RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 17 वैदिक सभ्यता एवं सामाजिक विज्ञानि is part of RBSE Solutions for Class 6 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Chapter 17 वैदिक सभ्यता एवं सामाजिक विज्ञानि.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 6 |
Subject | Social Science |
Chapter | Chapter 17 |
Chapter Name | वैदिक सभ्यता एवं सामाजिक विज्ञानि |
Number of Questions | 58 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Chapter 17 वैदिक सभ्यता एवं सामाजिक विज्ञानि
पाठगत गतिविधि आधारित प्रश्न
प्रश्न 1.
वैदिक संस्कृति का ज्ञान हमें कहाँ से प्राप्त होता (पृष्ठ सं. 122)
उत्तर:
वैदिक संस्कृति का ज्ञान हमें वेदों तथा वैदिक साहित्य से प्राप्त होता है।
प्रश्न 2.
वैदिक काल को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ? (पृष्ठ सं. 122)
उत्तर:
वैदिक काल को क्रमशः पूर्व वैदिक काल एवं उत्तर वैदिक काल, इन दो भागों में बाँटा जा सकता है।
प्रश्न 3.
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का क्या अर्थ है ? (पृष्ठ सं. 122)
उत्तर:
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का अर्थ है-सम्पूर्ण पृथ्वी के प्राणिमात्र के एक ही परिवार का हिस्सा होने की उदा त भावना।
प्रश्न 4.
अपने गुरुजी से पूछ कर बतायें निम्न प्राचीन स्थानों के वर्तमान नाम क्या हैं ? (पृष्ठ सं. 123)
उत्तर:
स्थलों के प्राचीन नाम | स्थलों के वर्तमान नाम |
(i) इन्द्रप्रस्थ | दिल्ली |
(ii) पाटलीपुत्र | पटना |
(iii) मिथिला | भागलपुर (बिहार) |
(iv) कौशल | अवध (लखनऊ) |
प्रश्न 5.
संयुक्त परिवार प्रथा की क्या विशेषताएँ थीं ? (पृष्ठ से. 125)
उत्तर:
संयुक्त परिवार प्रथा की निम्नांकित विशेषताएँ –
- परिवार की सम्पत्ति तथा सदस्यों की सुरक्षा।
- आजीविका में सम्मिलित योगदान।
प्रश्न 6.
वैदिक काल में शिक्षा का माध्यम क्या था ?
उत्तर:
वैदिक काल में शिक्षा का माध्यम संस्कृत थी।
प्रश्न 7.
वैदिक काल की प्रमुख विदुषी स्त्रियों के नाम बताइए। (पृष्ठ सं. 125)
उत्तर:
वैदिक काल की प्रमुख विदुषी स्त्रियों के नाम क्रमशः घोषा, अपाला, लोपामुद्रा एवं श्रद्धा आदि थे।
प्रश्न 8.
वैदिक काल में व्यक्ति के लिए कितने संस्कारों का विधान था ? (पृष्ठ सं. 125)
उत्तर:
वैदिक काल में व्यक्ति के लिए 16 संस्कारों का विधान था।
प्रश्न 9.
हमारे देश में कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ? सूची बनाएँ। (पृष्ठ सं. 126)
उत्तर:
हमारे देश में कानून बनाने वाली सर्वोर; संस्थाएँ निम्नांकित हैं
- संसद (केन्द्रीय स्तर पर)
- विधान सभा (राज्य स्तर पर)।
प्रश्न 10.
वैदिक सभ्यता और संस्कृति के कौन-कौन से रीति-रिवाज, प्रथाएँ व संस्कार आज भी प्रचलन में हैं। इनकी सूची बनाइए। (पृष्ठ सं. 128)
उत्तर:
वैदिक सभ्यता और संस्कृति के निम्नांकित रीति-रिवाज, प्रथाएँ व संस्कार आज भी प्रचलन में हैं
- रीति-रिवाज- सामाजिक-धार्मिक समारोहों में स्त्री-पुरुष की सहभागिता एवं कर्म व श्रम आधारित सामाजिक व्यवस्था।
- प्रथाएँ- संयुक्त परिवार प्रथा, पत्नी प्रथा एवं नारी का सम्मान तथा बाल विवाह न करना। लड़के-लड़कियों की। समान शिक्षा।
- संस्कार- जन्म, यज्ञोपवीत, विवाह एवं मृत्यु संस्कार।
प्रश्न 11.
वैदिक साहित्य की चयनित कहानियों का बाल सभा में मंचन करें। (पृष्ठ सं, 128)
उत्तर:
कहानी 1.
प्राचीन कालीन सूर्यवंश एक प्रसिद्ध वंश था। यह वंश अपने वचन की कटिबद्धता के कारण प्रसिद्ध था। इस वंश में राजा रघु हुए थे। कालान्तर में इस वंश को रघुकुल कहा गया था। जिसमें राजा दशरथ हुए। उनके चार पुत्रों में से एक राजा राम थे। जो मर्यादापुरुषोत्तम थे। इन्होंने सत्य की रक्षा हेतु अपने परिवारीजनों का भी त्याग किया था। अपने शासन काल में इन्होंने अनेक अत्याचारियों का अन्त किया था।
कहानी 2.
प्राचीनकाल में एक अत्यन्त शक्तिशाली राजा दुष्यंत हुए थे। वे अत्यधिक वीर व पराक्रमी थे। देवासुर संग्राम में राजा इन्द्र ने इन्हें देवताओं की रक्षा के लिए स्वर्ग लोक बुलाया था। जहाँ इन्होंने देवताओं की ओर से युद्ध का प्रतिनिधित्व किया था। स्वर्ग लोक से लौटते समय इन्होंने पृथ्वी लोक पर शकुन्तला नाम की स्त्री को देखा। ये उस पर मोहित हो गये थे।
कालान्तर में दोनों का गन्धर्व विवाह हुआ जिनसे भरत नामक सन्तान उत्पन्न हुई। यह भरत ही आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बने। इन्हीं के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। नोट-विद्यार्थी इन कहानियों को आधार बनाकर बाल सभा में इनका मंचन करें।
पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न एक व दो के सही उत्तर कोष्ठक में लिखिएप्रश्न
प्रश्न 1.
वेदों की संख्या है
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच।
उत्तर:
(स) चार
प्रश्न 2.
सरस्वती नदी का प्राचीन नाम है
(अ) विपाषा
(ब) सिन्धु
(स) गोमती
(द) द्वषद्वती।
उत्तर:
(द) द्वषद्वती।
प्रश्न 3.
वेद कालीन दो राजनीतिक संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
वैदिक कालीन दो राजनीतिक संस्थाओं के नाम क्रमशः सभा एवं समिति थे।
प्रश्न 4.
वैदिक काल में परिवार प्रथा कैसी थी ?
उत्तर:
वैदिक काल में परिवार प्रथा संयुक्त थी।
प्रश्न 5.
‘पणि’ एवं ‘निष्क’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
वैदिक कालीन व्यापारी वर्ग को पणि तथा सोने के सिक्कों को निष्क कहा जाता था।
प्रश्न 6.
वेदों के नाम बताइए। इनमें सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है?
उत्तर:
वेदों के नाम क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद हैं। इनमें सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है। प्रश्न 7वेद कालीन शिल्पकला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। उत्तर:वेद कालीन शिल्पकला के अन्तर्गत कपड़े बुनना, चमड़ा रंगना, आभूषण बनाना, बैलगाड़ियाँ, तख्त, चारपाई, नौकाएँ बनाना आदि कार्य प्रमुख रूप से किए जाते थे। लोग लोहार, सुनार, कुम्हार, वैद्य आदि का कार्य करते थे।
प्रश्न 8.
वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
वैदिक संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थी
- संयुक्त परिवार प्रथा
- शिक्षा एवं नारी का सम्मान
- संस्कारों को प्रधानता
- वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना
- वर्ण एवं आश्रम व्यवस्था।
प्रश्न 9.
वैदिक काल की शिक्षा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिक काल की शिक्षा का आधार सादा जीवन उच्च विचार था। शिक्षा गुरुकुल में दी जाती थी तथा लड़के-लड़कियों को समान रूप से शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार था। वैदिक शिक्षा संस्कृत माध्यम से दी जाती थी। वैदिक शिक्षा का प्रधान लक्ष्य बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास तथा आचरण की पवित्रता को विकसित करना था।
प्रश्न 10.
वेदकालीन आश्रम व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वेदकालीन आश्रम व्यवस्था को क्रमशः ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संयास चार भागों में बाँटा गया था। ब्रह्मचर्य आश्रम यज्ञोपवीत संस्कार से 25 वर्ष तक, गृहस्थ आश्रम 25-50 वर्ष तक, वानप्रस्थ आश्रम 50-75 वर्ष तक एवं संन्यास आश्रम 75-100 वर्ष की आयु के अनुसार विभाजित किया गया था। वैदिक काल में व्यक्ति से समाज तक की यात्रा के पड़ावों के रूप में इन आश्रमों का निरूपण किया गया था।
प्रश्न 11.
वेद कालीन व्यापार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वेदकालीन व्यापार वस्तु-विनिमय प्रणाली पर आधारित था। विदेशी व्यापार जल और स्थल दोनों भागों से होता था। पणि (व्यापारी) वर्ग वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ऊँटों, छकड़ों एवं घोड़ों का प्रयोग करता था। इस समय व्यापार में निष्क नामक मुद्रा का प्रयोग भी व्यापारियों द्वारा किया जाता था।
प्रश्न 12.
वेद के भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
वेद के भाग क्रमशः संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक एवं उपनिषद हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(i) गायत्री मंत्र किस वेद से सम्बन्धित है ?
(अ) ऋग्वेद
(ब) यजुर्वेद
(स) सामवेद
(द) अथर्ववेद
उत्तर:
(अ) ऋग्वेद
(ii) वानप्रस्थ आश्रम की समयावधि थी
(अ) यज्ञोपवीत से 25 वर्ष
(ब) 25-50 वर्ष
(स) 50-75 वर्ष
(द) 75-100 वर्ष।
उत्तर:
(स) 50-75 वर्ष
(iii) वैदिक वर्ण व्यवस्था आधारित थी-
(अ) कर्म एवं श्रम पर
(ब) जाति पर
(स) जन्म पर
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) कर्म एवं श्रम पर
(iv) ग्राम के अधिकारी को कहा जाता था
(अ) विशपति
(ब) राजन
(स) ग्रामणी
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(स) ग्रामणी
(v) खिल्ये भूमि से तात्पर्य था
(अ) उर्वरा
(ब) निष्क
(स) पणि
(द) बंजर।
उत्तर:
(द) बंजर।
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) ……………. हमारी संस्कृति की धरोहर हैं।
(ii) चिकित्सा विधि एवं रोगों से सम्बन्धित ज्ञान .. में संकलित है।
(iii) ………… नामक इकाई का अधिकारी विशपति था।
(iv) वैदिक काल में राजा को परामर्श देने के लिए …… एवं ……… नामक दो संस्थाएँ ।
(v) आर्यों के जीवन में……..नामक पशु का विशेष महत्व था।
उत्तर:
(i) वेद
(ii) अथर्ववेद
(iii) विश
(iv) सभा, समिति
(v) गाय।।
स्तम्भ अ और स्तम्भ ब को सुमेलित कीजिए।
उत्तर:
(i) (द)
(ii) (ब)
(iii) (स)
(iv) (अ)
उत्तर:
(i) (ब)
(ii) (द)
(iii) (स)
(iv) (अ)
अति लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वेदों से तात्कालिक लोगों के विषय में क्या-क्या जानकारियाँ प्राप्त होती हैं ?
उत्तर:
वेदों से तात्कालिक लोगों के विषय में रहन-सहन, जीवन, समाज व्यवस्था, परिवार व्यवस्था एवं व्यवसाय आदि के बारे में जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 2.
उत्तर वैदिक काल की सभ्यता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऋग्वैदिक सभ्यता के बाद की वैदिक सभ्यता को उत्तर वैदिक काल की सभ्यता कहते हैं।
प्रश्न 3.
वेद भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण आधार क्यों हैं ?
उत्तर:
क्योंकि वेदों से ही सत्य व ज्ञान हमें प्राप्त हुआ है। सारा ज्ञान इन वेदों में समाया हुआ है। ये भारत के आदि ग्रन्थ होने के साथ-साथ आर्यों की प्राचीन रचनाएँ हैं।
प्रश्न 4.
किस वेद में देवताओं की स्तुति सम्बन्धी मंत्रों का संकलन किया गया है ?
उत्तर:
सामवेद में देवताओं की स्तुति सम्बन्धी मंत्रों का संकलन किया गया है।
प्रश्न 5.
‘यत्र नार्यऽस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
‘यत्र नार्यऽस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ का अर्थ है। कि जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है वहाँ देवताओं का निवास होता है।
प्रश्न 6.
किस आश्रम को मनुष्य के जीवन का पहला भाग माना जाता है ?
उत्तर:
ब्रह्मचर्य आश्रम को मनुष्य के जीवन का पहला भाग माना जाता है।
प्रश्न 7.
विवाह किस आश्रम का मुख्य संस्कार है?
उत्तर:
विवाह गृहस्थ आश्रम का मुख्य संस्कार है।
प्रश्न 8.
गृहस्थों को सलाह देना किस आश्रम की मुख्य विशेषता थी ?
उत्तर:
गृहस्थों को सलाह देना वानप्रस्थ आश्रम की मुख्य विशेषता थी।
प्रश्न 9.
आर्यों के राजनीतिक जीवन का मूल आधार क्या था ?
उत्तर:
आर्यों के राजनीतिक जीवन का मूल आधार कुटुम्ब था।
प्रश्न 10.
जन के अधिकारी को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
जन के अधिकारी को राजन अथवा शासक कहा जाता था।
प्रश्न 11.
वैदिक काल में भूमि को कितने भागों में बाँटा गया था ?
उत्तर:
वैदिक काल में भूमि को क्रमशः उर्वरा एवं खिल्य नामक दो भागों में बाँटा गया था।
प्रश्न 12.
आर्य किन-किन पशुओं को पालते थे?
उत्तर:
आर्य गाय, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़ा आदि पशुओं को पालते थे।
प्रश्न 13.
वैदिक काल में किस स्वर्ण सिक्के को मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
वैदिक काल में निष्क नामक स्वर्ण सिक्के को मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाता था।
लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वेद क्या हैं ? चारों वेदों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वेद भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण आधार हैं, समस्त ज्ञान वेदों में निहित है। वेद भारत का आदि ग्रन्थ एवं आर्यावर्त की प्राचीन रचनाएँ हैं। चारों वेदों का संक्षिप्त परिचय निम्नानुसार है
(i) ऋग्वेद- यह सबसे प्राचीन वेद है। वर्तमान में प्रचलित गायत्री मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है।
(ii) यजुर्वेद- इसमें यज्ञों में प्रयोग होने वाले श्लोकों एवं मंत्रों का संकलन है। यह गद्य-पद्य दोनों में लिखा गया है।
(iii) सामवेद- इसमें देवताओं की पूजा-स्तुति से सम्बन्धित मंत्रों का संकलन है, सामवेद का कुछ भाग ऋग्वेद से लिया गया है। संगीत में स्वर का उद्भव सामवेद से हुआ है।
(iv) अथर्ववेद- इस वेद का नाम अथर्व ऋषि के नाम पर पड़ा है। इसमें चिकित्सा विधि एवं रोगों से सम्बन्धित ज्ञान संकलित है।
प्रश्न 2.
वैदिक धर्म एवं दर्शन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वैदिक धर्म एवं दर्शन सम्पूर्ण भारतीय जीवन एवं साहित्य का आधार रहा है जिसके अन्तर्गत सत्य बोलना, चोरी न करना, कर्म वे वचन से पवित्रता का पालन करना, काम-क्रोध पर नियंत्रण, इन्द्रियों पर नियंत्रण, दान-धर्म करना आदि बातें शामिल हैं।
वैदिक धर्म एवं दर्शन केवल भारतीयों को ही दृष्टि में रखकर अपना स्वरूप प्रकट नहीं करता बल्कि यह मानव को विश्व मानव बनाने की योग्यता रखता है। यह विश्व के प्रत्येक मनुष्य के लिए उपयोगी है।
प्रश्न 3.
वैदिककालीन संयुक्त परिवार प्रथा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिककालीन समाज की मूल इकाई परिवार थी जिसमें संयुक्त परिवारों की प्रधानता थी। माता-पिता, भाई-बहिन, चाचा-भतीजा, पुत्र-पौत्र आदि चार-पाँच पीढ़ियाँ एक ही परिवार में साथ-साथ रहती र्थी। पिता परिवार का । मुखिया होता था। संयुक्त परिवार प्रणाली के मूल में दो बातें। प्रमुख र्थी ।
एक, परिवार की सम्पत्ति व सदस्यों की सुरक्षा और दूसरी, आजीविका। परिवार में आजीविका के साधनों पर सभी का संयुक्त अधिकार होता था। यद्यपि पुरुष परिवार का मुखिया था किन्तु परिवार के कार्यों में महिलाओं का भी महत्वपूर्ण स्थान था। इस प्रकार वैदिककालीन पारिवारिक जीवन सुखी एवं शान्तिमय था।
प्रश्न 4.
वैदिककालीन नारी की स्थिति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैदिक काल में नारियों को समाज में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। परिवार में उन्हें पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त थे। सामाजिक व धार्मिक समारोहों में वह पुरुषों के साथ भाग लेती थीं। समाज में पर्दा प्रथा नहीं थी।
लड़कियों को पढ़ाने का प्रचलन था जिसके परिणामस्वरूप घोषा, अपाला, लोपामुद्रा एवं श्रद्धा आदि विदुषी स्त्रियों ने इस काल में वैदिक ऋचाओं की रचना की थी। इसी समय यत्र नार्यऽस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः आदि के प्रमाण वेदों के अनेक मंत्रों में प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 5.
वैदिक कालीन संस्कारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैदिक संस्कृति संस्कारों से युक्त रही है जिसमें बच्चे के जन्म, यज्ञोपवीत, विवाह, मृत्यु आदि अवसरों पर विधि-विधान से अनुष्ठान व संस्कार प्रथा थी। व्यक्ति को जीवन पर्यन्त तक 16 संस्कारों से गुजरना पड़ता था। जो लोगों के जीवन का आवश्यक अंग था।
अधिकांश संस्कार मंत्रोच्चार व यज्ञ के साथ सम्पन्न होते थे। इन संस्कारों का महत्व इसी से पता चलता है कि इतने समय बाद आज भी ये संस्कार हिन्दू परिवारों द्वारा अपनाये जा रहे हैं।
प्रश्न 6.
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना क्या है ?
उत्तर:
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का अर्थ है सम्पूर्ण पृथ्वी के प्राणिमात्र के एक ही परिवार का हिस्सा होने की उदात्त भावना। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति इस भावना से व्यवहार करता था-सर्वेभवन्तु सुखिनः। इस समय के लोग इसी धारणा के अनुरूप व्यवहार करते थे। मानव ही नहीं अपितु प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखना यहाँ के सामान्य जन की विशेषता रही है।
प्रश्न 7.
वैदिककालीन वर्ण व्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वैदिककालीन वर्ण व्यवस्था कर्म एवं श्रम के सिद्धान्त पर आधारित थी। जन्म से उसका कोई सम्बन्ध नहीं थी। कर्म से कोई भी व्यक्ति ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र हो सकता था। वर्ण व्यवस्था व्यवसाय से जुड़ी हुई थी। इसका विभाजन जन्मजात नहीं था। आवश्यकतानुसार कोई भी व्यक्ति अपना व्यवसाय बदल सकता था और इसके साथ ही उसका वर्ण भी बदल जाता था।
इन वर्गों में खान-पान, वैवाहिक सम्बन्धों आदि का प्रतिबंध नहीं था और न ही छुआछूत प्रथा थी। ऋग्वेद में एक स्थान पर एक व्यक्ति कहता है कि “मैं मंत्र निर्माता हूँ, मेरे पिता वैद्य हैं और मेरी माता पत्थर की चक्की से अन्न पीसने वाली महिला है।” इससे स्पष्ट है कि वैदिक कालीन वर्ण व्यवस्था कर्म प्रधान थी।
प्रश्न 8.
ऋग्वैदिक राजनीतिक संगठन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऋग्वैदिक राजनीतिक संगठन का आधार कुटुम्ब था। कई कुटुम्बों को मिलाकर एक ग्राम बनता था जिसके । अधिकारी को ‘ग्रामणी’ कहते थे। कई ग्रामों को मिलाकर ‘विश’ नामक इकाई बनती थी जिसका अधिकारी विशपति’ था।
कई विशों को मिलाकर ‘जन’ नामक इकाई बनती थी जिसके अधिकारी को राजन् अथवा शासक कहते थे। ऋग्वैदिक काल में सभी जनों का राजनीतिक संगठन प्रायः एक जैसा ही था।
प्रश्न 9.
ऋग्वैदिक कालीन राजा और उसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ऋग्वैदिक कालीन राजा राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था। उसका पद वंशानुगत था किन्तु कभी-कभी जनता नए राजा का निर्वाचन भी करती थी। राज्य की समस्त शक्तियाँ राजा के हाथों में केन्द्रित थीं।
वह राज्य के कर्मचारियों तथा अधिकारियों को नियुक्त, पदोन्नत तथा पदच्युत करता था। राजा का निर्णय ही अन्तिम माना जाता था। किन्तु वह मनमानी न करके अपनी मंत्रिपरिषद् से विचार-विमर्श करके ही नीति-निर्धारण करता था।
प्रश्न 10.
वैदिककालीन सभा एवं समिति पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वैदिककालीन सभा एवं समिति राजा पर नियंत्रण करने एवं परामर्श देने के लिए बनाई गयी महत्वपूर्ण संस्थाएँ थीं। सभा राज्य के मुख्य पदाधिकारियों एवं विद्वानों की बैठक थी जबकि समिति जनता के सदस्यों का संगठन थी।
वैदिक काल में सभा एवं समिति को अनेक प्रशासनिक अधिकार प्राप्त थे। ये संस्थाएँ राजा को पदच्युत तथा निर्वाचित कर सकती थीं। यह राजा को शासन कार्य चलाने में सहायता प्रदान करती थीं। शक्तिशाली राजा भी इन संस्थाओं के निर्णयों की अवहेलना करने का साहस नहीं कर सकता था।
प्रश्न 11.
वैदिककालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वैदिककालीन कृषि व्यवस्था वर्षा पर निर्भर थी किन्तु वर्षा के अभाव में कुएँ तथा नहरें भी जल सिंचाई के साधन थे। इस समय जौ, गेहूँ, चावल आदि फसलें पैदा की जाती थीं। खेती का काम हल व बैल से किया जाता था। अच्छी फसल के लिए खाद का प्रयोग किया जाता था।
प्रत्येक गाँव में उर्वरा एवं खिल्य नामक दो प्रकार की भूमियाँ होती थीं। उर्वरा भूमि को फसल उगाने के लिए प्रयोग किया जाता था।
प्रश्न 12.
ऋग्वैदिक कालीन नदियों की सूची बनाइए।
उत्तर:
ऋग्वैदिक कालीन नदियों की सूची निम्नांकित है
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वैदिककालीन आश्रम व्यवस्था का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिककालीन आश्रम व्यवस्था का विस्तृत वर्णन निम्नांकित है
(i) ब्रह्मचर्य आश्रम- ब्रह्मचर्य आश्रम मनुष्य के जीवन का प्रथम भाग माना जाता है। इसमें मनुष्य यज्ञोपवीत संस्कार से 25 वर्ष की आयु तक अविवाहित रहते हुए गुरुकुल में रहकर विद्या अध्ययन करता था तथा ब्रह्मचर्य आश्रम में जो कुछ भी सीखता था उसको वह अपने व्यवहार में उतारने का कार्य गृहस्थाश्रम में करता था।
(ii) गृहस्थ आश्रम- गृहस्थ आश्रम को 25-50 वर्ष तक माना गया था। गृहस्थ आश्रम पर सम्पूर्ण समाज का दायित्व होता है। इस आश्रम का मुख्य संस्कार विवाह है। यह आश्रम अन्य सभी आश्रमों का पोषक माना गया था।
(iii) वानप्रस्थ आश्रम- वानप्रस्थ आश्रम को 50-75 वर्ष की आयु तक माना गया था। वानप्रस्थ आश्रम में व्यक्ति परिवार के दायित्व से मुक्त होकर अपना जीवन गाँव के निकट जंगल में व्यतीत करता था तथा गृहस्थ जीवन में रहकर जो अनुभव प्राप्त हुआ उसको समाज में बाँटता था तथा सम्पूर्ण समाज के कल्याण के लिए सोचता था। गृहस्थों को सलाह देना इस आश्रम की मुख्य विशेषता थी।
(iv) संन्यास आश्रम- सन्यास आश्रम को 75-100 वर्ष की आय तक माना गया है। इस काल में व्यक्ति अपना सम्पूर्ण भाग (जीवन) परमपिता (भगवान) को सौंप कर समाज को ही अपना आराध्य मान कर जीवन के शेष 25 वर्ष समाज की सेवा के लिए समर्पित करता था। इस आश्रम में व्यक्ति एक स्थान पर नहीं रहता था बल्कि अलग-अलग स्थानों पर विचरण करता हुआ लोगों को सदाचार की शिक्षा देता था।
प्रश्न 2.
वेदकालीन आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वेदकालीन आर्थिक जीवन काफी उन्नत था। उस समय लोगों (आर्यों) की आजीविका का मुख्य साधन कृषि, पशुपालन एवं व्यापार आदि थे जिनका वर्णन निम्नांकित है
(i) कृषि- आर्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि कार्य था। वे जौ, गेहूँ, धान आदि फसलें पैदा करते थे। इस समय कृषि वर्षा, कुएँ एवं नहरों पर निर्भर थी। खेती का कार्य बैल एवं हल से किया जाता था। अच्छी फसल के लिए खाद का प्रयोग किया जाता था। प्रत्येक गाँव में दो प्रकार की भूमि-उर्वरा एवं खिल्य (बंजर) होती थी। उर्वरा भूमि पर फसल पैदा की जाती थी। ऐसी भूमि पर किसी न किसी का अधिकार होता था किन्तु बंजर भूमि पर समस्त गाँव का अधिकार होता था। वहाँ ग्रामीण अपने पशु चराते थे।
(ii) पशुपालन- आर्यों का दूसरा व्यवसाय पशुपालन था। वे गाय, भैंस, बकरी, भेड़ एवं घोड़ा आदि पशुओं को पालते थे।
(iii) शिल्प- आर्यों ने शिल्प कला में बहुत उन्नति की थी। वे कपड़ा अच्छा बुनते थे तथा चमड़ा रँगने एवं आभूषण बनाने की कला में दक्ष थे। बढ़ई लोग हल, बैलगाड़ियाँ, तख्त, चारपाई, नौकाएँ आदि बनाने में काफी निपुण थे। इस समय वैद्य भी थे जो चिकित्सा का कार्य करते थे। कुछ लोग लोहार, सुनार, कुम्हार का कार्य भी करते थे। किसी भी शिल्प को हीन नहीं समझा जाता था। शिल्पकार समाज में आदरणीय थे।
(iv) व्यापार- वैदिक काल में व्यापारी वर्ग को पणि कहा जाता था। इस समय विदेशी व्यापार जल और स्थल दोनों मार्गों से होता था। व्यापार के लिए वस्तु-विनिमय प्रणाली का प्रयोग किया जाता था तथा वस्तुएँ ऊँटों, छकड़ों एवं घोड़ों के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जाती थीं। इस समय निष्क नामक स्वर्ण मुद्रा का प्रयोग करने का विवरण भी ऋग्वेद में प्राप्त होता है।
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