RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 14 स्वास्थ्य, रोग एवं योग

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 9
Subject Science
Chapter Chapter 14
Chapter Name स्वास्थ्य, रोग एवं योग
Number of Questions Solved 85
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 14 स्वास्थ्य, रोग एवं योग

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
क्याशियोकोर रोग किस भोजन भाषण कमी से होने वाला रोग है?
(अ) कार्बोहायड्रेट
(ब) प्रोटीन
(स) वसा
(द) खनिज लवण
उत्तर:
(ब) प्रोटीन

प्रश्न 2.
निम्न में से जन्मजात रोग नहीं है-
(अ) कुष्ठ रोग
(ब) टिटेनस
(स) मलीया
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(द) कोई नहीं।

प्रश्न 3.
भोजन का वह घटक जिससे शरीर को सर्वाधिक ऊर्जा प्राप्ति होती है।
(अ) वसा
(ब) कार्बोहायड्रेट
(स) प्रोटीन
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) कार्बोहायड्रेट

प्रश्न 4.
विटामिन ‘डी’ की कमी से होने वाला रोग है-
(अ) कुष्ठ रोग
(ब) टिटेनस
(स) चिकन पोक्स
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) टिटेनस

प्रश्न 5.
(अ) रक्त द्वारा
(ब) माता से सन्तानों को
(स) स्पर्श द्वारा
(द) यौन सम्बन्ध द्वारा
उत्तर:
(स) स्पर्श द्वारा

प्रश्न 6.
योग द्वारा व्यसक्ति में कौन-सा लक्षण निर्मित होता है –
(अ) स्वाध्याय
(ब) सकारात्मक दॄष्टिकोण
(स) अनुशासन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 7.
सन्तुलित भोजन के घटक व मुख्य स्रोत क्या हैं ?
उत्तर:
सन्तुलित भोजन के प्रमुख घटक कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन व खनिज लवण हैं। इसके मुख्य स्रोत निम्न हैं-
कार्बोहाइड्रेट – चावल, शक्कर
प्रोटीन – दालें, दूध, पनीर
खनिज – दूध, सब्जियाँ,

प्रश्न 8.
विटामिन शरीर के लिए आवश्यक तत्व हैं। समझाइए। शरीर के लिए आवश्यक विटामिनों के नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन हमारे पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उपापचय में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। शरीर वृद्धि एवं शरीर परिवर्धन में ये तत्व सहायक हैं |
शरीर के लिए आवश्यक विटामिन – A, B, Complex C, D, E, K

प्रश्न 9.
आयोडीन की कमी से होने वाले रोग का नाम दीजिए।
उत्तर:
गलगण्ड यो घेंघा।

प्रश्न 10.
वायरस जनित किन्हीं दो रोगों के नाम बताइए।
उत्तर:
खसरा, एड्स।

प्रश्न 11.
डेंगू रोग के लक्षण व उपचार क्या है ?
उत्तर:
लक्षण-बुखार आना, ठण्ड लगना, माँसपेशी व जोड़ में दर्द, कमजोरी महसूस करना, भूख न लगना, चक्कर आना, रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या कम होना, नब्ज कमजोर चलना।
उपचार-माइकोफेनोलिक एसिड तथा रिबाबिरिन का प्रयोग करने से डेंगू विषाणु की वृद्धि रुक जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 12.
फास्ट फूड से शरीर पर होने वाले प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
फास्ट फूड के नियमित उपभोग से शरीर पर होने वाले प्रभाव निम्न हैं-

  1. मोटापा
  2. हाइपरटेंशन
  3. दिल का दौरा
  4. गुर्दे का रोग
  5. गठिया
  6. मधुमेह।

प्रश्न 13.
कुपोषण किसे कहते हैं ? इसके कारण व इससे होने वाले किन्हीं दो रोगों का नाम दीजिए।
उत्तर:
सन्तुलित आहार नहीं मिलने के कारण कुपोषण या हीनताजन्य रोग होता है। यह एक या अधिक पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है।
कुपोषण के कारण –

  1. निर्धनता एवं अस्वच्छ वातावरण।
  2. जनसंख्या की अधिकता।
  3. अन्न तथा अन्य भोज्य पदार्थों का कम उत्पादन।
  4. शिक्षा का अभाव।
  5. प्राकृतिक आपदाएँ; जैसे-अकाल, सूखा अथवा बाढ़।
  6. शुद्ध, साफ, पौष्टिक एवं दोषमुक्त भोजन का ज्ञान न होना।
  7. नवजात शिशुओं एवं बढ़ते बच्चों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं के बारे में अनभिज्ञता एवं उदासीनता।
  8. भोजन पकाने की विधियों का उचित ज्ञान न होना।

कुपोषण से होने वाले रोग

  1. क्वाशियोरकोर ।
  2. घेंघा।

प्रश्न 14.
सन्तुलित भोजन किसे कहते हैं ? खनिज लवण की सन्तुलित भोजन में क्या भूमिका है तथा इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन्तुलित – भोजन सन्तुलित भोजन वह है जिसमें समस्त पोषक तत्व (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, जल तथा खनिज लवण) उचित मात्रा में विद्यमान हों।
खनिज लवण की भूमिका – लोहा, जिंक, आयोडीन, नमक, कैल्शियम फास्फेट जैसी अनेक अन्य धातुओं तथा लवणों की आवश्यकता अपने शरीर की विभिन्न अभिक्रियाओं के लिए होती है। कैल्सियम के लवण (Ca3PO4) हमारे शरीर में हइियों तथा दाँतों को दृढ़ता प्रदान करने तथा रक्त जमने में मदद करने के लिए आवश्यक है। सोडियम तथा पोटैशियम के लवण कोशिकाओं तथा ऊतक द्रव्यों के परासरणी सन्तुलन के लिए आवश्यक हैं प्रोटीन व हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए लोहे की आवश्यकता होती है।
खनिज लवण की कमी से होने वाले रोग – एनीमिया, ओस्टियोपोरोसिस, घेंधा, सूखा रोग।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 15.
रोग कितने प्रकार के होते हैं ? संक्रामक व असंक्रामक रोगों में सउदाहरण अन्तर स्पष्ट कीजिए। रोगों की उत्पत्ति के कारकों को भी समझाइए।
उत्तर:
रोग के प्रकार-रोग को उनकी प्रकृति तथा कारणों के आधार पर निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है-

  1. जन्मजात रोग
  2. उपार्जित रोग

संक्रामक वे असंक्रामक रोगों में अन्तर

संक्रामक रोग असंक्रामक रोग
1. ये रोग शरीर में रोगाणुओं के प्रवेश कर जाने के कारण होते हैं | 1. ये रोग शरीर में पोषक तत्वों की कमी या उपापचयी क्रियाओं में त्रुटि के कारण होते हैं |
2. इन रोगों का संचरण वायु, जल, भोजन, कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में हो सकता है |
उदाहरणार्थ – है जा, मलेरिया, फ्लू, क्षय रोग, रेबीज, चेचक, एड्स आदि |

2. ये रोग, रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में नहीं फैलते|
उदाहरणार्थ – घेंगा, एनीमिया (अरक्तता), रतौंधी, डायबीटीज आदि |

रोगों के कारक

रोग का नाम कारक जीव का नाम
1. हैजा विब्रियो कॉलेरी
2. मलेरया प्लाज्मोडियम वाइवैक्स
3. क्षयरोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस
4. टाइफाइड साल्मोनेला टाइफी
5. रेबीज रेबीज वायरस
6. फ्लू (इन्फ्लु एंजा) मिक्सोवाइरस इन्फ्लुएंजाई
7. डिप्थीरिया कोर्निबैक्टीरियम डिप्थीरियाई
8. न्युमोनिया स्ट्रेप्टोकोसे न्यूमोनी
9. टिटेनस क्लोस्ट्रीडियम टिटेनाई
10. पीलिया लैप्टोस्पाइरा
11. कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री
12. प्लेग पास्चुरेला पेस्टीस
13. खसरा पैरामिक्सो
14. पोलियोमाइलिटिस एन्टेरोवायरस

प्रश्न 16.
योग क्या है ? कुछ महत्वपूर्ण योगों के नाम देते हुए योग के स्वास्थ्य पर प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
योग – योग शब्द संस्कृत की धातु (युज) से लिया गया है जिसका अर्थ है, “जोड़ना या गठबन्धन करना।” योग का तात्पर्य है- ब्रह्माण्ड की शक्ति अर्थात् ईश्वर के साथ व्यक्ति की आत्मा का गठबन्धन। महर्षि पतंजलि के अनुसार, चित्त की वृत्तियों का निरोध करना, मन में स्थिरता पैदा करना ही योग है। जबकि गाँधीजी के अनुसार, “शरीर, मन, इच्छा व विचारों की सभी शक्तियों का गठबन्धन ही योग है।”
महत्वपूर्ण योगों के नाम –

  1. यम
  2. नियम
  3. आसन
  4. प्राणायाम
  5. प्रत्याहार
  6. धारणा
  7. ध्यान
  8. समाधि।

योग का स्वास्थ्य पर प्रभाव

  1. योग के द्वारा ऑक्सीजनयुक्त रक्त प्रवाह निरन्तर बना रहता है जिससे कई रोग, जैसे- गठिया, सूजन, प्लेटलेट्स की कमी आदि को सही करने में मदद मिलती है।
  2. योग से व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का विकास होता है।
  3. योग से व्यक्ति के अन्तर्मन के अवसाद खत्म होते हैं। जिससे अपराधिक मानसिकता में कमी होने लगती है।
  4. नियमित रूप से योग करने से वृद्धावस्था में भी शारीरिक सन्तुलन बना रहता है।
  5. योग या प्राणायाम तंत्रिका तन्त्र की उत्तेजना को शान्त करता है जिससे आज की तनाव भरी जिन्दगी से छुटकारा मिलता है।
  6. योग से प्रतिरक्षा तन्त्र की प्रणाली की कार्यक्षमता बढ़ जाती है जिससे हमारा शरीर रोगों से बेहतर तरह से लड़ सकता है।
  7. योग द्वारा शरीर के भीतरी अंगों के पर्याप्त व्यायाम होते हैं। योग करने से व्यक्ति अच्छा स्वास्थ्य व दीर्घायु प्राप्त करता।
  8. योग से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
  9. शरीर अधिक लचीला बनता है।
  10. मन को शान्त करने तथा इन्द्रियों को काबू करने के लिये योगासन शारीरिक व मानसिक शक्तियों का विकास करता है |
  11. विभिन्न योगासन द्वारा रक्त शुद्ध होता है|
  12. योग से एकाग्रता बढ़ती है।
  13. योग ‘अहिंसक गतिविधि’ है। इससे व्यक्ति में नैतिक मूल्यों का विकास होता है।
  14. योग शरीर की ग्रन्थियों को उत्कृष्ट करता है जिससे शरीर का सन्तुलित विकास होता है।
  15. योग से शारीरिक, मानसिक विकास के साथ बौद्धिक व | आध्यात्मिक विकास भी होता है।

प्रश्न 17.
पतंजलि के नागार्जुन के जीवन परिचय को समझाइए।
उत्तर:
पतंजलि का जीवन परिचय
पतंजलि को योग का पिता कहा जाता है। पतंजलि ने अष्टांग | योग को प्रतिपादित किया। अष्टांग योग का पथ जीवन जीने की सम्पूर्ण पद्धति बताता है। यह संयम, सत्य, अहिंसा, स्वाध्याय, सन्तोष, अनुशासन, ध्यान, एकाग्रता, भावना नियन्त्रण, समर्पण की व्याख्या करता है। पतंजलि ने बताया  कि इन सभी से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। योग  के इन्हीं सभी लाभों को ‘पतंजलि’ ने मनुष्यों को देने का  निर्णय किया। पतंजलि के अनुसार-‘योगश्चित वृत्ति निरोध:’ अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध करना, मन में स्थिरता पैदा करना ही योग है। पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग | निम्न हैं-

  1. यम
  2. नियम (व्यक्तिगत अनुशासन)
  3. आसन
  4. प्राणायाम (साँस का नियन्त्रण व नियमन)
  5. प्रत्याहार (इन्द्रियों पर अनुशासन)
  6. धारणा (एकाग्रता)
  7. ध्यान (साधना)
  8. समाधि (आत्म अनुभूति)।

नागार्जुन का जीवन परिचय
नागार्जुन महान् रसायनज्ञ थे। उनका जन्म सात-आठर्वी शताब्दी के आसपास गुजरात में सोमनाथ के निकट दैहिक नामक स्थान पर हुआ था। नागार्जुन ने प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘रस रत्नाकर’ एवं ‘रसेन्द्र मंगल’ लिखे। रस रत्नाकर में विशेष रूप से धातुओं के संशोधन और उनके गुण-दोषों का भी निरूपण है। इसमें पारे का उल्लेख है, और उसके विशेष गुण बताये गये हैं। पारे की रासायनिक क्रियाओं का भी वर्णन किया गया है। ‘रस रत्नाकर’ में पारे के यौगिक बनाने के प्रयोग दिये गये हैं एवं देश में धातुकर्म के स्तर का सर्वेक्षण दिया गया है। रस रत्नाकर में चाँदी, सोना, टिन आदि धातुओं को शुद्ध करने के तरीकों का वर्णन भी किया गया है। पारे से संजीवनी एवं अन्य पदार्थ बनाने के लिए नागार्जुन ने पशुओं, वनस्पति तत्वों, अम्ल एवं खनिजों का भी इस्तेमाल किया। कई धातुओं को घोलने के लिए उन्होंने वनस्पति से निर्मित तेजाबों का भी सुझाव दिया। नागार्जुन ने अपनी पुस्तक में कई महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रियाओं का वर्णन किया है, जैसे-आसवन, ऊर्ध्वपातन, द्रवण आदि । कई धातुओं से सोना या सोने के समान पीली चमक वाली धातुओं को बनाने की विधियों का वर्णन भी नागार्जुन ने अपनी पुस्तक में किया है। भारत में नागार्जुन को ही धातुवाद का प्रवर्तक माना गया है। ‘सुश्रुत संहिता’ को सम्पादन भी नागार्जुन ने किया तथा सुश्रुत संहिता में ‘उत्तर तन्त्र’ नामक नया अध्याय जोड़ा। नागार्जुन ने आयुर्वेद के ‘आरोग्य मंजरी, योगसार, योगाष्टक आदि ग्रन्थों की भी रचना की।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
300 ग्राम आटे से लगभग कितनी कैलोरी प्राप्त होगी-
(अ) 320 कैलोरी
(ब) 1500 कैलोरी
(स) 180 कैलोरी
(द) 400 कैलोरी।
उत्तर:
(ब) 1500 कैलोरी

प्रश्न 2.
सामान्यतः कार्बोहाइड्रेट हमारे आहार में निहित कुल भोजन ऊर्जा का कितने अंश प्रदान करते हैं ?
(अ) 60% से 80% अंश
(ब) 40% से 50% तक
(स) 90% से 100% अंश
(द) 20% से 40% तक।
उत्तर:
(अ) 60% से 80% अंश

प्रश्न 3.
किस खाद्य पदार्थ में फॉस्फोरस नहीं पाया जाता है-
(अ) दूध में
(ब) अण्डा में
(स) हरी पत्तेदार सब्जियों में
(द) दही में।
उत्तर:
(ब) अण्डा में

प्रश्न 4.
प्रोटीन के स्रोत हैं-
(अ) मूंगफली
(ब) बीन्स
(स) अन्न
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
कैल्सियम फॉस्फेट है-
(अ) खनिज
(ब) कार्बोहाइड्रेट
(स) वसा
(द) प्रोटीन ।
उत्तर:
(अ) खनिज

प्रश्न 6.
कौन-सा विटामिन जल में घुलनशील है-
(अ) A
(ब) D
(स) B
(द) K.
उत्तर:
(स) B

प्रश्न 7.
मानव को स्वस्थ रहने हेतु किशोरावस्था में लगभग कितने कैलोरी की आवश्यकता होती है-
(अ) 1800-2600 कैलोरी
(ब) 2200-2600 कैलोरी
(स) 2000-3200 कैलोरी
(द) 3200-4000 कैलोरी।
उत्तर:
(अ) 1800-2600 कैलोरी

प्रश्न 8.
मानव के लिए विटामिन C की दैनिक कितनी मात्रा आवश्यक है-
(अ) 20 mg
(ब) 40 mg
(स) 60 mg
(द) 80 mg.
उत्तर:
(ब) 40 mg

प्रश्न 9.
प्रोटीन व कैलोरी की कमी से होने वाला रोग है-
(अ) क्वाशियोरकोर
(ब) घेंघा
(स) हाइपोग्लाईसीमिया
(द) मैरेस्मस
उत्तर:
(द) मैरेस्मस

प्रश्न 10.
संक्रामक रोग को फैलाने वाले कारक हैं-
(अ) जीवाणु
(ब) वायरस
(स) प्रोटोजोआ
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 11.
डीपीटी का टीका किससे सुरक्षा प्रदान नहीं करता-
(अ) डिप्थीरिया
(ब) काली खाँसी
(स) हैजा
(द) टिटेनस
उत्तर:
(स) हैजा

प्रश्न 12.
पीलिया रोग का रोगजनक है-
(अ) लैप्टोस्पाइरा जीवाणु
(ब) माइकोबैक्टीरियम लेप्री
(स) साल्मोनेला टायफी
(द) पैरामिक्सो वायरस
उत्तर:
(अ) लैप्टोस्पाइरा जीवाणु

प्रश्न 13.
लेप्रोमीन टेस्ट किस बीमारी के लिए किया जाता है-
(अ) मस्तिष्क ज्वर
(ब) प्लेग
(स) खसरा
(द) कुष्ठ रोग
उत्तर:
(द) कुष्ठ रोग

प्रश्न 14.
विनक्रिस्टिन तथा विनब्लास्टिन दवाएँ किस रोग में काम आती हैं-
(अ) मधुमेह
(ब) कैंसर
(स) पोलियो
(द) चेचक
उत्तर:
(ब) कैंसर

प्रश्न 15.
अष्टांग योग का पथ किसने दिया-
(अ) नागार्जुन
(ब) बाबा रामदेव
(स) पतंजलि
(द) स्वामी दयानन्द
उत्तर:
(स) पतंजलि

प्रश्न 16.
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था-
(अ) 21 जून 2015 को
(ब) 21 मई 2015 को
(स) 22 जून 2015 को
(द) 21 अप्रैल 2015 को
उत्तर:
(अ) 21 जून 2015 को

सुमेलन सम्बन्धित प्रश्न

निम्न को सुमेलित कीजिए-
RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 14 स्वास्थ्य, रोग एवं योग 6
उत्तर:
1. (f)
2. (e)
3. (d)
4. (c)
5. (b)
6. (a)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
WHO के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा क्या है ?
उत्तर:
स्वास्थ्य, रोग या निर्बलता को मात्र अभाव ही नहीं है। बल्कि शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से पूर्ण कुशलता की अवस्था है।

प्रश्न 2.
प्रोटीन के प्रमुख स्रोत बताइए।
उत्तर:
अण्डे, माँस, मछली, पनीर, चीज, मूंगफली, दालें, मटर, सोयाबीन।

प्रश्न 3.
विटामिन A, C व D का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर:
विटामिन A – रेटिनॉल
विटामिन C – एस्कार्बिक अम्ल
विटामिन D – कैल्सीफेरोल।

प्रश्न 4.
बन्ध्यता और हेमरेज किस विटामिन की कमी से होते हैं ?
उत्तर:
बन्ध्यता-विटामिन E.
हेमरेज-विटामिन K.

प्रश्न 5.
चोट लगने पर किसका इंजेक्शन लगवाया जाता है ?
उत्तर:
A.T.S. (एंटीटिटेनस) का।

प्रश्न 6.
प्लेग की दवाइयाँ बताइए।
उत्तर:
टेट्रासाइक्लिन तथा सल्फोनामाइड्।

प्रश्न 7.
MMR का टीका किस रोग में लगवाया जाता है ?
उत्तर:
खसरा में।

प्रश्न 8.
गाउट रोग किस प्रकार का होता है ?
उत्तर:
अस्थि संधियों में यूरिक अम्ल के क्रिस्टल जमा होने से संधियों में दर्द रहता है।

प्रश्न 9.
तीव्र रोग व दीर्घकालिक रोग का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
खाँसी-जुकाम तीव्र रोग तथा क्षयरोग दीर्घकालिक रोग हैं।

प्रश्न 10.
संक्रामक रोग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे रोग जिनके तात्कालिक कारक सूक्ष्म जीव (रोगाणु) होते हैं, उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं। ये सूक्ष्म जीव जन समुदाय में रोग फैला देते हैं।

प्रश्न 11.
कैंसर रोग का क्या कारण है ?
उत्तर:
कैंसर रोग का कारण कैंसरकारी पदार्थ कार्सनोजन तथा आनुवंशिक असामान्यता है।

प्रश्न 12.
उच्च रक्त चाप का क्या कारण है ?
उत्तर:
वजन अधिक होना तथा व्यायाम न करना उच्च रक्त चाप का कारण है।

प्रश्न 13.
पेप्टिक व्रण का क्या कारण है ?
उत्तर:
पेप्टिक व्रण का कारण हेलीकोबैक्टर पायलोरी नामक बैक्टीरिया है।

प्रश्न 14.
उन दो वैज्ञानिकों के नाम लिखो जिन्होंने पेप्टिक व्रण के कारक बैक्टीरिया का पता लगाया था।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया के रोग विज्ञानी रॉबिन वारेन तथा बैरी मार्शल।

प्रश्न 15.
पेप्टिक व्रण का उपचार किस दवा से होता है ?
उत्तर:
पेप्टिक व्रण का उपचार एंटीबायोटिक से होता है।

प्रश्न 16.
प्रोटोजोआ से होने वाले दो रोगों का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रोटोजोआ से होने वाले दो रोग – मलेरिया, कालाजार।

प्रश्न 17.
टिप्नोसोमा किस रोग का कारक है ?
उत्तर:
ट्रिप्नोसोमा निद्रा रोग का कारक है।

प्रश्न 18.
गोलकृमि (एस्करिस लुंब्रीकाइडि) कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
गोलकृमि मनुष्य (छोटे बच्चों) की ओटी आँत में पाया जाता है।

प्रश्न 19.
पेनिसिलीन एंटीबायोटिक का कार्य बताइए।
उत्तर:
पेनिसिलीन एंटीबायोटिक बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति बनाने वाली प्रक्रिया को बाधित कर देती है। अत: बैक्टीरिया कोशिका भित्ति नहीं बना सकते और वे सरलता से मर जाते हैं। पेनिसिलीन का मनुष्य पर कोई प्रभाव नहीं होता है।

प्रश्न 20.
सामान्य खाँसी-जुकाम पर एंटीबायोटिक क्यों प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं ?
उत्तर:
सामान्य खाँसी-जुकाम वाइरस के प्रभाव से होता है और एंटीबायोटिक वाइस को प्रभावित नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 21.
संचारी रोग किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
जो रोग सूक्ष्मजीवीय कारक रोगी से अन्य स्वस्थ मनुष्यों में फैलते हैं, उन्हें संचारी रोग कहते हैं।

प्रश्न 22.
टाइफॉयड उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया कहाँ रहते हैं ?
उत्तर:
टाइफॉयड उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया मनुष्य की आहार नाल में रहते हैं।

प्रश्न 23.
जापानी बुखार (ऐंसेफेलाइटिस) किस अंग को प्रभावित करता है ?
उत्तर:
जापानी बुखार मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

प्रश्न 24.
शोथ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
शोथ का अर्थ है सूजन। इसके चार प्रमुख लक्षण हैं, लालिमा, उभार, ताप में वृद्धि व द्रव का जमा होना। यह एक प्रतिरक्षी क्रिया है।

प्रश्न 25.
HIV-AIDS से व्यक्ति की मृत्यु प्रायः क्यों हो जाती है ?
उत्तर:
HIV-AIDS संक्रमण से प्रतिरक्षा तन्त्र कार्य करना बन्द कर देता है इससे प्रतिदिन होने वाले छोटे-छेटे संक्रमण का मुकाबला व्यक्ति नहीं कर पाता है। अतः ये संक्रमण ही HIV-AIDS के रोगी की मृत्यु के कारण बन जाते हैं।

प्रश्न 26.
संक्रामक रोगों के उपचार के दो उपाय बताइए।
उत्तर:
संक्रामक रोगों के उपचार के दो उपाय –

  1. रोग के प्रभाव को कम करना तथा
  2. रोग के कारक को मार देना।

प्रश्न 27.
पेनिसिलीन प्रतिजैविक की खोज किसने की थी ?
उत्तर:
पेनिसिलीन प्रतिजैविक की खोज अलेक्जेण्डर | फ्लेमिंग ने की थी।

प्रश्न 28.
संक्रमित कुत्ते के काटने से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर:
रेबीज वाइरस से संक्रमित कुत्ते के काटने से हाइड्रोफोबिया रोग हो जाता है।

प्रश्न 29.
गाँधीजी के अनुसार योग की क्या परिभाषा है ?
उत्तर:
शरीर, मन, इच्छा व विचार की सभी शक्तियों का गठबन्धन ही योग है।

प्रश्न 30.
‘ध्यान’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब व्यक्ति समय और सीमा के बन्धन से मुक्त होकर अपना ध्यान केन्द्रित करता है तब वह ध्यान (साधना) | कहलाता है।

प्रश्न 31.
जीवन के मूल तत्व कौन-से हैं ?
उत्तर:
विचार, भावनाएँ एवं क्रियाएँ।

प्रश्न 32.
नागार्जुन द्वारा रचित आयुर्वेद की रचनाएँ बताइए
उत्तर:
आरोग्य मंजरी, योगसार, योगाष्टक

प्रश्न 33.
प्राणायाम का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर:
शरीर में रहने वाली आवश्यक शक्ति को उत्प्रेरित, नियमित व सन्तुलित बनाना ही प्राणायाम का उद्देश्य है।

प्रश्न 34.
आसन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी भी आसन में स्थिरता और सुखपूर्वक बैठना ही आसन कहलाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल शारीरिक रोग या विकलांगता की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक जीवन-क्षमता की सामान्य स्थिति है।” स्वस्थ जीवन हेतु अच्छा स्वास्थ्य आवश्यक है। यह केवल रोग से मुक्ति ही नहीं अपितु मानसिक तनाव व चिन्ता से मुक्ति की दशा है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सूक्ष्म जीवों द्वारा उत्पन्न रोगों के नाम लिखिए –
(क) बैक्टीरिया
(ख) वाइरस
(ग) प्रोटोजोआ वर्ग।
उत्तर

सूक्ष्मजीव उत्पन्न रोग का नाम
1. बैक्टीरिया (जीवाणु) हैजा, अतिसार, टाइफॉइड, क्षयरोग (टी.बी), टिटेनस आदि।
2. वाइरस

इन्फ्लुएन्जा, एड्स, पोलियो, चिकन पॉक्स, खसरा आदि।

3. प्रोटोजोआ वर्ग के जीव

मलेरिया अमीबीय पेचिश, पायरिया आदि।

प्रश्न 3.
वाहक (Vector) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वाहक (Vector) – बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने वाले जीवों को वाहक कहते हैं। घरेलू मक्खी हैजा, पेचिश, टाइफॉयड आदि के रोगाणुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती है। मादा एनोफिलीज मच्छर मलेरिया रोग की वाहक है। जबकि एडीज मच्छर डेंगू ज्वर का वाहक है।

प्रश्न 4.
प्रतिजैविक (एन्टीबायोटिक) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्रतिजैविक (एन्टीबायोटिक)-ये वे पदार्थ हैं जो सूक्ष्म जीवों उत्पन्न किए जाते हैं। ये सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते हैं। पेनिसिलीन ऐसा पहला प्रतिजैविक पदार्थ है। जो मनुष्य द्वारा उपयोग के लिए तैयार किया गया है। पेनिसिलीन की खोज सर्वप्रथम अलैक्जेन्डर फ्लेमिंग ने की थी।

प्रश्न 5.
मनुष्यों में असंक्रामक रोग कैसे होते हैं?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में बहुत से असंक्रामक रोग हो जाते हैं; जैसे-आनुवंशिक असामान्यता, दुर्घटना, पौष्टिक भोजन की कमी, प्रदूषित पर्यावरण, व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अस्वस्थता, विषाक्त भोजन, व्यायाम न करना तथा अप्रसन्न (दुःखी) रहना आदि। ये रोग एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलते।

प्रश्न 6.
संक्रामक रोग फैलने के प्रमुख कारण कौन से हैं ?
उत्तर:
संक्रामक रोग फैलने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में
  2. दूषित जल
  3. प्रदूषित वायु
  4. दूषित भोजन, तथा
  5. कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा। ये रोग बैक्टीरिया, वाइरस, प्रोटोजोआ एवं कवक वर्ग के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण होते हैं।

प्रश्न 7.
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं ?
उत्तर:
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी आवश्यक हैं –

  1. स्वयं को रोगी साथियों से अलग रखना।
  2. उनके साथ उठना-बैठना, खाना-पीना, स्पर्श एवं अन्य सम्पर्क न रखना।
  3. सूक्ष्म जीवों से बचने के लिए स्वच्छ जल का उपयोग करना।
  4. स्वच्छता अपनाना तथा पर्यावरण को स्वच्छ रखना।

प्रश्न 8.
प्रतिरक्षीकरण क्या है?
उत्तर:
प्रतिरक्षीकरण-एक बार रोग होने पर उसी रोग से बचने की एक विधि प्रतिरक्षीकरण है। जब रोगाणु शरीर पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। इस प्रकार जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति के साथ उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। वैक्सीन या टीके प्रतिरक्षीकरण के इसी सिद्धान्त पर आधारित हैं। टीकों के रूप में मृत रोगाणुओं को शरीर में प्रविष्ट किया जाता है।

प्रश्न 9.
आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण के कौन-कौन से कार्यक्रम उपलब्ध हैं ? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्या है ?
उत्तर:
हमारे पास स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टिटेनस डिप्थीरिया, कुकर खाँसी, पोलियो, बी.सी.जी, आदि के टीकाकरण कार्यक्रम उपलब्ध हैं। हमारे क्षेत्र में हैजा, टाइफॉयड, अतिसार, मलेरिया, फ्लू, क्षयरोग, एनीमिया, गलगण्ड (घंघा) डाइबिटीज, गठिया और हृदय रोग आदि स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्याएँ हैं।

प्रश्न 10.
वाइरस पर एंटीबायोटिक का प्रभाव क्यों नहीं दिखाई देता है?
उत्तर:
वाइरस की जैव प्रक्रियाएँ बैक्टीरिया से भिन्न होती हैं, ये पोषक की कोशिकाओं में रहते हैं। इनमें ऐसा मार्ग नहीं होता है जैसा कि बैक्टीरिया में होता है। यही कारण है। कि कोई भी एंटीबायोटिक वाइरस संक्रमण पर प्रभावकारी नहीं होता है। यदि हम खाँसी-जुकाम से ग्रस्त हैं तो एंटीबायोटिक लेने से रोग की तीव्रता अथवा उसकी समयावधि कम नहीं होती है।

प्रश्न 11.
योग कितने प्रकार के होते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
योग निम्न प्रकार के होते हैं –

  1. कर्म योग-कर्म करने का योग।
  2. ज्ञान योग-ज्ञान और विवेक का योग।
  3. दृढ़ योग-शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करने वाला योग।
  4. राज योग-मन के जागरण तथा ज्ञान केन्द्रों को जगाने का योग ।
  5. मंत्र योग-क्षण कम्पन का प्रयोग करते हुए मन को स्वतन्त्र करने का योग।
  6. लय योग-व्यक्तित्व को जानते हुए विलय करने का योग।
  7. भक्ति योग-सघन भक्ति करने का योग।

प्रश्न 12.
अष्टांग योग के अन्तर्गत ‘नियम’ क्या है ? इसके प्रकार बताइए।
उत्तर:
नियम-नियम द्वारा व्यक्ति जीवन में अनुशासन का तौर तरीका सीखता है इसके अपनाने से अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। इसके पाँच प्रकार हैं-

  1. शौच-शुद्धि की पवित्रता को शौच कहते हैं। मन व शरीर की आन्तरिक व बाह्य सफाई ही शौच है।
  2. सन्तोष-अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में खुश और सन्तुष्ट रहना।
  3. तप-मन, वचन और कर्म से सभी इच्छाओं पर विजय पाना।
  4. स्वाध्याय-ज्ञान की प्राप्ति और विचारों में पवित्रता लाने के लिए विचारों का आदान-प्रदान।
  5. समर्पण-ईश्वर की भक्ति तथा अपने सभी सत्कर्मों को ईश्वर को समर्पण करना।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एड्स से क्या तात्पर्य है ? इस रोग के कारक, संक्रमण विधियों तथा सुरक्षा के उपाय लिखिए।
उत्तर:
एड्स एड्स का पूरा नाम उपार्जित प्रतिरक्षा न्यूनता सिण्ड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) है। कारक-यह रोग HIV के कारण होता है। HIV का पूरा नाम ‘मानव प्रतिरक्षा न्यूनता विषाणु’ (Human Immuno Deficiency Virus) है। यह विषाणु मानव शरीर में पहुंचकर प्रतिरक्षा तन्त्र (Immune System) की प्रमुख कोशिकाओं लिम्फोसाइट्स T, तथा T को नष्ट करता है। शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है, इसके फलस्वरूप रोगी संक्रामक रोगों से पीड़ित होकर मर जाता है। HIV का संक्रमण-HIV का संक्रमित व्यक्तियों के साथ सम्भोग, समलैंगिक सम्भोग, संदूषित (infected) रुधिर, मादक पदार्थों के आदी व्यक्तियों द्वारा प्रयोग की हुई सुई (इंजेक्शन) के प्रयोग से फैलता है।

एड्स से बचाव
HIV से बचाव के लिए एड्स रोग की जानकारी आवश्यक हैं। इराके लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं –

  1. रुधिर लेने के समय यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि रुधिर HIV मुक्त हो|
  2. इंजेक्शन की सुई का प्रयोग एक बार ही करना चाहिए।
  3. लैंगिक सम्बन्ध स्थापित करने में सावधानी बरतनी चाहिए। सम्भोग के समय कॉण्डोम (Condom) का प्रयोग करना चाहिए।
  4. जीन प्रौद्योगिकी (Gene technology) द्वारा रोग की रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं। इसका टीका (Vaccine) अभी तैयार नहीं हो सका है।
  5. जनसाधारण का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर वर्ष (1) दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) मनाया जाता है।
    उपचार – एड्स की जाँच ELISA विधि द्वारा की जाती है। एड्स का अभी तक कोई प्रभावी उपचार नहीं है। इसलिए एड्स की जानकारी ही बचाव का उपाय है।

प्रश्न 2.
मलेरिया के कारक, संवाहक, लक्षण तथा नियन्त्रण के उपायों का विवरण लिखिए।
उत्तर:
मलेरिया के कारक-यह रोग परजीवी प्रोटोजोआ प्लाज्मोडियम (Plasmodium) के कारण होता है ये चार प्रकार होते हैं-

  1. प्लाज्मोडियम वाइवेक्स
  2. प्लाज्मोडियम ऑवेल
  3. प्लाज्मोडियम मलैरी
  4. प्लाज्मोडियम फैल्सीफेरम

मलेरिया संवाहक – यह रोग मादा ऐनोफिलीज मच्छर के काटने से रोगी से स्वस्थ व्यक्ति में पहुँचता है। इसका पता रोनाल्ड रॉस (1887) ने लगाया था।
मलेरिया रोग के लक्षण – इस रोग में सिरदर्द, वमन, पेशीय पीड़ा, तीव्र ज्चर होता है। मलेरिया ज्वर के निम्नलिखित तीन चरण होते हैं-
(a) शीत चरण – इसमें सर्दी तथा कंपकंपी महसूस होती है।
(b) उष्ण चरण – इसमें तीव्र ज्चर होता है। श्वास दर तथा हृदय स्पंदन की दर बढ़ जाती है।
(c) स्वेदन चरण – अत्यधिक पसीना आने से शरीर का ताप सामान्य स्तर से कम हो जाता है। मलेरिया के प्रकोप के पश्चात् व्यक्ति कमजोर हो जाता है, रुधिर की कमी हो जाती है। यकृत तथा प्लीहा का आकार बढ़ जाता है।

नियन्त्रण के उपाय
मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी, जाली वाले दरवाजे लगाने चाहिए। मच्छर मारने वाले तथा भगाने वाले कीट रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करना चाहिए। रुके हुए जल पर मिट्टी का तेल, पेरिसग्रीन नामक रसायन छिड़कने से मच्छरों के अण्डे, लार्वा, प्यूपा आदि नष्ट हो जाते हैं। जल में कीटभक्षी मछलियाँ ( गेम्बूसिया आदि) तथा बत्तख पालनी चाहिए। उपचार-कुछ प्रमुख दवाइयाँ, जैसे-कुनैन, क्लोरोक्वीन, प्रीमाक्वीन, कैमोक्वीन का उपयोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
डेंगू (Dengue) बुखार क्या है ? इसके लक्षण तथा प्रकार बताइए। इसके उपचार के लिए आप क्या करेंगे ?
उत्तर:
डेंगू बुखार
डेंगू रोग एडीज इजिप्टी मादा मच्छर के काटने से होता है, जिसमें डेंगू वायरस होता है।
लक्षण-इसमें तेज बुखार आता है, ठण्ड लगती है, माँसपेशी व जोड़ों में दर्द, कमजोरी महसूस होती है, भूख नहीं लगती है, चक्कर आते हैं। रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है, नब्ज़ कमजोर चलती है। अत्यधिक तेज बुखार से मृत्यु की सम्भावना रहती है। डेंगू बुखार तीन तरह के होते हैं-
(1) क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार – यह स्वयं ठीक | होने वाला रोग है। इसमें रोगी की मृत्यु नहीं होती है।
(2) डेंगू हेमरेजिक बुखार (DHF) – इसमें शरीर के विभिन्न अंगों से रक्त का स्राव होता है। प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती हैं वे रक्त कणिकाएँ आकार में बड़ी हो जाती हैं।
(3) डेंगू शॉक सिन्ड्रोम (DSS) – यह प्राणघातक रोग है। इसमें नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है। रक्तचाप निम्नतम स्थिति में पहुँच जाता है।
उपचार – डेंगू बुखार में माइकोफेनोलिक एसिड तथा रिबाविरिन का प्रयोग करने से डेंगू विषाणु की वृद्धि रुक जाती है। मच्छरों पर नियन्त्रण हेतु तालाब, टंकी में गैम्बुसिया मछली डालना। डेंगू की कोई विशेष दवा या वैक्सीन नहीं है।

प्रश्न 4.
योगासनों के गुण और लाभ बताइए।
उत्तर:
योगासनों के गुण
योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह है कि वे सहज, साध्य और सर्वसुलभ हैं। योगासन ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेष व्यय होता है और न इतनी साधन सामग्री की आवश्यकता होती है। योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं। आसनों में जहाँ माँसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियाएँ करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करने वाली क्रियाएँ भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापस मिल जाती है। शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्व है।
लाभ-

  1. योगासनों से भीतरी ग्रंथियाँ अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने में सहायक होती हैं।
  2. योगासनों द्वारा पेट की भली-भाँति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन संस्थानों में गड़बड़ियाँ उत्पन्न नहीं होर्ती।
  3. योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुबला-पतला व्यक्ति तन्दुरुस्त होता है।
  4. योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल है। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक् विकास, सुघड़ता और गति, सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।
  5. योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियाँ जागृत होती हैं और आत्म-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं।
  6. योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं, अत: मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य मिलता है।
  7. योगासन श्वास-क्रिया का नियमन करते हैं, हृदय और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं।
  8. आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं।
  9. आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वालों को चश्मे की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
  10. योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है। जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है।

प्रश्न 5.
एक सारणी बनाइए और उसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन और खनिज के पोषक तत्वों को लिखिए।
उत्तर:

कुछ सामान्य खाद्य पदार्थों में प्रमुख पोषक तत्व
RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 14 स्वास्थ्य, रोग एवं योग 5

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