RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 19 मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भारत

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 8
Subject Social Science
Chapter Chapter 19
Chapter Name मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भारत
Number of Questions Solved 49
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 19 मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भारत

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
मराठों में सर्वप्रथम राष्ट्रीय भावना को किस शासक ने भरा था?
उत्तर
मराठों में सर्वप्रथम राष्ट्रीय भावना को शिवाजी ने भरा था।

प्रश्न 2.
यशवन्तराव होल्कर की सहायता राजस्थान के किस शासक ने की थी ?
उत्तर
भरतपुर के शासक रणजीत सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध यशवन्तराख होल्कर की सहायता की थी।

प्रश्न 3.
गन्धर्व बाईंसी किसके दरबार में रहते थे ?
उत्तर
गन्धर्व बाईसी नामक विद्वान जयपुर के शासक सवाई प्रतापसिंह के दरबार में रहते थे।

प्रश्न 4.
मुगलों में उत्तराधिकार किस प्रकार प्राप्त होता धा?
उत्तर
मुगलों में राजगद्दी के लिए उत्तराधिकार का कोई नियम न था। तलवार के बल पर ही उत्तराधिकार का निर्णय होता था।

प्रश्न 5.
18वीं सदी में मराठों की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर
18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में मराठा साम्राज्य में छत्रपति के स्थान पर पेशवा अधिक शक्तिशाली हो गए थे। पेशवा बाजीराव ने मारनया, गुजरात तथा बुन्देलण्ड में मराठा शक्ति का प्रसार कर दिया था। बालाजी बाजीराव के नेतृत्व में मराठों ने भारत के अधिकांश भागों पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया था। 1752 ई. तक आते-आते मुगल सम्राट् च वजीर  भी मराठों के नियन्त्रण में आ गए। यद्यपि 1761 ई. में पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठा शकिा को आघात लगा, परन्तु इसके बावजूद उस समय भारत की सबसे प्रबल शशि मराठे ही थे। अंग्रेजों ने मराठों के साथ तीन बार युद्ध करके उनको अपने अधीन कर लिया था।

प्रश्न 6.
सवाई जयसिंह की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर

  1. आमेर के शासक सवाई जयसिंह एक प्रतापी शासक थे। 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने मालवा की सूबेदारी प्राप्त की।
  2. उन्होंने बूंदी के उत्तराधिकार के युद्ध में हस्तक्षेप किया और अपने समर्थक दलेलसिंह को श्रृंदी की गद्दी पर बिठा दिया। इससे मराठों को राजस्थान में हस्तक्षेप करने का अवसर मिल गया।
  3. मराठों के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकने के लिए सवाई जयसिंह व अन्य शासकों ने 17 ई. में राजपूत शासकों का हुरडा नामक स्थान पर एक सम्मेलन आयोजित किया। उन्होंने हुरडा सम्मेलन द्वारा राजपूतों की एकता का प्रयास किया था।
  4. सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर बसाया तथा भारत में पाँच स्थानों पर वेधशालाएँ (जन्तर-मन्तर) भी बनवाई। उन्होंने अनेक दुग, मन्दिरों एवं राजमहलों का भी निर्माण करवाया।

प्रश्न 7.
किन-किन मुगल सुबेदारों ने स्वतन्त्र राज्यों की नींव डाली ? किन्हीं तीन के नाम लिखिए।
उत्तर
जिन मुगल सूबेदारों ने स्वतन्त्र राज्यों की नींव डाली, उनमें से तीन के नाम निम्न प्रकार हैं|

  1. निजाम चिनकिलिच खौ
  2. सआदत खां
  3. मुर्शीद कुली खाँ।

प्रश्न 8.
हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था एवं इसके उद्देश्य क्या थे?
अथवा
हुरडा सम्मेलन क्या था? आपके विचार में इसके क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर
हुरड़ा सम्मेलन-1730 ई. में सवाई जयसिंह ने बुद्धसिंह को हटाकर दलेलसिंह को बूंदी की गद्दी पर बिठा  दिया। इस पर मराठों को राजस्थान की राजनीति में हस्तक्षेप करने का अवसर मिल गया। अतः मराठों के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकने के लिए सवाई जयसिंह एवं अन्य शासकों  ने 1734 ई. में राजपूत शासकों का हुरडा नामक स्थान पर एक सम्मेलन आयोजित किया।

हुरडा सम्मेलन के उद्देश्य

  1. मराठों के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकना।
  2. राजस्थान में मराठों को हस्तक्षेप करने का अवसर न
  3. राजपूतों की एकता को बनाए रखना।

प्रश्न 9.
मुगल साम्राज्य के पतन के किन्हीं चार कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण ( चार )
(1) मुगल शासकों की अयोग्यता- औरंगजेब के बाद के समस्त मुगल शासक अयोग्य और विलासी थे। वे भोग विलास में डूबे रहते थे। यह नैतिक पतन उनके साम्राज्य के पतन का कारण बना।

(2) अमीरों ( सरदारों ) का पतन- मुगल सम्राटों के साथ-साथ उनके अमीरों का भी नैतिक पतन हो गया था। वे विलासी जीवन व्यतीत करते थे तथा अपने स्वार्थों की | पूर्ति के लिए आपस में लड़ते रहते थे। वे अयोग्य और | चरित्रहीन हो गए थे।

(3) उत्तराधिकार के नियम का अभाव- मुगल साम्राज्य में उत्तराधिकार के नियम का अभाव था । यहाँ कोई निश्चित नियम नहीं था कि शासक की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र ही गद्दी पर बैठेगा। उत्तराधिकार का निर्णय तलवार के बल पर होता था। इससे राज्य को बहुत हानि होती थी।

(4) बाह्य आक्रमण- मुगल सम्राटों की दुर्बलता का लाभ उठाकर नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर आक्रमण किये। उनके आक्रमणों ने मुगल साम्राज्य को प्रेयल आपात पहुँचाया। इससे मुगलों की सैनिक शक्ति कमजोर हो गई।

प्रश्न 10.
18वीं सदी में किन्हीं तीन राजपूत रियासतों की राजनैतिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर
18वीं सदी में राजपूत रियासतों की राजनैतिक स्थिति
(1) आमेर (जयपुर)- 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में जयपुर के शासक सवाई जयसिंह ने मालवा की सूबेदारी प्राप्त की श्री । सवाई जयसिंह ने बूंदी के उत्तराधिकार युद्ध में हस्तक्षेप कर दलेलसिंह को बूंदी की गद्दी पर बिठा दिया था। इससे मराठों को राजस्थान में प्रवेश करने का अवसर मिल गया।

मराटों के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकने के लिए सवाई जयसिंह तथा अन्य शासकों ने 1734 में राजपूत शासकों का हुरड़ा नामक स्थान पर एक सम्मेलन आयोजित किया। उन्होंने हुरडा सम्मेलन के द्वारा राजपूतों की एकता का प्रयास किया। सवाई जयसिंह की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र ईश्वरसिंह तथा माधोसिंह में संघर्ष हुआ। इससे मराठों को जयपुर राज्य में हस्तक्षेप करने का अवसर मिल गया । सवाई जयसिंह के बाद के सभी शासकों को मराठों के आक्रमणों का भी सामना करना पड़ा। जयपुर के शासक सवाई प्रतापसिंह ने तुंगा के युद्ध में मराठों को पराजित करने में सफलता प्राप्त

(2) जोधपुर- 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई। इसकी मृत्यु के बाद अजीतसिंह ने जोधपुर पर आक्रमण कर वहाँ के मुगल फौजदार को मार भगाया और जोधपुर पर अधिकार कर लिया। बाद में अजीतसिंह ने मुगल दरबार में अपना प्रभाव बढ़ाया तथा गुजरात का सूबेदार बना। मुगल सम्राट् फर्रुखसियर को गद्दी से हटाने में अजीतसिंह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके बाद उत्तरवर्ती शासकों में जोधपुर की राजगद्दी को लेकर गृह-युद्ध हुआ।

(3) मेवाड़- मेवाड़ के शासक अमरसिंह द्वितीय ने सवाई जयसिंह को आमेर तथा अजीतसिंह को जोधपुर का राज्य प्राप्त कराने में सहायता दी। मराठों के प्रभाव को रोकने के लिए आयोजित हुरड़ा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड़ के शासक महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की कालान्तर में मेवाड़ के शासकों में भी राजगद्दी के लिए गृहयुद्ध हुआ।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

बहुविकल्पात्मक

प्रश्न 1.
गन्धर्व बाईसी किसके दरबार में रहते थे?
(अ) सवाई जयसिंह
(ब) प्रताप सिंह
(स) शिवाजी
(द) बाबर
उत्तर
(ब) प्रताप सिंह

प्रश्न 2.
मराठा राज्य की स्थापना करने वाले थे
(अ) छत्रपति शिवाजी
(ब) नादिरशाह
(स) महाराणा प्रताप
(द) बाबर
उत्तर
(अ) छत्रपति शिवाजी

प्रश्न 3.
किस विदेशी आक्रमणकारी ने भारत पर आक्रमण कर मुगल साम्राज्य को हानि पहुँचाई?
(अ) वायर
(ब) फर्रुखसियर
(स) जहाँदरशाह
(द) नादिरशाह
उत्तर
(द) नादिरशाह

प्रश्न 4.
भारत में राजनीतिक सत्ता स्थापित करने में किस यूरोपियन जाति को सफलता मिली।
(अ) फ्रांसीसियों
(ब) अंग्रेजों
(स) इचों
(द) पुर्तगालियों
उत्तर
(ब) अंग्रेजों

प्रश्न 5.
18वीं सदी के मध्य काल में किसने मैसूर पर अधिकार स्थापित कर लिया था?
(अ) निजाम
(ब) हैदरअली
(स) सआदतखाँ
(द) रणजीतसिंह
उत्तर
(ब) हैदरअली

प्रश्न 6.
जयपुर शहर बसाया था
(अ) सवाई जयसिंह ने
(ब) सवाई प्रतापसिंह ने
(स) ईश्वरसिंह ने
(द) माधोसिंह ने
उत्तर
(अ) सवाई जयसिंह ने

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. ………. की शक्ति के उद्भव को मुगलों के पतन का प्रमुख कारण माना जाता है। (मराठों जाटों)
2. पंजाब में…………….. के नेतृत्व में सिक्यों ने अपने आपको स्वतन्त्र घोषित कर दिया। (बन्दा बहादुर/जंग बहादुर)
3. मुगल साम्राज्य में के नियमों का अभाव था। (उत्तराधिकार/राजस्व)
4. अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में करने के लिए संघर्ष हुआ। (आर्थिक सत्ता/राजनीतिक सत्ता)
5. ………….. के नेतृत्व में जाट साम्राज्य की स्थापना हुई। (गोकुल/बदनसिंह)
उत्तर
1. मराठों
2. थन्दा बहादुर
3. उत्तराधिकार
4. राजनीतिक सत्ता
5. बदनसिंह

निम्नलिखित प्रश्नों में सत्य/असत्य कथन बताइये

1. बन्दा बहादुर ने पंजाब में अलग से सिक्का चलाया।
2. मुहम्मद शाह के आक्रमण ने मुगल साम्राज्य को बहुत हानि पहुँचाई
3. भारत में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने में फ्रांसीसी सफल
4. मराठा साम्राज्य की स्थापना शिवाजी ने की थी।
5. हैदराबाद में निजाम ने अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया।
उत्तर
1. सय
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. सत्य

स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 19 मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भारत 1
उत्तर
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 19 मुगल साम्राज्य का पतन और 18वीं शताब्दी का भारत 2

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब में किसके नेतृत्व में सिखों ने अपने आप को स्वतन्त्र रुपोषित कर दिया?
उत्तर
पंजाब में बन्दा बहादुर के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने आप को स्वतन्त्र घोषित कर दिया।

प्रश्न 2.
मुगल शहजादियों ने पर्दा फेंक कर विद्रोह क्यों कर दिया था और कब कर दिया था।
उत्तर
1755 ई. में मुगलों की शाही भोजनशाला में तीन दिनों तक चून्हों में आग तक नहीं जली। भूख सहन न करने के कारण मुगल शादियों ने पर्दा फेंक कर विद्रोह कर दिया।

प्रश्न 3.
दस्तक प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
ईस्ट इण्डिया कम्पनी अपने दस्तक (आज्ञा पत्र) से कम्पनी के माल को विभिन्न स्थानों पर ले जाने हेतु दस्तक (आज्ञा पत्र) जारी करती थी।

प्रश्न 4.
चौथ एवं सरदेशमुखी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर

  1. चौथ मराठों द्वारा अन्य शासकों से लिया जाने वाला सुरक्षा कर था।
  2. सरदेशमुखी मराठा क्षेत्र के शासकों से लिया जाने वाला कर था।

प्रश्न 5.
किन विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमणों ने मुगल साम्राज्य को बहुत हानि पहुँचाई?
उत्तर
नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों ने मुगल साम्राज्य को बहुत हानि पहुँचाई।

प्रश्न 6.
कौनसा विदेशी आक्रमणकारी लूट के सामान के साथ कोहिनूर हीरा तथा तख्ते ताऊस (मयूर सिंहासन) भी अपने साथ लेकर गया था?
उत्तर
नादिरशाह लूट के सामान के साथ ‘कोहिनूर हीरा तथा तखो-ताऊस (मयूर सिंहासन) भी अपने साथ लेकर गया था।

प्रश्न 7.
दस्तक प्रणाली से मुगल साम्राज्य की आर्थिक दशा क्यों शोचनीय हो गई थी?
उत्तर
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा दस्तक प्रणाली का अनुचित ढंग से उपयोग करने के कारण मुगल साम्राज्य की आर्थिक दशा शोचनीय हो गयी थी। प्रश्न 8. हैदराबाद तथा अवध में किन मुगल सूबेदारों ने स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की थी? उत्तर-हैदराबाद में निजाम (चिनकिलिच खाँ) ने तथा अवध में सआदतखां ने स्वतन्त्र राज्यों की स्थापना की थी।

प्रश्न 9.
प्लासी का युद्ध कब हुआ और किस किसके बीच हुआ?
उत्तर
1757 ई. में नासो का युद्ध बंगाल के नवाथ सिराजुद्दौला तथा अंग्रेज सेनापति क्लाइव के बीच हुआ था।

प्रश्न 10.
‘वामन’ का निर्माण किसने और कहाँ कराया था?
उत्तर
सवाई प्रतापसिंह ने जयपुर में हवामहल’ का निर्माण करवाया था।

प्रश्न 11.
जयपुर शहर को बसाने और जन्तर-मन्तर बनवाने वाला कौन शासक था?
उत्तर
आमेर (जयपुर) के शासक सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर बसाया और जन्तर मन्तर बनवाये।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
औरंगजेब की मृत्यु के बाद 20 वर्षों में ही मुगल साम्राज्य का पतन तीव्र गति से क्यों हो गया ?
उत्तर
औरंगजेब की मृत्यु 1707 ई. में हुई और 1730 ई. तक मुगलों का प्रभाव केवल दिल्ली शहर और उसके आस-पास तक ही रह गया। मुगल साम्राज्य के इस तीव्र पतन के प्रमुख कारण थे-
(1) औरंगजेब की हिन्दू, सिख – और शिया आदि के प्रति अनुदार नीति जिसके कारण दक्षिण में मराठाओं का अभ्युदय हुआ और उत्तर भारत में सिख तथा जाट राज्यों का उदय हुआ।

(2) दुसरा प्रमुख कारण धा–  शाहजहाँ की फिजूलखर्ची, औरंगजेब की निरन्तर युद्ध की स्थिति, अहमदशाह अब्दाली व नादिरशाह को लूट तथा मुगल साम्राज्य में व्याप्त अशांति और असुरक्षा से व्यापार में गिरावट आने से साम्राज्य का आर्थिक पतन होना।

(3) मुगल साम्राज्य के तीव्र पतन का तीसरा कारण था- औरंगजेब के अयोग्य उत्तराधिकारी तथा उत्तराधिकार के नियम का अभाव एवं सरदारों का पतन जिसने मुगल साम्राज्य को निर्बल बना दिया था।

(4) मुगलों के पतन का अन्तिम कारण था- ईस्ट इण्डिया कम्पनी जिसने यहाँ की स्थिति का लाभ उठाकर अपना साम्राज्य स्थापित किया।

प्रश्न 2.
18वीं सदी में भारत में व्याप्त राजनीतिक अव्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर
18वीं सदी में भारत में व्याप्त राजनीतिक अव्यवस्था- 18वीं सदी में भारत की राजनीतिक स्थिति शोचनीय थी। इस समय मुगल साम्राज्य कमजोर हो गया था। मुगल साम्राज्य के अनेक सूबेदारों ने अपने स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिये थे । मराठों ने उत्तरी भारत में राजपूत राज्यों से अच्छे सम्बन्ध स्थापित नहीं किये । परिणामस्वरूप पानीपत के तृतीय गद्ध में उन्हें अहमदशाह अब्दाली के विरुद्ध राजपूतों तथा अन्य भारतीय शक्तियों का सहयोग प्राप्त नहीं हुआ। जिससे मराठों को इस युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा। राजपूत शासक गृहयुद्ध में लिप्त थे। इस कारण वे भी अपनी शकिा का विस्तार नहीं कर पाए। अंग्रेजों ने भारतीय शासकों की इन दुर्बलताओं का लाभ उठाया और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।

प्रश्न 3.
18वीं सदी में मराठों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर
18वीं सदी में मराठों की स्थिति-18र्वी सदी के पूर्वार्द्ध में मराठा साम्राज्य में छत्रपति के स्थान पर पेशवा अधिक शक्तिशाली हो गए थे। पेशवा बाजीराव ने मालवा, गुजरात तथा बुन्देलखण्ड़ में मराठा शक्ति का प्रसार किया। बालाजी बाजीराव के समय में मराठों ने भारत के अधिकांश भागों पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया। 1752 तक मुगल सम्राट् च वजीर भी मराठ के नियन्त्रण में आ गए। 1761 में पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की शक्ति को -आघात लगा परन्तु इसके बावजूद भी मराठा ही उस समय सबसे अधिक शक्तिशाली थे। लेकिन अंग्रेजों ने मराठों के साथ तीन बार युद्ध करके उन्हें अपने अधीन कर लिया।

प्रश्न 4.
मुगलों के पतन के समय जाट शक्ति की क्या स्थिति थी ?
उत्तर
जब मुगलों का पतन हो रहा था तब बदनसिंह के नेतृत्व में जाट साम्राज्य की स्थापना हुई थी। जाटों की शक्ति का विकास महाराजा सूरजमल के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने भरतपुर को अपनी राजधानी बनाया। जाटों ने मथुरा, अलीगढ़ और दोआब क्षेत्र पर भी अधिकार कर लिया। भरतपुर के शासक रणजीतसिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध मराठा सरदार यशवन्त राव होल्कर की सहायता की । बाद में भरतपुर के शासकों ने अंग्रेजों से सन्धि कर ली।

प्रश्न 5.
18वीं सदी में निजाम ने हैदराबाद राज्य का उत्थान किस प्रकार किया?
उत्तर
हैदराबाद राज्य का उत्थान-1वीं सदी के पूर्वाई में मुगलों के मनसबदार निजाम चिनकिलिच खाँ ने दक्षिण के 6 मुगल सूबों को मिलाकर हैदराबाद राज्य की स्थापना की। उसने स्वतन्त्र शासक की भाँति शासन करना शुरू कर दिया। निजाम पर मुगल सम्राट् का प्रभाव नाममात्र का था। यद्यपि मराठों ने निजाम को पालखेद के युद्ध में पराजित कर दिया था, परन्तु इसके बावजूद भी हैदराबाद का निजाम शक्तिशाली था।

प्रश्न 6.
18वीं सदी में स्थापित अवध एवं बंगाल के स्वतन्त्र राज्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
अवध-मुगल सुबेदार सआदत खाँ ने अवध में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। इसने नादिरशाह के आक्रमण के समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कालान्तर में अवध का शासक शुजाउद्दौला 1764 में बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों से  पराजित हो गया व कालान्तर में अन पर भी अंग्रेजों का नियन्त्रण हो गया। बंगाल-बंगाल के स्वतन्त्र राज्य की स्थापना मुर्शीद कुलीयाँ ने की थी और बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के क्षेत्रों पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। उसके उत्तराधिकारियों के शासन काल में मराठों ने बंगाल से उड़ीसा को छीन लिया था। 1757 में प्लासी के युद्ध में अंग्रेज सेनापति क्लाइव ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित कर बंगाल पर अंग्रेज का प्रभुत्व स्थापित कर दिया।

प्रश्न 7.
1761 में पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय क्यों हुई?
उत्तर
15वीं सदी में यद्यपि बालाजी बाजीराव के नेतृत्व में मराठों ने भारत के अधिकांश भागों पर तथा मुगल सम्राट व वजीर पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया था, तथापि 1761 ई. में पानीपत के तृतीय युद्ध में अहमदशाह अब्दाली के विरुद्ध मराठों की पराजय हुई । इसका कारण यह था कि मठे से अपने प्रभाव क्षेत्र के राज्यों से मात्र चैथ एवं सरदेशमुखी वसूल करने पर ही अपना ध्यान दिया। उन्होंने उत्तरी भारत के राज्यों से अच्छे सम्बन्ध विकसित नहीं किये । परिणामस्वरूप इस युद्ध में उन्हें राजपूतों तथा अन्य भारतीय शक्तियों का सहयोग नहीं मिला और उन्हें पराजित होना पड़ा।

प्रश्न 8.
“मुगल साम्राज्य के कमजोर होने से क्षेत्रीय कला का विकास तेजी से हुआ?” कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर
मुगल साम्राज्य कमजोर होने से कलाकार क्षेत्रीय राज्यों की ओर जाने लगे। इससे क्षेत्रीय कला का विकास तेजी से हुआ। कांगडू व राजपूत चित्रकला शैलियों में नई विशेषताएँ आईं। स्थापत्यकला का भी विकास हुआ। राजस्थान में जाट शासकों ने इसी काल में डीग के महल बनवाए। सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर बसाया तथा भारत में पांच स्थानों पर वेधशालाएँ बनवाई। सवाई प्रतापसिंह द्वारा जयप्नुर में हवामहल का निर्माण भी इसी काल में हुआ। साहित्य के क्षेत्र में प्रतापसिंह के दरबार में ही राधा गोविन्द संगीत सार जैसा ग्रन्थ लिखा गया। इनके दरबार में ‘गन्धर्व बाईसी’ जैसे विद्वान रहते थे। पंजाब में हरि ग्या लिखा गया। भारत की अन्य।भाषाओं में भी कई ग्रन्थों की रचना की गई।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मुगल साम्राज्य के पतन के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण मुगल साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारणों का वर्णन |निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।
(1) औरंगजेब की धार्मिक नीति- औरंगजेब की धर्मान्धता की नीति से हिन्दुओं में असन्तोष व्याप्त था। इस नीति के विरुद्ध मराठों ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। उत्तर भारत के शासकों ने भी मुगल साम्राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। पेशवाओं के समय में तो मानों की शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने दिल्ली के मुगल सम्राट को अपने हाथ की कठपुतली बना लिया। जाटों ने आगरा तथा भरतपुर के क्षेत्रों में मुगल सम्राट को मानने से इन्कार कर दिया। पंजाब में बंद बहादुर के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने आपको स्वतन्त्र घोषित कर दिया। मुगल शासक इतने दुर्बल हो गए कि वे इन विद्रोही शासकों को स्वतन्त्र होने से नहीं रोक पाए।

(2) मुगल शासकों की अयोग्यता- औरंगजेब के पश्चात् समस्त मुगल शासक अयोग्य और विलासी थे। वे अपना अधिकांश समय भोग-विलास में अतीत करते थे। इससे उनमें वीरता तथा साहस में कमी आई। यह नैतिक पतन उनके पतन के लिए उत्तरदायीं था।

(3) अमीरों ( सरदारों ) का पतन- मुगल सम्राटों की भाँति उनके अमीरों को भी पतन हो गया। वे विलासी जीवन व्यतीत करने लगे और अपने स्वार्थों की प्राप्ति के लिए आपस में लड़ने लगे। अमीर अयोग्य और चरित्रहीन हो गए तथा अपने राज्य के हितों की उपेक्षा करने लगे थे।

(4) आर्थिक पतन- शाहजहाँ ने अपनी शान-शौकत युका तथा खर्चीली इमारतों का निर्माण किया तथा औरंगजेब लम्बे समय तक युद्ध करता रहा, जिससे मुगल साम्राज्य की आर्थिक अवस्था शोचनीय हो गई। अहमदशाह अब्दाली तथा नादिरशाह ने भारत को खूब लूटा। मुगल साम्राज्य में व्याप्त अशान्ति एवं असुरक्षा के कारण व्यापार में गिरावट आई जिससे राजकीय आय में कमी आई। दुस्तक प्रणाली से आय में कमी ने राज्य की आर्थिक दशा को और शोचनीय बना दिया।

(5) उत्तराधिकार के नियमों का अभाव- मुगल साम्राज्य में उत्तराधिकार के नियमों का अभाव था। यहाँ उत्तराधिकार का निर्णय तलवार के बल पर होता था जिससे राज्य की शक्ति तथा प्रतिष्ठा को हानि पहुँचती थीं।

(6) बाह्य आक्रमण- अहमदशाह अब्दाली तथा नादिरशाह के आक्रमणों ने मुगल साम्राज्य को बहुत हानि पहुँचाई। इससे मुगलों को सैनिक शक्ति कमजोर हो गई। इस स्थिति का लाभ उठाकर अनेक सूत्रों के सूबेदार स्वतन्त्र हो गए।

(7) राष्ट्रीयता का अभाव- मुगल काल में अधिकतर . शासक राष्ट्रीय दृष्टिकोण के शासक नहीं हुए। मुगल शासकों ने विभिन्न पंथों को मानने वाले लोगों में एकता की भावना का संचार नहीं किया। औरंगजेब हिन्दुओं तथा शिया मुसलमानों से घृणा करता था। वह अपनी प्रजा तथा पदाधिकारियों में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न नहीं कर सका।

(8) यूरोपियन जातियों का आगमन- मुगल काल में अंग्रेज, फ्रांसीसी, पुर्तगाली और डच भारत में व्यापार करने आए थे। उन्होंने मुगल साम्राज्य की कमजोरियों का लाभ उठाकर अपनी राजनीतिक सत्ता स्थापित करना शुरू कर दिया। अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में राजनीतिक सत्ता स्थापित करने के लिए संघर्ष हुआ, जिसमें अंग्रेजों ने विजय प्राप्त की। इस प्रकार मुगलों के पतन का अन्तिम कारण अंग्रेजों की ईस्ट इण्डिया कम्पनी थी।

प्रश्न 2.
18वीं सदी में भारतीय समाज व संस्कृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर
18वीं सदी में भारतीय समाज व संस्कृति
(1) भारतीय समाज- भारतीय समाज में हिन्दू एवं मुस्लिम निवास करते थे। इनमें समान रीति-रिवाज प्रचलित थे। जातियाँ व्यवसाय पर आधारित थीं तथा समाज में दो वर्ग थे-

  • अमीर वर्ग तथा
  • जनसाधारण

(2) भारतीय व्यवसाय- भारतीय व्यवसाय उन्नत अवस्था में थे। वस्त्र व्यापार बहुत उन्नत था। बंगाल तथा दक्षिणी भारत के वस्त्र सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध थे। भारतीय माल की माँग विदेशी बाजारों में भी बहुत अधिक थी परन्तु 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में अंग्रेजी नीतियों ने भारतीय व्यापार को प्रभावित किया।

(3) कला- 18वीं सदी में देश के विभिन्न भागों में कला का विस्तार तीव्र गति से हुआ। कांगड़ा व राजपूत चित्रकला शैलियों में नई विशेषताएँ आई। राजस्थान में जाट शासकों ने डीग के महल बनवाए। सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर बनाया तथा भारत में पाँच स्थानों पर वेधशालाएँ (जन्तर-मन्तर) बनाई। सयाई प्रतापसिंह ने जयपुर में हवामहल का निर्माण करवाया।

(4) साहित्य- 18वीं सदी में साहित्य की भी पर्याप्त उन्नति हुई। सवाई प्रतापसिंह के दरबार में ‘राधा-गोविन्द संगीतसार’ नामक ग्रन्थ की रचना की गई। उनके दरबार में ‘गन्धर्व बाईसी’ जैसे विद्वान रहते थे। इसी कारन में पंजाब में ‘हीर-रांझा’ लिखा गया। भारत की अन्य भाषाओं में भी अनेक ग्रन्थ लिखे गए।

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