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RBSE Solutions for Class 10 Social Science Chapter 14 आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन

RBSE Solutions for Class 10 Social Science Chapter 14 आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन are part of RBSE Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Solutions Chapter 14 आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन

BoardRBSE
TextbookSIERT, Rajasthan
ClassClass 10
SubjectSocial Science
ChapterChapter 14
Chapter Nameआर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन
Number of Questions Solved37
CategoryRBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Solutions Chapter 14 आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न [Textbook Questions Solved]

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन अति लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
देश के उत्पादन के सभी साधनों द्वारा एक निश्चित अवधि (वित्त वर्ष) के दौरान उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं को मौद्रिक मूल्य के रूप में परिभाषित किया जाता है।

प्रश्न 2.
सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक वित्त वर्ष के दौरान देश की घरेलू सीमाओं में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्यों का योग सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आय की गणना हेतु राष्ट्रीय आय समिति का गठन कब किया गया?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय समिति का गठन अगस्त 1949 में किया गया।

प्रश्न 4.
भारत में वर्तमान में राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य कौन करता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रीय सांख्यिकी संगठन करता है।

प्रश्न 5.
अर्थव्यवस्था को कितने क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है? नाम लिखिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रों-प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है।

प्रश्न 6.
तृतीयक क्षेत्र में शामिल की जाने वाली तीन सेवाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रों में परिवहन, भंडारण, संचार, बैंक सेवाएँ आदि मुख्य गतिविधियाँ आती हैं।

प्रश्न 7.
आर्थिक विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक विकास का अर्थ-राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की संरचना संस्थागत ढाँचे, तकनीक एवं सामाजिक दृष्टिकोण आदि में अनुकूल परिवर्तन होने से है।

प्रश्न 8.
श्री एम० विश्वेश्वरैया की पुस्तक का नाम लिखिए।
उत्तर:
एम० विश्वेश्वरैया ने ‘प्लान्ड इकॉनॉमी ऑफ इंडिया’ नामक पुस्तक लिखी थी।

प्रश्न 9.
कौन-सी पंचवर्षीय योजना को समय से एक वर्ष पूर्व ही समाप्त कर दिया गया था?
उत्तर:
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना को समय से एक वर्ष पूर्व ही समाप्त किया गया था।

प्रश्न 10.
नीति आयोग के अध्यक्ष कौन हैं?
उत्तर:
नीति आयोग के अध्यक्ष पदेन प्रधानमंत्री होते हैं।

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय की गणना क्यों की जानी चाहिए? कोई तीन कारण दीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय की गणना, आर्थिक गतिविधियों द्वारा सम्पादित क्रियाक्लाप तथा देश की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक | कल्याण को सुनिश्चित करने की अवधारणा भी है। जिसमें सतत विकास, समावेशी विकास तथा मानव विकास शामिल

प्रश्न 2.
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना सर्वप्रथम किसने तथा कब की थी?
उत्तर:
भारत में राष्ट्रीय आय की प्रथम गणना श्री दादा भाई नौरोजी द्वारा 1868 ई० में की गयी थी।

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में राष्ट्रीय आय की गणना करने वाले तीन विद्वानों के नाम बताइए।
उत्तर:
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में राष्ट्रीय आय की गणना करने वाले विद्वान फिण्डले शिराज, डा० वी०के०आर०वी० राव, आर०सी० देसाई थे।

प्रश्न 4.
प्रति व्यक्ति आय की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या में परिवर्तन के प्रभाव को गणना में शामिल करने से प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय आय की तुलना में आर्थिक कल्याण एवं आर्थिक विकास का उपयुक्त माप बन जाता है।

प्रश्न 5.
भारत में तृतीयक क्षेत्र के बढ़ते महत्व को समझाइये।
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्र जिसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है, इसमें ऐसी अपरिहार्य सेवाएँ भी हैं जो प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन में शामिल नहीं, लेकिन इनकी महत्ता अधिक होती है; जैसे-शिक्षक, चिकित्सक, धोबी, नाई, मोची, वकील, प्रशासनिक आदि की सेवा।

प्रश्न 6.
आर्थिक वृद्धि की अवधारणा को समझाइये।
उत्तर:
राष्ट्र के प्राकृतिक, भौतिक, मानवीय एवं पूँजीगत संसाधनों की मात्रा तथा गुणवत्ता में वृद्धि कर इनके कुशल उपयोग द्वारा आय के उच्च स्तर को प्राप्त करने की प्रक्रिया आर्थिक वृद्धि कहलाती है। यह एक दीर्घकालीन मात्रात्मक प्रक्रिया

प्रश्न 7.
आर्थिक विकास की अवधारणा, आर्थिक वृद्धि की अवधारणा से किस प्रकार अधिक व्यापक है?
उत्तर:

  • आर्थिक वृद्धि के गुणात्मक आयाम नहीं होते हैं। यह एक मूल्यविहीन अवधारणा है। इसमें सामाजिक, राजनैतिक संस्थागत स्थितियों में छुपे बदलाव पर कोई विचार नहीं होता।
  • जबकि आर्थिक विकास एक व्यापक अवधारणा है। एक अर्थव्यवस्था में वास्तविक राष्ट्रीय आय तथा प्रतिव्यक्ति आय बढ़ती है, जिससे सभी संरचनाओं में अनुकूल परिवर्तन होते हैं।

प्रश्न 8.
आर्थिक नियोजन की अवधारणा को समझाइए।
उत्तर:
उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के उपयोग से निर्धारित सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का विज्ञान ही आर्थिक नियोजन है। देश द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में निश्चित किए गए लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए नियोजन की अवधारणा तकनीक को अपनाया जा सकता है। तेजी से किए जा रहे आर्थिक विकास हेतु इस प्रतिदर्श को अपनाया जा रहा है।

प्रश्न 9.
स्वतंत्रता पूर्व नियोजन हेतु कौन-कौन से प्रस्ताव रखे गए?
उत्तर:
1930 ई० से 1940 ई० के दशक में भारत के अनेक मनीषियों ने नियोजन हेतु बहुत से प्रस्ताव रखे थे। भारत में प्रथम प्रयास 1934 में एम० विश्वेश्वरैया ने किया था। अपनी पुस्तक ‘Planned Economy of India’ में भारत के नियोजित विकास के लिए एक कार्यक्रम दिया था। नियोजन द्वारा विकास मार्ग अपनाने का समर्थन किया।

प्रश्न 10.
बारहवीं योजना की अवधि क्या है? इस योजना में कौन-से लक्ष्य रखे गए? ।
उत्तर:

  • बारहवीं योजना की अवधि 1 अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 तक थी।
  • इस योजना में 8% विकास दर का संशोधित लक्ष्य रखा गया था। इसके अलावा गरीबी निवारण, बेरोजगारी में कमी, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार जैसे निगरानी योग्य लक्ष्य भी रखे गए थे।

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय किसे कहते हैं? राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पाद के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • उत्पादन के सभी साधनों द्वारा वित्त वर्ष में उत्पादन प्रक्रिया में योगदान के फलस्वरूप प्राप्त आय का योग राष्ट्रीय आय कहलाता है।
  • राष्ट्रीय आय के अनेक रूप हैं। इन्हें राष्ट्रीय अवधारणाएँ कहते हैं। सभी के विशेष वैज्ञानिक नाम, अर्थ तथा उपयोगिताएँ हैं।
  • सकल घरेलू उत्पाद, शुद्ध घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद है। अलग होते हुए भी सभी अवधारणाएँ एक अर्थव्यवस्था की आय को प्रदर्शित करती हैं।
  • सकल घरेलू उत्पाद, अर्थव्यवस्था की निष्पादकता को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद तथा राष्ट्रीय आय समान होती है।
  • अतः राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पाद के मध्य घनिष्ठ संबंध है। राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था की आर्थिक निष्पादकता का मौद्रिक माप है। जिसमें उत्पादन के सभी साधनों के योग का आकलन किया जाता है।

प्रश्न 2.
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र

(i) प्राथमिक क्षेत्र- इस क्षेत्र में ऐसी गतिविधियों को शामिल किया जाता है जिनमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए उत्पादन किया जाता है। कृषि करना, डेयरी, खनन, मछली पकड़ना आदि मुख्य क्रियाएँ हैं। इस क्षेत्र को कृषि एवं सहायक क्षेत्र भी कहा जाता है।

(ii) द्वितीयक क्षेत्र- इस क्षेत्र में उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली द्वारा दूसरे रूपों में परिवर्तित किया जाता है। इसमें नई-नई वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। इस प्रकार की गतिविधियाँ, कारखानों, कार्यशाला या घर में हो सकती हैं। गन्ने से चीनी व गुड़ का निर्माण, कपास से कपड़े का बनाना आदि प्रमुख उदाहरण हैं। इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है।

(iii) तृतीयक क्षेत्र- इसकी गतिविधियाँ, प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्र के विकास में सहयोग करती है। इसके द्वारा कोई उत्पादित कार्य नहीं किया जाता, बल्कि इसकी प्रक्रिया में अनेक प्रकार से सहयोग कर गुणवत्ता का विकास किया जाता है। परिवहन, संचार, बैंकिंग सेवा आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 3.
आर्थिक विकास के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के महत्व में होने वाले परिवर्तन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
(i) आर्थिक विकास विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की आर्थिक गतिविधियों द्वारा प्राप्त परिणाम है जो दीर्घकालिक या अंशकालिक हो सकता है।

(ii) आर्थिक विकास की प्रक्रिया राष्ट्र के सर्वांगीण-आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक कल्याण को निश्चित करती है। जैसा कि स्पष्ट है आर्थिक वृद्धि, आर्थिक विकास का एक मुख्य आयाम है जिसमें अनेक क्षेत्र शामिल हैं।

(iii) प्राथमिक क्षेत्र विकास की प्रथम अवस्था में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र था। लेकिन धीरे-धीरे कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के साथ-साथ उत्पादन की बढ़ोतरी ने लोगों को नए क्रियाकलापों की ओर प्रेरित किया।

(iv) व्यापारियों, शिल्पियों तथा निर्माण क्षेत्र में विकास का होना द्वितीयक क्षेत्र के अग्रसर होने का प्रतीक था। इस क्षेत्र के लिए अधिकांश वस्तुएँ प्राथमिक क्षेत्र से ही उत्पादित होती थीं तथा ज्यादातर लोग इसी क्षेत्र में जीवकोपार्जन के साधन प्राप्त करते थे। इस प्रकार उत्पादन एवं रोजगार के दृष्टिकोण से द्वितीयक क्षेत्र महत्वपूर्ण हो गया।

(v) तृतीयक क्षेत्र की ओर, काफी लंबे समय बाद बदलाव हुआ। क्योंकि अधिकतर काम-काजी लोग ( श्रमजीवी) | सेवा क्षेत्र में नियोजित हैं। विगत दशकों में इस क्षेत्र के उत्पादन में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। देश में प्रथम क्षेत्र को स्थापित करते हुए, यह क्षेत्र उत्पादक क्षेत्र के रूप में उभरा है।। सकल घरेलू उत्पाद में तीनों क्षेत्रों की हिस्सेदारी में बदलाव हुआ है तथा द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रों का सकल घरेलू उत्पाद में 85% की हिस्सेदारी है।

प्रश्न 4.
भारत में आर्थिक नियोजन की तकनीक अपनाने के पीछे क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
(i) नियोजन एक तकनीक है जिसमें उपलब्ध संसाधनों का प्राथमिकता क्रम में निर्धारित विभिन्न लक्ष्यों में अनुकूलतम आवंटन एवं उपयोग करके प्राप्त करने की कोशिश की जाती है।

(ii) भारत में ये नियोजन, देश में बदलाव के लिए एक उपकरण के रूप में अपनाया गया। भारत में इसके प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं-आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना तथा गरीबी की समस्या का समाधान कर आर्थिक असमानताओं को कम करना साथ ही सामाजिक न्याय की स्थापना करना।

(iii) उपलब्ध मानवीय पूँजी का कुशलतम उपयोग सहित रोजगार के अवसरों का विस्तार करना तथा सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति, मुख्य रूप से खाद्यान्न एवं औद्योगिक कच्चे माल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।

(iv) परंपरागत भारतीय अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण कर शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर अधिकतम सामाजिक कल्याण की स्थिति प्राप्त करना। आर्थिक स्थिरता प्राप्त करना क्योंकि आर्थिक स्थिरता के बिना आर्थिक विकास अर्थहीन हो जाता है।

(v) ग्रामीण विकास, सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाओं का विस्तार, ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि करना व क्षेत्रीय असमानताओं की समाप्ति।

प्रश्न 5.
नीति आयोग पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
(i) बदलते भारत के लिए राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना 9 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रीमंडल के संकल्प द्वारा की गई। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं। अरविंद पनगढ़िया इसके उपाध्यक्ष हैं।

(ii) राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रशासित राज्यों के उपराज्यपाल नीति आयोग के सदस्य हैं। यह भारत सरकार के लिए राजनीतिक तथा दीर्घकालीक नीतियों, कार्यक्रमों के निर्माण के साथ-साथ तकनीकी सलाह भी प्रदान करता है।

(iii) यह एक सर्वश्रेष्ठ मंच है, जो सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है। इसकी स्थापना के मूल में दो केंद्र हैं-टीम इंडिया हब और ज्ञान तथा नवाचार हब।

(iv) टीम इंडिया हब राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के साथ शामिल करने का कार्य करता है। ज्ञान और नवाचार हब नीति आयोग की थिंक टैंक क्षमताओं को मजबूत बनाता है।

(v) नीति आयोग सहयोग पूर्ण संघवाद पर आधारित एक क्रांतिकारी सुधार है।

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (More Questions Solved)

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
भारत में वित्त वर्ष कब से कब तक होता है?
(अ) 9 जनवरी से 31 दिसंबर
(ब) 1 मार्च से 28 फरवरी
(स) 1 अप्रैल से 31 मार्च ।
(द) कोई नहीं

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आय समिति का गठन कब किया गया था? ।
(अ) अगस्त 1950
(ब) अगस्त 1969
(स) अगस्त 1949
(द) अगस्त 1951

प्रश्न 3.
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन कब से राष्ट्रीय आय की गणना कर रहा है?
(अ) 1965
(ब) 1955
(स) 1975
(द) 1945

प्रश्न 4.
डेयरी व खनन किस क्षेत्र की गतिविधियाँ हैं?
(अ) तृतीयक
(ब) प्राथमिक
(स) द्वितीयक
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 5.
मानव विकास की अवधारणा किस वर्ष मुखर हुई थी?
(अ) 1980
(ब) 1985
(स) 1990
(द) 1995

उत्तर:
1. (स)
2. (स)
3. (ब)
4. (ब)
5. (स)

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
एक परिवार की आय क्या व्याख्या करती है?
उत्तर:
एक परिवार की आय उसके भौतिक जीवन, सामाजिक स्थिति तथा आर्थिक प्रगति की व्याख्या करती हैं।

प्रश्न 2.
श्रमजीवी लोग किस क्षेत्र में नियोजित हैं?
उत्तर:
श्रमजीवी लोग सेवा-क्षेत्र में नियोजित हैं।

प्रश्न 3.
सतत विकास किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों की निरंतरता को बनाए रखते हुए जो आर्थिक विकास किया जाता है, वह सतत विकास कहलाता

प्रश्न 4.
समावेशी विकास किस पर बल देता है?
उत्तर:
समावेशी विकास समाज के वंचित वर्गों को विकास की मुख्य धारा में शामिल करने पर बल देता है।

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय विकास परिषद क्या करती है?
उत्तर:
राष्ट्रीय विकास परिषद योजना आयोग द्वारा तैयार की गई योजनाओं का अनुमोदन करती है तथा समय-समय पर योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करती है।

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
परिवहन, भंडारण, संचार, बैंक सेवाएँ और व्यापार तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों के प्रमुख उदाहरण हैं। ये गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाए सेवाओं का सृजन करती हैं।

प्रश्न 2.
मानव विकास सूचकांक क्यों तैयार किया गया था?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक इसलिए तैयार किया गया था कि विकास परिणामों का मूल्यांकन करने की कसौटी मनुष्य के लिए विकल्पों का विस्तार होना चाहिए। इस प्रक्रिया में आर्थिक वृद्धि एक साधन है; साध्य नहीं। इसने विकास के | मुद्दे को अर्थ-केंद्रित से मनुष्य-केंद्रित बना दिया है।

प्रश्न 3.
1966 से 1969 के बीच तीन वार्षिक योजनाएँ क्यों बनाई गई?
उत्तर:
भारत-पाकिस्तान युद्ध, लगातार सूखे, मूल्यवृद्धि तथा संसाधनों के क्षय से तीसरी योजना के पश्चात योजना बनाने की प्रक्रिया में बाधा के कारण 1966 से 1969 के बीच तीन वार्षिक योजनाएँ बनायी गई थीं।

प्रश्न 4.
अनवरत योजना किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक चालू योजना को निश्चित समय अंतराल के बाद अद्यतन और संपादित किया जाता है। इसमें चालू योजना के लक्ष्यों, अनुमानों, संसाधन आवंटन और योजना की समयावधि को परिवर्तित करने की लोचशीलता होती है।

प्रश्न 5.
नीति आयोग की स्थापना के मूल केंद्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
टीम इंडिया हब तथा ज्ञान और नवाचार हब है। टीम इंडिया हब राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के साथ शामिल करने | का कार्य करता है। जबकि ज्ञान व नवाचार हब नीति आयोग की थिंक टैंक क्षमताओं को मजबूत बनाता है।

आर्थिक अवधारणाएँ एवं नियोजन निबंधात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय की गणना एक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • राष्ट्रीय आय से राष्ट्र की आर्थिक स्थिति का ज्ञान होता है।
  • राष्ट्रीय आय के आधार पर हम विभिन्न राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना कर सकते हैं।
  • इससे अर्थव्यवस्था में अनेक क्षेत्रों के योगदान एवं उनके सापेक्षिक महत्व की अनेक जानकारी मिलती है।
  • राष्ट्रीय आय के अनुमानों के आधार पर अर्थव्यवस्था के लिए नई नीतियों का निर्माण किया जा सकता है।
  • इस प्रकार राष्ट्रीय आय की गणना एक देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि परिवार या व्यक्ति की आय की भाँति राष्ट्र व उसके नागरिकों के भौतिक जीवन, सामाजिक स्थिति तथा आर्थिक प्रगति का एक व्याख्यात्मक पहलू उजागर होता है।

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