Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi रचना कहानी-लेखन
कहानी सुनना तथा सुनाना सभी को अच्छा लगता हैआपने भी बचपन में अपने दादा-दादी, माता-पिता से अनेक कहानियाँ सुनी होंगीकहानी में अनेक पात्र होते हैंइन्हीं पात्रों के आधार पर कहानी चलती है, जो कथावस्तु कहलाती हैपात्रों द्वारा आपस में जो बातचीत होती है, जिन्हें संवाद या कथोपकथन कहते हैंइसी प्रकार कहानी का कोई न कोई प्रयोजन होता हैइसी प्रयोजन को कहानी का उद्देश्य कहते हैंकहानियों से हमें अनेक शिक्षाएँ मिलती हैं
कहानी लिखने हेतु आवश्यक बातें-कहानी लिखते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए
- कहानी की कथावस्तु इतनी रोचक होनी चाहिए कि पढ़ने वाले में कहानी के प्रति रुचि का विकास हो
- कहानी का प्रारम्भ इस प्रकार हो कि कहानी को पढ़ते ही कहानी को आगे पढ़ने की जिज्ञासा बढे
- कहानी वातावरण व परिस्थितियों के अनुकूल लिखी जानी चाहिए
- कहानी के कथोपकथन छोटे व सरल होने चाहिए
- कहानी की भाषा सरल, स्पष्ट व रोचक होनी चाहिए
- कहानी शिक्षाप्रद होनी चाहिएयहाँ कुछ कहानियाँ दी जा रही हैंइनको पढ़कर कहानी लेखन का अभ्यास करें
1. आजादी का सुख
एक बार एक ऊँट अपने स्वामी हरि सिंह से नकेल छुड़ा कर भाग खड़ा हुआवह भागता-भागता एक नदी के किनारे पहुँच गयानदी ने उसके-आगे जाने का मार्ग रोक दियावह ऊँट रास्ते में हरे-भरे खेत और पत्तेभरी झाड़ियाँ छोड़ आया थावह चाहती तो छक भरपेट भर सकता थाबेचारा ऊँट थक कर नदी के पास ही बैठ गयावह डर के मारे बलबला भी नहीं सकता थाकहीं हरीसिंह आकर उसे पकड़ न लेभूख के मारे उसकी आँतें कुलबुला रही थीं; पर वहाँ पानी के सिवा और कुछ नहीं थाइस स्थिति में उसे दो दिन बीत गये, तभी एक कौआ उड़ता हुआ आयाउसे बेचारे ऊँट की दशा पर दया आ गई, बोला”ऊँट मामा ! मैं उड़ता हूँ, तुम मेरे पीछे-पीछे चले आओमैं तुम्हें हरे-भरे खेत तक पहुँचा दूंगा।”
”अच्छा, कौवे भांजे !” कहकर ऊँट खड़ा हुआतभी उसे कुछ याद आ गयाउसने पूछा, “कौवे भांजे ! उस खेत में कभी कोई आदमी तो नहीं आता?” ऊँट की बात को सुनकर कौआ हँस पड़ा, बोला- ”ऊँट मामा ! भला हरा– भरा खेत आदमी के बिना कैसे होगा?” तब तो कौवे भांजे, मैं यही अच्छा हूँ।” ऊँट ने दु:खी मन से कहाऊँट मामा ! यहाँ तो तुम भूखे मर जाओगे।” – कौवे ने समझाया‘‘पर कौवे भांजे, यहाँ रात-दिन नकेल डालकर कोई सताया तो नहीं करेगा।” ऊँट ने संतोष और गर्व भरे स्वर में उत्तर दिया
शिक्षा-‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।’
2. मधुमक्खी और चिड़िया
कहानी–एक समय की बात है कि एक चिडिया एक पेड़ की डाल पर बैठी थीउसी समय एक मधुमक्खी पानी में गिर गयीचिड़िया ने उसे डूबते देखकर एक पत्ता तोड़कर पानी में डाल दियाडूबती हुई मधुमक्खी ने पत्ता देखा और उस पर बैठ गईकुछ समय बैठे रहने पर जब उसके पंख सूख गये तब वह उड़ गईइस प्रकार उसकी डूबने से जान बच गयी।
कुछ दिनों के बाद उसे जंगल में एक शिकारी आया। उसने उसी चिड़िया को पेड़ पर बैठे हुए देखा और उसका शिकार करने की सोचीचिड़िया को शिकारी का पता नहीं थावह बेखबर बैठी थीमधुमक्खी ने खतरे को – समझ लिया, उसने तुरन्त ही शिकारी के डंक मार दिया जिससे शिकारी को निशाना चूक गया और चिड़िया की जान बच गई- शिक्षा-भलाई का फल भला ही मिलता है।
3. रीछ और शिकारी
एक बार एक शिकारी शिकार के लिए जंगल की ओर गया। उसके हाथ में एक लम्बी मार की बढ़िया बन्दूक थी कारतूस = की पेटी उसके कंधे पर लटकी हुई थीसामने एक ऊँचा – पर्वत दूर तक फैला हुआ था उस पर्वत से लगी एक पतली सी पगडंडी खड्ढे के पास जा रही थीउस खड्ढे के उस पार जंगली बेरी थी रीछ वहाँ पके हुए बेर खाने जाते होंगेतभी शिकारी ने देखा कि एक छोटा रीछ इस पार से पगडंडी पर होकर उस पार जा रहा हैगोली मारने से छोटा रीछ, खड्ढे में गिर पड़ेगाउससे उसे कोई लाभ नहीं होगायह सोचकर।
शिकारी चुपचाप खड़ा रहाफिर उसने दूरबीन से देखा कि उस पार से उसी पगडंडी पर दूसरा बड़ा रीछ इस पार आ रहा हैदोनों रीछ लड़ेंगे और खड्ढे में गिर कर मर जायेंगे।” शिकारी बुदबुदायावह पगडंडी इतनी पतली थीकि दो रीछ एक साथ नहीं निकल सकते थेशिकारी ध्यान से उन्हें देखने लगाकुछ ही देर में दोनों रीछ आमने-सामने आएशिकारी ने देखा कि बड़ा रीछ चुपचाप बैठ गया और छोटा रीछ उसके ऊपर चढ़कर आगे निकल गयाउसके बाद बड़ा रीछ उठकर चल दिया।
“ओह! पशु.इतना समझदार होता है और मूर्ख व्यक्ति आपस में लड़ते हैं।” शिकारी के मुख से निकला और वह बिना शिकार किए ही लौट आया भविष्य में उसने शिकार न करने का प्रण ले लियाशिक्षा-मूर्ख सत्संगति से ही सुधर सकते हैं।
4. रंगा सियार
किसी जंगल में एक सियार रहता थावह अपनी चालाकी के कारण अकेला रहता थाएक रात खाने की तलाश में घूमता-घूमता जंगल से बाहर निकल गयारात के उजाले में उसे नील से भरी एक बड़ी टंकी दिखाई दीउसने सोचा कि उसमें जरूर खाने की कोई चीज होगीवह टंकी पर उछल कर चढ़ गयाउसने नील की टंकी में मुंह डालकर देखा कि उसमें क्या है? टंकी थोडी खाली थीइसलिए उसने जैसे ही मुँह नीचे बढ़ाने की कोशिश की वैसे ही वह टंकी में गिर पड़ाउसने टंकी से निकलने की बहुत कोशिश की पर वह निकल नहीं सकाअन्त में वह किसी प्रकार बाहर निकलाउसने पानी में अपना शरीर देखा, वह पूरा नीला था।
सोचते-सोचते सियार जंगल में पहुँचाउसने अपने अन्य सियारों से कहा कि उसे कल रात वनदेवी मिली थी उन्होंने मुझे यह रूप दिया और जंगल का राजा बना दियासभी उसकी बातों में आ गयेसियार जंगल का राजा बन गया एक बूढ़े सियार को उसकी बातों पर शक हु आउसने कुछ सियारों के कान में कहा और उन सभी ने मिलकर ‘हुआहुआ’ करना शुरू कर दिया रंगे सियार से भी नहीं रहा गया वह भी ‘हुआ-हुआ’ करने लगाइस प्रकार उसका भेद खुल गया और जंगल के असली राजा सिंह द्वारा रंगा सियार मार डाला गया।
शिक्षा-न कभी असलियत को छुपाना चाहिए न छल करना चाहिए।
5. लोमड़ी और अंगूर
एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थीदो दिन से उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिला थाभूख के मारे उसका दम निकल रहा थावह खाने की खोज में निकली पर उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिलाअब उसके प्राणों पर बन आई थीवह मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना करने लगी कि हे प्रभु ! मेरी रक्षा कर।
प्रभु ने उसकी पुकार सुन लीकुछ दूरी पर उसे एक बाग दिखाई दियावह शीघ्रता से उस बाग में पहुँचीवहाँ पर काले अँगूरों के बड़े-बड़े गुच्छे लटक रहे थेउन्हें देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आयावह गुच्छों तक पहुँचने के लिए उछल-कूद करती रहीकिन्तु उसके हाथ-अंगूरों का एक भी गुच्छा न लगाजब वह उछल-कूद करके बहुत थक गई, तो उसने अँगूरों को पाने का विचार छोड़ दियाउसने जाते-जाते अंगूरों की ओर देखा, बोली कि मैं इन खट्टे अँगूरों का क्या करूंगी? इनके खाने से तो मेरा गला खराब हो जायेगा
शिक्षा-प्रत्येक असफल व्यक्ति चीज में दोष हूँढ़ता है।
6, जैसे को तैसा
किसी जंगल में सारस और गीदड़ रहते थेप्रकृति भिन्न होते हुए भी वे दोनों गहरे दोस्त थेसारस सरल प्रकृति का जीव था और गीदड़ चालाकएक दिन गीदड़ ने सारस को खाने की दावत पर बुलायासारस के आने पर गीदड़ ने बड़ी-सी थाली में खीर परोस कर उसके सामने रख दीसारस ने थाली में से खीर खाने की कोशिश कीमगर चोंच के न डूबने से वह खीर का एक-एक चावल उठा कर खाने लग गयाइस बीच गीदड़ सारी खीर चट कर गयाइसके साथ ही दावत का समय खत्म हो गया गीदड़ ने अपने मित्र को विदा कियाबेचारा सारस भूखा लौटा। उसने चलते-चलते अगले दिन गीदड़ को खाने का न्यौता।
दियादूसरे दिन गीदड़ ठीक समय पर सारस के यहाँ पहुँच गयासारस ने लम्बी सुराही में खीर परोस रखी थी, कहा ”बंधु ! दावत का आनन्द लूटो।” इतना कह कर सारस ने लम्बी सुराही में चोंच डाली और मजे से सारी खीर खा गयागीदड़ का मुँह सुराही में घुस नहीं सकता था, इसलिए यह सारस का मुंह देखता रह गयाउसे सुराही के बाहर लगे खीर के चावलों से ही संतोष करना पड़ावह बहुत शर्मिन्दा हुआउसकी दशा देखकर साहस हँस कर बोला, “बंधु ! आज तुम्हें बड़ी तकलीफ हुई।” गीदड़ कुछ न कह सकावह खिसिया कर लौट गया
शिक्षा-किसी से बुरा व्यवहार न करो।
7. लोभ का फल
किसी नगर में कौड़ीमतल नाम का एक व्यक्ति रहता था वह बहुत कंजूस था वह रात-दिन पैसा जोड़ने की चिन्ता में लगा रहता थावह पैसे के लिए बुरे से बुरे काम करने के लिए तैयार हो जाता थासंयोगवश उसे एक ऐसी मुर्गी मिल गई जो रोजाना एक सोने का अण्डा देती कौड़ीमल सोने के अण्डे को बेचकर पैसा इकट्ठा करने लग गया। कुछ ही दिनों में कौड़ीमल की नगर में रईसों में गिनती होने लग गईफिर भी उसका लोभ कम नहीं हुआ।
एक दिन उसने सोचा कि इस मुर्गी के पेट में बहुत सारे अण्डे भरे हुए हैंआजकल सोने का भाव अच्छा चल रहा है, क्यों न इसका पेट चीर कर सारे अण्डे निकाल लिएजाएँलोभ ने कौड़ीमल की अक्ल पर पर्दा डाल दिया था। वह यह भी न जान सका कि मुर्गी के पेट में चीरने से वह मर जायेगीइस तरह न मुर्गी रहेगी और न सोने के अण्डे ही मिलेंगे
अगले दिन सवेरे उठते ही कौड़ीमल ने मुर्गी का पेट चीर डालाइसके पेट में सोने के अण्डे तो नहीं मिले पर मुर्गी अवश्य मर गईकौड़ीमल हाथ मल कर पछताता रह गयाशिक्षा-लोभ का फल बुरा होता है।