RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 6 भारत में राष्ट्रीयता

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 9
Subject Social Science
Chapter Chapter 6
Chapter Name भारत में राष्ट्रीयता
Number of Questions Solved 50
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 6 भारत में राष्ट्रीयता

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में छापाखाने की शुरुआत हुई थी
(अ) 1800 ई.
(ब) 1700 ई.
(स) 1830 ई.
(द) 1805 ई.
उत्तर:
(अ) 1800 ई.

प्रश्न 2.
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ पुस्तक के लेखक कौन थे?
(अ) आर. पी. मजूमदार
(ब) अशोक मेहता
(स) वीर सावरकर
(द) दादा भाई नौरोजी
उत्तर:
(स) वीर सावरकर

प्रश्न 3.
मेजर बर्टन पॉलिटिकल एजेन्ट था
(अ) नीमच
(ब) कोटा
(स) एरिनपुरा
(द) अजमेर
उत्तर:
(ब) कोटा

प्रश्न 4.
ठाकुर खुशाल सिंह किस स्थान के शासक थे ?
(अ) एरिनपुरा
(ब) सलूम्बर
(स) आऊवा
(द) नसीराबाद।
उत्तर:
(स) आऊवा

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बंगाल गजट का प्रकाशन कब प्रारम्भ हुआ?
उत्तर:
1780 ई. में।

प्रश्न 2.
‘वन्दे मातरम्’ गीत की रचना किसने की?
उत्तर:
बंकिमचन्द्र चटर्जी ने।

प्रश्न 3.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर:
मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने।

प्रश्न 4.
निर्धारित योजनानुसार क्रांति की शुरुआत कितनी तारीख को होनी थी?
उत्तर:
31 मई, 1857 को।

प्रश्न 5.
मेजर बर्टन की हत्या कहाँ की गई?
उत्तर:
कोटा में

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘राष्ट्रवाद’ शब्द की परिभाषा कीजिए।
उत्तर:
एक राष्ट्र के निवासियों में पायी जाने वाली राष्ट्रभक्ति, आत्मीयता, देश प्रेम एवं देश के प्रति त्याग व समर्पण का भावे राष्ट्रवाद कहलाता है। दूसरे शब्दों में, राष्ट्र या देश के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव ही राष्ट्रवाद कहलाता है। भारत में राष्ट्रवाद की धारणा का प्रबंधन वैदिक काल से ही रहा है। राष्ट्र की जनता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ की भावना से राष्ट्रवाद की उत्पत्ति होती है। अंग्रेज विद्वान सर जॉन स्ट्रेची एवं सर जॉन सीले ने भारतीय राष्ट्रवाद का जन्म 19वीं शताब्दी की देन बताया है।

प्रश्न 2.
अंग्रेजों ने भारत का आर्थिक शोषण किस प्रकार किया?
उत्तर:
अंग्रेजों ने भारत का भरपूर आर्थिक शोषण किया। अंग्रेजों ने भारत के कुटीर उद्योगों को नष्ट कर दिया। यहाँ से वे सस्ते मूल्य पर कच्चा माल लेते थे और उसे इग्लैण्ड में तैयार करके भारत में ही ऊँचे मूल्य पर बेचते थे। विदेशी पूँजी का भारत में निवेश तथा विदेशी आयात के माध्यम से भारत का शोषण करते थे। इंग्लैण्ड में भारत की गृह सरकार का सम्पूर्ण व्यये भारत द्वारा ही वहन किया जाता था। भारत से धन का निष्कासन, कुटीर उद्योगों का विनाश एवं किसानों के शोषण का भारतीयों ने भरपूर विरोध किया था। किन्तु फिर भी अंग्रेजों ने निरन्तर भारत को लूटने की प्रक्रिया जारी रखी।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख क्रांतिकारियों के नाम बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख क्रांतिकारियों के नाम हैं- भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आजाद, चापेकर बंधु, अशफाक उल्लाह खान, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र लाहिड़ी, खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चन्द्र, वासुदेव बलवन्त फड़के, वीर सावरकर, सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपत राय, विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक, अरविंद घोष, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि।

प्रश्न 4.
राजस्थान में 1857 ई. की क्रांति के प्रसार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1818 ई. में राजस्थान की विभिन्न रियासतों के शासकों ने अंग्रेज सरकार से संधियाँ कर लीं। ये शासक अंग्रेजी सत्ता के प्रति निष्ठावान रहे, परन्तु जनता में अंग्रेज सरकार के विरुद्ध असंतोष पनप रहा था। 1857 ई. में यह असंतोष फूट पड़ा। अंग्रेज विरोधी सामंतों व सैनिकों ने इसे नेतृत्व प्रदान किया और विद्रोह भी किया। जनता ने विद्रोहियों का खुलकर सहयोग किया। राजस्थान में 1857 ई. के सैन्य विद्रोह मुख्य रूप से नसीराबाद, नीमच, आऊवा, एरिनपुरा, कोटा, टोंक, शाहपुरा, देवली आदि में हुए, लेकिन सर्वमान्य नेता के अभाव में अंग्रेजों ने अपने सैनिक बल के आधार पर इस क्रांति का दमन कर दिया। प्रश्न 5. 1857 के संग्राम में किन-किन महानायकों का योगदान रहा? उत्तर-1857 ई. के संग्राम में निम्नलिखित महानायकों का योगदान रहा-

  1. मंगल पाण्डे-29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी में चर्बी वाले कारतूस मुँह से काटने से मना कर दिया तथा अंग्रेज अधिकारी की हत्या कर दी। 8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फाँसी दे दी गई।
  2. बहादुर शाह जफर-1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।
  3. रानी लक्ष्मीबाई-झाँसी में अंग्रेजों से वीरतापूर्वक संघर्ष किया।
  4. नाना साहब, तात्या टोपे व अजीमुल्ला-इन्होंने 5 जून, 1857 को कानपुर पर अधिकार कर लिया।
  5. कुअर सिंह-बिहार में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।
  6. ठाकुर खुशाल सिंह-राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।
  7. बेगम हजरत महल-अवध में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।
  8. रंगाजी बापू गुप्ते-दक्षिण भारत में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद (राष्ट्रीय पुनर्जागरण) के उदय के कारण भारत में राष्ट्रवाद के उदय के प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं-

1. भारत के गौरवपूर्ण अतीत का प्रभाव-प्राचीन भारत में अपार ज्ञान के कारण इसे विश्वगुरु कहा जाता था। प्राचीनकाल में हमारे महापुरुषों एवं शासकों ने भारत को एक सूत्र में लाने का प्रयास किया। इसी गौरव की प्रेरणा से उन्नीसर्वी शताब्दी में अंग्रेजों के विरुद्ध राष्ट्र भावना जागृत हुई।

2. ब्रिटिश शासन का प्रभाव-अंग्रेजी सरकार द्वारा भारतीयों का आर्थिक व सांस्कृतिक शोषण किया गया फलस्वरूप भारतीयों ने उनकी नीतियों का विरोध प्रारम्भ कर दिया। 1837 ई. से 1857 ई. के मध्य ब्रिटिश नीतियों के विरोध में भारतीयों ने अनेक विद्रोह किए। 1857 ई. का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतिक्रिया का परिणाम था।

3. अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव-अंग्रेजी शिक्षा के प्रचलन ने राष्ट्रीय भावना को जन्म दिया। अंग्रेजी के माध्यम से भारतीय अपने विचारों का आदान-प्रदान सुगमतापूर्वक करने लगे। अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों में राष्ट्रवाद और प्रजातंत्र की भावना का मंत्र फेंका।

4. भारतीय साहित्य एवं समाचार-पत्र-छापाखाने के विकास के साथ ही भारत में राष्ट्र प्रेम से भरपूर साहित्य और समाचार-पत्रों की संख्या बढ़ गयी। ‘आनंद मठ’ व ‘नील दर्पण’ नाटकों के मंचन से भी राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन मिला।

5. भेदभाव की नीति-अंग्रेजों द्वारा सेना व प्रशासन में भारतीयों के साथ भेदभाव की नीति से भारत का शिक्षित वर्ग असंतुष्ट हो गया।

6. धार्मिक व सामाजिक आन्दोलनों का प्रभाव-राष्ट्रीय भावना उत्पन्न करने में ब्रह्म समाज, आर्य समाज व रामकृष्ण मिशन आदि ने विशेष योगदान किया। इन्होंने समाज में फैली छुआछूत जैसी बुराइयों को दूर करके राष्ट्रीय भावना के विकास में सहयोग दिया।

7. भारत की आर्थिक शोषण-भारतीयों में अंग्रेजों द्वारा किये आर्थिक शोषण के विरुद्ध भारी असंतोष था। अंग्रेजों ने भारत के कुटीर उद्योगों को नष्ट कर दिया था। वे यहाँ से सस्ती दर पर कच्चा माल लेकर वापस इंग्लैण्ड में उसे तैयार करके भारत में ऊँचे दामों पर बेचते थे। भारत से धन का निष्कासन, कुटीर उद्योगों का विनाश, किसानों का शोषण आदि का भारतीयों द्वारा भारी विरोध किया गया।

प्रश्न 2.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख कारण 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-

1. प्रशासनिक एवं राजनैतिक असन्तोष-अंग्रेजों द्वारा देशी रियासतों झाँसी, नागपुर, अवध, सतारा, आदि को समाप्त करने के प्रयास का विपरीत प्रभाव पड़ा। इससे सैनिकों में असन्तोष उत्पन्न हो गया। कई जमींदारों की भूमि छीन ली गयीं, जिससे वे भी असन्तुष्ट हो गये। अंग्रेजों ने सार्वजनिक सेवाओं में धर्म, जाति, वंश व रंग के आधार पर नियुक्तियाँ उच्च सेवाओं में भारतीयों की नियुक्तियाँ नहीं की गईं। जो नियुक्त थे, उन्हें भी हटा दिया गया।

2. अंग्रेजों की आर्थिक नीतियाँ-अंग्रेजों की आर्थिक शोषण की नीतियों ने भारतीयों में असन्तोष की भावना उत्पन्न की। भारत में निर्मित सामान को इंग्लैण्ड भेजने पर कर अत्यधिक था। इंग्लैण्ड से आने वाले सामान पर कर नाममात्र का था।

3. सामाजिक कारण-अंग्रेजों का भारतीयों के साथ व्यवहार अपमानजनक था। वे भारतीयों को घृणा की दृष्टि से देखते थे। भारतीय, रेल में प्रथम श्रेणी में यात्रा नहीं कर सकते थे। भारतीय किसी भी समारोह में अंग्रेजों के साथ भाग नहीं ले सकते थे। सामाजिक दृष्टि से अंग्रेज अपने आपको उच्च नस्ल का मानते थे।

4. धार्मिक कारण-ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों से भारतीय जनता में असन्तोष फैल गया, क्योंकि ईसाई धर्म ग्रहण करने वाले को सरकारी नौकरी में छूट के साथ अन्य सुविधाएँ भी दी जाती थीं। इससे भारतीय लोगों के मन में यह शंका हो गयी कि कहीं अंग्रेज सभी को ईसाई नहीं बना दें।

5. सैनिक कारण-अंग्रेज भारतीय सैनिकों को हेय दृष्टि से देखते थे और उन्हें अपमानजनक शब्दों से सम्बोधित करते थे। अंग्रेज भारतीय सैनिक को अधिक-से-अधिक सूबेदार के पद तक ही पदोन्नत करते थे। पदोन्नति में भेदभाव, असमान वेतन और भारतीय सैनिकों की संख्या अंग्रेजी सैनिकों की संख्या से बहुत ज्यादा होना। इन सभी कारणों ने भारतीय सैनिकों को विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया था।

6. तात्कालिक कारण-1856 ई. में भारत में ब्रिटिश सरकार ने एक नई प्रकार की एनफील्ड राइफल का प्रयोग करने की आज्ञा दी थी। इस राइफल में काम आने वाले कारतूस गाय व सूअर की चर्बी से निर्मित थे, भारतीय सैनिकों ने इन कारतूसों को प्रयोग करने से इंकार कर दिया, लेकिन अंग्रेज अधिकारियों ने इन कारतूसों का प्रयोग करने के लिए विवश किया तो कलकत्ता के निकट बैरकपुर छावनी में एक सैनिक मंगल पाण्डे ने विद्रोह कर दिया तथा अंग्रेज अधिकारी को मौत के घाट उतार दिया। 8 अप्रैल, 1857 ई. में मंगल पाण्डे को फाँसी की सजा दी गयी। इससे सैनिक भड़क गये और अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजा दिया। मेरठ से क्रांति का प्रसार दिल्ली, कानपुर, बिहार, राजस्थान, दक्षिणी भारत आदि स्थानों तक हो गया।

प्रश्न 3.
1857 ई. के संघर्ष में क्रान्तिकारियों की असफलता के कारण बताइए।
उत्तर:
1857 ई. के संघर्ष में क्रांतिकारियों की असफलता के कारण 1857 ई. के संघर्ष में क्रांतिकारियों की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

1. भारतीय रियासतों द्वारा क्रान्तिकारियों का असहयोग-भारतीय रियासतों के राजाओं ने अपने पद व राज्य को बनाये रखने के स्वार्थवश इस क्रान्ति के दमन में क्रान्तिकारियों के बजाय अंग्रेजों की मदद की। यदि भारत के सभी लोग उत्साह व हिम्मत से काम लेते, तो अंग्रेज शीघ्र ही परास्त हो जाते।

2. कुशल एवं योग्य नेतृत्व का अभाव-इस संग्राम का कोई ऐसा कुशल एवं देशव्यापी नेतृत्व नहीं था, जिसके निर्देशानुसार क्रान्तिकारी एक साथ मिलकर संघर्ष करते। बहादुरशाह जफर वृद्ध एवं दुर्बल शासक था। क्रान्तिकारियों ने बहुत आग्रह करके उसे संघर्ष का नेता बनाया था और सम्राट घोषित किया था। स्वामी विवेकानन्द ने इस संघर्ष की असफलता का कारण नेताओं के समन्वय की उदासीनता को बताया था।

3. सैनिक कमजोरियाँ-संघर्ष के समय यद्यपि भारतीय सैनिकों में राष्ट्र भक्ति एवं धार्मिक उत्साह की कमी नहीं थी, लेकिन उनमें अनुशासन, सैनिक संगठन एवं योग्य सेनापतियों की कमी थी। भारतीय सैनिक तीर कमान, तलवार व गैंडासे से लड़ रहे थे, जबकि कम्पनी की सेना के पास नवीनतम बन्दूकें और राइफलें थीं, उनके पास विनाशक समुद्री शक्ति भी थी। इसका लाभ अंग्रेजों को मिला।

4. क्रान्ति का समय से पूर्व होना-क्रान्ति के लिए 31 मई, 1857 ई. को एक साथ विभिन्न स्थानों पर संघर्ष करने की योजना बनी थी, लेकिन अति उत्साह के कारण 10 मई 1857 ई. को ही क्रान्ति की शुरुआत हो गयी। अलग-अलग समय के कारण विभिन्न स्थानों पर क्रान्ति को दबाने में अंग्रेजों को सफलता मिल गई।

5. ब्रिटिश कूटनीति और कैनिंग की भूमिका-अंग्रेजों को आभास हो गया था कि यदि इस समय कूटनीति से काम नहीं लिया और भारतीयों को संगठित होने दिया गया तो उन्हें शीघ्र ही भारत से भागना पड़ेगा। कैनिंग ने कूटनीति व उदार दृष्टिकोण अपनाते हुए देशी रियासतों, पंजाब एवं पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त व हैदराबाद से इस संकट में सहयोग प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की।

प्रश्न 4.
857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम का महत्व/परिणाम 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के महत्व/परिणाम का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत हैं

1. ईस्ट इण्डिया कम्पनी शासन की समाप्ति-1857 ई. के बाद ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से भारत की सत्ता को अपने हाथों में ले लिया। सन् 1858 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा भारत का प्रशासन ब्रिटिश सरकार को दे दिया गया।

2. देशी रियासतों के प्रति नीति में परिवर्तन-महारानी ने अपनी घोषणों में देशी राजाओं को अधिकार, सम्मान व गौरव की रक्षा का विश्वास दिलाया। दत्तक पुत्र गोद लेने की अनुमति दे दी गई।

3. सैनिक पुनर्गठन-सेना में ब्रिटिश सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई और तोपखाना भारतीयों से ले लिया गया।

4. अंग्रेजों द्वारा फूट डालो एवं राज करो’ की नीति का अनुसरण करना-हिन्दू-मुस्लिम एकता से अंग्रेज सरकार घबरा गयी और उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य को जन्म दिया।

5. भारतीयों की प्रशासन में आंशिक भागीदारी-1861 ई. के परिषद् अधिनियम के द्वारा तीन भारतीयों को विधायी । परिषद् का सदस्य बनाया गया यद्यपि वे नाममात्र के ही थे।

6. राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रोत्साहन-1857 ई. की क्रान्ति अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने का सामूहिक प्रयास था। इससे भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को गति मिली।

7. आर्थिक शोषण की नीति आरम्भ-1857 ई. की क्रान्ति के बाद अंग्रेजों ने विस्तारवादी नीति का त्याग कर दिया। अब उनका ध्यान भारत के धन की ओर अधिक गया। क्रान्ति के दमन पर होने वाले व्यय का वित्तीय भार भारतीयों पर डाल दिया गया। भारत में दिए गए सार्वजनिक ऋण का ब्याज प्रभार एवं अन्य विभिन्न प्रकारों से अर्जित पूँजी लाभ के रूप में भारत से निष्कासित होकर इंग्लैण्ड जाने लगी।

प्रश्न 5.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम का राजस्थान में प्रसार विषय पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
सन् 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम (क्रांति) का तात्कालिक कारण चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करना था। इस घटना ने राजस्थान के सैनिकों को भी हिलाकर रख दिया और भारत के साथ-साथ राजस्थान में भी इस क्रान्ति को गति मिल गई। इस क्रान्ति में राजस्थान राज्य के जिन स्थानों पर क्रान्ति हुई, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि 1857 ई. की क्रान्ति में राजस्थान की भूमिका महत्वपूर्ण थी। राजस्थान के विभिन्न स्थानों पर हुई क्रान्ति को हम निम्नलिखित तरह से समझ सकते हैं

1. नसीराबाद में क्रान्ति-राजस्थान में क्रान्ति की शुरुआत नसीराबाद से हुई। वहाँ के सैनिक अंग्रेजों से बहुत नाराज थे। कुछ फकीरों ने छावनी में जाकर यह सन्देश प्रसारित किया कि सैनिकों को चर्बी वाले कारतूस दिये जाते हैं। अत: 28 मई, 1857 ई. को दिन के 3 बजे, 15र्वी नेटिव इन्फैन्ट्री के सैनिकों ने तोपखाने के सैनिकों को अपनी तरफ मिलाकर तोपों पर कब्जा कर लिया। 30वीं नेटिव इन्फैन्ट्री भी उनके साथ मिल गई। क्रान्तिकारी सैनिकों ने छावनी को लूट लिया और दिल्ली की ओर रवाना हुए।

2. नीमच में क्रान्ति-2 जून, 1857 ई. को नीमच के सभी सैनिकों को नसीराबाद की क्रान्ति की खबर मिल गई, अतः 3 जून, 1857 ई. की रात के 11 बजे नीमच के सैनिकों ने क्रान्ति का झण्डा गाड़ दिया। क्रान्तिकारियों ने छावनी को घेरकर उसमें आग लगा दी। छावनी के अंग्रेज अधिकारी घबराकर मेवाड़ की तरफ भागे। जनता क्रान्तिकारियों से मिल गई। बाद में सैनिकों ने दिल्ली के क्रान्तिकारियों से मिलकर ब्रिटिश सेना पर भीषण प्रहार किया।

3. आऊवा की क्रान्ति-आऊवा के ठाकुर खुशाल सिंह ने क्रान्तिकारियों को सहयोग दिया। जोधपुर और बीकानेर में जनता अंग्रेजों के इतनी अधिक विरुद्ध थी कि अनेक लुटेरे भी उनसे घृणा करते थे और क्रान्तिकारियों का साथ देने के लिए आ गये थे। जोधपुर के सैनिकों ने शहर में घूम-घूमकर अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए जनता को उत्साहित किया। आऊवा का विद्रोह ब्रिटिश विरोधी भावना के कारण था।

4. कोटा में क्रान्ति-कोटा की जनता में अंग्रेजों के विरुद्ध तीव्र आक्रोश था। 15 अक्टूबर, 1857 ई. को कोटा महाराव की दो सैनिक टुकड़ियों ने विद्रोह कर दिया। क्रान्तिकारियों ने डॉ. सैडलर काटम और सेवील को मार दिया। मेजर बर्टन का वध कर दिया। क्रांतिकारियों द्वारा उसके सिर को शहर में घुमाने के बाद तोप से उड़ा दिया गया। उसके दो पुत्रों को भी जनता ने मौत के घाट उतार दिया।

क्रान्तिकारियों ने कोटा महाराव को नजरबन्द करके उससे मेजर बर्टन की हत्या करने के कागज पर हस्ताक्षर करा लिए। सम्पूर्ण शहर पर क्रान्तिकारियों का अधिकार हो गया। इसके अतिरिक्त मेवाड़, जयपुर, अलवर, भरतपुर तथा धौलपुर राज्यों की जनता और सैनिकों ने भी इस क्रान्ति में भाग लिया, परन्तु कई रियासतों के शासकों ने अंग्रेजों को सहयोग देकर इस क्रान्ति को असफल बना दिया।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से किस वर्ष तक कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी रहा ?
(अ) 1910 ई.
(ब) 1911 ई.
(स) 1912 ई.
(द) 1920 ई.
उत्तर:
(ब) 1911 ई.

प्रश्न 2.
आनंद मठ’ उपन्यास के लेखक हैं
(अ) बंकिम चन्द्र चटर्जी
(ब) राजा राममोहन राय
(स) रविन्द्र नाथ टैगोर
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) बंकिम चन्द्र चटर्जी

प्रश्न 3.
निम्न में से किस वर्ष से समाचार-पत्र इंडिया गजट का प्रकाशन आरम्भ हुआ ?
(अ) 1780 ई.
(ब) 1774 ई.
(स) 1826 ई.
(द) 1800 ई.
उत्तर:
(ब) 1774 ई.

प्रश्न 4.
निम्न में से किस विद्वान ने 1893 ई. में शिकागो के धर्म सम्मेलन में वेदांत का उपदेश दिया था ?
(अ) स्वामी दयानंद सरस्वती
(ब) स्वामी विवेकानंद
(स) रामकृष्ण परमहंस
(द) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
उत्तर:
(ब) स्वामी विवेकानंद

प्रश्न 5.
निम्न में से किस स्वतंत्रता सेनानी ने 1857 की घटना को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा ? ।
(अ) राजा राममोहन राय
(ब) बाल गंगाधर तिलक
(स) सुभाषचन्द्र बोस
(द) वीर सावरकर
उत्तर:
द) वीर सावरकर

प्रश्न 6.
निम्न में से किस क्रांतिकारी के राजस्थान आगमन से यहाँ के क्रांतिकारियों में नया जोश आ गया ?
(अ) राजा राममोहन राय
(ब) सुभाषचन्द्र बोस
(स) तात्या टोपे
(द) रानी लक्ष्मीबाई
उत्तर:
(स) तात्या टोपे

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में राष्ट्रीय पुनर्जागरण के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  • (ब्रिटिश शासन का प्रभाव
  • भारतीय साहित्यकारों का योगदान।

प्रश्न 2.
कौन-सा गीत भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन| कारियों की प्रेरणा का मुख्य स्रोत था?
उत्तर:
वन्दे मातरम्

प्रश्न 3.
राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित समाचारपत्रों का नाम लिखिए।
उत्तर:

  • संवाद कौमुदी
  • मिरातुल

प्रश्न 4.
हिंदी भाषा का प्रथम समाचार-पत्र कौन-सा था?
उत्तर:
उदन्त मार्तण्ड।

प्रश्न 5.
बाल गंगाधर तिलक द्वारा प्रकाशित समाचार-पत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • केसरी (मराठी भाषा)
  • मराठी (अंग्रेजी भाषा)

प्रश्न 6.
आधुनिक भारत का निर्माता किसे कहा जाता है?
उत्तर:
राजा राममोहन राय को

प्रश्न 7.
भारत के किन्हीं दो क्रान्तिकारियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • भगत सिंह,
  • सुभाषचन्द्र बोस

प्रश्न 8.
अंग्रेजों को प्रथम बार भारतीयों के संगठित विरोध का सामना कब करना पड़ा?
उत्तर:
1857 ई. की क्रांति में

प्रश्न 9.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • धार्मिक कारण
  • सैनिक कारण

प्रश्न 10.
1857 ई. के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर:
मंगल पाण्डे की चर्बी युक्त कारतूसों का प्रयोग करने से मना करना।

प्रश्न 11.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम का सूत्रपात कब व कहाँ हुआ?
उत्तर:
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम का सूत्रपात मंगल पाण्डे के नेतृत्व में 29 मार्च, 1857 ई. को बैरकपुर छावनी में हुआ।

प्रश्न 12.
1857 ई. की क्रांति के प्रमुख सेनानी कौन थे?
उत्तर:
मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर, नाना साहब, तांत्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल व कुँअर सिंह आदि।

प्रश्न 13.
भारत में अंग्रेजी भाषा की शिक्षा शुरू करने का श्रेय किसे प्राप्त है?
उत्तर:
लॉर्ड मैकाले को

प्रश्न 14.
राजस्थान में 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के किन्हीं दो केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • नसीराबाद
  • नीमच

प्रश्न 15.
सर्वप्रथम राजस्थान के किस जिले में तात्या टोपे ने प्रवेश किया था?
उत्तर:
झालावाड़ जिले में

प्रश्न 16.
राजस्थान में तात्या टोपे को किसने सहयोग प्रदान किया?
उत्तर:
सलूम्बर के रावत केसरी सिंह एवं कोठारिया के सामंत जोधसिंह ने।

प्रश्न 17.
तात्या टोपे को किस शासक ने अंग्रेजों के हाथों पकड़वाया था?
उत्तर:
नरवर के शासक मानसिंह ने

प्रश्न 18.
तात्या टोपे को कब फाँसी दे दी गयी?
उत्तर:
7 अप्रैल, 1859 ई. को

प्रश्न 19.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • क्रांति की शुरुआत निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार न होना।
  • क्रांतिकारियों के पास सैनिक शक्ति व संसाधनों का सीमित होना।

प्रश्न 20.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् अंग्रेजों ने कौन-सी नीति अपनाई?
उत्तर:
फूट डालो और राज करो की नीति।

प्रश्न 21.
दक्षिण भारत में 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम को गति देने वाले नायक का नाम लिखिए।
उत्तर:
रंगाजी बापू गुप्ते

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रशासनिक एवं राजनैतिक असंतोष किस प्रकार 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख कारण बना ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए लॉर्ड वैलेजली ने देशी रियासतों-झाँसी, नारपुर, सतारा, अवध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। इससे सैनिकों में असन्तोष फैल गया। कई जर्मीदारों की भूमि छीन ली गयी, जिससे वे भी असंतुष्ट हो गये। मुगल सम्राट बहादुर शाही जफर के प्रति अंग्रेजों के अपमानजनक व्यवहार के कारण भारतीय मुसलमान भी नाराज थे।

अंग्रेजों ने सार्वजनिक सेवाओं में धर्म, जाति, वंश व रंग के आधार पर नियुक्तियाँ उच्च सेवाओं में भारतीयों को नियुक्तियाँ नहीं दी गई। जो नियुक्त थे उन्हें भी हटा दिया गया। अंग्रेजों की न्याय व्यवस्था से भी भारतीय असन्तुष्ट थे क्योंकि न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार एवं लूट-खसोट व्याप्त थी।

प्रश्न 2.
अंग्रेजों की आर्थिक नीतियाँ किस प्रकार 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम का एक कारण बनीं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेजों की आर्थिक शोषण की नीतियों ने भारतीयों में असन्तोष की भावना उत्पन्न की। किसानों का खूब शोषण हो रहा था। भू-राजस्व अधिक था और वसूली के समय किसानों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं। अकाल के समय भी किसानों की सहायता नहीं की गई। भारत के बने सामान को इंग्लैण्ड भेजने पर कर अत्यधिक था।

इंग्लैण्ड से आने वाले सामान पर कर नाममात्र का था। इस नीति से भारत का वस्त्र उद्योग व हस्तकला उद्योग चौपट हो गया। कारीगर बेरोजगार हो गए। ईस्ट इंडिया कम्पनी के समय भारत को धन इंग्लैण्ड पहुँच गया। इससे अंग्रेज अमीर तथा भारतीय निर्धन हो गए। इस प्रकार की विनाशकारी, औपनिवेशिक नीतियों के कारण भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति भारी असंतोष था।

प्रश्न 3.
1857 ई. की क्रांति के तात्कालिक कारण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूसों का विरोध क्यों किया?
उत्तर:
असंतोष के वातावरण में भारतीय सैनिकों को पुरानी राइफलों के स्थान पर नई एनफील्ड राइफल दी गयी। इस राइफल के कारतूस के ऊपरी भाग को मुँह से काटना पड़ता था। जनवरी 1857 ई. में यह बात फैल गई कि कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी लगी हुई है। जाँच में यह बात सत्य पाई गयी। इस घटना से सम्पूर्ण समाज में अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोश फैल गया।

यह कार्य धर्म विरोधी व धर्म भ्रष्ट करने वाला था। लोग क्रांति के लिए उतावले हो गए। 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर की छावनी में मंगल पाण्डे ने चर्बी वाले कारतूस मुँह से काटने से मना कर दिया तथा उसने अंग्रेज अधिकारी की हत्या भी कर दी। मंगल पाण्डे को 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गई। इससे सैनिक भड़क गए तथा अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजा दिया। मेरठ से क्रांति का प्रसार दिल्ली, कानपुर, बिहार, राजस्थान व दक्षिण भारत आदि स्थानों तक हो गया।

प्रश्न 4.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के दो कारण निम्नलिखित हैं

1. कुशल एवं योग्य नेतृत्व का अभाव-स्वतंत्रता संग्राम का कोई ऐसा कुशल एवं देशव्यापी नेतृत्व नहीं था, जिसके निर्देशानुसार क्रांतिकारी एक साथ मिलकर संघर्ष कर सकें। तात्या टोपे, लक्ष्मीबाई, कुँअर सिंह, नाना साहब आदि अपने उद्देश्यों में तो दृढ़ थे, लेकिन आपसी समन्वय नहीं था।

2. क्रांति का समय से पूर्व आरम्भ होना-क्रांति के लिए 31 मई, 1857 को एक साथ संघर्ष करने की योजना बनी थी, लेकिन अति उत्साह के कारण 10 मई, 1857 को ही क्रांति की शुरुआत हो गयी। अलग-अलग स्थानों पर क्रांति को दबाने में अंग्रेजों को सफलता मिल गई।

प्रश्न 5.
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के दो मुख्य परिणाम बताइए।
उत्तर:
1857 ई. का स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास की युगान्तरकारी घटना थी। इसके दो मुख्य परिणाम निम्नलिखित हैं

1. कम्पनी के शासन का अंत-भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन का अंत 1857 ई. की क्रांति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिणाम था। 1858 ई. के भारत सरकार अधिनियम द्वारा भारतीय प्रशासन ब्रिटिश सम्राट को सौंप दिया गया। इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप भारत में सुधार एवं परिवर्तन का कार्य प्रारम्भ हुआ।

2. सेना के पुनर्गठन पर बल-1857 ई.के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को सैनिकों ने ही सबक सिखाया था। 1861 ई. में पील कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार सेना में अब ब्रिटिश सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई तथा तोपखाना भारतीय में सैनिकों से ले लिया गया।

प्रश्न 6.
तात्या टोपे के बारे में आप क्या जानते हैं? बताइए।
अथवा
तात्या टोपे पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में तांत्या टोपे का महत्वपूर्ण योगदान है। इनका जन्म 1819 ई. में हुआ था। ये नाना साहब के निकट सहयोगी थे। 1857 में इन्होंने कानपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। कानपुर पर अंग्रेजों का अधिकार हो जाने के पश्चात् ये कालपी आ गये और रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर संघर्ष किया। इन्होंने ग्वालियर पर अपना अधिकार कर लिया तथा वहाँ की सेना भी इनके साथ मिल गयी।

तात्या टोपे ने राजस्थान के झालावाड़ में प्रवेश किया और झालावाड़ पर अधिकार कर लिया। राजस्थान में इनके आगमन से क्रांतिकारियों में नया जोश उत्पन्न हो गया। अंत में नरवर के शासक मानसिंह ने तात्या टोपे को अंग्रेजों के हाथों पकड़वा दिया। 1859 ई. को अंग्रेजों ने तात्या टोपे को फाँसी दे दी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद क्या है? भारत में राष्ट्रवाद के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद

राष्ट्र या देश से आशय ऐसे जनसमूह से है, जो एक ही धरती पर पैदा हुआ अर्थात् जिसका एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र है। जो एक ही प्रकार की भाषा या भाषाएँ बोलता है और जिसकी समान ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है तथा जो इसे कायम रखना चाहता है।

अर्नेस्ट रेनन के अनुसार, “राष्ट्र के अन्तर्गत एक ही भाषा बोलने वाले या एक ही जाति समूह के लोग नहीं आते वरन् राष्ट्र उस समूह को कहते हैं, जिसके लोगों ने अतीत में बड़े-बड़े काम मिलकर किए हैं और जिन्हें वे भविष्य में आगे बढ़ाना चाहते हैं।”

राष्ट्रवाद-राष्ट्र के सदस्यों में पाई जाने वाली राष्ट्र भक्ति, आत्मीयता, देश प्रेम एवं देश के प्रति त्याग व समर्पण का भाव ही राष्ट्रवाद कहलाता है। यह वह भावना है जिससे प्रेरित होकर लोग एक पृथक और स्वतंत्र राजनीतिक इकाई के रूप में संगठित होते हैं और उसका उत्कर्ष करने के लिए प्रयत्नशील होते हैं।

भारत में राष्ट्रवाद का उद्भव एवं विकास

भारत में राष्ट्रवाद की धारणा अति प्राचीन है। वैदिक साहित्य में हमें राष्ट्रवाद की स्पष्ट जानकारी मिलती है। यजुर्वेद एवं अथर्ववेद में राष्ट्र की स्पष्ट व्याख्या की गई है तथा राष्ट्र के प्रति नागरिकों के क्या कर्त्तव्य होने चाहिए, उसे भी यजुर्वेद में स्पष्ट रूप से बताया गया है। भारतीयों में अपने देश के प्रति सम्मान व भक्ति की भावना प्राचीनकाल से ही थी। यह हमारी राष्ट्रीयता का प्रतीक है। भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा का भी विशेष महत्व है।

प्राचीनकाल में वृहत्तर भारत का उल्लेख मिलता है, जिसके अन्तर्गत भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद सम्पूर्ण मध्य एशिया में विस्तारित था। उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान भारत में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध राष्ट्रीय चेतना की भावना विकसित हुई, जिसकी परिणति भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के रूप में हुई। राष्ट्रवाद जनता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ की भावना उत्पन्न करता है। इसी राष्ट्रवाद की भावना के बल पर भारतीयों ने अंग्रेजों को देश छोड़कर जाने को मजबूर कर दिया।

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