RBSE Solutions for Class 7 Social Science Chapter 18 राजस्थान के राजवंश एवं मुगल

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 7
Subject Social Science
Chapter Chapter 18
Chapter Name राजस्थान के राजवंश एवं मुगल
Number of Questions Solved 35
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Chapter 18 राजस्थान के राजवंश एवं मुगल

पातुगत प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मेवाड़ के महाराणा राजसिंह के जीवन चरित्रए. उनके द्वारा निर्मित नौ-चौकी पर जानकारी संकलित कीजिए। (पृष्ठ 147)
उत्तर
मेवाड़ के महाराणा राजसिंह का जन्म 24 सितम्बर 1629 ई. को हुआ। ये न सिर्फ कलाप्रेमी और दानी पुरुष थे बल्कि धर्मनिष्ठ, मानवतावादी एवं वीर भी थे। ये स्थापत्य कला के प्रेमी थे, उनके काल में मेवाड़ में एक तरह का स्वर्णिम युग था। महाराणा राजसिंह ने कई बार सोने चाँदी, अनमोल धातुएँ रत्नादि के तुलादान करवाए और योग्य लोगों को सम्मानित किया। इन्होंने राजसमंद झील के किनारे नी चौकी पाल पर 25 बड़ी-बड़ी शिलाओं पर 5 सर्गों का राज प्रशस्ति महाकाव्य खुदवाया जो भारतभर में सबसे बड़ा शिलालेख और शिलाओं पर खुदे हुए ग्रन्थों में सबसे बड़ा है। इसकी रचना तैलंग जातीय रणछोड़ भट्ट ने की थी। इन्होंने राजसमंद झील के पास राजनगर नामक कस्बा बसाया था। इनके काल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य राजसमंद झील पर पाल बाँधना और कलापूर्ण नौ-चौकी का निर्माण कराना था, जिसमें करोड़ों रुपयों की लागत लगी थी।

प्रश्न 2.
राजस्थान के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों एवं इमारतों व ऊनसे संबंधित ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में लिखिए। (पृष्ठ 148) उत्तर
राजस्थान के ऐतिहासिक स्थल

  1. अजमेर- इसकी स्थापना अजयराज ने की थी। यहाँ ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की विश्व प्रसिद्ध दरगाह स्थित है।
  2. आमेर- यह कछवाहों की प्रारम्भिक राजधानी था। यहाँ विश्वप्रसिद्ध शीशमहल स्थित है।
  3. भरतपुर- यह राजस्थान का प्रवेश द्वार कहलाता है। इस नगर की स्थापना महाराजा सूरजमल ने की थी।
  4. कालीबंगा- यह हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। यहाँ पर सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं।
  5. अलवर- इसकी स्थापना राव प्रताप सिंह ने की थी। अलवर के पास पाण्डुपोल नामक स्थान पर पांडवों ने अज्ञातवास किया था।
  6. जैसलमेर- यह नगर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।पाकिस्तान की सीमा पर होने के कारण इसका बहुत अधिक। सामरिक महत्व है।
  7. पुष्कर– ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर पुष्कर में स्थित है।
  8. उदयपुर- महाराणा उदयसिंह द्वारा स्थापित इस नगर को ‘झीलों की नगरी’ भी कहा जाता है।
  9. आबू- यह अरावली की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। 11वीं शताब्दी में विमलशाह ने यहाँ आदिनाथ एवं नेमिनाथ के मंदिर का निर्माण कराया।
  10. चित्तौड़- यह मेवाड़, उदयपुर की प्राचीन राजधानी एवं ऐतिहासिक नगर है। यहाँ सिसोदिया वंश ने लम्बे समय तक शासन किया।
  11. हल्दीघाटी- मेवाड़ की प्रसिद्ध रणस्थली। यहाँ 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप एवं मुगल सेना के मध्य युद्ध हुआ था, जिसमें प्रताप विजयी रहे।

राजस्थान की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतें

  1. ढाई दिन का ओपड़ा- यह अजमेर में स्थित है। इसका निमणि कुतुबुद्दीन ऐबक ने कराया।
  2. विजय स्तम्भ- चित्तौड़गढ़ में स्थित विजयस्तम्भ का निमणि महाराणा कुंभा ने कराया।
  3. हवामहल- जयपुर में स्थित इस इमारत का निर्माण सवाई प्रतापसिंह ने कराया।
  4. आमेर का किला- राजा धौलरायजी ने इस किले का निर्माण जयपुर में कराया था।
  5. ख्वाजा साहब की दरगाह- अजमेर में स्थित इस दरगाह के निर्माता सुल्तान गयासुद्दीन थे।
  6. छत्रमहल- इस महल के निर्माता राजा छत्रसाल थे। यह बूंदी में स्थित है।
  7. समिद्धेश्वर मंदिर- राजा भोज द्वारा निर्मित यह मंदिर चित्तौड़गढ़ में है।
  8. सिटी पैलेस– यह जयपुर में है। सवाई जयसिंह द्वितीय ने इसका निर्माण कराया।

पाठ्य पुतक के प्रस्नोत्तर

प्रश्न एक व दो के सही उत्तर चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम था
(अ) लीलण
(ब) चेतक
(स) केसर
(द) ऐटक
उत्तर
(ब) चेतक

प्रश्न 2.
सेना का हरावल दस्ता होता है
(अ) सेना का अग्रिम भाग
(ब) सेना के मध्य का भाग
(स) सेना के पीछे का भाग
(द) सम्पूर्ण सेना।
उत्तर
(अ) सेना का अग्रिम भाग

प्रश्न 3.
महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए?
उत्तर
महाराणा प्रताप बहुत बड़े योद्धा और अपनी प्रजा के लिए आदर्श थे। उनके व्यक्तित्व ने मेवाड़ के प्रत्येक व्यक्ति को मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने वाला योद्धा बना दिया। स्त्रियों की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए महाराणा प्रताप ने अनेक प्रयास किए। उन्हीं के प्रयासों का फल था कि मेवाड़ को पुन: जौहर जैसी भयानक स्थिति से नहीं गुजरना पड़ा। महाराणा प्रताप ने ही अकाल से जूने वाली प्रजा एवं शासकों को जल संरक्षण की तकनीक प्रदान की। वस्तुत: राणा प्रताप का व्यक्तित्व वीरता के साथ-साथ प्रगतिशीलता का पर्याय था।

प्रश्न 4.
विक्रमादित्य के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला राजा कौन था?
उत्तर
हेमचन्द्र।

प्रश्न 5.
महाराजा सूरजमल ने राजस्थान के किस शहर की। स्थापना की थी?
उत्तर
भरतपुर

प्रश्न 6.
दुर्गादास राठौड़ का अन्तिम समय कहाँ व्यतीत हुआ?
उत्तर
उज्जैन (मध्य प्रदेश) में।

प्रश्न 7.
महाराणा प्रताप को अधीन करने के लिए अकबर के कुटनीतिक प्रयासों को अन्लेख कीजिए।
उत्तर
चूंकि अकबर मेवाड़ में 1567-1568 ई. में हुए संघर्ष की भयंकर स्थिति से परिचित था। ऐसी स्थिति में उसने महाराणा प्रताप से सीधे संघर्ष करना उचित नहीं समझा। महाराणा प्रताप को अधीन रखने के लिए उसने कूटनीतिक प्रयासों के तहत एक-एक करके चार शिष्ट मण्डलों को महाराणा प्रताप के पास भेजा किन्तु अपने प्रयासों में वह सफल नहीं हो पाया क्योंकि उसकी चाल को समझते हुए महाराणा प्रताप ने उन शिष्ट मण्डलों को वापस भेज दिया।

प्रश्न 8.
दुर्गादास राठौड़ ने किस प्रकार मारवाड़ के  उत्तराधिकारी अजीत सिंह की रक्षा की ?
उत्तर
मारवाड़ के उत्तराधिकारी अजीत सिंह की रक्षा दुर्गादास राठौड़ ने बहादुरी एवं चतुराई से की। दुर्गादास राठौड़ के इस आग्रह पर कि औरंगजेब मारवाड़ का राय अजीत सिंह को दे दे, उसने इस्लाम धर्म को अपनाने की शर्त पर ही मारवाड़ का राज्य देने की बात कही। यह बात दुर्गादास राठौड़ को स्वीकार नहीं थी क्योंकि यह बेहद अपमानजनक थी। दुर्गादास को यह अच्छी तरह मालूम था कि अजीत सिंह को दिल्ली में रखना खतरे से खाली नहीं है। ऐसी स्थिति में उसे दिल्ली से बाहर ले जाना बहुत आवश्यक था। अजीत सिंह की सुरक्षा के लिए दुर्गादास ने उसे सिरोही भेजा। औरंगजेब को जब इसकी सूचना मिली तो उसने अपनी सेना भेजी किन्तु दुर्गादास के नेतृत्व में संगठित हुए राठौड़ ने मुगल सैना को काना शुरू किया। जब औरंगजेब ने शहजादे अकबर को

स्थिति के नियन्त्रण हेतु मारवाड़ भेजा तो वह भी स्थिति को काबू करने में पूर्णत: असफल रहा। औरंगजेब के लिए विचित्र स्थिति यह रही कि दुर्गादास ने उल्टे अकबर को उसके पिता औरंगजेब के विरुद्ध भड़का दिया। राजनीतिक दृष्टि से दुर्गादास द्वारा किया गया यह कार्य उसकी महान सफलता थी। इसी तरह दुर्गादास राठौड़ द्वारा अजीत सिंह की रक्षा के लिए किया गया राठौड़ सिसोदिया गठबन्धन एवं मराठा सहयोग प्राप्त करना उसकी एक बड़ी कूटनीतिक विजय थी। इस तरह उसने राजनीतिक, कुटनीतिक एवं  चतुराईपूर्ण प्रयासों द्वारा अजीत सिंह की रक्षा की।

प्रश्न 9.
हल्दीघाटी के युद्ध पर निबन्ध लिखिए?
उत्तर
हल्दीघाटी का युद्ध-अकबर द्वारा किए गए कूटनीतिक प्रयास जब असफल हो गए तो महाराणा प्रताप एवं अकबर के बीच युद्ध आवश्यक हो गया। 15 जून 1576 ई. को हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध प्रारम्भ हुआ। मुगल सेना का मुकाबला करने के लिए महाराणा प्रताप ने रावत किशनदास,भीमसिंह डोडिया, रामदासे मेड़तिया, रामशाह कुँवर, झाला आन, झाला बीदा, मानसिंह सोनगरा आदि को संगठित किया।

महाराणा प्रताप की चतुराईपूर्ण युद्ध नीति के कारण मुगल सैना बुरी तरह हारी। मुगल इतिहासकार बदायूँनी के अनुसार ‘मेवाड़ी सेना का आक्रमण इतना तीव्र था कि मुगल सैनिकों ने बनारस के दूसरे किनारे से पाँच-छ: कोस तक (10-15 किमी.) भागकर अपनी जान बचाई।’ वस्तुत: हल्दीघाटी के युद्ध ने मुगलों के अजेय होने का भ्रम तोड़ दिया। इसी युद्ध के पश्चात महाराणा प्रताप चीर शिरोमणि के रूप में | स्थापित हुए। इस युद्ध में मुगल सेना को पहली बार करारी हार का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 10.
अमरसिंह राठौड़ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर
अमरसिंह राठौड़ का चरित्र-चित्रण-शाहजहाँ को उसी के दरबार में जाकर चुनौती देने वाले अमरसिंह राठौड़ का जन्म 12 दिसम्बर 1613 ई. को हुआ था। यह जोधपुर के शासक गजसिंह का ज्येष्ठ पुत्र था। अमरसिंह को गजसिंह का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जाता था किन्तु षड्यन्त्र के कारण दी अमरसिंह को न मिलकर सवंत सिंह को मिली। अमरसिंह ने इस निर्णय का विरोध नहीं किया। साहसी एवं स्वाभिमानी अमरसिंह के व्यक्तित्व से शाहजहाँ भी परिचित था। इसलिए कठिन अभियानों पर उसने अमर सिंह को ही भेजा।

स्वाभिमानी अमरसिंह किसी से नहीं इरता था। इसीलिए चालबाज सलावत खाँ को उसने बादशाह शाहजहाँ के सामने ही मार डाला। भयभीत शाहजहाँ को भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। अमरसिंह का जीवन उच्वादश एवं साहसी कारनामों से परिपूर्ण था।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
मुगल साम्राज्य की नींव रखी
(अ) हुमायूँ ने
(ब) बाबर ने
(स) शाहजहाँ नै
(द) अकबर ने
उत्तर
(ब) बाबर ने

प्रश्न 2.
बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया
(अ) 1526 ई. में।
(ब)1523 ई. में
(स) 1528 ई. में
(द) 1520 ई. में
उत्तर
(अ) 1526 ई. में

प्रश्न 3.
हेमचन्द्र को मुगल सेना ने पराजित किया
(अ) 1 64 ई. में
(ब) 1555 ई. में
(स) 1556 ई. में
(द) 1557 ई. में
उत्तर
(स) 1556 ई. में

प्रश्न 4.
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म हुआ
(अ) 9 मई 1540 को
(स) 9 जून 111 को।
(स) 9 मई 1542 को
(द) 9 जुलाई 1543 को
उत्तर
(अ) 9 मई 1540 को

प्रश्न 5.
हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध प्रारम्भ हुआ
(अ) 18 जून 1576 को
(य) 18 जून 1577 को
(स) 18 [न 1578 को
(द) 18 जून 1579 को
उत्तर
(अ) 18 जून 1576 को

निम्नलिखित रिक्त वाक्यों में सही शब्द भरिए
1. मुगल शासकों का सबसे अधिक विरोध…………ने किया।
2. अकबर ने कुटनीति से समस्या को सुलझाने के लिए महाराणा प्रताप के पास……… शिष्टमण्डल भेजे।
3. महाराणा प्रताप ने 31, को अपनी राजधानी बनाया।
4, निसारुद्दीन चित्रकार…………..के दरबार में रहता था।
उत्तर
1. मेवाड़ के महाराणाओं
2. चार
3.चावण्ड़
4.महाराणा प्रताप।

अति लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अकबर ने महाराणा प्रताप के पास शिष्ट मण्डल क्यों भेजे?
उत्तर
शान्ति प्रयासों के तहत कूटनीति से समस्याओं को सुलझाने के लिए अकबर ने महाराणा प्रताप के पास शिष्ट मण्डल भेजे।

प्रश्न 2.
महाराणा प्रताप किस युद्ध प्रणाली द्वारा मुगलों को छकाते रहे?
उत्तर
छापामार युद्ध प्रणाली द्वारा महाराणा प्रताप मुगलों को काते रहे।

प्रश्न 3.
महाराणा प्रताप की समाधि कहाँ बनी हुई है?
उत्तर
चावण्ड के निकट बाडोली गाँव में महाराणा प्रताप की समाधि बनी हुई हैं।

प्रश्न 4.
महाराणा प्रताप ने किन महत्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना करवाई?
उत्तर
महाराणा प्रताप ने ‘विश्व वल्लभ’ और ‘व्यवहार आदर्श’ नामक महत्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना करवाई।

प्रश्न 5.
अमर सिंह राठौड़ किस शासक के पुत्र थे?
उत्तर
अमर सिंह राठौड़ जोधपुर के शासक गसिंह के पुत्र थे।

प्रश्न 6.
औरंगजेब ने जजिया कर पुनः कब लगाया?
उत्तर
औरंगजेब ने जजिया कर पुनः 1679 ई. में लगाया।

प्रश्न 7.
सूरजमल ने फिरोज शाह कोटली पर कब्जा कब किया?
उत्तर
मई 1753 ई. में सूरजमल ने फिरोज शाह कोटला पर कब्जा कर लिया।

लसूतरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाबर की मृत्यु के बाद दिल्ली की सत्ता के लिए हुए संघर्ष का सक्षप्त परिचय दीजिए?
उत्तर
यद्यपि बाबर ने रणनीतिक चतुराई एवं साहस के साथ दिल्ली में मुगल साम्राज्य की नींव रखी किन्तु उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र हुमायूँ शेरशाह सूरी से हार गया, अब दिल्ली पर शेरशाह शुरी का आधिपत्य हो गया। शेरशाह सूरी के बाद इस कुल के अन्य शासक अधिक समय तक शासन नहीं कर पाए और हेमचन्द्र ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया। 1556 ई. में मुगल सेना ने पुनः उसे पराजित कर दिल्ली की सत्ता पर अपना अधिकार कर लिया। आगे चलकर लम्बे समय तक दिल्ली पर मुगलों का शासन रहा। मुगल शासकों में अकबर, जहाँगीर, शाहजहों और औरंगजेब  आदि उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 2.
हल्दीघाटी के युद्ध के क्या परिणाम निकले?
उत्तर
18 जून 1576 को प्रारम्भ हुए हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की सेना महाराणा प्रताप से हार गई । महाराणा प्रतापकी इस जीत के कारण जनमानस का महाराणा प्रताप के नेतृत्व में विश्वास और बढ़ गया। इस युद्ध ने मुगलों को उनकी शक्ति का एहसास करा दिया और इस भ्रम को तोड़ दिया कि मुगल सैना सर्वशक्तिमान हैं। हल्दीघाटी की पराजय से परेशान होकर अकबर ने हल्दीघाटी युद्ध के जिम्मेदार मान सिंह व आसफ खाँ के मुगल दरबार में आने पर रोक लगा दी।

प्रश्न 3.
महाराणा प्रताप द्वारा किए गए जनहित के कार्यों का विश्लेषण कीजिए?
उत्तर
महाराणा प्रताप ने मानवाधिकारों के संरक्षण के साथ-साथ स्त्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। महाराणा प्रताप द्वारा किए गए प्रयासों के कारण ही मेवाड़ को भविष्य में जौहर जैसी प्रथा का सामना नहीं करना पड़ा। अकालों से जूझने वाली प्रजा एवं शासकों के लिए महाराणा प्रताप ने जल बचत एवं कम खर्च में जलाशय बनाने की तकनीक प्रदान की। महाराणा प्रताप का जीवन हमें सदा आदर्शों की प्रेरणा देता रहेगा।

प्रश्न 4.
राठौड़ सिसोदिया गठबन्धन क्यों हुआ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर
राठौड़-सिसोदिया गठ्बन्धन के पीछे अजीत सिंह की सुरक्षा की मंशा थी। संघर्ष बढ़ता देख अजीत सिंह के सरक्षक दुर्गादास ने मेवाड़ के महाराणा राजसिंह से अजीतसिंह को संरक्षण देने की प्रार्थना को । महाराणा ने इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और अजीत सिंह को संरक्षण दे दिया। यही नहीं महाराणा ने राठौड़ों को पूरी सहायता देने का वचन भी दिया। इस तरह मेवाड़ और मारवाड़ के बीच राड़सिसोदिया गठबन्धन हुआ।

प्रश्न 5.
दुर्गादास राठौड़ के व्यक्तित्व की समीक्षा कीजिए।
उत्तर
दुर्गादास राठौड़ का व्यक्तित्व साहस और बलिदान का सम्मिश्रण था। उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर अजीत सिंह की रक्षा की। दुर्गादास राठौड़ राजनीति के भी पक्के जानकार थे। अकबर का औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह करवा दैना दुर्गादास की महान सफलता थी। दुर्गादास के ही प्रयासों से राठौड़ सिसोदिया गठ्बन्धन हुआ जिसके कारण अलग-अलग शक्तियाँ राजनीतिक रूप से एकजुट हुई। आगे चलकर अजीत सिंह द्वारा अपेक्षित व्यवहार न किए जाने पर दुर्गादास जैसे देशभक्त, दूरदर्शी और महान कूटनीतिज्ञ को मारवाड़ छोड़कर मेवाड़ आना पड़ा जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं था।

प्रश्न 6.
महाराजा सूरजमल द्वारा किए गए राजनीतिक कार्यों की समीक्षा कीजिए?
उत्तर
महाराजा सूरजमल भरतपुर के लोकप्रिय शासक थे। इन्होंने ही भरतपुर शहर की स्थापना की। जयपुर के महाराजा  जयसिंह की मृत्यु के बाद हुए उत्तराधिकार युद्ध में सूरजमल के सहयोग से ही ईश्वरी सिंह विजयी हुआ और उसे जयपुर की गद्दी मिली। फिरोजशाह कोटला पर कब्जा करने के साथ-साथ सूरजमल ने गाजियाबाद, रोहतक, झज्जर, आगरा, धौलपुर, मैनपुरी, हाथरस, बनारस आदि स्थानों पर अधिकार कर लिया। महाराजा सूरजमल राजनीतिक दृष्टि से परिपक्व व्यक्ति थे इसीलिए 1761 ई. में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अहमदशाह अब्दाली से हारने के बाद बचे हुए मराठ सैनिकों के भोजन, इलाज़ व कपड़ों की व्यवस्था महाराजा सुरजमल ने ही की थी।

दीपं उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न
‘रचनाधर्मियों ने अमरसिंह राठौड़ के त्याग से आकर्षित होकर अनेक प्रेरणादायक काव्यों की रचना की’ ऐसा करने  के पीछे कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए?
उत्तर
रचनाधर्मी अमरसिंह रायैड के त्याग एवं व्यक्तित्व से इस कारण प्रभावित हुए क्योंकि अमरसिंह गम्भीर व्यक्तित्व का धनी एवं साहसी था। अमरसिंह के त्याग एवं व्यक्तित्व को हम अग्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत समझ सकते हैं

  1. अमरसिंह महाराजा गजसिंह का स्वाभाविक उत्तराधिकारी था किन्तु षड्यन्त्र के कारण वह शासक नहीं बन सका। इसके बावजूद उसने इस निर्णय का प्रतिकार नहीं किया। यह बात उसकी महानता की द्योतक है।
  2. अमरसिंह की वीरता, योग्यता एवं सूझ-बूझ से तत्कालीन मुगल बादशाह शाहजहाँ भलीभांति परिचित था। इसीलिए अब कठिन सैन्य अभियानों की बात आती थी तो वह उसे ही भेजता था। यह बात अमर सिंह की वीरता की द्योतक है।
  3. अमरसिंह स्वाभिमानी होने के साथ-साथ स्वाभिमानी व्यक्तियों की  रक्षा भी करता था इसीलिए उसने बादशाह को चिन्ता किए बिना केसरीसिंह को 30 हजार का पट्टा और नागौर की सुरक्षा का उत्तरदायित्व सौंप दिया। यह बात अमरसिंह की स्वायत्त विचारधारा की प्रतीक है।
  4. अपने स्वाभिमान पर अमरसिंह ने कभी आँच नहीं आने दी। इसीलिए कुछ अवांछित घटनाओं के पटने पर उसने मुगल कोष में जमा कराए जाने वाले कर को देने से स्पष्ट मना कर दिया।
  5. मुगल बादशाह के सामने उसने सलावत खाँ को मौत के घाट उतार दिया जिससे उसकी बहादुरी साबित होती है। उपरोक्त कारणों से प्रभावित होकर ही रचनाधर्मियों ने अमर सिंह से सम्बन्धित काव्यों की रचना की।

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