान के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:

  1. संचार व्यवस्था व सांस्कृतिक गतिविधियों का विकास करना,
  2. किसानों को कृषि की नवीनतम तकनीकी शिक्षा देना।

प्रश्न 14.
‘Act-East’ की नीति के तहत नरेन्द्र मोदी जी का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर:
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी ‘Act – East’ की नीति के तहत दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ प्रगाढ़ता को बढ़ाना चाहते हैं।

प्रश्न 15.
लाओस की राजधानी का क्या नाम है ?
उत्तर:
लाओस की राजधानी का नाम वियनतियाने है।

प्रश्न 16. आर्थिक सहयोग में आसियान की धीमी गति होने का क्या कारण है ?
उत्तर:
आर्थिक सहयोग में आसियान की गति धीमी होने का कारण सदस्य राष्ट्रों के पास आवश्यक पूँजी एवं क्रय शक्ति का कम होना है।

प्रश्न 17.
दक्षेस की हिस्सेदारी में विश्व जनसंख्या का कितना प्रतिशत शामिल है ?
उत्तर:
दक्षेस की हिस्सेदारी में विश्व जनसंख्या का 21 प्रतिशत शामिल है।

प्रश्न 18.
वैश्विक अर्थव्यवस्था में दक्षेस की कितनी भागीदारी है?
उत्तर:
9.12 प्रतिशत।

प्रश्न 19.
दक्षेस के चार्टर में कितनी धाराएँ हैं ?
उत्तर:
दक्षेस के चार्टर में कुल 10 धाराएँ हैं।

प्रश्न 20.
दक्षेस में अतिरिक्त सहयोग के लिए कितने क्षेत्रीय केन्द्र स्थापित किए गए हैं ?
उत्तर:
सचिवालय के अतिरिक्त सहयोग के लिए 12 क्षेत्रीय केन्द्र विभिन्न सदस्य देशों में बनाए गए हैं।

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RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिणी – पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) की स्थापना क्यों हुई? .
उत्तर:
दक्षिणी – एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) की स्थापना – इस संगठन की स्थापना 8 अगस्त 1967 को हुई। इसके सदस्य देशों में थाईलैण्ड, म्यांमार, इण्डोनेशिया, ब्रुनेई, लाओस, मलेशिया, कम्पूचिया, सिंगापुर, वियतनाम, फिलीपीन्स सम्मिलित हैं। ये सब दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश हैं। दक्षिणी-पूर्वी एशिया सामरिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् तत्कालीन विश्व शक्ति ब्रिटेन की शक्ति के पराभव के पश्चात् यह क्षेत्र शक्ति शून्य हो गया एवं चीन इस शून्यता को भरने के प्रयास करने लगी।

चीन की विस्तारवादी नीति के कारण दक्षिण – पूर्वी एशिया के सभी छोटे – बड़े देश चीन के प्रति आशंकित रहने लगे। 1949 ई. में चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई। जिसका प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष प्रभाव इस क्षेत्र पर पड़ी। इन देशों ने चीन की बढ़ती हुई विस्तारवादी तथा साम्राज्यवादी नीति के विरुद्ध तटस्थता का मार्ग अपनाते हुए आपसी सहयोग पर बल दिया। अन्ततः परस्पर आर्थिक सहयोग को गति प्रदान करने के लिए इन्होंने आसियान अर्थात् दक्षिण – पूर्वी एशियाई राष्ट्र संघ नामक संगठन की स्थापना की।

प्रश्न 2.
आसियान की प्रकृति एवं उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
आसियान की प्रकृति एवं उद्देश्य – आसियान पूर्णतः आर्थिक सहयोग पर आधारित 10 दक्षिणी-पूर्वी एशियाई राज्यों का एक संगठन है। इन देशों की औपनिवेशिक विरासत ऐतिहासिक व भौगोलिक पृष्ठभूमि, राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक जीवन मूल्यों में भी अन्तर पाया जाता है। यद्यपि इन सभी देशों की कुछ चुनौतियां एक जैसी हैं एवं इन चुनौतियों का सामूहिक मुकाबला करने के लिए ही यह संगठन अस्तित्व में आया। इन देशों के समक्ष बढ़ती हुई जनसंख्या गरीबी आर्थिक शोषण, असुरक्षा आदि की एक समान चुनौतियाँ हैं जिनका समाधान परस्पर क्षेत्रीय सहयोग से ही संभव है।

आसियान के निर्माण का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-पूर्वी एशिया में आर्थिक विकास को गति प्रदान करना एवं सदस्य देशों में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, प्रशासनिक आदि क्षेत्रों में परस्पर सहयोग करना तथा विभिन्न साझी समस्याओं का मिलकर समाधान ढूँढ़ना ही इस संगठन का उद्देश्य है। इस संगठन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य साझा बाजार तैयार करना है एवं इन देशों के मध्य परस्पर व्यापार में वृद्धि करना है।

प्रश्न 3.
आसियान क्षेत्र में भारत की बढ़ती हुई भूमिका के क्या कारण हैं?
उत्तर:
आसियान क्षेत्र में भारत की बढ़ती हुई भूमिका के कारण-आसियान क्षेत्र में भारत की बढ़ती हुई भूमिका के कारण निम्नलिखित हैं.
(i) भारत को अपनी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के लिए बाजार की आवश्यकता है। मेक इन इण्डिया पहल के तहत । भारत न केवल राष्ट्रीय अपितु प्रोत्साहन दे रहा है। आसियान क्षेत्र विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसमें विश्व की 200 बड़ी कम्पनियां स्थित हैं जहाँ एक ओर भारत नवीन बाजार की तलाश में है वहीं आसियान देशों को भी अपने उत्पादों के लिए भारत के बाजार की आवश्यकता है।

(ii) भारत को खनिज तेल, प्राकृतिक गैस एवं कोयले की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आसियान एर्वाधिक उपयुक्त क्षेत्र है। भारत की कोयले की मांग इण्डोनेशिया से पूरी हो सकती है एवं गैस की वियतमान एवं ऑस्ट्रेलिया से।

(iii) भारत आसियान देशों के साथ प्रगाढ़ सभी संबंध स्थापित करना चाहता है। भारत इन देशों से कूटनीतिक और आर्थिक संबंध बनाना चाहता है जो अभी चीन के प्रभाव क्षेत्र में हैं।

प्रश्न 4.
आसियान का महत्व बताइए।
उत्तर:
आसियान का महत्व – आसियान तीव्र गति से बढ़ता हुआ एक क्षेत्रीय संगठन है। यह एशिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्रीय संगठन है जो एशियाई देशों एवं विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा हेतु राजनैतिक मंच उपलब्ध कराता है। यह संगठन टकराव के स्थान पर बातचीत को बढ़ावा देने की नीति पर बल देता है। आसियान एक असैनिक स्वरूप का संगठन है। आसियान की सदस्यता के द्वार दक्षिण-पूर्वी एशिया के उन सभी राष्ट्रों के लिए खुले हुए हैं।

जो इसके उद्देश्य, सिद्धान्त एवं प्रयोजनों में विश्वास रखते हैं। आसियान क्षेत्र को मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के प्रयत्न क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण चरण है। आसियान के महत्व को इस बात से आंका जा सकता है कि दुनिया के महत्वपूर्ण 23 देशों में जिनमें अमेरिका, रूस, जापान, चीन, एवं भारत आदि शामिल हैं, वे इसकी ‘एशियन रीजनल फोरम’ के सदस्य हैं।

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प्रश्न 5.
आसियान के असफल होने के कारणों के विषय में बताइए।
उत्तर:
आसियान के असफल होने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. आसियान यूरोपियन साझा बाजार की तरह सफल नहीं हो सका है।
  2. यह संगठन सदस्य राष्ट्रों में आर्थिक एवं अन्य प्रकार का सहयोग तीव्र गति से नहीं बढ़ा पाया है।
  3. आर्थिक सहयोग में आसियान की गति मंद होने का कारण सदस्य देशों के पास आवश्यक पूँजी एवं क्रय शक्ति का कम होना है।
  4. सदस्य राष्ट्रों के हितों में टकराव के कारण उनके बीच अनेक अंतर्राष्ट्रीय विवाद भी उठे हैं क्योंकि अधिकांश आसियान देशों का झुकाव पश्चिमी देशों की तरफ अधिक रही है।

प्रश्न 6.
सार्क के चार्टर के अनुच्छेद 1 में क्या उद्देश्य बताए गए हैं ?
उत्तर:
सार्क के चार्टर में 10 अनुच्छेद हैं, जिनमें सार्क के उद्देश्यों, सिद्धान्तों तथा वित्तीय व्यवस्थाओं का उल्लेख किया गया है। चार्टर के अनुच्छेद 1 में सार्क के निम्नलिखित उद्देश्य बताए गए हैं

  1. दक्षिण एशियाई क्षेत्र में निवास करने वाली जनता के कल्याण तथा उनके जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयत्न करना।
  2. दक्षिण एशियाई राष्ट्रों की सामूहिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि करना।
  3. दक्षिण एशियाई क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को प्रोत्साहित करना।
  4. दक्षिण एशियाई राष्ट्रों में आपसी विश्वास, दूरदर्शिता तथा एक – दूसरे की समस्याओं के प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न करना।
  5. सदस्य राष्ट्रों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी व वैज्ञानिक क्षेत्र में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता में अभिवृद्धि करना।
  6. अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग में वृद्धि करना।
  7. सामान्य हित के मामलों पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग को अभिव्यक्त करना।

प्रश्न 7.
सार्क के चार्टर के अनुच्छेद 2 में कौन-से सिद्धान्त बताए गए हैं ?
उत्तर:
सार्क के चार्टर अनुच्छेद 2 में इसके निम्नलिखित सिद्धान्तों का उल्लेख किया गया है

  1. हस्तक्षेप न करना – सदस्य राष्ट्र एक-दूसरे के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
  2. आपसी लाभ के सिद्धान्तों का सम्मान करना-संगठन में ढाँचे के अंतर्गत सहयोग, प्रभुसत्ता, संपन्न, समानता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता दूसरे देशों के मामलों में हस्तक्षेप न करना तथा आपसी लाभ के सिद्धान्तों का सम्मान करना।
  3. परस्पर पूरक होना – सदस्य राष्ट्रों का सहयोग द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग का स्थान नहीं लेगा, वरन् । परस्पर पूरक होगा।

प्रश्न 8.
सार्क की विभिन्न संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:

  1. शिखर सम्मेलन – सार्क की सर्वप्रथम संस्थाओं में शिखर सम्मेलन की गणना की जाती है, जहाँ विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श होता है।
  2. तकनीकी समितियाँ-इसमें सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता है ताकि सहयोग के प्रत्येक क्षेत्र में सारे प्रोग्राम को क्रियान्वित, समन्वित तथा प्रबोधित किया जा सके।
  3. स्थायी समिति – इस समिति को वर्ष में एक बार अपनी बैठक करनी होती है, परन्तु यदि सदस्य आवश्यक समझें तो अधिक बैठकें भी की जा सकती हैं। इस समिति का मुख्य कार्य नीति – निर्माण, योजनाओं तथा परियोजनाओं के लिए आकार तैयार करना आदि शामिल हैं।
  4. कार्यवाहक समिति – इस तरह की समितियाँ उन योजनाओं में कार्यान्वयन के लिए बनायी जाती हैं, जिनमें दो से अधिक राष्ट्र शामिल हों। कार्यवाहक समितियों का गठन स्थायी समिति की स्वीकृति से ही किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें वित्तीय व्यवस्थाएँ, सचिवालय तथा मंत्रिपरिषद् आदि संस्थाएँ शामिल हैं।

प्रश्न 9.
दक्षेस (सार्क) के मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
दक्षेस (सार्क) का मूल्यांकन:

  1. दक्षेस का घोषित उद्देश्य क्षेत्र को सामूहिक सहयोग के आधार पर सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से विकसित करना है, परन्तु दक्षेस के देशों, विशेष रूप भारत और पाकिस्तान के बीच जारी राजनीतिक विवादों ने उक्त सहयोग की प्रक्रिया को अत्यन्त धीमा कर दिया है।
  2. राजनीतिक विवादों ने भी उस पारस्परिक सहयोग को बाधित किया है। कश्मीर, सीमापार आतंकवाद, चीनी हस्तक्षेप आदि कई राजनीतिक विवादों ने दक्षेस को वर्तमान में लगभग अप्रासंगिक ही कर दिया है।
  3. 1988 के इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन में ही भारत आर्थिक सहयोग के बाधित विकास पर चिंता व्यक्त कर चुका है।

RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 31 क्षेत्रीय संगठन-आसियान एवं सार्क

RBSE Class 12 Political Science Chapter 31 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षेस (सार्क) क्या है? दक्षिण एशिया में शान्ति व सहयोग स्थापना में इसका क्या योगदान है?
उत्तर:
दक्षेस (सार्क) – दक्षेस से आशय है-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (साउथ एशियन एसोसिएसन फॉर रीजनल कोऑपरेशन)। यह दक्षिण एशिया के आठ देशों भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालद्वीव, श्रीलंका एवं अफगानिस्तान का क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना इन देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से की है। सार्क की स्थापना दिसम्बर 1985 में की गयी। सार्क की स्थापना में बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर्र रहमान की। महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रारम्भ में सार्क में सात देश सम्मिलित थे। सन् 2007 में अफगानिस्तान भी सार्क के आठवें सदस्य के रूप में सम्मिलित हो गया। सार्क का स्थायी मुख्यालय काठमांडू (नेपाल) में है।

दक्षेस, दक्षिण एशियाई देशों द्वारा बहुस्तरीय साधनों से आपस में सहयोग करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। सार्क की स्थापना के साथ ही दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई एवं सदस्य राष्ट्रों ने आपसी सहयोग का संकल्प लिया। दक्षिण एशिया में शान्ति एवं सहयोग स्थापना में सार्क का योगदान-दक्षिण एशिया में शांति व सहयोग की। स्थापना में सार्क के योगदान का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

  1. सार्क ने अपने आठों सदस्य देशों को एक-दूसरे के नजदीक लाने का कार्य किया है जिसमें उनमें दिखाई देने वाला तनाव कम हुआ है। दक्षेस के सहयोग से भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव में कमी आयी है और दोनों देश युद्ध के जोखिम कम करने के लिए विश्वास बहाली के उपाय करने पर सहमत हो गये हैं।
  2. दक्षेस के कारण इस क्षेत्र के देशों की थोड़े-थोड़े अन्तराल पर आपसी बैठकें होती रहती हैं जिसमें उनके छोटे-मोटे मतभेद अपने आप आसानी से सुलझ रहे हैं एवं देशों में अपनापन विकसित हुआ है।
  3. दक्षेस के माध्यम से इस क्षेत्र के देशों ने अपने आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए सामूहिक आत्मनिर्भरता पर बल दिया है जिससे विदेशी शक्तियों का इस क्षेत्र में प्रभाव कम हुआ है। ये देश अब अपने को अधिक स्वतंत्र महसूस करने लगे हैं।
  4. दक्षेस ने एक संरक्षित अन्न भण्डार की स्थापना की है जो इस क्षेत्र के देशों की आत्मनिर्भरता की भावना के प्रबल होने का सूचक है।
  5. दक्षेस के सदस्य देशों ने सन् 2004 में दक्षिण – एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते (साफ्टा) पर हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौते में संपूर्ण दक्षिणी एशिया के लिए मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का वायदा है। यदि दक्षिण एशिया के सभी देश अपनी सीमा – रेखा के आर – पार मुक्त व्यापार पर सहमत हो जाएँ तो इस क्षेत्र में शांति और सहयोग के एक नये अध्याय की शुरुआत हो सकती है। यह समझौता 1 जनवरी 2006 से प्रभावी हो गया। इस समझौते के अन्तर्गत दक्षेस देशों के मध्य आपसी व्यापार में लगने वाले सीमा शुल्क को सन् 2007 तक 20 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया था।
  6. दक्षेस के सहयोग से 1 जनवरी 2006 से प्रभावी दक्षिण – एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (साफ्टा) से भारत सहित समस्त दक्षिण एशियाई देशों को लाभ हुआ है और क्षेत्र में मुक्त व्यापार बढ़ने से राजनीतिक मामलों पर सहयोग में वृद्धि
  7. सार्क ने कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण जैसे आधारभूत क्षेत्रों में प्रभावी कार्य किए हैं।

प्रश्न 2.
दक्षेस के संगठनात्मक ढाँचे का उल्लेख करते हुए इस संगठन के प्रमख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
दक्षेस का संगठनात्मक ढाँचा-दक्षेस के संगठनात्मक ढाँचे का वर्णन निम्नलिखित बिदुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

  1. अनुच्छेद 3 में दक्षेस के राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन का प्रावधान है।
  2. अनुच्छेद 4 में सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के परिषद का प्रावधान है जिसकी वर्ष में दो बैठक आवश्यक हैं। अनुच्छेद 5 इसमें एक स्थायी समिति का प्रावधान है जिसमें सदस्य देशों के विदेश सचिव शामिल होते हैं। इसकी वर्ष में एक बैठक अनिवार्य है एवं यह सहयोग के क्षेत्रों की पहचान एवं उसकी प्रगति की देखरेख का कार्य करती है।
  3. अनुच्छेद 6 में तकनीकी समितियों का प्रावधान है जो क्षेत्रीय सहयोग के नवीन विषयों एवं समन्वय का कार्य करती हैं।
  4. अनुच्छेद 7 में कार्यकारी समिति का प्रावधान है।
  5. अनुच्छेद 8 में दक्षेस सचिवालय का प्रावधान है जिसकी स्थापना 1987 में की गई। इसका मुख्यालय काठमांडू में है। इसका एक महासचिव होता हैं जिसका कार्यकाल 2 वर्ष का होता है। सचिवालय के अतिरिक्त सहयोग के लिए 12 क्षेत्रीय केन्द्र विभिन्न सदस्य देशों में बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त अन्य सामाजिक, आर्थिक और साहित्यिक सहयोग की दृष्टि से 6 अन्य उच्च स्तरीय सस्थाएँ एवं 17 मान्य संस्थाएँ भी अस्तित्व में हैं।
  6. अनुच्छेद 9 व 10 यह दोनों दक्षेस के वित्तीय संस्थानों एवं अंशदानों का प्रावधान करते हैं।

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दक्षेस का प्रमुख उद्देश्य-दक्षेस के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. दक्षिण एशिया क्षेत्र की जनता के कल्याण तथा उनके जीवन स्तर में सुधार करना।
  2. दक्षिण एशिया के देशों की सामूहिक आत्मनिर्भरता में वृद्धि करना।
  3. क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना।
  4. आपसी विश्वास, सूझ – बूझ एवं एक – दूसरे की। समस्याओं का मूल्यांकन करना।
  5. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षेत्र में सक्रिय सहयोग एवं पारस्परिक सहायता में वृद्धि करना।
  6. अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग में वृद्धि करना एवं
  7. सामान्य हित के मामलों पर अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग मजबूत करना।

प्रश्न 3.
सार्क देशों का औपचारिक प्रारम्भ अथवा इसके प्रथम शिखर सम्मेलन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सार्क की ढाका शिखर बैठक में लिए गए निर्णयों तथा इसके स्वरूप पर विचार – विमर्श करने से पूर्व इस बात को स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए कि इसके प्रारम्भिक नाम, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग (SARC) को बदल कर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) कर दिया गया था। यह एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्ये दक्षिण एशियाई देशों में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था।

प्रथम शिखर सम्मेलन में सार्क संगठन में सातों देशों – बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान तथा श्रीलंका की सरकारों तथा राज्यों के अध्यक्षों ने भाग लिया। इसमें सार्क (SAARC) की स्थापना की घोषणा को अपनाया गया तथा बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति एच. एम. इरशाद को इसका प्रथम अध्यक्ष बनाया गया।

घोषण – पत्र में संगठन के उद्देश्यों तथा इनको. प्राप्त करने के सिद्धान्तों का वर्णन किया गया। सदस्य राष्ट्रों के बीच सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा तकनीकी सहयोग के विकास को उद्देश्य माना गया। सभी की प्रभुसत्ता की समानता, स्वतंत्रता, अखंडता तथा अहस्तक्षेप के सिद्धान्तों को निर्देशक सिद्धान्त माना गया।

यह कहा गया कि सभी स्तरों पर निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाएगा तथा द्विपक्षीय एवं विवादास्पद मामलों पर बातचीत नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्त यह भी तय हुआ कि ‘सार्क’ सदस्य राज्यों के द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग का पूरक तथा सम्पूरक होगा, विकल्प नहीं। इसके संगठनात्मक स्वरूप के सम्बन्ध में घोषणा – पत्र में यह कहा गया कि राज्यों तथा सरकारों के अध्यक्ष वर्ष में एक बार बैठक करेंगे तथा सदस्य राज्यों के विदेश मंत्रियों की एक मंत्रिपरिषद् नीति-निर्माण सहयोग में उन्नति का अवलोकन करने, अतिरिक्त तंत्र की स्थापना करने तथा सामान्य हितों के मामलों पर निर्णय करने के लिए बनायी जाएगी।

इस परिषद् की स्थापना के लिए सदस्य देशों के विदेश सचिवों की एक समिति बनायी जाएगी। इसमें यह भी कहा गया कि एक तकनीकी समिति बनायी जाए, जिसमें सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल हों तथा इसका कार्य प्रोग्रामों को लागू करना, समन्वित करना तथा प्रबोधन के लिए एक कार्यवाहक समिति इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए बनायी जाए, जिसमें दो से अधिक राज्य शामिल हों। इसमें इस बात की पुष्टि भी की गई कि संगठन के लिए एक सचिवालये भी उचित समय पर स्थापित किया जाएगा।

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