RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा are part of RBSE Solutions for Class 10 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 10 |
Subject | Science |
Chapter | Chapter 10 |
Chapter Name | विद्युत धारा |
Number of Questions Solved | 125 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 10 विद्युत धारा
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
5 वोल्ट की बैटरी से यदि किसी चालक में 2 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक का प्रतिरोध होगा
(अ) 3 ओम
(ब) 2.5 ओम
(स) 10 ओम
(द) 2 ओम
प्रश्न 2.
प्रतिरोधकता निम्न में से किस पर निर्भर करती है?
(अ) चालक की लम्बाई पर
(ब) चालक के अनुप्रस्थ काट पर
(स) चालक के पदार्थ पर
(द) इसमें से किसी पर नहीं
प्रश्न 3.
वोल्ट किसका मात्रक है –
(अ) थारा
(ब) विभवान्तर
(स) आवेश
(द) कार्य
प्रश्न 4.
एक विद्युत परिपथ में 12, 20 व 32 के तीन चालक तार श्रेणीक्रम में लगे हैं इसका तुल्य प्रतिरोध होगा
(अ) 1 ओम से कम
(ब) 3 ओम से कम
(स) 1 ओम से ज्यादा
(द) 3 ओम से ज्यादा
प्रश्न 5.
भारत में प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति है –
(अ) 45 हर्ट्ज
(ब) 50 ह
(स) 55 हर्ट्ज
(घ) 60 हर्ट्स
प्रश्न 6.
विभिन्न मान के प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़कर उन्हें विद्युत स्रोत से जोड़ने पर प्रत्येक प्रतिरोध तार में
(अ) धारा और विभवान्तर का मान भिन्न-भिन्न होगा
(ख) धारा और विभवान्तर का भान समान होगा
(ग) धारा भिन्न-भिन्न होगा परन्तु विभवान्तर एक समान होगी
(घ) धारा समान होगी परन्तु विभवान्तर भिन्न-भिन्न होगा
प्रश्न 7.
किसी विद्युत परिपथ में 0.5 सेकण्ड में 2 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है विद्युत धारा का मान ऐम्पीयर में होगा
(अ) 1 ऐम्पीयर
(ब) 4 ऐम्पीयर
(स) 1.5 ऐम्पीयर
(द) 10 ऐम्पीयर
प्रश्न 8.
विद्युत के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित युक्ति नहीं
(अ) हीटर
(ब) प्रेस
(स) टोस्टर
(द) रेफ्रीजरेटर
उत्तरमाला:
(1) ब
(2) स
(3) ब
(4) द
(5) ब
(6) स
(7) ब
(8) द।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 9.
विशिष्ट प्रतिरोध अथवा प्रतिरोधकता का मात्रक क्या होता है ?
उत्तर:
विशिष्ट प्रतिरोध अथवा प्रतिरोधकता का मात्रक ओम-मीटर (S2m) होता है।
प्रश्न 10.
विद्युत धारा की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
किसी चालक में विद्युत आवेग के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।
I = Q/t जहाँ I = विद्युत धारा
Q = t सेकण्ड में किसी परिपथ में प्रवाहित होने वाला आवेश।
प्रश्न 11.
विद्युत विभव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर विभव वह कार्य है जो इकाई धन आवेश को अनंत से उस बिन्दु तक लाने में किया जाता है।
प्रश्न 12.
1 ओम प्रतिरोध किसे कहते हैं ?
उत्तर:
यदि किसी चालक तार में 1 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों के मध्य 1 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता है तो उस चालक तार का प्रतिरोध 1 ओम होगा।
प्रश्न 13.
प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट पर कैसे निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी धातु के एक समान चालक का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् Rec 1.
प्रश्न 14.
प्रतिरोधकता की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
प्रतिरोधकता – इकाई लम्बाई व इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध ही विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका मात्रक ओम मीटर (Ωm) होता है।
प्रश्न 15.
विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विद्युत ऊर्जा जिस दर से क्षय अथवा व्यय होती है, उसे विद्युत शक्ति कहते हैं।
प्रश्न 16.
एक विद्युत बल्ब पर 100 W-220 V लिखा है इसका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
यह विद्युत बल्ब 220 वोल्ट विभवान्तर पर प्रयुक्त करने पर 100 वाट शक्ति व्यय करेगा अर्थात् एक सेकण्ड में 100 जूल ऊर्जा खर्च होगी।
प्रश्न 17.
घरों में विद्युत का संयोजन किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर:
घरों में विद्युत का संयोजन समान्तर क्रम में किया जाता है। लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 18.
प्रतिरोधों के श्रेणीक्रम संयोजन व समान्तर क्रम संयोजन में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
प्रतिरोधों के श्रेणीक्रम संयोजन व समान्तर क्रम संयोजन में निम्न अन्तर है –
श्रेणी क्रम
- इस संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध में प्रवाहित धारा प्रवाहित धारा का मान सम्मान होता है।
- इसमें प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों के मध्य विभवान्तर भिन्न होता है।
- तुल्य प्रतिरोध का मान सबसे अधिक प्रतिरोध के मान से अधिक होता है।
समान्तर क्रम:
- इसमें प्रत्येक प्रतिरोध में का मान भिन्न होता है।
- इसमें प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों के मध्य विभवान्तर समान होता है।
- तुल्य प्रतिरोध का मान सबसे कम प्रतिरोध के मान से भी कम होता है। है।
प्रश्न 19.
विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ? इसके लिए आवश्यक सूत्र लिखिये।
उत्तर:
विद्युत शक्ति:
विद्युत ऊर्जा जिस दर से क्षय अथवा व्यय होती है, उसे विद्युत शक्ति कहते हैं। इसे Pसे व्यक्त करते हैं।
विद्युत शक्ति का मात्रक वाट (W) होता है। यह शक्ति का छोटा मात्रक है। अन्य बड़े मात्रक किलोवाट, मेगावाट, अश्वशक्ति
प्रश्न 20.
दो प्रतिरोध तार एक ही पदार्थ के बने हुए हैं इनकी लम्बाइयाँ समान हैं यदि इनके अनुप्रस्थ काटों के क्षेत्रफल का अनुपात 2 : 11है तो इनके प्रतिरोधों का अनुपात ज्ञात करो।
उत्तर:
यहाँ f = विशिष्ट प्रतिरोधकता
l = तार की लम्बाई
A = अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
दोनों तार एक ही पदार्थ के बने हैं अतः इनकी प्रतिरोधकता समान है तथा दोनों की लम्बाई भी समान है। अनुप्रस्थ काट भिन्न है।
प्रश्न 21.
विद्युत विभव व विभवान्तर को परिभाषित करो।
उत्तर:
विद्युत विभव “विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर विद्युत विभव का मान एकांक धन आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में विद्युत क्षेत्र द्वारा आरोपित बल के विरुद्ध किये गये कार्य के बराबर होता है।” यदि किसी धन आवेश q0 को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य W हो तो उस बिन्दु पर विद्युत विभव V होगा।
V = \(\frac{\mathrm{W}}{\mathrm{q}_{0}}\)
यदि W = 1 जूल और q0 = 1 कूलॉम हो तो
v = \(\frac {1}{1} \) = 1 वोल्ट होगा।
अर्थात् 1 कूलॉम आवेश को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में 1 जूल कार्य करना पड़ता है तो उस बिन्दु का विभव 1 वोल्ट होता है।
विभवान्तर:
विद्युत् क्षेत्र में किसी एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक एकांक धन आवेश को बिना त्वरित किये ले जाने के लिए जितना कार्य करना पड़ता है, वह उन दो बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर होता है। विभवान्तर का मात्रक भी वोल्ट या जूल/ कूलॉम होता है।
प्रश्न 22.
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र एवं दिष्ट धारा जनित्र में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र एवं दिष्ट धारा जनित्र में अन्तर –
(1) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में दो सीवलय होते हैं जबकि दिष्ट धारा जनित्र में इसके स्थान पर दो कम्यूटेटर होते हैं।
(2) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में प्रत्यावर्ती विद्युत धारा प्राप्त होती है जबकि दिष्ट धारा जनित्र में दिष्ट धारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 23.
दक्षिणावर्त हस्त का नियम लिखो।
उत्तर:
दक्षिणावर्त हस्त का नियम-इस नियम के अनुसार धारावाही चालक को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकड़े कि अंगूठा धारा की दिशा में रहे तो मुड़ी हुई अंगुलियाँ चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करेंगी।
प्रश्न 24.
1 किलोवाट घंटा में जूल की संख्या ज्ञात करो।
उत्तर:
1 किलोवाट घण्टा में जूल की संख्या1 किलो वाट घंटा = 103 x 60 x 60 वाट x सेकण्ड
प्रश्न 25.
जूल के तापन के नियम लिखो।
उत्तर:
जूल के तापन के नियम –
उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि प्रतिरोध तार में उत्पन्न ऊष्मा
(1) दिये गये प्रतिरोध तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के वर्ग के समानुपाती होती है।
(2) दिये गये प्रतिरोध के समानुपाती होती है।
(3) प्रतिरोध में धारा प्रवाह के समय । समानुपाती होती है।
उपर्युक्त तीनों नियम जूल के तापन के नियम कहलाते हैं।
प्रश्न 26.
ओम के नियम का प्रायोगिक सत्यापन का परिपथ का नामांकित चित्र बनाओ।
उत्तर:
ओम के नियम का प्रायोगिक सत्यापन का परिपथ का नामांकित चित्र –
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 27.
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र की बनावट एवं कार्य विधि समझाइये। आवश्यक नामांकित चित्र बनाओ।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती थारा जनित्र की बनावट (Alternating Current Generator):
चित्र में प्रत्यावर्ती धारा जनित्र का सरल प्रतिरूप दिखाया गया है। इसमें ABCD एक कुण्डली का घेरा है। यह बेलन पर लिपटा रहता है जिसे आर्मेचर कहते हैं। आर्मेचर को अपनी अक्ष पर घूर्णन कराया जा सकता है। आर्मेचर दो चुम्बकीय ध्रुवखण्डों NRS के मध्य रखा हुआ होता है जिसे क्षेत्र चुम्बक कहते हैं।
इस प्रबल नाल-चुम्बक के ध्रुवों को अवतल बेलनाकार बना दिया जाता है। इससे नाल-चुम्बक के ध्रुवों के बीच के स्थान में एक त्रिज्य चुम्बकीय क्षेत्र (Radial Magnetic Field) उत्पन्न हो जाता है। इससे कुण्डली जब भी चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है तो कुण्डली के तल पर लम्ब और चुम्बकीय क्षेत्र में कोण सदैव 90° रहता है। छोटे प्रत्यावर्तित्र में (जैसा साइकिल अथवा कार के जनित्र) ये स्थायी नाल चुम्बक होते हैं, किन्तु बड़े प्रत्यावर्तित्र में, जिसमें हम बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त करना चाहते हैं, ये अति प्रबल विद्युत चुम्बक होते हैं।
कुण्डली के दोनों सिरे दो सीवलयों S, व S, से संयोजित हैं जो आर्मेचर के साथ घूमते हैं। इससे आर्मेचर के घूमने पर तार आमेचर पर लिपटता नहीं है। इन सीवलयों से कार्बन के दो ब्रुश B, व B, सम्बद्ध होते हैं जिनसे हम बाह्य लोड परिपथ में धारा प्राप्त कर सकते हैं।
कार्य-प्रणाली:
हम पढ़ चुके हैं कि चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली के घूर्णन से उसमें प्रत्यावर्ती वि.वा.ब. व धारा प्रेरित होती है। जब आर्मेचर ABCD को किसी यांत्रिक ऊर्जा स्रोत से चुम्बकीय क्षेत्र NS के मध्य घुमाया जाता है तो आर्मेचर ABCD से सम्बद्ध चुम्बकीय अभिवाह के मान में लगातार परिवर्तन होता है। इससे कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। आर्मेचर को एक पूर्ण चक्कर (0-90°-180°-270°-360°) घुमाने से कुण्डली बार-बार चुम्बकीय क्षेत्र NS के लम्बवत् एवं समान्तर स्थिति में आती है। इससे प्रेरित वि.वा.ब. के मान व दिशा में अनवरत परिवर्तन होता रहता है।
प्रथम स्थिति:
चित्र (ब) में जब कुण्डली (स्थिति-1 में) चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् (0%) होती है तो कुण्डली में प्रेरित वि.वा.बल व धारा का मान शून्य होता है।
द्वितीय स्थिति:
जब घूर्णन करती हुई कुण्डली (स्थिति2) का तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर (90°) होता है तो इसमें प्रेरित वि.वा.बल व धारा का मान अधिकतम होता है।
तृतीय स्थिति:
जब घूर्णन करती हुई कुण्डली (स्थिति3) पुनः चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् (180°) होती है तो कुण्डली में प्रेरित वि.वा.ब. व धारा का मान शून्य हो जाता है।
इस प्रकार प्रथम आधे घूर्णन में कुण्डली में धारा एक दिशा में प्रवाहित होती है जो कुण्डली से संयोजित सीवलयों S1 व S2 पर लगे हुए ब्रुश B1 व B2 की सहायता से लोड परिपथ में प्राप्त होती है।
चतुर्थ स्थिति:
जब घूर्णन करती हुई कुण्डली पुनः चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर (270°) होती है तो कुण्डली में प्रेरित वि.वा.ब. व धारा का मान अधिकतम किन्तु विपरीत दिशा में होता है।
पंचम स्थिति:
जब कुण्डली (स्थिति-5) पुनः चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् (360°) होती है तो कुण्डली में प्रेरित धारा का मान शून्य हो जाता है। चित्र (ब) से स्पष्ट होता है कि प्रत्येक घूर्णन के आधे | घूर्णन पश्चात् प्रेरित विद्युत धारा की दिशा एवं मान लगातार परिवर्तित होता रहता है। इसलिए इसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं।
प्रेरित विद्युत धारा का मान कुण्डली में घेरों की संख्या (N), कुण्डली का क्षेत्रफल (A), कुण्डली का घूर्णन वेग (0) तथा चुम्बकीय क्षेत्र (B) के मान पर निर्भर करता है।
प्रश्न 28.
श्रेणीक्रम संयोजन का परिपथ चित्र बनाते हुए तुल्य प्रतिरोध का आवश्यक सूत्र स्थापित करो।
उत्तर:
श्रेणीक्रम—चित्र में तीन प्रतिरोध R1 R2 व R3 श्रेणीक्रम में संयोजित किये गये हैं। प्रतिरोध R1 का पहला सिरा परिपथ से, R1 का दूसरा सिरा R2 के पहले सिरे से, R2का दूसरा सिरा R3 के पहले सिरे से तथा R3का दूसरा सिरा परिपथ से संयोजित हो तो इस प्रकार के संयोजन को श्रेणीक्रम में संयोजन कहते हैं।
प्रत्येक प्रतिरोध R1, R2, R1 के समान्तर क्रम में क्रमशः वोल्ट मीटर V1, V2, V3, संयोजित हैं। सेल 5 अमीटर A तथा कुंजी K परिपथ में श्रेणीक्रम क्रम में संयोजित हैं। कुंजी K को लगाने पर परिपथ में सेल E से धारा I प्रवाहित होती है तथा बिन्दु P व Q के मध्य विभवान्तर उत्पन्न होता है। श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध R1 R2R3 में प्रवाहित धारा का मान समान होगा, लेकिन प्रतिरोधों का मान अलग-अलग होने से प्रत्येक परिपथ के सिरों पर विभवान्तर अलग-अलग क्रमशः V1,V2, V3होगा। ओम के नियम से –
तीनों प्रतिरोध तारों का कुल विभवान्तर V हो तो
V=V, + V, +V, …..(ii)
यदि सम्पूर्ण परिपथ का तुल्य प्रतिरोध R हो तो
V= RI …..(iii)
समीकरण (i), (ii) व (iii) से –
RI = R1I + R2I + R3I
या R = R1+ R2 + R3
अर्थात् प्रतिरोध तारों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर सभी तारों का तुल्य प्रतिरोध प्रत्येक तार प्रतिरोध के जोड़ के बराबर होता है। तीन से अधिक प्रतिरोध होने पर –
प्रश्न 29.
समान्तरक्रम संयोजन का आवश्यक परिपथ बनाते हुए तुल्य प्रतिरोध का सूत्र ज्ञात करो।
उत्तर:
समान्तर क्रम-चित्र में तीन प्रतिरोध R1, R2, R3 समान्तर क्रम में संयोजित किये गये हैं। प्रत्येक प्रतिरोध का पहला सिरा एक साथ संयोजित करके एवं प्रत्येक प्रतिरोध का दूसरा सिरा एक साथ संयोजित करके परिपथ में चित्र के अनुसार संयोजन किये गये हैं। इस प्रकार के संयोजन को समान्तर क्रम में संयोजन कहते हैं।
तीनों प्रतिरोधों के समान्तर क्रम में वोल्ट मीटर V तथा परिपथ में कुल प्रवाहित धारा के मान ज्ञात करने हेतु अमीटर A श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। समान्तर क्रम में प्रत्येक प्रतिरोध में प्रवाहित धारा का मान अलग-अलग होगा परन्तु प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर समान होगा। यदि प्रतिरोध R1 R2, R3 में प्रवाहित धारा का मान क्रमशः I1, I2 I3 हो तथा परिपथ में विभवान्तर V हो तो ओम के
नियमानुसार –
परिपथ में कुल धारा I = I1 + I2 + I3 ……(ii)
यदि तीनों प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध का मान R हो तो –
I = \(\frac {V}{R} \) …….(iii)
समीकरण (i), (ii) व (iii) से
अर्थात् जब प्रतिरोध तारों को समान्तर क्रम में लगाते हैं तो उनके तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम प्रत्येक प्रतिरोध के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है।
तीन से अधिक प्रतिरोध होने पर –
आंकिक प्रश्न –
प्रश्न 30.
1Ω,2Ω, 3Ω के तीन प्रतिरोधों के संयोजन से प्राप्त अधिकतम व न्यूनतम प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल:
श्रेणी क्रम में अधिकतम प्रतिरोध व समान्तर क्रम में न्यूनतम प्रतिरोध होता है।
∴अधिकतम प्रतिरोध = श्रेणी क्रम संयोजन
अतः R = R1 + R2 + R3
= 1 + 2 + 3 = 6Ω
इसलिये अधिकतम प्रतिरोध = 6Ω
उत्तर:
न्यूनतम प्रतिरोध = समान्तर क्रम संयोजन
प्रश्न 31.
यदि किसी चालक तार में 10 मिमी. एम्पीयर की धारा प्रवाहित करने पर इसके सिरों पर 25 वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न होता है तो चालक तार का प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल:
प्रश्नानुसार,
धारा 1 = 10 मिली एम्पीयर = 10 MA = 10 x 10-3A
विभवान्तर V= 2.5 वोल्ट = 2.5 V
चालक तार का प्रतिरोध R = \(\frac {V}{I} \) = \(\frac{2.5}{10 \times 10^{-3}}\)
= \(\frac{2.5}{10^{-2}}\) = 250 Ω उत्तर
प्रश्न 32.
निम्न परिपथों में A व B के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल:
R1 व R2 श्रेणी क्रम में है अतः
R = R1 + R2
= 2 + 2 = 4Ω
अब R तथा R3 समान्तर क्रम में है।
हल:
R1 व R2 श्रेणी क्रम में है अतः
R = R1 + R2 = 2 + 2 = 4Ω
R3 व R4 श्रेणी क्रम में है अतः
R” = R3 + R4 = 2 + 2 = 4Ω
अतः R’ व R” समान्तर क्रम में है।
हल:
R1व R2 श्रेणी क्रम में हैं।
अतः R1 = R1 + R2= 2 + 2 = 4Ω
R3 व R4 श्रेणीक्रम में हैं।
अतः R11 = R3 + R4 = 2 + 2 = 4Ω
अब R1 व R11 समान्तर क्रम संयोजन में है।
अतः \(\frac {1}{R} \) = \(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}+\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime \prime}}\) = \(\frac {1}{4} \) + \(\frac {1}{4} \) = \(\frac {1 + 1}{4} \) = \(\frac {2}{4} \) = \(\frac {1}{2} \)
∴ R = 2 Ω उत्तर
हल:
R1 R2 व R3 समान्तर क्रम में हैं।
अतः
प्रश्न 33.
एक 1500 वाट की निमज्जन छड़ प्रतिदिन 3 घंटे पानी गर्म करने के काम में आती है। यदि एक यूनिट विद्युत ऊर्जा का मूल्य 5.00 रु. है तो 30 दिन में उपयोग हुई विद्युत का मूल्य कितना होगा?
हल:
निमज्जन छड़ में प्रतिदिन खर्च की गई ऊर्जा
= 1500 x 3 वाट-घण्टा
30 दिन में उपयोग हुई ऊर्जा = 1500 x 3 x 30
= 135000 wh
= 135 यूनिट
5 रुपये प्रतियूनिट की दर से विद्युत का मूल्य
= 135 x 5 = 675 रु.
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विद्युत विभव का S.I. मात्रक है –
(अ) जूल
(ब) एम्पियर
(स) वोल्ट
(द) कूलॉम
प्रश्न 2.
विद्युत शक्ति का S.I. मात्रक है –
(अ) जूल
(ब) वाट
(स) वोल्ट
(द) एम्पियर
प्रश्न 3.
100 वाट का एक बल्ब 2 घंटे के लिए जलाया जाता है। 30 दिन में व्ययित विद्युत ऊर्जा की गणना होगी –
(अ) 60 KWh
(ब) 6 KWh
(स) 0.2 KWh
(द) 0.6 KWh
प्रश्न 4.
जूल के ऊष्मीय नियम के अनुसार क्या सत्य है?
(अ) H ∝ R2
(ब) H ∝ I
(स) H ∝ I/R
(द) H ∝ I2
प्रश्न 5.
R प्रतिरोध वाले किसी तार को खींचकर उसकी लम्बाई दोगुनी कर दी गई है। नया प्रतिरोध आरेमिक प्रतिरोध की तुलना में –
(अ) दो गुना है
(ब) तीन गुना है
(स) बराबर है
(द) चार गुना है
प्रश्न 6.
विद्युत धारा उत्पन्न करने के लिए उपयोग किए जाने वाली युक्ति है –
(अ) जेनरेटर (विद्युत जनित्र)
(ब) आमीटर
(स) वोल्टमीटर
(द) गैल्वेनोमीटर
प्रश्न 7.
विद्युत जनित्र
(अ) विद्युत आवेशित करने का स्रोत है।
(ब) ऊष्मीय ऊर्जा का स्रोत है।
(स) एक विद्युत चुम्बक है।
(द) ऊर्जा को रूपांतरित करता है।
प्रश्न 8.
विद्युत मोटर का सतत् घूर्णन करने वाला भाग है –
(अ) कुंडली
(ब) विभक्त वलय दिक् परिवर्तक
(स) सीवलय
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(1) स
(2) ब
(3) स
(4) द
(5) द
(6) अ
(7) द
(8) अ।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विद्युत परिपथ में यदि 20 सेकण्ड में 40 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है, तो परिपथ में विद्युत धारा का मान होगा।
उत्तर:
विद्युत धारा I = 9-40 = 2 ऐम्पियर।
प्रश्न 2.
वोल्ट को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी वोल्ट क्षेत्र में किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर एक वोल्ट होगा। यदि 1C आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है।
प्रश्न 3.
किसी चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल आधा करने पर उसका प्रतिरोध कितना हो जायेगा?
उत्तर:
दुगुना।
प्रश्न 4.
विद्युत परिपथ में विद्युत धारा को कम व अधिक करने के लिये उपकरण प्रयोग में लेते हैं
उत्तर:
धारा नियंत्रक।
प्रश्न 5.
विद्युत विभवान्तर नापने में उपकरण काम में लेते हैं
उत्तर:
वोल्टमीटर।
प्रश्न 6.
विद्युत परिपथ में प्रतिरोध का मान कम करने के लिए प्रतिरोध को किस क्रम में संयोजित करते हैं ?
उत्तर:
समान्तर क्रम में।
प्रश्न 7.
तीन-तीन ओम के तीन प्रतिरोध समान्तर क्रम में संयोजित करने पर संयोजन का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
तुल्य प्रतिरोध
\(\frac {1}{R} \) = \(\frac {1}{3} \) + \(\frac {1}{3} \) + \(\frac {1}{3} \) = \(\frac {3}{3} \)
∴R = 1Ω
प्रश्न 8.
चालक का विशिष्ट प्रतिरोध किस कारण पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
चालक के पदार्थ पर।
प्रश्न 9.
200 वोल्ट का विभवान्तर 100 ओम के प्रतिरोध तार पर लगाने से प्रतिरोध में प्रवाहित विद्युत धारा का मान लिखिए।
उत्तर:
2 ऐम्पियर।
प्रश्न 10.
विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत ऊर्जा को किस ऊर्जा में परिवर्तन के लिए किया जाता है ?
उत्तर:
यांत्रिक ऊर्जा में।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी चालक का प्रतिरोध किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ? समझाइये।
उत्तर:
चालक का प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है –
(i) चालक की लम्बाई पर – किसी धातु के एक समान चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई (l) के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् R ∝ L
(ii) अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर – किसी धातु के एक समान चालक का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल
(A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् R ∝ \(\frac {1}{A} \)
(iii) ताप पर-किसी चालक तार का प्रतिरोध (R) ताप में परिवर्तन से परिवर्तित होता है। कुछ मिश्रित धातु तथा शुद्ध धातुओं से बने चालकों का प्रतिरोध ताप के साथ बढ़ता है, जैसे – ताँबा, चाँदी आदि धातुओं का प्रतिरोध ताप के साथ शीघ्रता से बढ़ता है। कुछ ऐसे मिश्र धातु भी होते हैं, जिनका प्रतिरोध ताप परिवर्तन के साथ बहुत कम परिवर्तित होता है, जैसे – मैंग्नीज तथा कॉन्सटेन्टन। इसके विपरीत अर्द्धचालकों का प्रतिरोध ताप बढ़ाने पर कम होता है। जैसे–जर्मेनियम, सिलिकॉन व कार्बन।
(iv) पदार्थ की प्रकृति पर – चालक का प्रतिरोध उस पदार्थ की प्रकृति पर भी निर्भर करता है जिससे वह बना है। यदि समान लम्बाई तथा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के दो चालक तार लेते हैं जिनमें से एक ताँबा तथा दूसरा लोहे का हो एवं इन दोनों को क्रम से विद्युत परिपथ में संयोजित कर धारा प्रवाहित की जाए तो हम देखते हैं कि ताँबे में अधिक धारा प्रवाहित होगी। इसी प्रकार जब भिन्न-भिन्न पदार्थ के तार लेकर प्रयोग को दोहराया जाए तो हम देखते हैं कि चालक का प्रतिरोध उसके पदार्थ पर नर्भर करता है।
प्रश्न 2.
घरेलू विद्युत उपकरण पार्श्वक्रम में क्यों जोड़े जाते हैं ?
उत्तर:
घरेलू विद्युत उपकरण निम्न कारणों से पार्श्वक्रम में जोड़े जाते हैं, क्योंकि –
- प्रत्येक परिपथ या रूपकरण में विभवांतर को आपूर्ति पथ वोल्टता के स्थिर मान के समान रखा जाता है।
- पार्श्व क्रम में जोड़ो पर, तुल्य प्रतिरोध उपकरण को आवश्यक धारा दी जा सकती है।
- यदि कोई आवंटन पथ अतिभारित हो जाता है, तो उस परिपथ पर फ्यूज उड़ जाता है। अन्य आपूर्ति पथ यथावत् कार्यशील रहते हैं।
प्रश्न 3.
दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में क्या अन्तर है?
उत्तर:
दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में निम्नलिखित अन्तर हैं –
- प्रत्यावर्ती धारा अधिक खतरनाक होती है क्योंकि प्रत्यावर्ती धारा मनुष्य को सम्पर्क में आने पर अपनी ओर खींचती है, जबकि दिष्ट धारा कम खतरनाक होती है क्योंकि यह मनुष्य , को प्रतिकर्षित करती है।
- ट्रांसफॉर्मर की सहायता से प्रत्यावर्ती धारा का मान घटाया अथवा बढ़ाया जा सकता है जबकि दिष्ट धारा में ऐसा सम्भव नहीं है।
- प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट धारा में बदली जा सकती है, जबकि दिष्ट धारा को प्रत्यावर्ती धारा में नहीं बदला जा सकता
- प्रत्यावर्ती धारा निश्चित मान के बीच समय के साथ निरन्तर परिवर्तित होती रहती है तथा निश्चित आवृत्ति से इसकी दिशा भी परिवर्तित होती रहती है, जबकि दिष्ट धारा की दिशा समय के साथ नहीं बदलती है।
- प्रत्यावर्ती धारा में ऊर्जा ह्रास कम एवं दिष्ट धारा में ऊर्जा ह्रास अधिक होता है।
प्रश्न 4.
किसी धारावाही परिनलिका में धारा प्रवाहित करने पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब परिनालिका में धारा प्रवाहित की जाती है तो उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र, छड़ चुम्बक से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के समान होता है। जब परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चुम्बकीय बल रेखाएँ एक सिरे से उत्पन्न होकर दूसरे सिरे तक जाती हैं। परिनालिका को यदि स्वतन्त्रतापूर्वक लटका दिया जाये तो यह एक दंड चुम्बक की तरह कार्य करती है और इसका एक सिरा उत्तर की तरफ तथा दूसरा दक्षिण की तरफ रहता है। तो यह एक प्रबल छड़ चुम्बक की भाँति कार्य करती है।
प्रश्न 5.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ क्या हैं ? इनकी दो विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ ऐसी रेखाएँ हैं जो चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति की ओर संकेत करती हैं तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताती हैं।
विशेषताएँ:
(i) चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति को क्षेत्र से होकर जाने वाली रेखाओं की संख्या द्वारा मापा जाता है।
(ii) कोई दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे को काट नहीं सकती।
प्रश्न 6.
विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव से आप क्या समझते हैं ? इस प्रभाव को समझाने के लिए अटैंड का प्रयोग बताइए।
उत्तर:
विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव-जब किसी चालक तार में से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। विद्युत धारा के इस प्रभाव को विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहते हैं।
अटेंड का प्रयोग:
एक तार PQ जिसमें धारा दक्षिण से उत्तर की ओर बह रही हो, मेज पर रखी एक चुम्बकीय सुई के ऊपर रखते हैं। सुई का उत्तरी ध्रुव पश्चिम की ओर घूम जाता है। अब तार में विद्युत धारा की दिशा बदल कर चुम्बकीय सुई अर्थात् पूर्व की ओर विक्षेपित हो जाता है। यदि तार को चुम्बकीय सुई के नीचे रखें, तो सुई विपरीत दिशा में विक्षेपित हो जाती है।
प्रश्न 7.
दक्षिणावर्त पेच का नियम समझाइये।
उत्तर:
दक्षिणावर्त पेच का नियम इस नियम के अनुसार दक्षिणावर्त पेच को इस प्रकार वृत्ताकार पथ घुमाया जावे की पेच की नोक विद्युत धारा की दिशा में आगे बढ़े तो पेच को घुमाने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करेगी।
प्रश्न 8.
सिद्ध कीजिये कि किसी चालक के प्रतिरोधक में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा। समय के लिए विद्युत धारा I प्रवाहित करने पर
H = 12Rt
उत्तर:
माना प्रतिरोध R के किसी प्रतिरोधक से विद्युतधारा I प्रवाहित हो रही है।
सिरों के बीच विभवांतर = V
माना t समय में Q आवेश प्रवाहित होता है।
Q आवेश विभवांतर V से प्रवाहित होने में किया गया कार्य VQ है।
अतः स्रोत के समय t में VQ ऊर्जा की आपूर्ति करनी चाहिए। अतः स्रोत द्वारा परिपथ में निवेशित शक्ति
P = V \(\frac {Q}{T} \) – VI
अर्थात् समय t में स्रोत द्वारा परिपथ को प्रदान की गयी ऊर्जा P x t है।
P x t = VIt
यह ऊर्जा ऊष्मा के रूप में प्रतिरोधक में क्षयित हो जाती है।
विद्युत धारा I द्वारा समय में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा है –
H= VIt
ओम नियम लागू करने पर हमें प्राप्त होता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ओम का नियम लिखिये। विद्युत परिपथ का चित्र देकर इसे समझाइये।
उत्तर:
ओम का नियम निश्चित ताप पर किसी चालक के सिरों के मध्य विभवान्तर उसमें प्रवाहित होने वाली धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
V ∝ I
V = RI
R एक स्थिरांक है जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
R = \(\frac {V}{I} \)
यदि I = 1 ऐम्पियर तथा V = 1 वोल्ट तो R = 1Ω
किसी चालक में एक ऐम्पियर धारा प्रवाहित करने पर यदि उसके सिरों पर एक वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता है तो चालक का प्रतिरोध 1 ओम होगा।
ओम के नियम को हम निम्न प्रयोग से समझ सकते हैं –
प्रयोग – चित्र में एक विद्युत परिपथ दर्शाया गया है।
उपर्युक्त विद्युत परिपथ में एक सेल B के साथ एक कुंजी K, अमीटर A, धारा नियंत्रक Rh तथा चालक CD सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हैं। चालक CD के समान्तर क्रम में विभवान्तर मापन हेतु वोल्टामीटर V संयोजित है। किसी चालक पर CD में धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों के मध्य विभवान्तर उत्पन्न होता है। चालक तार में प्रवाहित धारा व उत्पन्न विभवान्तर में सम्बन्ध को वैज्ञानिक ओम ने प्रतिपादित किया जिसे ओम का नियम कहते हैं।
विद्युत परिपथ तथा चालक CD में प्रवाहित धारा का मान अमीटर A तथा चालक CD के मध्य विभवान्तर का मान वोल्टमीटर V द्वारा ज्ञात किया जाता है। चालक में प्रवाहित विभिन्न मान की धारा I के लिए चालक CD के मध्य विभवान्तर V का मान ज्ञात कर लेते हैं। विभवान्तर V एवं धारा I में लेखाचित्र खींचने पर चित्र में प्रदर्शित अनुसार सीधी रेखा प्राप्त होती है जिससे यह सिद्ध होता है कि चालक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर उसमें प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है। यही ओम का नियम है।
प्रश्न 2.
दिष्ट धारा जनित्र की बनावट एवं कार्यप्रणाली समझाइये।आवश्यक नामांकित चित्र बनाइये। इसके उपयोग भी लिखिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा जनित्र की बनावट-दिष्ट धारा जनित्र की बनावट भी प्रत्यावर्ती धारा जनित्र की तरह ही होती है। बनावट की दृष्टि से प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में दो सीवलय होते हैं, जबकि दिष्ट धारा जनित्र में इनके स्थान पर दो कम्यूटेटर C1, C2 लगे होते हैं। कुण्डली का एक सिरा C1 से और दूसरा सिरा C2 से जुड़ा हुआ होता है। चित्र में दिखाया गया है कि ब्रुश B1, व B2 कम्यूटेटर को स्पर्श किये रहते हैं और इनका सम्बन्ध बाह्य परिपथ (लोड) से होता है।
कार्य-विधि:
जब चुम्बकीय क्षेत्र NS में आर्मेचर ABCD को घुमाया जाता है तो इसके प्रथम आधे घूर्णन में विद्युत धारा दिक्परिवर्तक के एक भाग C1 से दूसरे भाग C2 की ओर प्रवाहित होती है जो बाह्य परिपथ में ब्रुश B1 व B2 की ओर प्रवाहित होती है।
शेष आधे घूर्णन में जैसे ही प्रेरित धारा की दिशा परिवर्तित होती है तो ठीक उसी समय दिक्परिवर्तक C1 व C2 की स्थितियाँ बदल जाती हैं और धारा B1 व B2 की ओर प्रवाहित होने लगती है। इस प्रकार बाह्य परिपथ में हमें धारा एक ही दिशा में प्राप्त होती है। इसीलिए इसे दिष्ट धारा जनित्र कहते हैं।
उपयोग:
(1) दिष्ट धारा जनित्र का उपयोग समान मान के दिष्ट विभव या दिष्ट धारा के उत्पादन के लिए प्रयोग करते
(2) कार, बस में बैटरी चार्ज करने के लिए, प्लग स्पार्किंग करने के लिए दिष्ट धारा जनित्र का प्रयोग करते हैं।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
दो प्रतिरोध 20 ओम एवं 30 ओम को श्रेणीक्रम में जोड़कर उन्हें 100 वोल्ट के विद्युत स्रोत से जोड़ दिया जाता है। गणना कीजिए
(1) परिपथ में प्रवाहित धारा का मान
(2) 20 ओम प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर
हल:
प्रश्नानुसार – R1 = 20Ω, R2 = 30Ω
तुल्य प्रतिरोध R = R1 + R2 = 20 + 30 = 50Ω
(1) परिपथ में प्रवाहित धारा
I = \(\frac {V}{R} \) = \(\frac {100}{50} \) = 2 एम्पियर उत्तर
(2) 20 ओम प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर
V20 = IR1 = 2 x 20 = 40 वोल्ट उत्तर
प्रश्न 2.
दिये गये विद्युत परिपथ से गणना कीजिए –
(i) परिपथ का कुल प्रतिरोध
(ii) परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा का मान।
हल:
(i) परिपथ का कुल प्रतिरोध –
(A) R = R1 + R2
= 2 + 2 = 4Ω
यहाँ R1 = R2 = 2 ओम
R3 = 4 ओम
(ii) कुल विद्युत धारा –
I = \(\frac {V}{R} \)
(यहाँ V= 8 V तथा R’ = 2 ओम)
= \(\frac {8}{2} \) = 4 ऐम्पियर उत्तर
प्रश्न 3.
10 प्रतिरोध वाले चार प्रतिरोध समांतर क्रम में संयोजित हैं। कुल प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
दिया है – R1 = R2 = R3 = R4 = 1
अगर कुल प्रतिरोध = R
R = \(\frac {1}{4} \) = 0.25 Ω
अतः कुल प्रतिरोध 0.252 है। उत्तर
प्रश्न 4.
एक विद्युत हीटर को 220 वोल्ट के विद्युत स्रोत से जोड़ने पर 5 एम्पीयर धारा प्रवाहित होती है।
(i) उसी शक्ति की गणना करें।
(2) हीटर को प्रति घंटा चलाने पर होने वाला खर्च बताएँ यदि I KWh विद्युत ऊर्जा का मूल्य 1 रु. 50 पैसे हो।
हल:
दिया है –
विभवान्तर (V) = 220 वोल्ट
धारा (1) = 5 एम्पीयर
(1) शक्ति, P = Vx I
= 220 x 5 = 1100 वाट
(2) हीटर को एक घंटा चलाने में व्यय हुई ऊर्जा
= P x t
= 1100 x 1
= 1100 Wh
= \(\frac {1100}{1000} \) KWh
= 1.1 KWh
कुल व्यय = 1.1 x 1.50 = Rs. 1.65 उत्तर
प्रश्न 5.
एक ताँबे के तार का व्यास 0.7 mm तथा प्रतिरोधकता P = 1.6 x 10-8 Ωm है। 0.8 ओम प्रतिरोध बनाने के लिए कितने लम्बे तार की आवश्यकता होगी?
π = \(\frac {22}{7} \)
हल:
R = 0.8 ओम, d = 0.7 mm तथा
P = 1.6 x 10-8Ω m, लम्बाई l = ?
R = P \(\frac {l}{A} \)
या l = R x \(\frac {A}{P} \) = A = \(\frac{\pi \mathrm{d}^{2}}{4}\)
प्रश्न 6.
एक घर में 60 W के 10 बल्बों का उपयोग महीने के 30 दिन प्रतिदिन 5 घण्टे करने पर कितनी यूनिट बिजली की खपत होगी?
हल:
30 दिन में 10 बल्बों द्वारा उपयोग की गई ऊर्जा –
= \(\frac{10 \times 60 \times 5 \times 30}{1000}\) K Wh
= 90 KWh
= 90 यूनिट उत्तर
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