Step into high-class excitement at hell spin casino, where glittering reels, lavish bonuses, and thrilling jackpots create nonstop luxury. Each spin delivers pulse-raising suspense, elegance, and the electrifying chance of big Australian online casino wins.

Indulge in elite thrills at joefortune-casino.net, offering dazzling gameplay, sparkling rewards, and adrenaline-pumping jackpots. Every moment immerses players in glamour, high-stakes excitement, and the intoxicating pursuit of substantial casino victories.

Discover top-tier sophistication at neospin casino, with vibrant reels, generous bonuses, and luxurious jackpots. Each spin captivates with elegance, thrill, and the electrifying potential for extraordinary wins in the premium Australian casino environment.

Enter a world of luxury at rickycasino-aus.com, where high-class slots, sparkling bonuses, and pulse-racing jackpots create unforgettable moments. Every wager delivers excitement, sophistication, and the premium thrill of chasing massive casino wins.

RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 5 विश्व की प्रमुख घटनाएँ

RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 5 विश्व की प्रमुख घटनाएँ are part of RBSE Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 5 विश्व की प्रमुख घटनाएँ.

BoardRBSE
TextbookSIERT, Rajasthan
ClassClass 9
SubjectSocial Science
ChapterChapter 5
Chapter Nameविश्व की प्रमुख घटनाएँ
Number of Questions Solved90
CategoryRBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 5 विश्व की प्रमुख घटनाएँ

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की राज्य क्रान्ति के समय फ्रांस का राजा कौन था ?
(अ) लुई 14वां
(ब) लुई 18वां
(स) लुई 16वां
(द) लुई 15वां
उत्तर:
(स) लुई 16वां

प्रश्न 2.
जर्मनी ने रूस से अनाक्रमण समझौता कब किया ?
(अ) 1939 में
(ब) 1935 में
(स) 1936 में
(द) 1937 में
उत्तर:
(अ) 1939 में

प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के साथ कौन-सी संधि की गई ?
(अ) न्यूइली की संधि
(ब) सेब्र की संधि
(स) वर्साय की संधि
(द) ट्रियाना की संधि
उत्तर:
(स) वर्साय की संधि

प्रश्न 4.
स्पेन के गृह युद्ध में फ्रांस को मदद किसने की ?
(अ) अमेरिका व रूस
(ब) जर्मनी व इटली
(स) आस्ट्रिया व हंगरी
(द) जर्मनी व जापान
उत्तर:
(ब) जर्मनी व इटली

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक जागरण के दो विद्वानों के नाम बताइए।
उत्तर:

  • मान्टेस्क्यू
  • रूसो

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के समय जर्मनी का सम्राट कौन था ?
उत्तर:
केसर विलियम्।

प्रश्न 3.
बोल्शेविक क्रांति के प्रमुख नेता का नाम बताइए।
उत्तर:
लेनिन

प्रश्न 4.
द्वितीय महायुद्ध में जापान ने अमेरिका के किस नौसेना केन्द्र पर आक्रमण किया ?
उत्तर:
पर्ल हार्बर पर।

प्रश्न 5.
मार्च की क्रांति के बाद रूस में किसने सरकार बनाई ?
उत्तर:
केरेन्सकी ने

प्रश्न 6.
स्पेन के युद्ध में फ्रेंकों की मदद किसने की?
उत्तर:
इटली व जर्मनी ने

प्रश्न 7.
राष्ट्रसंघ की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
सन् 1920 ई. में।

प्रश्न 8.
संयुक्त राष्ट्रसंघ दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर:
प्रतिवर्ष 24 अक्टूबर को।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एस्टेट जनरल क्या थी ?
उत्तर:
एस्टेट जनरल फ्रांस की व्यवस्थापिका थी, जिसके तीन सदन थे जिसमें कुलीन वर्ग, पादरी वर्ग एवं साधारण वर्ग को अलग-अलग प्रतिनिधित्व था। प्रत्येक सदन का एक वोट होने से प्रथम दो सदन बहुसंख्यक वर्ग का शोषण करते थे। इसका अस्तित्व राजा की इच्छा पर्यन्त था। 1614 ई. के पश्चात् इसका अधिवेशन नहीं बुलाया गया था। 5 मई 1789 ई.को 175 वर्ष बाद राजा लुई 16वां द्वारा इसका अधिवेशन बुलाया गया था।

प्रश्न 2.
बेस्तील के पतन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
बेस्तोल फ्रांस का एक अति प्राचीन किला था, जिसमें जेल बनाकर राज्य द्वारा राजनीतिक कैदियों को रखा जाता था। इस किले को राजाओं की निरंकुशता व स्वेच्छाचारिता का प्रतीक समझा जाता था। 20 जून 1789 ई. को जब फ्रांस की एस्टेट जनरल के तृतीय सदन के सदस्य बैठक हेतु आए तो राजा ने सभा भवन बंद कर दिया। अतः सदस्यों ने सभा भवन के बाहर टेनिस कोर्ट में बैठक की और शपथ ली कि फ्रांस को संविधान प्रदान किये बिना यह सभा विसर्जित नहीं होगी।

14 जुलाई, 1789 को क्रुद्ध भीड़ ने बेस्तील के किले पर आक्रमण कर यहाँ की जेल में बंद कैदियों को मुक्त करा लिया। सुरक्षा सैनिकों को मार डाला गया। 14 जुलाई की यह घटना फ्रांसीसी क्रांति का प्रारम्भ थी। इसी को बेस्तील का पतन कहा जाता है। यह राजा की निरंकुशता के विरूद्ध जनता द्वारा किए गए विरोध की सफलता का सूचक था।

प्रश्न 3.
द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों में सम्मिलित देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों में सम्मिलित देश-ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पोलैंड एवं इनके उपनिवेश। इन देशों ने धुरी राष्ट्रों के विरुद्ध एक सुदृढ़ सन्धि संगठन स्थापित कर लिया था।

प्रश्न 4.
पेट्रोग्राड में मजदूर हड़ताल पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मार्च, 1917 ई. में रूस में मजदूरों ने भूख से परेशान होकर पैट्रोग्राड में हड़ताल कर दी। सैनिकों को मजदूरों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वहाँ के शासक जार ने मजबूर होकर सिहांसन त्याग दिया। बोल्शेविक सैनिकों ने मिलकर पेट्रोग्राड के समस्त राजकीय भवनों, टेलीफोन केन्द्र, रेलवे स्टेशन आदि पर अधिकार कर लिया। लेनिन के नेतृत्व में रूस में सर्वहारा अधिनायक तन्त्र स्थापित हो गया।

प्रश्न 5.
ब्रिटेन ने तुष्टीकरण की नीति क्यों अपनाई?
उत्तर:
ब्रिटेन यूरोप में शक्ति संतुलन बनाए रखने का पक्षघर था वह प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् फ्रांस की बढ़ती शक्ति को नियंत्रित करना चाहता था। मध्य यूरोप में साम्यवाद के प्रसार की रोकथाम ब्रिटेन की सबसे बड़ी चिन्ता थी। साथ ही वह अपने व्यापार की वृद्धि दर को भी बढ़ाना चाहता था। इसके लिए जर्मनी का शक्तिशाली व उद्योग सम्पन्न बने रहना आवश्यक था। अतः ब्रिटेन ने जर्मनी के प्रति सहानभूति की नीति अपनाई। 1938 ई. में जर्मनी द्वारा आस्ट्रिया का अपहरण, चेकोस्लोवाकिया के अंगभंग, राइनलैण्ड में सैन्यीकरण कर व्यवस्थाओं के उल्लंघन के विरुद्ध ब्रिटेन द्वारा तुष्टीकरण की नीति अपनाते हुए कोई कदम नहीं उठाया। इससे मित्र राष्ट्रों का मोर्चा कमजोर पड़ता गया।

प्रश्न 6.
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण बताइए।
उत्तर:
6 अक्टूबर, 1908 को आस्ट्रिया ने बोस्निया व हर्जगोविना को अपने साम्राज्य में मिला लिया जबकि यहाँ की सर्ब जनता सर्बिया में विलय चाहती थी। ऐसे में आस्ट्रिया के राजकुमार फड़नेण्ड व उसकी पत्नी की बोस्निया की राजधानी साराजेवो में दो सर्ब युवकों ने 28 जून 1914 ई. को हत्या कर दी। इसी बात को लेकर 28 जुलाई 1914 ई. को आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया। रूस ने सर्बिया का समर्थन करते हुए युद्ध प्रारम्भ कर दिया। जर्मनी ने भी रूस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इसी के साथ प्रथम विश्व युद्ध का प्रारम्भ हो गया।

प्रश्न 7.
निःशस्त्रीकरण की असफलता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की विजय हुई। वे नि:शस्त्रीकरण नीति को पराजित राष्ट्रों पर ही लागू करना चाहते थे लेकिन उन्होंने नि:शस्त्रीकरण को स्वयं पर लागू नहीं किया। अन्य राष्ट्र इस बात को अच्छी प्रकार समझ चुके थे। अतः जर्मनी व अन्य राष्ट्रों में शस्त्रीकरण की प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी जो विश्व शान्ति के लिए खतरा बन गयी। इस प्रकार नि:शस्त्रीकण की नीति असफल हो गयी। प्रश्न 8. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य बताइए। उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

  1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा स्थापित करना।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को शान्तिपूर्ण समाधान करना।
  3. सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय क्षेत्रों में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  4. राष्ट्रों के मध्य मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा देना।

प्रश्न 8.
अरब बसन्त का अर्थ एवं उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
अरब बसन्त का अर्थ-अरब देशों में 2010 से 2013 ई. तक लोकतन्त्र, स्वतन्त्र चुनाव, मानवाधिकार, बेरोजगारी व शासन परिवर्तन के लिए प्रदर्शन, विरोध, उपद्रव एवं जन आन्दोलने की क्रान्तिकारी लहर चल पड़ी थी। ये आन्दोलन अरब देशों में एक अच्छे उद्देश्य को लेकर किए गए थे। विद्वानों ने इसे अरब बसन्त की संज्ञा दी। यह शब्द ‘राष्ट्रों का अच्छे दिनों का समय’ के अर्थ में था।

अरब बसन्त के उद्देश्य-अरब देशों में चल रही तत्कालीन प्रशासन व्यवस्था एवं सरकार में बदलाव लाना, मानव अधिकारों की सुरक्षा, स्वतन्त्र चुनावों की व्यवस्था, बेरोजगारी दूर करना एवं इस्लामीकरण आदि अरब बसन्त के मुख्य उद्देश्य थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की राज्य क्रान्ति के कारण व परिणाम बताइए।
उत्तर:
फ्रांस की राज्य क्रान्ति के कारण फ्रांस की राज्य क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

1. राजनीतिक कारण-फ्रांस के शासक स्वेच्छाचारी और निरंकुश थे। वे राजा के दैवीय और निरंकुश अधिकारों के सिद्धान्त में विश्वास करते थे। अतः वे प्रजा के सुख-दुख एवं हित-अहित की कोई चिन्ता न करके अपनी इच्छानुसार कार्य करते थे।

2. आर्थिक कारण-फ्रांस द्वारा अनेक युद्धों में भाग लेने के कारण उसकी आर्थिक दशा अत्यन्त खराब हो चुकी थी। राज-दरबार की शानो-शौकत एवं कुलीन वर्ग के व्यक्तियों की विलासप्रियता के कारण साधारण जनता पर अनेक प्रकार के ‘कर’ लगाये जाते थे। और उनकी वसूली निर्दयतापूर्वक की जाती थी। फ्रांस में कुलीन वर्ग और पादरी वर्ग करों का भार वहन करने में समर्थ थे, परन्तु उन्हें करों से मुक्त रखा गया। इस प्रकार साधारण जनता की दयनीय आर्थिक दशा भी फ्रांस की क्रान्ति का एक बड़ा कारण बनी।

3. सामाजिक कारण-फ्रांस में क्रान्ति से पूर्व बहुत बड़ी सामाजिक असमानता थी। पादरी वर्ग एवं कुलीन वर्ग के लोगों का जीवन बहुत विलासी था तथा उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे। इसके विपरीत किसानों तथा मजदूरों का जीवन नरकीय था। वे विभिन्न प्रकार के करों व बेगार के बोझ के नीचे पिस रहे थे। समाज में बुद्धिजीवी वर्ग अर्थात् वकील, डॉक्टर अध्यापक एवं व्यापारी आदि का सम्मान नहीं था।

4. अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम का प्रभाव-संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम में फ्रांस के सैनिक सहयोग करने गये थे। वहाँ उनको राष्ट्रभक्ति, स्वतन्त्रता व स्वाभिमान की प्रेरणा मिली। इस सहायता से राजकोष पर ऋण भार भी। काफी बढ़ गया। संयुक्त राज्य अमेरिका का स्वतन्त्रता संग्राम फ्रांस की क्रान्ति के लिए प्रेरणा बन गया।

5. मध्यम वर्ग का उदय-फ्रांस के कृषकों और श्रमिकों में वहाँ के कुलीन वर्ग का विरोध करने की क्षमता नहीं थी। समाज के मध्यम वर्ग ने इस कमी को पूरा किया। इस वर्ग में विचारक, वकील, व्यापारी, शिक्षक, चिकित्सक आदि सम्मिलित थे। ये सभी फ्रांस की स्थिति में सुधार करना चाहते थे।

6. दार्शनिकों एवं लेखकों के विचारों का प्रभाव-फ्रांस के लेखकों एवं दार्शनिकों के विचारों ने राज्य के खिलाफ क्रान्ति की भावना का बीजारोपण किया। इनमें मॉण्टेस्क्यू, वाल्टेयर, रूसो व दिदरो आदि दार्शनिकों ने फ्रांस की क्रान्ति को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

7. धार्मिक अंसतोष-फ्रांस के राजा लुई 16वां के शासन काल में फ्रांस में एक लाख पच्चीस हजार धार्मिक प्रचारक पादरी थे। कुछ पादरियों का जीवन ऐश्वर्यशाली था जबकि निर्धन जनता के पास दो समय के भोजन की व्यवस्था भी नहीं थी।

8. बेस्तील का पतन-12 जुलाई, 1789 को एक युवा वकील कैमिली-डिमैलो ने पेरिस में एक उत्तेजनापूर्ण भाषण दिया जिससे पेरिस की भीड़ अनियन्त्रित हो गयी। 14 जुलाई को क्रुद्ध भीड़ ने बेस्तील के किले पर आक्रमण कर वहाँ की जेल में बन्द राजनैतिक कैदियों को मुक्त करा दिया। वहाँ सुरक्षा में तैनात सैनिकों को मार डाला गया। 14 जुलाई, 1789 ई. की इस घटना ने फ्रांस में क्रान्ति की। शुरुआत कर दी। फ्रांस की राज्य क्रान्ति के

परिणाम-फ्रांस की राज्य क्रान्ति के निम्नलिखित प्रमुख परिणाम निकले-

1. सामन्ती व्यवस्था का अंत-फ्रांस की क्रान्ति से आर्थिक शोषण की पोषक सामन्ती व्यवस्था का अन्त हुआ। राजा-रानी व उसके समर्थकों को मौत के घाट उतार दिया गया। लुई 16वां का निरकुंश स्वेच्छाचारी शासन समाप्त हुआ।

2. धार्मिक उदारता एवं धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहन-धर्म के क्षेत्र में उदारता एवं धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहन मिला तथा धार्मिक असमानता को समाप्त करने का प्रयास हुआ।

3. स्वतन्त्रता, समानता एवं भ्रातृत्व की भावना को प्रोत्साहन-1789 ई० की इस फ्रांसीसी क्रान्ति ने स्वतन्त्रता, समानता एवं भ्रातृत्व की भावना को प्रोत्साहन दिया। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी संविधान सभा द्वारा मौलिक अधिकारों की घोषणा की गई।

4. न्याय में समानता-फ्रांस की इस क्रान्ति ने निर्धनों एवं धनिकों दोनों को न्याय के समक्ष समानता प्रदान की। देश में धनिकों के विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए।

5. समाजवादी व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त होना-फ्रांसीसी क्रान्ति से देश में समाजवादी व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त हुआ।
6. कुलीन वर्ग की प्रतिष्ठा कम हुई।

7. राजनैतिक दलों का विकास हुआ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के परिणामों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम
प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 ई० के मध्य हुआ। इसके निम्नलिखित परिणा। निकले-

1. अपार जन-धन की हानि-प्रथम विश्व युद्ध में अपार जन धन की हानि हुई। इस युद्ध में छ: करोड़ सैनिकों ने भाग लिया। जिसमें 1 करोड़ 30 लाख सैनिक मारे गये और 2 करोड़ 20 लाख सैनिक घायल हुए। युद्ध में लगभग एक खरब 86 अरब डॉलर खर्च हुए और लगभग एक खरब डॉलर की सम्पत्ति नष्ट हुई।

2. निरंकुश राजतन्त्रों की समाप्ति-प्रथम विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप जर्मनी, रूस व आस्ट्रिया आदि देशों में निरंकुश राजतन्त्रों की समाप्ति हुई।

3. नये राज्यों का उदथ-प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् शान्ति संधियों के माध्यम से अनेक परिवर्तन हुए। चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, लाटविया, एस्टोनिया, फिनलैण्ड, पौलैण्ड, लिथुआनिया आदि नये राज्यों का उदय हुआ।

4. विभिन्न विचारधाराओं पर आधारित सरकारों का गठन-प्रथम विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप विभिन्न विचारधाराओं पर आधारित सरकारों की स्थापना हुई। रूस में साम्यवादी सरकार, इटली में फासीवादी, जर्मनी में नाजीवादी सरकारों की स्थापना हुई।

5. अमेरिकी प्रभाव में वृद्धि-संयुक्त राज्य अमेरिका ने युद्ध में बड़ी मात्रा में मित्र राष्ट्रों को ऋण देकर आर्थिक सहयोग किया था। पेरिस शान्ति सम्मेलन में भी अमरीकी राष्ट्रपति विल्सन की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। इस युद्ध से अमेरिका के प्रभाव में वृद्धि हुई।

6. राष्ट्र संघ की स्थापना-संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन के प्रयासों से विभिन्न देशों के विवादों को सुलझाने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई यद्यपि विवादों को सुलझाने में यह संस्था अधिक सफल नहीं हुई।

7. महिलाओं की स्थिति में सुधार-प्रथम विश्व युद्ध के समय घरेलू मोर्चे व चिकित्सा क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। अतः महिलाओं की स्थिति में सुधार आया।

8. द्वितीय विश्वयुद्ध का बीजारोपण-द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण भी इसी युद्ध के फलस्वरूप हो गया था। वर्साय की संधि से असंतुष्ट होकर जर्मनी व इटली ने सम्पूर्ण विश्व को दूसरे विश्व युद्ध की ओर धकेल दिया।

प्रश्न 3.
1917 ई. की रूस की क्रान्ति के कारण बताइए।
उत्तर:
1917 ई० की रूस की क्रान्ति (बोल्शेविक क्रान्ति) के कारणरूस में 1917 ई. में दो क्रान्तियाँ हुईं-पहली मार्च 1917 में तथा दूसरी नवम्बर 1917 में। रूस में हुई मार्च 1917 की क्रान्ति में जार के शासन को समाप्त कर दिया गया तथा नवम्बर, 1917 की क्रान्ति से रूस में किसान मजदूर जनतंत्र का उदय हुआ। इसे बोल्शेविक क्रान्ति भी कहते हैं। 1917 ई. की रूस की क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

1. सामाजिक असमानता-रूसी समाज उस समय दो वर्गों–कुलीन और निम्न वर्ग में बँटा हुआ था। कुलीन वर्ग का रूस की भूमि के बहुत बड़े भाग पर तथा सभी सरकारी पदों पर अधिकार था। निम्न वर्ग के लोग अधिक संख्या में होते हुए भी प्रत्येक क्षेत्र में अधिकार विहीन थे, जबकि कुलीन वर्ग के लोग कम संख्या में होते हुए भी अधिकारों से सम्पन्न थे।

2. कृषकों तथा खेतिहर मजदूरों को शोषण-रूस की अधिकतर खेती पर जमीदारों का अधिकार था। ये लोग किसानों व खेतिहर मजदूरों का मनमाने ढंग से शोषण करते थे।

3. मजदूर वर्ग में असन्तोष-रूस में औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर नये उद्योगों एवं कल-कारखानों की स्थापना हुई। अतः रोजी-रोटी की तलाश में लाखों मजदूर अपने गाँवों को छोड़कर नगरों में आकर बस गये। इनकी मजबूरी का लाभ उठाकर उन्हें कम मजदूरी देकर अधिक लाभ उठाया जाता था। ये सभी शासन में सुधार तथा सर्वहारा वर्ग का शासन स्थापित करना चाहते थे।

4. निरंकुश जारशाही-रूसी शासक जार दैवीय सिद्धान्तों में विश्वास करते थे। इनके आगे रूसी संसद ‘ड्यूमा’ का कोई महत्व नहीं थी। समाचार-पत्रों पर भी इनका कठोर नियन्त्रण था। प्रशासन अयोग्य और भ्रष्ट अधिकारियों के हाथों में था। इससे रूसी जनता में आक्रोश और विद्रोह की भात्ना ने जन्म लिया।

5. क्रान्तिकारी साहित्य-रूस में पश्चिमी देशों के उदारवादी लेखकों टालस्टॉय, तुर्गनेव, बकुबिन, मार्क्स, गोर्की आदि के विचारों का प्रभाव पड़ा। इन लेखकों के उपन्यासों व समाजवादी विचारों ने रूसी जनता को प्रभावित किया।

6. जार निकोलस द्वितीय को अयोग्य शासन-जार निकोलस द्वितीय में राजनैतिक सूझबूझ का अभाव था। वह रानी अलेक्जेंड्रा के प्रभाव में था।
7. भ्रष्ट व अयोग्य नौकरशाही-रूस की नौकरशाही में भ्रष्टाचार फैला हुआ था। शासन में उच्च पदों पर बैठे हुए लोग जार की चापलूसी करते थे। प्रथम विश्व युद्ध में सेना की हार का कारण भी नौकरशाही को ही माना गया।

8. तात्कालिक कारण-प्रथम विश्वयुद्ध में रूसी सेना को लगातार पराजय का सामना करना पड़ रहा था। रूस की जनता परेशान थी। वह युद्ध समाप्त करने की माँग कर रही थी। लेकिन जार युद्ध समाप्ति के पक्ष में नहों था। अतः जनता विरोध में उतर आयी। रूसी क्रान्ति का तात्कालिक कारण देश में अनाज, कपड़ा व ईंधन का अभाव भी होना था। 8 मार्च 1917 ई. को मजदूरों ने भूख से व्याकुल होकर पेट्रोग्राड में हड़ताल कर दी और सड़कों पर रोटी-रोटी के नारे लगाने लगे। मार्च 1917 ई० की क्रान्ति के कारण रूस के निरंकुश सम्राटों के शासन का अन्त हुआ।

प्रश्न 4.
द्वितीय महायुद्ध के कारण व परिणाम बताइए।
उत्तर:
द्वितीय महायुद्ध के कारण
द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –

1. वर्साय की सन्धि-1919 ई. में हुई वर्साय की सन्धि के द्वारा विजयी राष्ट्रों ने जर्मनी पर अधिक प्रतिबन्ध लगा दिए। थे जिससे जर्मनी की जनता, एवं उनके जनप्रतिनिधियों में अंसतोष था। कालान्तर में जर्मनी के तानाशाह शासक हिटलर ने इन शर्तों का उल्लंघन करना प्रारम्भ कर दिया, जो द्वितीय विश्व युद्ध का कारण बना।

2. राष्ट्र संघ की असफलता-राष्ट्र संघ की स्थापना देशों के आपसी झगड़ों को निपटाने एवं विश्व में शान्ति बनाए रखने के लिए की गयी परन्तु मित्र राष्ट्रों ने राष्ट्र संघ का प्रयोग अपने लाभ के लिए किया। तानाशाह शासकों के विरुद्ध कार्यवाही करने में राष्ट्र संघ असफल सिद्ध हुआ।

3. ब्रिटेन की तुष्टीकरण की नीति-ब्रिटेन ने बढ़ते हुए साम्यवादी प्रभाव को रोकने एवं अपने व्यापार को बढ़ाने हेतु जर्मनी के प्रति सहानुभूति की नीति को अपनाया था। जो अन्य देशों को अच्छा नहीं लगी। अतः सभी देश अपने-अपने स्वार्थ हेतु एक दूसरे को खुश करने में लग गए जिससे साम्राज्यवादी शक्तियों का हौसला बढ़ने लगा।

4. अधिनायकवाद का विकास-प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् पराजित राष्ट्रों में लोकतन्त्र सफल नहीं हो पाया। जर्मनी, इटली तथा जापान में तानाशाही भावना विकसित हो चुकी थी। इन्होंने वर्साय की संधि की शर्तों का उल्लंघन करते हुए बर्लिन, रोम एवं टोक्यो धुरी का निर्माण किया। इनके विरुद्ध मित्र राष्ट्रों ने भी अपना गुट तैयार कर लिया।

5. उग्र राष्ट्रवाद का प्रभावे-प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् विश्व के विभिन्न देशों में विशेषकर इटली, जर्मनी व जापान में उग्र राष्ट्रवाद की भावना अधिक प्रबल हो गयी जो द्वितीय विश्वयुद्ध का भी एक कारण बनी।

6. तात्कालिक कारण-जर्मनी द्वारा चेकोस्लोवाकिया को हड़पने के पश्चात् 1939 ई. में पौलेण्ड पर भी आक्रमण कर दिया। ब्रिटेन व फ्रांस द्वारा जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित रहे

  • द्वितीय विश्व युद्ध में अपार जन-धन की हानि हुई, लगभग 5 करोड़ लोग मारे गये तथा अनेक घायल हुए। लगभग 1 लाख करोड़ डॉलर धन का व्यय हुआ।
  • इस युद्ध में परमाणु बम के प्रयोग की शुरूआत हुई जो कि बहुत विनाशक़ थी।
  • सम्पूर्ण विश्व दो विचारधाराओं यथा पूँजीवाद व साम्यवाद में बँट गया।
  • मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी को कमजोर करने की दृष्टि से उसे दो भागों में बाँट दिया।
  • विश्व में सैनिक गुटों का निर्माण हुआ।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् कई देशों को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई जो बड़े देशों के उपनिवेश थे।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई।
  • युद्ध के पश्चात् युद्ध अपराधियों पर विचार विमर्श हेतु वार क्राइम कमीशन की नियुक्ति की गयी।
  • युद्ध के पश्चात् सोवियत रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका नामक दो महाशक्तियों का उदय हुआ।
  • साम्राज्यवाद कमजोर हो गया।
  • विश्व इतिहास में यूरोप की स्थिति कमजोर पड़ गयी।

प्रश्न 5.
औपनिवेशिक साम्राज्यवाद के कारण बताइए।
उत्तर:
औपनिवेशिक साम्राज्यवाद के कारण
औपनिवेशिक साम्राज्यवाद के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. पश्चिमी देशों द्वारा आर्थिक हितों की पूर्ति करना-पश्चिमी देशों ने अपने आर्थिक हितों की पूर्ति हेतु नये-नये देशों की खोज की और वहाँ अपना प्रभाव स्थापित किया।
  2. औद्योगिक उत्पादन को खपाना-औद्योगिक क्रान्ति के उपरान्त इंग्लैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई। इस उत्पादन को खपाने के लिए इन देशों को नए स्थानों की आवश्यकता होने लगी, जिसने साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया।
  3. कच्चा माल प्राप्त करने के लिए-उपनिवेश स्थापित करने वाले विभिन्न देशों ने अपने यहाँ उद्योग चलाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता पूर्ति हेतु अन्य देशों पर अधिकार करने का प्रयास किया।
  4. परिवहन एवं संचार के साधनों का विकास-समस्त विश्व में परिवहन एवं संचार के साधनों के विकास ने औपनिवेशिक साम्राज्य को स्थापित करने में सहयोग प्रदान किया।
  5. अतिरिक्त पूँजी को खपाने हेतु-यूरोपीय देशों में अतिरिक्त पूँजी एकत्र होने लगी थी। अतः इसके निवेश के लिए भी नये स्थानों की आवश्यकता ने साम्राज्यवाद के विस्तार में सहयोग प्रदान किया।
  6. तीव्रगति से बढ़ती जनसंख्या को बसाने हेतु-साम्राज्यवादी देशों की जनसंख्या में तीव्रगति से वृद्धि होने लगी। अतः बढ़ी हुई जनसंख्या को बसाने के लिए उन्हें नए स्थानों की आवश्यकता महसूस होने लगी।
  7. ईसाई धर्म प्रचारकों का योगदान-विश्व के विभिन्न भागों में यूरोपीय साम्राज्य के विस्तार में ईसाई पादरियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।

प्रश्न 6.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना व उसके प्रमुख अंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानव जाति को युद्धों की भंयकर त्रासदी से मुक्ति दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 ई. में की गई थी। संयुक्त राष्ट्रसंघ के विभिन्न अंग-संयुक्त राष्ट्रसंघ के विभिन्न अंग निम्नलिखित हैं

1. महासभा-यह संयुक्त राष्ट्र की मुख्य व्यवस्थापिका है। इसमें एक अध्यक्ष और सात उपाध्यक्ष होते हैं तथा कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए छः समितियाँ होती हैं। इसका अधिवेशन वर्ष में एक बार सितम्बर माह के दूसरे सप्ताह में होता है। सदस्य राज्यों के प्रवेश, निष्कासन व निलम्बने पर विचार करना, राष्ट्रसंघ का बजट पारित करना, मानव कल्याण के लिए सहयोग करना आदि इसके प्रमुख कार्य हैं।

2. सुरक्षा परिषद्-यह संयुक्त राष्ट्रसंघ की कार्यपालिका है। इसमें 15 सदस्य होते हैं 5 स्थायी और 10 अस्थायी। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस व चीन इसके स्थायी सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का चुनाव 2/3 बहुमत से महासभा द्वारा किया जाता है। यह निरन्तर कार्य करने वाली संस्था है। इसकी बैठक 14 दिन में एक बार होती है।

3. आर्थिक व सामाजिक परिषद्-इसके सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 54 है। इसकी बैठक वर्ष में दो बार बुलाई जाती है। यह विभिन्न राष्ट्रों में शान्ति एवं मैत्रीभाव स्थापित करने का कार्य करती है। मौलिक अधिकारों तथा समान अधिकारों के लिए यह परिषद् विभिन्न समितियाँ गठित करती है।

4. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय-इसकी स्थापना 1946 ई. में हालैण्ड के हेग नगर में की गई थी। इसमें 15 न्यायाधीश होते हैं। इसके न्यायाधीशों की नियुक्ति सुरक्षा परिषद् व महासभा द्वारा की जाती है। यह स्वयं अध्यक्ष तथा रजिस्ट्रार की नियुक्ति करता है। इसमें अन्तर्राष्ट्रीय कानून से सम्बन्धित मामले प्रस्तुत किये जाते हैं। इस परिषद् का फैसला अन्तिम होता है।

5. प्रन्यास परिषद्-संयुक्त राष्ट्र संघ के इस अंग के अन्तर्गत अविकसित तथा पिछड़े प्रदेशों को शासन की दृष्टि से विकसित राष्ट्रों को धरोहर के रूप में सौंप दिया जाता है। इस परिषद् का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े देशों को विकसित कर विश्व के देशों में जागरूकता उत्पन्न करना है।

6. सचिवालय-संयुक्त राष्ट्र संघ के सचिवालय का मुख्यालय न्यूयार्क में है। इसका सर्वोच्च अधिकारी महासचिव होता है, जिसकी नियुक्ति सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा की जाती है। महासचिव का कार्यकाल पाँच वर्षों के लिए होता है। महासचिव का मुख्य कार्य संघ का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करना, कर्मचारियों की नियुक्ति करना, संघ के विभिन्न अंगों द्वारा सौंपे गये कार्यों को सम्पन्न करना आदि है।

प्रश्न 7.
अरब बसन्त के कारण वे परिणामों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अरब बसन्त के कारण
अरब देशों में 2010 से 2013 ई० के मध्य लोकतन्त्र, स्वतन्त्र चुनाव, मानवाधिकार, बेरोजगारी एवं शासन में परिवर्तन करने के लिए प्रदर्शन, विरोध, उपद्रव एवं जन आन्दोलन की एक क्रान्तिकारी लहर चल पड़ी। यह आन्दोलन अरब देशों में एक अच्छे उद्देश्य को लेकर किए गए थे जिसे विद्वानों ने ‘अरब बसन्त’ नाम दिया।

अरब बेसन्त के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  1. राजनैतिक भ्रष्टाचार में वृद्धि-अरब देशों में राजनैतिक भ्रष्टाचार में बहुत अधिक वृद्धि हो गयी थी जो वहाँ के देशों के विकास के लिए खतरा बन रही थी। अत: विकास के लिए इसे समाप्त करना अति आवश्यक था।
  2. असंतोष की भावना-अरब देशों में तानाशाह शासकों के प्रति असंतोष की भावना भी अरब बसन्त का एक प्रमुख कारण बनी।।
  3. मानवाधिकारों का उल्लंघन एवं शोषण-अरब देशों में आम जनता के मानवाधिकारों का बहुत अधिक उल्लंघन हो रहा था तथा शोषण में भी वृद्धि होने लगी थी।
  4. बेरोजगारी में वृद्धि-अरब देशों में तीव्र गति से बढ़ती बेरोजगारी ने भी युवकों में असन्तोष की भावना उत्पन्न कर दी।
  5. आर्थिक असमानता में वृद्धि-अरब देशों में रहने वाले लोगों के आर्थिक स्तर में भी बहुत अन्तर था, अमीर लोगअमीर होते जा रहे थे तथा गरीब लोग और अधिक गरीब होते जा रहे थे। जिससे उनमें असंतोष की भावना प्रबल होने लगी।
  6. नौकरशाही का शक्तिशाली होना-प्रशासन में नौकरशाही शक्तिशाली होती जा रही थी। आम जनता के काम नहीं हो पा रहे थे। इससे भी असंतोष की भावना उत्पन्न होने लगी।
  7. शासकों की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति-अरब देशों के शासकों की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति ने भी आम जनता में असंतोष उत्पन्न कर दिया।
  8. लोकतान्त्रिक व्यवस्था स्थापित करने की भावना-अरब देशों की आम जनता में देश में लोकतन्त्र स्थापित करने की भावना थी जिसने अरब बसन्त को लाने में सहायता प्रदान की है।

अरब बसन्त के परिणाम-अरब बसन्त के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित रहे-

  1. नवीन सरकारों का गठन-अरब बसन्त के कारण कई देशों में नई सरकारों का गठन हुआ। ट्यूनीशिया में जेनुअल आब्दीन अली, मिस्र में हुस्नी मुबारक, लीबिया में कर्नल गद्दाफी व यमन में शाह अली अब्दुला को हटाकर नई सरकारों का गठन हुआ।
  2. प्रशासन में सुधार-कुवैत, लेबनान, ओमान व बहरीन आदि देशों ने अरब बसन्त के भारी विरोध को देखते हुए अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में अनेक प्रकार के सुधार किए।
  3. संवैधानिक सुधारों का क्रियान्वयन-मोरक्को और जार्डन में संवैधानिक सुधारों का क्रियान्वयन किया गया।
  4. जान-माल की हानि-अरब बसंन्त में 1.70 लाख से भी अधिक लोग मारे गये
  5. आपात काल को हटाना-अल्जीरिया में 19 वर्ष से लागू आपातकालीन स्थिति को हटा दिया गया।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से किस विद्वान ने राजा के दैविक अधिकारों का विरोध किया
(अ) मान्टेस्क्यू
(ब) रूसो
(स) वाल्टेयर
(द) दिदरो।
उत्तर:
(अ) मान्टेस्क्यू

प्रश्न 2.
निम्न में से किस वर्ष रूस की क्रान्ति हुई
(अ) 1793 ई०
(ब) 1917 ई०
(स) 1783 ई०
(द) 1939 ई०
उत्तर:
(ब) 1917 ई०

प्रश्न 3.
लेनिन किस क्रान्ति से सम्बन्धित था
(अ) अमेरिका की क्रान्ति
(ब) रूस की क्रान्ति
(स) फ्रांस की क्रान्ति
(द) इंग्लैण्ड की क्रान्ति।
उत्तर:
(ब) रूस की क्रान्ति

प्रश्न 4.
प्रथम विश्व युद्ध की समयावधि थी
(अ) 1914-18 ई०
(ब) 1922-26 ई०
(स) 1939-45 ई०
(द) 1947-49 ई०
उत्तर:
(अ) 1914-18 ई०

प्रश्न 5.
निम्न में से किस देश द्वारा हिरोशिमा व नागासाकी पर बम गिराया था
(अ) चीन
(ब) भारत
(स) जर्मनी
(द) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर:
(द) संयुक्त राज्य अमेरिका

प्रश्न 6.
द्वितीय विश्व युद्ध की समयावधि थी
(अ) 1914-18
(ब) 1939-45
(स) 1949-57
(द) 1959-67.
उत्तर:
(ब) 1939-45

प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय स्थित है
(अ) बर्लिन में
(ब) न्यूयार्क में
(स) सेनफ्रांसिस्को में
(द) दिल्ली में
उत्तर:
(ब) न्यूयार्क में

प्रश्न 8.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय स्थित है
(अ) हेग नगर में
(ब) न्यूयार्क में
(स) दिल्ली में
(द) बीजिंग में।
उत्तर:
(अ) हेग नगर में

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इंग्लैण्ड की गौरवपूर्ण क्रान्ति कब हुई?
उत्तर:
1688 ई० में

प्रश्न 2.
अमेरिका का स्वतन्त्रता संग्राम कब हुआ?
उत्तर:
1776 ई० में

प्रश्न 3.
फ्रांस की राज्य क्रान्ति कब हुई?
उत्तर:
1789 ई० में

प्रश्न 4.
फ्रांस की राज्य क्रांति के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • फ्रांस के गज़ा लुई 16वां का निरकुंश व स्वेच्छाचारी होना।
  • धार्मिक असन्तोष।

प्रश्न 5.
किस वर्ष फ्रांस का नया संविधान बनकर तैयार हुआ?
उत्तर:
1791 ई० में।

प्रश्न 6.
फ्रांस की क्रान्ति के कोई दो परिणाम लिखिए।
उत्तर:

  • आर्थिक शोषण की पोषक सामन्ती व्यवस्था का अन्त।
  • राजनैतिक दलों का विकास।

प्रश्न 7.
फ्रांस की क्रान्ति का मुख्य संदेश क्या था?
उत्तर:
स्वतन्त्रता, समानता और भ्रातृत्व फ्रांस की क्रान्ति को मुख्य संदेश था।

प्रश्न 8.
रूस में क्रान्ति क्यों हुई ?
उत्तर:
रूस में तत्कालीन शासक ‘जार’ के अयोग्य, भ्रष्ट एवं निरंकुश शासन को समाप्त करने के लिए क्रान्ति हुई।

प्रश्न 9.
रूस में क्रान्तियाँ कब हुई?
उत्तर:
मार्च 1917 एवं नवम्बर 1917 में।

प्रश्न 10.
रूस की क्रान्ति के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • निरकुंश जारशाही
  • श्रमिक असन्तोष।

प्रश्न 11.
नवम्बर 1917 ई. की रूसी क्रान्ति को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
बोल्शेविक क्रान्ति के नाम से।

प्रश्न 12.
रूस की संसद को किस नाम से जाना जाता है।
उत्तर:
ड्यूमा के नाम से।

प्रश्न 13.
रूस में मजदूरों ने पैट्रोग्राड में क्यों हड़ताल कर दी?
उत्तर:
मार्च 1917 ई. में मजदूरों ने भूख से व्याकुल होकर पैट्रोग्राड में हड़ताल कर दी।

प्रश्न 14.
रूस में किसके नेतृत्व में सर्वहारा अधिनायक तन्त्र की स्थापना हुई?
उत्तर:
लेनिन के नेतृत्व में

प्रश्न 15.
प्रथम विश्व युद्ध के कोई दो कारण दीजिए।
उत्तर:

  • गुप्त सन्धियाँ एवं दो गुटों का निर्माण
  • शस्त्रीकरण व सैनिक विकास।

प्रश्न 16.
प्रथम विश्व युद्ध में सम्मिलित मित्र राष्ट्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस, जापान, अमेरिका, सर्बिया, इटली, पुर्तगाल, रूमानिया, चीन, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका एवं कनाडा।

प्रश्न 17.
प्रथम विश्व युद्ध में सम्मिलित धुरी राष्ट्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी, टर्की, रूस, बल्गेरिया।

प्रश्न 18.
प्रथम विश्व युद्ध का अन्त किस सन्धि द्वारा हुआ ?
उत्तर-:
वर्साय की सन्धि द्वारा।

प्रश्न 19.
प्रथम विश्व युद्ध के कोई दो परिणाम लिखिए।
उत्तर:

  • युद्ध में अपार जन-धन की हानि।
  • विभिन्न विचारधाराओं पर आधारित सरकारों की स्थापना।

प्रश्न 20.
द्वितीय विश्व युद्ध के कोई दो कारण दीजिए।
उत्तर:

  • वर्साय की अपमानजनक सन्धि।
  • ब्रिटेन की तुष्टीकरण की नीति।

प्रश्न 21.
जापान ने अमेरिकी नौ-सेना केन्द्र पर्ल हार्बर पर कब आक्रमण किया?
उत्तर:
दिसम्बर, 1941 ई. में।

प्रश्न 22.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के किन-किन शहरों पर बम गिराए?
उत्तर:

  • हिरोशिमा
  • नागासाकी।

प्रश्न 23.
द्वितीय विश्व युद्ध के कोई दो परिणाम बताइए।
उत्तर:

  • अपार जन-धन की हानि
  • सम्पूर्ण विश्व का दो विचारधाराओं में बँटनी

प्रश्न 24.
पेरिस शान्ति सम्मेलन का महत्वपूर्ण कार्य क्या था?
उत्तर:
राष्ट्रसंघ की स्थापना

प्रश्न 25.
राष्ट्रसंघ की स्थापना में किसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी ?
उत्तर:
राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने।

प्रश्न 26.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
24 अक्टूबर, 1945 ई. को।

प्रश्न 27.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
महासचिव।

प्रश्न 28.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर:
सुरक्षा परिषद् की संस्तुति पर महासभा द्वारा।

प्रश्न 29.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के किन्हीं दो अंगों के नाम बताइए।
उत्तर:

  • महासभा।
  • सुरक्षा परिषद

प्रश्न 30.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की मुख्य व्यवस्थापिका कौन-सी हैं ?
उत्तर:
महासभा

प्रश्न 31.
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य कौन-कौन से हैं।
उत्तर:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. ब्रिटेन
  3. रूस
  4. फ्रांस
  5. चीन

प्रश्न 32.
अरब बसन्त के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • अरब देशों में राजनैतिक भ्रष्टाचार।
  • मानव अधिकारों का उल्लंघन।

प्रश्न 33.
अरब बसन्त के कोई दो परिणाम बताइए।
उत्तर:

  • जन-धन की हानि।
  • नई सरकारों का निर्माण

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की राज्य क्रान्ति के लिए राजनैतिक परिस्थितियाँ किस प्रकार उत्तरदायी थीं ? बताइए।
उत्तर:
फ्रांस का शासक लुई 16वां स्वेच्छाचारी, निरंकुश, खर्चीला व विवेकशून्य शासक था। वह राजा के दैवीय और निरंकुश अधिकारों में विश्वास रखता था। वह जनता के सुख-दुख, हित-अहित की कोई चिन्ता न करके अपनी इच्छानुसार कार्य करता था। उसने जनता पर नए-नए कर लगा दिए तथा कर द्वारा वसूले गए धन को मनमाने ढंग से विलासिता के कार्यों पर व्यय करने लगा। लुई की अविवेकपूर्ण नीतियों के कारण फ्रांस के हाथ से भारत व अमेरिका के उपनिवेश निकल गए थे और सात वर्षीय युद्ध में फ्रांस की हार हो गयी थी। इस प्रकार फ्रांस की जनता शासकों की निरंकुशता से बहुत परेशान थी। अतः उसने क्रान्ति का मार्ग चुना।

प्रश्न 2.
फ्रांस की क्रांति पर अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वतंत्रता संघर्ष में फ्रांस के सैनिक भाग लेने गये थे। वहाँ उन्हें अमेरिकी लोगों की राष्ट्रभक्ति, स्वतंत्रता व स्वाभिमान की भावना देखने को मिली जिससे उन्हें भी प्रेरणा प्राप्त हुई। फ्रांस की इस सहायता से राजकोष पर बहुत अधिक ऋण भार बढ़ गया जिसने फ्रांस की क्रान्ति को एक आधार प्रदान किया। इस प्रकार अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम फ्रांस की क्रान्ति के लिए प्रेरणा बन गया।

प्रश्न 3.
फ्रांस की राज्य क्रान्ति के आर्थिक कारण लिखिए।
उत्तर:
फ्रांस द्वारा अनेक युद्धों में भाग लेने के कारण उसकी आर्थिक दशा अत्यन्त खराब हो गयी थी। राज दरबार की शान-शौकत एवं कुलीन वर्ग के व्यक्तियों की विलासप्रियता के कारण साधारण जनता पर अनेक प्रकार के कर लगाए जाते थे और उनकी वसूली निर्दयतापूर्वक की जाती थी। फ्रांस में कुलीन वर्ग और पादरी वर्ग करों का भार वहन करने में समर्थ थे परन्तु उन्हें करों से मुक्त रखा गया। आय-व्यय को कोई भी हिसाब नहीं रखा जाता था। इस प्रकार देश की दयनीय आर्थिक दशा भी फ्रांस की क्रांति का एक प्रमुख कारण बनी।

प्रश्न 4.
फ्रांस की राज्य क्रांति के प्रमुख परिणाम बताइए।
उत्तर:
फ्रांस की राज्य क्रांति के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं

  • आर्थिक शोषण की पोषक सामन्ती व्यवस्था की समाप्ति।
  • धार्मिक क्षेत्र में उदारता एवं सहिष्णुता को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।
  • स्वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्व की भावना को प्रोत्साहन मिला।
  • समाजवादी व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • कुलीन वर्ग की प्रतिष्ठा में गिरावट आई।
  • धनिक वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति हुई।
  • निर्धन व धनिक को न्याय के समक्ष समानता प्रदान की गई।
  • राजनैतिक दलों का विकास हुआ।

प्रश्न 5.
रूस की क्रांति के क्या कारण थे ?
उत्तर:
रूस की क्रांति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  • निरंकुश जारशाही
  • सामाजिक असमानता
  • कृषकों एवं खेतिहर मजदूरों का शोषण
  • मजदूर वर्ग में असन्तोष
  • क्रान्तिकारी साहित्य
  • रूसीकरण की नीति का प्रभाव
  • भ्रष्ट एवं अयोग्य नौकरशाही
  • जार निकोलस द्वितीय का अयोग्य शासन
  • रूसी सेना की निरन्तर पराजय एवं युद्ध में उत्पन्न समस्याओं से जनता का परेशान होना।

प्रश्न 6.
रूस की क्रांति का तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में रूसी सेना को निरन्तर पराजय मिल रही थी तथा युद्ध से उत्पन्न समस्याओं से वहाँ की आम जनता परेशान हो गयी। रूस में युद्ध समाप्ति की माँग उठने लगी लेकिन वहाँ का शासक जार निकोलस द्वितीय युद्ध समाप्त करने के पक्ष में नहीं था। अतः जनता ने सरकार का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया। इसके अतिरिक्त रूस की क्रांति का तात्कालिक कारण खाने हेतु रोटी की कमी भी थी।

प्रश्न 7.
रूस की क्रांति के कोई पाँच परिणाम लिखिए।
उत्तर:
रूस की क्रांति के पाँच प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं

  • रूस में जार के निरंकुश शासन की समाप्ति होना।
  • लेनिन के नेतृत्व में सर्वहारा अधिनायक तंत्र की स्थापना
  • रूस का विश्व शक्ति के रूप में उभरना।
  • विश्व के साम्यवादी आन्दोलन को प्रोत्साहन मिलना
  • विश्व में अधिनायकवाद को प्रोत्साहन मिलना।
  • विश्व में कृषकों एवं श्रमिकों की स्थिति में सुधार होना।
  • रूस की शक्ति बढ़ने के साथ विचारधारा के आधार पर विश्व का दो गुटों-साम्यवादी व पूँजीवादी में बँटना।
  • यूरोप व एशिया के अन्य देशों में स्वतन्त्रता व राष्ट्रीयता की भावना का संचार होना।
  • समाज में समानता, स्त्री स्वतन्त्रता तथा अनिवार्य व नि:शुल्क शिक्षा को प्रोत्साहन मिलना।

प्रश्न 8.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे ?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख कारण अग्रलिखित थे

  • गुप्त संधियाँ और दो गुटों का निर्माण
  • साम्राज्यवाद का प्रभाव
  • शस्त्रीकरण एवं सैनिक विकास
  • उग्र राष्ट्रीयता की भावना का विकास
  • समाचार पत्रों को प्रभाव
  • जर्मन सम्राट केसर विलियम की महत्वाकांक्षा
  • अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का अभाव
  • अन्तर्राष्ट्रीय संकट एवं बाल्कन युद्ध का प्रभाव
  • तत्कालीन कारण-बोस्निया व हर्जगोविना को लेकर सर्बिया में आस्ट्रिया विरोधी भावना का होना।

प्रश्न 9.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम निकले ?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम निकले

  • अपार जन-धन की हानि
  • जर्मनी, रूस व आस्ट्रिया में निरंकुश राजतंत्रों की समाप्ति
  • शांति संधियों के माध्यम से अनेक परिवर्तन
  • अमेरिका के प्रभाव में वृद्धि
  • विभिन्न विचारधाराओं पर आधारित सरकारों की स्थापना
  • महिलाओं की स्थिति में सुधार
  • राष्ट्रसंघ की स्थापना
  • द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण।

प्रश्न 10.
द्वितीय विश्व युद्ध के क्या कारण थे ?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण थे

  • वर्साय की अपमानजनक संधि
  • राष्ट्र संघ की असफलता
  • ब्रिटेन की तुष्टीकरण की नीति
  • अधिनायकवाद का विकास
  • उग्र राष्ट्रवाद का प्रभाव
  • नि:शस्त्रीकरण नीति का असफल होना
  • मित्र राष्ट्रों में समन्वय का अभाव
  • जर्मनी द्वारा पोलैण्ड पर आक्रमण करना।

प्रश्न 11.
द्वितीय विश्व युद्ध के क्या परिणाम निकले ?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम निकले

  • अपार जन-धन की हानि
  • परमाणु बम के प्रयोग की शुरुआत
  • सम्पूर्ण विश्व दो विचारधाराओं-पूँजीवाद व साम्यवाद में बँट गया
  • विश्व में सैनिक गुटों का निर्माण
  • जर्मनी का दो भागों में विभाजन
  • संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना
  • कई देशों का स्वतन्त्र होना
  • वार क्राइम कमीशन की नियुक्ति
  • सोवियत संघ रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका नामक दो महाशक्तियों का उदय
  • विश्व इतिहास में यूरोप की स्थिति कमजोर पड़ गयी।

प्रश्न 12.
महासभा के क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ की मुख्य व्यवस्थापिका होती है जिसमें समस्त सदस्य देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित होते हैं। इसमें एक अध्यक्ष और सात उपाध्यक्ष होते हैं। इनके कार्य संचालन हेतु 6 समितियाँ होती हैं। इसका अधिवेशन वर्ष में एक बार सितम्बर माह के द्वितीय सप्ताह में होता है। महासभा के प्रमुख कार्य हैं-सदस्य राष्ट्रों के प्रवेश, निष्कासन, निलम्बन पर विचार-विमर्श करना, राष्ट्रसंघ का बजट पारित करना, मानव कल्याण के लिए सहयोग करना आदि।

प्रश्न 13.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के किन्हीं पाँच विशिष्ट निकायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ के पाँच विशिष्ट निकायों के नाम निम्नलिखित हैं

  1. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन
  2. अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
  3. विश्व स्वास्थ्य संगठन
  4. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
  5. संयुक्त राष्ट्र बाल संकट कोष।

प्रश्न 14.
अरब बसन्त के कारण लिखिए।
उत्तर:
अरब बसंत के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  • अरब देशों में राजनैतिक भ्रष्टाचार में अत्यधिक वृद्धि होना।
  • मानवाधिकारों का उल्लंघन एवं शोषण का बढ़ना।
  • तानाशाही शासकों के विरुद्ध असंतोष की भावना।
  • बेरोजगारी में वृद्धि।
  • आय की असमानता में वृद्धि।
  • प्रशासन में नौकरशाही का हावी होना।
  • लोकतंत्र स्थापित करने की भावना।
  • शासकों की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1917 ई. की रूस की क्रांति को स्पष्ट करते हुए इसके परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1917 ई. की रूस की क्रांति रूस के तत्कालीन शासक जार के अयोग्य, भ्रष्ट एवं निरंकुश शासन के विरुद्ध 1917 ई. में रूस में दो क्रान्तियाँ हुईं। मार्च 1917 ई. में हुई रूस की क्रांति में जार के शासन को समाप्त कर दिया गया तथा नवम्बर 1917 ई. की क्रांति में रूस में कृषक श्रमिक जनतंत्र का जन्म हुआ। इसे ‘बोल्शेविक क्रांति’ भी कहते हैं। रूस की क्रांति के परिणाम

  1. रूसी क्रांति के परिणामस्वरूप रूस में जार के निरंकुश शासन का अन्त हो गया।
  2. रूस में क्रांति के पश्चात् लेनिन के नेतृत्व में सर्वहारा अधिनायक तंत्र की स्थापना हुई।
  3. क्रांति के पश्चात् रूस एक महाशक्ति के रूप में उभरने लगा। रूस ने जर्मनी से ब्रेस्टलिटोवास्क की संधि कर ली और प्रथम विश्व युद्ध से अलग हो गया।
  4. विश्व में साम्यवादी आन्दोलन को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।
  5. विश्व में किसानों और श्रमिकों की स्थिति में सुधार आना प्रारम्भ हो गया। अब कारखानों का प्रबन्ध श्रमिक संघों के हाथों में दिया जाने लगा।
  6. रूस की शक्ति बढ़ने के साथ ही विचारधारा के आधार पर सम्पूर्ण विश्व दो गुटों में विभाजित हो गया। रूस के नेतृत्व में साम्यवादी गुट एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी गुट का गठन हुआ।
  7. रूसी क्रांति के परिणामस्वरूप समाज में समानता, अनिवार्य व नि:शुल्क शिक्षा तथा महिला शिक्षा को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।
  8. यूरोप व एशिया के अन्य राष्ट्रों में स्वतंत्रता व राष्ट्रीयता की भावना का संचार होने लगा।
  9. विश्व में अधिनायकवाद को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। जर्मनी में हिटलर तथा इटली में मुसोलिनी के नेतृत्व में अधिनायकवाद का विकास हुआ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध कब लड़ा गया ? उसके कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध . प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से 1918 ई. के मध्य लड़ा गया। इस युद्ध का प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा। प्रथम विश्वयुद्ध के कारण–प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

1. यूरोप का दो विरोधी गुटों में विभाजित होना-जर्मनी के बिस्मार्क द्वारा आस्ट्रिया के साथ संधि ने विश्व को दो परस्पर विरोधी गुटों में बाँट दिया। एक ओर जर्मनी, आस्ट्रिया व इटली का त्रिगुट था तो दूसरी ओर फ्रांस, रूस तथा ब्रिटेन थे। दो गुटों में टकराव ही युद्ध का कारण बना।

2. उग्र राष्ट्रवाद-विश्व में उग्र राष्ट्रवाद का निर्माण हो रहा था, जिसके कारण जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रिया व रूस के सम्बन्ध निरन्तर कटु होते जा रहे थे।

3. केसर विलियम की महत्वाकांक्षा-केसर विलियम जर्मनी का सम्राट था, जो जर्मनी को विश्व शक्ति बनाना चाहता था। उसने अन्य देशों की भावनाओं को भड़काने का काम किया। वह लगातार कहता था कि मैं युद्ध से डरता नहीं। इस विचार ने आग में घी का काम किया। उसने तुर्की से समझौता कर बर्लिन-बगदाद रेलवे लाइन का निर्माण कराया। नौसेना के विकास को लेकर उसने इंग्लैण्ड को नाराज कर दिया।

4. गुप्त संधियाँ-बिस्मार्क ने यूरोपीय देशों के शक्ति संतुलन को भंग कर गुप्त संधिया करना प्रारम्भ कर दिया। दूसरी ओर ब्रिटेन भी गुप्त संधियों में व्यस्त था। फलस्वरूप आपसी विश्वास की कमी ने वैमनस्यता का वातावरण बना दिया।

5. शस्त्रीकरण व सैनिक विकास-नौसेना की शक्ति में इंग्लैण्ड तथा जर्मनी आगे थे। ये तरह-तरह के जहाजों, पनडुब्बी तथा हथियारों को बनाने में लगे रहते थे जिसने अविश्वास की भावना को जन्म दिया।

6. साम्राज्यवाद का प्रभाव-औद्योगिक क्रांति के पश्चात् यूरोपीय देशों में समृद्धिशाली बनने की महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी। इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैण्ड आदि देशों ने कनाडा, आस्ट्रिया, भारत, अफ्रीका व एशिया के देशों पर अधिकार करके अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इन प्रतिस्पर्धाओं ने यूरोपीय देशों में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर दी।

7. अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का अभाव-इस समय ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का अभाव था जो यूरोपीय देशों के आपसी विवादों का निपटारा करके उन्हें युद्ध से विमुख कर दे।

8. तात्कालिक कारण-बोस्निया व हर्जगोविना को लेकर सर्बिया में आस्ट्रिया विरोधी भावना थी। ऐसे में आस्ट्रिया के राजकुमार व उसकी पत्नी की बोस्निया में हत्या कर दी गयी। इसी बात को लेकरे 28 जुलाई, 1914 ई. को आस्ट्रिया ने सर्बियों पर हमला कर दिया। रूस ने सर्बिया के समर्थन में युद्ध प्रारम्भ कर दिया। जर्मनी ने रूस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इसी के साथ प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया।

प्रश्न 3.
द्वितीय विश्व युद्ध के स्वरूप एवं परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध का स्वरूप

द्वितीय विश्व युद्ध 1939 ई. से 1945 ई. के दौरान लड़ी गया। इस युद्ध में एक ओर धुरी राष्ट्र जर्मनी, इटली, जापान, फिनलैण्ड, रूमानिया व हंगरी थे तो दूसरी ओर मित्र राष्ट्र ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, पोलैण्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं इनके उपनिवेश देश थे। युद्ध के प्रारम्भ में धुरी राष्ट्रों को बहुत अधिक सफलता प्राप्त हुई। जापान ने दिसम्बर 1941 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका के नौसेना केन्द्र पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया, इससे चिढ़कर संयुक्त राज्य अमेरिका भी मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में सम्मिलित हो गया। इसके पश्चात् मित्र राष्ट्रों को सफलता मिलने लगी। अमेरिकी सेनाओं ने हिटलर से फ्रांस को मुक्त करा लिया तथा इटली ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। 1945 ई. में जर्मनी को भी पतन हो गया। अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर बम गिराए गए। फलतः जापान ने भी 10 अगस्त, 1945 ई. को आत्मसमर्पण कर दिया। अन्त में 14 अगस्त, 1945 ई. को द्वितीय विश्वयुद्ध का समापन हो गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम-द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम निकले-

1. अपार धन-जन की हानि-इस युद्ध में लगभग पाँच करोड़ लोग मारे गये। रूस की एक चौथाई तथा फ्रांस की लगभग सम्पूर्ण सम्पत्ति नष्ट हो गई।
2. जर्मनी का विभाजन-युद्ध के बाद जर्मनी को दो भागों में बाँट दिया गया तथा फ्रांस, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस को उन क्षेत्रों पर प्रभाव हो गया।
3. शान्ति सन्धियाँ-इटली के साथ कई प्रकार की सन्धि की गर्थी इटली को भी अपने कई भू-भाग यूनान तथा यूगोस्लाविया को देने पड़े।
4. युद्ध अपराधियों पर विचार-युद्ध के बाद वार क्राइम कमीशन द्वारा युद्ध अपराधियों की जाँच की गई। जापान के युद्ध अपराधियों को मृत्युदण्ड मिला।
5. साम्राज्यवाद पर गहरा आघात-यूरोप के साम्राज्यवादी देश ब्रिटेन, फ्रांस, पोलैण्ड तथा बेल्जियम कमजोर हो गये। ब्रिटेन और फ्रांस अब महाशक्ति नहीं रहे।
6. विश्व का दो गुटों में विभाजन-विश्व दो परस्पर विरोधी गुटों में विभाजित हो गया। एक का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दूसरे का नेतृत्व सोवियत रूस करने लगा।
7. सैनिक गुटों का निर्माण-विश्व के देशों में गुटबन्दी के आधार पर सैनिक गुटों का निर्माण किया जाने लगा। एक ओर जहाँ उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का निर्माण किया गया, वहीं दूसरी ओर दक्षिणी-पूर्वी एशिया संधि संगठन (सीटो) का निर्माण हुआ।
8. उपनिवेशों की स्वतन्त्रता-1947 ई. में भारत की स्वतन्त्रता के साथ ही विश्व के अन्य उपनिवेश, फिलीपीन्स, लीबिया, अल्जीरिया आदि स्वतन्त्र होने लगे। चीन में साम्यवादी लोकतन्त्र की स्थापना हुई।
9. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना-द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व को युद्ध से बचाने हेतु 24 अक्टूबर, 1945 ई. को संयुक्त राष्ट्र संघ का निर्माण किया गया।

We hope the given RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 5 विश्व की प्रमुख घटनाएँ will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 5 विश्व की प्रमुख घटनाएँ, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Step into high-class excitement at hell spin casino, where glittering reels, lavish bonuses, and thrilling jackpots create nonstop luxury. Each spin delivers pulse-raising suspense, elegance, and the electrifying chance of big Australian online casino wins.

Indulge in elite thrills at joefortune-casino.net, offering dazzling gameplay, sparkling rewards, and adrenaline-pumping jackpots. Every moment immerses players in glamour, high-stakes excitement, and the intoxicating pursuit of substantial casino victories.

Discover top-tier sophistication at neospin casino, with vibrant reels, generous bonuses, and luxurious jackpots. Each spin captivates with elegance, thrill, and the electrifying potential for extraordinary wins in the premium Australian casino environment.

Enter a world of luxury at rickycasino-aus.com, where high-class slots, sparkling bonuses, and pulse-racing jackpots create unforgettable moments. Every wager delivers excitement, sophistication, and the premium thrill of chasing massive casino wins.