RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 8 भारत में राजनीतिक विकास

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 9
Subject Social Science
Chapter Chapter 8
Chapter Name भारत में राजनीतिक विकास
Number of Questions Solved 45
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 8 भारत में राजनीतिक विकास

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
(अ) मनु
(ब) शुक्र
(स) कौटिल्य
(द) बृहस्पति
उत्तर:
(स) कौटिल्य

प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के समय भारत में कुल कितनी रियासतें थीं ?
(अ) 562
(ब) 300
(स) 365
(द) 430
उत्तर:
(अ) 562

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता के समय राजस्थान में कुल कितनी रियासतें थीं ?
(अ) 29
(ब) 19
(स) 11
(द) 15.
उत्तर:
(ब) 19

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका किसकी. रही ?
(अ) पण्डित जवाहरलाल नेहरू
(ब) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(स) डॉ. अम्बेडकर
(द) सरदार पटेल
उत्तर:
(द) सरदार पटेल

प्रश्न 5.
गोवा का भारत में विलय किस वर्ष हुआ ?
(अ) 1955
(ब) 1960
(स) 1961
(द) 1965.
उत्तर:
(स) 1961

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुस्मृति के लेखक कौन थे।
उत्तर:
मनुस्मृति के लेखक मनु थे।

प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के समय कश्मीर के राजा कौन थे?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय कश्मीर के राजा हरीसिंह थे।

प्रश्न 3.
हैदराबाद का भारत में विलय कब हुआ ?
उत्तर:
17 सितम्बर 1948 को।

प्रश्न 4.
राज्य पुनर्गठन आयोग के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तर:
जस्टिस फजल अली।

प्रश्न 5.
भाषायी आधार पर पहला राज्य कौन-सा बना था ?
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश।

प्रश्न 6.
पाण्डिचेरी पर किसका आधिपत्य था ?
उत्तर:
पाण्डिचेरी पर फ्रांस का आधिपत्य था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जूनागढ़ रियासत के भारत में विलय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जूनागढ़ भारतीय भू-भाग से घिरी सौराष्ट्र की एक छोटी-सी रियासत थी। इसका विलय 15 अगस्त, 1947 तक भारत में नहीं हुआ था। इसके नवाब मोहब्बत खान ने अपनी रियासत की पाकिस्तान में विलय करने की घोषणा की। पाकिस्तान ने 13 सितम्बर, 1947 को जूनागढ़ का पाकिस्तान में विलय स्वीकार कर लिया। यहाँ की हिन्दू बहुसंख्यक जनसंख्या भारत में विलय के लिए संघर्ष कर रही थी। नवाब की घोषणा से जन-आन्दोलन ने उग्ररूप धारण कर लिया तब नवाब जान-बचाकर पाकिस्तान भाग गया। विभिन्न घटनाक्रमों के बीच फरवरी 1948 ई. में भारत सरकार ने जूनागढ़ में जनमत संग्रह कराया जो व्यापक रूप से भारतीय पक्ष में गया। अन्ततोगत्वा जूनागढ़ रियासत भारतीय संघ का अभिन्न अंग बन गयी।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय एकीकरण में सरदार पटेल के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सन् 1946 में भारत में अन्तरिम सरकार का गठन हुआ। देशी राज्य विभाग का मुखिया सरदार वल्लभ भाई पटेल को बनाया गया। सरदार पटेल ने भारतीय सीमाओं पर स्थित देशी रियासतों से 15 अगस्त, 1947 से पूर्व भारत में मिल जाने की अपील की। उस समय रियासतों की भारतीय संघ में विलय प्रक्रिया तेज हुई जब गृहमंत्री के रूप में पटेल ने रियासतों और उनके अधीन जनता की सुख-समृद्धि का आश्वासन दिया।

सरदार पटेल के प्रयासों और प्रजामण्डलों के दबाव से 15 अगस्त, 1947 तक जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोड़ सभी रियासतों ने विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करने की सहमति दे दी। कश्मीर पर पाक कबाइलियों के आक्रमण के बाद भारतीय सेना ने इन कबाइलियों को कश्मीर से खदेड़ा तब कश्मीर का विलय भी भारत में हो गया। शक्ति प्रयोग व जनसहयोग के द्वारा शेष बची हैदराबाद और जूनागढ़ रियासतें भी भारतीय संघ में मिला दी गईं। इससे स्पष्ट होता है कि सरदार पटेल की दृढ़तापूर्वक कार्यवाही से देशी रियासतों का भारत में विलय हुआ। इसीलिए उन्हें ‘लौह पुरुष’ की संज्ञा प्रदान की गयी।

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता उपरान्त गठित भारत के पाँच राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
स्वतंत्रता उपरान्त गठित भारत के पाँच राज्य निम्नलिखित हैं

  1. आन्ध्र प्रदेश – अक्टूबर 1953 में आन्ध्र प्रदेश की स्थापना हुई। यह भाषा के आधार पर गठित होने वाला भारत का प्रथम राज्य बना।
  2. महाराष्ट्र – बम्बई राज्य को विभाजित कर 1960 ई. में महाराष्ट्र का गठन किया गया।
  3. गुजरात – 1960 ई. में बम्बई राज्य को विभाजित कर गुजरात राज्य का गठन किया गया।
  4. नागालैंड – 1963 ई. में नागाओं के लिए नागालैंड राज्य का गठन किया गया।
  5. हरियाणा – 1966 ई. में पंजाब राज्य का पुनर्गठन कर हरियाणा राज्य का गठन किया गया।

प्रश्न 4.
राज्य पुनर्गठन आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता के पश्चात देश के कई भागों में नए राज्य निर्माण की माँग ने जोर पकड़ लिया था। अतः भारत सरकार ने 1953 ई. में न्यायाधीश फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। जिसका सदस्य के. एम. पण्णिकर एवं एच. एन. कुंजरू को बनाया गया। सन् 1955 में इस आयोग ने देश के विभिन्न भागों में राज्यों की माँगों का अध्ययन करने के पश्चात अपनी रिपोर्ट सौंपी। 1956 ई. में देश की संसद ने राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर देश में चौदह राज्य, छः केन्द्र शासित प्रदेशों की व्यवस्था की।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राजस्थान के एकीकरण के विभिन्न चरणों को वर्णन कीजिए। उत्तर- राजस्थान के एकीकरण के विभिन्न चरण राजस्थान के एकीकरण एवं इसके वर्तमान स्वरूप में आने का कार्य लगभग 8 वर्ष 7 माह में निम्नलिखित 7 चरणों में पूर्ण हुआ।

1. मत्स्य संघ – राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासत तथा नीमराणा ठिकाने को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण किया गया। 18 मार्च, 1948 को इस संघ का उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री | एन. वी. गाडगिल ने किया। धौलपुर के शासक उदयभान सिंह को राजप्रमुख तथा अलवर के शोभाराम को इसका प्रधानमंत्री बनाया गया। अलवर को राजधानी बनाया गया।

2. पूर्वी राजस्थान – राजस्थान निर्माण के दूसरे चरण में 9 रियासतों यथा—बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, कोटा, बूंदी, झालावाड़, किशनगढ़, शाहपुरा और टोंक को मिलाकर पूर्वी राजस्थान का गठन किया गया, जिसका उद्घाटन 25 मार्च, 1948 को एन. वी. गाडगिल ने किया। कोटा के शासक भीमसिंह को राजप्रमुख व गोकुल लाल असावा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। कोटा को राजधानी बनाया गया।

3. संयुक्त राजस्थान – मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह, पूर्वी राजस्थान के गठन से पूर्व ही विलय के लिए तैयार थे। 11 अप्रैल 1948 को मेवाड़ ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। पूर्वी राजस्थान में मेवाड़ को मिलाकर संयुक्त राजस्थान का गठन हुआ, जिसका उद्घाटन 18 अप्रैल, 1948 को पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने किया। मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह को राजप्रमुख एवं माणिक्य लाल वर्मा को प्रधानमंत्री बनाया गया। उदयपुर को इसकी राजधानी बनाया गया।

4. वृहत राजस्थान – राजस्थान एकीकरण के चौथे चरण में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर व जैसलमेर जैसी बड़ी और महत्वपूर्ण रियासतों का विलय कर वृहत राजस्थान का निर्माण हुआ। 30 मार्च, 1949 को सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसका उद्घाटन किया। मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह को महाराजप्रमुख, जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह को राजप्रमुख तथा हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया। जयपुर को राजधानी घोषित किया गया। यह एकीकरण का सबसे महत्वपूर्ण चरण था। इसी कारण 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

5. संयुक्त वृहत राजस्थान – भारत सरकार ने शंकरराव देव समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए मत्स्य संघ को 15 मई, 1949 को वृहत राजस्थान में मिलाकर संयुक्त वृहत राजस्थान का गठन किया। वहाँ के प्रधानमंत्री शोभाराम को हीरालाल शास्त्री मंत्रिमण्डल में सम्मिलित कर लिया गया।

6. राजस्थान संघ – राजस्थान एकीकरण के शेष चरण में संयुक्त वृहत राजस्थान में सिरोही का विलय किया गया। 26 जनवरी, 1950 को सिरोही की दो तहसीलें-आबू व देलवाड़ा को बम्बई राज्य में और शेष सिरोही को राजस्थान में मिलाया गया। सिरोही की जनता दोनों तहसीलों का भी राजस्थान में विलय चाहती थी। अतः इस प्रकरण को राज्य पुनर्गठन आयोग को सौंप दिया गया।

7. वर्तमान राजस्थान का निर्माण – राजस्थान के एकीकरण के शेष चरण में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सिरोही की आबू व देलवाड़ा तहसीलें, मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की मानपुरा तहसील का सुनेल टप्पा व ब्रिटिशकाल में केन्द्र शासित प्रदेश रहे अजमेर मेरवाड़ा क्षेत्र 1 नवम्बर, 1956 को राजस्थान में मिला दिया गया तथा राज्य के झालावाड़ जिले को सिरोंज क्षेत्र मध्य प्रदेश में मिला दिया गया। इस प्रकार 7 विभिन्न चरणों से गुजरते हुए राजस्थान निर्माण की प्रक्रिया 1 नवम्बर, 1956 को पूर्ण हुई और राजस्थान का वर्तमान स्वरूप अस्तित्व में आया।

प्रश्न 2.
ऑपरेशन पोलो’ का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऑपरेशन पोलो
हैदराबाद रियासत को भारत में सम्मिलित करने के लिए भारतीय सेना ने 13 सितम्बर, 1948 ई. को हैदराबाद में प्रवेश किया। भारतीय सेना द्वारा की गयी इस कार्यवाही को ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम दिया गया। हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर रियासत के पश्चात् दूसरी सबसे बड़ी रियासत थी जो 15 अगस्त, 1947 तक भारत में सम्मिलित नहीं हुई थी। दक्कन के पठार में स्थित यह रियासत चारों ओर से भारतीय भू-भाग से घिरी हुई थी। देश की स्वतंत्रता के समय यहाँ का शासक निजाम मीर उस्मान अली था।

हैदराबाद की 85 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या हिन्दू थी लेकिन यहाँ की सेना, पुलिस एवं प्रशासन में मुसलमानों की अधिकता थी। हैदराबाद का निजाम एक स्वतंत्र राष्ट्र का स्वप्न देख रहा था। पाकिस्तान से भी उसकी गुप्त वार्ताएँ चल रही थीं। हैदराबाद का निजाम कुटिल चाल चलता रहा। पाकिस्तान से हथियार सँगाकर उसने मनमानी करना प्रारम्भ कर दिया। इसी बीच हैदराबाद में ‘रजाकार’ नामक एक उग्रवादी मुस्लिम साम्प्रदायिक संगठन भी तैयार हुआ जिसने बड़े स्तर पर हिन्दुओं पर अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया।

रजाकारों ने हैदराबाद के विलय के प्रश्न को हिन्दू-मुस्लिम समस्या के रूप में परिवर्तित कर दिया। इस समस्या से निपटने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू से हैदराबाद पर आक्रमण करने की अनुमति माँगी। अनुमति मिलने पर 13 सितम्बर, 1948 को भारतीय सेना ने हैदराबाद पर तीनों ओर से हमला कर दिया। निजाम मीर उस्मान अली के सैनिक एक-दिन में ही मोर्चा छोड़कर भागने लगे तथा रजाकारों ने भी चार दिन में ही आत्मसमर्पण कर दिया। 17 सितम्बर, 1948 को निजाम मीर उस्मान अली ने हैदराबाद रियासत के भारत में विलय को स्वीकार कर विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। इस प्रकार सरदार वल्लभ भाई पटेल की दृढ़ता व दूरदर्शिता के फलस्वरूप हैदराबाद रियासत का भारत में एकीकरण सम्भव हो सका।

प्रश्न 3.
जम्मू – कश्मीर के भारत विलय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जम्मू कश्मीर का भारत में विलय

जम्मू कश्मीर भारत की सबसे महत्वपूर्ण रियासत थी। यह न केवल क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी रियासत थी बल्कि इसकी भौगोलिक स्थिति भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी। इस रियासत की सीमाएँ। अफगानिस्तान, चीन व तिब्बत से मिलती थीं। इस रियासत पर 1925 ई. से महाराजा हरीसिंह का शासन था। 3 जून, 1947 ई. की माउण्टबेटन घोषणा के अनुसार सभी छोटी-बड़ी 562 रियासतों को 15 अगस्त, 1947 के बाद स्वाधीन हो जाना था।उन्हें इस बात का अधिकार था कि वे अपनी स्वेच्छा से भारत में सम्मिलित हो अथवा पाकिस्तान में सम्मिलित हो या स्वतंत्र रहें।

उक्त घोषणा के बावजूद 15 अगस्त 1947 तक महाराजा हरीसिंह अपनी रियासत के बारे में कोई फैसला नहीं सके। महाराजा की चुप्पी को देखकर पाकिस्तानी कबाइली एकाएक कश्मीर में घुस गए। पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को अंग्रेजों का समर्थन प्राप्त था। जब आक्रमणकारी श्रीनगर पहुँच गये तो महारांजा हरीसिंह ने भारत-विलय की घोषणा कर दी। 26 अक्टूबर, 1947 को विलय-पत्र पर महाराजा हरीसिंह के हस्ताक्षर करने के बाद भारत की सेना ने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को रोका तथा उन्हें खदेड़ दिया। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हुआ।

1950 ई. में भारत के संविधान की प्रथम अनुसूची में भाग ‘ख’ राज्य में जम्मू-कश्मीर सम्मिलित कर लिया गया। सन् 1951 में जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा के चुनाव हुए तत्पश्चात् 6 फरवरी, 1954 को जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत में विलय की पुष्टि की। 1948 में भारत ने लार्ड माउण्टबेटन के अनुग्रह पर संयुक्त राष्ट्र संघ में अपील की। संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से दोनों सेनाओं ने युद्ध विराम कर दिया। अभी भी एक तिहाई कश्मीर की भूमि पर पाकिस्तान का कब्जा है, जिसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहा जाता है।

प्रश्न 4.
गोवा का भारत में विलय किन स्थितियों में हुआ, समझाइए। अथवा ऑपरेशन विजय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गोवा का भारत में विलय गोवा पर पुर्तगाल का आधिपत्य था। पुर्तगाल की सरकार गोवा को अपनी प्रतिष्ठा का प्रतीक मानती थी तथा उस पर अपना कब्ज़ा बनाए रखना चाहती थी। गोवा के अतिरिक्त दमन, दीव, दादरा एवं नगर हवेली पर भी पुर्तगाली नियंत्रण था। भारतीय जनता गोवा पर पुर्तगाली आधिपत्य को भारत की मान-मर्यादा पर आघात मानती थी। भारत सरकार ने पुर्तगालियों से गोवा को कूटनीतिक प्रयासों से मुक्त कराने के भरसक प्रयत्न किये, लेकिन सभी प्रयास असफल रहे।

यद्यपि विलय हेतु जनान्दोलन होते रहे। 18 जून, 1954 को सत्याग्रह का आयोजन किया गया, इसमें गिरफ्तारियाँ दी गईं तथा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया। आन्दोलन को कुचलने के लिए पुर्तगाली शासन ने दमनात्मक कार्यवाही की। गोवा पीपुल्स पार्टी तथा स्वतंत्र गोवा’ के आन्दोलनकारी स्वयंसेवकों ने 22 जुलाई, 1954 को दादरा व नगर हवेली पर आधिपत्य कर लिया। 15 अगस्त, 1955 ई. को हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने गोवा, दमन और दीव में प्रवेश किया, जिसमें 200 प्रदर्शनकारी मारे गये। इस घटना से भारतीय सरकार नाराज हुई और भारतीय प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू ने पुर्तगाली शासन की इस दमनात्मक कार्यवाही की कटु शब्दों में निन्दा की।

नवम्बर, 1961 ई. में पुर्तगालियों ने एस. एम. साबरमती नामक भारतीय जहाज के नाविक पर हमला कर उसे घायल कर दिया तथा अंधादेव में एक मछुआरे की हत्या कर दी। इन घटनाओं के कारण भारत सरकार ने गोवा, दमन व दीव को पुर्तगाली अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए जनरल जे. एन. चौधरी के नेतृत्व में 17 व 18 दिसम्बर, 1961 की मध्य रात्रि से ऑपरेशन विजय का प्रारम्भ किया। 19 दिसम्बर, 1961 को अपराह्न 2 बजकर 25 मिनट पर भारतीय फौजों के समक्ष पुर्तगाली गवर्नर ने बिना शर्त समर्पण कर दिया। ऑपरेशन विजय अभियान पूर्ण हुआ और भारतीय फौजों ने गोवा, दमन और दीव में राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया। इस प्रकार 1961 ई. के अन्त में गोवा का भारत में विलय हुआ।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
शुक्र नीति सार पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
(अ) मनु
(ब) कौटिल्य
(स) शुक्र
(द) वृहस्पति
उत्तर:
(स) शुक्र

प्रश्न 2.
निम्न में से किस वर्ष जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा के चुनाव हुए ?
(अ) 1947 ई.
(ब) 1948 ई.
(स) 1951 ई.
(द) 1956 ई.
उत्तर:
(स) 1951 ई.

प्रश्न 3.
सरदार पटेल का यह कथन किस रियासत से सम्बन्धित था“यदि अपने पेट का यह फोड़ा निकालकर हम फेंक नहीं देंगे तो स्वयं अपनी कब्र खोदने का काम करेंगे
(अ) हैदराबाद
(ब) जम्मू-कश्मीर
(स) जूनागढ़
(द) राजपूताना।
उत्तर:
(अ) हैदराबाद

प्रश्न 4.
पाण्डिचेरी का भारत में विलय किस वर्ष हुआ
(अ) सन 1947
(ब) सन 1954
(स) सन् 1961
(द) सन् 1975.
उत्तर:
(ब) सन 1954

प्रश्न 5.
राजस्थान का एकीकरण कितने चरणों में पूर्ण हुआ ?
(अ) 15
(ब) 8
(स) 10
(द) 7
उत्तर:
(द) 7

प्रश्न 6.
मत्स्य संघ की राजधानी थी
(अ) अलवर
(ब) भरतपुर
(स) जयपुर
(द) उदयपुर।
उत्तर:
(अ) अलवर

प्रश्न 7.
राजस्थान के प्रथम राज्यपाल थे
(अ) वसंत राव पाटिल
(ब) धनिक लाल मंडल
(स) बलिराम भगत
(द) गुरुमुख निहाल सिंह।
उत्तर:
(द) गुरुमुख निहाल सिंह।

प्रश्न 8.
सन् 2014 में भारत को 29वाँ नवगठित राज्य है
(अ) आन्ध्र प्रदेश
(ब) दिल्ली
(स) केरल
(द) तेलंगाना।
उत्तर:
(द) तेलंगाना।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता के समय किन रियासतों का भारत में विलय नहीं हुआ था ?
उत्तर:

  1. कश्मीर
  2. हैदराबाद
  3. जूनागढ़

प्रश्न 2.
स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमन्त्री कौन थे ?
उत्तर:
सरदार वल्लभभाई पटेल।

प्रश्न 3.
जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कब हुआ था ?
उत्तर:
26 अक्टूबर, 1947 को।

प्रश्न 4.
ऑपरेशन पोलो का सम्बन्ध किस रियासत से था ?
उत्तर:
हैदराबाद रियासत से।

प्रश्न 5.
जूनागढ़ का भारत में विलय कब हुआ ?
उत्तर:
1948 ई. में।

प्रश्न 6.
आधुनिक भारत का निर्माता तथा लौह पुरुष किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
सरदार वल्लभभाई पटेल को

प्रश्न 7.
गोवा पर किसका आधिपत्य था ?
उत्तर:
पुर्तगाल की।

प्रश्न 8.
गोवा का भारत में विलय कब हुआ ?
उत्तर:
1961 ई. में।

प्रश्न 9.
राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण में किस संघ का निर्माण हुआ?
उत्तर:
मत्स्य संघ का।

प्रश्न 10.
राजस्थान दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर:
प्रतिवर्ष 30 मार्च को।

प्रश्न 11.
वृहत राजस्थान का प्रधानमंत्री किसे बनाया गया था ?
उत्तर:
पं. हीरालाल शास्त्री को।

प्रश्न 12.
राजस्थान को एकीकरण कब पूर्ण हुआ ?
अथवा
राजस्थान को अपना वर्तमान स्वरूप कब प्राप्त हुआ?
उत्तर:
1 नवम्बर, 1956 को।

प्रश्न 13.
वर्तमान में भारत में कितने राज्य एवं केन्द्र-शासित प्रदेश हैं ?
उत्तर:
29 राज्य एवं 7 केन्द्र शासित प्रदेश।

प्रश्न 14.
राज्य पुनर्गठन आयोग ने किस आधार पर राज्यों की सीमाएँ तय करने का सुझाव दिया ?
उत्तर:
भाषायी आधार पर।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 में ब्रिटिश सरकार ने क्या घोषणा की थी ?
अथवा
देशी रियासतों का भारत में विलय का कार्य अत्यन्त दुष्कर व चुनौती भरा क्यों था?
उत्तर:
भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 में ब्रिटिश सरकार ने यह घोषणा की थी कि भारत की स्वतंत्रता के साथ ही देशी रियासतों पर से भी ब्रिटिश आधिपत्य समाप्त हो जाएगा तथा इन देशी रियासतों के शासक भारत अथवा नवगठित पाकिस्तान किसी में भी विलय के लिए स्वतंत्र होंगे। इस प्रकार इन देशी रियासतों का भारत में विलय कर राष्ट्रीय एकीकरण को पूर्ण करने का कार्य अत्यन्त दुष्कर व चुनौतीपूर्ण था।

प्रश्न 2.
पाकिस्तान द्वारा 1947 में हड़पा गया कश्मीर का एक तिहाई भाग आज भी पाकिस्तान के आधिपत्य में क्यों है ?
उत्तर:
पाकिस्तान द्वारा 1947 ई. में कबाइलियों के माध्यम से हड़पा गया कश्मीर का भाग आज भी पाकिस्तान के आधिपत्य में है क्योंकि जब भारतीय सेना पाकिस्तानी कबाइलियों को कश्मीर से खदेड़ रही थी तभी लार्ड माउण्टबेटन के आग्रह पर पं. जवाहर लाल नेहरू ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में रख दिया। परिणाम यह हुआ कि भारतीय सेना कश्मीर को पूर्ण रूप से पाकिस्तानी कबाइलियों से खाली करा पाती, उससे पूर्व ही युद्ध विराम हो गया और पाकिस्तानी कबाइलियों द्वारा हड़पा गया कश्मीर क्षेत्र आज भी पाकिस्तान के आधिपत्य में है, जिसे पाक अधिकृत कश्मीर कहते हैं।

प्रश्न 3.
पाण्डिचेरी के भारत में विलय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पाण्डिचेरी को वर्तमान में पुदुचेरी के नाम से जाना जाता है। 15 अगस्त, 1947 के पश्चात पाण्डिचेरी पर फ्रांस का नियंत्रण बरकरार था। इस क्षेत्र के लोगों ने देश की स्वतंत्रता के पश्चात अपनी आजादी व भारत में विलय की माँग प्रारम्भ की तथा आन्दोलन किए। 1954 ई. में भारत में विलय की माँग पर पाण्डिचेरी में व्यापक आन्दोलन उठ खड़ा हुआ। तत्कालीन मद्रास (वर्तमान में चेन्नई) में फ्रांसीसी दूतावास के समक्ष प्रतिदिन प्रदर्शन होने लगे फलस्वरूप नवम्बर 1954 में फ्रांस ने पाण्डिचेरी को भारत को सौंप दिया। 1955 ई. के गणतंत्र दिवस में प्रथम बार राजपथ पर पाण्डिचेरी की झाँकी निकाली गयी। इस प्रकार पाण्डिचेरी का भारत में शांतिपूर्ण ढंग से विलय हो गया।

प्रश्न 4.
राजस्थान एकीकरण का सबसे महत्वपूर्ण चरण कौन-सा था ? वर्णन कीजिए।
अथवा
वृहत राजस्थान के गठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के एकीकरण का सबसे महत्वपूर्ण चरण वृहत राजस्थान का निर्माण था। राजस्थान निर्माण के चौथे चरण में संयुक्त राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर एवं जैसलमेर जैसी रियासतों का विलय होने के पश्चात वृहत राजस्थान का निर्माण हुआ। 30 मार्च, 1949 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने वृहत राजस्थान का उद्घाटन किया। यह आधुनिक राजस्थान के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह को महाराज प्रमुख, जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह को राजप्रमुख तथा हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया। जयपुर को इस नवगठित संघ की राजधानी बनाया गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
देशी रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
देसी रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका देसी रियासतों के एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका का अध्ययन हम निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत कर सकते हैं

1. जूनागढ़ का विलय – गुजरात के काठियावाड़ के जूनागढ़ का राज्य एक मुसलमान नवाब के अधीन था। स्थले मार्ग से पाकिस्तान के साथ उनका कोई सम्बन्ध नहीं था फिर भी जिन्ना ने उसे पाकिस्तान में मिलने के लिए मना लिया था। किन्तु नवाब, जिन्ना तथा माउण्टबेटन की चाल सफल नहीं हो सकी। जूनागढ़ और काठियावाड़ के लोगों का तत्काल विद्रोह का बिगुल बज उठा। एक अस्थायी सरकार की स्थापना की गई और जनमत संग्रह कराया गया। जनमत में लोगों ने भारत के साथ रहना मंजूर किया, नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया।

2. कश्मीर का विलय – भारत में कश्मीर के विलय को लेकर महाराजा हरीसिंह पशोपेश में थे कि इसी बीच महाराजा की चुप्पी को देखकर पाकिस्तानी कबाइली एकाएक कश्मीर पर में घुस आये। पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को अंग्रेजों का समर्थन प्राप्त था। जब आक्रमणकारी श्रीनगर तक पहुँच गये तो हरीसिंह ने भारत विलय की घोषणा कर दी। 26 अक्टूबर, 1947 को विलय पत्र पर महाराजा के हस्ताक्षर करने के बाद भारत की सेना ने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को रोका तथा उन्हें खदेड़ दिया।

3. हैदराबाद का विलय – हैदराबाद भारत का दूसरा देशी राज्य था जो भारत के लिए काफी सिरदर्द का कारण बना। हैदराबाद का निजाम भी सीधे निर्णय न लेकर ब्रिटिश साम्राज्य के साथ साँठ-गाँठ कर एक स्वतन्त्र राष्ट्र को स्वप्न देख रहा था। पाकिस्तान से भी उसकी गुप्त वार्ताएँ चल रही थीं। हैदराबाद का निजाम कुटिल चाल चलता रहा, पाकिस्तान से हथियार सँगाकर उसने मनमानी करनी चाही जिसका विरोध पटेल ने किया, किन्तु माउण्टबेटन की चाल से निजाम बचता रहा। अन्त में जब माउण्टबेटन के भारत छोड़ने पर सी. राजगोपालाचारी 1948 ई. में गवर्नर बने तो 13 सितम्बर, 1948 को रजाकारों को खदेड़कर निजाम से विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवाये। अब अन्य राज्यों की तरह हैदराबाद का भी विलय भारत में हो गया।

4. भोपाल का विलय – एक और जटिल एवं संकटपूर्ण समस्या भोपाल के नवाब की थी। यहाँ का नवाब क्रिप्स मिशन घोषणा के बाद भारत के विरोधी गुट में शामिल हो। गया था। इसके द्वारा हिन्दू तथा मुस्लिम नरेशों को फुसलाने का प्रयत्न किया गया जिसका विरोध बीकानेर तथा पटियाला के महाराजा ने किया। जिन्नी तथा नवाब लीग के नेता लगातार इन नरेशों को लालच देकर पाकिस्तान में मिलने के लिए कहते रहे। सरदार पटेल ने यहाँ सख्ती से काम लिया और भोपाल का विलय भारत के साथ हो गया।

5. राजपूत राज्यों का भारत में विलय – हिन्दू राजाओं ने अधिक समस्या खड़ी नहीं की। उदयपुर, जोधपुर के महाराणा शुरू से भारत के समर्थक थे किन्तु भोपाल तथा हैदराबाद के निजाम इसमें बाधा खड़ी कर रहे थे। इधर जिन्ना और अंग्रेजी हुकूमत के लोग भी भोपाल से हमदर्दी रख रहे थे। भोपाल के नरेश पाकिस्तान से तभी मिल सकते थे जब उदयपुर, भोपाल का साथ दे। महाराणा उदयपुर ने स्पष्ट शब्दों में चाटुकारिता करने से मना कर दिया और और वे भारत के साथ मिल गये।

जोधपुर और जैसलमेर राज्यों ने अन्तिम रूप से भारत में मिलने की इच्छा व्यक्त की। जोधपुर नरेश हनुमन्त सिंह पाकिस्तान में मिलने के इच्छुक थे व अपने साथ जैसलमेर को भी लाना चाहते थे। जिन्ना और मुस्लिम लीग भी यही चाहते थे किन्तु वी. पी. मेनन ने ऐसा चक्कर चलाया कि जिन्ना की योजना धरी-की-धरी रह गई। राजा तुरन्त भारत विलय के लिए राजी हो गये। एक अन्य हिन्दू राज्य त्रावणकोर ने स्वतन्त्र रहने की घोषणा कर दी।

परन्तु कांग्रेस के भूमिगत नेताओं ने आन्दोलन छेड़ दिया। राजा ने तुरन्त विलय-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये। इस तरह भारत संघ में राज्यों के सफल विलय का ऐतिहासिक महत्व है। इस कार्य को सफलता के सोपान तक पहुँचाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका निश्चित ही सराहनीय मानी जा सकती है।

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