RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 9 भारत का संविधान

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Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 9
Subject Social Science
Chapter Chapter 9
Chapter Name भारत का संविधान
Number of Questions Solved 57
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 9 भारत का संविधान

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान का निर्माण कौन-सी योजना से हुआ?
(अ) माउण्टबेटन
(ब) वेवेल
(स) कैबिनेट
(द) क्रिप्स
उत्तर:
(स) कैबिनेट

प्रश्न 2.
संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई?
(अ) 9 दिसम्बर, 1946
(ब) 11 दिसम्बर, 1946
(स) 13 दिसम्बर, 1946
(द) 6 दिसम्बर, 1946
उत्तर:
(अ) 9 दिसम्बर, 1946

प्रश्न 3.
भारत का संविधान कब अंगीकृत हुआ?
(अ) 26 जनवरी, 1950
(ब) 26 नवम्बर, 1949
(स) 30 जनवरी, 1948
(द) 15 अगस्त, 1947
उत्तर:
(ब) 26 नवम्बर, 1949

प्रश्न 4.
भारतीय नागरिकों को कितने मौलिक अधिकार हैं?
(अ) 7
(ब) 8
(स) 5
(द) 6
उत्तर:
(द) 6

प्रश्न 5.
समान नागरिक संहिता का वर्णन कौन-से अनुच्छेद में
(अ) अनुच्छेद 44
(ब) अनुच्छेद 48
(स) अनुच्छेद 49
(द) अनुच्छेद 50.
उत्तर:
(अ) अनुच्छेद 44

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान निर्माण में कितना समय लगा?
उत्तर:
2 वर्ष 11 माह और 18 दिन।

प्रश्न 2.
संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?
उत्तर:
389

प्रश्न 3.
डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार को क्या कहा?
उत्तर:
संविधान का हृदय व आत्मा

प्रश्न 4.
मूल कर्त्तव्य कब शामिल किए गए?
उत्तर:
1976 ई. में।

प्रश्न 5.
संविधान के कुल कितने अनुच्छेद हैं?
उत्तर:
395 अनुच्छेद।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समानता के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 -18 में समानता के अधिकार का वर्णन है। भारतीय संविधान में इस अधिकार के अन्तर्गत भारतीय नागरिकों को पाँच प्रकार की समानताएँ प्रदान की गई हैं-

  • भारत के सभी नागरिक कानून के समक्ष समान होंगे। किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं रखा जाएगा।
  • नागरिकों में धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि आधारों पर राज्य कोई भेदभाव नहीं करेगा।
  • सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी या पद देते समय राज्य धर्म, जाति, लिंग़ आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता रहेगी।
  • भारतीय समाज में अस्पृश्यता अथवा छुआछूत का अंत कर उसे दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है।
  • संविधान में राज्य की सेना, तथा विद्या कौशल के अतिरिक्त अन्य समस्त प्रकार की उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।

प्रश्न 2.
कोई चार नीति निर्देशक तत्व बताइए।
उत्तर:

  • वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के. शैक्षिक और आर्थिक विकास के लिए राज्य विशेष प्रयास करेगा।
  • राज्य द्वारा कृषि मजदूरों व कारखानों में कार्य करने वाले मजदूरों को जीवन निर्वाह योग्य मजदूरी दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इसके अतिरिक्त उन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के अवसर भी प्रदान किए जाएँगे।
  • राज्य 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा का प्रबंध करेगा। कुटीर एवं लघु उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए भी राज्य द्वारा कदम उठाए जाएँगे।

प्रश्न 3.
किन्हीं चार मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14. 18)-इसके अन्तर्गत किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जा सकता।
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)-देश के सभी नागरिकों को विचार व्यक्त करने, शांतिपूर्ण व बिना शस्त्रों के सम्मेलन करने, किसी भी प्रकार का संगठन बनाने, भारत में कहीं भी घूमने-फिरने, निवास करने तथा कोई भी व्यवसाय, नौकरी आदि आजीविका की स्वतंत्रता प्राप्त है।
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 2324)-इसके अन्तर्गत मानव के दुर्व्यवहार, बेगार प्रथा एवं जबरन श्रम पर रोक लगाई गई है।
  • संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (अनुच्छेद 2930)-इस अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों के प्रत्येक वर्ग को जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे बनाए रखने का अधिकार होगा।

प्रश्न 4.
संविधान की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • विश्व का सबसे बड़ा संविधान – भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।
  • संघात्मक व्यवस्था – भारतीय संविधान द्वारा संघ सरकार और राज्य सरकारों के मध्य तीन सूचियों – संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूचियों द्वारा शक्तियों का विभाजन किया गया है।
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता – भारत में न्यायपालिका सरकार के अन्य दो अंगों-व्यवस्थापिका व कार्यपालिका से स्वतंत्र है। न्यायपालिका को संविधान की व्याख्या करने एवं उसकी सुरक्षा करने का अधिकार प्राप्त है।

प्रश्न 5.
स्वतंत्र न्यायपालिका का क्या महत्व है?
उत्तर:
भारतीय संविधान द्वारा न्यायपालिका को संविधान के अन्य दो अंगों-व्यवस्थापिका व कार्यपालिका के हस्तक्षेप से स्वतंत्रता प्रदान की गई है। अतः न्यायपालिका अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय, कार्यपालिका या संसद को संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करने देता। यह सरकार के किसी भी कार्य को, जिससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, न्यायिक पुनरावलोकन कर सकता है। इसके तहत सर्वोच्च न्यायालय को लगे कि संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन हो रहा है, तो यह उस कानून को असंवैधानिक या अवैध घोषित कर सकता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान सभा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान सभा का निर्माण
अंग्रेज सरकार द्वारा भेजे गये कैबिनेट मिशन’ की योजना के तहत भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ, जिसने भारतीय संविधान का निर्माण किया।

संविधान सभा का गठन – संविधान सभा का गठन तीन चरणों में पूर्ण हुआ।

प्रथम चरण – कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार, संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन ब्रिटिश प्रांतों की विधान सभाओं द्वारा किया गया। इन विधानसभाओं के चुनाव द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् सन् 1946 में हुए थे। संविधान सभा के सदस्यों की संख्या का निश्चय जनसंख्या के आधार पर किया गया था। दस लाख व्यक्तियों पर एक प्रतिनिधि चुने जाने का निश्चय किया गया था। प्रांत व देशी रियासतों से लिए जाने वाले प्रतिनिधियों की संख्या भी इसी आधार पर निश्चित की गई थी। संविधान सभा में कुल सदस्यों की संख्या 389 निश्चित की गई थी।

द्वितीय एवं तृतीय चरण – 3 जून, 1947 की माउण्टबेटन योजना के अनुसार देश का साम्प्रदायिक आधार पर विभाजन तय हो गया। मुस्लिम लीग की पाकिस्तान निर्माण की माँग को मान लिया गया। अतः भारत व पाकिस्तान दो देश बनने थे। इसी के अनुसार संविधान सभा का पुनर्गठन किया गया, जिसके अनुसार अब 324 प्रतिनिधि चुने जाने थे। अब संविधान सभा में काँग्रेस का वर्चस्व था।

संविधान सभा और उसकी समितियाँ
9 दिसम्बर, 1946 से 26 नवम्बर, 1949 तक संविधान सभा को अपना कार्य पूर्ण करने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे। 9 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन प्रारम्भ हुआ। श्री सच्चिदानंद सिन्हा को इसका अस्थाई अध्यक्ष चुना गया। 11 दिसम्बर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सर्वसम्मति से इसका स्थायी अध्यक्ष चुना गया और अंत तक वे ही इसके सभापति रहे।

प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता का अधिकार
भारतीय संविधान की धारा 19 से 22 तक नागरिकों की स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है।

अनुच्छेद 19 के अन्तर्गत प्राप्त अधिकार – इसके अन्तर्गत नागरिकों को निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ दी गई हैं-

  • भारत के समस्त नागरिकों को भाषण, लेखन या अन्य प्रकार से अपने विचारों को व्यक्त करने की पूर्ण आजादी दी गई है।
  • भारत के नागरिकों को यह अधिकार है कि वे शान्तिपूर्वक एवं बिना अस्त्र-शस्त्र के इकड़े होकर सभा कर सकते हैं या जुलूस निकाल सकते हैं।
  • भारतीय संविधान नागरिकों को संस्था तथा संघ के रूप में संगठित होने की स्वतन्त्रता देता है। वे राजनीतिक दलों सहित अन्य प्रकार की संस्थाओं का गठन कर सकते हैं।
  • संविधान भारत के समस्त नागरिकों को देश के किसी भी भाग में भ्रमण करने की स्वतन्त्रता देता है।
  • संविधान के द्वारा नागरिकों को भारतीय राज्य क्षेत्र के किसी भी भाग में (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) रहने या बस जाने की स्वतन्त्रता प्रदान की गई है।
  • भारत के नागरिकों को भारत के किसी भी भाग में सम्पत्ति उपार्जित करने, धारण करने तथा उसका क्रय-विक्रय करने की स्वतन्त्रता है। यद्यपि 44वें संविधान संशोधन द्वारा इसे समाप्त कर दिया गया है।

अनुच्छेद 20 के अन्तर्गत प्राप्त अधिर – इसके अन्तर्गत-

  • किसी कानून का का उल्लंघन करने पर किसी व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है।
  • किसी व्यक्ति पर एक अपराध के लिए एक बार से अधिक मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और न एक बार से अधिक सजा दी जाएगी।
  • किसी भी व्यक्ति को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत प्राप्त अधिकार-इसके अन्तर्गत कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया को छोड़कर अन्य किसी विधि से किसी व्यक्ति को जीवन या निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। 86वें संविधान संशोधन, 2002 के द्वारा अनुच्छेद 21-(क) में जीवन के अधिकार में शिक्षा के अधिकार को शामिल करते हुए कहा गया कि राज्य छ: वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले सभी बालकों के लिए नि:शुल्क अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करेगा।

अनुच्छेद 22 के अन्तर्गत प्राप्त अधिकार – इसके अन्तर्गत नागरिकों को तीन अधिकार दिए गए हैं। ये हैं

  • बंदी बनाए जाने वाले व्यक्ति को अतिशीघ्र बंदी बनाए जाने का कारण बताया जाएगा।
  • बंदी बनाए गए व्यक्ति को अपनी पसंद के वकील से सलाह लेने का अधिकार होगा।
  • बंदी बनाए गए व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।

प्रश्न 3.
किस तरह नीति निर्देशक तत्व राज्य को लोक कल्याणकारी राज्य बनाते हैं?
उत्तर:
नीति निर्देशक तत्वों द्वारा राज्य को लोक कल्याणकारी राज्य बनाना भारतीय संविधान के भाग चार में अनुच्छेद 36 से 51 तक नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन है। आयरलैण्ड के संविधान से प्रेरित यह भाग, भारत को लोक कल्याणकारी राज्य बनाता है। नीति निर्देशक तत्वों का उद्देश्य राज्य के लोगों का कल्याण करके उन्हें सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान करना है। ये तत्व एक प्रकार के आदर्श अथवा शिक्षाएँ हैं, जो प्रत्येक सरकार के लिए मार्गदर्शक का काम करते हैं। ये सिद्धान्त देश का प्रशासन चलाने के लिए आधार हैं। इनमें व्यक्ति के कुछ ऐसे अधिकार और शासन के कुछ ऐसे उत्तरदायित्व दिए गए हैं, जिन्हें लागू करना राज्य का कर्तव्य माना गया है। इन तत्वों को न्यायालय द्वारा संरक्षण प्राप्त नहीं है।

नीति निर्देशक तत्व एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और कल्याणकारी राज्य की स्थापना करते हैं। इनके द्वारा व्यक्ति और समाज दोनों का विकास हो रहा है। भूमि सुधारों द्वारा जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ है। बच्चों, महिलाओं और निर्धन लोगों के कल्याण के लिए नीति निर्देशक सिद्धांत राज्य को निर्देश देते रहते हैं। इन तत्वों का जन शिक्षण की दृष्टि से बड़ा महत्व है। निर्देशक तत्व राज्य के उद्देश्यों की जानकारी देते हैं। यह इस बात पर बल देते हैं।

कि राजनीतिक लोकतंत्र के साथ आर्थिक लोकतंत्र भी होना चाहिए। सरकारें बदलती रहती हैं, परन्तु निर्देशक तत्वों के कारण प्रशासन में स्थिरता बनी रहती है, क्योंकि प्रत्येक दल के लिए तत्वों को मानना आवश्यक है अन्यथा वे जनमत खो देंगे। राज्य को लोक कल्याणकारी बनाने हेतु सरकार ने कुछ नीति निर्देशक तत्वों को लागू करने का प्रयास किया है। कई कारखाना कानूनों का निर्माण कर एवं न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण कर श्रमिकों के कल्याण का प्रयास किया है। कुटीर एवं लघु उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए भी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं।

सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए नयी-नयी योजनाओं का निर्माण किया है। महिलाओं के स्वास्थ्य एवं प्रसूति सहायता के लिए भी सरकार ने कई प्रावधान किए हैं। शिक्षा के अधिकार, पंचायती राज, काम के अधिकार की गारण्टी, स्कूली बच्चों को दोपहर के भोजन की व्यवस्था, सार्वजनिक बीमा को आम व्यक्ति तक पहुँचाना तथा अधिकाधिक लोगों को बैंक खाते से जोड़कर उन्हें सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा देने के भी सरकार ने प्रयास किए हैं। इस तरह, नीति निर्देशक तत्व राज्य को लोक कल्याणकारी राज्य बनाते हैं।

प्रश्न 4.
नागरिकों के मूल कर्तव्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नागरिकों के मूल कर्त्तव्य
42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में भाग 4-के व अनुच्छेद 51-क के द्वारा नागरिकों के मूल कर्तव्यों को संविधान में स्थान दिया गया है। भारतीय संविधान में निम्नलिखित 11 मूल कर्त्तव्य नागरिकों के लिए निर्धारित किये गये हैं

  1. संविधान का पालन एवं उसके आदर्शों, संस्थाओं और राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान – भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
  2. राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रेरक आदर्शों का पालन – प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखे और उनका पालन करे।
  3. भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा – प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण बनाए रखे।
  4. देश की रक्षा और राष्ट्र सेवा – प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह देश की रक्षा करे और बुलाए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।
  5. भारत के लोगों में समरसता और भ्रातृत्व की भावना का विकास – भारत के सभी भागों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का विकास करे। जो भाषा, धर्म और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से दूर हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है।
  6. समन्वित संस्कृति की गौरवशाली परम्परा की रक्षा – नागरिक अपनी समन्वित संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और संरक्षण करें।
  7. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सभी प्राणियों के प्रति दया – भाव-प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि पर्यावरण की, जिसके अन्तर्गत नदी और वन्य जीव भी आते हैं रक्षा करे और उनका सम्वर्द्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दया भाव रखे।
  8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन का विकास – प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन एवं सुधार की भावना का विकास करे।
  9. सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा व हिंसा से दूर रहना – प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे व हिंसा से दूर रहे।
  10. व्यक्तिगत एवं सामूहिक उत्कर्ष का प्रयास – प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि व्यक्तिगत व सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे।
  11. शिक्षा के अवसर प्रदान करना-यदि माता – पिता या संरक्षक है तो छ: वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने यथास्थिति बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की एकमात्र रियासत कौन-सी थी, जिसको कोई प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुआ था-
(अ) मेवाड़ रियासत.
(ब) हैदराबाद रियासत
(स) कश्मीर रियासत
(द) जूनागढ़ रियासत
उत्तर:
(ब) हैदराबाद रियासत

प्रश्न 2.
संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष थे-
(अ) सच्चिदानन्द सिन्हा
(ब) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(स) डॉ. भीमराव अम्बेडकर
(द) पं. जवाहर लाल नेहरू
उत्तर:
(अ) सच्चिदानन्द सिन्हा

प्रश्न 3.
निम्न में से किस देश का संविधान सबसे बड़ा है-
(अ) भारत
(ब) चीन
(स) संयुक्त राज्य अमेरिका
(द) इंग्लैण्ड
उत्तर:
(अ) भारत

प्रश्न 4.
भारत के प्रथम निर्वाचित राष्ट्रपति थे
(अ) डॉ. एस. राधाकृष्णन
(ब) डॉ. शंकर दयाल शर्मा
(स) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(द) डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम।
उत्तर:
(स) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

प्रश्न 5.
निम्न में से किस मौलिक अधिकार को 44वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा हटाया गया है
(अ) सम्पत्ति का अधिकार
(ब) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(स) स्वतंत्रता का अधिकार
(द) संस्कृति व शिक्षा सम्बन्धी अधिकार।
उत्तर:
(अ) सम्पत्ति का अधिकार

प्रश्न 6.
डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने किस मौलिक अधिकार को संविधान का हृदय व आत्मा कहा
(अ) संस्कृति व शिक्षा सम्बन्धी अधिकार
(ब) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(स) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
(द) शोषण के विरुद्ध अधिकार।
उत्तर:
(ब) संवैधानिक उपचारों का अधिकार

प्रश्न 7.
निम्न में से किस संविधान संशोधन द्वारा मूल कर्तव्यों को संविधान में स्थान दिया गया है
(अ) 44वें संविधान संशोधन द्वारा
(ब) 42वें संविधान संशोधन द्वारा
(स) 86वें संविधान संशोधन द्वारा
(द) 68वें संविधान संशोधन द्वारा।
उत्तर:
(ब) 42वें संविधान संशोधन द्वारा

प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्य हैं
(अ) 6
(ब) 5
(स) 10
(द) 11
उत्तर:
(द) 11

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किस योजना के तहत भारत का साम्प्रदायिक आधार पर विभाजन हुआ?
उत्तर:
माउण्टबेटन योजना के तहत।

प्रश्न 2.
संविधान सभा की प्रथम बैठक कब व कहाँ हुई?
उत्तर:
9 दिसम्बर, 1946 को प्रात: 11 बजे संसद के केन्द्रीय हॉल में।

प्रश्न 3.
संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।

प्रश्न 4.
संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव कब व किसने रखा?
उत्तर:
13 दिसम्बर, 1946 को पं. जवाहर लाल नेहरू ने।

प्रश्न 5.
भारत के संविधान का जनक किसे कहा जाता
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर को।

प्रश्न 6.
भारत का संविधान बनकर कब तैयार हुआ?
उत्तर:
26 नवम्बर, 1949 को

प्रश्न 7.
संविधान सभा की अंतिम बैठक कब हुई?
उत्तर:
24 जनवरी, 1950 को।

प्रश्न 8.
भारत का संविधान कब लागू हुआ?
उत्तर:
26 जनवरी, 1950 को।

प्रश्न 9.
उद्देशिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
मूल संविधान की प्रस्तावना को उद्देशिका कहते हैं।

प्रश्न 10.
भारत में राष्ट्रीय गीत एवं राष्ट्रीय गान को कब स्वीकार किया गया?
उत्तर:
जनवरी 1950 में।

प्रश्न 11.
प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कब शपथ ली?
उत्तर:
26 जनवरी, 1950 को।

प्रश्न 12.
भारत में मताधिकार की न्यूनतम आयु कितनी
उत्तर:
18 वर्ष

प्रश्न 13.
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की धारणा किस देश के संविधान से प्रेरित है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से।

प्रश्न 14.
भारतीय संविधान में नीति निर्देशक तत्व किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
उत्तर:
आयरलैण्ड के संविधान से।

प्रश्न 15.
भारतीय संविधान के किस भाग में मौलिक अधिकारों का वर्णन है?
उत्तर:
भारतीय संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन है।

प्रश्न 16.
शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची में किस धारा के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है?
उत्तर:
धारा 21-क के अन्तर्गत

प्रश्न 17.
लोकतंत्र की नींव किस मौलिक अधिकार को माना जाता है?
उत्तर:
समानता के अधिकार को।

प्रश्न 18.
किस संविधान संशोधन द्वारा 2002 में शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया गया?
उत्तर:
86वें संविधान संशोधन द्वारा।

प्रश्न 19.
26वें संविधान संशोधन 2002 द्वारा कितने वर्ष तक के समस्त बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है?
उत्तर:
6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को।

प्रश्न 20.
न्यायालय मौलिक अधिकारों की सुरक्षा हेतु कौन-कौन से आदेश जारी करता है?
उत्तर:

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण
  • परमादेश
  • प्रतिषेध
  • अधिकार पृच्छा
  • उत्प्रेषण (रिट)

प्रश्न 21.
राज्य के नीति निर्देशक तत्वों को संविधान के किस भाग में सम्मिलित किया गया है?
उत्तर:
राज्य के नीति निर्देशक तत्वों को संविधान के भाग-IV में सम्मिलित किया गया है।

प्रश्न 22.
नीति निर्देशक तत्वों को संविधान में सम्मिलित करने के पीछे क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
नागरिकों का सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण करना।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मौलिक अधिकारों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अधिकार व्यक्ति के विकास के वे दावे होते हैं, जिन्हें समाज और राज्य स्वीकार करता है, जब उन अधिकारों का वर्णन देश के संविधान में हो तथा जिनको न्यायपालिका द्वारा न्यायिक सुरक्षा प्राप्त हो, तब संवैधानिक अधिकार मौलिक अधिकार कहलाते हैं। ये अधिकार व्यक्ति के जीवन के लिए अनिवार्य होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं। इनमें राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। ये अधिकार व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं। इन्हें न्याय योग्य भी बनाया जाता है। मौलिक अधिकारों की व्यवस्था, भारतीय संविधान की सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं में से एक है।

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में नीति निर्देशक सिद्धान्तों को क्यों स्थान दिया गया है?
उत्तर:
वर्तमान समय में राज्य को एक आवश्यक बुराई न मानकर लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्वीकार किया जाता है। हमारे देश के संविधान निर्माता इस बात से भली-भाँति परिचित थे कि भारत में आर्थिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक विषमताएँ गम्भीर रूप से विद्यमान हैं, जिनके बने रहने से सामान्य नागरिकों के लिए अधिकारों का कोई मूल्य नहीं होगा। संविधान द्वारा ऐसी व्यवस्था करना आवश्यक था, जिससे सरकार किसी भी दल की क्यों न हो, व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना सभी का समान उद्देश्य रहे। राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धान्त इसी उद्देश्य की पूर्ति में एक प्रयास के रूप में स्वीकार किये जाते हैं।

प्रश्न 3.
राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों और नागरिकों के मौलिक अधिकारों में कोई चार अन्तर बताइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में नागरिकों के विकास तथा राष्ट्रीय कल्याण की दृष्टि से मौलिक अधिकार तथा निर्देशक सिद्धान्तों को वर्णित किया है, जो एक-दूसरे के पूरक हैं, परन्तु दोनों में निम्नलिखित अन्तर हैं

  1. मौलिक अधिकारों को कानूनी शक्ति प्राप्त है, जबकि नीति-निर्देशक तत्वों को नहीं।
  2. मौलिक अधिकार निषेधात्मक हैं, जबकि निर्देशक सिद्धान्त सकारात्मक हैं।
  3. मौलिक अधिकार नागरिकों के लिए हैं, जबकि निर्देशक सिद्धान्त राज्य के पथ प्रदर्शक हैं।
  4. मौलिक अधिकारों द्वारा राजनीतिक लोकतन्त्र की स्थापना की गई है, जबकि नीति निर्देशक तत्वों के माध्यम से आर्थिक लोकतन्त्र तथा कल्याणकारी राज्य की स्थापना की गई है।

प्रश्न 4.
अधिकारों और कर्तव्यों में क्या सम्बन्ध है? बताइए।
उत्तर:
अधिकारों के साथ स्वाभाविक रूप से कर्तव्य की भावना जुड़ी होती है। कर्तव्यों के बिना अधिकारों का अस्तित्व ही सम्भव नहीं है। अधिकारों और कर्तव्यों में बहुत अधिक घनिष्ठ सम्बन्ध है, ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। संविधान में दोनों का उल्लेख किया गया है। हम अधिकारों का प्रयोग आसानी से कर सकें इसके लिए यह आवश्यक है। कि हम अपने कर्तव्यों का भी पालन करें। उदाहरण के रूप में, सभी बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का मूल अधिकार है, अतः अभिभावकों का कर्तव्य बनता है कि वे अपने समस्त बच्चों को विद्यालय भेजें।

प्रश्न 5.
शोषण के विरुद्ध अधिकार का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की धारा 23-24 में इस अधिकार का वर्णन किया गया है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित संरक्षण दिए गए हैं

  1. बेगार या अन्य बलात् श्रम का निषेध – भारतीय संविधान की धारा 23 में इस बात का वर्णन किया गया है कि अब कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध मजदूरी नहीं करा सकता है अर्थात् उसका शोषण नहीं कर सकता है, परन्तु देशहित में किसी व्यक्ति को सेवा देने के लिए प्रतिबन्धित किया जा सकता है।
  2. बाल मजदूरी पर प्रतिबन्ध – संविधान के अनुच्छेद 24 के अन्तर्गत इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि चौदह वर्ष से कम आयु के लड़के-लड़कियों को किसी कारखाने, खान या अन्य खतरनाक कार्यों में न लगाया जाए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताओं/लक्षणों का वर्णन कीजिए। उत्तर-भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ (लक्षण)

1. विश्व का सबसे बड़ा संविधान – भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग तथा 12 अनुसूचियाँ हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में केवल 7, कनाडा के संविधान में 147, आस्ट्रेलिया के संविधान में 128 और दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 253 अनुच्छेद ही हैं।

2. संघात्मक व्यवस्था – भारतीय संविधान में संघात्मक व्यवस्था सन्निहित है। इसके कारण केन्द्र व राज्य के सम्बन्ध संतुलित बने रहते हैं।

3. संसदात्मक व्यवस्था – भारतीय संविधान संसदात्मक शासन प्रणाली की स्थापना करता है, क्योंकि राष्ट्रपति नाममात्र के अध्यक्ष हैं और वास्तविक शक्तियाँ मन्त्रिमण्डल में निहित हैं, जो संसद के प्रति उत्तरदायी है।

4. एकल नागरिकता – भारत में संघात्मक व्यवस्था होते हुए भी एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है। हम सब भारतीय नागरिक हैं। राज्य में निवास करने का अर्थ राज्य की अलग नागरिकता नहीं है। यह भारत राष्ट्र की एकता और राष्ट्रीय एकीकरण में सहायक है।

5. न्यायपालिका की स्वतंत्रता – न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु संविधान में अनेक विशेष व्यवस्थाएँ की गई हैं; यथा-सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होना, न्यायाधीशों को पद की सुरक्षा प्राप्त होना, न्यायाधीशों के कार्यकाल में उनके वेतन में कमी न हो सकना, न्यायाधीशों के आचरण पर व्यवस्थापिका द्वारा विचार न कर सकना आदि।

6. वयस्क मताधिकार – भारतीय संविधान की यह एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि उसने भारत में बिना किसी भेदभाव के सभी को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रदान किया। प्रारम्भ में मताधिकार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी, जिसे अब घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया है।

7. मौलिक अधिकार – मौलिक अधिकारों से आशय नागरिकों को प्रदत्त ऐसे अधिकार और स्वतन्त्रता से है, जिन्हें राज्य तथा केन्द्र सरकार के विरुद्ध भी लागू किया जा सकता है। संविधान द्वारा नागरिकों को इस प्रकार के 7 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए थे, लेकिन अब सम्पत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं रहा है और नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार ही प्राप्त हैं।

8. नीति निर्देशक तत्व – जो अधिकार व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक हैं और जिन्हें संविधान निर्माता अधिकार बनाना चाहते थे, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उन्हें मूल अधिकार नहीं बनाया जा सकता था, उन्हें निर्देशक तत्वों में सम्मिलित किया गया। भारतीय संविधान के चौथे अध्याय में शासन संचालन के लिए मूलभूत सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 2.
भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार
संविधान में भारतीय नागरिकों को प्रदान किये गये 6 मौलिक अधिकार निम्नलिखित हैं-

1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)- भारतीय संविधान में इस अधिकार के अन्तर्गत भारतीयों को पाँच प्रकार की समानताएँ प्रदान की गयी हैं

  • भारत के सभी नागरिक विधि के समक्ष समान होंगे।
  • नागरिकों में धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि आधारों पर राज्य कोई विभेद नहीं करेगा।
  • सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी या पद देते समय राज्य, धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
  • भारतीय समाज में अस्पृश्यता का अन्त कर इस प्रकार के आचरण को दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया गया है।
  • संविधान में राज्य की सेना या शिक्षा सम्बन्धी सम्मान के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार की उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।

2. स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार, भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गयी हैं-

  • भाषण अथवा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रताएँ।
  • शान्तिपूर्ण और अस्त्र-शस्त्र रहित सभा, सम्मेलन की स्वतन्त्रता।
  • नागरिकों को राजनीतिक दल तथा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं धार्मिक आदि क्षेत्रों में संगठन बनाने की स्वतन्त्रता है।
  • नागरिक भारत में सर्वत्र अबाध रूप से आ-जा सकते हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर रोक लगाई जा सकती है।
  • नागरिक अपनी पसन्द पर आवश्यकतानुसार देश के किसी भी भाग में बसने के लिए स्वतन्त्र है, लेकिन राज्य सार्वजनिक हित में रोक लगा सकता है।
  • नागरिकों को व्यापार-व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता है, लेकिन किसी व्यवसाय में आवश्यकता निर्धारित की जा सकती है।
  • जीवन रक्षा तथा व्यक्तिगत स्वतन्त्रता।

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 2324)- भारतीय संविधान के अनुसार मानव का क्रय-विक्रय करना एक दण्डनीय अपराध है। 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को कारखानों, खानों अथवा जोखिम से भरे कार्यों पर नहीं लगाया जा सकता। ऐसा करना दण्डनीय अपराध है।

4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 2528)- भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार धर्म-पालन करने तथा उसका प्रचार करने, धार्मिक संस्थाओं की स्थापना करने तथा उनका संचालन करने, धार्मिक संस्थाओं के लिए चल-अचल सम्पत्ति अर्जित करने तथा कानून के अनुसार उसका प्रबन्ध करने आदि की स्वतन्त्रता प्राप्त है, लेकिन सार्वजनिक हित में या स्वास्थ्य में बाधक होने पर राज्य प्रतिबन्ध लगा सकता है।

5. संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)- भारत के सभी नागरिकों को संस्कृति तथा शिक्षा संम्बन्धी निम्नलिखित अधिकार प्रदान किये गये हैं-

  • सभी नागरिकों को अपनी भाषा तथा संस्कृति की सुरक्षा एवं विकास के समान अवसर प्राप्त हैं।
  • सरकारी सहायता प्राप्त या सरकारी शिक्षा संस्थाओं में धर्म, जाति, लिंग तथा वंश आदि के आधार पर प्रवेश लेने से नहीं रोका जायेगा।
  • धार्मिक या भाषायी अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षण संस्थाएँ खोलने तथा उनके संचालन का अधिकार प्राप्त होगा।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)- भारतीय संविधान में वर्णित अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक उपचारों की व्यवस्था की गयी है। भारत के संविधान में यह व्यवस्था है कि राज्य के द्वारा किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन या हनन हो, तो वह न्यायपालिका का दरवाजा खटखटा सकता है। हमारे यहाँ उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों को इस सम्बन्ध में अधिकार दिए गए हैं।

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