RBSE Class 9 Hindi व्याकरण लिंग

Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi व्याकरण लिंग

परिभाषा – “शब्दों के जिस रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु या प्राणी के स्त्री या पुरुषवाचक होने का बोध होता है, उसे लिंग कहते हैं।” हिन्दी में लिंग प्रमुखतया दो प्रकार के होते हैं –
1. पुल्लिंग
2. स्त्रीलिंग
जैसे –
1. राम, लड़का, राजा, घोड़ा, हाथी, सिंह, बकरी, उसको, उनका, जाता, खाती आदि शब्द जो पुरुष वर्ग का बोध कराते हैं, ‘पुल्लिंग’ कहलाते हैं।
2. सीता, लड़की, रानी, घोड़ी, हथिनी, सिंहनी, बकरी, उसकी, उनकी, जाती, खाती आदि शब्द जो स्त्री वर्ग का बोध कराते हैं, ‘स्त्रीलिंग’ कहलाते हैं।
3. निर्जीव या अचेतन पदार्थ भी पुल्लिग या स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे-पत्थर, पहाड़, घर आदि पुल्लिंग हैं। सड़क, रस्सी, लड़की आदि स्त्रीलिंग हैं।
लिंग की पहचान – लिंग की पहचान शब्दों के व्यवहार से होती है। कुछ शब्द सदा पुल्लिग रहते हैं तो कुछ शब्द सदा स्त्रीलिंग। कुछ शब्द परम्परा के कारण पुल्लिग या स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होते हैं।

पुल्लिग संज्ञा शब्दों की पहचान
1. प्राणिवाचक पुल्लिग संज्ञाएँ – पुरुष, आदमी, मनुष्य, लड़का, शेर, चीता, हाथी, कुत्ता, घोड़ा, बैल, बंदर, पशु, खरगोश, गैण्डा, मेंढ़क, साँप, मच्छर, तोता, बाज, मोर, कबूतर, कौवा, उल्लू, खटमल, कछुआ।
2. अप्राणिवाचक पुल्लिग संज्ञाएँ – निम्न संज्ञाएँ सदैव पुल्लिग में ही प्रयुक्त होती हैं

  • पर्वतों के नाम – हिमालय, विन्ध्याचल, अरावली, कैलास, आल्पस।
  • महीनों के नाम – भारतीय महीनों तथा अंग्रेजी महीनों के नाम जैसे-चैत, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, मार्च।
  • दिन या वारों के नाम – सोमवार, मंगलवार, शनिवार।
  • देशों के नाम – भारत, अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस, इण्डोनेशिया, (अपवाद) श्रीलंका (स्त्रीलिंग)
  • ग्रहों के नाम – सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, शुक्र, राहु, केतु, अरुण, वरुण, यम, अपवाद (पृथ्वी)
  • धातुओं के नाम – सोना, ताम्बा, पीतल, लोहा, अपवाद (चाँदी)
  • वृक्षों के नाम – नीम, बरगद, बबूल, आम, पीपल, अशोक, अपवाद (इमली)
  • अनाजों के नाम – चावल, गेहूँ, बाजरा, जौ, अपवाद (ज्वार)
  • द्रव पदार्थों के नाम – तेल, घी, दूध, शर्बत, मक्खन, पानी, अपवाद (लस्सी, चाय)
  • समय सूचक नाम – क्षण, सेकण्ड, मिनट, घण्टा, दिन, सप्ताह, पक्ष, माह, अपवाद (रात, सायं, संध्या, दोपहर)
  • वर्णमाला के वर्ण – स्वर तथा क से ह तक व्यंजन, अपवाद (इ, ई, ऋ)
  • समुद्रों के नाम – हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर
  • मूल्यवान पत्थर, रनों के नाम – हीरा, पुखराज, नीलम, पन्ना, मोती, माणिक्य, अपवाद (मणि, लाल)
  • शरीर के अंगों के नाम – सिर, बाल, नाक, कान, दाँत, गाल, हाथ, पैर, ओंठ, मुँह, अपवाद (गर्दन, जीभ, अंगुली)
  • देवताओं के नाम – इन्द्र, यम, वरुण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
  • आपा, आव, आवा, आर, अ, अन, ईय, एरा, त्व, दान, पन, य, खाना वाला आदि प्रत्यय युक्त शब्द। यथा-बुढ़ापा, चुनाव, पहनावा, सुनार, न्याय,
  • दर्शन, पूजनीय, चचेरा, देवत्वे, फूलदान, बचपन, सौन्दर्य, डाकखाना, दूधवाला।
  • ख, ज, न, त्र के अन्तवाले शब्द-जैसे सुख, जलज, नयन, शस्त्र।
  • जिन शब्दों के अंत में आ, पा या पन रहता है, वे प्रायः पुल्लिग होते हैं, जैसे-खाना, दाना, बुढ़ापा, मोटापन, बचपन आदि। अपवाद जरा, महिला, माला आदि। (अंत में ‘आ’ रहने पर भी पुल्लिग नहीं हैं)

स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों की पहचान

  • तिथियों के नाम – प्रथमा, द्वितीया, एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा।
  • भाषाओं के नाम – हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, जापानी, मलयालम्।
  • लिपियों के नाम – देवनागरी, रोमन, गुरुमुखी, अरबी, फारसी।
  • बोलियों के नाम – ब्रज, भोजपुरी, हरियाणवी, अवधी।
  • नदियों के नाम – गंगा, गोदावरी, व्यास, ब्रह्मपुत्र।
  • नक्षत्रों के नाम – रोहिणी, अश्विनी, भरणी।
  • देवियों के नाम – दुर्गा, रमा, उमा।
  • महिलाओं के नाम – आशा, शबनम, रजिया, सीता।
  • लताओं के नाम – अमर बेल, मालती, तोरई।
  • आ, आई, आईन, आनी, आवट, आहट, इया, ई, त, ता, ति आदि प्रत्यय युक्त शब्द। यथा-छात्रा, मिठाई, ठकुराइन, नौकरानी, सजावट, घबराहट, गुड़िया, गरीबी, ताकत, मानवता, नीति।
  • जिन शब्दों के अंत में ‘ई, इया, वट या हट’ होता है, वे प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-लड़की, नदी, कुटिया, मिलावट, अकुलाहट आदि। अपवाद-मोती, पानी, दही, जी, घी आदि। (अंत में ‘ई’ रहने पर भी स्त्रीलिंग नहीं हैं।)

पुल्लिग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम
1. अकारांत पुल्लिग शब्दों को आकारांत कर देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे –
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2. अकारांत एवं आकारांत शब्दों को ईकारांत कर देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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3. अकारांत पुल्लिग शब्दों के अंत में ‘नी’ जोड़ देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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4. ‘जातिबोधक’ पुल्लिग शब्दों के अंतिम स्वर का लोप करके ‘इन’ लगा देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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5. अकारांत पुल्लिग शब्दों में ‘आनी’ लगा देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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6. जातिबोधक पुल्लिग शब्दों के अंतिम स्वर का लोप कर उनमें ‘आइन’ लगा देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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7. आकारांत पुल्लिग शब्दों में अंतिम स्वर ‘आ’ के स्थान पर ‘इया’ कर देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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8. अकारांत पुल्लिग शब्दों में ‘अक’ के स्थान पर ‘इका’ कर देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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9. ‘वान्’ से समाप्त होने वाले पुल्लिग शब्दों में ‘वती’ तथा ‘मान्’ से समाप्त होने वाले पुल्लिग शब्दों में ‘मती’ लगा देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं, जैसे
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10. कुछ शब्द स्वतंत्र रूप से स्त्री-पुरुष के जोड़े होते हैं, जैसे
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11. कुछ शब्द नित्य पुल्लिग’ होते हैं। इनका प्रयोग हमेशा पुल्लिंग के रूप में ही होता है। इनके पूर्व ‘मादा’ विशेषण जोड़कर इन्हें स्त्रीलिंग बनाया जा सकता है, जैसे
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12. कुछ शब्द ‘नित्य स्त्रीलिंग’ होते हैं। इनका प्रयोग हमेशा स्त्रीलिंग के रूप में होता है। इन शब्दों के पूर्व ‘नर’ विशेषण लगाकर इन्हें पुल्लिग बनाया जा सकता है, जैसे-
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13. पुल्लिग से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के कुछ अन्य उदाहरण
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लिंग निर्धारण के कुछ नियम

  1. अनाजों के नाम, जैसे-गेहूँ, जौ, चना, बाजरा, चावल आदि प्रायः पुल्लिग होते हैं।
  2. वृक्षों के नाम, जैसे-आम, अमरूद, खेजड़ी, नीम, पीपल, बरगद, जामुन, चंदन, शाल, सागौन, देवदार आदि प्रायः पुल्लिग होते हैं।
  3. पर्वतों के नाम, जैसे-हिमालय, अरावली, राकी, नीलगिरि, विंध्याचल आदि प्रायः पुल्लिग होते हैं।
  4. विभिन्न धातुएँ एवं रत्न, जैसे-सोना, ताँबा, जस्ता, हीरा, पन्ना, मँगा, मोती, नीलम आदि प्रायः पुल्लिग होते हैं।
  5. द्रव पदार्थ, जैसे-दूध, घी, शहद, तेल, पानी, रस, शर्बत आदि प्रायः पुल्लिग होते हैं।
  6. ग्रहों एवं महीनों के नाम, जैसे-सूर्य, चंद्र, शनि, बुध, बृहस्पति, शुक्र, मंगल, राहु, केतु, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भादों, क्वार, कार्तिक, माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख आदि प्रायः पुल्लिग होते हैं।
  7. तिथियों एवं कुछ नक्षत्रों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे-प्रथमा, वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, रोहिणी, भरिणी आदि।
  8. नदियों तथा झीलों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे-गंगा, यमुना, चंबल, बनास, ताप्ती, नर्मदा, सतलज, व्यास, चिनाब, झेलम, कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, ईसन, साँभर झील, डल झील, जयसमंद आदि। अपवादः ब्रह्मपुत्र, शोणभद्र, सिंध पुल्लिग हैं, क्योंकि ये। नदी नहीं, नद हैं।
  9. कुछ संज्ञा शब्द ऐसे होते हैं, जिनका प्रयोग पुरुष तथा स्त्री के लिए एक समान होता है, जैसे-राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, इंजीनियर, डॉक्टर, खिलाड़ी आदि।
  10. भाषाओं के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं, जैसेहिंदी, अंग्रेजी, रूसी, जापानी, चीनी, पुर्तगाली, हिब्रू, राजस्थानी, मराठी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, बिहारी, गुजराती, अवधी, ब्रज, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, बंगला, उड़िया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि।

विशेष:

  1. तारा, देवता, व्यक्ति आदि शब्द संस्कृत में स्त्रीलिंग होते हैं किन्तु हिन्दी में पुल्लिगे।
  2. आत्मा, बूंद, देह, बाहु आदि शब्द, संस्कृत में पुल्लिंग है किन्तु हिन्दी में स्त्रीलिंग।
  3. संस्कृत में इमा प्रत्यान्तक शब्द यथा-महिमा, गरिमा, लघिमा, सीमा आदि पुल्लिग होते हैं। किन्तु हिन्दी में ये तत्सम शब्द होते हुए भी स्त्रीलिंग हैं।
  4. ‘अ’ प्रत्यान्तक-जय, विजय, पराजय, संस्कृत में पुल्लिग होते हैं। किन्तु हिन्दी में स्त्रीलिंग।
  5. कृत और तद्धित् प्रत्ययों से बने विशेषण या कर्तृवाच्य शब्द स्त्रीलिंग या पुल्लिग शब्द के साथ यथावत ही प्रयुक्त होते हैं।
  6. सर्वनाम में लिंग के आधार पर कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  7. निम्न पदवाची शब्दों में भी लिंग परिवर्तन नहीं होता-राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, मंत्री, डाक्टर, मैनेजर, प्रिंसिपल।।

परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
अतिलघु / लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पुल्लिग शब्दों के सामने उनके स्त्रीलिंग रूप लिखिए-शिष्य, अध्यापक, घोड़ा, श्रीमान्।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित स्त्रीलिंग शब्दों के पुल्लिग शब्द बनाइए–देवी, पुस्तिका, भगवती, सेविका, बेटी, ग्वालिन।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
वाक्य-प्रयोग द्वारा अग्रलिखित शब्दों के लिंग निर्णय कीजिएआश्रम, सुबह, पिसाई, तंबू, टब, बुहारी, शिविर, चारपाई, प्रतिदान।
उत्तर:
आश्रम (पु.)    = पहाड़ी पर एक आश्रम बना था।
सुबह (स्त्री.)   = सुबह हो गई, अब आलस्य छोड़ो।
पिसाई (स्त्री.) = यहाँ अनाज की अच्छी पिसाई होती है।
तंबू (पु.)        = मैदान में तंबू तान दिया गया।
टब (पु.)        = एक बड़ा टब ले आओ।
बुहारी (स्त्री.)  = बुहारी (झाडू) से घर बुहार दो।
शिविर (पु.)    = एक बड़े बगीचे में एन. सी. सी. का शिविर लगा था।
चारपाई (स्त्री.) = यह चारपाई बड़ी मजबूत बनी है।
प्रतिदान (पु.)   = आपके उपकार का प्रतिदान मैं नहीं दे सकता।

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