RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः

Rajasthan Board RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 12 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 12 वस्तुनिष्ठप्रश्नाः

प्रश्न 1.
सुदर्शना, सुवत्सला का कथिता?
(क) प्रदेशभूः
(ख) मातृभूः
(ग) माता
(घ) स्वसृ
उत्तर:
(ख) मातृभूः

प्रश्न 2.
पाठानुसारेण किं वर्तताम्?
(क) सुराष्ट्रकम्
(ख) हितैषितैव
(ग) सदाचरणम्
(घ) लोकशासनम्
उत्तर:
(ख) हितैषितैव

प्रश्न 3.
समस्त-सम्प्रदाय-भूषणम् किं नु भवेत्?
(क) मनुष्यता
(ख) सदाशयता
(ग) भ्रष्टता
(घ) बन्धुता
उत्तर:
(क) मनुष्यता

प्रश्न 4.
‘शस्त्रिणां महाव्रतं किं अस्ति?
(क) रक्त मण्डनं
(ख) दीनलोकमोषणं
(ग) शान्ति-खण्डनं
(घ) विपन्नरक्षणं
उत्तर:
(घ) विपन्नरक्षणं

प्रश्न 5.
रिक्तस्थानपूर्तिः क्रियताम्
(क) समृद्धि-बुद्धि-शक्तिदा …………………………………….
(ख) ……………………………………. क्षणेन लीयताम्
(ग) न दीनलोकमोषणं ……………………………………. न शोषणम्
(घ) धीयतां ……………………………………. विधीयताम्
उत्तर:
(क) सदैव मुक्तशृङ्खला
(ख) अन्धतामसीघृणानिशा
(ग) न हीनभावपोषणम्,
(घ) वीतकल्मषं हि लोकशासनम्

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
मातृवन्दना कीदृशेन स्वरेण गीयताम्?
उत्तर:
मधुस्वरेण।

प्रश्नल 2.
कस्य दूषणं न भवेत्?
उत्तर:
सच्चरित्रस्य

प्रश्न 3.
कस्य मोषणं न भवितव्यम्?
उत्तर:
दीनलोकस्य

प्रश्न 4.
लोकशासनं कीदृशं विधीयताम्?
उत्तर:
वीतकल्मषम्।

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 12 लघूत्तरात्मक-प्रश्नाः

प्रश्न 1.
मातृभूः विशेषणानां वर्णनं कुरुत।
उत्तर:
इयं मातृभूः कर्मभूः, पुराणा, मङ्गला, सुविश्रुता, तपोव्रता, सुदर्शना, सुवत्सला, अनादिधर्ममालिनी, अनन्तपुण्यशालिनी, समृद्धि-बुद्धि-शक्तिदा, मुक्तशृङ्खला चास्ति।

प्रश्न 2.
संस्कृतेः किं विभूषणम्?
उत्तर:
‘अनेकतासु एकता’ इति संस्कृते: विभूषणमस्ति।

प्रश्न 3.
शस्त्रिण महाव्रतं किं अस्ति?
उत्तर:
सदैव विपन्नरक्षणं शस्त्रिण महाव्रतम् अस्ति।

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
मातृभूमेः स्वरूपवर्णनम् कुरुत
उत्तर:
अस्माकं मातृभूमिः कर्मिभूमिः, पुरातना, मङ्गला, सुविश्रुता, तपोव्रता, सुदर्शना, सुवत्सला, अनादिधर्ममालिनी, अनन्तपुण्यशालिनी, समृद्धिदा, बुद्धिप्रदा, शक्तिदा, स्वतन्त्रता चास्ति। अत्र सुपर्णकैः दिवः स्वतन्त्रतामृतुं समाहृतम्

प्रश्न 2.
सुराष्ट्रस्य लोकशासनस्य च किं अवधारणास्ति?।
उत्तर:
पाठानुसारेण अस्माकं सुराष्ट्र सदैव प्रवर्धताम्। अत्र दीनलोकानां मोषणम्, हीनभावनायाः पोषणम्, हिंसनम्, वञ्चनं शोषणं च क्वचिदपि न भवेत्। सदैव हितैषितैव वर्तताम्। भारतम् अकण्टकम् अभीतिकाननमिव भवेत्। वीतकल्मषं च लोकशासनं स्यात्।

प्रश्न 3.
संस्कृतेः संरक्षणाय किं कर्तव्यम्?
उत्तर:
पाठानुसारेण संस्कृतेः संरक्षणाय क्वचिदपि भ्रष्टता, सच्चरित्रदूषणं च न भवेत्। मनुष्यता समस्तसम्प्रदायभूषणं स्यात्। समे जनाः विभिन्नमार्गमण्डना: सुबन्धवः स्यात्। अनेकतासु चैकता संस्कृतेर्विभूषणं भवतु। सर्वे जनाः सदैव बन्धुभावनासुधामुदा पीयताम्।

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 12 व्याकरणात्मक-प्रश्नाः

प्रश्न 1.
अधोलिखितेषुपदेषु नामोल्लेखपुरस्सरसन्धिः कार्यः
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 1

प्रश्न 2.
अधो-निर्दिष्टानां सन्धिपदानां सन्धि-नाम-निर्देशपूर्वक-विच्छेदो विधेयः –
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 2

प्रश्न 3.
निम्नलिखितानां समस्तपदानां नाम-निर्देश-पुरस्सर-विग्रहो विधेयः
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 3

प्रश्न 4.
अधोनिर्दिष्टेषु पदेषु शब्द-विभक्ति-वचन-निर्देशं कुरुत –
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 4

प्रश्न 5.
निम्नलिखितानां तिङन्तपदानां धातुः लकारः पुरुषः वचनञ्च पृथक निर्दिश्यताम् –
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 5
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 6

प्रश्न 6.
निम्नलिखितेषु पदेषु प्रकृतिः प्रत्ययश्च पृथक् लिख्यताम्प्रथम-
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 7c

RBSE Class 12 Sanskrit विजेत्री Chapter 12 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

1. शब्दार्थः
प्रश्न 1.
अधोलिखितशब्दानां हिन्द्याम् अर्थं लिखत
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 8

2. प्रश्ननिर्माणम्प्रश्न:
रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

  1. मातृवन्दना मधुरस्वरेण गीयताम्।
  2. मातृभूमिः पुराणमङ्गला अस्ति।
  3. इयं भू: सुदर्शना वर्तते
  4. मातृभूः सदैव स्वतन्त्रता अस्ति।
  5. भारतीयशः समस्तदिक्षु चीयताम्।
  6. सुपर्णकैः स्वतन्त्रतामृतं समाहृतम्।
  7. हुतात्मभिः प्रभारतं सुभारतं समर्पितम्।
  8. तत्र शान्तिखण्डनं न भवेत्
  9. विपन्नरक्षणं शस्त्रिणां महाव्रतं भवेत्
  10. अन्धतामसीघृणानिशा क्षणेन लीयताम्।
  11. क्वचित् भ्रष्टता न भवेत्
  12. मनुष्यता समस्तसम्प्रदायभूषणं भवेत्
  13. बन्धुभावनासुधा सदैव पीयताम्
  14. सुराष्ट्रकं प्रवर्धताम्
  15. वीतकल्मषं लोकशासनं विधीयताम्।

उत्तर:
प्रश्ननिर्माणम्

  1. का मधुरस्वरेण गीयताम्?
  2. मातृभूमिः कीदृशी अस्ति?
  3. इयं भूः का वर्तते?
  4. का सदैव स्वतन्त्रता अस्ति?
  5. भारतीयशः कुत्र चीयताम्?।
  6. कैः स्वतन्त्रतामृतं समाहृतम्?
  7. हुतात्मभिः किं समर्पितम्?
  8. तत्र किम् न भवेत्?
  9. विपन्नरक्षणं केषां महाव्रतं भवेत्?
  10. का क्षणेन लीयताम्?
  11. क्वचित् का न भवेत्?
  12. किम् समस्तसम्प्रदायभूषणं भवेत्?
  13. का सदैव पीयताम्?
  14. किम् प्रवर्धताम्?
  15. कीदृशं लोकशासनं विधीयताम्?

3. भावार्थलेखनम्
प्रश्न 3.
अधोलिखितवाक्यानां हिन्दीभाषया भावार्थं लिखत
(i) मातृभूरियं कर्मभूः पुराणमङ्गला।
(ii) हुतात्मभिः समर्पितं प्रभारतं सुभारतम्।
(iii) मनुष्यता भवेत् समस्तसम्प्रदायभूषणम्।
(iv) अनेकतासु चैकता हि संस्कृतेर्विभूषणम्।
उत्तर:
(i) मातृभूरियं कर्मभूः पुराणमङ्गला
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश ‘मातृवन्दना-गीति’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। मूलतः यह पाठ डॉ. हरिराम आचार्य द्वारा रचित ‘मधुच्छन्दा’ नामक गीतिकाव्य से संकलित है। इसमें मातृभूमि की वन्दना करते हुए उसके स्वरूप एवं वैशिष्ट्य को दर्शाया गया है।

प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि हमारी यह मातृभूमि कर्मभूमि, प्राचीन और मंगलकारी है। अर्थात् भारतदेश कर्मप्रधान देश है। यहाँ मानव सदैव कर्मशील रहता है। एवं अपने श्रेष्ठ कर्मों के द्वारा ही फल प्राप्त करता है। यह मातृभूमि अत्यन्त प्राचीन है। एवं सभी का मंगल करने वाली है। यह भूमि मानवमात्र के लिए मंगल-कामना करती है

(ii) हुतात्मभिः समर्पितं प्रभारतं सुभारतम्।
भावार्थ-प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि अनेकों वर्षों की गुलामी के बन्धन से हमारे स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा इस कान्तिमान् भारत को मुक्त कराकर हमें समर्पित किया है, अतः इस राष्ट्र की रक्षा करना अब हम सबका दायित्व है। हमें उनके बलिदानों को व्यर्थ नहीं करना है, तथा भ्रष्टाचार मुक्त भारत देश में सभी भाईचारे की भावना से रहे और इस कान्तिमान् भारत के यश को फैलावे

(iii) मनुष्यता भवेत् समस्तसम्प्रदायभूषणम्।
भावार्थ-‘मातृवन्दना-गीति’ शीर्षक पाठ से उद्धृत प्रस्तुत पंक्ति में इसके रचयिता डॉ. हरिराम आचार्य ने कहा है कि भारत देश के सभी सम्प्रदायों का आभूषण मनुष्यता होनी चाहिए। मानव-मात्र का कल्याण करने की भावना ही समस्त सम्प्रदायों की मूल भावना होनी चाहिए। कोई भी सम्प्रदाय मनुष्यता के द्वारा ही सुशोभित होता है। अतः परस्पर में वैरभाव त्यागकर सभी मानवता धर्म को अपनाते हुए भाईचारे से रहें, इसी से हमारा राष्ट्र सुराष्ट्र बनेगा।

(iv) अनेकतासु चैकता हि संस्कृतेर्विभूषणम्
भावार्थ-‘मातृवन्दना-गीति’ शीर्षक पाठ से उद्धृत प्रस्तुत पंक्ति में भारतीय संस्कृति की विशेषता को दर्शाते हुए कहा गया है कि ‘अनेकता में एकता’ ही भारतीय संस्कृति का आभूषण है। अर्थात् सम्पूर्ण संसार में भारतीय संस्कृति को सर्वोच्च स्थान इसीलिए प्राप्त है कि यहाँ विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों आदि के लोग होते हुए भी सभी एक है, क्योंकि सभी धर्मों, सम्प्रदायों का मूल लक्ष्य मानवता धर्म है। अतः यहाँ अनेकता में भी एकता दिखलाई देती है। सभी लोग अपने-अपने धर्म का पालन करते हुए एकमत से भारत के लिए समर्पित है। एकता की भावना ही भारतीय संस्कृति की शोभा है।

4. पाठ्यपुस्तकाधारितं भाषिककार्यम्
(क) कर्तृक्रियापदचयनम्प्रश्नः-अधोलिखितपद्यांशेषु कर्तृक्रियापदयोः चयनं कुरुत
(i) अद्य मातृवन्दना मधुरस्वरेण गीयताम्।
(ii) मातृभूरियं हि पुराणमङ्गला वर्तते।
(iii) भारतीयशो भृशं समस्तदिक्षु चीयताम्।
(iv) भवेत् क्वचिन्न भ्रष्टता।
(v) मनुष्यता भवेत् समस्तसम्प्रदायभूषणम्।
(vi) हितैषितैव वर्तताम्।
(vii) सुराष्ट्रकं प्रवर्धताम्।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit विजेत्र Chapter 12 मातृवन्दना-गीतिः 9

(ख) विशेषणविशेष्यचयनम्
प्रश्न (i)
‘मधुस्वरेण गीयताम्’ इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तर:
मधु

प्रश्न (ii)
‘मातृभूरियं हि कर्मभूः’ इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
मातृभूः।

प्रश्न (ii)
‘भारतीयशो भृशं चीयताम्’ इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
यशः

प्रश्न (iv)
‘समर्पितं प्रभारतं सुभारतम्’ इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तर:
प्रभारतम्

प्रश्न (v)
‘अन्धतामसीघृणानिशा क्षणेन लीयताम्’ इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
निशा।

प्रश्न (vi)
‘अकण्टकं नु भारतं भवेत्’ इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तर:
अकण्टकम्।

प्रश्न (vii)
‘वीतकल्मषं लोकशासनं विधीयताम्’–इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर:
लोकशासनम्

(ग) समानविलोमपदचयनम्

प्रश्नः
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानां पर्यायबोधकपदानि लिखत

  1. सुविश्रुता तपोव्रता सुदर्शना मातृभूः।
  2. समृद्धि-बुद्धि शक्तिदा
  3. मातृभूमिः सदैव मुक्तशृङ्खला।
  4. भारतीयशो भृशं समस्तदिक्षु चीयताम्।
  5. हुतात्मभिः समर्पितं प्रभारतं सुभारतम्
  6. अन्धतामसीघृणा-निशा क्षणेन लीयताम्

उत्तर:

  1. सुविख्याता
  2. मतिः
  3. स्वतन्त्रता
  4. अत्यधिकम्
  5. कान्तिमत्
  6. रात्रिः

प्रश्नः
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानां विलोमपदानि लिखत

  1. भवेन्न शान्ति-खण्डनम्।
  2. विपन्न-रक्षणं सदैव शस्त्रिणां महाव्रतम्।
  3. भवेत् क्वचिन्न सच्चरित्र-दूषणम्।
  4. अनेकतासु च एकता हि संस्कृतेर्विभूषणम्।
  5. बन्धु-भावना-सुधा-मुदा सदैव पीयताम्।
  6. भवेत् क्वचिन्न हीनभाव-पोषणम्।
  7. अकण्टकं नु भारतं भवेत्

उत्तर:

  1. क्रान्तिः
  2. भक्षणम्
  3. भूषणम्
  4. अनेकता
  5. विषम्
  6. शोषणम्
  7. कण्टकम्

RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit

Leave a Comment

Step into high-class excitement at hell spin casino, where glittering reels, lavish bonuses, and thrilling jackpots create nonstop luxury. Each spin delivers pulse-raising suspense, elegance, and the electrifying chance of big Australian online casino wins.

Indulge in elite thrills at joefortune-casino.net, offering dazzling gameplay, sparkling rewards, and adrenaline-pumping jackpots. Every moment immerses players in glamour, high-stakes excitement, and the intoxicating pursuit of substantial casino victories.

Discover top-tier sophistication at neospin casino, with vibrant reels, generous bonuses, and luxurious jackpots. Each spin captivates with elegance, thrill, and the electrifying potential for extraordinary wins in the premium Australian casino environment.

Enter a world of luxury at rickycasino-aus.com, where high-class slots, sparkling bonuses, and pulse-racing jackpots create unforgettable moments. Every wager delivers excitement, sophistication, and the premium thrill of chasing massive casino wins.