RBSE Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

संधि – ‘संधि’ का अर्थ है – आपस में मेल। जिस प्रकार दो व्यक्तियों या प्राणियों में मेल हो जाता है तो उनके विचार आपस में मिलते-जुलते रहते हैं। इसी प्रकार शब्दों एवं वर्गों में भी आपस में मेल होता है। व्याकरण की भाषा में वर्षों के इसी मेल को ‘संधि’ नाम से जाना जाता है।
परिभाषा:
(1) ‘जब दो वर्ण पास-पास होते हैं, तो व्याकरण के नियमानुसार उनके मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं।’
(2) दो शब्द जब एक-दूसरे के समीप आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि या वर्ण और दूसरे शब्द की प्रथम ध्वनि या वर्ण आपस में मिल जाते हैं। यह मिलना ही संधि कहलाता है। जैसे –

  1. विद्या + आलय = विद्यालय
  2. जगत् + ईश = जगदीश।
  3. यशः + दा = यशोदा।

ऊपर दिए गए इन तीनों उदाहरणों को ध्यान से देखिए। पहले उदाहरण में दो शब्द ‘विद्या’ तथा ‘आलय’ आपस में मेल करने के लिए पास-पास खड़े हैं। पहले शब्द के अंत में ‘आ’ ध्वनि है तथा दूसरे शब्द के प्रारंभ में ‘आ’ ध्वनि है। इन दोनों को आपस में मेल होना है अर्थात् = आ+आ = आ। इस प्रकार विद्यालय’ शब्द बन गया। दूसरे उदाहरण में ‘जगत्’ तथा ‘ईश’ दो शब्द मेल (संधि) के लिए पास-पास खड़े हैं। पहले शब्द के अंत में ‘त्’ व्यंजन है तथा दूसरे शब्द के प्रारंभ में ‘ई’ स्वर है। इन दोनों का आपस में मेल होना है। व्याकरण के नियमानुसार ‘त्’ एवं ‘ई’ आपस में मिलकर ‘दी’ बन गए हैं। इस प्रकार नया शब्द ‘जगदीश’ बना। तीसरे उदाहरण में यशः’ तथा ‘दा’ शब्दों का आपस में मेल होना है।

प्रथम शब्द ‘यशः’ के अंत में ‘:’ विसर्ग से पहले ‘अ’ है तथा दूसरे शब्द के प्रारंभ में त वर्ग का तृतीय वर्ण ‘द’ आकार युक्त ‘दा’ है। इस प्रकार (: + आ) दोनों मिलकर ‘ओ’ बन गए हैं और नया शब्द ‘यशोदा’ बना है। उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि जब अलग-अलग शब्दों के अंतिम तथा प्रथम स्वर, व्यंजन या विसर्ग निकट आते हैं, तो उनमें व्याकरण के निश्चित नियमों के अनुसार आपस में मेल हो जाता है तथा उनके स्वरूप में अंतर (विकार) आ जाता है। इसी को संधि कहते हैं।

संधि – विच्छेद संधि करते समय व्याकरण के जिन नियमों का पालन किया जाता है, उन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए जब संधियुक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखा जाता है, तो उसे ‘संधि-विच्छेद’ कहते हैं। जैसे –
विद्यार्थी – विद्या + अर्थी। सच्चरित्र = सत् + चरित्र। मनोहर = मनः + हर। विद्यालय = विद्या + आलय।

संधि के प्रकार – संधि करते समय हमने देखा कि कभी दो स्वरों का आपस में मेल होता है, कभी व्यंजन के साथ व्यंजन तथा स्वर का आपस में मेल होता है और कभी विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन का मेल होता है। अर्थात् – स्वर, व्यंजन या विसर्ग का आपस में मेल होता है। इस आधार पर संधि के तीन प्रकार हैं
(क) स्वर संधि
(ख) व्यंजन संधि
(ग) विसर्ग संधि

(क) स्वर संधि
दो स्वरों के मेल से उत्पन्न विकार को स्वर संधि कहते हैं। स्वर संधि के निम्नलिखित पाँच भेद हैं :
(1) दीर्घ स्वर संधि – जब दो एक जैसे स्वर (सवर्ण या सजातीय) पास-पास होने से आपस में मिलते हैं तो दोनों के बदले सवर्ण दीर्घ स्वर हो जाता है। जैसे
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(2) गुण स्वर संधि – यदि अ, आ के उपरांत ह्रस्वं या दीर्घ इ उ या ऋ हो तो क्रमशः ए, ओ तथा अर् हो जाता है जैसे –
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(3) वृद्धि स्वर संधि – अ या आ के उपरांत यदि ए ऐ अथवा ओ औ हों तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ऐ औ हो। जाते हैं। जैसे –
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(4) यण् स्वर संधि – इ ई उ ऊ या ऋ के उपरांत यदि कोई असमान (विजातीय) स्वर आये तो इ ई के स्थान पर ‘य्’; उ ऊ के स्थान पर ‘व्’ और ऋ के स्थान पर ‘र’ हो जाता है। जैसे –
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(5) अयादि स्वर संधि – यदि ए ऐ ओ औ के उपरांत कोई असमान (विजातीय) स्वर आये तो ए ऐ ओ औ के स्थान पर क्रमशः अय् आय् अव् आव् हो जाते हैं। जैसे –
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(ख) व्यंजन संधि
व्यंजन वर्ण के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के मेल से उत्पन्न विकार को “व्यंजन संधि’ कहते हैं। जहाँ संधि के लिए प्रस्तुत शब्दों में प्रथम शब्द के अंत में व्यंजन वर्ण हो तथा दूसरे शब्द के प्रारंभ में स्वर या व्यंजन
हो, वहाँ पर व्यंजन संधि होती है।
नियम :

(क) प्रत्येक वर्ग –
क वर्ग च वर्ग ट वर्ग त वर्ग प वर्ग के पहले वर्ण क् च् ट् त् प् के उपरांत कोई स्वर आए अथवा वर्ग का तीसरा, चौथा वर्ण (ग घ, ज झ, ड ढ, द ध, ब भ) आए तो पहले वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है अर्थात् क् के स्थान पर ‘ग्’, च् के स्थान पर ज्’, ट के स्थान पर ‘ड्’, त् के स्थान पर ‘द्’ तथा प् के स्थान पर ‘ब्’ हो जाता है जैसे –
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(ख) किसी वर्ग के प्रथम या तृतीय वर्ण के बाद कोई अनुनासिक वर्ण आये तो प्रथम वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का अनुनासिक वर्ण हो जाता है। जैसे –
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(ग) “त्’ के उपरांत कोई स्वर या ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व आये तो ‘त्’ के स्थान पर द हो जाता है। जैसे
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(घ) “त्’ या ‘द्’ के उपरांत ‘च’ या ‘छ’ आने पर त् और दे के स्थान पर च्, ज या झ आने पर “ज्’, ट या ठ आने पर ‘ट्’, ड या ढ आने पर ‘ड’ तथा ल आने पर ‘ल्’ हो जाता है। जैसे –
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(ङ) त् द् के उपरांत श हो तो ‘त्’ ‘द’ के स्थान पर च् तथा ‘श’ के स्थान पर छ हो जाता है जैसे
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(च) “म्’ के आगे कू से म् तक कोई वर्ण आए तो ‘म्’ के स्थान पर अनुस्वार अथवा बाद के वर्ण का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है। जैसे –
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(ग) विसर्ग संधि। विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के मेल से उत्पन्न विकार को ‘विसर्ग संधि’ कहते हैं। जहाँ संधि के लिए प्रस्तुत प्रथम शब्द के अंत में विसर्ग हो तथा दूसरे शब्द के प्रारंभ में स्वर या व्यंजन वर्ण हो, वहाँ पर विसर्ग संधि होती है।
नियम :
(1) विसर्ग के आगे च या छ आये तो विसर्ग की जगह ‘श्’, ट, ठ, हो तो ‘s’ और त, थ हो तो ‘स्’ हो जाता है। जैसे –
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(2) विसर्ग के उपरांत श, ष, स आये तो वह ज्यों का त्यों बना रहता है अथवा उसके आगे का वर्ण हो जाता है। जैसे –
दु:+शासन = दुःशासन या दुश्शासन
निः+संदेह = नि:संदेह या निस्संदेह

(3) विसर्ग के उपरांत क, ख, प, फ आने पर विसर्ग वैसा ही बना रहता है। जैसे –
रजः+कण = रजःकण पयः+पान = पय:पान

(4) (क) यदि विसर्ग से पहले इ, उ हो, तो क, ख, प, फ के पूर्व विसर्ग ५ में बदल जाता है। जैसे –
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(5) यदि विसर्ग से पहले अ हो तथा उसके बाद घोष व्यंजन हो तो विसर्गयुक्त ‘अ’ (अ) ओ हो जाता है। जैसेअधः+गति = अधोगति मनः+योग = मनोयोग। तेज:+राशि = तेजोराशि वयः+वृद्ध = वयोवृद्ध
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(6) जहाँ पर विसर्ग के पहले अ, आ के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर हो तथा बाद में घोष वर्ण हो तो विसर्ग की जगह ‘र’ हो जाता है। जैसे
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पाठ्य-पुस्तक ‘प्रबोधिनी’ से सम्बन्धित सन्धियों के कुछ उदाहरण:

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परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न-सही विकल्प छाँटकर उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
‘रवि + ईश’ की सही सन्धि है
(क) रवीश
(ख) रविश
(ग) रविईश
(घ) रव्यीश
उत्तर:
(क) रवीश

प्रश्न 2.
‘जगत् + ईश’ की सही सन्धि है
(क) जगतीश
(ख) जगदीश
(ग) जगदिश
(घ) जगतिश
उत्तर:
(ख) जगदीश

प्रश्न 3.
‘सम् + कलित’ के जुड़ने पर बना सही शब्द है
(क) सम्कलित
(ख) सम्कलित
(ग) संकलित
(घ) सनकलित
उत्तर:
(ग) संकल

प्रश्न 4.
‘तट्टीका’ में सन्धि है
(क) दीर्घ सन्धि
(ख) गुण सन्धि
(ग) विसर्ग सन्धि
(घ) व्यंजन सन्धि
उत्तर:
(घ) व्यंजन सन्धि

प्रश्न 5.
‘सोऽहम्’ का सन्धि विच्छेद है
(क) सो + हम्
(ख) सो + अहम्
(ग) सह + अहम्
(घ) सः + हम्।
उत्तर:
(ख) सो + अहम्

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दीर्घ सन्धि की परिभाषा उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर:
जब किसी ह्रस्व अथवा दीर्घ स्वर के आगे कोई ह्रस्व अथवा दीर्घ समान स्वर आता है तो उनका दीर्घ हो जाता है। जैसे-हिम + आलय = हिमालय।

प्रश्न 2.
वृद्धि सन्धि के दो उदाहरण लिखकर उनका सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
वृद्धि सन्धि:

  1. एकैक = एक + एक।
  2. सदैव = सदा + एव।

प्रश्न 3.
गुण सन्धि के दो उदाहरण लिखकर उनका सन्धि विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
गुण सन्धि:

  1. देवोपासना = देव + उपासनी।
  2. देवेश = देव + ईश।

प्रश्न 4.
यण सन्धि का सूत्र लिखिए तथा एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
सूत्र – ‘इकोयणचि’। उदाहरण-यदि + अपि = यद्यपि।

प्रश्न 5.
अयादि सन्धि की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई असमान स्वर आने पर क्रमशः अय, आय, अव्, आव् हो जाता है।

प्रश्न 6.
अयादि सन्धि के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
उदाहरण – ने + अन = नयन। नै + अक = नायक। पो + अन = पवन। पौ + अक = पावक।

प्रश्न 7.
दीर्घ सन्धि का सूत्र लिखकर एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सूत्र – ‘अकः सवर्णे दीर्घः’। उदाहरण – नदी + ईश = नदीश।

प्रश्न 8.
‘सज्जन’ शब्द में सन्धि विग्रह करके सन्धि का नाम लिखिए।
उत्तर:
सज्जन – सत् + जन। सन्धि का नाम – व्यंजन सन्धि।

प्रश्न 9.
‘पुनश्च’ में विग्रह करके सन्धि का नाम लिखिए।
उत्तर:
पुनश्च – विग्रह-पुनः + च सन्धि–विसर्ग सन्धि।

प्रश्न 10.
‘वाङ्मय’ में सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए।
उत्तर:
वाङ्मय – सन्धि विच्छेद-वाक् + मय। सन्धि का नाम-व्यंजन सन्धि।

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